NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे Question And Answers
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे पाठ का सार
एकांकी में निहित पात्रों का परिचय
‘ऐसे-ऐसे’ एक एकांकी (नाटक/छोटी कहानी) है, जिसके लेखक विष्णु प्रभाकर हैं। इस एकांकी के पात्र मोहन ( एक विद्यार्थी), दीनानाथ (एक पड़ोसी) माँ (मोहन की माँ), मोहन के पिता मोहन के मास्टर जी, वैद्य जी, डॉक्टर और एक पड़ोसन हैं।
मोहन के पेट में दर्द और माँ की परेशानी
मोहन आठ-नौ वर्ष का बालक है, वह तीसरी कक्षा में पढ़ता है। कमरे में लेटा हुआ वह बार-बार पेट पकड़कर कराह (पीड़ा में निकलने वाली आवाज) रहा है। उसकी माँ गरम पानी की बोतल से मोहन का पेट सेंक रही हैं। वह मोहन के पिता से पूछती हैं कि उसने कुछ खराब चीज तो नहीं खाई है, पिताजी उन्हें तसल्ली देते हुए कहते हैं कि मोहन ने केवल केला और संतरा खाया है। दफ्तर से अड्डे तक ठीक ही आया था, पर बस अड्डे पर अचानक बोलने लगा कि पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ हो रहा है।
माँ, पिता से पूछती हैं कि डॉक्टर अभी तक क्यों नहीं आया और बताती हैं कि वह हींग, चूरन, पिपरमेंट भी दे चुकी हैं, परंतु उससे भी कोई लाभ नहीं हुआ। माँ मोहन की परेशानी देखकर बहुत परेशान होती हैं। उन्हें लग रहा था कि मोहन को कोई नई बीमारी हो गई है, क्योंकि घरेलू इलाज के बाद भी पेट दर्द कम नहीं हो रहा था। मोहन के पिताजी भी मोहन की दशा देखकर और परेशान हो जाते हैं।
दीनानाथ की मोहन के प्रति दयालुता
पड़ोसी दीनानाथ मोहन के घर आते हैं और मोहन की ऐसी दशा देखकर उन्हें आश्चर्य होता है, क्योंकि मोहन एक शरारती बालक है। और पूरे घर में शोरगुल मचाए रहता है। वह मामूली परेशानी को कुछ नहीं समझता है, लेकिन इस समय वह अपनी माँ के सामने थका हुआ, पेट दबाए बैठा था।
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वैद्य और डॉक्टर द्वारा मोहन का उपचार
दीनानाथ के कहने पर वैद्यजी मोहन को देखने के लिए आते हैं। वैद्यजी मोहन की नाड़ी छूकर कहते हैं कि मोहन बच्चा है, इसलिए वह समझ नहीं पा रहा है। मोहन का पेट साफ नहीं हुआ है। उसे कब्ज है, जिससे उसके पेट में वायु रुक गई है अर्थात् उसे गैस की समस्या हो गई है। वैद्यजी दवाई की पुड़िया देते हैं और आधे-आधे घंटे बाद उसे गरम पानी के साथ देने के लिए कहते हैं।
वैद्यजी के जाने के बाद मोहन के इलाज के लिए डॉक्टर आता है। मोहन की दशा देखकर डॉक्टर साहब उसकी जीभ देखकर कहते हैं कि मोहन को कुछ बदहजमी है, कुछ कब्ज की समस्या लग रही है। मेरी दवा की एक खुराक से मोहन की तबीयत ठीक हो जाएगी। डॉक्टर साहब गरम पानी की बोतल से सिंकाई करने की भी सलाह देते हैं।
पड़ोसन का मोहन के घर आना
डॉक्टर साहब के जाते ही पड़ोसन मोहन का हाल-चाल जानने के लिए आती है। पड़ोसन मोहन की माँ से कहती है कि आजकल नई-नई बीमारियाँ चल रही हैं। आजकल तो बुखार भी नए-नए चल रहे हैं। अब पहले जैसा खाना-पीना नहीं है, इसलिए नई-नई बीमारियाँ हो रही हैं। मोहन की माँ ने पड़ोसन को बताया कि डॉक्टर ने मोहन को बदहजमी बताई है।
मास्टरजी का आना और मोहन की बीमारी का भेद खुलना
उसी समय मोहन के विद्यालय के मास्टर जी मोहन को पुकारते हुए कमरे में आते हैं। मास्टरजी मोहन से कहते हैं, सुना है कि तुम्हारे पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा है, तुम्हारा चेहरा भी उतरा हुआ है।
कल तुम्हारे बिना तो कक्षा में रौनक ही नहीं रहेगी, शायद ठीक से खाना न खाने के कारण ‘ऐसे-ऐसे’ हो रहा है। मुझे इसकी बीमारी ‘ऐसे-ऐसे’ का कारण पता है, मैं इस बीमारी के बारे में जानता हूँ। किसी वैद्यजी या डॉक्टर के पास इसकी दवा नहीं है।
मास्टरजी ने मोहन से गृहकार्य पूरा करने की बात पूछी, जिसके जवाब में मोहन ने कोई उत्तर नहीं दिया। मास्टरजी मोहन की माँ को बताते हैं कि मोहन ने मौज-मस्ती पूरी की पर छुट्टियों का गृहकार्य पूरा नहीं किया है, जिसके कारण वह स्कूल जाने से बचने के लिए ‘ऐसे-ऐसे’ का बहाना बना रहा है।
मास्टरजी मोहन को गृहकार्य पूरा करने के लिए दो दिन का समय देते हैं। मास्टरजी की पूरी बात सुनकर माता-पिता दोनों दंग रह जाते हैं कि यह स्कूल का काम पूरा न करने का डर है और तभी पिता के हाथ से दवा की शीशी फर्श पर गिरकर बिखर जाती है। एकांकी के अंत में सभी लोग हँस पड़ते हैं।
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर
एकांकी से (पृष्ठ संख्या 42)
प्रश्न 1. सड़क के किनारे एक सुंदर फ्लैट में बैठक का दृश्य । उसका एक दरवाजा सड़क वाले बरामदे में खुलता है। … उस पर एक फोन रखा है।’ इस बैठक की पूरी तसवीर बनाओ।
उत्तर छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2. माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर क्यों घबरा रही थी?
उत्तर मोहन का दर्द बढ़ता जा रहा था। वह दर्द के कारण कराह रहा था तथा बेचैन हो रहा था। वह माँ के पूछने पर बार-बार ऐसे-ऐसे होता है बता रहा था। माँ को लग रहा था कि मोहन को कोई नई बीमारी हो गई है। इसलिए माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर घबरा रही थीं।
प्रश्न 3. ऐसे कौन-कौन से बहाने होते हैं, जिन्हें मास्टरजी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं? ऐसे कुछ बहानों के बारे में लिखो ।
उत्तर ऐसे कई बहाने होते हैं, जिन्हें मास्टरजी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं; जैसे-
- तेज बुखार आ गया था।
- पेट में बहुत दर्द था ।
- सिर में बहुत दर्द था।
- हाथ में चोट लगने के कारण लिख नहीं पा रहा था ।
- पार्टी में जाने के कारण घर देर से आया था।
अनुमान और कल्पना ( पृष्ठ संख्या 42)
प्रश्न 1. स्कूल के काम से बचने के लिए मोहन ने कई बार पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ होने के बहाने बनाए। मान लो, एक बार उसे सचमुच पेट में दर्द हो गया और उसकी बातों पर लोगों ने विश्वास नहीं किया, तब मोहन पर क्या बीती होगी?
उत्तर यदि मोहन को सचमुच पेट में दर्द हुआ होगा, तो घर में माँ और पिताजी ने उसकी बात पर विश्वास ही नहीं किया होगा। दर्द को बहाना समझकर ध्यान नहीं दे रहे होंगे। मोहन का दर्द बढ़ता जा रहा होगा। मोहन दर्द से बेचैन हुआ होगा, मुँह की रंगत बदल गई होगी। मोहन को अपने किए पर पछतावा हुआ होगा। उसे दोबारा ऐसी गलती न करने की सीख मिली होगी। मोहन ने अपनी आदत को सुधार लिया होगा ।
प्रश्न 2. पाठ में आए वाक्य ‘लोचा लोचा फिरे है’ के बदले ‘ढीला-ढाला हो गया है या बहुत कमजोर हो गया है’, लिखा जा सकता है। लेकिन, ‘लेखक ने संवाद’ में विशेषता लाने के लिए बोलियों के रंग-ढंग का उपयोग किया है। इस पाठ में इस तरह की अन्य पंक्तियाँ भी हैं; जैसे-
- इत्ती नई-नई बीमारियाँ निकली हैं।
- राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया।
- तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है।
अनुमान लगाओ, इन पंक्तियों को दूसरे ढंग से कैसे लिखा जा सकता है?
उत्तर इन पंक्तियों को इस प्रकार लिखा जा सकता है
- इतनी नई-नई बीमारियाँ निकल आई हैं।
- इन बीमारियों ने तो परेशान कर दिया।
- तुम तो बड़े छुपे रुस्तम हो ।
प्रश्न 3. मान लो कि तुम मोहन की तबीयत पूछने जाते हो। तुम अपने और मोहन के बीच की बातचीत को संवाद के रूप में लिखो ।
उत्तर
मैं – मोहन! कैसे हो? क्या हो गया तुम्हें?
मोहन – मित्र क्या बताऊँ? पेट में दर्द हो रहा है।
मैं – अच्छा! तुमने दिन में क्या खाया था?
मोहन – बस, एक संतरा और केला खाया था।
मैं – संतरा और केला खाने से दर्द नहीं हो सकता।
मोहन – दर्द के कारण बड़ी उलझन हो रही है।
मैं – माँ ने कोई घरेलू इलाज किया।
मोहन – हाँ, माँ ने हींग, चूरन और पिपरमेंट सब कुछ खिलाया था।
मैं – क्या उन चीजों को खाने से कोई लाभ नहीं मिला?
मोहन – नहीं, बिल्कुल भी लाभ नहीं हो रहा है।
मैं – तुमने डॉक्टर या वैद्य को नहीं दिखाया।
मोहन – हाँ, अभी कुछ देर पहले वैद्यजी देखने आए थे। उन्हीं की दवा खा रहा हूँ। शायद लाभ हो जाए।
मैं – समय पर दवा लेते रहना। जल्दी ठीक हो जाओगे। तुम्हारे बिना तो कक्षा में अच्छा नहीं लगेगा।
मोहन – हाँ, मेरा मन भी नहीं लगेगा। तबीयत ठीक हो जाएगी, तो मैं कल तुम्हारे साथ स्कूल चलूँगा।
मैं – ठीक है। अपना ध्यान रखना ।
प्रश्न 4. संकट के समय के लिए कौन-कौन से नंबर याद रखे जाने चाहिए? ऐसे समय में पुलिस, फायर ब्रिगेड और डॉक्टर से तुम कैसे बात करोगे? कक्षा में करके बताओ।
उत्तर संकट के समय इन नंबरों को याद रखना चाहिए
- पुलिस के लिए – 100
- फायर ब्रिगेड के लिए-101
- एंबुलेंस के लिए -102
- यदि कोई दुर्घटना हो गई हो या मारपीट हो रही हो, तो 100 नंबर डायल करके पुलिस को घटना की संक्षिप्त जानकारी देते हुए पता बता देंगे।
- आग लगने पर दुर्घटना की जानकारी देते हुए 101 नंबर पर डायल करके पता बता देंगे।
- किसी के बीमार होने पर एंबुलेंस के लिए 102 नंबर डायल करके मरीज के लक्षण डॉक्टर को बताएँगे। शीघ्र पहुँचने के लिए सही पता बता देंगे। सदैव नम्रता से बात करेंगे। हम उन्हें घर के आस-पास की स्थिति अवश्य बताते हुए शीघ्रता से आने के लिए प्रार्थना करेंगे।
ऐसा होता तो क्या होता ____________ (पृष्ठ संख्या 42)
- मास्टर _________ स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है? (मोहन हाँ में सिर हिलाता है।)
- मोहन जी, सब काम पूरा कर लिया है।
इस स्थिति में नाटक का अंत क्या होता? लिखो ।
उत्तर
ऐसी स्थिति में मास्टरजी समझ जाते कि मोहन कोई बहाना नहीं बना रहा, बल्कि वास्तव में उसके पेट में दर्द है। मोहन ठीक से समझा नहीं पा रहा है, इसलिए ‘ऐसे-ऐसे’ कह रहा है। माँ और पिताजी मोहन का वैद्यजी या डॉक्टर साहब से इलाज करवाते। मोहन उनकी दवा खाकर स्वस्थ हो जाता और दो या तीन दिन में मोहन स्वस्थ होकर फिर से स्कूल आने लगता।
भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 43)
(क) मोहन ने केला और संतरा खाया।
(ख) मोहन ने केला और संतरा नहीं खाया।
(ग) मोहन ने क्या खाया ?
(घ) मोहन केला और संतरा खाओ।
उपर्युक्त वाक्यों में से पहला वाक्य एकांकी से लिया गया है। बाकी तीन वाक्य देखने में पहले वाक्य से मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ अलग-अलग हैं। पहला वाक्य किसी कार्य या बात के होने के बारे में बताता है। इसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं। दूसरे वाक्य का संबंध उस कार्य के न होने से है, इसलिए उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। (निषेध का अर्थ नहीं या मनाही होता है।)
तीसरे वाक्य में इसी बात को प्रश्न के रूप में पूछा जा रहा है, ऐसे वाक्य प्रश्नवाचक कहलाते हैं। चौथे वाक्य में मोहन से उसी कार्य को करने के लिए कहा जा रहा है। इसलिए उसे आदेशवाचक वाक्य कहते हैं। आगे एक वाक्य दिया गया है। इसके बाकी तीन रूप तुम सोचकर लिखो
- बताना – रुथ ने कपड़े अलमारी में रखे ।
- नहीं / मना करना –
- पूछना –
- आदेश देना –
उत्तर
नहीं / मना करना – श्याम ने कपड़े अलमारी में नहीं रखे।
पूछना – क्या श्याम ने कपड़े अलमारी में रखे ?
आदेश देना – श्याम! कपड़े अलमारी में रखो।
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे बहुविकल्पीय प्रश्न
अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)
1. ‘ऐसे-ऐसे’ एकांकी के एकांकीकार कौन हैं?
(क) अनुबंधोपाध्याय
(ख) गुणाकर मुले
(घ) जयंत विष्णु
(ग) विष्णु प्रभाकर
उत्तर (ग) विष्णु प्रभाकर
2. मोहन कैसा लड़का था ?
(क) शरारती
(ख) कमजोर
(ग) कम बुद्धिवाला
(घ) भला
उत्तर (क) शरारती
3. मोहन ने पिता के दफ्तर में क्या खाया था?
(क) फल
(ख) मिठाई
(ग) बर्गर
(घ) समोसे
उत्तर (क) फल
4. मोहन ने क्या बहाना बनाया?
(क) सिर दर्द होना
(ख) दस्त होना
(ग) ‘ऐसे-ऐसे’ होना
(घ) बुखार होना
उत्तर (ग) ‘ऐसे-ऐसे’ होना
5. वैद्यजी को बुलाकर कौन लाया था?
(क) मोहन के पड़ोसी दीनानाथ
(ख) मोहन का मित्र
(ग) मोहन के पिता
(घ) मोहन की माँ
उत्तर (क) मोहन के पड़ोसी दीनानाथ
6. मास्टरजी किस प्रकार के बहाने को समझ जाते हैं?
(क) वैसे-वैसे
(ख) वैसे-ऐसे
(ग) ऐसे-ऐसे
(घ) ऐसे-वैसे
उत्तर (ग) ऐसे-ऐसे
7. क्या मोहन के पेट में सचमुच दर्द था?
(क) पता नहीं
(ख) नहीं
(ग) हाँ
(घ) शायद हाँ
उत्तर (ख) नहीं
8. माँ किसका इंतजार कर रही थी?
(क) पिता का
(ख) पड़ोसी का
(ग) मित्र का
(घ) वैद्य का
उत्तर (घ) वैद्य का
9. माँ क्यों परेशान हो गई थी?
(क) मोहन को बुखार होने के कारण
(ख) मोहन के पेट में दर्द होने के कारण
(ग) मोहन के घर न आने के कारण
(घ) मोहन के खो जाने के कारण
उत्तर (ख) मोहन के पेट में दर्द होने के कारण
10. मोहन के पिता को क्या बात समझ में नहीं आ रही थी?
(क) मोहन का ऐसे-ऐसे कहना
(ख) मोहन की बेचैनी
(ग) मोहन की बीमारी
(घ) ये सभी
उत्तर (घ) ये सभी
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे गद्यांश पर आधारित प्रश्न
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
गद्यांश 1
इसने कहीं कुछ अंट-शंट तो नहीं खा लिया?
पिता कहाँ? कुछ भी नहीं। सिर्फ एक केला और एक संतरा खाया था। अरे, यह तो दफ्तर से चलने तक कूदता फिर रहा था। बस अड्डे पर आकर यकायक बोला- पिताजी, मेरे पेट में तो कुछ ऐसे-ऐसे हो रहा है। माँ कैसे ?
पिता बस ऐसे-ऐसे करता रहा। मैंने कहा- अ -अरे, गड़गड़ होती है? तो बोला- नहीं। फिर पूछा- चाकू सा चुभता है? तो जवाब दिया- नहीं। गोला – सा फूटता है? तो बोला- नहीं, जो पूछा उसका जवाब नहीं। बस एक ही रट लगाता रहा, कुछ ‘ऐसे-ऐसे’ होता है।
1. मोहन पिताजी के साथ कहाँ गया था ?
(क) पुस्तकालय
(ख) विद्यालय
(ग) बाजार
(घ) दफ्तर
उत्तर (घ) दफ्तर
2. मोहन ने दिन में क्या खाया था?
(क) केला, अमरूद
(ख) केला, संतरा
(ग) संतरा, अंगूर
(घ) संतरा, आम
उत्तर (ख) केला, संतरा
3. मोहन पिताजी से क्या रट लगाए था?
(क) चक्कर आना
(ख) पेट दर्द
(ग) सिर दर्द
(घ) ये सभी
उत्तर (घ) ये सभी
4. मोहन की माँ ने मोहन के पिताजी से मोहन के खाने के विषय में क्या पूछा?
उत्तर मोहन की माँ ने मोहन के पिताजी से पूछा कि मोहन ने कहीं कुछ अंट शंट तो नहीं खा लिया।
5. मोहन को तकलीफ कहाँ प्रारंभ हुई थी ?
उत्तर मोहन को बस अड्डे पर आकर अचानक तकलीफ प्रारंभ हुई। थी, उसने अपने पिताजी से कहा—मेरे पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा है।
6. पिताजी ने मोहन से उसकी तकलीफ जानने के लिए क्या- क्या पूछा?
उत्तर पिताजी ने मोहन से पूछा क्या गड़गड़ होती है? चाकू-सा चुभता है ? गोला-सा फूटता है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर में मोहन ने नहीं कहा।
गद्यांश 2
तभी फोन की घंटी बजती है। मोहन के पिता उठाते हैं।
पिता यह 43332 है जी, जी हाँ बोल रहा हूँ कौन? डॉक्टर साहब ! जी हाँ, मोहन के पेट में दर्द है” जी नहीं खाया तो कुछ नहीं बस यही कह रहा है बस जी नहीं, गिरा भी नहीं ऐसे-ऐसे होता है। बस जी, ऐसे-ऐसे होता है। बस जी, ‘ऐसे-ऐसे’ क्या बला है, कुछ समझ में नहीं आता? जी जी हाँ! चेहरा एकदम सफेद हो रहा है।
नाचा नाचता फिरता है जी नहीं, दस्त तो नहीं आया जी हाँ, पेशाब तो आया था जी नहीं, रंग तो नहीं देखा। आप कहें तो अब देख लेंगे अच्छा जी! जरा जल्दी आइए। अच्छा जी बड़ी कृपा है। (फोन का चोगा रख देते हैं।) डॉक्टर साहब चल दिए हैं। पाँच मिनट में आ जाते हैं।
1. मोहन के पिताजी ने किससे बात की?
(क) वैद्यजी से
(ख ) डॉक्टर से
(ग) मोहन की माँ से उत्तर
घ) मोहन के मित्र से
उत्तर (ख) डॉक्टर से
2. किसके पेट में दर्द हो रहा था?
(क) मोहन की माँ के
(ख) मोहन के पिताजी के
(ग) मोहन के मास्टरजी के
(घ) मोहन के
(ख) डॉक्टर से
उत्तर (घ) मोहन के
3. गद्यांश में संवाद किनके मध्य हो रहा है?
(क) माँ और पिताजी
(ख) पिताजी और डॉक्टर
(ग) पंडित और माँ
(घ) मोहन और डॉक्टर
उत्तर (ख) पिताजी और डॉक्टर
4. प्रस्तुत गद्यांश में कौन किससे बातें कर रहा है?
उत्तर इन पंक्तियों में मोहन के पिताजी डॉक्टर साहब से फोन पर बातें कर रहे हैं। पिताजी डॉक्टर को मोहन के पेट में दर्द की बीमारी के विषय में बता रहे हैं।
5. डॉक्टर साहब ने मोहन के पिताजी से क्या-क्या पूछा?
उत्तर डॉक्टर साहब ने मोहन के पिताजी से मोहन के दस्त और पेशाब के रंग के बारे में पूछा, जिससे वे मोहन की बीमारी के विषय में जान सकें।
6. मोहन के पिताजी क्यों परेशान थे?
उत्तर मोहन ने अंट-शंट नहीं खाया था। कहीं गिरा भी नहीं था फिर भी मोहन के पेट में दर्द हो रहा था। मोहन ऐसे-ऐसे होता है, कहे जा रहा था, जिसके कारण उसके पिताजी को कुछ समझ नहीं आ रहा था और वे परेशान थे।
गद्यांश 3
अभी बता देता हूँ। असल में बच्चा है। समझा नहीं पाता है। (नाड़ी दबाकर, वात का प्रकोप है. मैंने कहा, बेटा, जीभ तो दिखाओ। (मोहन जीभ निकालता है।) कब्ज है। पेट साफ नहीं हुआ। (पेट टटोलकर) हूँ, पेट साफ नहीं है। मल रुक जाने से वायु बढ़ गई है, क्यों बेटा ? (हाथ की अंगुलियों को फैलाकर फिर सिकोड़ते हैं। ) ऐसे-ऐसे होता है?
(हर्ष से उछलकर) मैंने कहा न मैं समझ गया। अभी पुड़िया भेजता हूँ। मामूली बात है, पर यही मामूली बात कभी-कभी बड़ों-बड़ों को छका देती है। समझने की बात है। मैंने कहा, आओ जी, दीनानाथ जी, आप ही पुड़िया ले लो। (मोहन की माँ से) आधे-आधे घंटे बाद गर पानी से देनी है। दो-तीन दस्त होंगे। बस फिर ऐसे-ऐसे ऐसे भागेगा जैसे गधे के सिर से सींग ।
1. मोहन के इलाज के लिए कौन आया था?
(क) माँ
(ख) वैद्यजी
(ग) सर्जन
(घ) हकीम साहब
उत्तर (ख) वैद्यजी
2. वैद्यजी ने मोहन से उसकी बीमारी जानने के लिए अपने हाथ की अँगुलियों को फैलाकर फिर क्या किया?
(क) मोड़ लिया
(ख) घुमाया
(ग) मरोड़ा
(घ) सिकोड़ा
उत्तर (घ) सिकोड़ा
3. दवाई खाने के बाद मोहन को कितने दस्त होंगे?
(क) तीन-चार
(ख) दो-तीन
(ग) चार-पाँच
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (ख ) दो-तीन
4. वैद्यजी ने प्रसन्न होकर क्या कहा?
उत्तर वैद्यजी मोहन को देखने घर आए थे। मोहन की नाड़ी, जीभ और पेट देखने के बाद वैद्यजी मोहन की बीमारी समझ गए थे। इसलिए वे प्रसन्न होकर बोले मैं अभी पुड़िया भेज देता हूँ।
5. वैद्यजी ने मोहन को देखने के बाद क्या आश्वासन दिया?
उत्तर वैद्यजी ने मोहन को देखने के बाद यह आश्वासन दिया कि घबराने की कोई बात नहीं है।
6. वैद्यजी ने मोहन का क्या इलाज किया?
उत्तर वैद्यजी ने कब्ज की समस्या बताकर मोहन को दवा की पुड़िया को आधे-आधे घंटे बाद गरम पानी से खाने के लिए कहा था। उस दवा को खाने से दो-तीन दस्त आने से ऐसे-ऐसे भाग जाएगा।
गद्यांश 4
(सहसा गंभीर होकर) वह तो मैं देख रहा हूँ। चेहरा बताता है, इसे काफी दर्द है। असल में कई तरह के दर्द चल पड़े हैं। कौलिक पेन तो है नहीं और फोड़ा भी नहीं जान पड़ता। (बराबर पेट टटोलता रहता है।) (काँपकर) फोड़ा। जी नहीं, वह नहीं है। बिल्कुल नहीं है। (मोहन से) जरा मुँह फिर खोलना। जीभ निकालो। (मोहन जीभ निकालता है।) हाँ, कब्ज ही लगता है। कुछ बदहजमी भी है। (उठते हुए) कोई बात नहीं। दवा भेजता हूँ। (पिता से) क्यों न आप ही चलें। मेरा विचार है। कि एक ही खुराक पीने के बाद तबीयत ठीक हो जाएगी।
कभी-कभी हवा रुक जाती है और फंदा डाल लेती है। बस उसी की ऐंठन है।
1. सहसा गंभीर कौन हो गया?
(क) पिताजी
(ख) डॉक्टर साहब
(ग) वैद्यजी
घ) पड़ोसिन
उत्तर (ख ) डॉक्टर साहब
2. वैद्यजी ने मोहन के किस अंग का परीक्षण किया?
(क) मुँह
(ख) जीभ
(ग) पेट
(घ) ये सभी
उत्तर (घ) ये सभी
3. मोहन की बीमारी कितनी खुराक दवा पीने से ठीक हो सकती थी?
(क) दो खुराक
(ख) तीन खुराक
(ग) एक खुराक
(घ) चार खुराक
उत्तर (ग) एक खुराक
4. डॉक्टर साहब ने मोहन के चेहरे को देखकर क्या बताया?
उत्तर डॉक्टर साहब ने मोहन के चेहरे को देखकर बताया कि मोहन को काफी दर्द है। आजकल कई तरह के दर्द चल पड़े हैं।
5. डॉक्टर ने मोहन को कौन-कौन सी बीमारियाँ न होने के बारे में बताया ?
उत्तर डॉक्टर ने मोहन को कौलिक पेन तथा फोड़ा न होने के बारे में बताया।
6. डॉक्टर के अनुसार, मोहन को क्या बीमारी थी ?
उत्तर डॉक्टर के अनुसार, मोहन को कब्ज और बदहजमी थी, जो ही खुराक दवा पीने से ठीक हो सकती थी।
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. ‘ऐसे-ऐसे’ एकांकी के लेखक कौन हैं? एकांकी किस पर आधारित है?
उत्तर ‘ऐसे-ऐसे’ एकांकी के लेखक विष्णु प्रभाकर जी हैं। यह एकांकी आठ-नौ वर्ष के बालक की मानसिकता पर आधारित है।
2. मोहन की माँ ने मोहन के दर्द के लिए क्या घरेलू इलाज किए थे?
उत्तर मोहन की माँ ने मोहन के दर्द के लिए उसे हींग, चूरन और पिपरमेंट खिलाया था।
3. मोहन के इलाज में कितने रुपये खर्च हो गए थे?
उत्तर मोहन के इलाज में कुल मिलाकर पंद्रह रुपये खर्च हो गए थे।
4. पड़ोसी लाला दीनानाथ मोहन की दशा देखकर क्यों आश्चर्यचकित हुआ?
उत्तर पड़ोसी लाला दीनानाथ मोहन की दशा देखकर आश्चर्यचकित इसलिए हुआ, क्योंकि वह एक शरारती बालक था और आस-पड़ोस में धमाचौकड़ी व शैतानियाँ करता रहता था ।
5. मोहन ने अपने पिताजी को दर्द के बारे में कब बताया ?
उत्तर मोहन ने अपने पिताजी को दर्द के बारे में बस अड्डे पर पहुँचते ही बताया कि मेरे पेट में कुछ ‘ऐसे-ऐसे’ हो रहा है।
6. मोहन को देखने के लिए आई पड़ोसन ने मोहन की माँ से बीमारी के विषय में क्या कहा?
उत्तर पड़ोसिन ने मोहन की माँ से कहा कि आजकल नई-नई बीमारियाँ हो रही हैं तथा नए-नए बुखार निकल आए हैं। अनेक बीमारियों का कारण आजकल का खान-पान है।
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे लघु उत्तरीय प्रश्न
1. मोहन कौन था? वह अपने पिताजी के साथ कहाँ गया था ?
उत्तर मोहन आठ-नौ वर्ष का छोटा बालक था। वह तीसरी कक्षा में पढ़ता था। मोहन बहुत शरारती था। प्रत्येक समय घर को अपने सिर पर उठाए रहता था। घर के अड़ोस पड़ोस में भी छेड़छाड़ करता रहता था। मोहन अपने पिताजी के साथ उनके दफ्तर गया था।
2. “हँसी की हँसी, दुःख का दुःख, मोहन की माँ ऐसा क्यों कहती है?
उत्तर मोहन की माँ मोहन से बार-बार उसके पेट में दर्द के विषय में पूछती है। मोहन बस यही कहता है कि पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ हो रहा है। उसकी बात सुनकर माँ हँस पड़ती है और चिंतित भी होती है। वह अपने बेटे के दुःख से दुःखी होती है। इसी मनःस्थिति में वह कहती हैं कि हँसी की हँसी, दुःख का दुःख उसे यह अजीब सी बीमारी लगती है।
3. वैद्यजी ने मोहन के पेट दर्द का क्या कारण बताया? अथवा वैद्य जी मोहन को क्या बीमारी बताते हैं?
उत्तर वैद्यजी ने कहा- मोहन बच्चा है, इसलिए अपनी तकलीफ समझा नहीं पा रहा है। इसे बात का प्रकोप है। पेट साफ नहीं हुआ है। मल रुक जाने से वायु बढ़ गई है। मामूली सी बात है, कब्ज है। यह बड़ों-बड़ों को थका देती है।
4. वैद्यजी ने मोहन के पेट के दर्द के लिए क्या सलाह दी ? अथवा वैद्यजी ने मोहन को देखने के बाद क्या कहा?
उत्तर वैद्यजी ने मोहन की नाड़ी देखी पेट टटोलकर भली-भाँति देखा। प्रसन्न होकर वैद्यजी ने बताया कि मैं बीमारी समझ गया हूँ । मोहन का पेट साफ नहीं हुआ है। मैं एक दवा पुड़िया में दूंगा। इसे आधे-आधे घंटे बाद गरम पानी से देना होगा। दो-तीन दस्त होंगे फिर ‘ऐसे-ऐसे’ ऐसे भागेगा जैसे गधे के सिर से सींग भागते हैं।
5. मास्टर साहब ने मोहन से क्या पूछा?
उत्तर मोहन की तबीयत खराब है, ऐसा सुनकर स्कूल के मास्टर साहब भी मोहन को देखने घर आए। उन्होंने मोहन से स्कूल का काम पूरा होने के विषय में पूछा, क्योंकि मास्टर जी जानते थे कि मोहन ने छुट्टियों में दिया गया गृहकार्य पूरा नहीं किया है इसलिए वह डर के कारण इस प्रकार के बहाने बना रहा है।
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. मोहन की माँ क्यों परेशान थीं? उन्होंने मोहन के पिता को मोहन के विषय में क्या बताया?
उत्तर मोहन अपने पिता के साथ दफ्तर से लौटा था। दिनभर वह बिल्कुल ठीक था। मोहन दिन में एक संतरा और एक केला खाकर, कूदता फिर रहा था। अचानक मोहन पेट में ऐसे-ऐसे होने की शिकायत करने लगा था। मोहन का मुँह उतर गया, चेहरा सफेद पड़ गया, बेचैनी लगातार बढ़ रही थी, थोड़ा सा भी चैन नहीं पड़ रहा था। मोहन की माँ ने मोहन के पिताजी को बताया कि मैं मोहन को हींग, चूरन, पिपरमेंट सब दे चुकी हूँ। किसी से भी मोहन को थोड़ा-सा भी आराम नहीं मिला है। इसलिए मोहन की बिगड़ती हुई दशा देखकर मोहन की माँ बहुत परेशान थीं।
2. मोहन के मास्टरजी ने मोहन की बीमारी को कैसे पहचान लिया? बीमारी का क्या इलाज बताया ?
उत्तर मोहन के मास्टरजी एक अनुभवी अध्यापक थे। वे पिछले कई वर्षों से विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे। विद्यार्थियों के बालक स्वभाव को वे भली-भाँति समझते थे। अकसर विद्यार्थी काम न कर पाने के लिए बहाने बनाते थे और सच्चाई छिपाने का प्रयत्न करते थे। मास्टरजी ने मोहन की माँ से कहा मोहन की दवा किसी वैद्य या डॉक्टर साहब के पास नहीं है।
इसकी बीमारी को मैं जानता हूँ, जो अकसर मोहन जैसे बच्चों को हो जाती है। मोहन ने महीने भर मौज-मस्ती की है। स्कूल का काम पूरा नहीं किया है, डर के कारण पेट में दर्द का बहाना बना रहा है। मोहन को सलाह देते हुए मास्टरजी ने कहा तुम्हें दो दिन की छुट्टी मिलेगी। उन दो दिनों में अपना काम पूरा करना। अब उठो और सवाल करना शुरू करो।
3. मोहन ने छुट्टियों में खूब मौज-मस्ती की थी, छुट्टियों का गृहकार्य नहीं किया था, इसलिए पेट दर्द का बहाना बना रहा था। आपके अनुसार क्या मोहन का यह व्यवहार उचित है? यदि आप उसके स्थान पर होते तो क्या करते?
उत्तर मोहन ने छुट्टियों में खूब मौज-मस्ती की थी। मोहन का यह व्यवहार उचित था, परंतु छुट्टियों का गृहकार्य न करना और पेट दर्द का बहाना बनाना अनुचित था।
यदि मैं मोहन के स्थान पर होता, तो मौज-मस्ती के साथ समय निकालकर गृहकार्य भी पूरा करता । मेरे अनुसार, पढ़ाई और मौज-मस्ती दोनों ही आवश्यक हैं।
यदि किसी कारण मेरा गृहकार्य पूरा न हो पाता, तो मैं कोई बहाना नहीं बनाता, बल्कि अपने माता-पिता को सच बता देता। मेरे माता-पिता मेरा गृहकार्य करने में मेरी सहायता करते और स्कूल खुलने से पहले मेरा गृहकार्य पूरा हो जाता ।
4. अकसर विद्यार्थी गृहकार्य पूरा न हो पाने पर स्कूल न जाने के लिए अनेक बहाने बनाते हैं। क्या आपने कभी ऐसा किया है? विस्तार से लिखिए |
उत्तर मेरे कुछ मित्र अकसर स्कूल न जाने के लिए बहाना बनाते हैं, पर मेरे अनुसार यह ठीक नहीं है। हाँ, एक बार मैं अपना अंग्रेजी का गृहकार्य करना भूल गया। रात में बस्ता लगाते समय मुझे अंग्रेजी गृहकार्य के विषय में याद आया। अब कार्य पूरा करने का समय नहीं था। मन में आया कि सिर दर्द का बहाना बना दूं और माँ को पता भी नहीं चलेगा।
यह बुखार की तरह थर्मामीटर में मापा नहीं जा सकता। तुरंत मन ने मुझे सतर्क किया, नहीं यह गलत है। मैंने अपनी माँ को अपनी गलती बता दी। माँ ने गृहकार्य के विषय में पूछा और उस रात देर तक जागकर मेरा गृहकार्य करवाने में सहायता की। रात 12:30 बजे तक मेरा गृहकार्य पूरा हो गया। अगले दिन मैं प्रसन्नता से अपना गृहकार्य लेकर स्कूल गया।