NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे पाठ का सार

एकांकी में निहित पात्रों का परिचय

‘ऐसे-ऐसे’ एक एकांकी (नाटक/छोटी कहानी) है, जिसके लेखक विष्णु प्रभाकर हैं। इस एकांकी के पात्र मोहन ( एक विद्यार्थी), दीनानाथ (एक पड़ोसी) माँ (मोहन की माँ), मोहन के पिता मोहन के मास्टर जी, वैद्य जी, डॉक्टर और एक पड़ोसन हैं।

मोहन के पेट में दर्द और माँ की परेशानी

मोहन आठ-नौ वर्ष का बालक है, वह तीसरी कक्षा में पढ़ता है। कमरे में लेटा हुआ वह बार-बार पेट पकड़कर कराह (पीड़ा में निकलने वाली आवाज) रहा है। उसकी माँ गरम पानी की बोतल से मोहन का पेट सेंक रही हैं। वह मोहन के पिता से पूछती हैं कि उसने कुछ खराब चीज तो नहीं खाई है, पिताजी उन्हें तसल्ली देते हुए कहते हैं कि मोहन ने केवल केला और संतरा खाया है। दफ्तर से अड्डे तक ठीक ही आया था, पर बस अड्डे पर अचानक बोलने लगा कि पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ हो रहा है।

माँ, पिता से पूछती हैं कि डॉक्टर अभी तक क्यों नहीं आया और बताती हैं कि वह हींग, चूरन, पिपरमेंट भी दे चुकी हैं, परंतु उससे भी कोई लाभ नहीं हुआ। माँ मोहन की परेशानी देखकर बहुत परेशान होती हैं। उन्हें लग रहा था कि मोहन को कोई नई बीमारी हो गई है, क्योंकि घरेलू इलाज के बाद भी पेट दर्द कम नहीं हो रहा था। मोहन के पिताजी भी मोहन की दशा देखकर और परेशान हो जाते हैं।

दीनानाथ की मोहन के प्रति दयालुता

पड़ोसी दीनानाथ मोहन के घर आते हैं और मोहन की ऐसी दशा देखकर उन्हें आश्चर्य होता है, क्योंकि मोहन एक शरारती बालक है। और पूरे घर में शोरगुल मचाए रहता है। वह मामूली परेशानी को कुछ नहीं समझता है, लेकिन इस समय वह अपनी माँ के सामने थका हुआ, पेट दबाए बैठा था।

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वैद्य और डॉक्टर द्वारा मोहन का उपचार

दीनानाथ के कहने पर वैद्यजी मोहन को देखने के लिए आते हैं। वैद्यजी मोहन की नाड़ी छूकर कहते हैं कि मोहन बच्चा है, इसलिए वह समझ नहीं पा रहा है। मोहन का पेट साफ नहीं हुआ है। उसे कब्ज है, जिससे उसके पेट में वायु रुक गई है अर्थात् उसे गैस की समस्या हो गई है। वैद्यजी दवाई की पुड़िया देते हैं और आधे-आधे घंटे बाद उसे गरम पानी के साथ देने के लिए कहते हैं।

वैद्यजी के जाने के बाद मोहन के इलाज के लिए डॉक्टर आता है। मोहन की दशा देखकर डॉक्टर साहब उसकी जीभ देखकर कहते हैं कि मोहन को कुछ बदहजमी है, कुछ कब्ज की समस्या लग रही है। मेरी दवा की एक खुराक से मोहन की तबीयत ठीक हो जाएगी। डॉक्टर साहब गरम पानी की बोतल से सिंकाई करने की भी सलाह देते हैं।

पड़ोसन का मोहन के घर आना

डॉक्टर साहब के जाते ही पड़ोसन मोहन का हाल-चाल जानने के लिए आती है। पड़ोसन मोहन की माँ से कहती है कि आजकल नई-नई बीमारियाँ चल रही हैं। आजकल तो बुखार भी नए-नए चल रहे हैं। अब पहले जैसा खाना-पीना नहीं है, इसलिए नई-नई बीमारियाँ हो रही हैं। मोहन की माँ ने पड़ोसन को बताया कि डॉक्टर ने मोहन को बदहजमी बताई है।

मास्टरजी का आना और मोहन की बीमारी का भेद खुलना

उसी समय मोहन के विद्यालय के मास्टर जी मोहन को पुकारते हुए कमरे में आते हैं। मास्टरजी मोहन से कहते हैं, सुना है कि तुम्हारे पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा है, तुम्हारा चेहरा भी उतरा हुआ है।

कल तुम्हारे बिना तो कक्षा में रौनक ही नहीं रहेगी, शायद ठीक से खाना न खाने के कारण ‘ऐसे-ऐसे’ हो रहा है। मुझे इसकी बीमारी ‘ऐसे-ऐसे’ का कारण पता है, मैं इस बीमारी के बारे में जानता हूँ। किसी वैद्यजी या डॉक्टर के पास इसकी दवा नहीं है।

मास्टरजी ने मोहन से गृहकार्य पूरा करने की बात पूछी, जिसके जवाब में मोहन ने कोई उत्तर नहीं दिया। मास्टरजी मोहन की माँ को बताते हैं कि मोहन ने मौज-मस्ती पूरी की पर छुट्टियों का गृहकार्य पूरा नहीं किया है, जिसके कारण वह स्कूल जाने से बचने के लिए ‘ऐसे-ऐसे’ का बहाना बना रहा है।

मास्टरजी मोहन को गृहकार्य पूरा करने के लिए दो दिन का समय देते हैं। मास्टरजी की पूरी बात सुनकर माता-पिता दोनों दंग रह जाते हैं कि यह स्कूल का काम पूरा न करने का डर है और तभी पिता के हाथ से दवा की शीशी फर्श पर गिरकर बिखर जाती है। एकांकी के अंत में सभी लोग हँस पड़ते हैं।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे ऐसे विष्णु प्रभा बीमारी का भेद खुलना

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

एकांकी से (पृष्ठ संख्या 42)

प्रश्न 1. सड़क के किनारे एक सुंदर फ्लैट में बैठक का दृश्य । उसका एक दरवाजा सड़क वाले बरामदे में खुलता है। … उस पर एक फोन रखा है।’ इस बैठक की पूरी तसवीर बनाओ।

उत्तर छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2. माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर क्यों घबरा रही थी?

उत्तर मोहन का दर्द बढ़ता जा रहा था। वह दर्द के कारण कराह रहा था तथा बेचैन हो रहा था। वह माँ के पूछने पर बार-बार ऐसे-ऐसे होता है बता रहा था। माँ को लग रहा था कि मोहन को कोई नई बीमारी हो गई है। इसलिए माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर घबरा रही थीं।

प्रश्न 3. ऐसे कौन-कौन से बहाने होते हैं, जिन्हें मास्टरजी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं? ऐसे कुछ बहानों के बारे में लिखो ।

उत्तर ऐसे कई बहाने होते हैं, जिन्हें मास्टरजी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं; जैसे-

  • तेज बुखार आ गया था।
  • पेट में बहुत दर्द था ।
  • सिर में बहुत दर्द था।
  • हाथ में चोट लगने के कारण लिख नहीं पा रहा था ।
  • पार्टी में जाने के कारण घर देर से आया था।

अनुमान और कल्पना ( पृष्ठ संख्या 42)

प्रश्न 1. स्कूल के काम से बचने के लिए मोहन ने कई बार पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ होने के बहाने बनाए। मान लो, एक बार उसे सचमुच पेट में दर्द हो गया और उसकी बातों पर लोगों ने विश्वास नहीं किया, तब मोहन पर क्या बीती होगी?

उत्तर यदि मोहन को सचमुच पेट में दर्द हुआ होगा, तो घर में माँ और पिताजी ने उसकी बात पर विश्वास ही नहीं किया होगा। दर्द को बहाना समझकर ध्यान नहीं दे रहे होंगे। मोहन का दर्द बढ़ता जा रहा होगा। मोहन दर्द से बेचैन हुआ होगा, मुँह की रंगत बदल गई होगी। मोहन को अपने किए पर पछतावा हुआ होगा। उसे दोबारा ऐसी गलती न करने की सीख मिली होगी। मोहन ने अपनी आदत को सुधार लिया होगा ।

प्रश्न 2. पाठ में आए वाक्य ‘लोचा लोचा फिरे है’ के बदले ‘ढीला-ढाला हो गया है या बहुत कमजोर हो गया है’, लिखा जा सकता है। लेकिन, ‘लेखक ने संवाद’ में विशेषता लाने के लिए बोलियों के रंग-ढंग का उपयोग किया है। इस पाठ में इस तरह की अन्य पंक्तियाँ भी हैं; जैसे-

  1. इत्ती नई-नई बीमारियाँ निकली हैं।
  2. राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया।
  3. तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है।

अनुमान लगाओ, इन पंक्तियों को दूसरे ढंग से कैसे लिखा जा सकता है?

उत्तर इन पंक्तियों को इस प्रकार लिखा जा सकता है

  1. इतनी नई-नई बीमारियाँ निकल आई हैं।
  2. इन बीमारियों ने तो परेशान कर दिया।
  3. तुम तो बड़े छुपे रुस्तम हो ।

प्रश्न 3. मान लो कि तुम मोहन की तबीयत पूछने जाते हो। तुम अपने और मोहन के बीच की बातचीत को संवाद के रूप में लिखो ।

उत्तर

मैं – मोहन! कैसे हो? क्या हो गया तुम्हें?

मोहन – मित्र क्या बताऊँ? पेट में दर्द हो रहा है।

मैं – अच्छा! तुमने दिन में क्या खाया था?

मोहन – बस, एक संतरा और केला खाया था।

मैं – संतरा और केला खाने से दर्द नहीं हो सकता।

मोहन – दर्द के कारण बड़ी उलझन हो रही है।

मैं – माँ ने कोई घरेलू इलाज किया।

मोहन – हाँ, माँ ने हींग, चूरन और पिपरमेंट सब कुछ खिलाया था।

मैं – क्या उन चीजों को खाने से कोई लाभ नहीं मिला?

मोहन – नहीं, बिल्कुल भी लाभ नहीं हो रहा है।

मैं – तुमने डॉक्टर या वैद्य को नहीं दिखाया।

मोहन – हाँ, अभी कुछ देर पहले वैद्यजी देखने आए थे। उन्हीं की दवा खा रहा हूँ। शायद लाभ हो जाए।

मैं – समय पर दवा लेते रहना। जल्दी ठीक हो जाओगे। तुम्हारे बिना तो कक्षा में अच्छा नहीं लगेगा।

मोहन – हाँ, मेरा मन भी नहीं लगेगा। तबीयत ठीक हो जाएगी, तो मैं कल तुम्हारे साथ स्कूल चलूँगा।

मैं – ठीक है। अपना ध्यान रखना ।

प्रश्न 4. संकट के समय के लिए कौन-कौन से नंबर याद रखे जाने चाहिए? ऐसे समय में पुलिस, फायर ब्रिगेड और डॉक्टर से तुम कैसे बात करोगे? कक्षा में करके बताओ।

उत्तर संकट के समय इन नंबरों को याद रखना चाहिए

  1. पुलिस के लिए – 100
  2. फायर ब्रिगेड के लिए-101
  3. एंबुलेंस के लिए -102
  • यदि कोई दुर्घटना हो गई हो या मारपीट हो रही हो, तो 100 नंबर डायल करके पुलिस को घटना की संक्षिप्त जानकारी देते हुए पता बता देंगे।
  • आग लगने पर दुर्घटना की जानकारी देते हुए 101 नंबर पर डायल करके पता बता देंगे।
  • किसी के बीमार होने पर एंबुलेंस के लिए 102 नंबर डायल करके मरीज के लक्षण डॉक्टर को बताएँगे। शीघ्र पहुँचने के लिए सही पता बता देंगे। सदैव नम्रता से बात करेंगे। हम उन्हें घर के आस-पास की स्थिति अवश्य बताते हुए शीघ्रता से आने के लिए प्रार्थना करेंगे।

ऐसा होता तो क्या होता ____________ (पृष्ठ संख्या 42)

  • मास्टर _________ स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है? (मोहन हाँ में सिर हिलाता है।)
  • मोहन जी, सब काम पूरा कर लिया है।

इस स्थिति में नाटक का अंत क्या होता? लिखो ।

उत्तर

ऐसी स्थिति में मास्टरजी समझ जाते कि मोहन कोई बहाना नहीं बना रहा, बल्कि वास्तव में उसके पेट में दर्द है। मोहन ठीक से समझा नहीं पा रहा है, इसलिए ‘ऐसे-ऐसे’ कह रहा है। माँ और पिताजी मोहन का वैद्यजी या डॉक्टर साहब से इलाज करवाते। मोहन उनकी दवा खाकर स्वस्थ हो जाता और दो या तीन दिन में मोहन स्वस्थ होकर फिर से स्कूल आने लगता।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 43)

(क) मोहन ने केला और संतरा खाया।
(ख) मोहन ने केला और संतरा नहीं खाया।
(ग) मोहन ने क्या खाया ?
(घ) मोहन केला और संतरा खाओ।

उपर्युक्त वाक्यों में से पहला वाक्य एकांकी से लिया गया है। बाकी तीन वाक्य देखने में पहले वाक्य से मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ अलग-अलग हैं। पहला वाक्य किसी कार्य या बात के होने के बारे में बताता है। इसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं। दूसरे वाक्य का संबंध उस कार्य के न होने से है, इसलिए उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। (निषेध का अर्थ नहीं या मनाही होता है।)

तीसरे वाक्य में इसी बात को प्रश्न के रूप में पूछा जा रहा है, ऐसे वाक्य प्रश्नवाचक कहलाते हैं। चौथे वाक्य में मोहन से उसी कार्य को करने के लिए कहा जा रहा है। इसलिए उसे आदेशवाचक वाक्य कहते हैं। आगे एक वाक्य दिया गया है। इसके बाकी तीन रूप तुम सोचकर लिखो

  • बताना – रुथ ने कपड़े अलमारी में रखे ।
  • नहीं / मना करना –
  • पूछना –
  • आदेश देना –

उत्तर

नहीं / मना करना – श्याम ने कपड़े अलमारी में नहीं रखे।

पूछना – क्या श्याम ने कपड़े अलमारी में रखे ?

आदेश देना – श्याम! कपड़े अलमारी में रखो।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. ‘ऐसे-ऐसे’ एकांकी के एकांकीकार कौन हैं?

(क) अनुबंधोपाध्याय
(ख) गुणाकर मुले
(घ) जयंत विष्णु
(ग) विष्णु प्रभाकर

उत्तर (ग) विष्णु प्रभाकर

2. मोहन कैसा लड़का था ?

(क) शरारती
(ख) कमजोर
(ग) कम बुद्धिवाला
(घ) भला

उत्तर (क) शरारती

3. मोहन ने पिता के दफ्तर में क्या खाया था?

(क) फल
(ख) मिठाई
(ग) बर्गर
(घ) समोसे

उत्तर (क) फल

4. मोहन ने क्या बहाना बनाया?

(क) सिर दर्द होना
(ख) दस्त होना
(ग) ‘ऐसे-ऐसे’ होना
(घ) बुखार होना

उत्तर (ग) ‘ऐसे-ऐसे’ होना

5. वैद्यजी को बुलाकर कौन लाया था?

(क) मोहन के पड़ोसी दीनानाथ
(ख) मोहन का मित्र
(ग) मोहन के पिता
(घ) मोहन की माँ

उत्तर (क) मोहन के पड़ोसी दीनानाथ

6. मास्टरजी किस प्रकार के बहाने को समझ जाते हैं?

(क) वैसे-वैसे
(ख) वैसे-ऐसे
(ग) ऐसे-ऐसे
(घ) ऐसे-वैसे

उत्तर (ग) ऐसे-ऐसे

7. क्या मोहन के पेट में सचमुच दर्द था?

(क) पता नहीं
(ख) नहीं
(ग) हाँ
(घ) शायद हाँ

उत्तर (ख) नहीं

8. माँ किसका इंतजार कर रही थी?

(क) पिता का
(ख) पड़ोसी का
(ग) मित्र का
(घ) वैद्य का

उत्तर (घ) वैद्य का

9. माँ क्यों परेशान हो गई थी?

(क) मोहन को बुखार होने के कारण
(ख) मोहन के पेट में दर्द होने के कारण
(ग) मोहन के घर न आने के कारण
(घ) मोहन के खो जाने के कारण

उत्तर (ख) मोहन के पेट में दर्द होने के कारण

10. मोहन के पिता को क्या बात समझ में नहीं आ रही थी?

(क) मोहन का ऐसे-ऐसे कहना
(ख) मोहन की बेचैनी
(ग) मोहन की बीमारी
(घ) ये सभी

उत्तर (घ) ये सभी

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे गद्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

गद्यांश 1

इसने कहीं कुछ अंट-शंट तो नहीं खा लिया?

पिता कहाँ? कुछ भी नहीं। सिर्फ एक केला और एक संतरा खाया था। अरे, यह तो दफ्तर से चलने तक कूदता फिर रहा था। बस अड्डे पर आकर यकायक बोला- पिताजी, मेरे पेट में तो कुछ ऐसे-ऐसे हो रहा है। माँ कैसे ?

पिता बस ऐसे-ऐसे करता रहा। मैंने कहा- अ -अरे, गड़गड़ होती है? तो बोला- नहीं। फिर पूछा- चाकू सा चुभता है? तो जवाब दिया- नहीं। गोला – सा फूटता है? तो बोला- नहीं, जो पूछा उसका जवाब नहीं। बस एक ही रट लगाता रहा, कुछ ‘ऐसे-ऐसे’ होता है।

1. मोहन पिताजी के साथ कहाँ गया था ?

(क) पुस्तकालय
(ख) विद्यालय
(ग) बाजार
(घ) दफ्तर

उत्तर (घ) दफ्तर

2. मोहन ने दिन में क्या खाया था?

(क) केला, अमरूद
(ख) केला, संतरा
(ग) संतरा, अंगूर
(घ) संतरा, आम

उत्तर (ख) केला, संतरा

3. मोहन पिताजी से क्या रट लगाए था?

(क) चक्कर आना
(ख) पेट दर्द
(ग) सिर दर्द
(घ) ये सभी

उत्तर (घ) ये सभी

4. मोहन की माँ ने मोहन के पिताजी से मोहन के खाने के विषय में क्या पूछा?

उत्तर मोहन की माँ ने मोहन के पिताजी से पूछा कि मोहन ने कहीं कुछ अंट शंट तो नहीं खा लिया।

5. मोहन को तकलीफ कहाँ प्रारंभ हुई थी ?

उत्तर मोहन को बस अड्डे पर आकर अचानक तकलीफ प्रारंभ हुई। थी, उसने अपने पिताजी से कहा—मेरे पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा है।

6. पिताजी ने मोहन से उसकी तकलीफ जानने के लिए क्या- क्या पूछा?

उत्तर पिताजी ने मोहन से पूछा क्या गड़गड़ होती है? चाकू-सा चुभता है ? गोला-सा फूटता है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर में मोहन ने नहीं कहा।

गद्यांश 2

तभी फोन की घंटी बजती है। मोहन के पिता उठाते हैं।

पिता यह 43332 है जी, जी हाँ बोल रहा हूँ कौन? डॉक्टर साहब ! जी हाँ, मोहन के पेट में दर्द है” जी नहीं खाया तो कुछ नहीं बस यही कह रहा है बस जी नहीं, गिरा भी नहीं ऐसे-ऐसे होता है। बस जी, ऐसे-ऐसे होता है। बस जी, ‘ऐसे-ऐसे’ क्या बला है, कुछ समझ में नहीं आता? जी जी हाँ! चेहरा एकदम सफेद हो रहा है।

नाचा नाचता फिरता है जी नहीं, दस्त तो नहीं आया जी हाँ, पेशाब तो आया था जी नहीं, रंग तो नहीं देखा। आप कहें तो अब देख लेंगे अच्छा जी! जरा जल्दी आइए। अच्छा जी बड़ी कृपा है। (फोन का चोगा रख देते हैं।) डॉक्टर साहब चल दिए हैं। पाँच मिनट में आ जाते हैं।

1. मोहन के पिताजी ने किससे बात की?

(क) वैद्यजी से
(ख ) डॉक्टर से
(ग) मोहन की माँ से उत्तर
घ) मोहन के मित्र से

उत्तर (ख) डॉक्टर से

2. किसके पेट में दर्द हो रहा था?

(क) मोहन की माँ के
(ख) मोहन के पिताजी के
(ग) मोहन के मास्टरजी के
(घ) मोहन के
(ख) डॉक्टर से

उत्तर (घ) मोहन के

3. गद्यांश में संवाद किनके मध्य हो रहा है?

(क) माँ और पिताजी
(ख) पिताजी और डॉक्टर
(ग) पंडित और माँ
(घ) मोहन और डॉक्टर

उत्तर (ख) पिताजी और डॉक्टर

4. प्रस्तुत गद्यांश में कौन किससे बातें कर रहा है?

उत्तर इन पंक्तियों में मोहन के पिताजी डॉक्टर साहब से फोन पर बातें कर रहे हैं। पिताजी डॉक्टर को मोहन के पेट में दर्द की बीमारी के विषय में बता रहे हैं।

5. डॉक्टर साहब ने मोहन के पिताजी से क्या-क्या पूछा?

उत्तर डॉक्टर साहब ने मोहन के पिताजी से मोहन के दस्त और पेशाब के रंग के बारे में पूछा, जिससे वे मोहन की बीमारी के विषय में जान सकें।

6. मोहन के पिताजी क्यों परेशान थे?

उत्तर मोहन ने अंट-शंट नहीं खाया था। कहीं गिरा भी नहीं था फिर भी मोहन के पेट में दर्द हो रहा था। मोहन ऐसे-ऐसे होता है, कहे जा रहा था, जिसके कारण उसके पिताजी को कुछ समझ नहीं आ रहा था और वे परेशान थे।

गद्यांश 3

अभी बता देता हूँ। असल में बच्चा है। समझा नहीं पाता है। (नाड़ी दबाकर, वात का प्रकोप है. मैंने कहा, बेटा, जीभ तो दिखाओ। (मोहन जीभ निकालता है।) कब्ज है। पेट साफ नहीं हुआ। (पेट टटोलकर) हूँ, पेट साफ नहीं है। मल रुक जाने से वायु बढ़ गई है, क्यों बेटा ? (हाथ की अंगुलियों को फैलाकर फिर सिकोड़ते हैं। ) ऐसे-ऐसे होता है?

(हर्ष से उछलकर) मैंने कहा न मैं समझ गया। अभी पुड़िया भेजता हूँ। मामूली बात है, पर यही मामूली बात कभी-कभी बड़ों-बड़ों को छका देती है। समझने की बात है। मैंने कहा, आओ जी, दीनानाथ जी, आप ही पुड़िया ले लो। (मोहन की माँ से) आधे-आधे घंटे बाद गर पानी से देनी है। दो-तीन दस्त होंगे। बस फिर ऐसे-ऐसे ऐसे भागेगा जैसे गधे के सिर से सींग ।

1. मोहन के इलाज के लिए कौन आया था?

(क) माँ
(ख) वैद्यजी
(ग) सर्जन
(घ) हकीम साहब

उत्तर (ख) वैद्यजी

2. वैद्यजी ने मोहन से उसकी बीमारी जानने के लिए अपने हाथ की अँगुलियों को फैलाकर फिर क्या किया?

(क) मोड़ लिया
(ख) घुमाया
(ग) मरोड़ा
(घ) सिकोड़ा

उत्तर (घ) सिकोड़ा

3. दवाई खाने के बाद मोहन को कितने दस्त होंगे?

(क) तीन-चार
(ख) दो-तीन
(ग) चार-पाँच
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ख ) दो-तीन

4. वैद्यजी ने प्रसन्न होकर क्या कहा?

उत्तर वैद्यजी मोहन को देखने घर आए थे। मोहन की नाड़ी, जीभ और पेट देखने के बाद वैद्यजी मोहन की बीमारी समझ गए थे। इसलिए वे प्रसन्न होकर बोले मैं अभी पुड़िया भेज देता हूँ।

5. वैद्यजी ने मोहन को देखने के बाद क्या आश्वासन दिया?

उत्तर वैद्यजी ने मोहन को देखने के बाद यह आश्वासन दिया कि घबराने की कोई बात नहीं है।

6. वैद्यजी ने मोहन का क्या इलाज किया?

उत्तर वैद्यजी ने कब्ज की समस्या बताकर मोहन को दवा की पुड़िया को आधे-आधे घंटे बाद गरम पानी से खाने के लिए कहा था। उस दवा को खाने से दो-तीन दस्त आने से ऐसे-ऐसे भाग जाएगा।

गद्यांश 4

(सहसा गंभीर होकर) वह तो मैं देख रहा हूँ। चेहरा बताता है, इसे काफी दर्द है। असल में कई तरह के दर्द चल पड़े हैं। कौलिक पेन तो है नहीं और फोड़ा भी नहीं जान पड़ता। (बराबर पेट टटोलता रहता है।) (काँपकर) फोड़ा। जी नहीं, वह नहीं है। बिल्कुल नहीं है। (मोहन से) जरा मुँह फिर खोलना। जीभ निकालो। (मोहन जीभ निकालता है।) हाँ, कब्ज ही लगता है। कुछ बदहजमी भी है। (उठते हुए) कोई बात नहीं। दवा भेजता हूँ। (पिता से) क्यों न आप ही चलें। मेरा विचार है। कि एक ही खुराक पीने के बाद तबीयत ठीक हो जाएगी।

कभी-कभी हवा रुक जाती है और फंदा डाल लेती है। बस उसी की ऐंठन है।

1. सहसा गंभीर कौन हो गया?

(क) पिताजी
(ख) डॉक्टर साहब
(ग) वैद्यजी
घ) पड़ोसिन

उत्तर (ख ) डॉक्टर साहब

2. वैद्यजी ने मोहन के किस अंग का परीक्षण किया?

(क) मुँह
(ख) जीभ
(ग) पेट
(घ) ये सभी

उत्तर (घ) ये सभी

3. मोहन की बीमारी कितनी खुराक दवा पीने से ठीक हो सकती थी?

(क) दो खुराक
(ख) तीन खुराक
(ग) एक खुराक
(घ) चार खुराक

उत्तर (ग) एक खुराक

4. डॉक्टर साहब ने मोहन के चेहरे को देखकर क्या बताया?

उत्तर डॉक्टर साहब ने मोहन के चेहरे को देखकर बताया कि मोहन को काफी दर्द है। आजकल कई तरह के दर्द चल पड़े हैं।

5. डॉक्टर ने मोहन को कौन-कौन सी बीमारियाँ न होने के बारे में बताया ?

उत्तर डॉक्टर ने मोहन को कौलिक पेन तथा फोड़ा न होने के बारे में बताया।

6. डॉक्टर के अनुसार, मोहन को क्या बीमारी थी ?

उत्तर डॉक्टर के अनुसार, मोहन को कब्ज और बदहजमी थी, जो ही खुराक दवा पीने से ठीक हो सकती थी।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. ‘ऐसे-ऐसे’ एकांकी के लेखक कौन हैं? एकांकी किस पर आधारित है?

उत्तर ‘ऐसे-ऐसे’ एकांकी के लेखक विष्णु प्रभाकर जी हैं। यह एकांकी आठ-नौ वर्ष के बालक की मानसिकता पर आधारित है।

2. मोहन की माँ ने मोहन के दर्द के लिए क्या घरेलू इलाज किए थे?

उत्तर मोहन की माँ ने मोहन के दर्द के लिए उसे हींग, चूरन और पिपरमेंट खिलाया था।

3. मोहन के इलाज में कितने रुपये खर्च हो गए थे?

उत्तर मोहन के इलाज में कुल मिलाकर पंद्रह रुपये खर्च हो गए थे।

4. पड़ोसी लाला दीनानाथ मोहन की दशा देखकर क्यों आश्चर्यचकित हुआ?

उत्तर पड़ोसी लाला दीनानाथ मोहन की दशा देखकर आश्चर्यचकित इसलिए हुआ, क्योंकि वह एक शरारती बालक था और आस-पड़ोस में धमाचौकड़ी व शैतानियाँ करता रहता था ।

5. मोहन ने अपने पिताजी को दर्द के बारे में कब बताया ?

उत्तर मोहन ने अपने पिताजी को दर्द के बारे में बस अड्डे पर पहुँचते ही बताया कि मेरे पेट में कुछ ‘ऐसे-ऐसे’ हो रहा है।

6. मोहन को देखने के लिए आई पड़ोसन ने मोहन की माँ से बीमारी के विषय में क्या कहा?

उत्तर पड़ोसिन ने मोहन की माँ से कहा कि आजकल नई-नई बीमारियाँ हो रही हैं तथा नए-नए बुखार निकल आए हैं। अनेक बीमारियों का कारण आजकल का खान-पान है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे लघु उत्तरीय प्रश्न

1. मोहन कौन था? वह अपने पिताजी के साथ कहाँ गया था ?

उत्तर मोहन आठ-नौ वर्ष का छोटा बालक था। वह तीसरी कक्षा में पढ़ता था। मोहन बहुत शरारती था। प्रत्येक समय घर को अपने सिर पर उठाए रहता था। घर के अड़ोस पड़ोस में भी छेड़छाड़ करता रहता था। मोहन अपने पिताजी के साथ उनके दफ्तर गया था।

2. “हँसी की हँसी, दुःख का दुःख, मोहन की माँ ऐसा क्यों कहती है?

उत्तर मोहन की माँ मोहन से बार-बार उसके पेट में दर्द के विषय में पूछती है। मोहन बस यही कहता है कि पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ हो रहा है। उसकी बात सुनकर माँ हँस पड़ती है और चिंतित भी होती है। वह अपने बेटे के दुःख से दुःखी होती है। इसी मनःस्थिति में वह कहती हैं कि हँसी की हँसी, दुःख का दुःख उसे यह अजीब सी बीमारी लगती है।

3. वैद्यजी ने मोहन के पेट दर्द का क्या कारण बताया? अथवा वैद्य जी मोहन को क्या बीमारी बताते हैं?

उत्तर वैद्यजी ने कहा- मोहन बच्चा है, इसलिए अपनी तकलीफ समझा नहीं पा रहा है। इसे बात का प्रकोप है। पेट साफ नहीं हुआ है। मल रुक जाने से वायु बढ़ गई है। मामूली सी बात है, कब्ज है। यह बड़ों-बड़ों को थका देती है।

4. वैद्यजी ने मोहन के पेट के दर्द के लिए क्या सलाह दी ? अथवा वैद्यजी ने मोहन को देखने के बाद क्या कहा?

उत्तर वैद्यजी ने मोहन की नाड़ी देखी पेट टटोलकर भली-भाँति देखा। प्रसन्न होकर वैद्यजी ने बताया कि मैं बीमारी समझ गया हूँ । मोहन का पेट साफ नहीं हुआ है। मैं एक दवा पुड़िया में दूंगा। इसे आधे-आधे घंटे बाद गरम पानी से देना होगा। दो-तीन दस्त होंगे फिर ‘ऐसे-ऐसे’ ऐसे भागेगा जैसे गधे के सिर से सींग भागते हैं।

5. मास्टर साहब ने मोहन से क्या पूछा?

उत्तर मोहन की तबीयत खराब है, ऐसा सुनकर स्कूल के मास्टर साहब भी मोहन को देखने घर आए। उन्होंने मोहन से स्कूल का काम पूरा होने के विषय में पूछा, क्योंकि मास्टर जी जानते थे कि मोहन ने छुट्टियों में दिया गया गृहकार्य पूरा नहीं किया है इसलिए वह डर के कारण इस प्रकार के बहाने बना रहा है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. मोहन की माँ क्यों परेशान थीं? उन्होंने मोहन के पिता को मोहन के विषय में क्या बताया?

उत्तर मोहन अपने पिता के साथ दफ्तर से लौटा था। दिनभर वह बिल्कुल ठीक था। मोहन दिन में एक संतरा और एक केला खाकर, कूदता फिर रहा था। अचानक मोहन पेट में ऐसे-ऐसे होने की शिकायत करने लगा था। मोहन का मुँह उतर गया, चेहरा सफेद पड़ गया, बेचैनी लगातार बढ़ रही थी, थोड़ा सा भी चैन नहीं पड़ रहा था। मोहन की माँ ने मोहन के पिताजी को बताया कि मैं मोहन को हींग, चूरन, पिपरमेंट सब दे चुकी हूँ। किसी से भी मोहन को थोड़ा-सा भी आराम नहीं मिला है। इसलिए मोहन की बिगड़ती हुई दशा देखकर मोहन की माँ बहुत परेशान थीं।

2. मोहन के मास्टरजी ने मोहन की बीमारी को कैसे पहचान लिया? बीमारी का क्या इलाज बताया ?

उत्तर मोहन के मास्टरजी एक अनुभवी अध्यापक थे। वे पिछले कई वर्षों से विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे। विद्यार्थियों के बालक स्वभाव को वे भली-भाँति समझते थे। अकसर विद्यार्थी काम न कर पाने के लिए बहाने बनाते थे और सच्चाई छिपाने का प्रयत्न करते थे। मास्टरजी ने मोहन की माँ से कहा मोहन की दवा किसी वैद्य या डॉक्टर साहब के पास नहीं है।

इसकी बीमारी को मैं जानता हूँ, जो अकसर मोहन जैसे बच्चों को हो जाती है। मोहन ने महीने भर मौज-मस्ती की है। स्कूल का काम पूरा नहीं किया है, डर के कारण पेट में दर्द का बहाना बना रहा है। मोहन को सलाह देते हुए मास्टरजी ने कहा तुम्हें दो दिन की छुट्टी मिलेगी। उन दो दिनों में अपना काम पूरा करना। अब उठो और सवाल करना शुरू करो।

3. मोहन ने छुट्टियों में खूब मौज-मस्ती की थी, छुट्टियों का गृहकार्य नहीं किया था, इसलिए पेट दर्द का बहाना बना रहा था। आपके अनुसार क्या मोहन का यह व्यवहार उचित है? यदि आप उसके स्थान पर होते तो क्या करते?

उत्तर मोहन ने छुट्टियों में खूब मौज-मस्ती की थी। मोहन का यह व्यवहार उचित था, परंतु छुट्टियों का गृहकार्य न करना और पेट दर्द का बहाना बनाना अनुचित था।

यदि मैं मोहन के स्थान पर होता, तो मौज-मस्ती के साथ समय निकालकर गृहकार्य भी पूरा करता । मेरे अनुसार, पढ़ाई और मौज-मस्ती दोनों ही आवश्यक हैं।

यदि किसी कारण मेरा गृहकार्य पूरा न हो पाता, तो मैं कोई बहाना नहीं बनाता, बल्कि अपने माता-पिता को सच बता देता। मेरे माता-पिता मेरा गृहकार्य करने में मेरी सहायता करते और स्कूल खुलने से पहले मेरा गृहकार्य पूरा हो जाता ।

4. अकसर विद्यार्थी गृहकार्य पूरा न हो पाने पर स्कूल न जाने के लिए अनेक बहाने बनाते हैं। क्या आपने कभी ऐसा किया है? विस्तार से लिखिए |

उत्तर मेरे कुछ मित्र अकसर स्कूल न जाने के लिए बहाना बनाते हैं, पर मेरे अनुसार यह ठीक नहीं है। हाँ, एक बार मैं अपना अंग्रेजी का गृहकार्य करना भूल गया। रात में बस्ता लगाते समय मुझे अंग्रेजी गृहकार्य के विषय में याद आया। अब कार्य पूरा करने का समय नहीं था। मन में आया कि सिर दर्द का बहाना बना दूं और माँ को पता भी नहीं चलेगा।

यह बुखार की तरह थर्मामीटर में मापा नहीं जा सकता। तुरंत मन ने मुझे सतर्क किया, नहीं यह गलत है। मैंने अपनी माँ को अपनी गलती बता दी। माँ ने गृहकार्य के विषय में पूछा और उस रात देर तक जागकर मेरा गृहकार्य करवाने में सहायता की। रात 12:30 बजे तक मेरा गृहकार्य पूरा हो गया। अगले दिन मैं प्रसन्नता से अपना गृहकार्य लेकर स्कूल गया।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी कविता का सार

‘झाँसी की रानी’ कविता सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित है। इस कविता में कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के बचपन को बताते हुए 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम में उत्साहपूर्वक भाग लेने वाली वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का वर्णन किया गया है।

लक्ष्मीबाई अपने माता-पिता की अकेली संतान थीं तथा कानपुर के नाना साहब की मुँहबोली बहन थीं। बचपन में वे नाना साहब के साथ ही पढ़ती और खेलती थीं। उन्हें बचपन से ही बरछी, ढाल, कृपाण और कटारियों के खेल प्रिय थे। शिवाजी की वीरता की गाथाएँ उन्हें भली-भाँति याद थीं। अपने मित्रों के साथ वे नकली युद्ध के खेल-खेलती थीं।

युवावस्था में लक्ष्मीबाई का विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव के साथ हो गया, किन्तु कुछ समय बाद ही गंगाधर राव की मृत्यु हो जाने पर रानी विधवा हो गई, जिससे पूरे झाँसी में शोक छा गया। रानी के निःसंतान होने के कारण उत्तराधिकार की समस्या सामने आई। रानी लक्ष्मीबाई ने राजा गंगाधर की मृत्यु के बाद झाँसी की बागडोर संभाल ली थी। देश पर अंग्रेजों का कब्जा हो जाने पर लक्ष्मीबाई ने धुंधू पंत, ताँत्या टोपे जैसे राजाओं को संगठित होने के लिए प्रेरित किया।

अंग्रेजों के साथ इस स्वतंत्रता संग्राम में घोर युद्ध हुआ और अनेक वीर; जैसे- अजीमुल्ला, अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुँवर सिंह शहीद हो गए। लक्ष्मीबाई ने इस युद्ध में बढ़-चढ़कर भाग लिया। मरदाने वेश में लक्ष्मीबाई ने लेफ्टिनेंट वॉकर का सामना किया और वह जख्मी होकर भाग गया। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में रानी के बलिदान ने भारतवासियों के मन में स्वतंत्रता प्राप्त करने की चिंगारी जला दी।

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NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी काव्यांशों की विस्तृत व्याख्या

काव्यांश 1

सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन् सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ हिल उठे परिवर्तन हुआ, खलबली मचाना, भृकुटी भौंह, गुमी हुई-खोई हुई, फिरंगी-अंग्रेज, ठानी निश्चय किया।

संदर्भ प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक वसंत भाग-1 की ‘झाँसी की रानी’ कविता से ली गई हैं। इसकी रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान हैं।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई के साहस और बलिदान का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि अंग्रेज़ों ने जब भारत पर अपना राज्य स्थापित कर लिया, तो भारत के राजाओं में हलचल हो गई, उनके राजसिंहासन हिल गए। राजाओं में अंग्रेज़ों के प्रति रोष की भावना जाग्रत हुई। क्रोध के कारण उनकी भौंहें तन गई। सभी अपनी खोई हुई आज़ादी का मूल्य पहचानने लगे। गुलामी के कारण जर्जर – बूढ़े भारत में फिर से नया जोश उत्पन्न हो गया था। वे जान गए कि स्वतंत्रता कितनी अमूल्य है।

सभी राजाओं ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और मन में दृढ़ निश्चय किया कि अंग्रेज़ों को भारत से हटा देंगे, जो तलवारें म्यान में बंद थीं, सब सन् 1857 के युद्ध में फिर से चमक उठीं। इस स्वतंत्रता संग्राम में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पुरुषों की भाँति लड़ते हुए शहीद हो गई। उनकी वीरता की कहानी हमने बुंदेलखंड के हरबोलों अर्थात् लोक गायकों से सुनी थी।

विशेष

  1. प्रस्तुत पंक्तियों में सन् 1857 की स्थिति का वर्णन किया है, जिसमें रानी लक्ष्मीबाई की भूमिका प्रमुख थी।
  2. सरल और सहज शब्दों का प्रयोग किया गया है।
  3. इन पंक्तियों में वीर रस है।

काव्यांश 2

कानपुर के नाना की मुँहबोली बहन ‘छबीली’ थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी,
वीर शिवाजी की गाथाएँ उसको याद ज़बानी थीं।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।

शब्दार्थ संग-साथ, गाथाएँ-कहानियाँ, कटारी-छोटी तलवार, छबीली सुंदर

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई के बचपन का उल्लेख किया है। रानी लक्ष्मीबाई ने अपने बचपन से ही नाना साहब से युद्ध की शिक्षा प्राप्त की थी।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि कानपुर के नाना साहब (बाजीराव पेशवा) लक्ष्मीबाई को अपनी मुँहबोली बहन मानते थे। प्यार में वे उन्हें छबीली कहकर बुलाते थे। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं। बचपन से ही नाना के साथ पढ़ती और खेलती थीं। लक्ष्मीबाई को बचपन से ही बरछी, ढाल, कृपाण और कटारी चलाने का बहुत शौक था। ये सब उनकी सहेलियाँ थीं। उन्हें बचपन से ही शिवाजी की वीरता की कहानियाँ जबानी याद थीं। कवयित्री कहती हैं कि हमने बुंदेले हरबोलों के मुँह से सुना है कि रानी लक्ष्मीबाई वीर पुरुषों की भाँति बहुत वीरता से लड़ी थीं।

विशेष

  1. प्रस्तुत पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई की वीर गाथा का वर्णन किया गया है।
  2. कविता की भाषा सरल, सहज व प्रभावमयी है।
  3. कृपाण, कटारी में अनुप्रास अलंकार है।

काव्यांश 3

लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध, व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना, ये थे उसके प्रिय खिलवार,
महाराष्ट्र – कुल देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ पुलकित प्रसन्न, व्यूह की रचना-युद्ध का एक प्रकार, दुर्ग किला, खिलवाड़ खेल, आराध्य जिसकी पूजा की जाए, भवानी दुर्गा

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के बचपन के प्रिय खेलों का उल्लेख किया है। रानी लक्ष्मीबाई युद्ध अभ्यास करने के साथ-साथ धर्म से भी जुड़ी हुई थीं।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने कहा कि लक्ष्मीबाई ऐसी साक्षात् वीरता की अवतार थीं कि लगता था कि यह लक्ष्मी या दुर्गा का अवतार हैं। उसकी तलवार का वार देखकर मराठे बहुत प्रसन्न हो उठते- थे। बचपन से ही लक्ष्मीबाई के प्रिय खेल नकली युद्ध करना, व्यूह की रचना बनाना, शिकार करना, सेना को घेरना और किलों को तोड़ना थे। लक्ष्मीबाई महाराष्ट्र की कुल देवी की उपासिका थीं। वह दुर्गा की आराधना करती थीं। कवयित्री कहती हैं कि बुंदेलखंड के बुंदेलों के मुँह से लक्ष्मीबाई की कथा सुनी हैं, जो पुरुषों के समान अंग्रेज़ों से डटकर युद्ध में लड़ीं थीं।

विशेष

  1. यहाँ लक्ष्मीबाई के वीर अवतार रूप का वर्णन किया गया है।
  2. खेलना खूब में अनुप्रास अंलकार है।
  3. सरल भाषा का प्रयोग हुआ है।

काव्यांश 4

हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
सुभट बुंदेलों की विरुदावलि सी वह आई झाँसी में,
चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ वैभव-धन-संपत्ति, ऐश्वर्य, विरुदावलि-बड़ाई, यश के गीत, ब्याह-विवाह ।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के विवाह का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि लक्ष्मीबाई की सगाई झाँसी के राजा गंगाधर राव के साथ हुई थी। तब ऐसा लगा मानों वीरता (लक्ष्मीबाई) की सगाई धन-दौलत (गंगाधर राव ) के साथ हो गई हो ।

विवाह के बाद लक्ष्मीबाई झाँसी आ गई। संपूर्ण झाँसी में खुशियाँ मनाई गईं। राजमहलों में बधाई गीत गाए जाने लगे। वीर योद्धा बुंदेलों के यश का गान गाया जाने लगा। ऐसा लगा जैसे चित्रा को पतिरूप में अर्जुन और दुर्गा को शिव मिल गए हों। उसी तरह लक्ष्मीबाई को राजा गंगाधर राव मिले थे। कवयित्री कहती हैं कि हमने बुंदेले हरबोलों के मुँह से यह कहानी सुनी है कि वह लक्ष्मीबाई वीर योद्धाओं के समान मर्दानी बनकर वीरता के साथ लड़ी थीं।

विशेष

  1. बजी बधाई, साथ सगाई में अनुप्रास अलंकार है।
  2. सरल व सहज भाषा का प्रयोग है।

काव्यांश 5

उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजयाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
ानी विधवा हुई हाय! विधि को भी नहीं दया आई,
निःसंतान मरे राजा जी, रानी शोक-समानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ उदित उगना, सौभाग्य-अच्छा भाग्य, मुदित-प्रसन्न, कालगति-मृत्यु की चाल, विधि-भाग्य ।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के पति के देहांत के बारे में बताया है। जिससे पूरा झाँसी राज्य शोकपूर्ण हो गया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि विवाह के पश्चात् लक्ष्मीबाई झाँसी आ गई। जिससे झाँसी के सौभाग्य का उदय हो गया था। महलों में प्रसन्नता छा गई, किंतु धीरे-धीरे दुर्भाग्य के बादल छा गए ।

राजा की अकाल मृत्यु से लक्ष्मीबाई के जीवन में समय चक्र दुःख की काली घटाएँ ले आया। रानी लक्ष्मीबाई जल्दी ही विधवा हो गईं। दुर्भाग्य को तीर चलाने वाले हाथों में चूड़ियाँ पहनना अच्छा नहीं लगा। भाग्य को भी उस पर दया नहीं आई। राजा गंगाधर राव निःसंतान मर गए। रानी शोक में डूब गई। कवयित्री कहती है कि यह सब कहानी हमने बुंदेले हरबोलों के सुनी है। जो मर्दानी की तरह लड़ी थी।

विशेष

  1. रानी लक्ष्मीबाई के जल्दी विधवा होने व राजा गंगाधर राव का निःसंतान मर जाने का वर्णन है।
  2. चुपके-चुपके में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।
  3. मुदित महलों में अनुप्रास अलंकार है।

काव्यांश 6

बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फ़ौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया,
अश्रुपूर्ण रानी ने देखा झाँसी हुई बिरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ हरषाय- प्रसन्न होना, अश्रुपूर्ण आँसू से भरी हुई, वारिस – उत्तराधिकारी, बिरानी वीरान, निर्जन ।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने झाँसी के राजा की मृत्यु बाद अंग्रेज़ी शासक का झाँसी पर अधिकार करने के विषय में वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि झाँसी के राजा की मृत्यु से झाँसी का राज्य सुनसान हो गया। राजा की मृत्यु जब हुई थी, तब वे निःसंतान थे। ऐसे में लॉर्ड डलहौजी को राज्य हड़पने का अच्छा अवसर मिल गया। वह मन ही मन बहुत प्रसन्न हुआ, उसने तुरंत अंग्रेजी सेना के साथ झाँसी के किले पर हमला बोल दिया।

रानी को हराकर झाँसी के किले पर अंग्रेज़ी पताका फहरा दिया। झाँसी राज्य, जिसका कोई उत्तराधिकारी नहीं था, उसे अपना वारिस बनाकर झाँसी में आ गया था और झाँसी की रानी अपने आँखों से झाँसी को बेगानी होते हुए देखती रह गई। कवयित्री कहती हैं कि बुंदेले हरबोलों के मुँह से लक्ष्मीबाई की यह कहानी हमने सुनी है, जो मर्दानी बनकर खूब लड़ी हैं।

विशेष

  1. डलहौजी द्वारा झाँसी पर शासन करने का वर्णन किया गया है।
  2. अच्छा अवसर, ब्रिटिश फौरन फौजें में अनुप्रास अलंकार है।
  3. सरल व कोमल भाषा का प्रयोग हुआ है।

काव्यांश 7

अनुनय-विनय नहीं सुनता है, विकट फ़िरंगी की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था, जब यह भारत आया,
डलहौज़ी ने पैर पसारे अब तो पलट गई काया, राजाओं,
नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया,
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ अनुनय विनय-प्रार्थना, निवेदन, विकट-कठिन, भयंकर, काया शरीर, काया पलटना बदलाव आ जाना।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने अंग्रेज़ों का वर्णन किया है कि किस तरह अंग्रेज व्यापार के बहाने बड़े-बड़े राजाओं के राज्यों को हड़प जाते थे।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि ब्रिटिश सरकार क्रूर थी। किसी की याचना का प्रभाव उन लोगों पर नहीं पड़ता था, जब ब्रिटिश भारत आए थे, तब वे व्यापारी थे जो यहाँ की दया चाहते थे। भारत देश की धन-संपत्ति को देखकर अंग्रेज यहाँ से व्यापार करना चाहते थे, किंतु धीरे-धीरे व्यापारियों का रूप बदल गया। अब वे भारत में राज्य करने लगे थे। छोटे-छोटे राजाओं को युद्ध में परास्त कर दिया था।

डलहौजी धीरे-धीरे अंग्रेज़ों का राज्य बढ़ाता ही जा रहा था। अब अंग्रेज़ व्यापारी से शासक बन गए। रानी लक्ष्मीबाई भी अंग्रेज़ों से हार गई थीं, लेकिन उन्होंने मानसिक रूप से हार नहीं मानी थी। कवयित्री कहती है कि बुंदेल लोगों के मुँह से हमने लक्ष्मीबाई की वीरता की यह कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर खूब लड़ी है।

विशेष

  1. यहाँ अंग्रेजों की झाँसी पर राज करने की नीति का वर्णन किया गया है।
  2. बनी-बनी में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
  3. सरल, सुंदर व सहज भाषा का प्रयोग हुआ है।

काव्यांश 8

छिनी राजधानी देहली की, लिया लखनऊ बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठूर में हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजोर, सतारा, करनाटक की कौन बिसात,
जबकि सिंध, पंजाब, ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात,
बंगाले, मद्रास आदि की भी तो यही कहानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ विसात घात, प्रहार, वज्र निपात भारी मुसीबत, बिसात ताकत।

प्रसंग इन पंक्तियों में कवयित्री ने उन राज्यों के बारे में बताया है, जिस पर अंग्रेज़ों ने अपना अधिकार जमा लिया।

व्याख्या इन पंक्तियों में कवयित्री कह रही है कि अंग्रेज़ छोटे-छोटे राज्यों पर आक्रमण कर रहे थे। उन्होंने राजधानी दिल्ली को अपने अधीन कर लिया था और लखनऊ पर अपना अधिकार कर लिया था। बिटूर में राजा बाजीराव पेशवा को बंदी बना लिया था। नागपुर पर भी प्रहार किया, साथ ही उदयपुर, तंजौर, सतारा और कर्नाटक जैसे राज्यों को भी अधीन कर लिया। ये सभी छोटे राज्य थे। सिंध, पंजाब पर अभी-अभी अंग्रेज़ों का आक्रमण हुआ था। बंगाल, मद्रास राज्यों की भी यही स्थिति थी । कवयित्री कहती है कि बुंदेलखंड के बुंदेले लोगों के मुँह से हमने रानी लक्ष्मीबाई की यही कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर लड़ी थी।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में अंग्रेज़ों के बढ़ते साम्राज्य को सरल शब्दों में स्पष्ट किया है।
  2. सरल व सहज भाषा का प्रयोग हुआ है।

काव्यांश 9

रानी रोई रनिवासों में बेगम गम से थीं बेज़ार,
उनके गहने-कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरेआम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार,
‘नागपुर के जेवर ले लो’ ‘लखनऊ के लो नौलख हार’,
यों परदे की इज़्ज़त पर देशी के हाथ बिकानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ रनिवास – रानी का महल, बेजार बेहाल, परेशान।

प्रसंग इन पंक्तियों में कवयित्री ने अंग्रेज़ों द्वारा राजाओं की हत्या करके रानियों के वस्त्र और आभूषणों की नीलामी करने का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने कहा है कि अंग्रेज़ अपना शासन बढ़ाते जा रहे थे। छोटे-छोटे राजाओं को वे परास्त कर रहे थे, जिससे रानियाँ और बेगमें दुःखी थीं। वे महलों में बैठकर रोती रहती थीं। रानियाँ और बेगमों के बहुमूल्य वस्त्रों को अंग्रेज कलकत्ता के बाजार में नीलाम कर रहे थे। इस नीलामी के विज्ञापन अंग्रेज़ी के अखबारों में छप रहे थे।

वे विज्ञापन इस प्रकार थे— नागपुर के जेवर ले लो; ‘लखनऊ के नौलखा हार’ खरीद लो अपनी वस्तुओं को बाजार में इस प्रकार नीलाम होते देखकर रानियों का हृदय दुःख से भर जाता था, जो गहने और वस्त्र रानियों की इज्जत थे, वे आज इस प्रकार खुले आम विदेशियों के हाथ बेचे जा रहे थे। बुंदेलखंड के लोगों के मुँह से हमने . लक्ष्मीबाई की वीरता की यह कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर खूब लड़ी थी।

विशेष

  1. इस काव्यांश में रानियों व बेगमों के आभूषण व वस्त्रों की नीलामी का वर्णन किया है।
  2. रोयी -रोयी रनिवासों में अनुप्रास अलंकार है ।

काव्यांश 10

कुटियों में थी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मन में था, अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण- चंडी का कर दिया प्रकट आह्वान,
हुआ यज्ञ प्रारंभ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ विषम-कठिन, वेदना-पीड़ा, तकलीफ, आहत घायल, आह्वान- बुलाना, पुकारना, ज्योति प्रकाश

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने बताया है कि आम जनता के मन में अंग्रेज़ों के प्रति विद्रोह की भावना थी ।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कह रही है कि अंग्रेज़ों द्वारा भारत को अपने अधिकार में करते जाने से लोगों के मन में गहरा रोष था। अमीर और गरीब सभी कष्टपूर्ण जीवन बिता रहे थे तथा अपने आप को अपमानित महसूस कर रहे थे।

वीर सैनिकों के मन में अपने पुरखों का अभिमान था । नाना साहब और बाजीराव पेशवा अंग्रेज़ों से युद्ध करने के लिए सभी साधन एकत्र कर रहे थे। इसी समय झाँसी की रानी ने भी रणचंडी का रूप अपना लिया तथा युद्ध में भाग लेने के लिए लोगों को प्रेरित किया। लोगों के सुप्त (सोए हुए) हृदय में स्वतंत्रता प्राप्त करने की चिंगारी जला दी ।

अन्य सभी लोग उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेज़ों से सत्ता वापस लेने के लिए तत्पर हो गए। हमने यह कहानी बुंदेलखंड के बुंदेले लोगों से सुनी है कि लक्ष्मीबाई पुरुषों की भाँति वीरता से लड़ी थीं।

विशेष

  1. इन पंक्तियों के माध्यम से यह बताया है कि राजाओं की शक्ति को कैसे एकत्रित किया गया।
  2. सरल व सहज भाषा का प्रयोग हुआ है।

काव्यांश 11

महलों ने दी आग, झोपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थीं,
मेरठ, कानपुर, पटना ने भारी धूम मचाई थी,
जबलपुर, कोल्हापुर में थी कुछ हलचल उकसानी भी ।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ अंतरतम हृदय, ज्वाला- आग की लपट, उकसाना प्रेरित करना।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने सन् 1857 की क्रांति में सभी बड़े-बड़े शासकों के हिस्सा लेने और भारतवासियों में क्रांति की ज्वाला भड़कने का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि रानी लक्ष्मीबाई तथा अन्य राजाओं ने क्रांति की जो चिंगारी लगाई थी, वह अब पूर्ण ज्वाला बनकर भड़क उठी थी। महलों में ही नहीं बल्कि झोंपड़ी में रहने वालों ने भी मिलकर क्रांति में भाग लिया।

स्वतंत्रता की चिंगारी लोगों के अंतर्मन (हृदय) से निकली थी, क्योंकि सभी अंग्रेज़ों के अत्याचारों से दुःखी थे। झाँसी में क्रांति की, जो लहर उठी थी वह दिल्ली और लखनऊ में भी फैल गई थी। साथ ही मेरठ, कानपुर, पटना में भी क्रांति की लहर फैलती गई। जबलपुर और कोल्हापुर में भी कुछ हलचल हुई। चारों ओर लोग सचेत हो गए और स्वतंत्रता की कामना करने लगे। बुंदेलखंड के बुंदेले लोगों के मुँह से हमने लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर वीरता से लड़ी थी।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में भारतवासियों में भड़की क्रांति की ज्वाला का चित्रण किया है।
  2. भाषा सरल व स्पष्ट है।

काव्यांश 12

इस स्वतंत्रता – महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास- गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम,
लेकिन आज जुर्म कहलाती, उनकी जो कुरबानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ वीरवर-बहादुर, काम आए योगदान देना, अभिराम सुंदर, गगन- आकाश, जुर्म अपराध ।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने स्वतंत्रता संग्राम में अपना बलिदान देने वाले लोगों का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कह रही हैं कि स्वतंत्रता रूपी महायज्ञ में बहुत-से वीरों ने अपना बलिदान दे दिया। इनमें धुंधूपंत, ताँत्या, अजीमुल्ला अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुँवर सिंह जैसे वीर सैनिक शामिल थे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास रूपी आकाश में इन वीरों के नाम अमर रहेंगे।

इन वीरों का बलिदान और त्याग आज भले ही अपराध कहलाए हो, किंतु उन वीरों का बलिदान देश की स्वतंत्रता के लिए था । कवयित्री कहती है कि बुंदेलखंड के बुंदेले लोगों से हमने लक्ष्मीबाई की वीरता की यह कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर लड़ी थी।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में भाषा सरल, सहज व स्पष्ट है।
  2. पंक्तियों में स्वतंत्रता संग्राम में अपना बलिदान देने वाले लोगों का वर्णन है।

काव्यांश 13

इनकी गाथा छोड़ चले हम झाँसी के मैदानों में, जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में, लेफ्टिनेंट वॉकर आ पहुँचा, आगे बढ़ा जवानों में, रानी ने तलवार खींच ली, हुआ द्वंद्व असमानों में, ज़ख्मी होकर वॉकर भागा, उसे अजब हैरानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ गाथा-कहानी, असमान जो समान न हों, जो बराबर नहीं हों, हैरानी आश्चर्य।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के शौर्य बल का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि भारत के उन राज्यों की बात हम छोड़ देते हैं, जिन्होंने अंग्रेज़ों के सामने घुटने टेक दिए थे और हम झाँसी के मैदान की ओर चलते हैं, जहाँ रानी लक्ष्मीबाई पुरुषों के समान पुरुष रूप में खड़ी हैं। रानी पुरुषों के समान वीरता से युद्ध कर रही थीं उसी समय लेफ्टिनेंट वॉकर अपने कुछ सैनिकों के साथ वहाँ आ जाता है। तब रानी उससे युद्ध करने के लिए अपनी तलवार निकालकर उससे संघर्ष करना शुरू करती हैं।

इस युद्ध में लेफ्टिनेंट वॉकर घायल होकर भाग गया। वह हैरान था। कि रानी ने उसे परास्त कर दिया। कवयित्री कहती है कि रानी की वीरता की यह कहानी हमने बुंदेले लोगों से सुनी थी कि वह पुरुषों के समान वीरता से लड़ी थीं।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का चित्रण किया गया है।
  2. इन पंक्तियों में भाषा सुंदर, स्पष्ट व प्रभावमयी है।

काव्यांश 14

रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थककर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी किया ग्वालियर पर अधिकार,
अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी । ।

शब्दार्थ निरंतर लगातार तत्काल – तुरंत ।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी के घोड़े की मृत्यु तथा युद्ध में अंग्रेजों से हार का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि रानी निरंतर आगे बढ़ती जा रही थी। लगभग सौ मील का रास्ता पार करके कालपी पहुँच गई। उनका घोड़ा थककर धरती पर गिर पड़ा और तुरंत ही मर गया। उधर यमुना के तट पर अंग्रेज़ रानी से फिर से युद्ध में पराजित हुए। रानी विजयी होकर आगे चल दी और ग्वालियर को भी जीतकर उसे अपने अधिकार में ले लिया। ग्वालियर का राजा सिंधिया अंग्रेज़ों का मित्र था । उसने रानी के भय के कारण अपनी राजधानी छोड़ दी। कवयित्री कहती है कि रानी की वीरता की यह कहानी हमने बुंदेले लोगों के मुख से सुनी थी कि रानी पुरुषों के समान युद्ध में लड़ी थी।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में रानी के घोड़े की मृत्यु व युद्ध में अंग्रेज़ों की हार का वर्णन है।

काव्यांश 15

विजय मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सन्मुख था, उसने मुँह की खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थीं,
युद्ध क्षेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी,
पर, पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।

शब्दार्थ मर्दानी-पुरुष की तरह, सन्मुख सामने

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई और जनरल स्मिथ, ह्यूरोज से घमासान युद्ध का वर्णन किया है।

व्याख्या रानी विजयी तो हुई, किंतु पुनः अंग्रेज़ों की सेना ने उन्हें घेर लिया। इस बार जनरल स्मिथ अपनी सेना का नेतृत्व कर रहा था, वह उनके सामने था। वह एक बार रानी से पराजित हो चुका था। इस बार रानी के साथ उनकी दो सहेलियाँ काना और मंदरा भी आई थीं। काना और मंदरा भी रानी के साथ युद्ध कर रही थीं। दोनों में घमासान युद्ध हुआ, किंतु इसी बीच दूसरी ओर से ह्यूरोज अपनी सेना के साथ वहाँ पहुँच गया। अब रानी स्मिथ और ह्यूरोज के बीच घिर गई। कवयित्री कहती हैं कि हमने हरबोलों के मुँह से रानी की वीरता की यह कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर खूब लड़ी थी।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई और जनरल स्मिथ, ह्यूरोज के बीच युद्ध का वर्णन है।
  2. मार मचाई में अलंकार है।

काव्यांश 16

तो भी रानी मार-काटकर चलती बनी सैन्य के पार,
किंतु सामने नाला आया था यह संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गए सवार,
रानी एक शत्रु बहुतेरे होने लगे बार पर वार,
घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीर गति पानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ विषम विपरीत, अपार जिसे पार न किया जा सके।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी के वीरतापूर्वक युद्ध करने तथा युद्ध में घायल होने का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कह रही हैं कि रानी ह्यूरोज और जनरल स्मिथ की सेनाओं से घिर गई हैं, फिर भी वह सेना को चीरती हुई आगे बढ़ रही थीं कि सामने एक नाला आ जाता है। रानी का घोड़ा नया था, वह अड़ गया। तभी पीछे से अंग्रेज़ सैनिकों के आ जाने से दोनों ओर से युद्ध होने लगे।

रानी अकेली थी और अंग्रेज़ सैनिक अधिक थे, जिसके कारण रानी चारों ओर से घिर गईं। लगातार रानी पर वार हो रहे थे। अंत में रानी शेरनी की भाँति घायल होकर गिर गईं। रानी युद्ध भूमि में लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हुई। कवयित्री कहती है कि बुंदेलों के मुँह से हमने रानी की वीरता की यह कहानी सुनी है कि रानी पुरुष के समान युद्ध में यह कहानी है कि के छ लड़ी थी।

विशेष

  1. रानी की वीरगति पाने का चित्रण किया गया है।
  2. इन पंक्तियों की भाषा बहुत सरल, सुस्पष्ट है।
  3. कवि ने सुंदर शब्दों का प्रयोग किया है।

काव्यांश 17

रानी गई सिधार, चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता नारी थी,
दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।

शब्दार्थ दिव्य- अलौकिक, देवताओं जैसी, मनुज – मनुष्य ।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई के जीवन की अंतिम यात्रा का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने कहा कि रानी वीरगति को प्राप्त हो गई। अब चिता ही उनकी दिव्य सवारी थी। उनका अलौकिक व्यक्तित्व चिता को भेंट हो गया था। उनका तेज अग्नि के तेज में मिल गया। अभी उनकी अवस्था केवल तेईस वर्ष की थीं। वह साधारण मानव नहीं बल्कि कोई दिव्य अवतार थीं।

वह स्वतंत्रता की देवी बनकर हमें स्वतंत्रता की आवश्यकता बताने आई थीं, जो सीख हमें देनी थी, वह दे गईं। वह हमारे लिए स्वतंत्रता की देवी बनकर आई थीं। हम भारतवासियों को नई राह अर्थात् बलिदान का मार्ग दिखा गईं। कवयित्री कहती है कि बुंदेले लोगों के मुँह से हमने रानी की वीरता की कहानी सुनी हैं, जो पुरुषों की भाँति युद्धभूमि में लड़ी थी।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में झाँसी की रानी की अंतिम यात्रा का वर्णन है।
  2. सीख सीखनी में अनुप्रास अलंकार है।

काव्यांश 18

जाओ रानी याद रखेंगे हम कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनाशी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय,  मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी,
तेरा स्मारक तू ही होगी,  तू खुद अमिट निशानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ कृतज्ञ उपकार को याद रखने वाले, अविनाशी-कभी नष्ट न होने वाला स्मारक यादगार।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान का वर्णन किया है।

व्याख्या अंत में कवयित्री शब्द रूपी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहती हैं कि हे रानी! तुम स्वर्ग सिधार गई। तुम्हें वीरगति प्राप्त हुई । हम सब भारतवासी तुम्हारा यह बलिदान हमेशा याद रखेंगे। तुम्हारा यह बलिदान हमारे अंदर त्याग की भावना को जाग्रत करता है और आज़ादी के प्रति सचेत करता रहेगा। हम भारतवासी स्वतंत्रता अवश्य प्राप्त करेंगे।

इतिहास भले ही मौन हो जाए कुछ न कहे, अंग्रेज़ भले ही विजय प्राप्त कर लें, झाँसी को नष्ट कर दें, परंतु हम भारतवासी यह बलिदान कभी नहीं भूलेंगे।

तुम्हें स्मरण करने के लिए किसी स्मारक की आवश्यकता नहीं है, तुम तो स्वयं ही स्मारक हो। तुम स्वयं ही स्मरणीय रहोगी । कवयित्री कहती हैं कि बुंदेलखंड के लोगों के मुँह से झाँसी की रानी के युद्ध की कहानी सुनी थी, जिन्होंने पुरुषों के समान वीरता से युद्ध किया।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में रानी के बलिदान व त्याग भावना का वर्णन किया गया है।
  2. कविता की पंक्तियों को सरल व प्रभावमयी रूप से पिरोया गया है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

कविता से (पृष्ठ संख्या 62)

प्रश्न 1. ‘किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई

(क) इस पंक्ति में किस घटना की ओर संकेत है?
(ख) काली घटा घिरने की बात क्यों कही गई है?

उत्तर

(क) इस पंक्ति में झाँसी के राजा गंगाधर राव की मृत्यु की ओर संकेत किया गया है।

(ख) जिस प्रकार काली घटाएँ घिरकर सूर्य को ढककर उसके प्रकाश को कम कर देती हैं, उसी प्रकार राजा के नि:संतान मर जाने के कारण झाँसी के राज्य पर अंग्रेज़ अपना अधिकार कर लेंगे और झाँसी पर विपत्ति आ जाएगी। इस तथ्य को ध्यान में रखकर काली घटा घिरने की बात कही गई है।

प्रश्न 2. कविता की दूसरी पंक्ति में भारत को ‘बूढ़ा’ कहकर और उसमें ‘नई जवानी’ आने की बात कहकर सुभद्रा कुमारी चौहान क्या बताना चाहती हैं?

उत्तर कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान भारत को ‘बूढ़ा’ कहकर यह बताना चाहती हैं कि भारत बहुत समय तक परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा रहने के कारण कमज़ोर हो गया। भारत की दुर्दशा हो गई थी।

‘नई जवानी’ कहकर कवयित्री बताना चाहती हैं कि लक्ष्मीबाई ने अपनी वीरता से भारतवासियों की सोच में परिवर्तन ला दिया। भारतवासी अपनी खोई हुई स्वतंत्रता को पुनः प्राप्त करने के लिए उत्साह से भर गए। उनमें नया जोश आ गया।

प्रश्न 3. झाँसी की रानी के जीवन की कहानी अपने शब्दों में लिखो और यह भी बताओ कि उनका बचपन तुम्हारे बचपन से कैसे अलग था ?

उत्तर झाँसी की रानी का नाम लक्ष्मीबाई था। बचपन में उन्हें ‘मनु’ और ‘छबीली’ कहा जाता था। वह अपने माता- पिता की इकलौती संतान थीं। कानपुर के नाना साहब की मुँहबोली बहन थीं। बचपन में उन्हीं के साथ पढ़ती और खेलती थीं।

उनका बचपन हमारे बचपन से पूर्णतः भिन्न था। बच्चे अधिकतर खिलौनों से खेलते हैं, परंतु छबीली को बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी जैसे हथियारों से खेलना अच्छा लगता था। लक्ष्मीबाई का विवाह गंगाधर राव से हो गया।

विवाह के बाद वे झाँसी आ गई, कुछ समय बाद ही राजा की अकस्मात मृत्यु हो गई और रानी विधवा हो गईं। राजा निःसंतान थे। अंग्रेज़ों ने झाँसी को हड़पने का सुनहरा अवसर देखा ।

रानी और लेफ्टिनेंट वॉकर में युद्ध हुआ। वॉकर को रानी ने पराजित कर दिया और कालपी और ग्वालियर राज्य ले लिया। बाद में ह्यूरोज से युद्ध हुआ तथा इस घमासान युद्ध में रानी वीरगति को प्राप्त हुईं। उनका नाम इतिहास में हमेशा अमर रहेगा।

प्रश्न 4. वीर महिला की इस कहानी में कौन-कौन-से पुरुषों के नाम आए हैं? इतिहास की कुछ अन्य वीर स्त्रियों की कहानियाँ खोजो ।

उत्तर ‘झाँसी की रानी’ कविता में अनेक पुरुषों के नाम आए हैं, उनमें से प्रमुख हैं|

  • शिवाजी
  • अर्जुन
  • पेशवा
  • नाना
  • साहब
  • शंकर
  • सिंधिया
  • अहंमद
  • शाह
  • मौलवी
  • ठाकुर
  • डलहौजी
  • अजी
  • मुल्ला
  • कुँवर
  • सिंह
  • जनरल
  • स्मिथ
  • ह्यूरोज

अन्य वीर स्त्रियों की कहानियाँ छात्र स्वयं पढ़ें।

अनुमान और कल्पना (पृष्ठ संख्या 63)

प्रश्न 1. कविता में किस दौर की बात है? कविता से उस समय के माहौल के बारे में क्या पता चलता है?

उत्तर इस कविता में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 ई. की बात कही गई है। कविता पढ़कर उस माहौल का पता चलता है कि अंग्रेज़ भारत आ चुके थे। हमारा देश छोटे-छोटे राज्यों में बँटा हुआ था। अंग्रेज़ अपना साम्राज्य धीरे-धीरे बढ़ा रहे थे छोटे-छोटे राज्यों पर अंग्रेज़ युद्ध करते, उन्हें हराकर अपने राज्य में मिला लेते। ऐसे वातावरण में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध संघर्ष किया। भारतवासियों में जोश और उत्साह की लहर जगी। स्वतंत्रता की चिंगारी धीरे-धीरे भारत में फैलने लगी थी ।

प्रश्न 2. सुभद्रा कुमारी चौहान लक्ष्मीबाई को ‘मर्दानी’ क्यों कहती हैं?

उत्तर लक्ष्मीबाई वीरागंना स्त्री होते हुए भी उनमें साहस और जोश था। उन्होंने पुरुषों के वेश में पुरुषों की भाँति युद्ध किया। वीरता के साथ घमासान युद्ध करके लेफ्टिनेंट वॉकर को हरा दिया था। वॉकर घायल होकर युद्ध भूमि से भाग गया था। लक्ष्मीबाई ने अपने शौर्य, पराक्रम और वीरता का परिचय दिया, इसलिए सुभद्रा कुमारी चौहान ने लक्ष्मीबाई के लिए ‘मर्दानी’ शब्द का प्रयोग किया है।

खोजबीन (पृष्ठ संख्या 63)

प्रश्न 1. ‘बरछी’, ‘कृपाण’, ‘कटारी’ उस जमाने के हथियार थे। आजकल के हथियारों के नाम पता करो।

उत्तर आजकल युद्ध तीन प्रकार से किया जाता है— जल, थल और वायु । युद्ध में टैंक, पैटनटैंक, तोपों, बंदूकों, बम-बारूद, मिसाइलों का प्रयोग किया जाता है। आवश्यकतानुसार लड़ाकू हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर, समुद्री जहाजों का प्रयोग भी किया जाता है।

प्रश्न 2. लक्ष्मीबाई के समय में अधिक लड़कियाँ ‘वीरांगना’ नहीं हुईं, क्योंकि लड़ना उनका काम नहीं माना जाता था। भारतीय सेनाओं में अब क्या स्थिति है? पता करो।

उत्तर लक्ष्मीबाई के समय में अधिक लड़कियाँ ‘वीरांगना’ नहीं हुईं, क्योंकि लड़ना उनका काम नहीं था। यह बात अक्षरश: सत्य है। लक्ष्मीबाई ने स्वतंत्रता की जो चिंगारी जलाई थी, उसी का परिणाम वर्ष 1947 की ज्वाला है। वर्तमान समय में भारतीय सेनाओं में स्त्रियाँ काफी संख्या में कार्यरत हैं। फिर भी उनकी संख्या पुरुषों के अनुपात में काफी कम है।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 63)

नीचे लिखे वाक्यांशों (वाक्य के हिस्सों) को पढ़ो

  • झाँसी की रानी
  • मिट्टी का घरौंदा
  • प्रेमचंद की कहानी
  • पेड़ की छाया
  • ढाक के तीन पात
  • नहाने का साबुन
  • मील का पत्थर
  • रेशमा के बच्चे
  • बनारस के आम

का, के और की दो संज्ञाओं का संबंध बताते हैं। उपरोक्त वाक्यांशों में अलग-अलग जगह इन तीनों का प्रयोग हुआ है। ध्यान से पढ़ो और कक्षा में बताओ कि का, के और की का प्रयोग कहाँ और क्यों हो रहा है?

उत्तर

का, की, के संबंध कारक चिह्न हैं। इन्हें ‘परसर्ग’ भी कहते हैं। वाक्य में इनका प्रयोग संबंधी संज्ञा के अनुसार होता है। स्त्रीलिंग संबंधी संज्ञा के पूर्व की, पुल्लिंग संबंधी संज्ञा के पूर्व का और बहुवचन पुल्लिंग संबंधी संज्ञा के पूर्व के का प्रयोग होता है।

झाँसी की रानी: रानी स्त्रीलिंग है, इसलिए उसके पूर्व की का प्रयोग हुआ है।

पेड़ की छाया : छाया स्त्रीलिंग है, इसलिए उसके पूर्व की का प्रयोग हुआ है।

मील का पत्थर: पत्थर पुल्लिंग है और एकवचन है, इसलिए उसके पहले का का प्रयोग हुआ है।

मिट्टी का घरौंदा घरौंदा: एकवचन पुल्लिंग है, इसलिए उसके पहले का का प्रयोग हुआ है।

ढाक के तीन पात: पात पुल्लिंग बहुवचन है, इसलिए उसके पहले के का प्रयोग हुआ है।

रेशमा के बच्चे: बच्चे पुल्लिंग बहुवचन हैं, इसलिए उसके पहले के का प्रयोग हुआ है।

प्रेमचंद की कहानी: कहानी स्त्रीलिंग है, इसलिए उसके पहले की प्रयोग हुआ है।

नहाने का साबुन साबुन पुल्लिंग एकवचन है, इसलिए उसके पहले का का प्रयोग हुआ है।

बनारस के आम आम पुल्लिंग बहुवचन है, इसलिए उसके पहले के का प्रयोग हुआ है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. ‘झाँसी की रानी’ किस विधा की रचना है?

(क) कहानी
(ख) कविता
(ग) निबंध
(घ) नाटक

उत्तर (ख) कविता

2. सुभद्रा कुमारी चौहान ने झाँसी की रानी की कथा किसके मुँह से सुनी थी?

(क) अपने अध्यापक के
(ख) मराठों के
(ग) कवियों के
(घ) बुंदेलों के

उत्तर (घ) बुंदेलों के

3. लक्ष्मीबाई का प्रिय खेल था?

(क) सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना
(ख) नकली युद्ध करना
(ग) व्यूह की रचना व शिकार करना
(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर (घ) उपरोक्त सभी

4. रानी लक्ष्मीबाई किसकी मुँहबोली बहन थी ?

(क) कुँवर सिंह की
(ख) अजीमुल्ला खाँ की
(ग) नाना धुँधूपंत पेशवा की
(घ) अहमदशाह की

उत्तर (ग) नाना धुंधूपंत पेशवा की

5. नाना साहब कहाँ के रहने वाले थे?

(क) कानपुर के
(ख) ग्वालियर के
(ग) इलाहाबाद के
(घ) झाँसी के

उत्तर (क) कानपुर के

6. ब्रिटिश सरकार ने झाँसी के दुर्ग पर झंडा क्यों फहराया था ?

(क) राजा अमीर था।
(ख) राजा बलवान था ।
(ग) राजा का बहुत राजपाट था।
(घ) राजा निःसंतान मृत्यु को प्राप्त हुआ था।

उत्तर (घ) राजा नि:संतान मृत्यु को प्राप्त हुआ था ।

7. किसके कपड़े और गहने खुलेआम बाजारों में बेचे जा रहे थे

(क) सिपाहियों के
(ख) दरबारियों के
(ग) रानियों और बेगमों के
(घ) मंत्रियों के

उत्तर (ग) रानियों और बेगमों के

8. रानी लक्ष्मीबाई के बचपन का क्या नाम था ?

(क) रोशनी
(ख) वीरांगना
(ग) छबीली
(घ) लक्ष्मी

उत्तर (ग) छबीली

9. ‘दुर्गा के रण – चंडी रूप का’ अवतार किसको माना गया है?

(क) वैष्णों देवी को
(ख) पार्वती जी को
(ग) कौशल्या जी को
(घ) रानी लक्ष्मीबाई को

उत्तर (घ) रानी लक्ष्मीबाई को

10. स्वतंत्रता महायज्ञ किस वर्ष हुआ?

(क) 1854 ई. में
(ख) 1857 ई. में
(ग) 1859 ई. में
(घ) 1862 ई.

उत्तर (ख) 1857 ई. में

11. लक्ष्मीबाई का विवाह किसके साथ हुआ था?

(क) गंगाधर राव के
(ख) ठाकुर कुँवर सिंह के
(ग) अजीमुल्ला के
(घ) ताँत्या टोपे के

उत्तर (क) गंगाधर राव के

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी  काव्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

काव्यांश 1

सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन् सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

1. इन पंक्तियों में ‘फिरंगी’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?

(क) राजा के
(ख) राजघराने के
(ग) अंग्रेज़ के
(घ) राजवंश के

उत्तर (ग) अंग्रेज़ के

2. झाँसी की रानी का पूरा नाम क्या था ?

(क) लक्ष्मी
(ख) लक्ष्मीबाई
(ग) लक्षमीबाई
(घ) लक्ष्मिबाई

उत्तर (ख) लक्ष्मीबाई

3. गुम हुई आज़ादी की कीमत किसने पहचानी ?

(क) भारतवासियों ने
(ख) अंग्रेजों ने
(ग) बुंदेलों ने
(घ) पुरुषों ने

उत्तर (क) भारतवासियों ने

4. ‘सिंहासन हिल उठे’ से कवयित्री का क्या आशय है?

उत्तर ‘सिंहासन हिल उठे’ से कवयित्री का आशय है कि भारत में क्रांति की भावना के कारण अंग्रेज़ परेशान होने लगे थे। अंग्रेज़ों को लगने लगा था कि अब भारत पर अधिक समय तक शासन करना कठिन है।

5. ‘बूढ़े भारत’ से कवयित्री का क्या तात्पर्य है?

उत्तर भारतवर्ष बहुत वर्षों से गुलाम रहने के कारण धीरे-धीरे शक्तिहीन हो गया है। शक्तिहीन भारत को कवयित्री ने ‘बूढ़ा भारत’ कहा है।

6. सन् सत्तावन की किस घटना के विषय में कवयित्री बात कर रही हैं?

उत्तर कवयित्री ने यहाँ सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की बात कही है। इस स्वतंत्रता संग्राम के बाद ही भारतीयों के मन में पुनः जोश भर आया।

काव्यांश 2

हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
सुभर बुंदेलों की विरुदावली सी वह आई झाँसी में,
चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी।
बुंदेले हरबोलो के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

1. निम्न में से कौन-सा कथन गलत है?

(क) झाँसी की रानी वीरांगना थी
(ख) गंगाधर राव वैभवशाली शासक थे
(ग) बुंदेलों के वीरों का यशगान गाया गया
(घ) विवाह पूर्व रानी झाँसी में आ गई

उत्तर (घ) विवाह पूर्व रानी झाँसी में आ गई

2. राजमहल में खुशियाँ छाने का क्या कारण था?

(क) चित्रा को पति रूप में अर्जुन मिलना
(ख) झाँसी का धन-दौलत से पूर्ण होना.
(ग) लक्ष्मीबाई का रानी बनकर झाँसी आना
(घ) गंगाधर का झाँसी का शासक बनना

उत्तर (ग) लक्ष्मीबाई का रानी बनकर झाँसी आना

3. भवानी और चित्रा कौन थीं?

(क) नृतकियाँ
(ख) वीरांगनाएँ
(ग) रानियाँ
(घ) ये सभी

उत्तर (ख) वीरांगनाएँ

4. ‘वीरता की वैभव के साथ सगाई’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि रानी वीरांगना थीं और गंगाधर राव वैभवशाली धन-दौलत से परिपूर्ण शासक लक्ष्मीबाई की सगाई झाँसी के राजा के साथ होने पर यह कहा गया कि वीरता की सगाई धन-दौलत के साथ हुई है।

5. काव्यांश में चित्रा व भवानी के उदाहरण द्वारा कवयित्री ने क्या बताने का प्रयास किया है?

उत्तर चित्रा व भवानी के उदाहरण देकर कवयित्री ने वीरांगनाओं की खूबियों को प्रकट किया है, क्योंकि रानी लक्ष्मीबाई भी इन वीरांगनाओं की भाँति थीं।

6. ‘सुभर बुंदेलों की विरुदावलि सी पंक्ति के माध्यम से कवयित्री ने किसके यशगान की बात की है ?

उत्तर प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कवयित्री ने बुंदेलों के वीर योद्धा के यशगान की बात की है।

काव्यांश 3

अनुनय-विनय नहीं सुनता है, विकट फिरंगी की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था, जब यह भारत आया,
डलहौजी ने पैर पसारे अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया,
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महारानी थी,
बुंदेल हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।

1. अंग्रेज भारत में किस रूप में आए थे?

(क) विदेशी
(ख) व्यापारी
(ग) दास
(घ) शासक

उत्तर (ख) व्यापारी

2. किसने लक्ष्मीबाई की वीरता की कथा सुनाई ?

(क) राजाओं ने
(ख) शिवाजी ने
(ग) बुंदेले हरबोलों ने
(घ) रानी ने

उत्तर (ग) बुंदेले हरबोलों ने

3. कवयित्री ने रानी को ‘मर्दानी’ क्यों कहा?

(क) रानी पुरुष थीं
(ख) पुरुषों के समान वीर थीं
(ग) पुरुष रूप पसंद था
(घ) पुरुष रूप में अच्छी लगती

उत्तर (ख) पुरुषों के समान वीर थीं

4. अंग्रेज़ भारतीयों के अनुरोध क्यों नहीं सुनते थे?

उत्तर अंग्रेज़ पूरे भारत पर अपना शासन चाहते थे, इसलिए छोटे-छोटे भारतीय राजाओं के अनुरोध नहीं सुनते थे।

5. भारत में अंग्रेज़ किस विचार से आए थे?

उत्तर अंग्रेज़ भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से आए थे।

6. ‘रानी दासी बनी, दासी अब महारानी थी’ पंक्ति से क्या तात्पर्य है?

उत्तर झाँसी के राजा की मृत्यु के बाद अंग्रेज़ों ने झाँसी को लावारिस समझकर आक्रमण करके उसपर अपना कब्जा कर लिया था तथा रानी दासी बन गई और दासी महारानी अर्थात् व्यापार करने वाले शासक बनते चले गए।

काव्यांश 4

कुटियों में थी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान, वीर सैनिकों के मन में था, अपने पुरखों का अभिमान, नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान, बहिन छबीली ने रणचंडी का कर दिया प्रकट आह्वान, हुआ यज्ञ प्रारंभ उन्हें तो, सोई ज्योति जगानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

1. झोंपड़ी व महलों में रहने वाले कैसा जीवन व्यतीत कर रहे थे?

(क) ऐशोआराम का जीवन
(ख) अंग्रेजी शासकों के प्रति सम्मान भाव रखते हुए
(ग) दया, करुणा व प्रसन्न
(घ) कष्टपूर्ण, अपमानित व दुःखी

उत्तर (घ) कष्टपूर्ण, अपमानित व दुःखी

2. निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है ?

(क) लोगों के मन में अंग्रेजों के प्रति रोष था
(ख) वीर सैनिकों के हृदय में पूर्वजों का अभिमान था
(ग) अंग्रेजों ने सोए हुए हृदय में स्वतंत्रता की चिंगारी सुलगाई
(घ) झाँसी की रानी ने रणचंडी रूप धारण कर लिया

उत्तर (ग) अंग्रेजों ने सुप्त हृदय में स्वतंत्रता की चिंगारी सुलगाई।

3. अंग्रेजों से टक्कर लेने हेतु कौन साधन जुटाने में लगे थे?

(क) शिवाजी, नाना धुंधूपंत, ताँत्या टोपे
(ख) शिवाजी, लक्ष्मीबाई, ताँत्या टोपे
(ग) नाना धुंधूपंत पेशवा
(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर (ग) नाना धुंधूपंत पेशवा

4. रानी लक्ष्मीबाई ने अपने मन में क्या ठान लिया था?

उत्तर झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को हराने के लिए अपने मन में दृढ़ निश्चय कर लिया। इसके लिए उन्होंने रणचंडी का रूप धारण करने की ठान ली थी।

5. ‘सोई ज्योति जगानी थी’ पंक्ति के माध्यम से कवयित्री ने किसकी ओर संकेत किया है?

उत्तर प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से लागों को युद्ध में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए प्रेरित किया गया है, जिसके लिए लोगों के सोए हुए हृदय में स्वतंत्रता की चिंगारी को जगाना था।

6. स्वतंत्रता हेतु अंग्रेजों से युद्ध करने के लिए लोगों की क्या प्रतिक्रिया थी?

उत्तर स्वतंत्रता हेतु अंग्रेजों से युद्ध करने के लिए लोग भी वीर सैनिकों के साथ मिलकर अंग्रेजों का सफाया करने के लिए तैयार थे।

काव्यांश 5

रानी गई सिधार, चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी, मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी, अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी, हमको जीवित करने आई, बन स्वतंत्रता नारी थी, दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।

1. ह्यूरोज से युद्ध करते-करते क्या हुआ?

(क) रानी वापस चली गई
(ख) रानी जीत गई
(ग) रानी हार गई
(घ) रानी स्वर्ग सिधार गई

उत्तर (घ) रानी स्वर्ग सिधार गई

2. मृत्यु के समय लक्ष्मीबाई की आयु कितनी थी?

(क) तैंतीस वर्ष
(ख) तेईस वर्ष
(ग) तेरह वर्ष
(घ) तिरेपन वर्ष

उत्तर (ख ) तेईस वर्ष

3. हरबोले लोग कहाँ के निवासी थे?

(क) बादनम के
(ख) नागपुर के
(ग) बुंदेलखंड के
(घ) उत्तराखंड के

उत्तर (ग) बुंदेलखंड के

4. रानी ने भारतीयों के मन में क्या इच्छा जाग्रत की थी?

उत्तर रानी लक्ष्मीबाई ने भारतीयों के मन में स्वतंत्रता की चाह की इच्छा जाग्रत की थी।

5. ‘चिता अब उनकी दिव्य सवारी थी- पंक्ति का क्या तात्पर्य है?

उत्तर ‘चिता अब उनकी दिव्य सवारी थी पंक्ति का तात्पर्य है कि रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो गई और उनकी चिता में आग लगा दी गई।

6. काव्यांश में ‘स्वतंत्रता की नारी’ किसे कहा गया है?

उत्तर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली नारियों में प्रथम रानी लक्ष्मीबाई थी, जिनके बलिदान व त्याग को भारत हमेशा याद रखेगा। अतः झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को स्वतंत्रता की नारी कहा है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी  अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. बचपन से ही लक्ष्मीबाई को कौन-सी कहानियाँ याद थीं?

उत्तर बचपन से ही लक्ष्मीबाई को शिवाजी की वीरता की कहानियाँ मुँह जुबानी याद थीं।

2. गुम हुई आज़ादी को पाने के लिए क्या किया गया?

उत्तर गुम हुई आजादी को पाने के लिए भारतवासियों ने परतंत्र भारत में आजादी के महत्त्व को समझा और देश को स्वतंत्र कराने के लिए संघर्ष प्रारंभ किया।

3. लक्ष्मीबाई को दुर्गा का अवतार क्यों कहा जाता था ?

उत्तर दुर्गाजी ने जिस प्रकार राक्षसों का संहार किया, उसी प्रकार लक्ष्मीबाई युद्ध क्षेत्र में अंग्रेज़ों का संहार कर रही थीं, इसलिए लक्ष्मीबाई को दुर्गा का अवतार कहा जाता था।

4. झाँसी में खुशियाँ छाई’ का क्या तात्पर्य है?

उत्तर ‘झाँसी में खुशियाँ छाई’ का तात्पर्य है कि झाँसी के राजा का विवाह लक्ष्मीबाई से हुआ। विवाह के अवसर पर वहाँ के निवासी खुशियाँ मना रहे थे।

5. अंग्रेज़ी के समाचार-पत्रों में उन दिनों क्या छप रहा था?

उत्तर अंग्रेज़ी के समाचार-पत्रों में उन दिनों भारत के राजघरानों के वस्त्र और आभूषणों की नीलामी के विज्ञापन छप रहे थे।

6. दुर्भाग्य को किसके हाथों में चूड़ियाँ अच्छी नहीं लगीं?

उत्तर दुर्भाग्य को रानी लक्ष्मीबाई के हाथों में चूड़ियाँ अच्छी नहीं लगीं।

7. रानी लक्ष्मीबाई के विषय में भारतवासी क्या याद रखेंगे?

उत्तर रानी लक्ष्मीबाई के विषय में भारतवासी उनके त्याग, बलिदान और राष्ट्र प्रेम को हमेशा याद रखेंगे।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी लघु उत्तरीय प्रश्न

1. ‘बूढ़े भारत में आई नई जवानी’ से कवयित्री का क्या तात्पर्य है?

उत्तर भारत कई वर्षों से अंग्रेज़ों की गुलामी में जकड़ा हुआ था। भारतवासी निरुत्साहित और बलहीन से हो गए थे। क्रांति की आग ने इन कमजोर और शक्तिहीन राजाओं में जोश और उत्साह की भावना को जाग्रत कर दिया। पूरे भारतवर्ष में नया उत्साह आ गया।

2. लक्ष्मीबाई के बचपन में क्या शौक थे?

उत्तर लक्ष्मीबाई को बचपन से ही हथियार चलाने का बहुत शौक था। वे कृपाण, ढाल, बरछी और कटारी चलाती थीं। इसके अतिरिक्त उन्हें नकली युद्ध करना, व्यूह की रचना, सेना घेरना, दुर्ग तोड़ना और शिकार खेलना प्रिय थे।

3. बुंदेलखंड के बुंदेलों लोकनायकों द्वारा क्या कथा सुनाई गई?

उत्तर बुंदेलखंड के बुंदेलों लोकनायक द्वारा रानी लक्ष्मीबाई की कहानी सुनाई गई। लक्ष्मीबाई माता-पिता की अकेली संतान थीं। वे बहुत वीर थीं। अंग्रेज़ों से परतंत्र देश को आज़ाद कराने के लिए वे वीरतापूर्वक लड़ीं। युद्ध में लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुई ।

4. डलहौजी क्यों प्रसन्न हुआ था? वह क्या चाहता था?

उत्तर झाँसी के राजा गंगाधर राव की अकाल मृत्यु हो गई। वे नि:संतान थे,
इसलिए डलहौजी बहुत प्रसन्न हुआ था। जिन राज्यों का कोई वारिस नहीं होता था, डलहौजी उस पर अपना अधिकार जमा लेता था। झाँसी राज्य पर भी वह अधिकार करना चाहता था ।

5. अंग्रेज किस रूप में भारत आए थे? उनमें क्या परिवर्तन आ गया था?

उत्तर भारतवर्ष धन-संपत्ति से परिपूर्ण देश था, इसलिए अंग्रेज भारतवर्ष में व्यापारी के रूप में व्यापार करने के उद्देश्य से आए थे। धीरे-धीरे वे शासक बन गए। अंग्रेज छोटे-छोटे कमजोर राज्यों पर आक्रमण करके उन्हें युद्ध में हराकर अपना शासन बढ़ा रहे थे।

6. ‘झाँसी की रानी’ कविता से आपको क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर ‘झाँसी की रानी’ कविता में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का चित्रण प्रस्तुत किया है। इस कविता से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें देश से प्रेम करना चाहिए। देश की स्वतंत्रता के लिए यदि जीवन का बलिदान देना पड़े, तो भी नहीं हिचकना चाहिए। देश की उन्नति और एकता के लिए कर्मठ होकर कार्य करना चाहिए।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. झाँसी की रानी के जीवन से हम क्या प्ररेणा ले सकते हैं? अंग्रेजों के कुचक्र के विरुद्ध रानी ने अपनी वीरता का परिचय कैसे दिया?

उत्तर झाँसी की रानी के जीवन से हम देश के लिए मर मिटने, स्वाभिमान से जीने, साहस, दृढ़ निश्चय, विपत्तियों से न घबराने, नारी अबला नहीं सबला है आदि की प्ररेणा ले सकते हैं। अंग्रेज़ों की नीति थी यदि किसी राज्य में कोई राजा संतानहीन मृत्यु को प्राप्त हो जाता था, तो वे उनके राज्य को अपने राज्य में मिला लेते थे।

लक्ष्मीबाई के पति गंगाधर की मृत्यु के उपरांत डलहौजी ने झाँसी के राज्य को अपने राज्य में मिलाने की चाल चली। रानी उसकी चाल को समझ गई। उसने अपनी सेना की तैयारियाँ शुरू कर दी। उसने स्त्रियों को भी सैनिक शिक्षा दी। लक्ष्मीबाई ने डटकर अंग्रेज़ो का मुकाबला किया। उसने अंग्रेज़ों के कई किलों पर भी अधिकार कर लिया। अंत में रानी अंग्रेज़ी सेना के बीच युद्ध में घिर जाती है व युद्ध करते-करते रानी वीरगति को प्राप्त हो जाती है।

2. भारतीयों ने अंग्रेज़ों को दूर करने का निश्चय क्यों किया था? ऐसी कौन-सी विशेषताएँ थी, जिनके कारण मराठे लक्ष्मीबाई को देखकर

उत्तर भारत कई सौ वर्षों तक गुलाम रहा। इस कारण यहाँ के लोग स्वतंत्रता के महत्त्व को भूल गए थे। इस आंदोलन से उन्हें स्वतंत्रता का महत्त्व तो समझ में आ गया। उन्होंने यह भी महसूस किया कि फिरंगी धीरे-धीरे अपने साम्राज्य का विस्तार कर रहे हैं। इस कारण भारतीयों ने अंग्रेज़ों को दूर भगाने का निश्चय किया।

रानी लक्ष्मीबाई वीर और साहसी नारी थी उन्हें युद्ध कला में महारथ हासिल थी। नकली युद्ध व्यूह की रचना करना, खूब शिकार खेलना, सेना घेरना और दुर्ग तोड़ना उनके प्रिय खेल थे। लक्ष्मीबाई की इन विशेषताओं को देखकर मराठे बहुत पुलकित होते थे।

3. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में किन-किन वीरों ने अपनी कुर्बानी दी अंग्रेज़ों ने किन राज्यों पर अधिकार जमाया था? वर्तमान समय में सेना में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएँ भी बढ़-चढ़कर भाग क्यों ले रही हैं?

उत्तर 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम में ताँत्या टोपे, अजीमुल्ला, ठाकुर कुँवर सिंह, नाना धुँधूपंत, अहमद शाह मौलवी आदि वीरों ने अपनी कुर्बानी दी व अंग्रेज़ों ने 1857 के स्वाधीनता संग्राम में दिल्ली, लखनऊ, पंजाब, उदयपुर, सिंध, बर्मा, कर्नाटक, सतारा, मद्रास तंजौर, बंगाल आदि राज्यों पर अपना अधिकार कर लिया।

वर्तमान समय में सेना के क्षेत्र में महिलाएँ भी बढ़-चढ़कर भाग लेती हैं। यह पूरी तरह उचित है, क्योंकि आज के समय में महिलाएँ प्रत्येक क्षेत्र में सक्षम बनना चाहती हैं। वहीं सेना के कार्यक्षेत्र में महिलाओं का आगे आना एक सराहनीय कार्य है। महिलाओं के अंदर मानवीय भावना, दया, सहनशीलता, करुणा आदि कूट-कूट कर भरी होती है। हर किसी परिस्थिति को महिलाएँ आराम से काबू पाने में सक्षम होती हैं। इसके अतिरिक्त आर्थिक रूप से सक्षमता के लिए भी कार्य करने में अति उत्तम हैं।.

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते पाठ का सार

लोग देखकर भी नहीं देखते

लेखिका जब डेढ़ वर्ष की थीं, तभी उनकी देखने और सुनने की शक्ति खो गई थी। उनकी प्रिय सहेली कुछ समय पहले जंगल की सैर करके वापस आई थी। लेखिका ने अपनी सहेली से पूछा तुमने जंगल में क्या देखा? सहेली ने उत्तर दिया कुछ खास नहीं देखा ।

लेखिका इस उत्तर को सुनकर आश्चर्यचकित नहीं हुई, क्योंकि वे इस प्रकार के उत्तर सुनने की आदी हो चुकी थीं। उन्हें विश्वास था कि जिन लोगों की आँखें होती हैं, वे बहुत कम देखते हैं। लेखिका सोचती थीं कि ऐसा कैसे संभव है कि कोई भी एक घंटा जंगल में घूमे, लेकिन उसे कुछ भी विशेष तथा रुचिकर चीज नहीं दिखी हो ।

लेखिका द्वारा वस्तुओं को छूकर पहचानना

लेखिका को दिखाई नहीं देता था, परंतु छूकर सैकड़ों रोचक चीजें पहचान लेती थीं। फूलों एवं पंखुड़ियों को छूने में उन्हें अधिक आनंद मिलता था।

वे भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ के पेड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श करके पहचान लेती थीं कि वह कौन सा पेड़ है। उन्हें फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह छूकर और उनकी घुमावदार बनावट महसूस करके बहुत आनंद मिलता था ।

वह झरने के पानी को अपनी अँगुलियों के बीच बहते हुए महसूस करके प्रसन्न हो जाती थीं। उन्हें मैदान में लगी घास मखमली महँगे कालीन से भी अधिक अच्छी लगती थी। वे इसे प्रकृति के जादू का अहसास मानती हैं। लेखिका सोचती कि यदि सिर्फ छूने से ही इतनी खुशी मिलती है, तो उसे देखकर कितना अच्छा लगता होगा।

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अपनी क्षमताओं को साधारण समझना

जिन लोगों के पास देखने के लिए आँखें हैं, वे बहुत कम देखते हैं, जिन व्यक्तियों के पास जो शक्तियाँ (देखने, सुनने, बोलने आदि) हैं, वे उनकी महत्ता नहीं समझते तथा अपनी इन क्षमताओं की कद्र नहीं करते हैं। ऐसे लोग उन चीजों की आशा करते हैं, जो उनके पास नहीं हैं। लेखिका को बहुत दुःख होता कि जो लोग देख सकते हैं, वे बहुत कम देखते हैं। ईश्वर से मिले इस आशीर्वाद के महत्त्व को न समझकर देखने की शक्ति को साधारण समझते हैं। दृष्टि का आशीर्वाद जिंदगी को इंद्रधनुषी रंगों से भर सकता है।

शबदार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते (हेलेन केलर) शबदार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

निबंध से (पृष्ठ संख्या 67)

प्रश्न 1. ‘जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं।’ हेलेन केलर को ऐसा क्यों लगता था ?

उत्तर ‘जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं’, हेलेन केलर को ऐसा इसलिए लगता था, क्योंकि वे स्वयं नेत्रहीन थीं। जिन वस्तुओं को स्पर्श कर वे रोमांचित होती थीं, वे वस्तुएँ उनके मित्रों, (जो देख सकते थे) को साधारण प्रतीत होती थीं।

प्रश्न 2. ‘प्रकृति का जादू’ किसे कहा गया है?

उत्तर ऋतुओं में परिवर्तन, पेड़ की पत्तियों की विभिन्न बनावट, पेड़ों की छाल में विभिन्नता, वसंत के मौसम में स्वतः कलियों का खिलना, फूलों की पंखुड़ियों की घुमावदार बनावट, बागों में मीठे स्वर में गाते पक्षी, कल-कल करते बहते हुए झरने, मुलायम मखमली कालीन के समान फैले घास के मैदानों को ‘प्रकृति का जादू’ कहा गया है।

प्रश्न 3. ‘कुछ खास तो नहीं’- हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस अवसर पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य क्यों नहीं हुआ?

उत्तर हेलेन की मित्र जब जंगल में एक घंटे घूमकर वापस आई तब हेलेन ने पूछा कि तुमने जंगल में क्या देखा? इस प्रश्न के उत्तर में हेलेन की मित्र ने कहा ‘कुछ खास नहीं !

अपनी मित्र के इस उत्तर को सुनकर हेलेन को आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि वे ऐसे उत्तर सुनने की आदी हो चुकी थीं। अकसर लोग ऐसे ही कहते थे कि कुछ खास नहीं देखा।

प्रश्न 4. हेलेन केलर प्रकृति की किन चीज़ों को छूकर और सुनकर पहचान लेती थीं? पाठ के आधार पर इसका उत्तर लिखो ।

उत्तर हेलेन केलर भोज पत्र की चिकनी छाल, चीड़ की पेड़ की खुरदरी

छाल, कलियों और फूलों की बनावट को छूकर पहचान लेती थीं। चिड़िया के मधुर स्वर को सुनकर भी पहचान लेती थी कि कौन-सी चिड़िया बोल रही है।

प्रश्न 5. “जबकि इस नियामत से जिंदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से हरा-भरा किया जा सकता है।”- तुम्हारी नज़र में इसका क्या अर्थ हो सकता है?

उत्तर ईश्वर ने हमें दृष्टि का वरदान दिया है। इन्हीं आँखों से हम दुनिया की सुंदरता को देखते हैं। हर वस्तु विभिन्न रंग की है। प्रकृति की सुंदरता का आनंद आँखों से ही लिया जा सकता है। यदि आखें न होती तो प्रकृति की इस रंग-बिरंगी सुंदरता को देखने से वंचित रह जाते।

निबंध से आगे (पृष्ठ संख्या 68)

प्रश्न 1. आज तुमने अपने घर से आते हुए बारीकी से क्या-क्या देखा-सुना? मित्रों के साथ सामूहिक चर्चा करो।

उत्तर आज सवेरे उठते ही मैंने अपने बगीचे में कुछ पक्षियों की चहचहाहट को सुना। बाहर जाकर देखा एक पक्षियों का झुंड बगीचे में लगे गुलाब के पेड़ों के पास बैठा था। पक्षी हल्के स्लेटी रंग के थे, उनकी चोंच लाल थी घास में से उठाकर कुछ खा रहे थे। मुझे आते देखकर फुर्र से उड़ गए।

तैयार होकर बस स्टॉप तक आया। रास्ते में घर के पास एक बड़ा-सा पेड़ गिरा पड़ा था। कल रात तेज हवाएँ चली थीं। उसी हवा के कारण पेड़ गिर पड़ा था। पेड़ की बहुत-सी टहनियाँ हवा से टूटकर जमीन पर पड़ी थीं, सूखे पत्ते भी बिखरे हुऐ थे। पेड़ सड़क के बीच में गिरा था, इसलिए यातायात में समस्या हो रही थी। लोगों को घूमकर दूसरी ओर से आना पड़ रहा था। कुछ देर में बस आ गई और मैं उसमें बैठकर स्कूल आ गया।

प्रश्न 2.  कान से न सुन पाने पर आस-पास की दुनिया कैसी लगती होगी? इस पर टिप्पणी लिखो और कक्षा में पढ़कर सुनाओ।

उत्तर कान से न सुन पाने के कारण चारों ओर शांति लगती होगी।

घर में परिवार के सदस्यों, मित्रों के होंठ चलते हाथ से इशारे करके कुछ कहते दिखाई देते होंगे, लेकिन क्या कहा जा रहा है समझ नहीं आता होगा। हँसते हुए लोगों को देखकर हँसी किस कारण आई है। यह न समझ आता होगा। सड़क पर भी इशारे करते लोगों को देखकर समझ नहीं आता होगा।

सभी अपनी ही धुन में काम करते हुए दिखाई देते होंगे। अपनी बात समझा पाना बहुत कठिन होता होगा। जीवन बहुत कष्टमय होता होगा।

प्रश्न 3. तुम्हें किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का अवसर मिले जिसे दिखाई न देता हो तो तुम उससे सुनकर, सूँघकर, चखकर, छूकर अनुभव की जाने वाली चीज़ों के संसार के विषय में क्या-क्या प्रश्न कर सकते हो? लिखो ।

उत्तर यदि मुझे ऐसे व्यक्ति से मिलने का अवसर मिले, जिसे दिखाई न देता हो, तो मैं उससे निम्न प्रश्न करूँगा, जिन्हें हम सुनकर, सूँघकर, चखकर, छूकर समझते हैं।

  • आप पक्षी की आवाज़ सुनकर कैसे जान पाते हैं कि वह कौन-सा पक्षी है?
  • क्या आप सूंघकर सुंगध से जान जाते हैं कि कौन-सा फूल है ?
  • क्या आप चखकर बता सकते हैं कि फल पका है या कच्चा ?
  • नरम मुलायम स्वेटर छूकर आपको कैसा महसूस होता है?

प्रश्न 4. हम अपनी पाँचों इंद्रियों में से आँखों का प्रयोग सबसे अधिक करते हैं। ऐसी चीज़ों के अहसासों की तालिका बनाओ, जो तुम बाकी चार इंद्रियों से महसूस करते हो

(सुनकर, चखकर, सूँघकर, छूकर)

उत्तर सुनकर हम कानों के द्वारा ध्वनियों के अंतर को सुन सकते हैं व पहचान सकते हैं; जैसे-गीत सुनकर गायक की पहचान, वाद्य यंत्र की आवाज़ सुनकर वाद्य की पहचान, कोयल की मधुर आवाज़, कौए की कर्कश ध्वनि, कार के हॉर्न की आवाज़ सुनकर सचेत होना, कुकर की सीटी की आवाज़, माँ के बुलाने की आवाज़ आदि सुनकर जान सकते हैं।

चखकर जीभ के द्वारा हम इमली की खटास करेले का कड़वापन, जलेबी की मिठास, आँवले का कसैलापन, दाल में नमक, मिर्च का तीखापन आदि का अहसास कर सकते हैं।

सूँघकर नाक के द्वारा हम पुष्प, इत्र की सुगंध, पेट्रोल की दुर्गंध, किसी वस्तु के जलने की गंध आदि पहचान सकते हैं।

छूकर स्पर्श द्वारा हम चाय का गर्म होना, बर्फ की ठंडक, पत्थर की खुरदराहट, मखमली कपड़े की चिकनाई, गोंद की चिपचिपाहट आदि को पहचान सकते हैं।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 68 व 69)

प्रश्न 1. यदि मुझे इन चीजों को छूने भर से इतनी खुशी मिलती है, तो उनकी सुंदरता देखकर तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा। ऊपर रेखांकित संज्ञाएँ क्रमश: किसी भाव और किसी की विशेषता के बारे में बता रही हैं। ऐसी संज्ञाएँ भाववाचक कहलाती हैं। गुण और भाव के अतिरिक्त भाववाचक संज्ञाओं का संबंध किसी की दशा और किसी कार्य से भी होता है। भाववाचक संज्ञा की पहचान यह है कि इससे जुड़े शब्दों को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं, देख या छू नहीं सकते। आगे लिखी भाववाचक संज्ञाओं को पढ़ो और समझो। इनमें से कुछ शब्द संज्ञा और कुछ क्रिया से बने हैं। उन्हें भी पहचानकर लिखो ।

  • मिठास
  • बुढ़ापा
  • घबराहट
  • शांति बहाव
  • भोलापन फुर्ती
  • ताज़गी
  • क्रोध
  • मज़दूरी
  • अहसास

उत्तर

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते (हेलेन केलर) भाषा की बात

प्रश्न 2. 

  • मैं अब इस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी हूँ।
  • उस बगीचे में आम, अमलतास, सेमल आदि तरह-तरह के पेड़ थे।

ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में रेखांकित शब्द देखने में मिलते- जुलते हैं, पर उनके अर्थ भिन्न हैं। नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिए गए हैं। वाक्य बनाकर उनका अर्थ स्पष्ट करो

  • अवधि – अवधी
  • में – मैं
  • मेल – मैल
  • ओर – और
  • दिन – दीन
  • सिल – शील

उत्तर

  • अवधी – रामचरितमानस की रचना अवधी भाषा में की गई।
  • में – मैं अपना गृहकार्य कर चुका हूँ।
  • मेल – दोनों बहनों में बड़ा मेल है।
  • मैल  – तुम्हारे कान में बहुत मैल है।
  • ओर – सड़क के बाईं ओर चलना चाहिए।
  • और  – मैं और मेरा छोटा भाई एक ही विद्यालय में पढ़ते हैं।
  • दिन  – किसान दिन भर परिश्रम करता है।
  • दीन  – दीन-दुःखी पर दया करो।
  • सिल – फटी कमीज़ सिल दो।
  • शील – अदिति शील स्वभाव की बालिका है।

अनुमान ‘और कल्पना (पृष्ठ संख्या 69 व 70)

प्रश्न 1. गली में क्या-क्या चीजें हैं?

उत्तर चित्र में बनी गली में एक आदमी स्कूटर पर बैठा हुआ जा रहा है। गली के एक ओर कुछ दुकानें हैं। कुछ लोग आते-जाते दिखाई दे रहे हैं। गली के दोनों ओर मकान बने हुए हैं। इन मकानों की बालकनी में कपड़े सूख रहे हैं। गली में चहल-पहल है। कुछ साइकिलें भी खड़ी दिखाई दे रही हैं। लोग आ जा रहे हैं। बिजली के तार नजर आ रहे हैं।

प्रश्न 2. इस गली में हमें कौन-कौन सी आवाजें सुनाई देती होंगी?

  • सुबह के वक्त
  • शाम के वक्त
  • दोपहर के वक्त
  • रात के वक्त

उत्तर

सुबह के वक्त मंदिर तथा मस्जिद के लाउड स्पीकरों की आवाज़, साइकिलों की घंटियाँ, कार तथा स्कूटर के हॉर्न, कुत्तों के भौंकने, दूध वाले, अखबार वालों की आवाजें सुनाई देती होंगी।

दोपहर के वक्त फेरीवालों, कबाड़ी वालों, स्कूल से लौटते बच्चों की बातचीत, वाहनों की आवाजें सुनाई देती होंगी।

शाम के वक्त वाहनों का शोर, बच्चों के खेलने की आवाज़ें, घूमने जाते लोगों की आवाज़ें सुनाई देती होंगी।

रात के वक्त टहलने जाते लोगों की तथा कभी-कभी कुत्तों के भौंकने की आवाजें सुनाई देती होंगी।

प्रश्न 3. अलग-अलग समय में ये गली कैसे बदलती होगी?

उत्तर समय के अनुसार, गली में कभी खूब भीड़-भाड़ और शोरगुल होता होगा। रात होने पर सन्नाटा छा जाता होगा। लोग अपने-अपने घर चले जाते होंगे। गली बिल्कुल खाली हो जाती होगी। एक-आध लोग तथा चौकीदार ही गली में दिखाई देते होंगे।

प्रश्न 4. ये तारें गली को कहाँ-कहाँ से जोड़ती होंगी?

उत्तर ये तारें गली के एक खंबे से दूसरे खंबे तक जुड़ी हुई हैं। ये तार गली को किसी ट्रांसफॉर्मर या दूरदर्शन के टावर से जोड़ते होंगे।

प्रश्न 5. साइकिल वाला कहाँ से आकर कहाँ जा रहा होगा?

उत्तर साइकिल वाला अपनी दुकान या कार्यालय से काम करके वापस अपने घर जा रहा होगा।

सुनना और देखना (पृष्ठ संख्या 70)

प्रश्न 1. एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा निर्मित श्रव्य कार्यक्रम ‘हेलेन केलर’।

उत्तर छात्र स्वयं करेंगे।

प्रश्न 2. सई परांजपे द्वारा निर्देशित फ़ीचर फ़िल्म ‘स्पर्श’।

उत्तर छात्र स्वयं फीचर फिल्म ‘स्पर्श’ देखेंगे।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित

1. ‘जो देखकर भी नहीं देखते’ किस विधा की रचना है?

(क) निबंध
(ख) नाटक
(ग) कहानी
(घ) कविता

उत्तर (क) निबंध

2. इनमें किस पेड़ की छाल चिकनी होती है?

(क) पीपल की
(ख) बरगद की
(ग) चीड़ की
(घ) भोज-पत्रे की

उत्तर (घ) भोज पत्र की

3. लेखिका हेलन केलर चीज़ों को कैसे पहचानती है ?

(क) सूंघकर
(ख) छूकर (स्पर्श)
(ग) दूसरों से उसका वर्णन सुनकर
(घ) देखकर

उत्तर (ख) छूकर (स्पर्श)

4. लेखिका किसके स्वर पर मंत्रमुग्ध हो जाती है?

(क) चिड़िया के
(ख) मोर के
(ग) कोयल के
(घ) मैना के

उत्तर (क) चिड़िया के

5. लेखिका हेलन केलर को किस कार्य में आनंद मिलता है?

(क) प्रकृति को निहारने में
(ख) लोगों से बात करने में
(ग) फूलों की पंखुड़ियों को छूने और उसकी घुमावदार बनावट को कि महसूस करने में
(घ) घर का कार्य करने में

उत्तर (ग) फूलों की पंखुड़ियों को छूने और उसकी घुमावदार बनावट को महसूस करने में

6. इस दुनिया के अधिकांश लोग कैसे हैं?

(क) चतुर
(ख) संवेदनशील
(ग) कर्मवीर
(घ) भावुक

उत्तर (ख) संवेदनशील

7. संवेदनशील लोग किसकी कद्र करना नहीं जानते हैं?

(क) क्षमताओं की
(ख) संवेदनाओं की
(ग) अपनों की
(घ) स्वप्नों की

उत्तर (क) क्षमताओं की

8. ‘द स्टोरी ऑफ माई लाइफ’ नाम से किसकी आत्मकथा प्रकाशित हुई ?

(क) हेलेन मेनका की
(ख) हेलेन प्योरी की
(ग) हेलेन कायरी की उत्तर
(घ) हेलेन केलर की

उत्तर (घ) हेलेन केलर की

9. लेखिका को किस काम में खुशी मिलती है?

(क) बाहर के सभी कार्य करने में
(ख) प्राकृतिक वस्तुओं को स्पर्श करने में
(ग) घर के कार्य करने में
(घ) मित्रों के साथ बातें करने में

उत्तर (ख) प्राकृतिक वस्तुओं को स्पर्श करने में

10. मनुष्य किन चीज़ों के लिए भागता रहता है?

(क) जो उसको चाहिए
(ख) जो घरवालों ने दिया
(ग) जो उसके पास नहीं है
(घ) बाज़ार में आने वाली नई वस्तुओं

उत्तर (ग) जो उसके पास नहीं है।

11. लेखिका किसे ईश्वरीय देन मानती है?

(क) नाक को
(ख) दृष्टि को
(ग) कान को
(घ) मस्तिष्क को

उत्तर (ख) दृष्टि को

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते गद्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

गद्यांश 1

कभी-कभी अपने मित्रों की परीक्षा लेती हूँ, यह परखने के लिए कि वह क्या देखते हैं। हाल ही में मेरी एक प्रिय मित्र जंगल की सैर करने के बाद वापस लौटी। मैंने उनसे पूछा, “आपने क्या-क्या देखा?” “कुछ खास तो नहीं,” उनका जवाब था। मुझे बहुत अचरज नहीं हुआ, क्योंकि मैं अब इस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी हूँ। मेरा विश्वास है कि जिन लोगों की आँखें होती हैं, वे बहुत कम देखते हैं।

1. लेखिका की मित्र कहाँ की सैर करके वापस लौटी थी?

(क) बगीचे की
(ख) जंगल की
(ग) चिड़ियाघर की
(घ) बाजार की

उत्तर (ख) जंगल की

2. लेखिका अकसर किसकी परीक्षा लेती थीं?

(क) माता की
(ख) पिता की
(ग) मित्रों की
(घ) भाई बहन की

उत्तर (ग) मित्रों की

3. मित्र का जवाब सुनकर लेखिका को क्या नहीं हुआ?

(क) चिंता
(ख) घबराहट
(ग) क्रोध
(घ) आश्चर्य

उत्तर (घ) आश्चर्य

4. लेखिका अपने मित्रों की परीक्षा क्यों लेती थीं?

उत्तर लेखिका परखना चाहती थीं कि वह क्या देखते हैं, इसलिए वे अपने मित्रों की परीक्षा लेती थीं।

5. लेखिका की मित्र ने क्या उत्तर दिया?

उत्तर लेखिका की मित्र ने उत्तर दिया ‘कुछ खास तो नहीं।’

6. लेखिका को क्या विश्वास था ?

उत्तर लेखिका को विश्वास था कि जिन लोगों की आँखें होती हैं, वह बहुत कम देखते हैं।

गद्यांश 2

क्या यह संभव है कि भला कोई जंगल में घंटाभर घूम-फिर के भी कोई विशेष चीज न देखे ? मुझे जिसे कुछ भी दिखाई नहीं देता- सैकड़ों रोचक चीजें मिलती हैं, जिन्हें मैं छूकर पहचान लेती हूँ। मैं भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती हूँ। वसंत के दौरान, मैं टहनियों में नई कलियाँ खोजती हूँ। मुझे फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह छूने और उसकी घुमावदार बनावट महसूस करने में अपार आनंद मिलता है।

इस दौरान मुझे प्रकृति के जादू का कुछ अहसास होता है। कभी, जब मैं खुशनसीब होती हूँ, तो टहनी पर हाथ रखते ही किसी चिड़िया के मधुर स्वर कानों में गूँजने लगते हैं। अपनी अँगुलियों के बीच झरने के पानी को बहते हुए महसूस कर मैं आनंदित हो उठती हूँ। मुझे चीड़ की फैली पत्तियाँ या घास का मैदान किसी भी महँगे कालीन से अधिक प्रिय है। बदलते हुए मौसम का समाँ मेरे जीवन में एक नया रंग और खुशियाँ भर जाता है।

1. चीड़ की छाल स्पर्श करने में कैसी महसूस होती है ?

(क) चिकनी
(ख ) खुरदरी
(ग) चिपचिपी
(घ) लिबलिबी

उत्तर (ख) खुरदरी

2. दिए गए गद्यांश में लेखिका के स्वभाव की कौन-सी विशेषता उजागर होती है?

(क) सहयोगी
(ख) आत्मकेंद्रित
(ग) मधुरता
(घ) प्रकृति प्रेमी

उत्तर (घ) प्रकृति प्रेमी

3. ‘घास का मैदान’ लेखिका को किससे अधिक प्रिय लगता था ?

(क) महँगे परदों से
(ख) सस्ते कपड़ों से
(ग) महँगे कालीन
(घ) सस्ते कालीन से

उत्तर (ग) महँगे कालीन से

4. लेखिका स्पर्श करके क्या पहचान लेती थी?

उत्तर लेखिका भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती थी।

5. अपार आनंद लेखिका को कब प्राप्त होता था?

उत्तर वसंत के मौसम में नई कलियों को खोजने, फूलों की मखमली सतह को छूने, उसकी बनावट को महसूस करने में लेखिका को अपार आनंद मिलता था।

6. लेखिका के जीवन में नया रंग कब आता था?

उत्तर लेखिका के जीवन में नया रंग तब आता था, जब मौसम बदलते थे। मौसम के बदलने पर प्रकृति में अनेक परिवर्तन होते हैं। यह बदलाव लेखिका के जीवन में नया रंग भर देता था।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते (हेलेन केलर) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. लेखिका ने जंगल की सैर से वापस आई मित्र से क्या पूछा था ?

उत्तर लेखिका ने जंगल की सैर से वापस आई मित्र से पूछा ‘आपने क्या-क्या देखा’।

2. मित्र का जवाब सुनकर लेखिका को आश्चर्य क्यों नहीं हुआ?

उत्तर लेखिका अब तक ‘कुछ खास तो नहीं’ जैसे जवाब सुनने की आदी हो चुकी थी। इसलिए मित्र का जवाब सुनकर लेखिका को आश्चर्य नहीं हुआ।

3. जिनकी आँखें होती हैं, वे लोग बहुत कम क्यों देखते हैं?

उत्तर लेखिका को विश्वास हो गया था कि जिन लोगों की आँखें होती हैं, वे बहुत कम देखते हैं, क्योंकि वे उसकी महत्ता नहीं समझते हैं।

4. चीड़ की फैली पत्तियाँ या घास के मैदान लेखिका को कैसे लगते हैं?

उत्तर लेखिका को चीड़ की फैली पत्तियाँ या घास का मैदान महँगे कालीन से भी अधिक अच्छे और प्रिय लगते हैं।

5. लेखिका अपने को कब खुशनसीब समझती थीं?

उत्तर किसी टहनी पर हाथ रखते ही यदि किसी चिड़िया के मधुर स्वर गूँजने लगते, तो लेखिका अपने को खुशनसीब समझती थीं।

6. हेलन केलर का मन किस लिए मचल उठता है?

उत्तर हेलन केलर का मन प्राकृतिक वस्तुओं को देखने के लिए मचल उठता है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते लघु उत्तरीय प्रश्न

1. लेखिका चीजों को किस प्रकार पहचान पाती थीं?

उत्तर लेखिका दृष्टिहीन थीं। जब वे डेढ़ वर्ष की थीं, तो किसी बीमारी के कारण उनकी आँखों की रोशनी चली गई। फिर भी वे चीज़ों को सुनकर और सूंघकर पहचान लेती थीं। वे भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ के पेड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श करके पहचान लेती थीं कि वह कौन सा पेड़ है।

2. लेखिका अपने मित्रों की परीक्षा कब लेती थीं?

उत्तर लेखिका का कोई भी मित्र जब जंगल की सैर करके वापस लौटती है तो लेखिका उसकी परीक्षा लेती थीं, जिससे वह उन्हें परख सके। किंतु लेखिका के पूछने पर कि तुमने जंगल में क्या-क्या देखा इस प्रश्न का उत्तर वह कुछ खास नहीं कहकर देती है।

3. लेखिका के अनुसार, मनुष्य किसकी आस लगाए रहता है?

उत्तर लेखिका का कहना था कि मनुष्य के पास सुनने, देखने, बोलने आदि की जो शक्तियाँ हैं वह उनका महत्त्व नहीं जान पाता तथा अपनी क्षमताओं की कभी कद्र नहीं करता है। अपनी क्षमताओं का महत्त्व नहीं जानता है, किन्तु जो उसके पास नहीं है, वह उसकी आस लगाए रहता है।

4. लेखिका ने दृष्टि का आशीर्वाद किसे कहा है?

उत्तर लेखिका ने दृष्टि का आशीर्वाद दृश्य शक्ति वाली शक्ति को कहा है।

ईश्वर से हमें कई शक्तियाँ आशीर्वाद के रूप में मिली हैं, जिनमें दृश्य शक्ति प्रमुख है, इसी शक्ति से मनुष्य संसार की वस्तुओं को देखता है। तथा उनके रूप-रंग, आकार प्रकार से परिचित होता है।

5. लेखिका को आश्चर्य क्यों हो रहा है?

उत्तर लेखिका को अपनी सहेली पर आश्चर्य होता है, क्योंकि वह आँखों से भी वो नहीं देख पाती है, जो मैं बिना आँखों के देख लेती हूँ। जब उनकी सहेली कहती है कि उसने जंगल में कुछ खास नहीं देखा तो लेखिका आश्चर्य से मन में सोचती है कि व्यक्ति अपनी शक्तियों और क्षमताओं का सही उपयोग नहीं कर रहे हैं।

6. इस कहानी से आपको क्या सीख मिलती है?

उत्तर इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अपने दिल में प्यार की भावना होनी चाहिए और चीजों को देखने का नजरिया बदलना चाहिए। हमें जो भी मिला है उसका हमें आदर करना चाहिए। अपनी क्षमताओं के लिए ईश्वर को शुक्रिया अदा करना चाहिए। यदि आप लोभ के कारण अपने पास उपस्थित वस्तु का महत्त्व नहीं समझते हैं, तो यह उचित नहीं है। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए और थोड़े में ही संतुष्ट होना चाहिए।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. साधारण मनुष्य तथा लेखिका के प्राकृतिक वस्तुओं को देखने के दृष्टिकोण में आपके विचार से क्या अंतर प्रतीत होता है और क्यों?

उत्तर साधारण मनुष्य दृश्य शक्ति के महत्त्व को नहीं समझते। वे दृश्य शक्ति को सामान्य मानते हैं, इसलिए वे प्रकृति की सुंदरता को भली-भाँति नहीं देखते हैं। लेखिका दृष्टिहीन हैं। अतः वह प्राकृतिक वस्तुओं को छूकर पहचानती हैं। वस्तुओं की विभिन्न बनावट को महसूस करती हैं। प्रकृति की सुंदरता वे देख नहीं पातीं, परंतु उस करके प्रसन्न होती हैं।

2. दृष्टि के आशीर्वाद से जिंदगी में किस प्रकार रंग भरे जा सकते हैं?

उत्तर मनुष्य को ईश्वर प्रदत्त दृष्टि के आशीर्वाद का महत्त्व समझना चाहिए। प्रकृति के सौंदर्य को देखना, समझना और अनुभव करना चाहिए। समुद्र का नीला रंग, कल-कल, छल-छल की मधुर आवाज़ करती नदियाँ, पेड़ों की नरम पत्तियाँ कली की कोमलता, कली का धीरे-धीरे खिलना आदि देख मनुष्य को मुग्ध होना चाहिए। इस प्रकृति में हर रंग का अपना अलग महत्त्व है। उसका आनंद लेना चाहिए। यदि मनुष्य प्रकृति के कण-कण में आनंद लें, तो जिंदगी प्रसन्नता से भरपूर और इंद्रधनुष के समान सतरंगी हो सकती है।

3. यदि आपको सड़क पार करता नेत्रहीन व्यक्ति मिले, तो आपक्या करेंगे?

उत्तर यदि कभी मुझे सड़क पर कोई नेत्रहीन व्यक्ति मिले, जो सड़क पार कर रहा हो, तो मैं तुरंत उसका हाथ पकड़कर सावधानीपूर्वक उसे सड़क पार करा दूंगा। उससे पूछूंगा कि उन्हें कहाँ जाना है? यदि संभव हुआ, तो गंतव्य स्थान तक हाथ पकड़कर पहुँचा भी दूंगा। नेत्रहीन व्यक्ति को हमारी हमदर्दी नहीं वरन् सहायता की आवश्यकता होती है। हमारी की गई सहायता से नेत्रहीन का जीवन सरल हो सकता है।

4. किसी विकलांग व्यक्ति को देखकर आपके मन में क्या विचार आते हैं?

उत्तर जब मैं किसी भी विकलांग (नेत्रहीन, गूंगे, हाथ-पैर से असमर्थ )

व्यक्ति को देखता हूँ, तो सोचता हूँ यह व्यक्ति जन्म से ही विकलांग है या बाद में किसी कारणवश हो गया है। मैं सोचता हूँ, यह व्यक्ति कितना साहसी है, जिसने अपनी विकलांगता के कारण जीवन से हार नहीं मानी है। बस साहस से सामना कर रहा है। इस परिश्रमी व्यक्ति को कोई भी बाधा रोक नहीं सकेगी। अपने लक्ष्य तक अवश्य पहुँच जाएगा। पोलियो जैसे रोगों के विषय में समाज में सजगता लाना कितना आवश्यक है, यह भी सोचता हूँ। व्यक्ति के आत्मविश्वास और धैर्य देखकर मन प्रसन्न भी होता है।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 10 संसार पुस्तक है Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 10 संसार पुस्तक है Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 10 संसार पुस्तक है पाठ का सार

नेहरू जी द्वारा अपनी पुत्री इंदिरा गाँधी को पत्र

जवाहरलाल नेहरू ने इंदिरा को अनेक पत्र लिखे थे। इन पत्रों को ‘चिल्ड्रन बुक ऑफ ट्रस्ट’ ने ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम से प्रकाशित किए। इनमें से एक पत्र यह हिंदी में अनुवादित है।

नेहरू जी इलाहाबाद में थे और उनकी दस वर्षीय बेटी इंदिरा गांधी मसूरी में रहती थी। वे पत्रों द्वारा अपनी बेटी को दुनिया और छोटे देशों के बारे में जानकारी देना चाहते थे।

वे अपनी बेटी से कहते हैं कि इंग्लैंड एक छोटा-सा टापू है तथा हिंदुस्तान एक बहुत बड़ा देश है, फिर भी हिंदुस्तान दुनिया का एक छोटा-सा हिस्सा है। तुम्हें दुनिया के बारे में जानने के लिए सभी देशों और उन देशों में बसी विभिन्न जातियों का ध्यान रखना होगा। इसमें रहने वाले सभी लोग भाई-बहन हैं।

धरती का इतिहास

यह धरती लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी है। एक समय था जब धरती बहुत गर्म थी और इस पर कोई भी जीवित नहीं रह सकता था। जैसे-जैसे धरती ठंडी होती गई, उसके बाद धीरे-धीरे पेड़-पौधे उगे जानवर आए और सबसे बाद में मनुष्य धरती पर आया। आज यह धरती मनुष्य और जानवरों से भरी हुई है। इस समय में उस समय की धरती की कल्पना करना बेहद मुश्किल है, जब धरती पर कुछ न था ।

प्रकृति द्वारा ज्ञानार्जन

इतिहास को किताबों में पढ़ा जा सकता है, परंतु पुराने जमाने में जब मनुष्य नहीं था, तब किताबें कौन लिखता? हम अपने आप ही कुछ भी सोच सकते हैं। पुराने जमाने में लिखी गई किताबें न होने पर भी कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनसे हमें उतनी ही जानकारी प्राप्त होती है, जितनी किसी किताब से होती है; जैसे-पहाड़, समुद्र, सितारे, नदियाँ, जंगल, जानवरों की हड्डियों आदि से पुरानी दुनिया के बारे में पता चल सकता है।

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इसके लिए संसाररूपी पुस्तक को पढ़ना आवश्यक होगा। संसाररूपी पुस्तक को पढ़ने के लिए पत्थरों और पहाड़ों को पढ़ना चाहिए। जिस प्रकार हम कोई भाषा हिंदी, उर्दू या अंग्रेज़ी सीखने के लिए ‘अक्षर’ ज्ञान प्राप्त करते हैं, उसी प्रकार प्रकृति को समझने के लिए हम पत्थरों और चट्टानों से ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

चिकने पत्थर की कहानी

नेहरू जी एक उदाहरण देकर समझाते हैं कि एक छोटा-सा रोड़ा (पत्थर) भी अपने बारे में बहुत कुछ बताता है। वह पत्थर चिकना और चमकीला कैसे हो गया, सब जानकारी मिलती है। वह बताता है कि वह पहले चट्टान का टुकड़ा था और उसका कोना नुकीला खुरदरा था।

काफी समय तक वह पत्थर पहाड़ के दामन में पड़ा रहा, फिर पानी ने उसे बहाकर घाटी तक पहुँचा दिया। तब पहाड़ी नाले ने धकेलकर छोटी दरिया तक पहुँचाया। पत्थर लुढ़कता रहा, उसके किनारे घिस गए और वह पत्थर चिकना और चमकदार हो गया। अंत में वह रेत में बदल गया और समुद्र के किनारे जम गया। यदि छोटा-सा पत्थर इतनी जानकारी दे सकता है, तो पहाड़ों और अन्य चीज़ों से हमें कई बातें पता चल सकती हैं।

शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 10 संसार पुस्तक है Question And Answers शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 10 संसार पुस्तक है पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-3 के प्रश्नोत्तर

पत्र से (पृष्ठ संख्या 76)

प्रश्न 1. लेखक ने ‘प्रकृति के अक्षर’ किसे कहा है?

उत्तर लेखक ने प्रकृति की विविध वस्तुओं को प्रकृति के अक्षर कहा है; जैसे- पत्थर, पहाड़, नदी, वृक्ष, मैदान आदि सभी प्रकृति के अक्षर हैं। इन वस्तुओं को समझने, परखने से ही विभिन्न प्रकार का ज्ञान प्राप्त होता है।

प्रश्न 2. लाखों-करोड़ों वर्ष पहले धरती कैसी थी ?

उत्तर लाखों-करोड़ों वर्ष पहले यह धरती बहुत गर्म थी। इस धरती पर तब न जानवर थे, न ही कोई मनुष्य रहता था। धरती की गर्मी के कारण यहाँ कोई भी जानवर या प्राणी नहीं रह सकता था।

प्रश्न 3. दुनिया का पुराना हाल किन चीज़ों से जाना जाता है? कुछ चीज़ों के नाम लिखो ।

उत्तर दुनिया का पुराना हाल पहाड़, समुद्र, सितारे, नदियाँ, जंगल, जानवरों की पुरानी हड्डियों आदि से जाना जा सकता है।

प्रश्न 4. गोल चमकीला रोड़ा अपनी क्या कहानी बताता है?

उत्तर गोल चमकीला रोड़ा बताता है कि वह बहुत पहले एक चट्टान का खुरदरा टुकड़ा था और उसमें किनारे और कोने थे। वह एक पहाड़ के दामन में पड़ा रहा, फिर पानी ने उसे छोटी घाटी में पहुँचा दिया। वहाँ से पहाड़ी नाले में बहता हुआ दरिया में पहुँच गया। पानी के साथ लुढ़कता – लुढ़कता नुकीला और खुरदरा पत्थर गोल और चमकीला हो गया।

प्रश्न 5. गोल- चमकीले रोड़े को यदि दरिया और आगे ले जाता तो क्या होता? विस्तार से उत्तर लिखो।

उत्तर पानी में या छोटी दरिया में गोल चमकीला रोड़ा आगे जाता, तो वह छोटा होते-होते बालू का कण बन जाता और अन्य रेत के कणों में मिलकर समुद्र का किनारा बनता। बच्चे उस पर खेल-खेल में घरौंदे बनाते।

प्रश्न 6. नेहरू जी ने इस बात का हलका सा संकेत दिया है कि दुनिया कैसे शुरू हुई होगी। उन्होंने क्या बताया है? पाठ के आधार पर लिखो ।

उत्तर नेहरू जी ने बताया कि लाखों-करोड़ों वर्ष पहले धरती बहुत गर्म थी। उस पर कोई भी जानवर या प्राणी नहीं रह सकते थे। धरती धीरे-धीरे ठंडी होती गई, तब वनस्पतियाँ पैदा हुईं, फिर छोटे-छोटे जीव-जंतु और मनुष्य पैदा हुए। इस प्रकार दुनिया की शुरुआत हुई होगी।

पत्र से आगे (पृष्ठ संख्या 76)

प्रश्न 1. लगभग सभी जगह दुनिया की शुरुआत को समझाती हुई कहानियाँ प्रचलित हैं। तुम्हारे यहाँ कौन-सी कहानी प्रचलित है?

उत्तर हमारे यहाँ दुनिया की शुरुआत की यह कहानी प्रचलित है कि एक बार पृथ्वी पर प्रलय आ गई थी, चारों ओर पानी ही पानी था, कुछ भी शेष न बचा था। मनुष्य, जीव-जंतु, वनस्पति सब उसमें जलमग्न हो गए थे। केवल हिमालय की तलहटी में यज्ञ कर रहे ऋषि मनु ही बचे थे। एक गंधर्व कन्या सतरूपा जलमग्न पृथ्वी को निहार रही थी। तभी उसे यज्ञ का धुआँ उठता नज़र आया। धुआँ देखकर सतरूपा ने विचार किया कि जब धुआं उठ रहा है, तो अवश्य ही पृथ्वी पर कोई जीवित बचा है।

सतरूपा हिमालय में ऋषि मनु के पास आई। ऋषि ने आने का कारण पूछा। फिर सतरूपा दुःखी ऋषि मनु को छोड़ वापस नहीं गई। मनु और सतरूपा से जन्मे बच्चे ही ‘मनुज’ कहलाए। इस प्रकार नई दुनिया की शुरुआत हुई।

प्रश्न 2. तुम्हारी पसंदीदा पुस्तक कौन-सी है और क्यों?

उत्तर मेरी पसंदीदा पुस्तक ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ है। यह पुस्तक जवाहरलाल नेहरू द्वारा इंदिरा को लिखे पत्रों का संकलन है। इस पुस्तक से पूरे संसार की उत्पत्ति कैसे हुई, इसकी जानकारी बड़े ही रोचक रूप में मिलती है।

प्रश्न 3. मसूरी और इलाहाबाद भारत के किन प्रांतों के शहर हैं?

उत्तर मसूरी उत्तराखंड प्रति का शहर है और इलाहाबाद उत्तर प्रदेश प्रांत का शहर है।

प्रश्न 4. तुम जानते हो कि दो पत्थरों को रगड़कर आदिमानव ने आग की खोज की थी। उस युग में पत्थरों का और क्या-क्या उपयोग होता था?

उत्तर आदिमानव पत्थरों को औजारों तथा हथियार के रूप में प्रयोग करते थे। इन हथियारों का प्रयोग वे अपनी रक्षा के लिए करते थे। जानवरों का शिकार करने, जानवरों को भगाने के लिए आदिमानव पत्थरों के औजारों का प्रयोग हथियार के रूप में करते थे। बड़े पत्थर से छोटा पत्थर तोड़ने, मांस काटने, छाल छीलने, जमीन को खोदने का काम करते थे।

अनुमान और कल्पना ( पृष्ठ संख्या 76)

हर चीज के निर्माण की एक कहानी होती है; जैसे- मकान के निर्माण की कहानी, कुर्सी, गद्दे, रजाई के निर्माण की कहानी हो सकती है। इस तरह वायुयान, साइकिल अथवा अन्य किसी यंत्र के निर्माण की कहानी भी होती है। कल्पना करो यदि रसगुल्ला अपने निर्माण की कहानी सुनाने लगे कि वह पहले दूध था, उसे दूध से छेना बनाया गया, उसे गोल आकार दिया गया। चीनी की चाशनी में डालकर पकाया गया, फिर उसका नाम पड़ा रसगुल्ला ।

तुम भी किसी चीज़ के निर्माण की कहानी लिख सकते हो इसके लिए तुम्हें अनुमान और कल्पना के साथ उस चीज़ के बारे में कुछ जानकारी भी एकत्र करनी होगी। उत्तर छात्र स्वयं करें।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 77)

प्रश्न 1. ‘इस बीच वह दरिया में लुढ़कता रहा।’ नीचे लिखी क्रियाएँ पढ़ो। क्या इनमें और ‘लुढ़कना’ में तुम्हें कोई समानता नजर आती है?

(ढकेलना, गिरना, खिसकना)

इन चारों क्रियाओं का अंतर समझाने के लिए इनसे वाक्य बनाओ।

उत्तर

  • लुढ़कना मैं सीढ़ियों से लुढ़कता लुढ़कता नीचे आ गिरा।
  • गिरना पुस्तक मेज से नीचे गिर गई।
  • ढकेलना पंक्ति में आ रहे श्रद्धालुओं को पीछे से किसी ढकेला ।
  • खिसकना बालक ने अभी-अभी खिसकना सीखा है।

प्रश्न 2. चमकीला रोड़ा यहाँ रेखांकित विशेषण ‘चमक’ संज्ञा में ‘ईला’ प्रत्यय जोड़ने पर बना है। निम्नलिखित शब्दों में यही प्रत्यय जोड़कर विशेषण बनाओ और इनके साथ उपयुक्त संज्ञाएँ लिखो

  • पत्थर ________
  • रस ___________
  • काँटा _________
  • जहर _________

उत्तर

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 10 संसार पुस्तक है Question And Answers भाषा की बात

प्रश्न 3. ‘जब तुम मेरे साथ रहती हो, तो अकसर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो।’

यह वाक्य दो वाक्यों को मिलाकर बना है। इन दोनों वाक्यों को जोड़ने का काम जब तो (तब ) कर रहे हैं, इसलिए इन्हें योजक कहते हैं। योजक के रूप में कभी कोई बदलाव नहीं आता, इसलिए ये अव्यय का एक प्रकार होते हैं। नीचे वाक्यों को जोड़ने वाले कुछ और अव्यय दिए गए हैं। उन्हें रिक्त स्थानों में लिखो। इन शब्दों से तुम भी एक-एक वाक्य बनाओ

(क) कृष्णन फिल्म देखना चाहता है, _____________ ‘मैं मेले में जाना चाहती हूँ।

(ख) मुनिया ने सपना देखा _____________ ‘वह चंद्रमा पर बैठी है। ____________

(ग) छुट्टियों में हम सब ________________ तो दुर्गापुर जाएँगे __________ जालंधर

(घ) सब्जी कटवाकर रखना __________ घर आते ही मैं खाना बना लूँ।

(ङ) _____________ मुझे पता होता कि शमीना बुरा मान जाएगी, मैं यह बात न कहती।

(च) इस वर्ष फसल अच्छी नहीं हुई है ______________ अनाज महँगा है।

(छ) विमल जर्मन सीख रहा है ___________ फ्रेंच

(बल्कि / इसलिए / परंतु / कि/ यदि/तो/न कि/या/ताकि)

उत्तर

(क) कृष्णन फिल्म देखना चाहता है, परंतु मैं मेले में जाना चाहती हूँ।
(ख) मुनिया ने सपना देखा कि वह चंद्रमा पर बैठी है।
(ग) छुट्टियों में हम सब या तो दुर्गापुर जाएँगे या जालंधर ।
(घ) सब्जी कटवाकर रखना ताकि घर आते ही मैं खाना बना लूँ।
(ङ) यदि मुझे पता होता कि शमीना बुरा मान जाएगी, तो मैं यह बात न कहती।
(च) इस वर्ष फसल अच्छी नहीं हुई है इसलिए अनाज महँगा है।
(छ) विमल जर्मन सीख रहा है न कि फ्रेंच ।

उपरोक्त शब्दों का वाक्यों में प्रयोग

  • बल्कि मैं घूम नहीं रहा था, बल्कि तुम्हारे लौटने की प्रतीक्षा कर रहा था।
  • इसलिए मुझे खेलने जाना था इसलिए गृहकार्य जल्दी कर लिया।
  • परंतु बादल छाए परंतु वर्षा नहीं हुई।
  • कि माँ ने कहा कि जल्दी घर आना ।
  • यदि, तो यदि तुम आओगे तो मैं भी चलूँगा।
  • न कि मैं नीली फ्रॉक पहनकर घूमने जाऊँगी न कि पीली फ्रॉक
  • या तुम्हें इडली पसंद है या ढोसा?
  • ताकि गृहकार्य समाप्त कर लो ताकि घूमने जा सको।

कुछ करने को (पृष्ठ संख्या 78)

पास के शहर में कोई संग्रहालय हो तो वहाँ जाकर पुरानी चीजें देखो। अपनी कक्षा में उस पर चर्चा करो।

उत्तर छात्र अपने माता-पिता के साथ किसी संग्रहालय जाएँ। वहाँ पुरानी चीज़ों को देखें और कक्षा में चर्चा करें।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 10 संसार पुस्तक है बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्म प्रश्नों सहित)

1. “संसार पुस्तक है” पाठ के लेखक कौन हैं?

(क) पं. जवाहरलाल नहेरू
(ख) कृष्णा सोबती
(घ) प्रेमचंद
(ग) विनय महाजन

उत्तर (क) पं. जवाहरलाल नहेरू

2. नेहरू जी ने यह पत्र किसे लिखा था ?

(क) भारत के साहित्यकारों को
(ख) भारत के बच्चों को
(ग) धार्मिक नेताओं को
(घ) अपनी पुत्री इंदिरा को

उत्तर (घ) अपनी पुत्री इंदिरा को

3. लेखक के पत्रों का संकलन किस नाम से है?

(क) पिता का पत्र पुत्री के नाम
(ख) भारत एक खोज
(ग) संसार एक पुस्तक है।
(घ) संसार एक रंग-मंच

उत्तर (क) पिता का पत्र पुत्री के नाम

4. लेखक ने प्रकृति के अक्षर किसे कहा है?

(क) पक्षियों और पेड़ों को
(ख) पहाड़ों को
(ग) नदी और मैदानों को
(घ) ये सभी

उत्तर (घ) ये सभी

5. विभिन्न देशों के बीते हुए समय की जानकारी हम किस विषय में पढ़ते हैं?

(क) विज्ञान
(ख) इतिहास
(ग) भूगोल
(घ) मनोविज्ञान

उत्तर (ख) इतिहास

6. दुनिया का हाल जानने के लिए किस बात का ध्यान रखना पड़ेगा?

(क) सभी निवास किस शहर व राज्य के हैं।
(ख) सभी की दोस्ती प्रेम भाव की है।
(ग) सभी किस जगह पर रहते हैं।
(घ) दुनिया के सभी देशों व उसमें बसी सभी जातियों का

उत्तर (घ) दुनिया के सभी देशों व उसमें बसी सभी जातियों का

7. एक रोड़ा दरिया में लुढ़कता लुढ़कता किस रूप में बदल जाता है?

(क) रेत के कण में
(ग) बारूद में
(ख) कंकड़ में
(घ) ईंट में

उत्तर (क) रेत के कण में

8. गोल, चमकदार और चिकना क्या हो गया था ?

(क) रेगिस्तान
(ख) रोड़ा
(ग) मरुस्थल
(घ) बड़ा टापू

उत्तर (ख) रोड़ा

9. लेखक की पुत्री कहाँ रहती थी ?

(क) शिमला
(ख) मनाली
(ग) हिमाचल
(घ) मसूरी

उत्तर (घ) मसूरी

10. लाखों, करोड़ों वर्ष क्या पुरानी है?

(क) धरती
(ख) आकाश
(ग) जल
(घ) गृह

उत्तर (क) धरती

11. नेहरू जी दुनिया के बारे में अपनी पुत्री को कैसे बताते थे?

(क) टेलीग्राम से
(ख) फोन से
(ग) पत्र से
(घ) ईमेल से

उत्तर (ग) पत्र से

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 10 संसार पुस्तक है गद्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

गद्यांश 1

जब तुम मेरे साथ रहती हो, तो अकसर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो और मैं उनका जवाब देने की कोशिश करता हूँ, लेकिन अब, जब तुम मसूरी में हो और मैं इलाहाबाद में, हम दोनों उस तरह बातचीत नहीं कर सकते, इसलिए मैंने इरादा किया है कि कभी-कभी तुम्हें इस दुनिया की और उन छोटे-बड़े देशों की जो इस दुनिया में हैं, छोटी-छोटी कथाएँ लिखा करूँ।

तुमने हिंदुस्तान और इंग्लैंड का कुछ हाल इतिहास में पढ़ा है, लेकिन इंग्लैंड केवल एक छोटा-सा टापू है और हिंदुस्तान, जो एक बहुत बड़ा देश हैं, फिर भी दुनिया का एक छोटा सा हिस्सा है। अगर तुम्हें इस दुनिया का कुछ हाल जानने का शौक है, तो तुम्हें सब देशों का और उन सब जातियों का जो इसमें बसी हुई हैं, ध्यान रखना पड़ेगा, केवल उस एक छोटे से देश का नहीं, जिसमें तुम पैदा हुई हो।

1. लेखक कहाँ रहते हैं?

(क) मसूरी
(ख) इलाहाबाद
(ग) दिल्ली
(घ) लाहौर

उत्तर (ख) इलाहाबाद

2. लेखक ने इंग्लैंड को क्या कहा है?

(क) छोटा देश
(ख) देश
(ग) छोटा टापू
(घ) पहाड़

उत्तर (ग) छोटा टापू

3. हिंदुस्तान कैसा देश है?

(क) साधारण देश
(ख) असाधारण देश
(ग) बहुत छोटा
(घ) बहुत बड़ा

उत्तर (घ) बहुत बड़ा

4. इस गद्यांश में कौन किससे संवाद कर रहा है?

उत्तर इस गद्यांश में जवाहरलाल नेहरू जी अपनी पुत्री इंदिरा को पत्र द्वारा जानकारी दे रहे हैं।

5. हिंदुस्तान और इंग्लैंड कैसे देश हैं?

उत्तर लेखक ने बताया कि हिंदुस्तान एक बहुत बड़ा देश है। बड़ा देश होने पर भी दुनिया का छोटा-सा हिस्सा है। इंग्लैंड एक छोटा-सा टापू है।

6. नेहरू जी ने पत्र द्वारा इंदिरा को क्या सलाह दी ?

उत्तर नेहरू जी ने पत्र द्वारा इंदिरा को सलाह दी कि यदि तुम्हें दुनिया का हाल जानना है, तो यहाँ बसी सभी जातियों के विषय में जानना होगा।

गद्यांश 2

कोई जबान, उर्दू, हिंदी या अंग्रेजी सीखने के लिए तुम्हें उसके अक्षर सीखने होते हैं। इसी तरह पहले तुम्हें प्रकृति के अक्षर पढ़ने पड़ेंगे, तभी तुम उसकी कहानी उसके पत्थरों और चट्टानों की किताब से पढ़ सकोगी। शायद अब भी तुम उसे थोड़ा-थोड़ा पढ़ना जानती हो, जब तुम कोई छोटा-सा गोल चमकीला रोड़ा देखती हो, तो क्या वह तुम्हें कुछ नहीं बतलाता ? यह कैसे गोल, चिकना और चमकीला हो गया और उसके खुरदरे किनारे या कोने क्या हुए?

1. भाषा सीखने के लिए सबसे पहले क्या सीखा जाता है?

(क) वाक्य
(ख) व्याकरण
(ग) अक्षर
(घ) वर्णमाला

उत्तर (ग) अक्षर

2. चट्टान का टुकड़ा धीरे-धीरे लुढ़कने से किन रूप-रंग में परिवर्तित हो गया?

(क) खुरदरा, चिकना, गोल
(ख) गोल, चिकना, चमकीला
(ग) चिकना, चमकीला, चौकोर
(घ) गोल, नुकीला, चमकीला

उत्तर (ख) गोल, चिकना, चमकीला

3. इस गद्यांश में आया विदेशी शब्द कौन-सा है?

(क) अक्षर
(ख) रोड़ा
(ग) जबान
(घ) प्रकृति

उत्तर (ग) जबान

4. किसी भाषा के सीखने के लिए क्या आवश्यक है?

उत्तर किसी भाषा को सीखने के लिए उसके अक्षर सीखने आवश्यक हैं।

5. दुनिया का हाल जानने के लिए क्या पढ़ना होगा?

उत्तर दुनिया का हाल जानने के लिए प्रकृति के अक्षर पढ़ने होंगे।

6. चमकीला रोड़ा देखकर क्या पता चलता है?

उत्तर गोल, चमकीला रोड़ा देखकर पता चलता है कि उसका वास्तविक रूप कुछ और ही था। वह रोड़ा पहले चट्टान का खुरदरा व नुकीला टुकड़ा था। धीरे-धीरे उसका रूप बदलता गया ।

गद्यांश 3

अगर तुम किसी बड़ी चट्टान को तोड़कर टुकड़े-टुकड़े कर डालो, तो हर एक टुकड़ा खुरदरा और नुकीला होगा। यह गोल चिकने रोड़े की तरह बिल्कुल नहीं होता। फिर यह रोड़ा कैसे इतना चमकीला, चिकना और गोल हो गया? अगर तुम्हारी आँखें देखें और कान सुनें, तो तुम उसी के मुँह से उसकी कहानी सुन सकती हो।

वह तुमसे कहेगा कि एक समय, जिसे शायद बहुत दिन गुजरे हों, वह भी एक चट्टान का टुकड़ा था। ठीक उसी टुकड़े की तरह, उसमें किनारे और कोने थे, जिसे तुम बड़ी चट्टान से तोड़ती हो ।

शायद वह किसी पहाड़ के दामन में पड़ा रहा। तब पानी आया और उसे बहाकर छोटी घाटी तक ले गया। वहाँ से एक पहाड़ी नाले ने ढकेलकर उसे एक छोटे से दरिया में पहुँचा दिया। इस छोटे-से दरिया से वह बड़े दरिया में पहुँचा। इस बीच वह दरिया के पेंदे में लुढ़कता रहा, उसके किनारे घिस गए और वह चिकना और चमकदार हो गया। इस तरह वह कंकड़ बना, जो तुम्हारे सामने है।

1. चट्टान से टूटा पत्थर कैसा होता है?

(क) खुरदरा, चिकना
(ख) चिकना, नुकीला
(ग) नुकीला, चमकीला
(घ) खुरदरा, नुकीला

उत्तर (घ) खुरदरा, नुकीला

2. पत्थरों को छोटी घाटी में किसने पहुँचाया?

(क) नदी ने
(ख ) नाले ने
(ग) मनुष्य ने
(घ) पहाड़ ने

उत्तर (ख) नाले ने

3. बड़ी दरिया के किस हिस्से में पत्थर लुढ़कता रहा ?

(क) आगे
(ख) पीछे
(ग) पेंदे में
(घ) चारों ओर

उत्तर (ग) पेंदे में

4. चट्टान से टूटा पत्थर का टुकड़ा कौन होता है?

उत्तर बड़ी चट्टान को यदि टुकड़े कर दिए जाएँ, तो उसका हर टुकड़ा खुरदरा और नुकीला होता है।

5. चट्टान से टूटने के बाद पत्थर का टुकड़ा कहाँ रहा?

उत्तर चट्टान से टूटने के बाद पत्थर का खुरदरा तथा नुकीला टुकड़ा बहुत समय तक पहाड़ के दामन में पड़ा रहा।

6. चिकना, चमकदार गोल पत्थर हमें कैसे मिल जाता है?

उत्तर दरिया अगर चिकने, चमकदार और गोल पत्थर को अपने साथ बहाकर नहीं ले जाती तो वह पत्थर वहीं किनारे पर पड़ा रहता है और हमें मिल जाता है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 10 संसार पुस्तक है अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. ‘संसार पुस्तक है’ किसका संकलन है? यह किस भाषा में रचित है?

उत्तर ‘संसार पुस्तक है’ पत्रों का संकलन है। इसे अंग्रेजी भाषा में जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुत्री इंदिरा को लिखा था।

2. हम इतिहास में क्या पढ़ते हैं?

उत्तर हम इतिहास में विभिन्न देशों में बीते हुए समय की जानकारी पढ़ते हैं, जैसे- हिंदुस्तान व इंग्लैंड का इतिहास |

3. पत्थर हमें अपनी कहानी कैसे बताते हैं?

उत्तर पत्थरों की कहानी उनके ऊपर ही लिखी होती है, क्योंकि प्रकृति के साथ-साथ पत्थरों ने भी पानी के बहाव के साथ अपने आपको बड़े से छोटा बनाया है। यदि हम पत्थरों को पढ़ना व समझना जानते हैं, तो हम उनकी कहानी को जान सकते हैं।

4. पत्रों से क्या बताना संभव है?

उत्तर पत्र में बहुत अधिक नहीं लिखा जा सकता है। अपनी बात को संक्षेप में ही पत्र में लिखना संभव है।

5. पहले धरती पर आदमी क्यों नहीं थे?

उत्तर पहले धरती पर आदमी नहीं थे, क्योंकि पहले यह धरती बहुत गर्म थी। गर्मी के कारण कोई भी प्राणी धरती पर नहीं रह सकता था।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 10 संसार पुस्तक है लघु उत्तरीय प्रश्न

1. नेहरू जी ने अपनी पुत्री इंदिरा को पत्र लिखने का इरादा क्यों किया ?

उत्तर इंदिरा जब अपने पिता नेहरू जी के साथ रहती थी, तो अकसर बहुत तरह की बातें पूछा करती थी। नेहरू जी उनके उत्तर दिया करते थे। अब इंदिरा पढ़ने के लिए छात्रावास में मसूरी में रह रही है और उनके पिताजी इलाहाबाद में हैं। अब बातचीत करना संभव नहीं है, इसलिए नेहरू जी ने इंदिरा को पत्र लिखने का इरादा किया।

2. पहाड़ों, समुद्र, नदियाँ, जंगल, जानवरों की पुरानी हड्डियों तथा इसी तरह की चीजों को गौर से देखने से क्या पता चलता है?

उत्तर यदि हम पहाड़ों, समुद्र, नदियाँ, जंगल, जानवरों की पुरानी हड्डियों को गौर से देखें, तो हमें यह पता चलेगा कि एक समय ऐसा भी था, जब धरती बहुत गर्म थी और उस पर कोई जानवर या प्राणी नहीं रह सकता था। धरती की गर्मी के कारण जानवर और प्राणी का अस्तित्व पूर्णत: असंभव था। इस प्रकार इन चीजों से हमें दुनिया का पुराना हाल पता चलता है।

3. जब किताबें नहीं थीं, तो उस समय का ज्ञान कैसे प्राप्त किया जा सकता है?

उत्तर जब किताबें नहीं थीं, तो उस समय की जानकारी लोग कल्पना के आधार पर कर सकते थे, किंतु वह केवल मनगढ़ंत ही होती। किताबें न होने पर भी हमें दुनिया के विषय में पुरानी जानकारी पहाड़, समुद्र, सितारे, नदियाँ, जंगल, जानवरों की पुरानी हड्डियों आदि से मिल सकती है।

4. लेखक ने छोटे रोड़े को ‘संसार की पुस्तक का छोटा पृष्ठ’ क्यों कहा है?

उत्तर किसी की भी जानकारी प्राप्त करने के लिए मनुष्य पुस्तक का एक-एक पृष्ठ पढ़ता है, जैसे-जैसे वह पृष्ठ पढ़ता है, उसे जानकारी मिलती जाती हैं। इसी प्रकार यदि हम रोड़े को ध्यान से देखें, तो धीरे-धीरे बहुत-सी जानकारी मिलती जाएगी। लेखक ने इसलिए छोटे रोड़े को ‘संसार की पुस्तक का छोटा पृष्ठ’ कहा है।

5. प्रकृति को समझने के लिए क्या आवश्यक है?

उत्तर किसी भी भाषा को सीखने के लिए हम उस भाषा के अक्षर पढ़ना सीखते हैं। अक्षर ही ज्ञान को प्राप्त करने के लिए सबसे छोटी इकाई है। अक्षरों को सीखने के बाद ही मनुष्य भाषा पढ़ना सीखने लगता है। इसी प्रकार प्रकृति को समझने के लिए प्रकृति की प्रत्येक वस्तु को ध्यान से देखकर समझना आवश्यक है, तभी मनुष्य प्रकृति से जानकारी प्राप्त करेगा।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 10 संसार पुस्तक है दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. पत्र में लेखक ने धरती के विषय में क्या जानकारी दी है?

उत्तर पत्र में लेखक ने पुत्री को धरती के विषय में यह बताया है कि लाखों-करोड़ों वर्ष पहले धरती बहुत ही गर्म थी। धरती पर कोई भी जानवर नहीं रहता था, न ही कोई मनुष्य था। धीरे-धीरे धरती की गर्मी कम होती चली गई। बाद में वनस्पति, जानवर तथा अंत में मनुष्य का अस्तित्व हुआ। आज यह धरती हर तरह के जानवरों तथा मनुष्यों से भरी पड़ी है। विभिन्न देशों में विभिन्न प्रजातियों के जीव-जंतु रहते हैं। मनुष्यों में भी जलवायु के अनुरूप रंग-रूप, आकार-प्रकार में विभिन्नता देखने को मिलती है।

2. समुद्र के किनारे बालू के कण कहाँ से आए हैं? बच्चे उससे किस प्रकार मनोरंजन करते हैं?

उत्तर चट्टान का छोटा टुकड़ा, जो नुकीला और बहुत खुरदरा होता है। वह टुकड़ा पहाड़ के दामन, छोटी घाटी, पहाड़ी नाले, छोटी दरिया से बड़ी दरिया में आता है। बड़ी दरिया के पेंदे में लुढ़कते – लुढ़कते पत्थर का टुकड़ा चमकीला और चिकना हो जाता है। यदि इन पत्थरों को दरिया नहीं छोड़ती है, अपने साथ ही बहा ले जाती है, तो और छोटा होता जाता है। छोटा होते-होते अंत में बालू का कण बन जाता है। और समुद्र के किनारे पहुँच जाता है। तब वह कण एकत्रित होकर बालू का किनारा बन जाते हैं। छोटे बच्चे बालू के ढेर में घरौंदे बनाकर मनोरंजन करते हैं। बालू के घरौंदे कुछ ही देर में ढह जाते हैं। बच्चे फिर नए घरौंदे बनाने लगते हैं।

3. ‘संसार पुस्तक है’ पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है, क्या आप उसे अपने जीवन में अपनाना चाहेंगे और क्यों?

उत्तर ‘संसार पुस्तक है’ पाठ एक पत्र है। इस पत्र को नेहरू जी ने छात्रावास में रह रही पुत्री इंदिरा को लिखा था। इस पत्र से हमें शिक्षा मिलती है। कि प्रकृति की एक-एक वस्तु पुस्तक के समान उपयोगी तथा ज्ञानवर्द्धक है। हमें समस्त प्राकृतिक वस्तुओं को बारीकी से परीक्षण करके समझने का प्रयत्न करना चाहिए। इन वस्तुओं के परीक्षण से हमें बहुत कुछ जानकारी मिलेगी। जी हाँ! मैं इस शिक्षा को अपने जीवन में अवश्य अपनाना चाहूँगा । यदि मैं प्रकृति को जानने की कोशिश करूंगा, तो धीरे-धीरे मेरा ज्ञान बढ़ता जाएगा।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 11 मैं सबसे छोटी होऊँ Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 11 मैं सबसे छोटी होऊँ Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 11 मैं सबसे छोटी होऊँ कविता का सार

‘मैं सबसे छोटी होऊँ’ कविता सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित है। यह कविता एक बाल गीत है। इस कविता में एक बालिका घर की सबसे

छोटी संतान बनी रहना चाहती है, जिससे उसे अपनी माँ का प्यार बहुत समय तक मिल सके। बच्चों के लिए माँ का प्यार अनमोल होता है। वह बालिका सबसे छोटी रहकर माँ की गोद में सोना चाहती है । अपनी माँ का आँचल पकड़ कर माँ के साथ रहना चाहती है। वह बड़ी होकर माँ से अलग नहीं होना चाहती है। बालिका को भय है कि उसके बड़े होने पर उसकी माँ साथ में नहीं रहेगी।

छोटी बालिका रहने पर माँ स्वयं अपने हाथों से धूल साफ करती है। हाथ-मुँह धुलाती है। बालिका को अपने हाथों से खाना खिलाती है। बड़े हो जाने पर माँ ऐसा कुछ भी नहीं करेगी। खेलने के लिए खिलौने नहीं देगी, न ही परियों की कहानियाँ सुनाएँगी। बालिका बड़ी होकर माँ का प्यार खोना नहीं चाहती है। वह अपनी माँ के आँचल में स्वयं को निर्भय एवं सुरक्षित महसूस करती है।

काव्यांशों की विस्तृत व्याख्या

काव्यांश 1

मैं सबसे छोटी होऊँ, तेरी गोदी में सोऊँ,
तेरा अंचल पकड़-पकड़कर
फिरूँ सदा माँ ! तेरे साथ, कभी न छोडूं तेरा हाथ !
बड़ा बनाकर पहले हमको तू पीछे छलती है मात !
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे साथ नहीं फिरती दिन-रात !

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शब्दार्थ अंचल-आँचल, साड़ी का किनारा, साड़ी का छोर, छलना-धोखा देना। मात-माता, माँ, सदा हमेशा, फिरती घुमती ।

संदर्भ प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक वसंत भाग-1 में संकलित ‘मैं सबसे छोटी होऊँ’ कविता से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता सुमित्रानंदन पंत हैं।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में बालिका अपनी माँ से सबसे छोटी संतान होने की इच्छा प्रकट करती है, जिससे वह अपनी माँ के साथ अधिक-से-अधिक समय रहकर सुख प्राप्त कर सके।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहता है कि बालिका अपनी माँ क से छोटा ही रहने के लिए कहती है। वह चाहती है कि वह माँ की गोदी में सोए और माँ का आँचल पकड़कर उनके आगे-पीछे घूमती रहे। बालिका अपनी माँ का हाथ कभी भी छोड़ना नहीं चाहती है। बालिका को भय है कि उसकी माँ उसे बड़ा कहकर उसके साथ छल करेगी अर्थात् उसे बड़ा मानकर उसका हाथ पकड़कर नहीं रहेगी। दिन-रात माँ उसका ध्यान नहीं रखेगी। बालिका चाहती है कि उसका बचपन हमेशा बना रहे, जिससे वह हर समय माँ के साथ ही रहे।

विशेष

  1. बालिका द्वारा बाल-मन का स्वाभाविक चित्रण किया गया है।
  2. इन पंक्तियों में सरल और सहज शब्दों का प्रयोग हुआ है।

काव्यांश 2

अपने कर से खिला, धुला मुख,
धूल पोंछ, सज्जित कर गात,
थमा खिलौने, नहीं सुनाती
हमें सुखद परियों की बात!
ऐसी बड़ी न होऊँ मैं
तेरा स्नेह न खोऊँ मैं, तेरे अंचल की छाया
में छिपी रहूँ निस्पृह, निर्भय,
कहूँ दिखा दे चंद्रोदय !

शब्दार्थ कर हाथ, सज्जित करना सजाना, सँवारना, गात शरीर, थमाना-देना, सुखद-सुख देने वाली, निस्पृह इच्छा रहित, निर्भय निडर, चंद्रोदय- चाँद का निकलना।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहता है कि बच्चों के बड़े होने पर माँ बच्चे को अपने से दूर करने लगती है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने माँ के व्यवहार में आए परिवर्तन के विषय में बताते हुए कहा है कि बालिका का कहना है कि मेरे बड़े होने पर मेरी माँ मुझे स्वयं नहला धुला कर तैयार नहीं करेगी। माँ मुझे अपने हाथों से भोजन भी नहीं कराएगी। मेरे हाथ में माँ खिलौने पकड़ाकर मुझे अपने आप से अलग कर देगी।

जिस प्रकार पहले माँ परियों की मनमोहक कहानियाँ सुनाती थीं, वह भी अब नहीं सुनाएँगी। बालिका हर समय अपनी माँ के आँचल में छिपे रहने के कारण अपने बचपन के ही बने रहने की इच्छा करती है और बड़ा नहीं होना चाहती। बालिका माँ के आँचल में अपने को पूर्णतया सुरक्षित महसूस करती है। बालिका की इच्छा है कि वह सदैव अपनी माँ के आँचल में खेलती रहे। अपनी माँ से निडर होकर चंद्रमा का उदय दिखाने की जिद करती रहे।

विशेष

  1. प्रस्तुत पंक्तियों में बाल सुलभ चेष्टाओं का सुंदर वर्णन किया गया है।
  2. कवि ने इन पंक्तियों में कुछ तत्सम शब्दों का प्रयोग किया है; जैसे- सुसज्जित, निर्भय, निस्पृह आदि ।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 11 मैं सबसे छोटी होऊँ पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

कविता से (पृष्ठ संख्या 80)

प्रश्न 1. कविता में सबसे छोटे होने की कल्पना क्यों की गई है?

उत्तर इस कविता में सबसे छोटे होने की कल्पना इसलिए की गई है, जिससे बालिका को अपनी माँ का प्यार तथा सान्निध्य बहुत समय तक मिलता रहे। माँ बालिका को अपने आँचल में रखे तथा खिलौने देती रहे। माँ बालिका को अपने हाथों से खाना भी खिलाती रहे।

प्रश्न 2. कविता में ‘ऐसी बड़ी न होऊँ मैं’ क्यों कहा गया है? क्या तुम भी हमेशा छोटे बने रहना पसंद करोगे?

उत्तर इस कविता में ‘ऐसी बड़ी न होऊँ मैं’ इसलिए कहा गया है, क्योंकि बालिका बड़ी होकर अपनी माँ का प्यार नहीं खोना चाहती है। वह ऐसी बड़ी नहीं होना चाहती कि उसकी माँ उसके साथ रहना कम कर दे। माँ सदा घर के सबसे छोटे बच्चे के साथ अधिक रहती है, क्योंकि उस छोटे बच्चे को ही माँ की देखभाल की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।

हाँ, मैं सदैव छोटे बना रहना पसंद करूंगी, लेकिन माँ के सिखाए जाने पर मैं अपने काम स्वयं करना पसंद करूंगी और आवश्यकता पड़ने पर माँ की सहायता अवश्य लूँगी।

प्रश्न 3. आशय स्पष्ट करो हाथ पकड़ फिर सदा हमारे साथ नहीं फिरती दिन-रात !

उत्तर इन पंक्तियों में बालिका माँ से कहती है कि मेरे बड़े होने पर तुम मुझे नहला-धुलाकर, खाना खिलाकर, खिलौने देकर अकेले खेलने के लिए छोड़ देती हो । अब तुम मेरे साथ हर समय नहीं घूमती-फिरती हो।

प्रश्न 4. अपने छुटपन में बच्चे अपनी माँ के बहुत करीब होते हैं। इस कविता में नजदीकी की कौन-कौन सी स्थितियाँ बताई गई हैं?

उत्तर इस कविता में बच्चे और माँ की नजदीकियों की अनेक स्थितियाँ बताई गई हैं; जैसे—माँ की गोद में सोना, माँ के साथ उनका आँचल पकड़कर घूमना, माँ के द्वारा बच्चे को नहलानी-धुलाना, खाना खिलाना और परियों की कहानियाँ सुनाना आदि ।

कविता से आगे (पृष्ठ संख्या 80)

प्रश्न 1. तुम्हारी माँ तुम लोगों के लिए क्या-क्या काम करती है?

उत्तर मेरी माँ हमारे साथ घूमती-फिरती हैं। खाने-पीने का ध्यान रखती हैं। विद्यालय के गृहकार्य करने में सहायता करती हैं। हमारे हर सुख दुःख का ध्यान रखती हैं। कभी-कभी विद्यालय छोड़ने भी जाती हैं। रात में अच्छी-अच्छी कहानियाँ भी सुनाती हैं।

प्रश्न 2. यह क्यों कहा गया है कि बड़ा बनाकर माँ बच्चे को छलती है ?

उत्तर प्रस्तुत कविता में कवि कहता है कि बड़ा बनाकर माँ बच्चे को छलती है, क्योंकि बच्चे के थोड़ा बड़े हो जाने पर माँ बच्चे को खिलौने देकर बैठा देती है और अपने कामों में लगी रहती है। तब माँ हाथ पकड़कर रात-दिन बच्चे को घुमाती नहीं है। पहले माँ अपने हाथों से बच्चे को नहलाती – धुलाती और खाना खिलाती थी। परियों की कहानियाँ भी सुनाती थी, पर बच्चों को लगता है कि बड़ा हो जाने पर 15 माँ बच्चे को यह कहकर छलती है कि अब तुम बड़े हो गए हो।

प्रश्न 3. उन क्रियाओं को गिनाओ जो इस कविता में माँ अपनी छोटी बच्ची या बच्चे के लिए करती है।

उत्तर माँ अपने छोटे बच्चे या बच्ची को खाना खिलाती है, कपड़े पहनाती है, गोदी में सुलाती है, साथ-साथ घुमाती है, खिलौने देती है और परियों की कहानियाँ सुनाती है।

अनुमान और कल्पना ( पृष्ठ संख्या 80)

प्रश्न 1. इस कविता के अंत में कवि माँ से चंद्रोदय दिखा देने की बात क्या जाने पर कर रहा है? चाँद के उदित होने की कल्पना करो और अपनी कक्षा में बताओ।

उत्तर इस कविता के अंत में कवि माँ से चंद्रोदय दिखा देने की बात इसलिए कर रहा है, क्योंकि चंद्र उदय का दृश्य आकाश में बहुत लुभावना होता है। बचपन से ही माँ बच्चे को चाँद दिखाकर उसका परिचय चंदा मामा के रूप में कराती है। सूर्यास्त होने के बाद आकाश में चारों ओर अंधकार छा जाता है, तब धीरे-धीरे चंद्र उदय होता है। हल्की-हल्की रोशनी आकाश में छाने लगती है। चाँदनी रात बहुत शीतल और सुहानी होती है।

प्रश्न 2. इस कविता को पढ़ने के बाद एक बच्ची और उसकी माँ का चित्र तुम्हारे मन में उभरता है। वह बच्ची और क्या-क्या कहती होगी? क्या-क्या करती होगी? कल्पना करके एक कहानी बनाओ।

उत्तर एक छोटी बच्ची सुबह छः बजे जगी होगी। उठते ही माँ को अपने पास पलंग पर न पाकर ‘माँ-माँ’ आवाज लगाई होगी। माँ रसोई घर के काम में व्यस्त थीं। माँ, बेटी की आवाज़ सुनकर दौड़कर आई होगी । उसे गोद में उठाकर प्यार से दुलारा होगा। बच्ची के हाथ-मुँह धुलवा कर दूध पिलाया होगा। माँ ने कुछ खिलौने देकर बच्ची को खेलने में व्यस्त कर दिया होगा।

कुछ देर में बच्ची का एक खिलौना चल नहीं रहा होगा। बच्ची ने माँ के पास आकर शिकायत की होगी माँ! यह खिलौना अच्छा नहीं है। देखो चलता ही नहीं है। इसे दुकान से बदल लाना। तब माँ ने देखा खिलौने में पड़ी बैटरी पुरानी हो चुकी है। उस बैटरी को माँ ने बदल दिया। बैटरी के बदलते ही खिलौना चल पड़ा होगा। बच्ची फिर से खिलौने खेलने में मस्त हो गई होगी। बच्ची की माँ रसोईघर में जाकर खाना पकाने में व्यस्त हो गई होगी।

प्रश्न 3. माँ अपना एक दिन कैसे गुजारती है? कुछ अवसरों पर उसकी दिनचर्या बदल जाया करती है; जैसे मेहमानों के आ जाने पर, घर में किसी के बीमार पड़ जाने पर या त्योहार के दिन। इन अवसरों पर माँ की दिनचर्या पर क्या फर्क पड़ता है? सोचो और लिखो ।

उत्तर माँ रोज सवेरे उठती हैं। चाय बनाती हैं। दूध गर्म करने के बाद मुझे उठाती हैं। मुझे तैयार करके स्कूल भेजती हैं। खाना पकाती हैं। घर के सब सदस्यों को भोजन कराती हैं। घर की देख-रेख करती हैं। घर की सफाई, साज-सज्जा सब कुछ माँ ही करती हैं।

दोपहर को कुछ देर विश्राम करती हैं। मेरे स्कूल से वापस आते ही मुझे खाना खिलाकर आराम कराती हैं। शाम होने पर मुझे टेनिस खिलाने के लिए स्टेडियम ले जाती हैं। वापस घर आकर रात के भोजन का प्रबंध करती हैं। रात में सबको भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करके सोती हैं।

कुछ खास अवसरों पर माँ की दिनचर्या बदल जाती है; जैसे- मेहमानों के आने पर घर में किसी मेहमान के आ जाने पर माँ उनके लिए भी चाय-नाश्ता तथा भोजन का प्रबंध करती हैं। रात में सोने के लिए बिस्तर चादर आदि भी देती हैं। मेहमानों के आने पर खाने-पीने के विषय में उनका ध्यान अधिक रखती हैं।

घर में किसी के बीमार पड़ जाने पर घर में यदि कोई बीमार पड़ जाता है, तो माँ उसे डॉक्टर के पास दिखाने ले जाती हैं। उसकी दवाएँ लाती हैं। खाने-पीने का विशेष ध्यान रखती हैं। मुझे शोर मचाने और जिद करने के लिए मना करती हैं।

त्योहार के दिन त्योहार के दिन विभिन्न प्रकार के पकवान बनाती हैं। पूजा करती हैं। घर में खूब मेहमान आते हैं, माँ सबका बराबर ध्यान रखती हैं। घर की साफ-सफाई और सजावट भी करवाती हैं। घर में खूब चहल-पहल रहती है।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 81)

प्रश्न 1. नीचे दिए गए शब्दों में अंतर बताओ, उनमें क्या फर्क है?

  • स्नेह – प्रेम
  • धूल – राख
  • निधन – निर्धन
  • शांति – समान
  • ग्रह – गृह
  • सन्नाटा – सामान

उत्तर

स्नेह (छोटों के प्रति प्रेम को स्नेह कहते हैं) माँ अपने बच्चों से स्नेह करती है।

प्रेम (छोटे व बराबर वाले के प्रति लगाव) करुणा व रिधिमा दोनों बड़े

प्रेम से रहती थीं।

शांति (मन की स्थिरता, कोई हलचल न होना) भजन – प्रार्थना से मन को शांति मिली।

सन्नाटा (चुप्पी, निर्जनता) जंगल में सन्नाटा छाया था।

धूल (मिट्टी के कण ) कार के चलते ही सड़क पर धूल उड़ी।

राख (जले पदार्थ का अवशेष, भस्म) दुर्घटना में गरीबों के घर जलकर राख हो गए।

ग्रह (नक्षत्र) मंगल ग्रह पर सैटेलाइट छोड़ा गया है।

गृह (घर) मेरे गृह प्रवेश के अवसर पर अवश्य आना ।

निधन (मृत्यु) अस्पताल पहुँचते ही रोगी का निधन हो गया।

निर्धन (गरीब) निर्धन को भोजन दे दो।

समान (बराबर) लड़का-लड़की को समान शिक्षा देनी चाहिए।

सामान (वस्तुएँ) अलमारी में अपना सामान रख लो।

प्रश्न 2. कविता में ‘दिन रात’ शब्द आया है। दिन रात का विलोम है ऐसे चार शब्दों के जोड़े सोचकर लिखो, जो विलोम शब्दों से मिलकर बने हों। जोड़ों के अर्थ को समझने के लिए वाक्य भी बनाओ।

उत्तर

  1. सुख-दुःख जीवन में सुख-दुःख तो आते ही हैं।
  2. इधर-उधर तुम्हारा सामान इधर-उधर क्यों पड़ा है?
  3. राजा – रंक ईश्वर के लिए राजा-रंक सब समान हैं।
  4. आते-जाते मंदिर में सभी आते-जाते लोग सिर झुकाते हैं।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 11 मैं सबसे छोटी होऊँ बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. ‘मैं सबसे छोटी होऊँ’ किस प्रकार की विधा है?

(क) कहानी
(ख) नाटक
(ग) कविता
(घ) निबंध

उत्तर (ग) कविता

2. ‘मैं सबसे छोटी होऊँ इस कविता के कवि कौन है?

(क) विष्णु प्रभाकर
(ख) सुमित्रानंदन पंत
(ग) भगवत शरण उपाध्याय
(घ) गुणाकर मुले

उत्तर (ख) सुमित्रानंदन पंत

3. बालिका किसका आँचल नहीं छोड़ना चाहती है?

(क) पिता का
(ख) भाई का
(ग) बहन का
(घ) माँ का

उत्तर (घ) माँ का

4. सबसे छोटी होने की कामना क्यों की गई है?

(क) सदैव माँ के साथ रहने के लिए
(ख) सदा सुरक्षित रहने के लिए
(ग) अपनी जिम्मेदारियाँ न समझने के लिए
(घ) डर से बचने के लिए

उत्तर (क) सदैव माँ के साथ रहने के लिए

5. बड़ी बनने का क्या नुकसान है ?

(क) बड़ी होने पर शादी कर दी जाती है।
(ख) बड़ी होने पर माँ सदा साथ नहीं रहती है।
(ग) बड़ी होने पर कोई खिलौना नहीं देता।
(घ) बड़ी होने पर कोई जन्मदिन नहीं बनाता।

उत्तर (ख) बड़ी होने पर माँ सदा साथ नहीं रहती है।

6. बच्ची को क्या सुनना पसंद है?

(क) परियों की कहानियाँ
(ख) पंचतंत्र की कहानियाँ
(ग) बाल आधारित कविताएँ
(घ) भगवान के गीत

उत्तर (क) परियों की कहानियाँ

7. ‘छलती का क्या अर्थ है?

(क) पाप धोना
(ख) क्षमा माँगना
(ग) धोखा देना
(घ) प्रायश्चित करना

उत्तर (ग) धोखा देना

8. ‘चंद्रमा का उदय होना’ के लिए एक शब्द क्या होगा?

(क) चंद्र का उदय
(ख) चाँद उगना
(ग) चाँद निकलना
(घ) चंद्रोदय

उत्तर (घ) चंद्रोदय

9. इस कविता में सुमित्रानंदन पंत ने किसका वर्णन किया है?

(क) बाल सुलभ चेष्टाओं का सुंदर वर्णन किया है।
(ख) माँ और बच्ची का वर्णन किया है।
(ग) माता का वर्णन किया है।
(घ) प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है।

उत्तर (क) बाल सुलभ चेष्टाओं का सुंदर वर्णन किया है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 11 मैं सबसे छोटी होऊँ काव्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

काव्यांश 1

मैं सबसे छोटी होऊँ
तेरी गोदी में सोऊँ
तेरा अंचल पकड़-पकड़कर
फिरूँ सदा माँ ! तेरे साथ,
कभी न छोडूं तेरा हाथ !
बड़ा बनाकर पहले हमको
तू पीछे छलती है मात !
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात !

1. इन पंक्तियों के अनुसार, बालिका क्या बनी रहना चाहती है?

(क) सबसे बड़ी
(ख) सबसे छोटी
(ग) बहुत बड़ी
(घ) कुछ नहीं

उत्तर (ख) सबसे छोटी

2. बालिका क्या पकड़कर माँ के साथ फिरती रहती है?

(क) हाथ, अंचल
(ख) अंचल
(ग) हाथ
(घ) अंचल, पैर

उत्तर (क) हाथ, अंचल

3. बालिका क्या नहीं छोड़ना चाहती है?

(क) पिता का
(ख) भाई का
(ग) बहन का उत्तर
(घ) माँ का

उत्तर (घ) माँ का

4. छोटी बालिका माँ की ही गोद में क्यों सोना चाहती है?

उत्तर कवि के अनुसार, छोटी बालिका माँ की ही गोद में सोना चाहती है, क्योंकि माँ की गोद में वह अपने आप को सुरक्षित महसूस करती है।

5. ‘तू मुझे छलती है मात’ से कवि का क्या तात्पर्य है?

उत्तर ‘तु मुझे छलती है मात’ से कवि का तात्पर्य है कि बालिका के कुछ बड़ा होने पर माँ बालिका को सदा अपने पास नहीं रखती है। उसे अपनी गोद में नहीं सुलाती है, इसलिए बालिका को लगता है कि माँ उसे छल रही है।

6. माँ द्वारा छोटी बालिका का हाथ सदा नहीं पकड़े जाने का क्या कारण है?

उत्तर बालिका अब बहुत छोटी नहीं है, कुछ बड़ी हो गई है, इसलिए माँ सदा बालिका का हाथ नहीं पकड़ती है।

काव्यांश 2

अपने कर से खिला, धुला मुख,
धूल पोंछ, सज्जित कर गात,
थमा खिलौने, नहीं सुनाती
हमें सुखद परियों की बात !
ऐसी बड़ी न होऊँ मैं
तेरा स्नेह न खोऊँ मैं,
तेरे अंचल की छाया में
छिपी रहूँ निस्पृह, निर्भय,
कहूँ दिखा दे चंद्रोदय !

1. ‘अपने कर से खिला’ में ‘अपने’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?

(क) बालिका के
(ख) कवि के
(ग) माँ के
(घ) ये सभी

उत्तर (ग) माँ के

2. माँ बालिका को किसकी कहानी सुनाती है?

(क) भगवान की
(ख) पशु की
(ग) बच्चों की
(घ) परियों की

उत्तर (घ) परियों की

3. बालिका माँ का साथ हमेशा क्यों चाहती है?

(क) वह दुनिया से डरती है।
(ख) वह माँ के साथ ही प्रसन्न रहती है।
(ग) वह माँ से अत्यधिक प्यार करती है।
(घ) वह माँ को अकेला नही छोड़ना चाहती है।

उत्तर (ग) वह माँ से अत्यधिक प्यार करती है।

4. ‘ऐसी बड़ी न होऊँ मैं’ में कवि ने ‘मैं’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया है?

उत्तर ‘ऐसी बड़ी न होऊँ मैं’ में कवि ने ‘मैं’ शब्द छोटी बालिका के लिए प्रयोग किया है।

5. बालिका को माँ के आँचल में क्या अहसास होता है?

उत्तर बालिका माँ के आँचल में स्वयं को सुरक्षित महसूस करती है, इसलिए वह माँ के आँचल में ही रहना चाहती है ।

6. बालिका जब छोटी थी, तो माँ उसके क्या-क्या काम करती थी?

उत्तर बालिका जब छोटी थी, तो माँ उसे अपने हाथ से नहलाती, सँवारती और खाना भी खिलाती थी ।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 11 मैं सबसे छोटी होऊँ अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. बालिका बड़ा क्यों नहीं होना चाहती है?

उत्तर बालिका माँ के साथ अधिक-से-अधिक रहना चाहती है, इसलिए वह बड़ा नहीं होना चाहती है।

2. बालिका को किसका साथ अधिक पसंद है?

उत्तर बालिका छोटी है, इसलिए उसे अपनी माँ का साथ सबसे अधिक पसंद है।

3. छोटे रहने में बालिका को क्या आनंद प्राप्त होता है?

उत्तर बालिका को छोटे रहने में माँ की गोदी का आनंद, उनके हाथों से भोजन खाने का आनंद तथा चंद्र उदय देखने का सबसे बड़ा सुख प्राप्त होता है।

4. इस कविता में कवि ने बालिका की बाल सुलभ इच्छा को कैसे दर्शाया है?

उत्तर इस कविता में कवि ने बालिका की इच्छा को दर्शाया है कि वह सदा छोटी ही बने रहना चाहती है, जिससे उसे माँ का साथ अधिक-से-अधिक मिल सकता है।

5. माँ छोटी बालिका को कैसी कहानियाँ सुनाती है?

उत्तर माँ अपनी छोटी बालिका को परियों की प्यारी-प्यारी कहानियाँ सुनाती हैं।

6. बच्चों के लिए माँ का प्यार कैसा होता है?

उत्तर बच्चों के लिए माँ का प्यार अनमोल होता है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 11 मैं सबसे छोटी होऊँ लघु उत्तरीय प्रश्न

1. कवि के अनुसार, बालिका किसके साथ और किस प्रकार घूमना-फिरना चाहती है?

उत्तर कवि के अनुसार, छोटी बालिका अपनी माँ के साथ सदैव रहना चाहती है। जहाँ-जहाँ माँ जाती है वह भी माँ के साथ-साथ जाना चाहती है, क्योंकि बालिका को सबसे अधिक लगाव अपनी माँ के साथ है। बालिका चाहती है कि माँ उसकी अँगुली पकड़े और वह माँ का आँचल पकड़कर सब जगह घूमना-फिरना चाहती है।

2. माँ सदा बालिका का हाथ क्यों नहीं पकड़ सकती है?

उत्तर बालिका जब छोटी होती है, माँ सदैव उसे अपने पास ही रखती है, इसलिए माँ बालिका का हाथ पकड़े रहती है। बालिका जब बड़ी हो जाती है, तो वह स्वयं पर निर्भर हो जाती है, तब माँ उस बालिका का हाथ सदैव नहीं पकड़ सकती, क्योंकि माँ को और भी बहुत-से काम-काज करने होते हैं।

3. माँ बच्चों को परियों की कहानियाँ क्यों सुनाती है?

उत्तर छोटे बच्चे बहुत भोले और मासूम होते हैं। उन्हें काल्पनिक कहानियाँ अच्छी लगती हैं। परियों की कहानियाँ सुनकर अपने को वे उससे जुड़ा हुआ महसूस करने लगते हैं। परियों की कहानियाँ बच्चों को बहुत लुभावनी लगती हैं, इसलिए माँ बच्चों को परियों की कहानियाँ सुनातीं हैं ।

4. बालिका माँ के आँचल में रहकर चंद्रोदय क्यों देखना चाहती है?

उत्तर बालिका को अपनी माँ के आँचल में सुरक्षा का अहसास होता है, चंद्रोदय देखना सभी को मनमोहक लगता है। अतः कवि के अनुसार बालिका अपनी माँ के आँचल में रहकर चंद्रोदय देखना चाहती है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 11 मैं सबसे छोटी होऊँ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. आपके जीवन में माँ का क्या स्थान है? आप माँ के लिए क्या करना चाहेंगे?

उत्तर मेरे जीवन में मेरे लिए माँ सर्वोपरि है। माँ ने ही मुझे जन्म दिया है। दिन-रात जागकर भी मेरे हर छोटे-छोटे काम किए हैं। नहलाना-धुलाना, खाना खिलाना, दूध पिलाना, सुलाना आदि माँ ने ही किया है। माँ कुछ बड़े होने पर भी मेरे कामों में सहायता करती हैं। मेरे लिए मेरी माँ ही सब कुछ है।

माँ के बिना मैं जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकती हूँ। मैं भी माँ का हर प्रकार से ध्यान रखना चाहूँगी। उन्हें अकारण कभी परेशान नहीं करूंगी। माँ की हर बात का पालन करूंगी। जीवन में ऐसे काम करूँगी, जिससे माँ का सिर गर्व से ऊपर उठे।

2. आपकी माँ आपके लिए क्या-क्या करती हैं? आप उनके लिए क्या करते हैं?

उत्तर मेरी माँ मेरे खाने-पीने का ध्यान रखती हैं। सवेरे जगाती हैं। स्कूल का टिफिन बनाकर देती हैं। कभी-कभी मेरे गृहकार्य में भी सहायता करती हैं। सदा अच्छी बातें सिखाती हैं।

शिष्ट व्यवहार करना, मेरी माँ ने ही सिखाया है। अच्छी आदतें भी उन्होंने ही डलवाई हैं। मैं भी उनका हर प्रकार से ध्यान रखना चाहूँगी। कोई ऐसा काम नहीं करूंगी, जिससे उनको दुःख पहुँचे। उनके बताए गए रास्ते पर चलूँगी। मेरे लिए मेरी माँ ईश्वर के समान है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत पाठ का सार

लोकगीत – जनता के गीत

जो गीत साधारण वाद्य यंत्रों की सहायता से घर गाँव और नगर में गाए जाते हैं, उन्हें ही लोकगीत कहते हैं। लोकगीत अपनी ताजगी, लचीलेपन और लोकप्रियता के कारण शास्त्रीय संगीत से अलग होता है इन गीतों को गाने के लिए किसी साधन की आवश्यकता नहीं होती। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। ये गीत विशेष अवसरों तथा त्योहारों पर गाए जाते हैं। इन्हें साधारण ढोलक, झाँझ, करताल और बाँसुरी आदि वाद्ययंत्रों की मदद से गाया जाता है।

लोक साहित्य तथा लोकगीतों की बढ़ती लोकप्रियता

पहले शास्त्रीय संगीत के सामने लोकगीतों को महत्त्व नहीं दिया जाता था, परंतु बदलते समय ने लोकगीतों और लोक साहित्य को उच्च स्थान दिया गया है। अब लोकगीत और लोक साहित्य अत्यधिक लोकप्रिय हो रहे हैं। लोकगीत कई प्रकार के होते हैं। लोकगीतों में 25 कल्पना के अतिरिक्त रोजमर्रा का जीवन भी होता है। यह आदिवासियों का संगीत है, जो मध्य प्रदेश, दक्कन व छोटानागपुर में गोंड-खांड, ओराँव – मुंडा, भील- संथाल आदि में फैला हुआ है। ये गीत अधिकतर दलों में गाए जाते हैं तथा इन पर नृत्य किया जाता है।

पहाड़ियों के गीत भिन्न-भिन्न रूपों में होते हैं। गढ़वाल, किन्नौर, काँगड़ा आदि स्थानों के अपने-अपने गीत हैं और इन्हें गाने की अपनी अलग-अलग विधियाँ हैं। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर, बनारस व पूर्वी जिलों और बिहार के पश्चिमी जिलों में चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि लोकगीत गाए जाते हैं। बंगाल में बाउल और मतियाली और पंजाब में माहिया आदि लोकगीत गाए जाते हैं। हीर राँझा, सोहनी-महीवाल आदि गीत पंजाबी में और ढोला-मारू राजस्थानी में गाए जाते हैं।

लोकगीतों का जनता के जीवन से जुड़ा होना सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाए जाते हैं। इन गीतों के विषय में कोरी कल्पना नहीं होती, बल्कि विषय दैनिक जीवन शुसे जुड़े होते हैं। जनता के जीवन से जुड़े होने के कारण ये गीत दिल को छूने वाले होते हैं। ये गीत विभिन्न रागों में गाए जाते हैं; जैसे- पीलू, सारंग, दुर्गा, सावन, सोरठ आदि ।

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देहात में कहरवा, बिरहा, धोबिया आदि राग गाए जाते हैं। भोजपुरी में लगभग तीस चालीस वर्षों में ‘बिदेसिया’ का प्रचार हुआ। बिहार में ‘बिदेसिया’ बहुत लोकप्रिय है, जिसका विषय रसिकप्रियों और प्रियाओं तथा परदेसी प्रेमी पर आधारित होता है। जंगल की जातियों में भी दल-गीत होते हैं, जो बिरहा आदि पर गाए जाते हैं। बुंदेलखंड में आल्हा के गीत गाए जाते हैं। इनकी शुरुआत चंदेल राजाओं के राजकवि जगनिक द्वारा रचित आल्हा ऊदल की वीरता के महाकाव्य से मानी जाती है।

स्त्रियों द्वारा गाए जाने वाले लोकगीत

हमारे देश में स्त्रियों द्वारा गाए जाने वाले गीतों की संख्या अधिक है। ये गीत भी लोकगीत हैं और इनकी रचना स्त्रियाँ ही करती हैं। भारत के गीत अन्य देशों से अलग हैं, क्योंकि अन्य देशों में स्त्रियों के गीत पुरुषों से अलग नहीं होते हैं। हमारे देश में विभिन्न अवसरों पर विभिन्न गीत गाए जाते हैं; जैसे- जन्म, विवाह, मटकोड़, ज्यौनार आदि । ये गीत स्त्रियाँ गाती हैं। इन अवसरों पर गाए जाने वाले गीतों का संबंध प्राचीनकाल से है। बारहमासा गीत पुरुषों के साथ-साथ स्त्रियाँ भी गाती हैं।

स्त्रियों के गीत दल बनाकर गाए जाते हैं। इनके स्वरों में मेल नहीं होता है फिर भी अच्छे लगते हैं। गाँवों और नगरों में गाने वाली स्त्रियाँ भी होती हैं, जिन्हें विवाह, जन्म आदि अवसरों पर गाने के लिए बुलाया जाता है। होली, बरसात में गाई जाने वाली कजरी सुनने वाली होती है। छाछ के लि पूर्वी भारत में अधिकतर मैथिल कोकिल विद्यापति के गीत गाए जाते हैं। गुजरात में ‘गरबा’ नामक नृत्य गायन प्रसिद्ध है इस दल में औरतें घूम-घूमकर विशेष विधि से गाती हैं और नाचती हैं। ब्रज में इसी प्रकार ‘रसिया’ गाया जाता है और नृत्य किया जाता है। इसे भी लोग दल में गाते हैं।

शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत (भगवतशरण उपाध्याय) Question And Answers शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 प्रश्नोत्तर

निबंध से (पृष्ठ संख्या 87)

प्रश्न 1. निबंध में लोकगीतों के किन पक्षों की चर्चा की गई है? बिंदुओं के रूप में उन्हें लिखो ।

उत्तर निबंध में लोकगीतों के निम्नलिखित पक्षों की चर्चा की गई है।

  • लोकगीतों का महत्त्व
  • रचनाकार
  • राग
  • गायक समूह
  • लोकगीतों की भाषा
  • लोक गीतों के प्रकार
  • लोकगीतों की रचना का विषय
  • गायन शैली
  • लोकगीतों में वाद्य के विविध उपकरण
  • लोकगीतों के साथ होने वाले नृत्य
  • गायन के अवसर
  • लोकगीत तथा शास्त्रीय संगीत

प्रश्न 2. हमारे यहाँ स्त्रियों के खास गीत कौन-कौन से हैं?

उत्तर हमारे देश में स्त्रियों के खास अवसरों के गीत हैं, जो उनके कार्यों से । जुड़े हैं। ये गीत स्त्रियाँ ही गाती हैं; जैसे होली के गीत, सावन के गीत, विवाह के गीत, मरकौट, ज्यौनार, जन्म के समय के गीत, त्योहारों के गीत, नदी में नहाते समय के गीत, संबंधियों के लिए प्रेमयुक्त गाली के गीत आदि ।

प्रश्न 3. निबंध के आधार पर और अपने अनुभव के आधार पर (यदि तुम्हें लोकगीत सुनने के मौके मिले हैं तो ) तुम लोकगीतों की कौन-सी विशेषताएँ बता सकते हो?

उत्तर लोकगीतों में लचीलापन और ताजगी होती है। ये गीत आम जनता के गीत हैं। इन्हें गाने के लिए साधना की आवश्यकता नहीं होती।

ये लोकगीत साधारण वाद्ययंत्रों की सहायता से गाए जाते हैं। ये गीत त्योहारों या विशेष अवसरों पर गाए जाते हैं। इनके राग और बोल अलग ही होते हैं। ये क्षेत्रीय या आम बोलचाल की भाषा में गाए जाते हैं। ये गीत जनता के आकर्षण का केंद्र होते हैं।

प्रश्न 4. पर सारे देश के ____________ अपने-अपने विद्यापति हैं इस वाक्य का क्या अर्थ है? पाठ पढ़कर मालूम करो और लिखो ।

उत्तर जिस प्रकार मिथिला क्षेत्र में मैथिल कोकिल विद्यापति के गीत लोकप्रिय हैं। उसी प्रकार हर क्षेत्र में कोई-न-कोई प्रसिद्ध रचनाकार हुआ है। जिनके गीतों की इन क्षेत्रों में विशेष धूम रहती है। बुंदेलखंड के लोकगीत रचनाकार जगनिक का ‘आल्हा’ इसका मुख्य उदाहरण है।

अनुमान और कल्पना ( पृष्ठ संख्या 87)

प्रश्न 1. क्या लोकगीत और नृत्य सिर्फ गाँवों या कबीलों में ही गाए जाते हैं? शहरों के कौन-से लोकगीत हो सकते हैं? इस पर विचार करके लिखो ।

उत्तर लोकगीत तथा नृत्य सिर्फ गाँवों या कबीलों में ही पहले गाए जाते थे। ये लोकगीत अपने क्षेत्रों में ही लोकप्रिय थे। शहरों में लोगों का जीवन अति व्यस्त है। अब शहरों में कुछ खास अवसरों पर लोग क्षेत्रीय लोकगीतों को गाते हैं। कुछ लोग खास अवसरों पर शहरों में गाने वाले समूह को भी बुला लेते हैं।

प्रश्न 2. ‘जीवन जहाँ इठला-इठलाकर लहराता है, वहाँ भला आनंद के स्रोतों की कमी हो सकती है? उद्दाम जीवन के ही वहाँ के अनंत संख्यक गाने प्रतीक हैं।’ क्या तुम इस बात से सहमत हो? ‘बिदेसिया’ नामक लोकगीत से कोई कैसे आनंद प्राप्त कर सकता है और वे कौन लोग हो सकते हैं, जो इसे गाते सुनते हैं? इसके बारे में जानकारी प्राप्त करके कक्षा में सबको बताओ।

उत्तर जी हाँ, मैं इस बात से पूर्णतः सहमत हूँ। ‘बिदेसिया’ नामक लोकगीत सीधे मर्म को छूता है। इससे आनंद की प्राप्ति होती है। ये गीत हमारी भावनाओं को स्पर्श करते हैं।

इन गीतों में अधिकतर रसिक प्रेमी प्रेमिका की बात होती है। इनमें करुणा और विरह की भावनाएँ होती हैं। सुनने वाले को विशेष रस तथा आनंद प्राप्त होता है। बिहार प्रदेश के भोजपुर क्षेत्र में ये गीत अधिक गाए जाते हैं। लोकगीत पूरे देश के लोग बड़े चाव से सुनते हुए तथा गाते हुए दिखाई देते हैं।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 87 व 88)

प्रश्न 1. ‘लोक’ शब्द में कुछ जोड़कर जितने शब्द तुम्हें सूझें, उनकी सूची बनाओ। इन शब्दों को ध्यान से देखो और समझो कि इनमें अर्थ की दृष्टि से क्या समानता है। इन शब्दों से वाक्य भी बनाओ; जैसे – लोककला|

उत्तर

शब्द – वाक्य प्रयोग

  • लोकगीत – लोकगीत गाने के लिए किसी साधना की आवश्यकता नहीं होती है।
  • लोक गाथा – पंजाब में हीर राँझा की प्रेम संबंधी लोक गाथाएँ सुनने को मिलती हैं।
  • लोक-लाज – पहले लोक-लाज के कारण स्त्रियाँ नौकरी नहीं करती थीं।
  • लोक कवि – विद्यापति मिथिला क्षेत्र के प्रसिद्ध लोक कवि हैं।
  • लोक नृत्य – ‘गरबा’ गुजरात का लोक नृत्य है।
  • लोक जीवन – पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव गाँव के लोक जीवन पर भी पड़ रहा है।
  • लोकप्रिय – सचिन तेंदुलकर सर्वाधिक लोकप्रिय खिलाड़ी हैं।
  • लोकहित – नेताओं को लोकहित के लिए कार्य करना चाहिए।
  • लोक कल्याण – ईमानदारी की राह से लोक कल्याण संभव है।
  • लोकतंत्र – भारत में लोकतंत्र है।

प्रश्न 2. बारहमासा गीत में साल के बारह महीनों का वर्णन होता है। नीचे कुछ विभिन्न अंकों से जुड़े शब्द दिए गए हैं। इन्हें पढ़ो और अनुमान लगाओ कि इनका क्या अर्थ है और वह अर्थ क्यों है? इस सूची में तुम अपने मन से सोचकर भी कुछ शब्द जोड़ सकते हो-

  • इकतारा
  • सरपंच
  • चारपाई
  • छमाही
  • तिराहा
  • दोपहर

उत्तर

  • शब्द – अनुमानित अर्थ
  • इकतारा – एक तार वाला बाजा (वाद्य यंत्र )
  • तिराहा – जहाँ तीन रास्ते मिलते हैं
  • सरपंच – पाँचों में प्रमुख
  • दोपहर – दो पहरों का मिलन (मध्याह)
  • चारपाई – चार पायों वाली (खाट)
  • छमाही – छः महीने में होने वाली
  • सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह
  • नवरात्र – नौ रातों का समूह
  • अठन्नी – आठ आने का सिक्का (पचास पैसे)
  • चौराहा – जहाँ पर चार रास्ते मिलते हों
  • पंचवटी – पाँच पेड़ों का समूह
  • चवन्नी – चार आने ( पच्चीस पैसे)
  • दुअन्नी – दो आने (बारह पैसे)
  • चौमासा – चार महीनों का समूह
  • नवरत्न – नौ रत्नों का समूह
  • करोड़पति – करोड़ों का समूह
  • दशानन – दस सिर वाला

प्रश्न 3. को, में, से आदि वाक्य में संज्ञा का दूसरे शब्दों के साथ संबंध दर्शाते हैं। ‘झाँसी की रानी’ पाठ में तुमने का के बारे में जाना । नीचे ‘मंजरी जोशी’ की पुस्तक ‘भारतीय संगीत की परंपरा’ से भारत के एक लोकवाद्य का वर्णन दिया गया है। इसे पढ़ो और रिक्त स्थानों में उचित शब्द लिखो

तुरही भारत के कई प्रांतों में प्रचलित है। यह दिखने ______ अंग्रेज़ी केएस या सी अक्षर _________ ‘तरह होती है। भारत ______ विभिन्न प्रांतों में पीतल या काँसे ______ बना यह वाद्य अलग-अलग नामों ______ जाना जाता है। धातु की नली ______ घुमाकर एस _________ आकार इस तरह दिया जाता है कि उसका एक सिरा संकरा रहे और दूसरा सिरा घंटीनुमा चौड़ा रहे। फूँक मारने _________ एक छोटी नली अलग ________ जोड़ी जाती है। राजस्थान ________ इसे बर्ग कहते हैं। उत्तर प्रदेश __________ यह तूरी, मध्य प्रदेश और गुजरात __________ रणसिंघा और हिमाचल प्रदेश ___________ नरसिंघा __________ नाम से जानी जाती है। राजस्थान और गुजरात में इसे काकड़सिंघी भी कहते हैं।

उत्तर तुरही भारत के कई प्रांतों में प्रचलित है। यह दिखने में अंग्रेजी के एस या सी अक्षर की तरह होती है। भारत के विभिन्न प्रांतों में पीतल या काँसे से बना यह वाद्य अलग-अलग नामों से जाना जाता है। धातु की नली को घुमाकर एस का आकार इस तरह दिया जाता है कि उसका एक सिरा संकरा रहे और दूसरा सिरा घंटीनुमा चौड़ा रहे। फूँक मारने के लिए एक छोटी नली अलग से जोड़ी जाती है।

राजस्थान में इसे बर्ग कहते हैं। उत्तर प्रदेश में यह तूरी, मध्य प्रदेश और गुजरात में रणसिंघा और हिमाचल प्रदेश में नरसिंहा के नाम से जानी जाती है। राजस्थान और गुजरात में इसे काकड़सिंघी भी कहते हैं।

भारत के मानचित्र में (पृष्ठ संख्या 88)

भारत के नक्शे में पाठ में चर्चित राज्यों के लोकगीत और नृत्य दिखाओ।

उत्तर सामाजिक विज्ञान के अध्यापक की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें।

कुछ करने को (पृष्ठ संख्या 88)

प्रश्न 1. अपने इलाके के कुछ लोकगीत इकट्ठा करो। गाए जाने वाले मौकों के अनुसार उनका वर्गीकरण करो।

उत्तर छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2. जैसे-जैसे शहर फैल रहे हैं और गाँव सिकुड़ रहे हैं, लोकगीतों पर उनका क्या असर पड़ रहा है। अपने आस-पास के लोगों से बातचीत करके और अपने अनुभवों के आधार पर एक अनुच्छेद लिखो ।

उत्तर जैसे-जैसे शहर फैल रहे हैं और गाँव सिकुड़ रहे हैं, लोकगीतों का अस्तित्व कम होता जा रहा है। शहर की जिंदगी भाग-दौड़ की जिंदगी है, जिसमें किसी के पास दो मिनट भी नहीं होते। ऐसे में वे लोकगीत क्या गाएँगे!

शहरों में मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध हैं, जो गाँव, शहरी क्षेत्रों से जुड़ रहे हैं, उसमें भी लोकगीतों का प्रचलन धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। अधिकतर लोग सिनेमा के गीतों को गाते और उसकी धुनों पर नाचते दिखाई देते हैं। कुछ सिनेमा में लोकगीत किसी विशेष दृश्य के लिए दर्शाया गया होता है। वे अकसर विशेष अवसरों पर गाए- बजाए जाते हैं।

प्रश्न 3. रेडियो और टेलीविजन के स्थानीय प्रसारणों में एक नियत समय पर लोकगीत प्रसारित होते हैं। इन्हें सुनो और सीखो।

उत्तर छात्र स्वयं करें।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. लोकगीतों की भाषा शैली कैसी है?

(क) अनगढ़
(ख) आम बोलचाल
(ग) शास्त्रीय
(घ) संस्कृतनिष्ठ

उत्तर (ख) आम बोलचाल

2. ‘लोकगीत’ पाठ के लेखक कौन हैं?

(क) भगवतशरण उपाध्याय
(ख) प्रेमचंद
(ग) विष्णु प्रभाकर
(घ) विनय महाजन

उत्तर (क) भगवतशरण उपाध्याय

3. लोकगीतों की रचना में किसका विशेष योगदान है?

(क) पुरुषों का
(ख) बच्चों का
(ग) स्त्रियों का
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ग) स्त्रियों का

4. इनमें से कौन-सा बंगाल का लोकगीत है?

(क) पूरबी
(ख) कजरी
(ग) सावन
(घ) बाउल

उत्तर (घ) बाउल

5. देहात में कौन-सा राग गाया जाता है?

(क) कहरवा
(ख) बिरहा
(ग) धोबिया
(घ) ये सभी

उत्तर (घ) ये सभी

6. आदिवासियों के संगीत व लोकगीत कैसे होते हैं?

(क) ओजस्वी
(ख) सजीव
(ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनों

7. गुजरात में कौन- -सा नृत्य प्रसिद्ध है?

(क) गरबा
(ख) कथक
(ग) कथकली
(घ) ओडिसी

उत्तर (क) गरबा

8. स्त्रियाँ लोकगीत गाते समय किस वाद्ययंत्र का प्रयोग करती है?

(क) बाँसुरी
(ख) ढोलक
(ग) तबला
(घ) सारंगी

उत्तर (ख) ढोलक

9. पंजाब के लोकगीत का क्या नाम है?

(क) कजरी
(ख) माहिया
(ग) चैता
(घ) माहिआ

उत्तर (ख) माहिया

10. ढोला-मारू गीत कौन-सी भाषा में गाए जाते हैं?

(क) राजस्थानी
(ख) बनारस
(ग) बंगाल
(घ) पंजाब

उत्तर (क) राजस्थानी

11. ‘आह्लादकर’ का क्या अर्थ है?

(क) मन से छूना
(ख) आनंद देने वाला
(ग) प्रसन्न करने वाला
(घ) दुःख देने वाला

उत्तर (ग) प्रसन्न करने वाला

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत गद्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

गद्यांश 1

लोकगीत अपनी लोच, ताजगी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। ये गीत घर, गाँव और जनता के हैं। इनके लिए साधना की जरूरत नहीं होती। त्योहारों और विशेष अवसरों पर ये गीत गाए जाते हैं।

सदा से ये गाए जाते रहे हैं और इनके रचनेवाले भी अधिकतर गाँव के लोग ही हैं। स्त्रियों ने भी इनकी रचना में विशेष भाग लिया है। ये गीत बाजों की मदद के बिना ही या साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाए जाते हैं।

1. लोकगीत किसके गीत हैं?

(क) घर, गाँव की जनता के
(ख) गाँव, नगर की जनता के
(ग) घर, गाँव, नगर की जनता के
(घ) घर के लोगों के

उत्तर (क) घर, गाँव की जनता के

2. लोकगीत गाते समय किस वाद्य की आवश्यकता नहीं होती?

(क) झाँझ
(ख) गिटार
(ग) ढोलक
(घ) बाँसुरी

उत्तर (ख) गिटार

3. किस अवसर पर लोकगीत नहीं गाए जाते हैं?

(क) जन्म पर
(ख) विवाह पर
(ग) बीमार होने पर
(घ) त्योहारों पर

उत्तर (ग) बीमार होने पर

4. शास्त्रीय संगीत के लिए क्या आवश्यक है?

उत्तर शास्त्रीय संगीत के लिए साधना आवश्यक है।

5. ‘सदा से ये गाए जाते रहे हैं’ का क्या तात्पर्य है?

उत्तर मनुष्य के सामाजिक विकास होने पर मनोरंजन, त्योहार, विशेष अवसरों आदि के लिए सदा से ही ऐसे लोकगीत गाए जाते रहे हैं।

6. किन वाद्ययंत्रों की सहायता से लोकगीत गाए जाते हैं?

उत्तर लोकगीत ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि वाद्य यंत्रों की मदद से गाए जाते हैं।

गद्यांश 2

लोकगीतों के कई प्रकार हैं। इनका एक प्रकार तो बड़ा ही ओजस्वी और सजीव है। यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है। मध्य प्रदेश, दक्कन छोटा नागपुर में गोंड खांड, ओराँव- मुंडा, भील- संथाल आदि फैले हुए हैं, जिनमें आज भी जीवन नियमों की जकड़ में बँध न सका और निद्वंद्व लहराता है। इनके गीत और नाच अधिकतर साथ-साथ और बड़े-बड़े दलों में गाए और नाचे जाते हैं। बीस-बीस तीस-तीस आदमियों और औरतों के दल एक साथ या एक-दूसरे के जवाब में गाते हैं, दिशाएँ गूँज उठती हैं।

1. आदिवासियों के गीत के दलों में कितने-कितने लोग होते हैं?

(क) बीस-बीस तीस-चालीस
(ख) तीस-तीस, चालीस-पचास
(ग) दस-दस बीस-बीस
(घ) बीस-बीस तीस-तीस

उत्तर (घ) बीस-बीस तीस-तीस

2. आदिवासियों के संगीत से गूंज उठती हैं।

(क) दीवार
(ख) रसोई
(ग) दिशाएँ
(घ) बालिकाएँ

उत्तर (ग) दिशाएँ

3. निम्नलिखित जोड़ों में कौन-सा जोड़ा आदिवासियों से संबंधित नहीं है?

(क) भील- संथाल
(ख) हीर राँझा
(ग) गोंड-खांड
(घ) ओराँव-मुंडा

उत्तर (ख) हीर राँझा

4. आदिवासियों का जीवन आज भी कैसा है?

उत्तर आदिवासियों का जीवन आज भी नियमों से बँधा हुआ नहीं है। उनका जीवन निर्द्वद्व है।

5. मध्य प्रदेश, दक्कन तथा छोटा नागपुर में कौन-से आदिवासी निवास करते हैं?

उत्तर मध्य प्रदेश, दक्कन तथा नागपुर में गोड-खांड, ओराँव-मुंडा और भील- संथाल आदिवासी रहते हैं।

6. आदिवासियों के लोकगीत की क्या विशेषता होती है?

उत्तर आदिवासियों के लोकगीत ओजस्वी और सजीव होते हैं।

गद्यांश 3

पहाड़ियों के अपने-अपने गीत हैं। उनके अपने-अपने भिन्न रूप होते हुए भी अशास्त्रीय होने के कारण उनमें अपनी एक समान भूमि है। गढ़वाल, किन्नौर, काँगड़ा आदि के अपने-अपने गीत और उन्हें गाने की अपनी-अपनी विधियाँ हैं। उनका अलग नाम ही ‘पहाड़ी’ पड़ गया है।

वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं। इनका संबंध देहात की जनता से है। बड़ी जान होती है इनमें । चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मिर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रदेश के पूरबी और बिहार के पश्चिमी जिलों में गाए जाते हैं। बाउल और भतियाली बंगाल के लोकगीत हैं।

पंजाब में महिया आदि इसी प्रकार के हैं। हीर राँझा, सोहनी-महीवाल संबंधी गीत पंजाबी में और ढोला-मारू आदि के गीत राजस्थान में बड़े चाव से गाए जाते हैं।

1. वास्तविक लोकगीतों का संबंध किससे है?

(क) शहरों से
(ख) गाँव से
(ग) देहातों से
(घ) ‘ख’ और ‘ग’ दोनों

उत्तर (घ) ‘ख’ और ‘ग’ दोनों

2. बंगाल के कौन-से गीत लोकप्रिय हैं?

(क) बाउल और भतियाली
(ख) बिदेसिया
(ग) गरबा
(घ) ढोला-मारू

उत्तर (क) बाउल और मतियाली

3. उत्तर प्रदेश में कौन-सा लोकगीत गाया जाता है?

(क) चैता
(ख) कजरी
(ग) बारहमासा
(घ) ये सभी

उत्तर (घ) ये सभी

4. पहाड़ी गीत कहाँ गाए जाते हैं?

उत्तर गढ़वाल, किन्नौर, काँगड़ा आदि क्षेत्रों में पहाड़ी गीत गाए जाते हैं।

5. पहाड़ी गीतों की क्या विशेषताएँ हैं?

उत्तर पहाड़ के विभिन्न क्षेत्रों के अपने-अपने गीत हैं। पहाड़ी गीतों के अपने – अपने भिन्न रूप होते हुए भी अशास्त्रीय होने के कारण उनमें अपनी एक समान भूमि है। इन गीतों को गाने की अपनी-अपनी विधियाँ हैं।

6. राजस्थानी में गाया जाने वाला गीत कौन-सा है?

उत्तर राजस्थानी में गाया जाने वाला गीत ढोला मारु

गद्यांश 4

भोजपुरी में करीब तीस चालीस बरसों में ‘बिदेसिया’ का प्रचार हुआ है। गाने वालों के अनेक समूह इन्हें गाते हुए देहात में फिरते हैं। उधर के जिलों में विशेषकर बिहार में बिदेसिया से बढ़कर दूसरेल गाने लोकप्रिय नहीं हैं। इन गीतों में अधिकतर रसिक प्रियों और प्रियाओं की बात रहती है।

परदेशी प्रेमी की ओर इनसे करुणा और विरह का रस बरसता है। जंगल की जातियों आदि के भी दल-गीत होते हैं, जो अधिकतर बिरहा आदि में गाए जाते हैं। पुरुष एक ओर और स्त्रियाँ दूसरी ओर एक-दूसरे के जवाब के रूप में दल बाँधकर गीत गाते हैं। और इन गीतों से दिशाएँ गुँजा देते हैं, पर पिछले कुछ समय से इस प्रकार के दलीय गायन का ह्रास हुआ है।

1. ‘बिदेसिया’ गीत किस बोली में गाए जाने वाले गीत हैं?

(क) पंजाबी
(ख) भोजपुरी
(ग) हरियाणवी
(घ) बाँगरू

उत्तर (ख) भोजपुरी

2. बिहार में सबसे लोकप्रिय गीत कौन-सा है?

(क) आल्हा
(ख) कहरवा
(ग) बिदेसिया
(घ) चैता

उत्तर (ग) बिदेसिया

3. जंगल की जातियों के गीत किस प्रकार से गाए जाने वाले गीत हैं?

(क) एकल गीत
(ख) दल गीत
(ग) जाति गीत
(घ) जंगल गीत

उत्तर (ख) दल गीत

4. ‘बिदेसिया’ गीतों का विषय क्या है?

उत्तर बिदेसिया’ गीतों का विषय रसिकप्रियों तथा प्रियाओं व परदेश में रहने वाले प्रेमी की विरह की बातें हैं।

5. ‘बिदेसिया’ लोकगीतों का प्रचार कब हुआ?

उत्तर लगभग तीस चालीस वर्षों में ‘बिदेसिया’ लोकगीतों का प्रचार हुआ है।

6. दलीय गायन के ह्रास के क्या कारण हो सकते हैं?

उत्तर दलीय गायन के ह्रास का कारण समाज के आधुनिकीकरण से मनुष्य के पास समय की कमी होना है।

गद्यांश 5

एक दूसरे प्रकार के बड़े लोकप्रिय गाने आल्हा के हैं। अधिकतर ये बुंदेलखंडी में गाए जाते हैं। आरंभ तो इसका चंदेल राजाओं के राजकवि जगनिक से माना जाता है, जिसने आल्हा ऊदल की वीरता का अपने महाकाव्य में बखान किया, पर निश्चय ही उसके छंद को लेकर जनबोली में उसके विषय को दूसरे देहाती कवियों ने भी समय-समय पर अपने गीतों में उतारा और ये गीत हमारे गाँवों में आज भी बहुत प्रेम से गाए जाते हैं। इन्हें गाने वाले गाँव-गाँव ढोलक लिए गाते-फिरते हैं। इसी की सीमा पर उन गीतों का भी स्थान है, जिन्हें नट रस्सियों पर खेल करते हुए गाते हैं। अधिकतर ये गद्य पद्यात्मक हैं और इनके अपने बोल हैं।

1. चंदेल राजाओं के राजकवि कौन थे?

(क) जगसिक
(ख) जगमग
(ग) जगनिक
(घ) निकजग

उत्तर (ग) जगनिक

2. ‘आल्हा’ गीतों के मुख्य विषय क्या हैं?

(क) आल्हा ऊदल के उत्सव
(ख) आल्हा ऊदल का जीवन
(ग) आल्हा ऊदल का भोजन
(घ) आल्हा ऊदल की वीरता

उत्तर (घ) आल्हा ऊदल की वीरता

3. रस्सियों पर कौन खेल दिखाते हुए गाते हैं?

(क) खट
(ख) नट
(ग) पट
(घ) ठन

उत्तर (ख) नट

4. ‘आल्हा’ किस क्षेत्र के गीत हैं?

उत्तर ‘आल्हा’ बुंदेलखंड क्षेत्र के गीत हैं।

5. राजकवि जगनिक ने महाकाव्य में किसका गुणगान किया है?

उत्तर राजकवि जगनिक ने अपने महाकाव्य में आल्हा ऊदल की वीरता का गुणगान किया है।

6. आल्हा गीतों की अन्य विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर ‘आल्हा’ गीत गद्य पद्यात्मक होते हैं। इन गीतों को लोग ढोलक के लिए गाँव-गाँव में गाते फिरते हैं। इन गीतों को नट रस्सियों पर भी गाते हुए खेल दिखाते हैं।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. लोकगीत किसे कहते हैं?

उत्तर जो गीत प्रत्येक घर, गाँव और नगर में साधारण वाद्य यंत्रों की सहायता से गाए जाते हैं, उन्हें ही लोकगीत कहते हैं।

2. अधिकतर लोकगीतों की रचना कौन करता है?

उत्तर लोकगीतों की अधिकतर रचना स्त्रियाँ करती हैं, वे ही दल बाँधकर विशेष अवसरों पर इसे गाती हैं।

3. लोकगीत शास्त्रीय संगीत से किस प्रकार भिन्न होते हैं?

उत्तर लोकगीत अपनी लोच ( लचीलापन), ताज़गी और लोकप्रियता के कारण शास्त्रीय संगीत से भिन्न होते हैं।

4. स्त्रियों के गीतों की क्या विशेषता होती है? अथवा स्त्रियों के लोकगीतों की विशेष बातें क्या होती हैं?

उत्तर स्त्रियों के गीतों की रचनाकार स्त्रियाँ ही होती हैं। वे दल बाँधकर एक साथ गाए जाते हैं। कई बार सुरों में कोई मेल नहीं होता है।

5. बंगाल और पंजाब के प्रसिद्ध गीतों के नाम बताइए ।

उत्तर बंगाल में बाउल और मतियाली और पंजाब में माहिया आदि गीत प्रसिद्ध हैं।

6. ‘आल्हा’ गीतों का आरंभ कब हुआ?

उत्तर ‘आल्हा’ गीतों का आरंभ चंदेल राजाओं के राजकवि जगनिक के समय में हुआ था।

7. पहले लोकगीतों को शास्त्रीय संगीत की तुलना में कैसा समझा जाता था?

उत्तर पहले लोकगीतों को शास्त्रीय संगीत की तुलना में हेय (तुच्छ / छोटा) समझा जाता था। अभी कुछ समय पहले तक इन गीतों की बहुत उपेक्षा की जाती थी।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत लघु उत्तरीय प्रश्न

1. लोकगीतों में स्त्रियों का क्या योगदान है? संसार के अन्य देशों से ये लोकगीत भिन्न क्यों हैं?

उत्तर भारतवर्ष में अधिकतर लोकगीतों की रचना स्त्रियों ने ही की है। इन लोकगीतों की रचना पुरुष भी करते हैं, परंतु इन गीतों का संबंध विशेष रूप से स्त्रियों से ही है। अधिकतर स्त्रियाँ ही इन गीतों को गाती हैं। इस दृष्टि से भारतवर्ष संसार के अन्य देशों से भिन्न है।

संसार के अन्य देशों में स्त्रियों के अपने गीत पुरुषों या जन गीतों से भिन्न नहीं हैं, मिले-जुले ही हैं।

2. ‘पहाड़ी गीत’ किसे कहते हैं? उनकी क्या विशेषताएँ हैं?

उत्तर पहाड़ी क्षेत्र के निवासियों के गीत ‘पहाड़ी’ हैं, उनका नाम अलग से ही पहाड़ी पड़ गया। गढ़वाल, किन्नौर, काँगड़ा सभी क्षेत्रों के अपने अलग-अलग गीत हैं। इन गीतों को गाने की विधियाँ भी भिन्न होती हैं। भिन्न रूप होते हुए भी अशास्त्रीय होने के कारण इन लोकगीतों में अपनी एक समान भूमि है।

3. देहाती गीतों की क्या विशेषताएँ होती हैं?

उत्तर देहाती गीतों का आधार कल्पना न होकर इन गीतों के विषय रोजमर्रा के जीवन से संबंधित होते हैं। इसी कारण ये लोकगीत सीधे मर्म को छू लेते हैं। इनके राग साधारणतया पीलू, सारंग, दुर्गा, सावन, सोरठ आदि हैं। कहरवा, बिरहा, धोबिया आदि देहात में बहुत गाए जाते हैं।

4. जंगल की जातियों के गीत कैसे होते हैं?

उत्तर जंगल की जातियों के दल-गीत होते हैं। एक दल में पुरुष तथा दूसरे दल में स्त्रियाँ होती हैं। दोनों एक-दूसरे के जवाब के रूप में दल बनाकर गीत गाते हैं। ये गीत अधिकतर बिरहा आदि में गाए जाते हैं। इन गीतों से दिशाएँ गूँज जाती हैं।

5. ‘गरबा’ किसे कहते हैं?

उत्तर गुजरात का दल में गाया जाने वाला लोकगीत ‘गरबा’ है। इसे विशेष विधि से घेरे में घूम-घूमकर स्त्रियाँ गाती हैं और लकड़ियाँ भी बजाती हैं। ये लकड़ियाँ बाजे का काम करती हैं। उनमें गीत तथा नृत्य साथ-साथ चलते हैं। आजकल गरबा सभी प्रांतों में बहुत लोकप्रिय हो गया है। नवरात्रि के अवसर पर होटलों आदि में भी विशेष रूप से ‘गरबा’ का आयोजन किया जाता है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. लोकगीत किसे कहते हैं? इसकी क्या विशेषताएँ हैं? अथवा ‘लोकगीत’ पाठ के आधार पर लोकगीतों की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर लोकगीत घर, गाँव और नगर की जनता के गाए जाने वाले गीत हैं। इनके लिए किसी साधन की आवश्यकता नहीं होती है। त्योहारों तथा विशेष अवसरों पर ये गाए जाते हैं। इन गीतों की रचना उसी क्षेत्र के लोग करते हैं। ये गीत साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की सहायता से गाए जाते हैं। लोकगीत अपनी लोच, ताजगी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न होते हैं।

2. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कौन-कौन से लोकगीत गाए जाते हैं? उनकी विशेषताएँ भी बताइए ।

उत्तर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार के लोकगीत गाए जाते हैं; जैसे— दक्कन, मध्य प्रदेश, छोटा नागपुर में रहने वाले
आदिवासियों के लोकगीत बहुत ओजस्वी होते हैं। ये गीत बड़े-बड़े दलों में गाए जाते हैं और इन गीतों पर नृत्य किया जाता है। इन गीतों से दिशाएँ गूँज उठती हैं। गढ़वाल, किन्नौर, काँगड़ा आदि पहाड़ी क्षेत्रों के गीत ‘पहाड़ी’ गीत कहे जाते हैं।

इन गीतों को गाने की विविध विधियाँ हैं। मिर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रदेश के पूरबी और बिहार के पश्चिमी क्षेत्रों में चैता, कजरी, बारहमासा और सावन के गीत गाए जाते हैं। पंजाब में माहिया, बंगाल में बाउल और भटियाली लोकगीत प्रसिद्ध हैं। राजस्थान में ढोला मारू और भोजपुरी में बिदेसिया लोकप्रिय गीत हैं। बुंदेलखंड में आल्हा और गुजरात में गरबा प्रचलित है।

3. बुंदेलखंड के लोकगीत के विषय में बताइए ।

उत्तर बुंदेलखंड क्षेत्र में ओज से परिपूर्ण आल्हा गीत बहुत लोकप्रिय हैं। ये गीत बुंदेलखंडी बोली में आल्हा ऊदल की वीरता का गुणगान करते हैं। इन गीतों का आरंभ चंदेल राजाओं के राजकवि जगनिक से माना जाता है। राजकवि जगनिक ने अपने महाकाव्य के आल्हा ऊदल की वीरता की प्रशंसा का वर्णन किया है। इस वीरता के वर्णन को दूसरे कवियों ने भी

अपने गीतों में लिया। इन्हें गाने वाले लोग गाँव-गाँव ढोलक लिए गाते फिरते हैं। अधिकतर ये गीत पद्यात्मक होते हैं और इनके अपने बोल हैं।

4. आपकी दृष्टि में लोकगीतों की क्या महत्ता है? अपने विचार लिखिए।

उत्तर प्रत्येक क्षेत्र के लोकगीतों की अपनी अलग पहचान है। ये उस क्षेत्र के रहन-सहन, त्योहार, खान-पान सबका प्रतिबिंब होते हैं। दूर दराज रहने वाले लोग, जो शहरी इलाकों से अलग-अलग हैं, उनके लिए मनोरंजन का सुलभ साधन हैं। कुछ क्षेत्रों में स्त्रियाँ दूर से पानी लाती, गीत गाती गाती दूर तक जाती हैं।

कठिन कार्य को भी लोकगीतों से सहज बना लेती हैं। लोकगीत भारत की अपनी विशेषता है। मेरे अनुसार, लोकगीत मनुष्य की आवश्यकता है। इन्हें लुप्त नहीं होने देना चाहिए।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर Question And Answer

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर Question And Answer

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर पाठ का सार

गाँधीजी द्वारा स्वयं कार्य करने पर बल देना

गाँधीजी साबरमती आश्रम बहुत से कार्य, जिन्हें सामान्यतया नौकर-चाकर किया करते हैं, स्वयं करते थे। बैरिस्टरी में जब वे हजारों रुपयों की कमाई करते थे, तब भी रोज सुबह उठकर अपने हाथ से चक्की पर आटा पीसते थे। घर व साबरमती आश्रम में भी गाँधीजी ने मोटा आटा पीसने के कार्य को स्वयं ही जारी रखा।

वे गेहूँ को पीसने से पहले उसे अच्छी तरह बीनकर साफ करते थे। गाँधीजी को बाहरी लोगों के सामने मेहनत करने में शर्म नहीं आती थी। एक बार किसी कॉलेज के छात्र गाँधीजी से मिलने आए। उन्होंने गाँधीजी से सेवा का काम पूछा। गाँधीजी ने गेहूँ भरी थाली उनके सामने करके साफ करने के लिए कहा। वे एक घंटे में ही इस कार्य को करने से थक गए और गाँधीजी से विदा लेकर चले गए।

भंडार घर की साफ-सफाई व रसोईघर के कार्य करने में योगदान

गाँधीजी भंडार घर सँभालने में भी सहायता करते थे। रसोईघर में वे सब्जियों को छीलते थे तथा भंडार घर में गंदगी या मकड़ी के जाले को देखकर अपने साथियों के साथ उसे भी साफ करते थे। वे फल, सब्जी, अनाज की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते थे। वे आश्रमवासियों को स्वयं ही भोजन परोसा करते थे। दक्षिण अफ्रीका की जेल में भी उन्होंने सैकड़ों कैदियों को दिन में दो बार भोजन परोसने का कार्य किया था।

आश्रम के नियमानुसार सभी लोगों को अपने बर्तन स्वयं साफ करने होते थे। गाँधीजी ने एक दिन बड़े-बड़े पतीलों को साफ करने का कार्य स्वयं सँभाला तथा पतीलों को खूब रगड़-रगड़ कर साफ किया। बर्तन जब तक चमकते न थे, गाँधीजी को संतोष नहीं मिलता था। आश्रम के लिए कुएँ से पानी खींचने का कार्य भी वे प्रतिदिन स्वयं करते थे, क्योंकि उनका मानना था कि सभी को अपने हिस्से का शारीरिक श्रम करना चाहिए। उनमें हर काम करने की अद्भुत शक्ति व क्षमता थी ।

सेवा की भावना

साबरमती आश्रम के निर्माण कार्य के समय मेहमानों को तंबुओं में सोना पड़ता था। एक नवागत को बिस्तर रखने का स्थान पता न होने पर उसने अपना बिस्तर लपेटकर वहीं रख दिया और यह पता लगाने चला गया कि बिस्तर कहाँ रखना है। बिस्तर को वहाँ पड़ा देखकर गाँधीजी स्वयं उसका बिस्तर उठाकर उचित स्थान पर रखने जाते हैं। उनमें थकान का नामोनिशान नहीं था।

उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में बोअर युद्ध के समय घायलों को स्ट्रेचर पर लेटाकर एक दिन में पच्चीस-पच्चीस मील तक ले गए थे। गाँधीजी मीलों पैदल चलते थे। एक बार गाँधीजी के कुछ साथी जब तालाब की भराई का काम करके लौटे तो गाँधीजी ने उनके लिए त तश्तरियों में नाश्ते के लिए फल आदि तैयार रखे थे।

एक बार गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के नेता के रूप में भारतीय प्रवासियों की माँगों को ब्रिटिश सरकार के सामने रखने के लिए लंदन गए । भारतीय छात्रों ने उन्हें शाकाहारी भोजन पर आमंत्रित किया। छात्रों ने शाकाहारी भोजन स्वयं ही बनाने का निश्चय किया। दोपहर 2 बजे के लगभग वे स्वयं आकर उनमें शामिल हो गए और तश्तरियाँ धोने, सब्जी साफ करने तथा अन्य छोटे-छोटे कामों में छात्रों की सहायता करने लगे।

दूसरों से काम न कराना

गाँधीजी अपने लिए दूसरों से काम कराना बिल्कुल पसंद नहीं करते थे। जब गाँधीजी दौरा करते थे, तब वे रात को लिखते थे और उनके लिखते समय यदि लालटेन का तेल समाप्त हो जाता, तो सोते हुए किसी व्यक्ति को तेल डालने के लिए नहीं जगाते थे, बल्कि वे चंद्रमा की रोशनी में ही पत्र पूरा करना पसंद करते थे। नौआखाली पदयात्रा के समय गाँधीजी ने दो लोगों को शिविर में रहने की अनुमति दी। उन दोनों को खाखरा बनाना नहीं आता था तो गाँधीजी ने स्वयं उन्हें खाखरा बनाने की विधि बताई।

बच्चों के प्रति प्रेम व बड़ों का आदर

गाँधीजी बच्चों से बहुत प्रेम करते थे। उनका यह मानना था कि बच्चों के विकास के लिए माँ-बाप का प्यार, उनकी देखभाल आवश्यक होती है। अपने बच्चों की देखभाल के लिए भी उन्होंने दाई नहीं रखी थी। वे माँ की तरह बच्चों की देखभाल कर सकते थे, बच्चों को खिला-पिलाकर बहला भी सकते थे। अपने मित्र की पत्नी श्रीमती पोलक के बच्चे का भी रात में ध्यान रखते थे। गाँधीजी अपने से बड़ों का बहुत आदर-सम्मान करते थे।

दक्षिण अफ्रीका में जब गोपाल कृष्ण गाँधीजी के साथ ठहरे थे, तब गाँधीजी स्वयं गोखलेजी का बिस्तर ठीक करते, उनके लिए भोजन परोसते थे। कभी-कभी कपड़े इस्त्री करते, वे उनके पैर भी दबाने को तैयार रहते थे। एक बार दक्षिण अफ्रीका से भारत आने पर गाँधीजी कांग्रेस अधिवेशन में गए। वहाँ उन्होंने गंदगी साफ की। एक नेता के कहने पर पत्र – लेखन का काम समाप्त करके कमीज़ के बटन लगाए तथा उस नेता के अन्य काम भी बड़ी प्रसन्नता से किए।

जात-पाँत में विश्वास न रखना

गाँधीजी नौकरों को केवल वेतनभोगी नहीं, अपने भाई समान समझते थे और लोगों को भी यही बात समझाते थे। आश्रम में किसी सहायक को रखना होता, तो वे किसी हरिजन को रखने का आग्रह करते थे। एक बार भारत की जेल में उनके कई साथी कैदियों को उनकी सेवा का कार्य सौंपा गया। एक आदमी उनके लिए फल धोता और काटता, दूसरा बकरी दुहता, कोई निजी नौकर की तरह कार्य करता था आदि। एक ब्राह्मण कैदी उनके बर्तन धोता था तथा दो गौरे यूरोपियन प्रतिदिन उनकी चारपाई बाहर निकालते थे।

इंग्लैंड में नौकरों का सम्मान

इंग्लैंड में उन्होंने देखा कि ऊँचे घरानों में नौकरों को परिवार के सदस्य की तरह रखा जाता था। किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता था। एक बार एक अंग्रेज़ के घर से विदा लेते समय उन्हें यह देखकर बहुत खुशी हुई कि उस व्यक्ति ने गाँधीजी से घरेलू नौकरों का परिचय परिवार के सदस्यों के समान करवाया।

गाँधीजी स्वयं नौकरों को सम्मान देते थे। एक बार गाँधीजी एक भारतीय सज्जन के घर कई दिन रुके। चलते समय घर के नौकरों से विदा लेते समय उन्होंने उनसे कहा-मैं किसी को अपना नौकर नहीं समझता, आप लोगों को अपना भाई समझता हूँ। आपके द्वारा की गई सेवा का प्रतिदान देने का सामर्थ्य मुझमें नहीं है, किंतु ईश्वर इसका फल आपको अवश्य देंगे।

शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर (अनुबंधोपाध्य) Question And Answer शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

निबंध से (पृष्ठ संख्या 97)

प्रश्न 1. आश्रम में कॉलेज के छात्रों से गाँधीजी ने कौन-सा काम करवाया और क्यों?

उत्तर कॉलेज के जो छात्र आश्रम में गाँधीजी से मिलने आए थे, उन्हें अपने अंग्रेज़ी भाषा के ज्ञान पर बहुत गर्व था। गाँधीजी ने उनके मन की बात समझ ली। उन्हें गेहूँ बीनने का काम दिया गया। छात्रों ने लगभग एक घंटे तक गेहूँ बीनने का काम किया। गाँधीजी उन विद्यार्थियों को श्रम का महत्त्व सिखाना चाहते थे ।

प्रश्न 2. आश्रम में गाँधीजी कई ऐसे काम भी करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर- -चाकर करते हैं। पाठ से तीन ऐसे प्रसंगों को अपने शब्दों
में लिखो, जो इस बात का प्रमाण हों।

उत्तर गाँधीजी आश्रम में कई ऐसे काम करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर- र-चाकर करते हैं। पाठ में ऐसे कई प्रसंग आए हैं, जिनमें से प्रमुख हैं।

  1. एक कार्यकर्ता ने आश्रम में गाँधीजी से कहा कि आटा कम पड़ गया है, तो वे तुरंत आटा पीसने के लिए तैयार हो गए।
  2. आश्रम में रसोई के बर्तन बारी-बारी से दल बाँधकर धोते थे। गाँधीजी ने भी बड़े-बड़े पतीलों को खूब रगड़कर चमकाकर धोया।
  3. एक बार आश्रम में तालाब की भराई का काम करने में गाँधीजी के कुछ साथी व्यस्त थे। जब वे लोग कुदाल, फावड़ा और टोकरियाँ लेकर वापस लौटे तो उन्होंने देखा कि गाँधीजी ने उनके लिए कुछ फल काटकर तश्तरियाँ तैयार करके रखी थीं।

प्रश्न 3. लंदन में भोज पर बुलाए जाने पर गाँधीजी ने क्या किया?

उत्तर लंदन में भारतीय छात्रों ने गाँधीजी को भोज पर आमंत्रित किया। उन लोगों ने शाकाहारी भोजन बनाने का निश्चय किया था। जब छात्र काम करने में व्यस्त थे, तब गाँधीजी तीसरे पहर वहाँ पहुँचे। किसी ने उन्हें नहीं पहचाना। छात्रों के साथ मिलकर उन्होंने सब्जियाँ छीलीं, बर्तन धोए तथा अन्य कामों में उन छात्रों की सहायता की। शाम को भोज के समय छात्रों ने गाँधीजी को पहचाना।

प्रश्न 4. गाँधीजी ने श्रीमती पोलक के बच्चे का दूध कैसे छुड़वाया? अथवा श्रीमती पोलक की गाँधीजी ने किस प्रकार सहायता की?

उत्तर श्रीमती पोलक का बच्चा माँ का दूध पीना नहीं छोड़ रहा था। बच्चा अपनी माँ को रात-रात भर जगाए रखता था, जिसके कारण वे बहुत कमज़ोर हो गई थीं। गाँधीजी ने बच्चे की देखभाल का काम अपने ऊपर ले लिया। वे रात में श्रीमती पोलक के बच्चे को अपने बिस्तर पर लिटा लेते। चारपाई के पास पानी का बर्तन रख लेते, जिससे बच्चे को जब भी प्यास लगे, पिला दें। बच्चा आराम से गाँधीजी के पास सोता रहता। लगभग एक पखवाड़े तक माँ से अलग सुलाने पर बच्चे ने माँ का दूध पीना छोड़ दिया।

प्रश्न 5. आश्रम में काम करने या करवाने का कौन-सा तरीका गाँधीजी अपनाते थे? इसे पाठ पढ़कर लिखो ।

उत्तर आश्रम में गाँधीजी स्वयं काम करते थे। दूसरों से काम करवाने में सख्ती बरतते थे। अपने काम दूसरों से करवाना पसंद नहीं करते थे। किसी के पूछने पर वे काम बता देते थे। गाँधीजी को काम करने के लिए कोई भी मना नहीं कर पाता था। गाँधीजी स्वयं काम करने लगते थे, उन्हें देखकर ही दूसरे लोग काम करने लग जाते थे। वे किसी को भी नौकर की तरह नहीं समझते थे। वे नौकर को भाई-बहन की तरह समझते थे।

निबंध से आगे (पृष्ठ संख्या 97)

प्रश्न 1. गाँधीजी इतना पैदल क्यों चलते थे? पैदल चलने के क्या लाभ हैं? लिखो ।

उत्तर गाँधीजी बहुत पैदल चलते थे। वे शारीरिक श्रम को बहुत महत्त्व देते थे। पैदल चलने से शारीरिक व्यायाम होता है। शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है। पैदल चलने से मनुष्य स्वस्थ रहता है। मनुष्य में अद्भुत क्षमता और शक्ति बनी रहती है। गाँधीजी जब अफ्रीका में टालस्टॉय बाडी में रहते थे, तब वे दिन में प्रायः 42 मील पैदल चलते थे।

प्रश्न 2. अपने घर के किन्हीं दस कामों की सूची बनाकर लिखो और यह भी कि उन कामों को घर के कौन-कौन से सदस्य अकसर करते हैं? तुम तालिका की सहायता ले सकते हो

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर (अनुबंधोपाध्य) Question And Answer निबंध से आगे

अब यह देखो कि कौन सबसे ज्यादा काम करता है और कौन सबसे कम। कामों का बराबर बँटवारा हो सके, इसके लिए तुम क्या कर सकते हो ? सोचकर कक्षा में बताओ।

उत्तर छात्र स्वयं करें।

अनुमान और कल्पना ( पृष्ठ संख्या 98)

प्रश्न 1. गाँधीजी अपने साथियों का जरूरत के मुताबिक हर काम कर देते थे, लेकिन उनका स्वयं का काम कोई और करे, ये उन्हें पसंद नहीं था । क्यों? सोचो और अपनी कक्षा में सुनाओ।

उत्तर गाँधीजी में सभी प्रकार का काम करने की शक्ति और क्षमता थी। वे अपने हिस्से का दैनिक श्रम स्वयं करते थे। उन्हें अपने काम दूसरों से करवाना पसंद नहीं था, परंतु वे अपने साथियों के काम में सहायता करते थे। गाँधीजी दूसरों के काम स्वयं कर दिया करते थे। उन्हें काम करता देख दूसरे लोग भी स्वयं काम करने लगते। किसी भी कार्य को करने के लिए वे आदेश देना अच्छा नहीं समझते थे।

प्रश्न 2.’नौकरों को हमें वेतनभोगी मज़दूर नहीं, अपने भाई के समान मानना चाहिए। इसमें कुछ कठिनाई हो सकती है, फिर भी हमारी कोशिश सर्वथा निष्फल नहीं जाएगी।’ गाँधीजी ऐसा क्यों कहते होंगे? तर्क के साथ समझाओ।

उत्तर गाँधीजी नौकरों को केवल वेतन पाकर काम करने वाला नहीं समझते थे। वे उन्हें भाई के समान समझते थे। गाँधीजी का मानना था कि भाई के समान आदर देने से नौकर अपने को हीन नहीं समझेंगे। अपनी रुचि, क्षमता और लगन से काम करेंगे, परंतु कभी-कभी नौकर इस बात का अनुचित लाभ उठा सकता है। हमें उन्हें प्रसन्न करते रहना चाहिए। हमें प्रयत्न करना छोड़ना नहीं चाहिए। गाँधीजी स्वयं नौकरों के साथ अच्छा व्यवहार करते थे।

प्रश्न 3. गाँधीजी की कही-लिखी बातें लगभग सौ से अधिक किताबों में दर्ज हैं। घर के काम, बीमारों की सेवा, आगंतुकों से बातचीत आदि ढेरों काम करने के बाद गाँधीजी को लिखने का समय कब मिलता होगा ? गाँधीजी का एक दिन कैसे गुज़रता होगा, इस पर अपनी कल्पना से लिखिए?

उत्तर गाँधीजी समय का सदुपयोग करते होंगे। उनकी दिनचर्या निश्चित होगी। सवेरे होते ही वे लंबी सैर पर जाते थे। प्रार्थना सभा के बाद नाश्ता करके अपने कार्यों में जुट जाया करते थे। दिनभर काम करने के बाद रात के भोजन के बाद विश्राम करते थे। भोजन के बाद रात में लिखने का काम करते होंगे। इसी बीच आगंतुकों से मिलने का काम करते होंगे। गाँधीजी में 16 काम के प्रति अद्भुत शक्ति और क्षमता थी।

प्रश्न 4. पाठ में बताया गया है कि गाँधीजी और उनके साथी आश्रम में रहते थे। घर और स्कूल के छात्रावास से गाँधीजी का आश्रम किस तरह अलग था? कुछ वाक्यों में लिखो ।

उत्तर आश्रम में साधु-संत निवास करते हैं। वे आश्रम में ही पूजा-पाठ, भोजन, विश्राम आदि करते थे। वे गृहस्थ जीवन से अलग होते हैं। छात्रावास में छात्र-छात्राएँ रहती हैं, वहीं छात्र पढ़ते-लिखते, खेलते और रहते हैं। छात्रावास में केवल छात्र निवास करते हैं। गाँधीजी का साबरमती आश्रम छात्रावास तथा अन्य आश्रमों से बिल्कुल भिन्न था। साबरमती आश्रम में गाँधी के सहयोगी, उनके मित्र रहते थे।

आश्रम के कुछ नियम थे, उन नियमों का पालन सबको करना होता था। निर्धारित दिनचर्या भी रहती थी। आश्रम में नौकर नहीं रखे जाते थे, सभी काम आपस में मिल-जुलकर किए जाते थे। सभी लोगों के काम निर्धारित थे। आश्रम में रहने वाले लोगों को सभी आदर देते थे। सभी आश्रमवासी मिल-जुलकर रहते थे।

प्रश्न 5. ऐसे कामों की सूची बनाओ, जिन्हें तुम प्रतिदिन स्वयं कर सकते हो।

उतर हम अपने घर में प्रतिदिन निम्नलिखित कार्य स्वयं कर सकते हैं

  • अपना कमरा साफ करना।
  • अपने बिस्तर को ठीक से रखना ।
  • पुस्तकें अलमारी में उचित ढंग से लगाना ।
  • अपने जूते, वर्दी, बस्ता सही स्थान पर रखना ।
  • अपने जूते पॉलिश करना या साफ करना ।
  • ‘कपड़े स्वयं धोना एवं उन पर इस्त्री करना।
  • बाज़ार से छोटा-मोटा सामान ला देना।
  • गृहकार्य स्वयं करना।
  • माँ के कामों में सहायता कर सकते हैं।
  • दादाजी / दादीजी को समय पर दवा दे सकते हैं।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 98 व 99)

प्रश्न 1. (क) ‘पिसाई’ संज्ञा है पीसना शब्द से ‘ना’ निकाल देने पर ‘पीस’ धातु रह जाती है। पीस धातु में ‘आई’ प्रत्यय जोड़ने पर ‘पिसाई ‘ शब्द बनता है। किसी-किसी क्रिया में प्रत्यय जोड़कर उसे संज्ञा बनाने के बाद उसके रूप में बदलाव आ जाता है; जैसे-ढोना से दुलाई, बोना से बुआई । मूल शब्द के अंत में जुड़कर नया शब्द बनाने वाले शब्दांश को प्रत्यय कहते हैं।

नीचे कुछ संज्ञाएँ दी गई हैं। बताओ ये किन क्रियाओं से बनी हैं?

  • रोपाई ___________
  • सिंचाई ___________
  • कटाई ___________
  • सिलाई ___________
  • कताई ___________
  • रँगाई ___________

उत्तर

संज्ञा

  • रोपाई
  • कटाई
  • सिंचाई
  • सिलाई
  • कताई
  • रँगाई

क्रियाएँ

  • रोपना
  • काटना
  • सींचना
  • सिलना
  • कातना
  • रँगना

(ख) हर काम-धंधे के क्षेत्र की अपनी कुछ अलग भाषा और शब्द-भंडार भी होते हैं। उपरोक्त लिखे शब्दों का संबंध दो अलग-अलग कामों से है। पहचानो कि दिए गए शब्दों के संबंध किन-किन कामों से हैं?

उत्तर उपरोक्त दिए गए शब्दों का संबंध कृषि और वस्त्र उद्योग से है।

प्रश्न 2. (क) तुमने कपड़ों को सिलते हुए देखा होगा। नीचे इस काम से जुड़े कुछ शब्द दिए गए हैं। आस-पास के बड़ों से या दरजी से इन शब्दों के बारे में पूछो और इन शब्दों को वाक्यों में समझाओ।

(तुरपाई, बखिया, कच्ची सिलाई, चोर सिलाई)

उत्तर

  • तुरपाई: कुर्ता अच्छा सिला था पर तुरपाई खुल गई।
  • बखिया: मशीन से लगाई बखिया पक्की होती है।
  • कच्ची सिलाई: मैंने पहले कच्ची सिलाई की है, नाप कर देख लो।
  • चोर सिलाई: जेब लगाने के लिए चोर सिलाई की गई।

(ख) नीचे लिखे गए शब्द पाठ से लिए गए हैं। इन्हें पाठ में खोजकर बताओ कि ये स्त्रीलिंग हैं या पुल्लिंग।

(कालिख, रोशनी, भराई, सेवा, चक्की, पतीला)

उत्तर

  • कालिख – स्त्रीलिंग
  • रोशनी – स्त्रीलिंग
  • भराई – स्त्रीलिंग
  • सेवा – स्त्रीलिंग
  • चक्की – स्त्रीलिंग
  • पतीला – पुल्लिंग

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. साबरमती आश्रम किस राज्य में है?

(क) ओडिशा में
(ख) गुजरात में
(ग) बंगाल में
(घ) बिहार में

उत्तर (ख) गुजरात में

2. गाँधीजी के साथ दक्षिण अफ्रीका में कौन ठहरा था ?

(क) सरदार बल्लभभाई पटेल
(ख) नेताजी सुभाषचंद्र बोस
(ग) रामकृष्ण गोखले
(घ) गोपाल कृष्ण गोखले

उत्तर (घ) गोपाल कृष्ण गोखले

3. गाँधीजी पैदल क्यों चलते थे?

(क) उनको डॉक्टर ने सलाह दी थी
(ख) स्वस्थ रहने के लिए
(ग) पैसा बचाने के लिए
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर (ख) स्वस्थ रहने के लिए

4. गाँधीजी सवेरे की प्रार्थना के बाद कौन-सा कार्य करते थे?

(क) सब्जियाँ धोना
(ख) सब्जियाँ काटना
(ग) सब्जियाँ छीलना
(घ) सब्जियाँ लाना

उत्तर (ग) सब्जियाँ छीलना

5. गाँधीजी आश्रम में किस प्रकार के काम करते थे?

(क) चक्की से आटा पीसा करते थे
(ख) कपड़े धुलवाते थे.
(ग) घूमा करते थे
(घ) समय के साथ-साथ काम करते थे।

उत्तर (क) चक्की से आटा पीसा करते

6. नौकरों को गाँधीजी क्या मानते थे?

(क) ताऊ
(ख) चाचा
(ग) भाई
(घ) मामा

उत्तर (ग) भाई

7. बच्चों से किसको प्रेम था ?

(क) कस्तूरबा को
(ख) मनोहरलाल को
(ग) दयावती को
(घ) गाँधीजी को

उत्तर (घ) गाँधीजी को

8. ‘प्रवासी भारतीयों के नेता के रूप में उनकी माँगों को लेकर’ दक्षिण अफ्रीका से लंदन कौन गया था?

(क) गाँधीजी
(ख) रामकृष्णा गोखले
(ग) गोपालकृष्ण गोखले
(घ) नेताजी सुभाषचंद्र

उत्तर (क) गाँधीजी

9. ‘नौकर’ पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है?

(क) आत्मनिर्भर न बनो
(ख) दूसरों पर विश्वास रखो
(ग) बहादुर बनो
(घ) अपने कार्य स्वयं करो

उत्तर (घ) अपने कार्य स्वयं करो

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर गद्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

गद्यांश 1

आश्रम में गाँधीजी कई ऐसे काम भी करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं। जिस जमाने में वे बैरिस्टरी से हजारों रुपये कमाते थे, उस समय भी वे प्रतिदिन सुबह अपने हाथ से चक्की पर आटा पीसा करते थे। चक्की चलाने में कस्तूरबा और उनके लड़के भी हाथ बँटाते थे। इस प्रकार घर में रोटी बनाने के लिए महीन या मोटा आटा वे खुद पीस लेते थे। साबरमती आश्रम में भी गाँधीजी ने पिसाई का काम जारी रखा । वह चक्की को ठीक करने में कभी-कभी घंटों मेहनत करते थे। एक बार एक कार्यकर्ता ने कहा कि आश्रम में आटा कम पड़ गया है। आटा पिसवाने में हाथ बँटाने के लिए गाँधी जी फौरन उठकर खड़े हो गए।

1. गाँधीजी की पत्नी का क्या नाम था ?

(क) कस्तूरी
(ख) कसूटी
(ग) कस्तूरबा
(घ) लक्ष्मी

उत्तर (ग) कस्तूरबा

2. गाँधीजी ने साबरमती आश्रम में क्या काम जारी रखा?

(क) धुलाई
(ग) कटाई
(ख) पिसाई
(घ) जुताई

उत्तर (ख) पिसाई

3. कभी-कभी चक्की को ठीक करने में गाँधीजी कितना समय लगा देते थे?

(क) दिनों उत्तर
(ख) महीनों
(ग) घंटों
(घ) वर्षों

उत्तर (ग) घंटों

4. गाँधीजी की पत्नी और बेटे किस काम में उनका हाथ बँटाते थे?

उत्तर गाँधीजी की पत्नी और बेटे चक्की चलाने में उनका हाथ बँटाते थे।

5. इस पाठ में दिए गए ‘उस समय भी’ शब्द के द्वारा लेखक ने किस समय की बात की है?

उत्तर जब गाँधीजी वकालत करते थे, लेखक ने उस समय की बात की है।

6. सभी लोग गाँधीजी को देखकर हैरत में क्यों पड़ जाते थे ?

उत्तर सभी लोग गाँधीजी के शारीरिक श्रम को देखकर हैरत में पड़ जाते थे। वकालत का कार्य करने पर भी वे गेहूँ बीनने तक के कार्य को छोटा नहीं समझते थे।

गद्यांश 2

एक बार उनके पास कॉलेज के कोई छात्र मिलने आए। उनको अंग्रेजी भाषा के अपने ज्ञान का बड़ा गर्व था। गाँधीजी से बातचीत के अंत में वे बोले, “बापू, यदि मैं आपकी कोई सेवा कर सकूँ तो कृपया मुझे अवश्य बताएँ।” उन्हें आशा थी कि बापू उन्हें कुछ लिखने-पढ़ने का काम देंगे। गाँधीजी ने उनके मन की बात ताड़ ली और बोले, “अगर आपके पास समय हो, तो इस थाली के गेहूँ बीन डालिए। ” आगंतुक बड़ी मुश्किल में पड़ गए, लेकिन अब तो कोई चारा नहीं था। एक घंटे तक गेहूँ बीनने के बाद वह थक गए और चले गए।

1. गाँधीजी से मिलने छात्र कहाँ से आए थे?

(क) छात्रावास से
(ख) कॉलेज से
(ग) यूनिवर्सिटी से
(घ) स्कूल से

उत्तर (ख) कॉलेज से

2. छात्रों को किस बात का गर्व था?

(क) अपने स्वास्थ्य पर
(ख) अपने खेल पर
(ग) अंग्रेजी ज्ञान पर
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ग) अंग्रेजी ज्ञान पर

3. गाँधीजी ने छात्रों को क्या काम दिया?

(क) बर्तन माँजने का
(ख) चक्की चलाने का
(ग) कताई करने का
(घ) गेहूँ बीनने का

उत्तर (घ) गेहूँ बीनने का

4. गाँधीजी से मिलने कौन आए थे?

उत्तर एक बार गाँधीजी से मिलने कॉलेज के छात्र आए थे।

5. कॉलेज के छात्रों ने बापू से क्या आशा की थी?

उत्तर कॉलेज के छात्रों ने सोचा बापू उन्हें कुछ पढ़ने-लिखने का काम देंगे।

6. गाँधीजी ने छात्रों से क्या कहा?

उत्तर गाँधीजी ने छात्रों से कहा, “अगर आपके पास समय हो, तो इस थाली के गेहूँ बीन डालिए। ”

गद्यांश 3

एक दिन गाँधीजी ने बड़े-बड़े पतीलों को खुद साफ करने का काम अपने ऊपर लिया। इन पतीलों की पेंदी में खूब कालिख लगी थी। राख भरे हाथों से वह एक पतीले को खूब जोर-जोर से रगड़ने में लगे हुए थे कि तभी कस्तूरबा वहाँ आ गईं। उन्होंने पतीले को पकड़ लिया और बोली, “यह काम आपका नहीं है। इसे करने को और बहुत से लोग हैं।” गाँधी को लगा कि उनकी बात मान लेने में ही बुद्धिमानी है और वे चुपचाप कस्तूरबा को उन बर्तनों की सफाई सौंपकर चले आए। बर्तन एकदम चमकते न हों, तब तक गाँधीजी को संतोष नहीं होता था। एक बार जेल में उनको जो मददगार दिया गया था, उसके काम से असंतुष्ट होकर उन्होंने बताया था कि वे खुद कैसे लोहे के बर्तनों को भी माँजकर चाँदी – सा चमका सकते थे।

1. पतीलों में कालिख कहाँ लगी थी?

(क) पेंदी में
(ख) नीचे
(ग) ऊपर
(घ) कहीं नहीं

उत्तर (क) पेंदी में

2. किन बर्तनों को गाँधीजी चाँदी- सा चमका सकते थे?

(क) सोने के
(ख) लोहे के
(ग) काँसे के
(घ) पीतल के

उत्तर (ख) लोहे के

3. गाँधीजी को संतोष नहीं होता था

  • कथन 1 जब तक वह स्वयं बर्तन न धोएँ ।
  • कथन 2 जब तक बर्तन चमक न जाएँ।

(क) 1 और 2 दोनों सही हैं।
(ख) 1 गलत है और 2 सही है।
(ग) 1 सही है और 2 गलत है।
(घ) 1 और 2 दोनों गलत हैं।

उत्तर (ख) 1 गलत है और 2 सही है।

4. गाँधीजी ने अपने ऊपर क्या काम लिया?

उत्तर गाँधीजी ने बड़े-बड़े पतीलों को साफ करने का काम अपने ऊपर लिया।

5. कस्तूरबा जब आईं तो गाँधीजी क्या कर रहे थे?

उत्तर कस्तूरबा जब आईं तो गाँधीजी राखभरे हाथों से पतीले को रगड़ने में लगे थे।

6. गाँधीजी को पतीला साफ करते देख कस्तूरबा ने क्या कहा ?

उत्तर कस्तूरबा ने गाँधीजी से कहा, “यह काम आपका नहीं है। इसे करने को और बहुत-से लोग हैं। ”

गद्यांश 4

दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के जाने-माने नेता के रूप में गाँधीजी भारतीय प्रवासियों की माँगों को ब्रिटिश सरकार के सामने रखने के लिए एक बार लंदन गए । वहाँ उन्हें भारतीय छात्रों ने एक शाकाहारी भोज में निमंत्रित किया। छात्रों ने इस अवसर के लिए स्वयं ही शाकाहारी भोजन तैयार करने का निश्चय किया था।

तीसरे पहर दो बजे एक दुबला-पतला और छरहरा आदमी आकर उनमें शामिल हो गया और तश्तरियाँ धोने, सब्जी साफ करने और अन्य छुट-पुट काम करने में उनकी मदद करने लगा। बाद में छात्रों का नेता वहाँ आया तो क्या देखता है कि वह दुबला-पतला आदमी और कोई नहीं, उस शाम को भोज में निमंत्रित उनके सम्मानित अतिथि- गाँधीजी थे।

1. गाँधीजी कहाँ गए थे?

(क) कनाडा
(ख) लंदन
(ग) दक्षिण अफ्रीका
(घ) बर्मा

उत्तर (ख) लंदन

2. छात्रों ने गाँधीजी को कैसा भोजन कराने का निश्चय किया?

(क) शाकाहारी
(ख) मांसाहारी
(ग) चाइनीज
(घ) दक्षिण भारतीय

उत्तर (क) शाकाहारी

3. छात्रों के नेता को कब पता चला कि गाँधीजी ने उनकी दोपहर में सहायता की?

(क) कभी नहीं
(ख) दिन में ही
(ग) शाम को
(घ) अगले दिन

उत्तर (ग) शाम को

4. गाँधीजी लंदन क्यों गए थे?

उत्तर गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के जाने-माने नेता के रूप में दक्षिण भारतीय प्रवासियों की माँगों को ब्रिटिश सरकार के सामने रखने लंदन गए थे।

5. लंदन में रह रहे छात्रों ने क्या किया?

उत्तर लंदन में रह रहे भारतीय छात्रों ने गाँधीजी को शाकाहारी भोजन के लिए निमंत्रित किया।

6. तीसरे पहर गाँधीजी ने क्या किया?

उत्तर तीसरे पहर गाँधीजी स्वयं छात्रों के दल में शामिल हो गए और उनकी तश्तरियाँ धोने, सब्जी काटने, साफ करने आदि में उनकी सहायता करने लगे।

गद्यांश 5

जब गाँधीजी गाँवों का दौरा कर रहे होते, उस समय रात को यदि लिखते समय लालटेन का तेल खत्म हो जाता, तो वे चंद्रमा की रोशनी में ही पत्र पूरा कर लेना ज्यादा पसंद करते थे, लेकिन सोते हुए अपने किसी थके हुए साथी को नहीं जगाते थे। नौआखाली पद यात्रा के समय गाँधीजी ने अपने शिविर में केवल दो आदमियों को ही रहने की अनुमति दी। इन दोनों को यह नहीं मालूम था कि खाखरा कैसे बनाया जाता है। इस पर गाँधीजी स्वयं रसोई में जा बैठे और निपुण रसोइए की तरह उन्होंने खाखरा बनाने की विधि बताई। उस समय गाँधीजी की अवस्था अठहत्तर वर्ष की थी।

1. नौआखाली पद यात्रा में गाँधीजी कहाँ की यात्रा कर रहे थे?

(क) विदेश की
(ख) गाँवों की
(ग) स्कूलों की
(घ) अस्पतालों की

उत्तर (ख) गाँवों की

2. गाँधीजी अपना अधूरा पत्र किस रोशनी में ही पूरा करते थे?

(क) सूरज की
(ख) ट्यूबलाइट की
(ग) चंद्रमा की
(घ) तारे की

उत्तर (ग) चंद्रमा की

3. शिविर में कितने लोगों को रहने की अनुमति थी ?

(क) तीन
(ख) दो
(ग) चार

उत्तर (ख) दो

4. गाँधीजी लालटेन का तेल समाप्त होने पर क्या करते?

उत्तर गाँधीजी लालटेन का तेल समाप्त होने पर चंद्रमा की रोशनी में पत्र पूरा कर लेते थे।

5. गाँधीजी अपने कार्य के लिए सोते हुए साथी को क्यों नहीं जगाते थे?

उत्तर गाँधीजी अपने कार्य के लिए सोते हुए साथी को इसलिए नहीं जगाते थे, क्योंकि वे अपने कार्य के लिए किसी को भी परेशान नहीं करना चाहते थे।

6. इस गद्यांश में किस यात्रा का उल्लेख है?

उत्तर इस गद्यांश में नौआखाली पद यात्रा का उल्लेख लेखिका ने किया है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. गाँधीजी किस आश्रम में रहते थे? यह आश्रम किस राज्य में है?

उत्तर गाँधीजी साबरमती आश्रम में रहते थे। यह आश्रम अहमदाबाद भारत के गुजरात राज्य में है।

2. आश्रम के कार्यकर्ता के बताने पर कि आटा कम पड़ गया है, गाँधीजी ने क्या किया?

उत्तर आश्रम के कार्यकर्ता ने जैसे ही बताया कि आटा कम पड़ गया है, तो गाँधीजी तुरंत गेहूँ पीसने के लिए तैयार हो गए।

3. रसोईघर या भंडारघर में यदि गाँधीजी को गंदगी दिखाई पड़ती, तो वे क्या करते थे?

उत्तर गाँधीजी को यदि रसोईघर या भंडारघर में जरा सी भी गंदगी या मकड़ी का जाला दिख जाता, तो वे अपने साथियों को आड़े हाथों लेते थे।

4. चकते पड़े केलों की क्या विशेषता होती है?

उत्तर केलों के जिन छिलकों पर चकते पड़े होते हैं, वे अधिक पके हुए होते हैं। ये केले खाने के बाद जल्दी पच जाते हैं।

5. गाँधीजी आश्रम में सहायक के लिए क्या आग्रह करते थे?

उत्तर गाँधीजी को कभी आश्रम में किसी सहायक को रखने की आवश्यकता होती, तो वे किसी हरिजन को रखने का आग्रह करते थे ।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर लघु उत्तरीय प्रश्न

1. गाँधीजी को भोजन पकाने के विषय में क्या जानकारियाँ थीं?

उत्तर गाँधीजी को सब्जी, फल और अनाज के पौष्टिक गुणों का ज्ञान था। वे लोगों को बताते कि आलू और नींबू बिना धोए नहीं काटने चाहिए। उन्होंने शिविर में रहे दो लोगों को खाखरा बनाने की विधि भी सिखाई थी।

2. आश्रम निर्माण के समय गाँधीजी ने नवागत की किस प्रकार सहायता की?

उत्तर आश्रम निर्माण का कार्य चल रहा था। मेहमानों को तंबुओं में रहना होता था। एक नवागत अपना बिस्तर लेकर आया। उसे पता नहीं था कि अपना बिस्तर कहाँ रखना है, जब तक वह पता लगाकर लौटा गाँधीजी स्वयं उसका बिस्तर कंधे पर उठाए चले आए।

3. आप कैसे कह सकते हैं कि गाँधीजी बड़ों का आदर करते थे?

उत्तर दक्षिण अफ्रीका में गोखले जी गाँधीजी के साथ रुके हुए थे। गाँधीजी रोज गोखले जी का बिस्तर ठीक करते, भोजन परोसते, कपड़ों पर इस्त्री करते और पैर दबाने के लिए भी तैयार रहते थे। बहुत मना करने पर भी वे नहीं मानते थे।

4. बर्तन एक दम चमकते न हों, तब तक गाँधीजी को संतोष नहीं होता था – लेखिका का क्या तात्पर्य है?

उत्तर आश्रम के नियमानुसार, रसोई के बर्तन दल बाँधकर समूह में धोए जाते थे। एक दिन गाँधीजी ने बर्तन धोने का काम अपने ऊपर ले लिया। उन्होंने बड़े-बड़े पतीलों को खूब रगड़-रगड़ कर धोया। उस दिन बर्तनों की पेंदी में बहुत कालिख लगी थी।

5. कॉलेज के छात्र गाँधीजी से मिलने आए, वे एक घंटे बाद वापस क्यों चले गए?

उत्तर साबरमती आश्रम में गाँधीजी से मिलने कॉलेज के कुछ छात्र आए । उन छात्रों को अपने अंग्रेजी के ज्ञान पर गर्व था। गाँधीजी से उन्होंने कुछ सेवा के लिए कार्य पूछा।

गाँधीजी ने उन्हें उत्तर दिया- यदि आपके पास समय है, तो इस थाली का गेहूँ बीन डालिए। छात्रों को आशा थी कि गाँधीजी उन्हें कुछ लिखने-पढ़ने का काम देंगे। लगभग एक घंटा गेहूँ बीनने के बाद छात्र वापस चले गए।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. इस पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर इस पाठ से हमें शारीरिक श्रम करने की शिक्षा मिलती है। श्रम की महत्ता को समझना चाहिए। शारीरिक श्रम करने से ही शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है। शारीरिक व्यायाम, पैदल चलने आदि को अपनी दिनचर्या में रखना आवश्यक है। सभी कार्यों को समान समझना चाहिए, कोई कार्य छोटा और बड़ा नहीं होता।

नौकरों को केवल वेतनभोगी नहीं, बस उनके साथ भाई-बहन की तरह व्यवहार करना चाहिए। हमें अपना काम स्वयं करना चाहिए। किसी पर अपने काम के लिए निर्भर नहीं होना चाहिए तथा जरूरत पड़ने पर दूसरों की सहायता करनी चाहिए।

2. गाँधीजी नौकरों के साथ भाई के समान व्यवहार करते थे। क्या यह उचित है? आप अपने नौकर / नौकरानी के साथ कैसा व्यवहार करते हैं?

उत्तर गाँधीजी नौकरों को केवल वेतन लेकर काम करने वाला व्यक्ति नहीं, बल्कि अपने भाई की तरह समझते थे। उसके साथ समानता का व्यवहार करते थे। मेरे अनुसार, गाँधीजी का यह व्यवहार सर्वथा उचित है। मैं अपनी नौकरानी के साथ भी अच्छा व्यवहार करता हूँ। घर में उसका नाम लेकर नहीं पुकारता उसे दीदी कहता हूँ कभी जो से चिल्लाकर बात नहीं करता। मैं उसे बड़ी बहन के समान मानता हूँ।

3. गाँधीजी शारीरिक व्यायाम को बहुत महत्त्व देते थे। उदाहरण सहित बताइए।

उत्तर गाँधीजी शारीरिक व्यायाम को दिनचर्या का आवश्यक अंग मानते थे। प्रातः काल ही वे लंबी सैर पर जाया करते थे। दक्षिण अफ्रीका में जब वे टॉलस्टॉय बाड़ी में रहते थे, तब अकसर बयालीस मील तक पैदल अचलते थे। दक्षिण अफ्रीका के बोअर युद्ध के समय घायलों को स्ट्रेचर पर लादकर एक दिन में पच्चीस-पच्चीस मील तक ले गए। आश्रम में गेहूं पीसना, बर्तन धोना, गंदगी साफ करना आदि सभी कार्य स्वयं अपने हाथों से किया करते थे।

4. गाँधीजी को अपना कार्य किसी दूसरे से करवाना बिल्कुल पसंद नहीं था। सोदाहरण बताइए ।

उत्तर आश्रम के नियम के अनुसार, आश्रमवासियों के काम बँटे हुए थे। गाँधीजी कुएँ से पानी खींचने का काम प्रतिदिन करते थे। एक दिन गाँधीजी कुछ अस्वस्थ थे। गेहूँ पीसने का काम वे कर चुके थे। एक साथी ने उन्हें थकावट से बचाने के लिए अन्य आश्रमवासियों की सहायता से बर्तनों में पानी भर दिया। गाँधीजी को यह बात पसंद नहीं आई और स्वयं बच्चों का टब उठाकर गए और कुएँ से पानी भरकर आश्रम में ले आए।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 7 टिकट- अलबम Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 7 टिकट-अलबम Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 7 टिकट-अलबम पाठ का सार

राजप्पा और नागराजन का अलबम

राजप्पा और नागराजन दोनों सहपाठी थे। राजप्पा के पास टिकटों का सुंदर अलबम था, जिसके कारण सभी छात्र उसकी प्रशंसा करते थे। नागराजन के मामाजी ने सिंगापुर से नागराजन के लिए अलबम भेजा था। वह अलबम बहुत सुंदर था। नागराजन कक्षा के सहपाठियों को अपना अलबम दिखाता रहता था।

विद्यालय में पहली घंटी के बाद से लड़के-लड़कियाँ उसे घेरकर अलबम देखने लगते थे। आधी छुट्टी में भी बच्चे नागराजन का अलबम देखते रहते थे। अलबम को देखने के लिए कई टोलियाँ बनाकर बच्चे नागराजन के घर भी जाते थे। नागराजन किसी भी लड़के या लड़की को अलबम छूने नहीं देता था। वह स्वयं ही अलबम को गोद में रखकर एक-एक पन्ना पलटता था और सभी दूर से अलबम देखते थे।

नागराजन तथा राजप्पा के अलबम की तुलना

राजप्पा ने मधुमक्खियों की तरह मेहनत करके एक-एक टिकट इकट्ठी की थी। राजप्पा सुबह आठ बजे ही टिकट जमा करने वाले लड़कों के घर निकल जाता था और अपने फालतू टिकट देकर उन लड़कों से अपनी पसंद का टिकट ले लेता था। राजप्पा का अलबम स्कूल में सबसे बड़ा था। सरपंच का लड़का पच्चीस रुपये में अलबम खरीदना चाहता था, परंतु राजप्पा ने देने से मना कर दिया।

नागराजन का अलबम आ जाने के कारण कक्षा में कोई भी राजप्पा का अलबम नहीं देखता था। कक्षा के लड़के-लड़कियाँ जब नागराजन का अलबम देखते तो राजप्पा नीची निगाहें करके उस अलबम को देख लेता था। नागराजन का अलबम वास्तव में बहुत अच्छा था। नागराजन के अलबम के पहले पृष्ठ पर उसका नाम और यह लिखा हुआ था कि इस अलबम को चुराने वाला बेशर्म है। राजप्पा ने अपना अलबम नागराजन से बड़ा बताया।

उसने अपने अलबम में अधिक टिकट होने की

बात भी कही, लेकिन कृष्णन ने उस अलबम को कूड़ा कह दिया। इतनी मेहनत और लगन से इकट्ठे किए गए टिकटों वाले अलबम के बारे में ‘कूड़ा’ शब्द सुनकर राजप्पा को बुरा लगा।

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राजप्पा की मनोदशा

इस घटना के बाद से राजप्पा को स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था। वह मन ही मन कुढ़ता रहता था। पहले राजप्पा शनिवार और रविवार को टिकट की खोज में लगा रहता था पर अब घर में रहने लगा। वह दिन में कई बार अपना अलबम उलटता पलटता रहता था। अकसर कुछ सोचकर उठ जाता और ट्रंक खोलकर अलबम निकालकर पूरा देख लेता।

राजप्पा का नागराजन के घर जाना

एक दिन शाम को राजप्पा ने नागराजन के घर जाने की योजना बनाई। किसी ने राजप्पा को जाने से नहीं रोका, क्योंकि राजप्पा नागराजन के घर अकसर आया-जाया करता था। राजप्पा सीधा नागराजन की मेज के पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गया। कुछ देर बाद वहाँ नागराजन की बहन कामाक्षी आई और बताया कि नागराजन शहर गया है। कामाक्षी ने राजप्पा से नागराजन के अलबम के बारे में कहा कि सुना है किसी के पास भी इतना सुंदर और बड़ा अलबम नहीं है। यह सुनकर राजप्पा बहुत चिढ़ गया।

राजप्पा द्वारा नागराजन की अलबम को चोरी करना

कामाक्षी के नीचे जाने के बाद राजप्पा मेज पर बिखरी पुस्तकों को टटोलने लगा, तो उसका हाथ दराज में लगे ताले पर लग गया। उसने ताला खोलने के लिए मेज से चाबी ढूंढी और सीढ़ी से नीचे झाँककर देखा। राजप्पा ने दराज खोलकर देखा, तो अलबम ऊपर ही रखा था। उसने अलबम खोलकर पहला पृष्ठ पढ़ा और अलबम को कमीज के नीचे छिपा लिया।

राजप्पा जल्दी से दराज बंद करके सीढ़ियों से उतरकर घर चला गया। अलबम उठाते समय राजप्पा का दिल तेजी से धड़क रहा था। राजप्पा ने घर आकर नागराजन के अलबम को अलमारी के पीछे छिपा दिया।

रात आठ बजे अप्पू ने राजप्पा के घर आकर नागराजन के अलबम खोने की बात बताई, तो राजप्पा कुछ नहीं बोला और चुप रहा।
अप्पू के जाने के बाद राजप्पा ने दरवाजा बंद करके अलमारी के पीछे से उस अलबम को निकालकर देखा और फिर छिपा दिया। अप्पू को रात भर नींद नहीं आई।

अप्पू सुबह फिर आया और राजप्पा से पूछा ‘कल तुम नागराजन के घर गए थे, कामाक्षी ने बताया था कि केवल तुम ही वहाँ आए थे। यह सुनकर राजप्पा परेशान हो गया, उसे लगा सब उस पर शक करने लगे हैं। अप्पू ने राजप्पा को यह भी बताया कि नागराजन के पापा डीएसपी के दफ्तर में काम करते हैं। वह शायद पुलिस को खबर दें। यह सुनकर राजप्पा बहुत डर गया ।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 7 टिकट-अलबम राजप्पा द्वारा अलबम को अँगीठी में जलाना

कुछ देर बाद दरवाजे की साँकल (कुंडी) खटकने पर राजप्पा को लगा कि पुलिस आ गई है। राजप्पा ने पुलिस से बचने के लिए अलबम उठाकर ऊपर भागा और बाथरूम में घुसकर दरवाजा बंद कर दिया। उसने उस अलबम को जलती हुई अँगीठी में डाल दिया। अलबम को जलता हुआ देखकर राजप्पा की आँखों में आँसू आ गए।

अम्मा के बुलाने पर राजप्पा बाथरूम से तौलिया लपेटकर बाहर आया । राजप्पा ने देखा कि नागराजन का चेहरा उतरा हुआ था। राजप्पा को देखते ही नागराजन ने बताया कि उसका अलबम खो गया। यह कहकर नागराजन की आँखों में आँसू आ गए और वह रोने लगा। यह देखकर राजप्पा ऊपर गया और अपना अलबम लेकर आया । राजप्पा ने अपना अलबम नागराजन को देकर कहा – अब इसे तुम रख लो। नागराजन को विश्वास नहीं हुआ, नागराजन को लगा कि राजप्पा. ने उसका मन बहलाने के लिए अपना अलबम उसे दिया है।

राजप्पा ने कहा- मैं अपना यह अलबम वास्तव में तुम्हें दे रहा हूँ, तुम इसे रख लो। नागराजन ने राजप्पा से अलबम लेने के लिए मना किया, क्योंकि राजप्पा ने बहुत मेहनत से अपना अलबम बनाया था। राजप्पा ने उसकी बात नहीं मानी, उसने नागराजन से कहा- तुम इसे लो और यहाँ से चले जाओ।

राजप्पा को पछतावा

नागराजन कुछ समझ नहीं पाया और अलबम लेकर राजप्पा के घर से नीचे आने लगा। राजप्पा भी उसके साथ नीचे दरवाजे तक आया । राजप्पा ने नागराजन से कहा- वह अलबम मुझे दे दो। रातभर जी भर देखकर सुबह तुम्हें दे जाऊँगा। नागराजन ने राजप्पा का अलबम लौटा दिया। अलबम लेकर राजप्पा ऊपर आया। दरवाजा बंद किया और अलबम को छाती से लगाकर फूट-फूटकर रो पड़ा।

शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 7 टिकट- अलबम (सुंदरा रामस्वामी) Question And Answers शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 7 टिकट-अलबम पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

कहानी से (पृष्ठ संख्या 51 व 52)

प्रश्न 1. नागराजन ने अलबम के मुख्य पृष्ठ पर क्या लिखा और क्यों? इसका असर कक्षा के दूसरे लड़के-लड़कियों पर क्या हुआ?

उत्तर नागराजन ने अलबम के मुख्य पृष्ठ पर अपना नाम लिखा था— ए एम नागराजन तथा उसके नीचे लिखा था इस अलबम को चुराने वाला बेशर्म है “ऊपर लिखे नाम को कभी देखा है, यह अलबम मेरा है। जब तक घास हरी है और कमल लाल, सूरज जब तक पूर्व से उगे और पश्चिम में छिपे, उस अनंत काल तक के लिए यह अलबम मेरा ही रहेगा।”

इन पंक्तियों को लिखने का उद्देश्य था कि कोई भी उस सुंदर अलबम को न चुराए। इन पंक्तियों का असर यह हुआ कि दूसरे लड़के-लड़कियों ने बिना सोचे-समझे इन पंक्तियों को अपनी कॉपी-किताबों और अलबम में उतार लिया।

प्रश्न 2. नागराजन के अलबम के हिट हो जाने के बाद राजप्पा के मन की क्या दशा हुई?

उत्तर राजप्पा का अलबम पहले सब लड़के-लड़कियाँ देखते थे। जब से नागराजन का अलबम आया, तब से लड़के-लड़कियों में उस नए अलबम की धूम मच गई थी। नागराजन का अलबम हिट हो जाने के बाद राजप्पा मन-ही-मन कुढ़ने लगा था। उसकी टिकट इकट्ठा करने की इच्छा समाप्त हो गई थी। स्कूल जाने का मन नहीं होता था। दिन में कई बार अपना अलबम पलटकर देखता रहता था। उसे अपने अलबम से चिढ़ हो गई थी। मेहनत से बनाया अपना अलबम राजप्पा को कूड़ा लगने लगा था।

प्रश्न 3. अलबम चुराते समय राजप्पा किस मानसिक स्थिति से गुजर रहा था?

उत्तर राजप्पा नागराजन के घर गया और मेज की दराज से अलबम को निकाल लिया। अलबम चुराते समय राजप्पा का दिल तेजी से धड़कने लगा। अलबम के पहले पृष्ठ को खोलकर राजप्पा ने उन वाक्यों को दोबारा पढ़ा। राजप्पा जानता था कि वह गलत काम कर रहा है। घर आकर राजप्पा ने अलबम को पुस्तकों की अलमारी के पीछे छिपा दिया। तब उसका गला सूख रहा था, पूरा शरीर जल-सा रहा था। चेहरा तमतमाने लगा था। रात में राजप्पा से खाना भी नहीं खाया गया। सोने की कोशिश करने पर भी रात में नींद नहीं आ रही थी।

प्रश्न 4. राजप्पा ने नागराजन का टिकट अलबम अँगीठी में क्यों डाल दिया?

उत्तर राजप्पा नागराजन का अलबम चुराकर बहुत डर रहा था। अप्पू बताया था कि नागराजन के पिता डी एस पी ऑफिस में काम करते हैं। चोरी की सूचना मिलते ही पुलिस कभी भी आ सकती है। राजप्पा के दरवाजे की साँकल (कुंडी) जोर से खटकने पर उसे लगा पुलिस तलाशी लेने उसके घर आ गई है, इसलिए राजप्पा ने डर के कारण चोरी का सबूत मिटाने के लिए नागराजन की अलबम को जलती हुई अँगीठी में डाल दिया।

प्रश्न 5. लेखक ने राजप्पा के टिकट इकट्ठा करने की तुलना मधुमक्खी से क्यों की?

उत्तर जिस तरह मधुमक्खी धीरे-धीरे फूलों पर घूम-घूमकर पराग इकट्ठा करती है, उसी तरह राजप्पा ने भी घर-घर जाकर टिकट इकट्ठे किए थे। राजप्पा को टिकट इकट्ठा करने की धुन थी। वह अपने घर से बिना खाना खाए सवेरे आठ बजे ही निकल पड़ता। टिकट जमा करने वाले मित्रों के घर जाता और उनसे टिकट बदलता था। जैसे दो ऑस्ट्रेलिया के टिकटों के बदले एक फिनलैंड का टिकट ले लेता था। स्कूल से आने के बाद भी घर आते ही चार मील दूर अपने मित्र के घर टिकट लेने के लिए जाता था। मधुमक्खी की ही तरह बहुत परिश्रम करके राजप्पा ने अपना अलबम बनाया था।

कहानी से आगे (पृष्ठ संख्या 52)

प्रश्न 1. टिकटों की तरह ही बच्चे और बड़े दूसरी चीजें भी जमा करते हैं। सिक्के उनमें से एक हैं। तुम कुछ अन्य चीजों के बारे में सोचो जिन्हें जमा किया जा सकता है। उनके नाम लिखो।

उत्तर टिकटों की तरह ही बच्चे और बड़े कई दूसरी चीजों को जमा कर सकते हैं; जैसे-घड़ियाँ, फूल, पंख, पत्थर, चित्र, खिलौने, पुस्तकें आदि ।

प्रश्न 2. टिकट – अलबम का शौक रखने के राजप्पा और नागराजन के तरीके में क्या फर्क है? तुम अपने शौक के लिए कौन-सा तरीका अपनाओगे?

उत्तर: राजप्पा ने अपना टिकट – अलबम का शौक रखने के लिए उसे बहुत परिश्रम से बनाया था। अलबम का शौक रखने वाले मित्रों के घर-घर जाकर राजप्पा ने टिकट इकट्ठे करके अपना अलबम बनाया था। एक बार तो कनाडा का टिकट लेने के लिए अपने मित्र के घर चार मील दूर जाना पड़ा था। दूसरी ओर नागराजन को टिकट अलबम उसके मामाजी ने सिंगापुर से भिजवा दिया था। नागराजन ने टिकट अलबम बनाने में कोई भी परिश्रम नहीं किया था ।

मैं अपने शौक के लिए राजप्पा का तरीका अपनाऊँगा । जिस प्रकार राजप्पा ने मधुमक्खी की तरह परिश्रम करके अपना टिकट – अलबम बनाया था, उसी प्रकार मैं भी राजप्पा के समान अपने शौक के लिए काम करूँगा।

प्रश्न 3. इकट्ठा किए हुए टिकटों का अलग-अलग तरह से वर्गीकरण किया जा सकता है; जैसे- देश के आधार पर ऐसे और आधार सोचकर लिखो ।

उत्तर इकट्ठा किए हुए टिकटों का निम्न तरह से वर्गीकरण कर सकते हैं

  1. रंग के आधार पर
  2. आकार के आधार पर
  3. काल (समय) के आधार पर
  4. मूल्य के आधार पर

प्रश्न 4. कई लोग चीजें इकट्ठी करते हैं और ‘गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड ‘रिकॉर्ड’ में अपना नाम दर्ज करवाते हैं। इसके पीछे उनकी क्या प्रेरणा होती होगी? सोचो और अपने दोस्तों से इस पर बातचीत करो।

उत्तर कई लोग प्रसिद्ध होना चाहते हैं। ऐसे लोग चाहते हैं कि वे ऐसा काम करें, जिससे नाम कमा सकें। नाम कमाने या यश पाने की चाह में वे लोग ऐसी चीजें इकट्ठी करते हैं, जिससे उनका गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हो।

अनुमान और कल्पना (पृष्ठ संख्या 52)

प्रश्न 1. राजप्पा अलबम के जलाए जाने की बात नागराजन को क्यों नहीं कह पाता है? अगर वह कह देता है तो क्या कहानी के अंत पर कुछ फर्क पड़ता? कैसे?

उत्तर नागराजन और राजप्पा अच्छे मित्र थे, इसलिए राजप्पा अलबम जलाने की बात नहीं कह पाता । नागराजन का विश्वास समाप्त होने के भय से राजप्पा चुप रहा। उसे नागराजन के क्रोधित होने का भी भय था। घर में पिताजी और माँ भी इस बात पर क्रोधित हो सकते थे। कक्षा में सभी विद्यार्थियों के सामने उसे लज्जित होना पड़ता। सभी उसे भला-बुरा भी कहते। हाँ! तब कहानी का अंत सुखांत हो जाता और हो सकता था राजप्पा अपनी गलती की माफी भी माँग लेता।

प्रश्न 2. कक्षा के बाकी विद्यार्थी स्वयं अलबम क्यों नहीं बनाते थे? वेराजप्पा और नागराजन के अलबम के दर्शक मात्र क्यों रह जाते हैं? अपने शिक्षक को बताओ।

उत्तर कक्षा के बाकी विद्यार्थी स्वयं अलबम नहीं बनाते थे, क्योंकि उन्हें टिकट अलबम बनाने का शौक नहीं था। उन विद्यार्थियों के शौक अलग-अलग थे। उनकी रुचि खेल, चित्रकला, संगीत, नृत्य, वाद्य आदि में थी। टिकट अलबम बनाना बड़े परिश्रम का काम था। टिकट खरीदने में धन भी खर्च होता है। कक्षा में केवल राजप्पा को ही टिकट अलबम बनाने का शौक था, इसलिए उसने बहुत परिश्रम करके अपना अलबम बनाया था। नागराजन का अलबम सिंगापुर से आया था। अतः कक्षा के बाकी विद्यार्थी राजप्पा और नागराजन के अलबमों के दर्शक मात्र थे।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 52)

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों को कहानी में ढूँढकर उनका अर्थ समझो। अब स्वयं सोचकर इनसे वाक्य बनाओ-

  • खोंसना
  • जमघट
  • टटोलना
  • कुढ़ना
  • ठहाका
  • अगुआ
  • पुचकारना
  • खलना
  • हेकड़ी
  • तारीफ

उत्तर

  • खोंसना माँ ने जूड़े में बेले का फूल खोंस लिया।
  • जमघट कार दुर्घटना होने के बाद से जमघट लगा है।
  • टटोलना मोहन ने अपनी जेब टटोलकर दस रुपये निकाले ।
  • कुढ़ना दूसरों की प्रशंसा सुनकर कुढ़ना नहीं चाहिए ।
  • ठहाका मेरे मित्र की बात सुनकर विद्यार्थी ठहाका मारकर हँस पड़े।
  • अगुआ रंजीता सदैव कक्षा की अगुआ बनी रहती है।
  • पुचकारना चोट लगने पर रोते बच्चे को माँ ने पुचकारा। खलना असभ्य व्यवहार लोगों को खलता है।
  • हेकड़ी हेकड़ी दिखाना बुरी आदत है।
  • तारीफ़ अच्छा कार्य करने पर सदैव दूसरों की तारीफ करनी चाहिए।

प्रश्न 2. कहानी से व्यक्तियों या वस्तुओं के लिए प्रयुक्त हुए ‘नहीं’ का अर्थ देने वाले शब्दों (नकारात्मक विशेषण) को छाँटकर लिखो । उनका उलटा अर्थ देने वाले शब्द भी लिखो।

उत्तर

नकारात्मक विशेषण

घमंडी
ईर्ष्यालु
चिंतित
बंद
फालतू
कीमती
उतरा
फिसड्डी
बेशर्म

उलटा अर्थ देने वाले शब्द

स्वाभिमानी
प्रेमी
निश्चित
खुला
आवश्यक
सस्ता
चढ़ा
अगुआ
शर्मीला

कुछ करने को (पृष्ठ संख्या 53)

प्रश्न 1. मान लो कि स्कूल में तुम्हारी कोई प्रिय चीज खो गई है। तुम चाहते हो कि जिसे वह चीज़ मिले वह तुम्हें लौटा दे। इस संबंध में स्कूल के बोर्ड पर लगाने के लिए एक नोटिस तैयार करो, जिसमें निम्नलिखित बिंदु हों

(क) खोई हुई चीज
(ख) कहाँ खोई ?
(ग) मिल जाने पर कहाँ लौटाई जाए?
(घ) नोटिस लगाने वाले/वाली का नाम और कक्षा

उत्तर

सूचना

दिनांक 25 अप्रैल, 20XX

मेरी हिंदी की पुस्तक ‘वसंत भाग-1’ कल कंप्यूटर लैब में रह गई थी। यदि किसी को मिले तो मुझे लौटाने का कष्ट करें।

ध्रुव श्रीवास्तव
कक्षा 6ठी ‘ब’

सुनना-सुनाना (पृष्ठ संख्या 53)

प्रश्न 1. राजप्पा और नागराजन की तरह क्या तुम भी कोई शौक रखते हो? उससे जुड़े किस्से सुनाओ।

उत्तर जब मैं लगभग चार वर्ष का था तो मेरे चाचाजी ऑस्ट्रेलिया से कुछ दिनों के लिए घर आए थे। उन्होंने मुझे ऑस्ट्रेलिया के कुछ सिक्के दिए थे। धीरे-धीरे मुझे सिक्के एकत्र करने का शौक हो गया। मेरे या मेरे मित्र के घर कोई भी विदेश से आता तो मैं उनसे वहाँ के कुछ सिक्के ले लेता। मैंने ध्यान से देखा कि हर देश का सिक्का आकार-प्रकार में भिन्न होता है।

इन सिक्कों के नाम भी अलग-अलग होते हैं। मेरा शौक बढ़ता जा रहा था। कभी-कभी मैं प्रदर्शनी में जाकर भी कुछ पुराने सिक्के खरीदता था। जब मैं कक्षा पाँच में आया तो मेरे पास लगभग 150 देश-विदेश के सिक्के एकत्र हो चुके थे।

मैं उन्हें बहुत सँभालकर रखता था। आठवें जन्मदिन पर मेरे पिताजी ने मुझे सिक्के रखने के लिए सुंदर सा एक डिब्बा उपहार में दिया। मैंने अपने सारे सिक्के उसमें रख दिए। मेरे घर जो भी आता, मैं उसे अपने एकत्र किए हुए सिक्के जरूर दिखाता था। एक बार मेरे जर्मनी के दो सिक्के कहीं खो गए। मैं बहुत परेशान हुआ। दिन-रात मेरा मन सिक्के में ही रहता था।

खाना-पीना कुछ भी अच्छा नहीं लगता था । इतने परिश्रम से मैंने ये सिक्के एकत्र किए थे। बस यही सोचता रहता आखिर सिक्के गए तो कहाँ गए। दो दिन के बाद मेरे खोए हुए सिक्के मेरी इतिहास की गृहकार्य पुस्तिका में रखे मिले। शायद मैं काम करते-करते उसमें रखकर भूल गया था। खोए सिक्के मिलने पर मैं बहुत खुश हुआ।

(निर्देश इस प्रकार के अन्य अनुभव कक्षा में सुना सकते हैं।)

प्रश्न 2. कुछ कहानियाँ सुखांत होती हैं और कुछ कहानियाँ दुखांत । इस कहानी के अंत को तुम दुखांत मानोगे या सुखांत? बताओ।

उत्तर कहानियों का अंत अधिकतर दो प्रकार का होता है—सुखांत तथा दुखांत इस कहानी के अंत में राजप्पा अलबम चोरी करने के कारण दुःखी हो रहा है। उसने पश्चाताप करने के लिए अपनी मेहनत से बनाया गया टिकट अलबम अपने मित्र नागराजन को दिया था। नागराजन का अलबम जलाकर नष्ट करने के कारण भी राजप्पा दुःखी था।

दूसरी ओर नागराजन राजप्पा का अलबम लेकर खुश नहीं है। उसे अपना अलबम खो जाने का बहुत दुःख है। इस कहानी के अंत को मैं दुखांत ही कहूँगा ।

बोलते चेहरे (पृष्ठ संख्या 53)

इन भावों को अभिव्यक्त करके दिखाओ

कुढ़ता चेहरा, ईर्ष्यालु चेहरा, घमंडी चेहरा, अपमानित चेहरा, भूखा चेहरा, चालबाज चेहरा, भयभीत चेहरा, रुआँसा चेहरा उत्तर छात्र स्वयं करें।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 7 टिकट-अलबम बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. नागराजन के मामा कहाँ रहते थे?

(क) चेन्नई
(ख) सिंगापुर
(ग) त्रिवेंद्रम
(घ) तिरुचिरापल्ली

उत्तर (ख) सिंगापुर

2. नागराजन का अलबम किसने चुराया?

(क) राजप्पा ने
(ख) पार्वती ने
(ग) किसी पड़ोसी ने
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (क) राजप्पा ने

3. नागराजन को लड़के क्यों घेरे रहते थे?

(क) उसके पास काफी मिठाई थी।
(ख) वह अच्छे-अच्छे चुटकुले सुनाता था।
(ग) उसके पास टिकट अलबम था।
(घ) उसके पास सुंदर खिलौने थे।

उत्तर (ग) उसके पास टिकट अलबम था।

4. अब किसके अलबम की पूछ नहीं रह गई थी ?

(क) उपाध्याय जी
(ख) राजप्पा
(ग) जया विवेक
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर (ख) राजप्पा

5. लड़कियों ने नागराजन से अलबम माँगने के लिए किसे भेजा ?

(क) गंगा
(ख) यमुना
(ग) सरस्वती
(घ) पार्वती

उत्तर (घ) पार्वती

6. पार्वती स्वभाव से कैसी थी ?

(क) तेज़ तर्रार
(ख) दयालु
(ग) भावुक
(घ) शर्मीली

उत्तर (क) तेज़ तर्रार

7. “तुम्हारे घर में जो प्यारी बच्ची है, उसे तीस रुपये में दोगे ।” – राजप्पा ने यह कथन किससे कहा?

(क) दादा से
(ख) मामा से
(ग) नागराजन से
(घ) सरपंच के लड़के से

उत्तर (घ) सरपंच के लड़के से

8. ‘टिकट अलबम’ पाठ किस विधा की रचना है ?

(क) आत्मकथा
(ख) एकांकी
(ग) निबंध
(घ) कहानी

उत्तर (घ) कहानी

9. पुलिस के डर के कारण राजप्पा ने अलबम का क्या किया?

(क) अलमारी में छिपा दिया
(ख) कबाड़ी को बेच दिया
(ग) अँगीठी में जला दिया
(घ) कूड़ेदान में फेंक दिया

उत्तर (ग) अँगीठी में जला दिया.

10. राजप्पा के अलबम को लड़के क्या कहने लगे?

(क) कूड़ा
(ख) मोती
(ग) हीरा
(घ) सोना

उत्तर (क) कूड़ा

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 7 टिकट-अलबम गद्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

गद्यांश 1

अब राजप्पा को कोई नहीं पूछता। आजकल सब-के-सब नागराजन को घेरे रहते। ‘नागराजन घमंडी हो गया है’, राजप्पा सारे लड़कों में कहता फिरता । पर लड़के भला कहाँ उसकी बातों पर ध्यान देते। नागराजन के मामाजी ने सिंगापुर से एक अलबम भिजवाया था। वह लड़कों को दिखाया करता ।

सुबह पहली घंटी के बजने तक सभी लड़के नागराजन को घेरकर अलबम देखा करते। आधी छुट्टी के वक्त भी उसके आस-पास लड़कों का जमघट लगा रहता। कई लोग टोलियों में उसके घर तक हो आए। नागराजन शांतिपूर्वक सभी को अपना अलबम दिखाता, पर किसी को हाथ नहीं लगाने देता। अलबम को गोद में रख लेता और एक-एक पन्ना पलटता, लड़के बस देखकर खुश होते।

1. नागराजन को अलबम किसने भेजा था?

(क) उसके भाई ने
(ख) उसकी बहन ने
(ग) उसके पिताजी ने
(घ) उसके मामाजी ने

उत्तर (घ) उसके मामाजी ने

2. अलबम कहाँ से आया था?

(क) ऑस्ट्रेलिया से
(ख) सिंगापुर से
(ग) कनाडा से
(घ) जर्मनी से

उत्तर (ख) सिंगापुर से

3. राजप्पा नागराजन को क्या कहता फिरता था?

(क) लालची
(ख) चिड़चिड़ा
( ग ) घमंडी
(घ) चालाक

उत्तर (ग) घमंडी

4. कक्षा के लड़के नागराजन को क्यों घेरे रहते थे?

उत्तर नागराजन का अलबम सिंगापुर से उसके मामाजी ने भिजवाया था। वह टिकट अलबम बहुत सुंदर था। सभी लड़के उसी अलबम को देखने के लिए नागराजन को घेरे रहते थे।

5. लड़के राजप्पा की बात पर ध्यान क्यों नहीं देते थे?

उत्तर लड़के नागराजन के टिकट अलबम से आकर्षित होते थे। नागराजन अपना अलबम पन्ने पलटकर दिखाता था। राजप्पा का अलबम लड़के पहले देख चुके थे, इसलिए वे राजप्पा की बात पर ध्यान नहीं देते थे।

6. नागराजन अपना अलबम किस प्रकार दिखाता था?

उत्तर नागराजन सिंगापुर से आया अपना अलबम बहुत शांति से दिखाता था। टिकट अलबम को अपनी गोद में रख लेता था और अलबम का एक एक पन्ना पलटता जाता था। जिससे सभी उसकी अलबम देख लेते थे। वह किसी भी बच्चे को अलबम पर हाथ नहीं लगाने देता था।

गद्यांश 2

अब राजप्पा के अलबम को कोई पूछने वाला नहीं था। वाकई उसकी शान घट गई थी। राजप्पा के अलबम की लड़कों में काफ़ी तारीफ़ हो रही थी। मधुमक्खी की तरह उसने एक-एक करके टिकट जमा किए थे। उसे तो बस एक यही धुन सवार थी। सुबह आठ बजे वह घर से निकल पड़ता। टिकट जमा करने वाले सारे लड़कों के घर चक्कर लगाता।

दो ऑस्ट्रेलिया के टिकटों के बदले एक फिनलैंड का टिकट लेता। दो पाकिस्तान के टिकट के बदले एक रूस का बस शाम, जैसे ही घर लौटता, बस्ता कोने में पटककर अम्मा से चबेना लेकर निकर की जेब में भर लेता और खड़े-खड़े कॉफी पीकर निकल जाता। चार मील दूर अपने दोस्त के घर से कनाडा का टिकट लेने पगडंडियों में होकर भागता ।

1. राजप्पा की तुलना किससे की गई है?

(क) मक्खी से
(ख) मछली से
(ग) मधुमक्खी से
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ग) मधुमक्खी से

2. किसके अलबम की शान घट गई थी ?

(क) कामाक्षी के
(ख) राजप्पा के
(ग) नागराजन के
(घ) पार्वती के

उत्तर (ख) राजप्पा के

3. कितनी मील की दूरी राजप्पा टिकट के लिए तय करता था ?

(क) 1 मील
(ख) 2 मील
(ग) 3 मील
(घ) 4 मील

उत्तर (घ) 4 मील

4. राजप्पा को क्या धुन सवार थी ?

उत्तर राजप्पा को टिकट जमा करने की धुन थी। मधुमक्खी की तरह वह एक-एक टिकट जमा करता था।

5. लेखक ने राजप्पा की तुलना मुधमक्खी से क्यों की है?

उत्तर मधुमक्खी घूम-घूमकर फूलों से पराग एकत्र करती है, इसी प्रकार राजप्पा भी दूर दूर जाकर टिकट एकत्र करता था। इसलिए लेखक ने राजप्पा की तुलना मधुमक्खी से की है।

6. फिनलैंड और रूस के टिकट राजप्पा ने कैसे जमा किए थे?

उत्तर राजप्पा ने फिनलैंड का टिकट लेने के लिए अपने मित्र को ऑस्ट्रेलिया के दो टिकट दिए थे। इसी प्रकार पाकिस्तान के दो टिकट देकर एक रूस का टिकट लिया था।

गद्यांश 3

राजप्पा को लगा, अपने अलबम के बारे में बातें करना फालतू है। उसने कितनी मेहनत और लगन से टिकट बटोरे हैं। सिंगापुर से आए इस एक पार्सल ने नागराजन को एक ही दिन में मशहूर कर दिया, पर दोनों में कितना अंतर है! ये लड़के क्या समझेंगे?

राजप्पा मन-ही-मन कुढ़ रहा था। स्कूल जाना अब खलने लगा था और लड़कों के सामने जाने में शर्म आने लगी। आमतौर पर शनिवार और रविवार को टिकट की खोज में लगा रहता, परंतु अब घर- घुसा हो गया था।

दिन में कई बार अलबम को पलटता रहता। रात को लेट जाता। सहसा जाने क्या सोचकर उठता, ट्रंक खोलकर अलबम निकालता और एक बार पूरा देख जाता। उसे अलबम से चिढ़ होने लगी थी। उसे लगा, अलबम वाकई कूड़ा हो गया है।

1. नागराजन के मामाजी ने अलबम सिंगापुर से किस प्रकार भेजा था?

(क) रेलगाड़ी से
(ख) पार्सल से
(ग) हवाई जहाज से
(घ) बस से

उत्तर (ख) पार्सल से

2. राजप्पा आमतौर पर किन दिनों में टिकट की खोज में जाता था?

(क) शनिवार, मंगलवार
(ख) रविवार, सोमवार
(ग) रविवार, मंगलवार
(घ) शनिवार, रविवार

उत्तर (घ) शनिवार, रविवार

3. राजप्पा अपना अलबम कहाँ रखता था?

(क) अलमारी में
(ख) मेज पर
(ग) ट्रंक में
(घ) बस्ते में

उत्तर (ग) ट्रंक में

4. लड़के कोरस जैसे क्यों गाने लगे?

उत्तर कक्षा के अधिकतर लड़कों को नागराजन के अलबम ने आकर्षित कर लिया था। कृष्णन ने राजप्पा की अलबम को कूड़ा कहा। कक्षा के अन्य लड़के कृष्णन का साथ देने के लिए ‘तुम्हारा अलबम कूड़ा है’ कोरस की तरह गाने लगे।

5. राजप्पा को क्या दुःख था ?

उत्तर राजप्पा को दुःख था कि नागराजन ने टिकट अलबम स्वयं नहीं बनाया, बल्कि उसके मामाजी ने पार्सल द्वारा सिंगापुर से भेजा था। इस अलबम के कारण नागराजन एक ही दिन में मशहूर हो गया, जबकि राजप्पा ने अपना टिकट अलबम बहुत परिश्रम से
बनाया था।

6. राजप्पा अपना ट्रंक खोलकर क्या कर रहा था?

उत्तर राजप्पा अपना ट्रंक खोलकर अलबम निकालकर उसे देख रहा था।

गद्यांश 4

उस दिन शाम उसने जैसे तय कर लिया था, वह नागराजन के घर गया। अब कोई कितना अपमान सहे! नागराजन के हाथ अचानक एक अलबम लगा है, बस यही ना। वह क्या जाने टिकट कैसे जमा किए जाते हैं? एक-एक टिकट की क्या कीमत होती है, वह भला क्या समझे! सोचता होगा टिकट जितना बड़ा होगा, वह उतना ही कीमती होगा या फिर यह सोचता होगा, बड़े देश का टिकट कीमती होगा।

वह भला क्या समझे ! उसके पास जितने भी फालतू टिकट हैं, उन्हें टरकाकर उससे अच्छे टिकट झाड़ लेगा। कितनों को तो उसने यूँ ही उल्लू बनाया है। कितनी चालबाजी करनी पड़ती है, नागराजन भला किस खेत की मूली है?

1. राजप्पा किसके घर गया था?

(क) नागराजन के
(ख) पार्वती के
(ग) मामाजी के
(घ) अप्पू के

उत्तर (क) नागराजन के

2. राजप्पा ने किसे मूर्ख बनाया था?

(क) कृष्णन को
(ख) नागराजन को
(ग) मामाजी को
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (घ) इनमें से कोई नहीं

3. अपने फालतू टिकट देकर अच्छे टिकट कौन लेता था ?

(क) नागराजन
(ख) राजप्पा
(ग) अप्पू
(घ) कामाक्षी

उत्तर (ख) राजप्पा

4. राजप्पा नागराजन के विषय में क्या सोच रहा था?

उत्तर राजप्पा सोच रहा था कि नागराजन के हाथ अचानक एक अलबम लगा है। उसे क्या पता कि टिकट किस प्रकार जमा किए जाते हैं।

5. राजप्पा के अनुसार नागराजन टिकट के बारे में क्या जानता होगा?

उत्तर राजप्पा सोचता था कि नागराजन को टिकट के विषय में कुछ नहीं पता होगा। नागराजन सोचता होगा कि टिकट जितना बड़ा और बड़े देश का होगा, वह उतना ही कीमती होगा।

6. राजप्पा नागराजन के पास किस उद्देश्य से गया था?

उत्तर राजप्पा अपने बेकार टिकट नागराजन को देकर उससे अच्छे टिकट लेने के उद्देश्य से उसके पास गया था।

गद्यांश 5

कामाक्षी कुछ देर तक वहीं रही। फिर नीचे चली गई। राजप्पा मेज पर बिखरी किताबों को टटोलने लगा। अचानक उसका हाथ दराज़ के ताले से टकरा गया। उसने ताले को खींचकर देखा। बंद था, क्यों न उसे खोलकर देख लिया जाए। मेज पर से उसने चाबी ढूंढ निकाली। सीढ़ियों के पास जाकर उसने एक बार झाँककर देखा ।

फिर जल्दी में दराज़ खोली अलबम ऊपर ही रखा हुआ था। पहला पृष्ठ खोला। उन वाक्यों को उसने दोबारा पढ़ा। उसका दिल तेजी से धड़कने लगा। अलबम को झट कमीज के नीचे घोंस लिया और दराज बंद कर दिया। सीढ़ियाँ उतरकर घर की ओर भागा।

1. राजप्पा के ऊपर जाने के बाद कुछ देर कौन रुका रहा?

(क) नागराजन
(ख) कामाक्षी
(ग) माताजी
(घ) अप्पू

उत्तर (ख) कामाक्षी

2. अचानक राजप्पा का हाथ किससे टकराया?

(क) ताले से
(ख) चाबी से
(ग) पुस्तकों से
(घ) मेज से

उत्तर (क) ताले से

3. राजप्पा ने अलबम कहाँ रख लिया?

(क) मेज के नीचे
(ख) कमीज के नीचे
(ग) पुस्तकों के बीच
(घ) पुस्तकों के नीचे

उत्तर (ख) कमीज के नीचे

4. कामाक्षी कुछ देर राजप्पा के पास रुकने के बाद नीचे क्यों चली गई?

उत्तर राजप्पा नागराजन का मित्र था। वह अकसर नागराजन से मिलने उसके घर आता-जाता रहता था, इसलिए कामाक्षी कुछ देर राजप्पा के पास रुककर नीचे आ गई।

5. राजप्पा ने दराज़ कैसे खोली होगी?

उत्तर राजप्पा ने नागराजन की मेज़ पर बिखरी पड़ी किताबों के बीच पड़ी चाबी ढूंढ ली और उससे दराज़ का ताला खोला होगा।

6. सीढ़ियों के पास जाकर राजप्पा ने क्या देखा?

उत्तर राजप्पा नागराजन के टिकट अलबम को चुराने जा रहा था। उसे डर था कि अलबम चुराते समय उसे कोई देख न ले, इसलिए राजप्पा ने सीढ़ियों के पास जाकर देखा कि कोई ऊपर तो नहीं आ रहा है।

गद्यांश 6

घर जाकर सीधा पुस्तक की अलमारी के पास गया और पीछे की ओर अलबम छिपा दिया। उसने बाहर आकर झाँका पूरा शरीर जैसे जलने लगा था। गला सूख रहा था और चेहरा तमतमाने लगा था। रात आठ बजे अप्पू आया। हाथ-पाँव हिलाकर उसने पूरी बात कह सुनाई। “सुना तुमने, नागराजन का अलबम खो गया। हम दोनों शहर गए हुए थे। लौटकर देखा तो अलबम गायब।” राजप्पा चुप रहा। उसने अप्पू को किसी तरह टाला। उसके जाते ही उसने झट कमरे का दरवाजा भिड़ा लिया और अलमारी के पीछे से अलबम निकालकर देखा। उसे फिर छिपा दिया उसे डर था कहीं कोई देख न ले।

1. राजप्पा ने नागराजन का अलबम कहाँ छिपाया?

(क) दराज़ के अंदर
(ख) दराज के पीछे
(ग) मेज के पीछे
(घ) अलमारी के पीछे

उत्तर (घ) अलमारी के पीछे

2. अप्पू राजप्पा के घर कितने बजे आया था?

(क) सुबह आठ बजे
(ख) रात आठ बजे
(ग) सुबह दस बजे
(घ) रात दस बजे

उत्तर (ख) रात आठ बजे

3. नागराजन और अप्पू कहाँ गए हुए थे?

(क) स्कूल
(ख) गाँव
(ग) शहर
(घ) पिक्चर

उत्तर (ग) शहर

4. अलबम चुराते समय राजप्पा की क्या स्थिति थी?

उत्तर अलबम चुराते समय राजप्पा का पूरा शरीर जलने लगा, गला सूखने लगा और चेहरा तमतमाने लगा था।

5. अप्पू ने राजप्पा को क्या बताया?

उत्तर अप्पू ने राजप्पा को बताया कि नागराजन का अलबम खो गया है। 6. अप्पू के जाते ही राजप्पा ने क्या किया?
उत्तर अप्पू के जाते ही राजप्पा ने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया। अलमारी के पीछे छिपाया गया अलबम निकालकर देखा और उसे फिर वहीं छिपा दिया।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 7 टिकट-अलबम अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. नागराजन का अलबम कहाँ से भेजा गया था?

उत्तर नागराजन का अलबम सिंगापुर से उसके मामाजी द्वारा भेजा गया था।

2. लड़के नागराजन का अलबम कब देखते थे?

उत्तर नागराजन का अलबम लड़के सुबह स्कूल की पहली घंटी बजने तक तथा आधी छुट्टी के समय देखते थे। कुछ लोग तो नागराजन के घर भी जाकर अलबम देख आते थे।

3. नागराजन का अलबम जब दूसरे लड़के देख रहे होते तो राजप्पा क्या करता था?

उत्तर नागराजन का अलबम जब दूसरे लड़के देख रहे होते तो राजप्पा भी नीची आँखों से देख लेता था।

4. राजप्पा ने लड़के-लड़कियों को नकलची क्यों कहा?

उत्तर नागराजन के अलबम में उसके मामाजी ने सुंदर अक्षरों में उसका नाम लिखा था। इसे सभी लड़कों ने अपने अलबम में उतार लिया। लड़कियों ने भी बिना सोचे समझे जल्दी से अपनी कॉपियों और किताबों में टीप लिया, इसलिए राजप्पा ने उन सबको नकलची कहा।

5. राजप्पा, नागराजन के घर क्यों गया था?

उत्तर राजप्पा, नागराजन के घर अपने फ़ालतू टिकट देकर अच्छे टिकट लेने गया था।

6. राजप्पा के अलबम को कौन खरीदना चाहता था और क्यों?

उत्तर राजप्पा के अलबम को सरपंच का बेटा खरीदना चाहता था, क्योंकि राजप्पा का अलबम सभी लड़कों के अलबम में सबसे बड़ा था।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 7 टिकट-अलबम  लघु उत्तरीय प्रश्न

1. नागराजन के अलबम की क्या विशेषता थी?

उत्तर नागराजन का अलबम सिंगापुर से उसके मामाजी ने भेजा था। स्कूल में नागराजन का अलबम सबसे बड़ा और सुंदर था। अलबम के पहले पृष्ठ पर उसके मामाजी ने मोती जैसे अक्षरों में उसका नाम ‘ए एम नागराजन’ लिखकर भेजा था।

2. नागराजन के अलबम के विषय में राजप्पा के क्या विचार थे?

उत्तर राजप्पा को नागराजन का अलबम बेहद प्यारा लगा, लेकिन राजप्पा के पास जितने टिकट थे, उतने नागराजन के अलबम में नहीं थे। अलबम बहुत सुंदर था। राजप्पा का मन भी उस अलबम को छूने का करता था। उस अलबम के विषय में राजप्पा का विचार था कि ऐसा अलबम भारत में नहीं मिलेगा।

3. राजप्पा को अपना अलबम कूड़ा क्यों लगने लगा ?

उत्तर नागराजन का अलबम आने के बाद कोई राजप्पा का अलबम नहीं देखता था। सभी लड़के-लड़कियाँ नागराजन को घेरकर नागराजन का ही अलबम देखते रहते थे। लोगों का व्यवहार राजप्पा के अलबम के लिए बदल गया था। अब कोई राजप्पा का अलबम पसंद नहीं करता था। लड़के उसके अलबम को कूड़ा और फिसड्डी कहकर चिढ़ाते थे, इसलिए राजप्पा को अपना अलबम कूड़ा लगने लगा।

4. नागराजन जब राजप्पा के घर आया तो वह क्यों डर गया?

उत्तर नागराजन राजप्पा के घर आया और दरवाजे की सांकल (कुंडी) खटकाई । कुछ देर पहले ही अप्पू राजप्पा को बता गया था कि नागराजन के पिता डी एस पी के दफ्तर में काम करते हैं। साँकल खटकने से राजप्पा को लगा कि डी एस पी के दफ्तर से पुलिस उसके घर की तलाशी लेने आई है। पुलिस की तलाशी लेने पर राजप्पा की चोरी पकड़ी जाती, इसलिए वह बहुत डर गया।

5. अलबम कहानी के अंत में क्या हुआ?

उत्तर अलबम कहानी के अंत में राजप्पा नागराजन की दशा देखकर बहुत दुःखी हुआ। राजप्पा नागराजन का अलबम जला चुका था, इसलिए वह अपना बनाया अलबम लाया और नागराजन को दे दिया। नागराजन को विश्वास नहीं हुआ। कई बार कहने पर नागराजन अलबम लेकर जाने लगा तो राजप्पा ने उसे रोककर कहा – “अलबम दे दो आज रात भर मैं इसे देखना चाहता हूँ, कल सुबह तुम्हें दे जाऊँगा।” राजप्पा अलबम लेकर फूट-फूटकर रो पड़ा।

6. ‘अलबम’ कहानी में राजप्पा ने जिस प्रकार नागराजन के प्रति ईर्ष्या की, क्या वह उचित था? आपके अनुसार राजप्पा को क्या करना चाहिए था?

उत्तर ‘अलबम’ कहानी में जिस प्रकार राजप्पा ने नागराजन के प्रति ईर्ष्या के कारण उसका टिकट अलबम जला दिया। राजप्पा का ऐसा व्यवहार अनुचित था। मेरे अनुसार राजप्पा को अपने और नागराजन के अलबम में अंतर समझना चाहिए था।

परिश्रम से बनाई गई वस्तु सदैव अमूल्य होती है। कोई भी वस्तु उसकी तुलना नहीं कर सकती। राजप्पा को अपने अलबम से प्रसन्न रहना चाहिए था।

7. ‘अलबम’ कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है? यदि आप राजप्पा की जगह होते तो क्या करते?

उत्तर ‘अलबम’ कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें किसी से भी कभी ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए। परिश्रम से किए गए कार्य की प्रशंसा करनी चाहिए। दूसरों की प्रशंसा सुनकर प्रसन्न होना चाहिए। यदि मैं राजप्पा की जगह होता तो नागराजन के अलबम की भी प्रशंसा करता। अपने टिकट अलबम में और अधिक टिकट जमा करता रहता।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 7 टिकट-अलबम दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. ‘नागराजन घमंडी हो गया है’ ऐसा राजप्पा सारे लड़कों से क्यों कहता था?

उत्तर राजप्पा को टिकट इकट्ठे करने का बहुत शौक था। उसने टिकटों की खोज में बिना खाए-पिए दूर-दूर तक जाकर मित्रों से अपने टिकट बदलकर नए टिकट इकट्ठे किए थे। परिश्रम करके बनाया गया राजप्पा का टिकट अलबम बहुत सुंदर और अच्छा था। कक्षा में केवल राजप्पा को ही टिकट इकट्ठे करने का शौक था। सब लड़के-लड़कियाँ बहुत ध्यान से राजप्पा का अलबम देखते थे। कुछ दिन पहले नागराजन को मामाजी ने सिंगापुर से एक टिकट अलबम भिजवाया था।

कक्षा के सारे लड़के-लड़कियाँ अब नागराजन का अलबम देखने लगे थे। नागराजन अपना अलबम सभी को दिखाता था, परंतु किसी को हाथ नहीं लगाने देता था। नागराजन अपने अलबम को अपनी गोद में रखता और एक-एक कर पन्ना पलटता था। बच्चे खुश हो जाते थे। कक्षा के बच्चे राजप्पा के अलबम को नहीं देखते, बल्कि नागराजन को ही घेरे रहते थे, जो राजप्पा को अच्छा नहीं लगता था । इसलिए वह सारे लड़कों से कहता ‘नागराजन घमंडी हो गया है।’

2. राजप्पा ने अपने अलबम के टिकट किस प्रकार एकत्र किए थे?

उत्तर राजप्पा ने टिकटों का अलबम बनाया था। उसे देश-विदेश के टिकट एकत्र करने की धुन सवार रहती थी। सवेरे आठ बजे ही टिकट जमा करने घर से निकल जाता था। जिन लड़कों को टिकट जमा करने का शौक था, वह उन सबके घर के चक्कर लगाता था। दो ऑस्ट्रेलिया के टिकट देकर एक फिनलैंड का टिकट लेता था। दो पाकिस्तान के टिकट देता और एक रूस का टिकट लेता था।

शाम को भी स्कूल से घर आते ही बस्ता रखकर चबेना अपने निकर की जेब में डालकर, खड़े-खड़े कॉफी पीकर टिकट की खोज में निकल जाता था। एक बार कनाडा का टिकट लेने के लिए चार मील दूर पगडंडियों से होता हुआ दौड़कर अपने मित्र के घर
गया था।

धीरे-धीरे राजप्पा ने बहुत से टिकट एकत्र कर लिए थे। स्कूल में राजप्पा के पास सबसे बड़ा अलबम होने के कारण वह प्रसिद्ध हो गया था। एक बार सरपंच के लड़के ने राजप्पा का अलबम खरीदना चाहा, परंतु परिश्रम से बनाया गया टिकट अलबम किसी कीमत पर भी वह बेचना नहीं चाहता था।

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 15 अवधपुरी में राम Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 15 अवधपुरी में राम Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 15 अवधपुरी में राम पाठ का सार

अयोध्या नगरी का सौंदर्य वर्णन

प्राचीनकाल में अयोध्या सरयू नदी के किनारे बसा हुआ एक सुंदर नगर था। वहाँ भव्य राजमहल, आलीशान इमारतें, चौड़ी सड़कें, सुंदर बाग-बगीचे, सरोवर सब कुछ था। यहाँ पर सामान्य लोगों के घर भी भव्य थे।

अयोध्या नगरी हर दृष्टि से संपन्न थी। सभी लोग सुखी और प्रसन्न थे। अयोध्या कौसल राज्य की राजधानी थी तथा राजा दशरथ वहाँ के राजा थे। वे एक कुशल योद्धा और न्यायप्रिय शासक थे।

राजा दशरथ द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ

राजा दशरथ के राज्य में सभी खुश थे, किंतु राजा के मन में एक दुःख था कि उनकी तीन-तीन रानियों (कौशल्या, सुमित्रा, कैकेयी) के होते हुए भी उनके यहाँ कोई संतान न थी। राजा दशरथ की चिंता के निवारण हेतु मुनि वशिष्ठ ने राजा को पुत्रेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी।

यह यज्ञ ऋष्यश्रृंग की देख-रेख में सरयू नदी के किनारे संपन्न किया गया। यज्ञ की पूर्णाहुति पर अग्नि देवता ने प्रकट होकर राजा दशरथ को पुत्र जन्म का आशीर्वाद दिया। कुछ समय बाद तीनों रानियाँ पुत्रवती हुई।

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चैत्र माह की नवमी के दिन रानी कौशल्या ने राम को जन्म दिया। रानी सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को तथा रानी कैकेयी ने भरत को जन्म दिया। बड़े होने पर राजकुमारों को शिक्षा-दीक्षा के लिए गुरुकुल भेजा गया। चारों राजकुमारों ने शस्त्र विद्या तथा शास्त्रों का अध्ययन किया। सभी विद्याओं को अर्जित करने में राम सर्वोपरि थे। इसके अतिरिक्त वे विवेकी, शालीन और न्यायप्रिय भी थे। बड़े पुत्र होने के कारण राजा दशरथ को राम सबसे प्रिय थे।

विश्वामित्र का राजमहल में आगमन

एक दिन अयोध्या के राजमहल में महर्षि विश्वामित्र पधारे। राजा दशरथ ने महर्षि विश्वामित्र को ऊँचे आसन पर बैठाकर उनका उचित आदर-सत्कार किया। राजा दशरथ ने सत्कार के बाद महर्षि से पूछा – “महर्षि, आज्ञा दें, मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?” महर्षि विश्वामित्र ने उत्तर दिया, “मैं सिद्धि के लिए एक यज्ञ कर रहा हूँ। अनुष्ठान पूरा होने को है, लेकिन दो राक्षस उसमें बाधा डाल रहे हैं। आपके बड़े पुत्र राम ही उन राक्षसों को मार सकते हैं। अतः आप अपने बड़े पुत्र को मुझे दे दें, जिससे मेरा यज्ञ पूरा हो ।

पुत्र वियोग का दुःख

महर्षि की बातें सुनकर राजा दशरथ चिंता में पड़ गए और पुत्र- -वियोग की आशंका से वे बेहोश होकर गिर पड़े। उनके लिए राम के बिना एक पल रहना कठिन था। मंत्रीगण और ऋषि-मुनि सभी चिंतित थे। महर्षि विश्वामित्र का क्रोध निरंतर बढ़ते हुए देखकर मुनि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को समझाया कि आप राम को विश्वामित्र के साथ जाने दें। महर्षि विश्वामित्र सिद्ध पुरुष हैं। इसलिए राम उनसे अनेक नई विद्याएँ सीख सकेंगे।

राम व लक्ष्मण को महर्षि विश्वामित्र को सौंपना

मुनि वशिष्ठ की बातें सुनकर राजा दशरथ की चिंता कुछ कम हुई और उन्होंने मुनि वशिष्ठ की बात को दुःखी मन से स्वीकार कर लिया, लेकिन वह राम को अकेले नहीं भेजना चाहते थे। अतः उन्होंने महर्षि विश्वामित्र से लक्ष्मण को भी साथ ले जाने का आग्रह किया। विश्वामित्र ने सहज ही इसे स्वीकार कर लिया। राम और लक्ष्मण को दरबार में बुलाकर राजा दशरथ ने उन्हें विश्वामित्र के साथ जाने का निर्णय सुनाया। दोनों भाइयों ने खुशी-खुशी अपने पिता का निर्णय स्वीकार कर लिया। दोनों राजकुमार बिना विलंब किए विश्वामित्र के पीछे-पीछे चल पड़े।

शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 1 अवधपुरी में राम Question And Answers शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 15 अवधपुरी में राम बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित

1. कौसल राज्य की राजधानी थी

(क) अयोध्या
(ख) अगरतला
(ग) आगरा
(घ) अवध

उत्तर (क) अयोध्या

2. राजा दशरथ के पिता कौन थे?

(क) गज
(ख) वज
(ग) रज
(घ) अज

उत्तर (घ) अज

3. राजा दशरथ की कितनी रानियाँ थीं?

(क) चार
(ख) तीन
(ग) दो
(घ) एक

उत्तर (ख ) तीन

4. कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी किसकी पत्नियाँ थीं?

(क) राजा दशरथ
(ख) राजा विश्वामित्र
(ग) वशिष्ठ
(घ) जनक

उत्तर: (क) राजा दशरथ

5. राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए कौन-सा यज्ञ करवाया ?

(क) पुत्राप्ति
(ख) पुत्रष्ठि
(ग) पुत्रेष्टि
(घ) पुत्रप्राप्ति

उत्तर (ग) पुत्रेष्टि

6. रानी कौशल्या ने किसे जन्म दिया?

(क) भरत
(ख) शत्रुघ्न
(ग) लक्ष्मण
(घ) राम

उत्तर (घ) राम

7. रानी कौशल्या ने राम को कब जन्म दिया था?

(क) शुक्ल पक्ष
(ख) भाद्र पक्ष
(ग) नवमी के दिन
(घ) चैत्र पक्ष

उत्तर (ग) नवमी के दिन

8. लक्ष्मण और शत्रुघ्न किसके पुत्र थे?

(क) सुमित्रा
(ख) कैकेयी
(घ) कौशल्या
(ग) जानकी

उत्तर (क) सुमित्रा

9. महर्षि वशिष्ठ के अनुसार महर्षि विश्वामित्र के साथ राम के जाने से उन्हें किसकी प्राप्ति होगी?

(क) धन की
(ख) जन की
(ग) विभिन्न विधाओं की
(घ) ऋषियों से मिलने के अवसर की

उत्तर (ग) विभिन्न विधाओं की

10. महर्षि विश्वामित्र ने अपने यज्ञ को पूरा करने के लिए राजा दशरथ से क्या माँगा ?

(क) बहुत सारा धन
(ख) ज्येष्ठ पुत्र राम
(ग) उनकी सेना
(घ) उनके चारों पुत्र

उत्तर (ख) ज्येष्ठ पुत्र राम

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 15 अवधपुरी में राम रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. अवध में __________ ‘नदी के किनारे अति सुंदर नगर था।

उत्तर अवध में सरयू नदी के किनारे अति सुंदर नगर था

2. कौसल के राजा ______ थे।

उत्तर कौसल के राजा दशरथ थे।

3. राजा दशरथ की तीन रानियाँ _________, _______ और _________ थीं।

उत्तर राजा दशरथ की तीन रानियाँ – कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी थीं।

4. राजा को कोई __________ न थी।

उत्तर राजा को कोई संतान न थी ।

5. पुत्रेष्टि यज्ञ _______ की देख-रेख में हुआ।

उत्तर पुत्रेष्टि यज्ञ ऋष्यश्रृंग की देख-रेख में हुआ।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 15 अवधपुरी में राम अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. अयोध्या नगर कहाँ स्थित है?

उत्तर अयोध्या नगर सरयू नदी के तट पर स्थित है।

2. अयोध्या के राजा कौन थे?

उत्तर अयोध्या के राजा दशरथ थे।

3. राजा दशरथ किस बात से दुःखी थे ?

उत्तर राजा दशरथ की कोई संतान न होने के लिए कारण वे दुःखी थे।

4. राजा दशरथ के सबसे छोटे पुत्र का क्या नाम था ?

उत्तर राजा दशरथ के सबसे छोटे पुत्र का नाम शत्रुघ्न था।

5. राजा दशरथ ने वशिष्ठ मुनि से किस बात पर चर्चा की?

उत्तर राजा दशरथ ने वशिष्ठ मुनि से रघुकुल के अगले उत्तराधिकारी के विषय में चर्चा की।

6. पुत्रेष्टि यज्ञ की तैयारी राजा दशरथ ने किस प्रकार की ?

उत्तर पुत्रेष्टि यज्ञ की तैयारी राजा दशरथ ने ऋष्यश्रृंग की देख-रेख में की। यज्ञशाला सरयू नदी के तट पर बनाई गई और राजा दशरथ ने अनेक राजाओं को उसमें बुलाया था।

7. राजकुमारों की शिक्षा-दीक्षा के विषय में बताइए ।

उत्तर राजकुमारों की शिक्षा-दीक्षा के लिए उन्हें गुरुकुल भेजा गया। वहाँ जाकर उन्होंने शास्त्रों व शस्त्र विद्या का अध्ययन किया।

8. विश्वामित्र कौन थे?

उत्तर विश्वामित्र एक राजा थे। उन्होंने अपना राजपाट त्यागकर संन्यास ले लिया और ऋषि बन गए। उन्होंने अपना एक आश्रम भी बनवाया, जिसका नाम सिद्धाश्रम रखा।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 15 अवधपुरी में राम लघु उत्तरीय प्रश्न

1. अयोध्या नगरी की सुंदरता का वर्णन कीजिए ।

उत्तर अयोध्या नगरी सरयू नदी के तट पर स्थित है। अयोध्या में केवल महल ही सुंदर नहीं है, अपितु उसकी पूरी नगरी बहुत सुंदर है। वहाँ की सड़कें बहुत चौड़ी एवं बाग-बगीचे अति सुंदर हैं। यदि सरल व स्पष्ट शब्दों में कहा जाए, तो अयोध्या नगरी देखने योग्य थी।

2. राजा दशरथ कहाँ के राजा थे? मुनि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को संतान प्राप्त करने के लिए क्या सलाह दी ?

उत्तर राजा दशरथ कौसल के राजा थे। उनकी तीन रानियाँ थीं। जीवन में सब तरह से संपन्न होते हुए भी उन्हें एक दुःख था कि उनकी कोई संतान न थी। राजा दशरथ को संतान प्राप्ति के विषय में चिंतित देखकर मुनि वशिष्ठ ने उन्हें सलाह दी कि यदि वे पुत्रेष्टि यज्ञ करेंगे, तो संतान प्राप्त करने की उनकी इच्छा अवश्य पूरी होगी।

3. राजा दशरथ की तीन रानियों ने किन-किन पुत्रों को जन्म दिया? उन्हें राम सबसे अधिक प्रिय क्यों थे?

उत्तर राजा दशरथ की तीन रानियों ने चार पुत्रों को जन्म दिया। रानी कौशल्या ने राम को, रानी सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को एवं रानी कैकेयी ने भरत को जन्म दिया। राम, राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र थे। वे विवेकी, शालीन और न्यायप्रिय एवं कुशाग्र बुद्धि के थे तथा सभी विद्याओं में अपने भाइयों से श्रेष्ठ थे। इन्हीं विशेषताओं के कारण राजा दशरथ को राम सबसे अधिक प्रिय थे।

4. अयोध्या नगरी की विशेषताएँ बताइए ।

उत्तर अयोध्या नगरी सरयू नदी के किनारे बसी दर्शनीय नगरी थी। वहाँ केवल राजमहल ही नहीं वरन् आम लोगों के घर भी भव्य थे। सुंदर बाग-बगीचे, पानी से भरा सरोवर था। खेतों में लहराती हरी-भरी फसलें थीं, सड़कें चौड़ी थीं। अयोध्यावासी सुखी और समृद्ध थे। पूरी नगरी अद्भुत, मनोरम और विलक्षण थी।

5. मुनि वशिष्ठ ने महाराज दशरथ को अपने पुत्रों- राम एवं लक्ष्मण को विश्वामित्र के साथ भेजने के लिए समझाया था। आप यदि दशरथ के स्थान पर होते, तो क्या करते और क्यों?

उत्तर मुनि वशिष्ठ ने महाराज दशरथ को समझाया था कि उन्हें अपने वचन का पालन करना चाहिए। यदि मैं राजा दशरथ के स्थान पर होता, तो मैं भी वही करता, जो राजा दशरथ ने किया था, क्योंकि महर्षि विश्वामित्र सिद्धपुरुष थे। उनके साथ रहकर पुत्र नवीन विद्याएँ सीखते।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 15 अवधपुरी में राम दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. चारों राजकुमारों की शिक्षा-दीक्षा कैसे हुई ?

उत्तर चारों राजकुमारों -राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न के बड़े होने पर उन्हें शिक्षा प्राप्त करने हेतु गुरुकुल भेजा गया। वहाँ उन्होंने दक्ष गुरुजनों के सान्निध्य में विद्याध्ययन किया। उन्होंने शास्त्रों का अध्ययन किया तथा शास्त्र विद्याएँ भी सीखीं। चारों राजकुमार कुशाग्र बुद्धि के थे। जल्दी ही उन्होंने सभी विद्याओं में निपुणता प्राप्त कर ली। इन चारों में से राम अत्यंत कुशाग्र बुद्धि वाले थे। वे न्यायप्रिय, विवेकशील तथा शालीन एवं अपने पिता तथा सभी लोगों के प्रिय थे।

2. इस पाठ में राजा दशरथ की मनोदशा का वर्णन करें।

उत्तर इस पाठ में राजा दशरथ की मनोदशा दयनीय और करुणामयी है। वह संतान न होने के कारण दुःखी थे। संतान प्राप्ति के बाद उनके जीवन में खुशियाँ आईं। जब राजकुमार दीक्षा प्राप्ति के लिए गुरुकुल गए, तो वह फिर से दुःखी हो गए। राजकुमार बड़े होकर वापस अयोध्या आए तो महर्षि विश्वामित्र ने राम को अपने साथ ले जाने का वचन माँगा । राजा दशरथ ने अपना यह वचन भी कुल की नीति के अनुसार पूर्ण किया। उन्होंने दुःखी मन से राम और लक्ष्मण को महर्षि विश्वामित्र के साथ भेज दिया।

3. महर्षि विश्वामित्र के आने का प्रयोजन सुनकर राजा दशरथ की क्या दशा हुई?

उत्तर महर्षि विश्वामित्र के आने का प्रयोजन सुनते ही राजा दशरथ पर जैसे बिजली गिर पड़ी, क्योंकि उन्होंने अपने यज्ञ की रक्षा करने के लिए राजा दशरथ से राम को माँगा था। वे राम को अपने साथ अपने आश्रम में ले जाना चाहते थे। राजा दशरथ को यह आशा न थी कि महर्षि उनके ज्येष्ठ पुत्र तथा सर्वप्रिय राम को माँग लेंगे। विश्वामित्र की बात सुनकर वे घोर चिंता में पड़ गए। पुत्र वियोग की आशंका से वे काँप उठे एवं मूच्छित हो गए। एक बार होश आने पर पुनः भय के कारण मूच्छित हो गए और संज्ञा – शून्य पड़े रहे।

4. महर्षि विश्वामित्र के बढ़ते क्रोध को देखकर मुनि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को क्या समझाया ?

उत्तर महर्षि विश्वामित्र ने राजा दशरथ से अपने यज्ञ की रक्षा करने के लिए अपने साथ राम को ले जाने के लिए कहा। राजा दशरथ के द्वारा स्वीकृति देने में विलंब करने पर विश्वामित्र का क्रोध बढ़ने लगा। तब मुनि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को समझाया कि वे राम की चिंता न करें। महर्षि के होते हुए उनको कोई हानि नहीं पहुँचा सकता । अतः उन्हें रघुकुल की रीति का पालन करते हुए अपना वचन निभाना चाहिए।

5. यशस्वी राजा दशरथ के दुःख का मुख्य कारण क्या था? उसके दुःख का समाधान कैसे हुआ?

उत्तर यशस्वी राजा दशरथ के दुःख का मुख्य कारण था कि उनके बाद उनके राज्य को देखने वाला कोई उत्तराधिकारी न था, क्योंकि उनकी कोई संतान न थी। राजा दशरथ की आयु के साथ-साथ उनकी चिंता भी निरंतर बढ़ती जा रही थी बहुत सोच-विचार करने के बाद उन्होंने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए मुनि वशिष्ठ से चर्चा की। मुनि वशिष्ठ राजा दशरथ की चिंता को समझते थे। उन्होंने राजा दशरथ को पुत्रेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी। इस यज्ञ को करने के पश्चात् कुछ दिनों में उन्हें चार पुत्रों की प्राप्ति हुई।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 16 जंगल और जनकपुर Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 16 जंगल और जनकपुर Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 16 जंगल और जनकपुर पाठ का सार

महर्षि विश्वामित्र के साथ दोनों राजकुमारों का वन गमन

महर्षि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को राजमहल से निकालकर सरयू नदी की ओर लेकर बढ़े आश्रम पहुँचने के लिए उन्हें सरयू नदी को पार करना था, परंतु उन्होंने अयोध्या के समीप सरयू नदी को पार नहीं किया अपितु वे उसके किनारे-किनारे चलते गए। राम और लक्ष्मण दोनों राजकुमार उनके पीछे-पीछे चलकर अपने राजमहल (अयोध्या) से काफी दूर निकल चुके थे। शाम होने वाली थी, परंतु राजकुमारों के चेहरों पर थकान नहीं थी। वे दोनों दिनभर चलने के बाद और भी चलने के लिए तैयार थे।

विश्वामित्र द्वारा बला – अतिबला नामक विद्याओं का शिक्षण

महर्षि विश्वामित्र ने शाम हो जाने के कारण रात में नदी किनारे ही रुकने का फैसला लिया। राम के निकट आकर महर्षि ने कहा कि मैं तुम दोनों को कुछ विद्याएँ सिखाना चाहता हूँ। इन्हें सीखने के बाद कोई तुम पर प्रहार नहीं कर सकेगा। महर्षि विश्वामित्र ने दोनों भाइयों को ‘बला – अतिबला’ नामक विद्याएँ सिखाई। पत्तों और तिनकों के बिस्तर पर उन्होंने रात वहीं व्यतीत की। सुबह होते ही यात्रा फिर शुरू हुई। मार्ग में महर्षि ने राम-लक्ष्मण को वहाँ के लोगों एवं वृक्षों-वनस्पतियों के संबंध में जानकारी दी तथा स्थानीय इतिहास से भी परिचित कराया। अब उन्हें नदी पार करके घने जंगलों से होकर गुजरना था, लेकिन अँधेरा हो चुका था, इसलिए उन्होंने रात यहीं गुजारने का निश्चय किया और अगली सुबह उन्होंने नाव से गंगा नदी पार की।

ताड़का का वध

नदी पार करके आगे घना जंगल था, जिसमें ताड़का नामक राक्षसी रहती थी। ताड़का के भय से जंगल में कोई नहीं आता था। जो भी वहाँ आता, ताड़का उस पर अचानक आक्रमण करके उसे मार डालती थी। इसी कारण उस सुंदर वन का नाम ‘ताड़का वन’ पड़ गया था। महर्षि की आज्ञा पाकर राम ने धनुष की टँकार की, जिसे सुनकर ताड़का क्रोधित हो गई और पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। राम और लक्ष्मण ने भी उस पर बाण चलाए और राम का एक बाण उसके हृदय पर लग गया, जिससे उसका वध हो गया। ताड़का वध के बाद जंगल भयमुक्त हो गया।

यह देखकर विश्वामित्र प्रसन्न हुए और उन्होंने राजकुमारों को सौ तरह के नए अस्त्र-शस्त्र दिए तथा उन्हें प्रयोग करने की विधि बताई।

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महर्षि का अनुष्ठानपूर्ण यज्ञ

सुबह होते ही वे तीनों सिद्धाश्रम की ओर चल पड़े एवं प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हुए आश्रम पहुँच गए। अगले दिन विश्वामित्र यज्ञ की तैयारियों में लग गए और आश्रम की रक्षा का कार्यभार राजकुमारों को सौंप दिया। पाँच दिनों तक सब ठीक चलता रहा, लेकिन यज्ञ के अंतिम दिन ताड़का के पुत्रों- सुबाहु और मारीच नामक राक्षसों के दल ने आश्रम पर आक्रमण कर दिया।

राम के धनुष से निकले हुए बाण से मारीच मूच्छित होकर समुद्र के किनारे गिर पड़ा तथा होश आने पर वह दक्षिण दिशा की ओर भागा। राम के दूसरे बाण से सुबाहु वहीं मारा गया। सुबाहु के मरते ही राक्षस सेना में भगदड़ मच गई। महर्षि विश्वामित्र का अनुष्ठान संपन्न हुआ और उन्होंने राम को गले लगा लिया।

राम-लक्ष्मण का मिथिला की ओर प्रस्थान

दूसरे दिन विश्वामित्र की आज्ञानुसार राम-लक्ष्मण उनके साथ मिथिला नगरी की ओर चल पड़े। सोन नदी पार करके विश्वामित्र एवं राम-लक्ष्मण मिथिला नगरी की सीमा के पास पहुँचे। महर्षि, शिष्यों और राजकुमारों के साथ राजा जनक के महल में पहुँचे। मिथिला में राजा जनक ने उनका भव्य स्वागत किया। विदेहराज उन्हें देखकर चकित रह गए और उन्होंने राजकुमारों के विषय में पूछा। महर्षि ने उन्हें बताया कि ये दोनों राजा दशरथ के पुत्र राम और लक्ष्मण हैं। मैं इन्हें अपने साथ यहाँ आपका अद्भुत शिव धनुष दिखाने लाया हूँ।

शिव धनुष व राजा जनक की प्रतिज्ञा

अगले दिन सभी आमंत्रित लोग, ऋषि-मुनि और राजकुमार यज्ञशाला में उपस्थित हुए। शिव धनुष को यज्ञशाला में लाया गया, जो लोहे की पेटी में रखा हुआ था। उस पेटी में आठ पहिए लगे हुए थे और उस धनुष को उठाना असंभव था।

विदेहराज जनक ने मुनिवर को बताया कि मैंने प्रतिज्ञा की है कि जो यह धनुष उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, उसी के साथ सीता का विवाह होगा। कई राजकुमारों ने प्रयास किया, परंतु सफल नहीं हुए। धनुष को उठाना तो दूर उसे कोई हिला भी न सका ।

राम-सीता का विवाह

राम ने महर्षि की आज्ञा पाकर विशाल धनुष को सहज ही उठा लिया और ऊपर से दबाकर प्रत्यंचा खींची। दबाव के कारण धनुष बीच में से टूट गया। महाराज जनक बहुत प्रसन्न हुए, क्योंकि उनकी प्रतिज्ञा पूरी हो गई थी और उन्हें सीता के लिए योग्य वर मिल गया था। महर्षि की अनुमति से दूत अयोध्या भेजे गए। बारात के स्वागत की तैयारियाँ होने लगीं।

विवाह से पहले विदेहराज ने राजा दशरथ के समक्ष प्रस्ताव रखा- मेरी इच्छा है कि आप मेरी छोटी पुत्री उर्मिला का विवाह लक्ष्मण से, मांडवी का विवाह भरत से और श्रुतकीर्ति का विवाह शत्रुघ्न से करना स्वीकार करें। राजा दशरथ ने राजा जनक के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और अपने चारों पुत्रों का विवाह उनकी पुत्रियों से कर दिया।

शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 2 जंगल और जनकपुर Question And Answers शब्दार्थ

  बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. अयोध्या नगरी सरयू नदी के किस तट पर थी?

(क) पूर्वी तट
(ख) पश्चिमी तट
(ग) उत्तरी तट
(घ) दक्षिणी तट

उत्तर (घ) दक्षिणी तट

2. ताड़का का वध किसने किया?

(क) भरत ने
(ख) शत्रुघ्न ने
(ग) राम ने
(घ) लक्ष्मण ने

उत्तर (ग) राम ने

3. संगम की दूसरी नदी कौन-सी थी ?

(क) गोदावरी
(ग) पार्वती
(ख) यमुना
(घ) गंगा

उत्तर (घ) गंगा

4. “हम आज रात नदी तट पर ही विश्राम करेंगे।” यह महर्षि विश्वामित्र ने किससे कहा?

(क) राम-लक्ष्मण
(ग) भरत राम
(ख) सीता-राम
(घ) शत्रुघ्न- राम

उत्तर (क) राम-लक्ष्मण

5. महर्षि विश्वामित्र ने राम-लक्ष्मण के साथ गंगा कैसे पार की?

(क) पैदल
(ख) रथ से
(ग) नाव से
(घ) घोड़ों से

उत्तर (ग) नाव से

6. सुंदर वन में कोई क्यों नहीं जाता था?

(क) ऋषि-मुनियों के कारण
(ख) ताड़का के कारण
(ग) राम के कारण
(घ) लक्ष्मण के कारण

उत्तर (ख) ताड़का के कारण

7. महर्षि विश्वामित्र ने राम-लक्ष्मण को कितनी तरह के अस्त्र-शस्त्र दिए?

(क) साठ तरह के
(ख) पचास तरह
(ग) सौ तरह के
(घ) अट्ठासी तरह के

उत्तर (ग) सौ तरह के

8. किसका तीर ताड़का के हृदय में लगा ?

(क) भरत का
(ख) लक्ष्मण का
(ग) शत्रुघ्न का
(घ) राम का

उत्तर (घ) राम का

9. अनुष्ठान कितने दिनों तक ठीक-ठाक चलता रहा?

(क) दो दिन तक
(ख) तीन दिन तक
(ग) चार दिन तक
(घ) पाँच दिन तक

उत्तर (घ) पाँच दिन तक

10. सीता का राम से विवाह निश्चित होने के बाद राजा जनक ने राजा दशरथ से क्या याचना की?

(क) उनके छोटे भाई कुशध्वज की पुत्री मांडवी और श्रुतकीर्ति को भरत और शत्रुघ्न के लिए स्वीकार करें।
(ख) राम को जनकपुर में कुछ दिन निवास की आज्ञा दें।
(ग) सीता को कुछ दिन उन्हीं के पास छोड़ दें
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।

उत्तर (क) उनके छोटे भाई कुशध्वज की पुत्री मांडवी और श्रुतकीर्ति को भरत और शत्रुघ्न के लिए स्वीकार करें।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 16 जंगल और जनकपुर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. राजमहल से निकलकर महर्षि विश्वामित्र ___________ नदी की ओर बढ़े।

उत्तर राजमहल से निकलकर महर्षि विश्वामित्र सरयू नदी की ओर बढ़े।

2. वन में असली खतरा राक्षसी से था।

उत्तर वन में असली खतरा राक्षसी ताड़का से था ।

3. उस सुंदर वन का नाम ______ पड़ गया था।

उत्तर उस सुंदर वन का नाम ताड़का वन पड़ गया था।

4. ताड़का को क्रोधित करने के लिए ___________ ने प्रत्यंचा चढ़ाकर उसे जोर से खींचा।

उत्तर ताड़का को क्रोधित करने के लिए राम ने प्रत्यंचा चढ़ाकर उसे जोर से खींचा।

5. अनुष्ठान के अंतिम दिन ______ और _________ ने दल-बल के साथ हमला किया।

उत्तर अनुष्ठान के अंतिम दिन सुबाहु और मारीच ने दल-बल के साथ हमला किया।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 16 जंगल और जनकपुर अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. चलते समय राम और लक्ष्मण की नज़र कहाँ थी?

उत्तर चलते समय राम और लक्ष्मण की नज़र महर्षि विश्वामित्र के सधे कदमों की ओर थी।

2. राजकुमारों के चेहरों पर थकान का कोई चिह्न क्यों नहीं था?

उत्तर राजकुमारों के चेहरों पर थकान का कोई चिह्न इसलिए नहीं था, क्योंकि दोनों राजकुमार उत्साहित थे ।

3. चिड़ियों के झुंड कहाँ जा रहे थे?

उत्तर चिड़ियों के झुंड अपने बसेरे की ओर जा रहे थे, क्योंकि संध्या का समय हो गया था।

4. महर्षि विश्वामित्र ने राम-लक्ष्मण को कौन सी विद्याएँ सिखाईं व उनकी क्या विशेषता थी?

उत्तर महर्षि विश्वामित्र ने राम-लक्ष्मण को ‘बला अतिबला’ नाम की विद्याएँ सिखाईं। ये ऐसी विद्याएँ थीं, जिन्हें सीखने के बाद कोई भी उन पर प्रहार नहीं कर सकेगा। उस समय भी नहीं, जब वे सो रहे हों।

5. महर्षि विश्वामित्र चलते समय रास्ते में राम-लक्ष्मण को क्या बता रहे थे?

उत्तर महर्षि विश्वामित्र चलते समय राम-लक्ष्मण को रास्ते में पड़ने वाले आश्रमों, पेड़ों व वनस्पतियों एवं वहाँ के स्थानीय इतिहास के विषय में बता रहे थे।

6. ताड़का के मरने के बाद ताड़का वन कैसा लग रहा था?

उत्तर ताड़का के मरने के बाद ताड़का वन बदला हुआ लग रहा था। वहाँ से भयानक आवाजें गायब हो चुकी थीं। पत्तों की सरसराहट का संगीत, चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई दे रही थी तथा चारों तरफ शांति थी।

7. आश्रम के लोग क्यों प्रसन्न थे?

उत्तर आश्रम के लोग महर्षि विश्वामित्र के वापस आश्रम लौटने और राम-लक्ष्मण के आगमन से प्रसन्न थे।

8. मारीच क्यों क्रोधित था?

उत्तर मारीच यज्ञ के अतिरिक्त इस बात से क्रोधित था कि राम-लक्ष्मण ने उसकी माँ (ताड़का) का वध कर दिया था।

9. राजा जनक ने क्या प्रतिज्ञा कर रखी थी?

उत्तर राजा जनक ने यह प्रतिज्ञा कर रखी थी कि जो व्यक्ति शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, उसी व्यक्ति से वे अपनी पुत्री सीता का विवाह कर देंगे।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 16 जंगल और जनकपुर लघु उत्तरीय प्रश्न

1. महर्षि ने राजकुमारों को सुंदर वन के विषय में क्या बताया?

उत्तर सुंदर वन बहुत घना और दुर्गम था। महर्षि ने राम और लक्ष्मण को बताया कि जानवर और वनस्पतियाँ जंगल की शोभा हैं। इनसे कोई डर नहीं है। असली खतरा राक्षसी ताड़का से है। वह यहीं रहती है। वह बहुत भयानक तथा बलवान है, जो कोई भी इस वन में आता है, वह उसे मार डालती है। अतः उसके डर से कोई इस वन में नहीं आता है। उसी ताड़का के प्रकोप तथा भय के कारण उस सुंदर वन का नाम ‘ताड़का वन’ पड़ गया।

2. राम ने ताड़का का अंत कैसे किया?

उत्तर राम ने महर्षि विश्वामित्र की आज्ञा से धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई और उसे खींचकर एक बाण छोड़ा, जिससे ताड़का क्रोध से बिलबिलाती हुई राम की ओर दौड़ी और उसने राम व लक्ष्मण पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। राम ने उस पर अनेक बाण बरसाए। लक्ष्मण ने भी निशाना लगाया, जिससे ताड़का चारों ओर से बाणों से घिर गई। राम का एक बाण उसके हृदय में लगा। वह मूच्छित हो गई तथा उसकी मृत्यु हो गई।

3. बला- अतिबला नामक विद्या का उल्लेख करें।

उत्तर जब महर्षि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को लेकर वन मार्ग से अपने सिद्धाश्रम की ओर रवाना हो गए, तो रात में विश्राम करने से पहले उन्होंने दोनों भाइयों से कहा, “मैं एक विशिष्ट शिक्षा देना चाहता हूँ, जिसका नाम बला- अतिबला है। इसको सीखने के बाद तुम पर कोई भी प्रहार नहीं कर सकता, विशेषतः सोते समय भी नहीं। अतः यह . विद्या तुम्हारे लिए महत्त्वपूर्ण साबित होगी।”

4. सिद्धाश्रम पहुँचने पर आश्रमवासियों ने क्या किया?

उत्तर महर्षि दोनों राजकुमारों के साथ मनोहारी और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हुए सिद्धाश्रम पहुँचे। आश्रम पहुँचने पर आश्रमवासियों ने प्रसन्नता के साथ उन तीनों का स्वागत किया। आश्रमवासी विश्वामित्र के लौटने और राम-लक्ष्मण के आगमन के कारण बहुत खुश

5. राम और लक्ष्मण मिथिला कैसे पहुँचे?

उत्तर यज्ञ अनुष्ठान पूर्ण होने के बाद जब महर्षि ने वहाँ के (मिथिला) आयोजन में हिस्सा लेने के लिए राम और लक्ष्मण दोनों भाइयों को अपने साथ मिथिला चलने के लिए कहा, तो दोनों भाई गुरु विश्वामित्र की आज्ञानुसार नई जगह देखने और आगे की यात्रा के लिए उत्साह से भर गए। उन्होंने सोन नदी को पार किया और मिथिला की सीमा पर पहुँच गए तथा एक आश्रम से गुजरे, जो गौतम ऋषि का था, अंत में वे मिथिला नगरी में पहुँच गए।

6. शिव धनुष की क्या विशेषता थी?

उत्तर शिव धनुष बहुत विशाल था। उसे लोहे की पेटी में रखा गया था। पेटी में आठ पहिए लगे थे। धनुष बहुत भारी था। उसे उठाना लगभग असंभव था । पहियों के सहारे खिसकाकर उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता था। अनुचर बहुत कठिनाई से पेटी को खींचते हुए यज्ञशाला में लाए।

7. विवाह से पहले राजा जनक ने महाराज दशरथ से क्या कहा?

उत्तर विवाह से ठीक पहले राजा जनक ने महाराज दशरथ से कहा- “मेरी प्रतिज्ञा पूरी हुई और अब सीता का विवाह राम से होगा। मेरी इच्छा है। कि मेरी छोटी पुत्री उर्मिला का विवाह लक्ष्मण से हो जाए। मेरे छोटे भाई कुशध्वज की पुत्रियाँ मांडवी और श्रुतकीर्ति को भरत और शत्रुघ्न के लिए स्वीकार करें।”

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 16 जंगल और जनकपुर दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. महर्षि विश्वामित्र तथा दोनों राजकुमारों की यात्रा का वर्णन कीजिए।

उत्तर अपने पिता की आज्ञानुसार दोनों राजकुमार राम व लक्ष्मण राजमहल से निकलकर महर्षि विश्वामित्र के साथ सरयू नदी के किनारे की ओर बढ़े। नदी के घुमाव के साथ राजमहल पीछे छूट गया। धीरे-धीरे सब कुछ दृष्टि से ओझल हो गया।

राम और लक्ष्मण ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। राजकुमारों के चेहरे पर थकान नहीं थी। तीनों ने उस रात नदी के तट पर विश्राम किया। राजकुमारों ने विश्वामित्र से बला- अतिबला विद्याएँ सीखीं। अगले दिन फिर यात्रा प्रारंभ की। वे तीनों संगम तक पहुँचे। यह संगम सरयू नदी व गंगा नदी का था। गंगा नदी के पार एक घना जंगल था, जो डरावना तथा दुर्गम था, जिसमें ताड़का राक्षसी रहती थी।

उसके डर से कोई उस वन में नहीं आता था। राम ने उस राक्षसी (ताड़का) पर बाण चलाकर उसका वध कर दिया। महर्षि विश्वामित्र ने यहाँ राजकुमारों को सौ तरह के नए अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग सिखाया। सुबह होने पर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हुए तीनों सिद्धाश्रम पहुँच गए।

2. ताड़का कौन थी? उसका वध कैसे हुआ?

उत्तर ताड़का सुंदर वन में रहने वाली भयंकर राक्षसी थी। उसके डर से कोई उस वन में नहीं आता था। जो भी वहाँ आता, ताड़का उस पर अचानक आक्रमण कर देती और उसे मार डालती थी। राम ने महर्षि की अनुमति से प्रत्यंचा की डोर चढ़ाकर खींची, जिसकी टँकार की आवाज से गरजती हुई ताड़का राम की ओर दौड़ी।

बालकों को देखकर उसका क्रोध और भड़क उठा। जंगल के पेड़ काँप उठे। पत्ते टूटकर उड़ने लगे। तभी ताड़का ने उन पर पत्थर बरसाने आरंभ कर दिए। राम ने बाण चलाए, लक्ष्मण ने भी निशाना साध लिया। अब ताड़का बाणों से घिर गई। राम का एक बाण ताड़का के हृदय पर लगा। वह गिरी और फिर कभी नहीं उठ सकी। ताड़का की मृत्यु से विश्वामित्र बहुत प्रसन्न हुए।

3. ‘जानवर और वनस्पतियाँ जंगल की शोभा क्यों मानी जाती हैं? क्या आप इस विचार से सहमत हैं?

उत्तर जी हाँ, ‘जानवर और वनस्पतियाँ जंगल की शोभा होते हैं, मैं इस विचार से पूर्णतः सहमत हूँ। जंगल बहुत घने और दुर्गम होते हैं। इनमें अनेक जानवरों का निवास स्थान होता है। उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति इन्हीं जंगलों में होती है। ईश्वर ने विभिन्न पशु-पक्षियों को बनाया है तथा सभी को जीने का अधिकार है। विभिन्न प्रकार के दुर्लभ पशु-पक्षी जंगलों में रहते हैं।

अकारण वे किसी को हानि नहीं पहुँचाते हैं। अनेक प्रकार के पेड़-पौधे भी जंगल में होते हैं, जो बहुत ही सुंदर होते हैं। विभिन्न जड़ी-बूटियों की प्राप्ति भी इन वनस्पतियों से ही होती है। जंगल में नैसर्गिक सुंदरता विद्यमान होती है।

4. राम-लक्ष्मण ने विश्वामित्र के आश्रम की रक्षा किस प्रकार की?

उत्तर महर्षि विश्वामित्र यज्ञ की तैयारियों में लग गए। उन्होंने आश्रम की सुरक्षा की जिम्मेदारी राम-लक्ष्मण को दे दी। राम-लक्ष्मण ने यज्ञ पूरा होने तक न सोने का निर्णय लिया। वे लगातार जागते रहे और सावधान रहे। हाथ में धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाए और कमर पर तलवार लटकाए हुए वे हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार थे।

यज्ञ संपन्न होने के दिन सुबाहु और मारीच नामक राक्षसों ने दल-बल के साथ आश्रम पर आक्रमण कर दिया। मारीच इसलिए भी क्रोधित था, क्योंकि राम ने उसकी माँ ताड़का का वध किया था। राम ने मारीच को निशाना बनाया। वह बाण लगते ही मूच्छित हो गया। होश में आने पर वह उठकर भाग गया। राम का दूसरा बाण सुबाहु को लगा । उसकी वहीं मृत्यु हो गई तथा अन्य राक्षस जान बचाकर भाग गए।

5. विश्वामित्र राम को मिथिला क्यों ले गए? मिथिला की घटनाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को राजा जनक द्वारा किए जाने वाले धनुष यज्ञ को दिखाने के लिए मिथिला ले गए। राजा जनक ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि जो यह धनुष उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, सीता का विवाह उसी के साथ कर दिया जाएगा।

अनेक राजकुमार तो इसे हिला भी न सके थे। धनुष सचमुच विशाल था, लेकिन महर्षि विश्वामित्र का आदेश पाकर राम ने यह धनुष उठा लिया, उसे आसानी से झुकाया और ऊपर से दबाकर प्रत्यंचा खींची। इस दबाव से धनुष बीच में से टूट गया और सभी लोग वहाँ बैठे आश्चर्यचकित रह गए।

6. राम विवाह की तैयारियों का वर्णन कीजिए।

उत्तर शिव धनुष टूटने से महाराज जनक प्रसन्न हो गए, क्योंकि उन्हें सीता के लिए योग्य वर मिल गया था। राजा जनक ने महर्षि विश्वामित्र की अनुमति लेकर राजा दशरथ के पास संदेश भेजा कि वे बारात लेकर आएँ। बारात के स्वागत की तैयारियाँ होने लगीं। संपूर्ण नगर प्रसन्न था। जनकपुरी जगमगा रही थी। हर मार्ग पर तोरणद्वार लगाया गया एवं फूलों की चादर बिछाई गई थी।

घर-घर में मंगल गीत गाए जा रहे थे। मुख्य मार्ग पर दर्शकों की अपार भीड़ एकत्र हो गई। छज्जों और खिड़कियों पर महिलाएँ राम-सीता को देखने के लिए खड़ी हो गई। सभी राम-सीता की जोड़ी को एक नज़र देख लेना चाहते थे। पूरी जनकपुरी प्रसन्नता से झूम रही थी। बधाइयों की गूँज चारों ओर से आ रही थी।