NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत Question And Answers
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत पाठ का सार
लोकगीत – जनता के गीत
जो गीत साधारण वाद्य यंत्रों की सहायता से घर गाँव और नगर में गाए जाते हैं, उन्हें ही लोकगीत कहते हैं। लोकगीत अपनी ताजगी, लचीलेपन और लोकप्रियता के कारण शास्त्रीय संगीत से अलग होता है इन गीतों को गाने के लिए किसी साधन की आवश्यकता नहीं होती। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। ये गीत विशेष अवसरों तथा त्योहारों पर गाए जाते हैं। इन्हें साधारण ढोलक, झाँझ, करताल और बाँसुरी आदि वाद्ययंत्रों की मदद से गाया जाता है।
लोक साहित्य तथा लोकगीतों की बढ़ती लोकप्रियता
पहले शास्त्रीय संगीत के सामने लोकगीतों को महत्त्व नहीं दिया जाता था, परंतु बदलते समय ने लोकगीतों और लोक साहित्य को उच्च स्थान दिया गया है। अब लोकगीत और लोक साहित्य अत्यधिक लोकप्रिय हो रहे हैं। लोकगीत कई प्रकार के होते हैं। लोकगीतों में 25 कल्पना के अतिरिक्त रोजमर्रा का जीवन भी होता है। यह आदिवासियों का संगीत है, जो मध्य प्रदेश, दक्कन व छोटानागपुर में गोंड-खांड, ओराँव – मुंडा, भील- संथाल आदि में फैला हुआ है। ये गीत अधिकतर दलों में गाए जाते हैं तथा इन पर नृत्य किया जाता है।
पहाड़ियों के गीत भिन्न-भिन्न रूपों में होते हैं। गढ़वाल, किन्नौर, काँगड़ा आदि स्थानों के अपने-अपने गीत हैं और इन्हें गाने की अपनी अलग-अलग विधियाँ हैं। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर, बनारस व पूर्वी जिलों और बिहार के पश्चिमी जिलों में चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि लोकगीत गाए जाते हैं। बंगाल में बाउल और मतियाली और पंजाब में माहिया आदि लोकगीत गाए जाते हैं। हीर राँझा, सोहनी-महीवाल आदि गीत पंजाबी में और ढोला-मारू राजस्थानी में गाए जाते हैं।
लोकगीतों का जनता के जीवन से जुड़ा होना सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाए जाते हैं। इन गीतों के विषय में कोरी कल्पना नहीं होती, बल्कि विषय दैनिक जीवन शुसे जुड़े होते हैं। जनता के जीवन से जुड़े होने के कारण ये गीत दिल को छूने वाले होते हैं। ये गीत विभिन्न रागों में गाए जाते हैं; जैसे- पीलू, सारंग, दुर्गा, सावन, सोरठ आदि ।
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देहात में कहरवा, बिरहा, धोबिया आदि राग गाए जाते हैं। भोजपुरी में लगभग तीस चालीस वर्षों में ‘बिदेसिया’ का प्रचार हुआ। बिहार में ‘बिदेसिया’ बहुत लोकप्रिय है, जिसका विषय रसिकप्रियों और प्रियाओं तथा परदेसी प्रेमी पर आधारित होता है। जंगल की जातियों में भी दल-गीत होते हैं, जो बिरहा आदि पर गाए जाते हैं। बुंदेलखंड में आल्हा के गीत गाए जाते हैं। इनकी शुरुआत चंदेल राजाओं के राजकवि जगनिक द्वारा रचित आल्हा ऊदल की वीरता के महाकाव्य से मानी जाती है।
स्त्रियों द्वारा गाए जाने वाले लोकगीत
हमारे देश में स्त्रियों द्वारा गाए जाने वाले गीतों की संख्या अधिक है। ये गीत भी लोकगीत हैं और इनकी रचना स्त्रियाँ ही करती हैं। भारत के गीत अन्य देशों से अलग हैं, क्योंकि अन्य देशों में स्त्रियों के गीत पुरुषों से अलग नहीं होते हैं। हमारे देश में विभिन्न अवसरों पर विभिन्न गीत गाए जाते हैं; जैसे- जन्म, विवाह, मटकोड़, ज्यौनार आदि । ये गीत स्त्रियाँ गाती हैं। इन अवसरों पर गाए जाने वाले गीतों का संबंध प्राचीनकाल से है। बारहमासा गीत पुरुषों के साथ-साथ स्त्रियाँ भी गाती हैं।
स्त्रियों के गीत दल बनाकर गाए जाते हैं। इनके स्वरों में मेल नहीं होता है फिर भी अच्छे लगते हैं। गाँवों और नगरों में गाने वाली स्त्रियाँ भी होती हैं, जिन्हें विवाह, जन्म आदि अवसरों पर गाने के लिए बुलाया जाता है। होली, बरसात में गाई जाने वाली कजरी सुनने वाली होती है। छाछ के लि पूर्वी भारत में अधिकतर मैथिल कोकिल विद्यापति के गीत गाए जाते हैं। गुजरात में ‘गरबा’ नामक नृत्य गायन प्रसिद्ध है इस दल में औरतें घूम-घूमकर विशेष विधि से गाती हैं और नाचती हैं। ब्रज में इसी प्रकार ‘रसिया’ गाया जाता है और नृत्य किया जाता है। इसे भी लोग दल में गाते हैं।
शब्द
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 प्रश्नोत्तर
निबंध से (पृष्ठ संख्या 87)
प्रश्न 1. निबंध में लोकगीतों के किन पक्षों की चर्चा की गई है? बिंदुओं के रूप में उन्हें लिखो ।
उत्तर निबंध में लोकगीतों के निम्नलिखित पक्षों की चर्चा की गई है।
- लोकगीतों का महत्त्व
- रचनाकार
- राग
- गायक समूह
- लोकगीतों की भाषा
- लोक गीतों के प्रकार
- लोकगीतों की रचना का विषय
- गायन शैली
- लोकगीतों में वाद्य के विविध उपकरण
- लोकगीतों के साथ होने वाले नृत्य
- गायन के अवसर
- लोकगीत तथा शास्त्रीय संगीत
प्रश्न 2. हमारे यहाँ स्त्रियों के खास गीत कौन-कौन से हैं?
उत्तर हमारे देश में स्त्रियों के खास अवसरों के गीत हैं, जो उनके कार्यों से । जुड़े हैं। ये गीत स्त्रियाँ ही गाती हैं; जैसे होली के गीत, सावन के गीत, विवाह के गीत, मरकौट, ज्यौनार, जन्म के समय के गीत, त्योहारों के गीत, नदी में नहाते समय के गीत, संबंधियों के लिए प्रेमयुक्त गाली के गीत आदि ।
प्रश्न 3. निबंध के आधार पर और अपने अनुभव के आधार पर (यदि तुम्हें लोकगीत सुनने के मौके मिले हैं तो ) तुम लोकगीतों की कौन-सी विशेषताएँ बता सकते हो?
उत्तर लोकगीतों में लचीलापन और ताजगी होती है। ये गीत आम जनता के गीत हैं। इन्हें गाने के लिए साधना की आवश्यकता नहीं होती।
ये लोकगीत साधारण वाद्ययंत्रों की सहायता से गाए जाते हैं। ये गीत त्योहारों या विशेष अवसरों पर गाए जाते हैं। इनके राग और बोल अलग ही होते हैं। ये क्षेत्रीय या आम बोलचाल की भाषा में गाए जाते हैं। ये गीत जनता के आकर्षण का केंद्र होते हैं।
प्रश्न 4. पर सारे देश के ____________ अपने-अपने विद्यापति हैं इस वाक्य का क्या अर्थ है? पाठ पढ़कर मालूम करो और लिखो ।
उत्तर जिस प्रकार मिथिला क्षेत्र में मैथिल कोकिल विद्यापति के गीत लोकप्रिय हैं। उसी प्रकार हर क्षेत्र में कोई-न-कोई प्रसिद्ध रचनाकार हुआ है। जिनके गीतों की इन क्षेत्रों में विशेष धूम रहती है। बुंदेलखंड के लोकगीत रचनाकार जगनिक का ‘आल्हा’ इसका मुख्य उदाहरण है।
अनुमान और कल्पना ( पृष्ठ संख्या 87)
प्रश्न 1. क्या लोकगीत और नृत्य सिर्फ गाँवों या कबीलों में ही गाए जाते हैं? शहरों के कौन-से लोकगीत हो सकते हैं? इस पर विचार करके लिखो ।
उत्तर लोकगीत तथा नृत्य सिर्फ गाँवों या कबीलों में ही पहले गाए जाते थे। ये लोकगीत अपने क्षेत्रों में ही लोकप्रिय थे। शहरों में लोगों का जीवन अति व्यस्त है। अब शहरों में कुछ खास अवसरों पर लोग क्षेत्रीय लोकगीतों को गाते हैं। कुछ लोग खास अवसरों पर शहरों में गाने वाले समूह को भी बुला लेते हैं।
प्रश्न 2. ‘जीवन जहाँ इठला-इठलाकर लहराता है, वहाँ भला आनंद के स्रोतों की कमी हो सकती है? उद्दाम जीवन के ही वहाँ के अनंत संख्यक गाने प्रतीक हैं।’ क्या तुम इस बात से सहमत हो? ‘बिदेसिया’ नामक लोकगीत से कोई कैसे आनंद प्राप्त कर सकता है और वे कौन लोग हो सकते हैं, जो इसे गाते सुनते हैं? इसके बारे में जानकारी प्राप्त करके कक्षा में सबको बताओ।
उत्तर जी हाँ, मैं इस बात से पूर्णतः सहमत हूँ। ‘बिदेसिया’ नामक लोकगीत सीधे मर्म को छूता है। इससे आनंद की प्राप्ति होती है। ये गीत हमारी भावनाओं को स्पर्श करते हैं।
इन गीतों में अधिकतर रसिक प्रेमी प्रेमिका की बात होती है। इनमें करुणा और विरह की भावनाएँ होती हैं। सुनने वाले को विशेष रस तथा आनंद प्राप्त होता है। बिहार प्रदेश के भोजपुर क्षेत्र में ये गीत अधिक गाए जाते हैं। लोकगीत पूरे देश के लोग बड़े चाव से सुनते हुए तथा गाते हुए दिखाई देते हैं।
भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 87 व 88)
प्रश्न 1. ‘लोक’ शब्द में कुछ जोड़कर जितने शब्द तुम्हें सूझें, उनकी सूची बनाओ। इन शब्दों को ध्यान से देखो और समझो कि इनमें अर्थ की दृष्टि से क्या समानता है। इन शब्दों से वाक्य भी बनाओ; जैसे – लोककला|
उत्तर
शब्द – वाक्य प्रयोग
- लोकगीत – लोकगीत गाने के लिए किसी साधना की आवश्यकता नहीं होती है।
- लोक गाथा – पंजाब में हीर राँझा की प्रेम संबंधी लोक गाथाएँ सुनने को मिलती हैं।
- लोक-लाज – पहले लोक-लाज के कारण स्त्रियाँ नौकरी नहीं करती थीं।
- लोक कवि – विद्यापति मिथिला क्षेत्र के प्रसिद्ध लोक कवि हैं।
- लोक नृत्य – ‘गरबा’ गुजरात का लोक नृत्य है।
- लोक जीवन – पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव गाँव के लोक जीवन पर भी पड़ रहा है।
- लोकप्रिय – सचिन तेंदुलकर सर्वाधिक लोकप्रिय खिलाड़ी हैं।
- लोकहित – नेताओं को लोकहित के लिए कार्य करना चाहिए।
- लोक कल्याण – ईमानदारी की राह से लोक कल्याण संभव है।
- लोकतंत्र – भारत में लोकतंत्र है।
प्रश्न 2. बारहमासा गीत में साल के बारह महीनों का वर्णन होता है। नीचे कुछ विभिन्न अंकों से जुड़े शब्द दिए गए हैं। इन्हें पढ़ो और अनुमान लगाओ कि इनका क्या अर्थ है और वह अर्थ क्यों है? इस सूची में तुम अपने मन से सोचकर भी कुछ शब्द जोड़ सकते हो-
- इकतारा
- सरपंच
- चारपाई
- छमाही
- तिराहा
- दोपहर
उत्तर
- शब्द – अनुमानित अर्थ
- इकतारा – एक तार वाला बाजा (वाद्य यंत्र )
- तिराहा – जहाँ तीन रास्ते मिलते हैं
- सरपंच – पाँचों में प्रमुख
- दोपहर – दो पहरों का मिलन (मध्याह)
- चारपाई – चार पायों वाली (खाट)
- छमाही – छः महीने में होने वाली
- सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह
- नवरात्र – नौ रातों का समूह
- अठन्नी – आठ आने का सिक्का (पचास पैसे)
- चौराहा – जहाँ पर चार रास्ते मिलते हों
- पंचवटी – पाँच पेड़ों का समूह
- चवन्नी – चार आने ( पच्चीस पैसे)
- दुअन्नी – दो आने (बारह पैसे)
- चौमासा – चार महीनों का समूह
- नवरत्न – नौ रत्नों का समूह
- करोड़पति – करोड़ों का समूह
- दशानन – दस सिर वाला
प्रश्न 3. को, में, से आदि वाक्य में संज्ञा का दूसरे शब्दों के साथ संबंध दर्शाते हैं। ‘झाँसी की रानी’ पाठ में तुमने का के बारे में जाना । नीचे ‘मंजरी जोशी’ की पुस्तक ‘भारतीय संगीत की परंपरा’ से भारत के एक लोकवाद्य का वर्णन दिया गया है। इसे पढ़ो और रिक्त स्थानों में उचित शब्द लिखो
तुरही भारत के कई प्रांतों में प्रचलित है। यह दिखने ______ अंग्रेज़ी केएस या सी अक्षर _________ ‘तरह होती है। भारत ______ विभिन्न प्रांतों में पीतल या काँसे ______ बना यह वाद्य अलग-अलग नामों ______ जाना जाता है। धातु की नली ______ घुमाकर एस _________ आकार इस तरह दिया जाता है कि उसका एक सिरा संकरा रहे और दूसरा सिरा घंटीनुमा चौड़ा रहे। फूँक मारने _________ एक छोटी नली अलग ________ जोड़ी जाती है। राजस्थान ________ इसे बर्ग कहते हैं। उत्तर प्रदेश __________ यह तूरी, मध्य प्रदेश और गुजरात __________ रणसिंघा और हिमाचल प्रदेश ___________ नरसिंघा __________ नाम से जानी जाती है। राजस्थान और गुजरात में इसे काकड़सिंघी भी कहते हैं।
उत्तर तुरही भारत के कई प्रांतों में प्रचलित है। यह दिखने में अंग्रेजी के एस या सी अक्षर की तरह होती है। भारत के विभिन्न प्रांतों में पीतल या काँसे से बना यह वाद्य अलग-अलग नामों से जाना जाता है। धातु की नली को घुमाकर एस का आकार इस तरह दिया जाता है कि उसका एक सिरा संकरा रहे और दूसरा सिरा घंटीनुमा चौड़ा रहे। फूँक मारने के लिए एक छोटी नली अलग से जोड़ी जाती है।
राजस्थान में इसे बर्ग कहते हैं। उत्तर प्रदेश में यह तूरी, मध्य प्रदेश और गुजरात में रणसिंघा और हिमाचल प्रदेश में नरसिंहा के नाम से जानी जाती है। राजस्थान और गुजरात में इसे काकड़सिंघी भी कहते हैं।
भारत के मानचित्र में (पृष्ठ संख्या 88)
भारत के नक्शे में पाठ में चर्चित राज्यों के लोकगीत और नृत्य दिखाओ।
उत्तर सामाजिक विज्ञान के अध्यापक की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें।
कुछ करने को (पृष्ठ संख्या 88)
प्रश्न 1. अपने इलाके के कुछ लोकगीत इकट्ठा करो। गाए जाने वाले मौकों के अनुसार उनका वर्गीकरण करो।
उत्तर छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2. जैसे-जैसे शहर फैल रहे हैं और गाँव सिकुड़ रहे हैं, लोकगीतों पर उनका क्या असर पड़ रहा है। अपने आस-पास के लोगों से बातचीत करके और अपने अनुभवों के आधार पर एक अनुच्छेद लिखो ।
उत्तर जैसे-जैसे शहर फैल रहे हैं और गाँव सिकुड़ रहे हैं, लोकगीतों का अस्तित्व कम होता जा रहा है। शहर की जिंदगी भाग-दौड़ की जिंदगी है, जिसमें किसी के पास दो मिनट भी नहीं होते। ऐसे में वे लोकगीत क्या गाएँगे!
शहरों में मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध हैं, जो गाँव, शहरी क्षेत्रों से जुड़ रहे हैं, उसमें भी लोकगीतों का प्रचलन धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। अधिकतर लोग सिनेमा के गीतों को गाते और उसकी धुनों पर नाचते दिखाई देते हैं। कुछ सिनेमा में लोकगीत किसी विशेष दृश्य के लिए दर्शाया गया होता है। वे अकसर विशेष अवसरों पर गाए- बजाए जाते हैं।
प्रश्न 3. रेडियो और टेलीविजन के स्थानीय प्रसारणों में एक नियत समय पर लोकगीत प्रसारित होते हैं। इन्हें सुनो और सीखो।
उत्तर छात्र स्वयं करें।
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत बहुविकल्पीय प्रश्न
अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)
1. लोकगीतों की भाषा शैली कैसी है?
(क) अनगढ़
(ख) आम बोलचाल
(ग) शास्त्रीय
(घ) संस्कृतनिष्ठ
उत्तर (ख) आम बोलचाल
2. ‘लोकगीत’ पाठ के लेखक कौन हैं?
(क) भगवतशरण उपाध्याय
(ख) प्रेमचंद
(ग) विष्णु प्रभाकर
(घ) विनय महाजन
उत्तर (क) भगवतशरण उपाध्याय
3. लोकगीतों की रचना में किसका विशेष योगदान है?
(क) पुरुषों का
(ख) बच्चों का
(ग) स्त्रियों का
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (ग) स्त्रियों का
4. इनमें से कौन-सा बंगाल का लोकगीत है?
(क) पूरबी
(ख) कजरी
(ग) सावन
(घ) बाउल
उत्तर (घ) बाउल
5. देहात में कौन-सा राग गाया जाता है?
(क) कहरवा
(ख) बिरहा
(ग) धोबिया
(घ) ये सभी
उत्तर (घ) ये सभी
6. आदिवासियों के संगीत व लोकगीत कैसे होते हैं?
(क) ओजस्वी
(ख) सजीव
(ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
7. गुजरात में कौन- -सा नृत्य प्रसिद्ध है?
(क) गरबा
(ख) कथक
(ग) कथकली
(घ) ओडिसी
उत्तर (क) गरबा
8. स्त्रियाँ लोकगीत गाते समय किस वाद्ययंत्र का प्रयोग करती है?
(क) बाँसुरी
(ख) ढोलक
(ग) तबला
(घ) सारंगी
उत्तर (ख) ढोलक
9. पंजाब के लोकगीत का क्या नाम है?
(क) कजरी
(ख) माहिया
(ग) चैता
(घ) माहिआ
उत्तर (ख) माहिया
10. ढोला-मारू गीत कौन-सी भाषा में गाए जाते हैं?
(क) राजस्थानी
(ख) बनारस
(ग) बंगाल
(घ) पंजाब
उत्तर (क) राजस्थानी
11. ‘आह्लादकर’ का क्या अर्थ है?
(क) मन से छूना
(ख) आनंद देने वाला
(ग) प्रसन्न करने वाला
(घ) दुःख देने वाला
उत्तर (ग) प्रसन्न करने वाला
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत गद्यांश पर आधारित प्रश्न
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
गद्यांश 1
लोकगीत अपनी लोच, ताजगी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। ये गीत घर, गाँव और जनता के हैं। इनके लिए साधना की जरूरत नहीं होती। त्योहारों और विशेष अवसरों पर ये गीत गाए जाते हैं।
सदा से ये गाए जाते रहे हैं और इनके रचनेवाले भी अधिकतर गाँव के लोग ही हैं। स्त्रियों ने भी इनकी रचना में विशेष भाग लिया है। ये गीत बाजों की मदद के बिना ही या साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाए जाते हैं।
1. लोकगीत किसके गीत हैं?
(क) घर, गाँव की जनता के
(ख) गाँव, नगर की जनता के
(ग) घर, गाँव, नगर की जनता के
(घ) घर के लोगों के
उत्तर (क) घर, गाँव की जनता के
2. लोकगीत गाते समय किस वाद्य की आवश्यकता नहीं होती?
(क) झाँझ
(ख) गिटार
(ग) ढोलक
(घ) बाँसुरी
उत्तर (ख) गिटार
3. किस अवसर पर लोकगीत नहीं गाए जाते हैं?
(क) जन्म पर
(ख) विवाह पर
(ग) बीमार होने पर
(घ) त्योहारों पर
उत्तर (ग) बीमार होने पर
4. शास्त्रीय संगीत के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर शास्त्रीय संगीत के लिए साधना आवश्यक है।
5. ‘सदा से ये गाए जाते रहे हैं’ का क्या तात्पर्य है?
उत्तर मनुष्य के सामाजिक विकास होने पर मनोरंजन, त्योहार, विशेष अवसरों आदि के लिए सदा से ही ऐसे लोकगीत गाए जाते रहे हैं।
6. किन वाद्ययंत्रों की सहायता से लोकगीत गाए जाते हैं?
उत्तर लोकगीत ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि वाद्य यंत्रों की मदद से गाए जाते हैं।
गद्यांश 2
लोकगीतों के कई प्रकार हैं। इनका एक प्रकार तो बड़ा ही ओजस्वी और सजीव है। यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है। मध्य प्रदेश, दक्कन छोटा नागपुर में गोंड खांड, ओराँव- मुंडा, भील- संथाल आदि फैले हुए हैं, जिनमें आज भी जीवन नियमों की जकड़ में बँध न सका और निद्वंद्व लहराता है। इनके गीत और नाच अधिकतर साथ-साथ और बड़े-बड़े दलों में गाए और नाचे जाते हैं। बीस-बीस तीस-तीस आदमियों और औरतों के दल एक साथ या एक-दूसरे के जवाब में गाते हैं, दिशाएँ गूँज उठती हैं।
1. आदिवासियों के गीत के दलों में कितने-कितने लोग होते हैं?
(क) बीस-बीस तीस-चालीस
(ख) तीस-तीस, चालीस-पचास
(ग) दस-दस बीस-बीस
(घ) बीस-बीस तीस-तीस
उत्तर (घ) बीस-बीस तीस-तीस
2. आदिवासियों के संगीत से गूंज उठती हैं।
(क) दीवार
(ख) रसोई
(ग) दिशाएँ
(घ) बालिकाएँ
उत्तर (ग) दिशाएँ
3. निम्नलिखित जोड़ों में कौन-सा जोड़ा आदिवासियों से संबंधित नहीं है?
(क) भील- संथाल
(ख) हीर राँझा
(ग) गोंड-खांड
(घ) ओराँव-मुंडा
उत्तर (ख) हीर राँझा
4. आदिवासियों का जीवन आज भी कैसा है?
उत्तर आदिवासियों का जीवन आज भी नियमों से बँधा हुआ नहीं है। उनका जीवन निर्द्वद्व है।
5. मध्य प्रदेश, दक्कन तथा छोटा नागपुर में कौन-से आदिवासी निवास करते हैं?
उत्तर मध्य प्रदेश, दक्कन तथा नागपुर में गोड-खांड, ओराँव-मुंडा और भील- संथाल आदिवासी रहते हैं।
6. आदिवासियों के लोकगीत की क्या विशेषता होती है?
उत्तर आदिवासियों के लोकगीत ओजस्वी और सजीव होते हैं।
गद्यांश 3
पहाड़ियों के अपने-अपने गीत हैं। उनके अपने-अपने भिन्न रूप होते हुए भी अशास्त्रीय होने के कारण उनमें अपनी एक समान भूमि है। गढ़वाल, किन्नौर, काँगड़ा आदि के अपने-अपने गीत और उन्हें गाने की अपनी-अपनी विधियाँ हैं। उनका अलग नाम ही ‘पहाड़ी’ पड़ गया है।
वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं। इनका संबंध देहात की जनता से है। बड़ी जान होती है इनमें । चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मिर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रदेश के पूरबी और बिहार के पश्चिमी जिलों में गाए जाते हैं। बाउल और भतियाली बंगाल के लोकगीत हैं।
पंजाब में महिया आदि इसी प्रकार के हैं। हीर राँझा, सोहनी-महीवाल संबंधी गीत पंजाबी में और ढोला-मारू आदि के गीत राजस्थान में बड़े चाव से गाए जाते हैं।
1. वास्तविक लोकगीतों का संबंध किससे है?
(क) शहरों से
(ख) गाँव से
(ग) देहातों से
(घ) ‘ख’ और ‘ग’ दोनों
उत्तर (घ) ‘ख’ और ‘ग’ दोनों
2. बंगाल के कौन-से गीत लोकप्रिय हैं?
(क) बाउल और भतियाली
(ख) बिदेसिया
(ग) गरबा
(घ) ढोला-मारू
उत्तर (क) बाउल और मतियाली
3. उत्तर प्रदेश में कौन-सा लोकगीत गाया जाता है?
(क) चैता
(ख) कजरी
(ग) बारहमासा
(घ) ये सभी
उत्तर (घ) ये सभी
4. पहाड़ी गीत कहाँ गाए जाते हैं?
उत्तर गढ़वाल, किन्नौर, काँगड़ा आदि क्षेत्रों में पहाड़ी गीत गाए जाते हैं।
5. पहाड़ी गीतों की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर पहाड़ के विभिन्न क्षेत्रों के अपने-अपने गीत हैं। पहाड़ी गीतों के अपने – अपने भिन्न रूप होते हुए भी अशास्त्रीय होने के कारण उनमें अपनी एक समान भूमि है। इन गीतों को गाने की अपनी-अपनी विधियाँ हैं।
6. राजस्थानी में गाया जाने वाला गीत कौन-सा है?
उत्तर राजस्थानी में गाया जाने वाला गीत ढोला मारु
गद्यांश 4
भोजपुरी में करीब तीस चालीस बरसों में ‘बिदेसिया’ का प्रचार हुआ है। गाने वालों के अनेक समूह इन्हें गाते हुए देहात में फिरते हैं। उधर के जिलों में विशेषकर बिहार में बिदेसिया से बढ़कर दूसरेल गाने लोकप्रिय नहीं हैं। इन गीतों में अधिकतर रसिक प्रियों और प्रियाओं की बात रहती है।
परदेशी प्रेमी की ओर इनसे करुणा और विरह का रस बरसता है। जंगल की जातियों आदि के भी दल-गीत होते हैं, जो अधिकतर बिरहा आदि में गाए जाते हैं। पुरुष एक ओर और स्त्रियाँ दूसरी ओर एक-दूसरे के जवाब के रूप में दल बाँधकर गीत गाते हैं। और इन गीतों से दिशाएँ गुँजा देते हैं, पर पिछले कुछ समय से इस प्रकार के दलीय गायन का ह्रास हुआ है।
1. ‘बिदेसिया’ गीत किस बोली में गाए जाने वाले गीत हैं?
(क) पंजाबी
(ख) भोजपुरी
(ग) हरियाणवी
(घ) बाँगरू
उत्तर (ख) भोजपुरी
2. बिहार में सबसे लोकप्रिय गीत कौन-सा है?
(क) आल्हा
(ख) कहरवा
(ग) बिदेसिया
(घ) चैता
उत्तर (ग) बिदेसिया
3. जंगल की जातियों के गीत किस प्रकार से गाए जाने वाले गीत हैं?
(क) एकल गीत
(ख) दल गीत
(ग) जाति गीत
(घ) जंगल गीत
उत्तर (ख) दल गीत
4. ‘बिदेसिया’ गीतों का विषय क्या है?
उत्तर बिदेसिया’ गीतों का विषय रसिकप्रियों तथा प्रियाओं व परदेश में रहने वाले प्रेमी की विरह की बातें हैं।
5. ‘बिदेसिया’ लोकगीतों का प्रचार कब हुआ?
उत्तर लगभग तीस चालीस वर्षों में ‘बिदेसिया’ लोकगीतों का प्रचार हुआ है।
6. दलीय गायन के ह्रास के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर दलीय गायन के ह्रास का कारण समाज के आधुनिकीकरण से मनुष्य के पास समय की कमी होना है।
गद्यांश 5
एक दूसरे प्रकार के बड़े लोकप्रिय गाने आल्हा के हैं। अधिकतर ये बुंदेलखंडी में गाए जाते हैं। आरंभ तो इसका चंदेल राजाओं के राजकवि जगनिक से माना जाता है, जिसने आल्हा ऊदल की वीरता का अपने महाकाव्य में बखान किया, पर निश्चय ही उसके छंद को लेकर जनबोली में उसके विषय को दूसरे देहाती कवियों ने भी समय-समय पर अपने गीतों में उतारा और ये गीत हमारे गाँवों में आज भी बहुत प्रेम से गाए जाते हैं। इन्हें गाने वाले गाँव-गाँव ढोलक लिए गाते-फिरते हैं। इसी की सीमा पर उन गीतों का भी स्थान है, जिन्हें नट रस्सियों पर खेल करते हुए गाते हैं। अधिकतर ये गद्य पद्यात्मक हैं और इनके अपने बोल हैं।
1. चंदेल राजाओं के राजकवि कौन थे?
(क) जगसिक
(ख) जगमग
(ग) जगनिक
(घ) निकजग
उत्तर (ग) जगनिक
2. ‘आल्हा’ गीतों के मुख्य विषय क्या हैं?
(क) आल्हा ऊदल के उत्सव
(ख) आल्हा ऊदल का जीवन
(ग) आल्हा ऊदल का भोजन
(घ) आल्हा ऊदल की वीरता
उत्तर (घ) आल्हा ऊदल की वीरता
3. रस्सियों पर कौन खेल दिखाते हुए गाते हैं?
(क) खट
(ख) नट
(ग) पट
(घ) ठन
उत्तर (ख) नट
4. ‘आल्हा’ किस क्षेत्र के गीत हैं?
उत्तर ‘आल्हा’ बुंदेलखंड क्षेत्र के गीत हैं।
5. राजकवि जगनिक ने महाकाव्य में किसका गुणगान किया है?
उत्तर राजकवि जगनिक ने अपने महाकाव्य में आल्हा ऊदल की वीरता का गुणगान किया है।
6. आल्हा गीतों की अन्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर ‘आल्हा’ गीत गद्य पद्यात्मक होते हैं। इन गीतों को लोग ढोलक के लिए गाँव-गाँव में गाते फिरते हैं। इन गीतों को नट रस्सियों पर भी गाते हुए खेल दिखाते हैं।
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. लोकगीत किसे कहते हैं?
उत्तर जो गीत प्रत्येक घर, गाँव और नगर में साधारण वाद्य यंत्रों की सहायता से गाए जाते हैं, उन्हें ही लोकगीत कहते हैं।
2. अधिकतर लोकगीतों की रचना कौन करता है?
उत्तर लोकगीतों की अधिकतर रचना स्त्रियाँ करती हैं, वे ही दल बाँधकर विशेष अवसरों पर इसे गाती हैं।
3. लोकगीत शास्त्रीय संगीत से किस प्रकार भिन्न होते हैं?
उत्तर लोकगीत अपनी लोच ( लचीलापन), ताज़गी और लोकप्रियता के कारण शास्त्रीय संगीत से भिन्न होते हैं।
4. स्त्रियों के गीतों की क्या विशेषता होती है? अथवा स्त्रियों के लोकगीतों की विशेष बातें क्या होती हैं?
उत्तर स्त्रियों के गीतों की रचनाकार स्त्रियाँ ही होती हैं। वे दल बाँधकर एक साथ गाए जाते हैं। कई बार सुरों में कोई मेल नहीं होता है।
5. बंगाल और पंजाब के प्रसिद्ध गीतों के नाम बताइए ।
उत्तर बंगाल में बाउल और मतियाली और पंजाब में माहिया आदि गीत प्रसिद्ध हैं।
6. ‘आल्हा’ गीतों का आरंभ कब हुआ?
उत्तर ‘आल्हा’ गीतों का आरंभ चंदेल राजाओं के राजकवि जगनिक के समय में हुआ था।
7. पहले लोकगीतों को शास्त्रीय संगीत की तुलना में कैसा समझा जाता था?
उत्तर पहले लोकगीतों को शास्त्रीय संगीत की तुलना में हेय (तुच्छ / छोटा) समझा जाता था। अभी कुछ समय पहले तक इन गीतों की बहुत उपेक्षा की जाती थी।
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत लघु उत्तरीय प्रश्न
1. लोकगीतों में स्त्रियों का क्या योगदान है? संसार के अन्य देशों से ये लोकगीत भिन्न क्यों हैं?
उत्तर भारतवर्ष में अधिकतर लोकगीतों की रचना स्त्रियों ने ही की है। इन लोकगीतों की रचना पुरुष भी करते हैं, परंतु इन गीतों का संबंध विशेष रूप से स्त्रियों से ही है। अधिकतर स्त्रियाँ ही इन गीतों को गाती हैं। इस दृष्टि से भारतवर्ष संसार के अन्य देशों से भिन्न है।
संसार के अन्य देशों में स्त्रियों के अपने गीत पुरुषों या जन गीतों से भिन्न नहीं हैं, मिले-जुले ही हैं।
2. ‘पहाड़ी गीत’ किसे कहते हैं? उनकी क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर पहाड़ी क्षेत्र के निवासियों के गीत ‘पहाड़ी’ हैं, उनका नाम अलग से ही पहाड़ी पड़ गया। गढ़वाल, किन्नौर, काँगड़ा सभी क्षेत्रों के अपने अलग-अलग गीत हैं। इन गीतों को गाने की विधियाँ भी भिन्न होती हैं। भिन्न रूप होते हुए भी अशास्त्रीय होने के कारण इन लोकगीतों में अपनी एक समान भूमि है।
3. देहाती गीतों की क्या विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर देहाती गीतों का आधार कल्पना न होकर इन गीतों के विषय रोजमर्रा के जीवन से संबंधित होते हैं। इसी कारण ये लोकगीत सीधे मर्म को छू लेते हैं। इनके राग साधारणतया पीलू, सारंग, दुर्गा, सावन, सोरठ आदि हैं। कहरवा, बिरहा, धोबिया आदि देहात में बहुत गाए जाते हैं।
4. जंगल की जातियों के गीत कैसे होते हैं?
उत्तर जंगल की जातियों के दल-गीत होते हैं। एक दल में पुरुष तथा दूसरे दल में स्त्रियाँ होती हैं। दोनों एक-दूसरे के जवाब के रूप में दल बनाकर गीत गाते हैं। ये गीत अधिकतर बिरहा आदि में गाए जाते हैं। इन गीतों से दिशाएँ गूँज जाती हैं।
5. ‘गरबा’ किसे कहते हैं?
उत्तर गुजरात का दल में गाया जाने वाला लोकगीत ‘गरबा’ है। इसे विशेष विधि से घेरे में घूम-घूमकर स्त्रियाँ गाती हैं और लकड़ियाँ भी बजाती हैं। ये लकड़ियाँ बाजे का काम करती हैं। उनमें गीत तथा नृत्य साथ-साथ चलते हैं। आजकल गरबा सभी प्रांतों में बहुत लोकप्रिय हो गया है। नवरात्रि के अवसर पर होटलों आदि में भी विशेष रूप से ‘गरबा’ का आयोजन किया जाता है।
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 12 लोकगीत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. लोकगीत किसे कहते हैं? इसकी क्या विशेषताएँ हैं? अथवा ‘लोकगीत’ पाठ के आधार पर लोकगीतों की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर लोकगीत घर, गाँव और नगर की जनता के गाए जाने वाले गीत हैं। इनके लिए किसी साधन की आवश्यकता नहीं होती है। त्योहारों तथा विशेष अवसरों पर ये गाए जाते हैं। इन गीतों की रचना उसी क्षेत्र के लोग करते हैं। ये गीत साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की सहायता से गाए जाते हैं। लोकगीत अपनी लोच, ताजगी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न होते हैं।
2. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कौन-कौन से लोकगीत गाए जाते हैं? उनकी विशेषताएँ भी बताइए ।
उत्तर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार के लोकगीत गाए जाते हैं; जैसे— दक्कन, मध्य प्रदेश, छोटा नागपुर में रहने वाले
आदिवासियों के लोकगीत बहुत ओजस्वी होते हैं। ये गीत बड़े-बड़े दलों में गाए जाते हैं और इन गीतों पर नृत्य किया जाता है। इन गीतों से दिशाएँ गूँज उठती हैं। गढ़वाल, किन्नौर, काँगड़ा आदि पहाड़ी क्षेत्रों के गीत ‘पहाड़ी’ गीत कहे जाते हैं।
इन गीतों को गाने की विविध विधियाँ हैं। मिर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रदेश के पूरबी और बिहार के पश्चिमी क्षेत्रों में चैता, कजरी, बारहमासा और सावन के गीत गाए जाते हैं। पंजाब में माहिया, बंगाल में बाउल और भटियाली लोकगीत प्रसिद्ध हैं। राजस्थान में ढोला मारू और भोजपुरी में बिदेसिया लोकप्रिय गीत हैं। बुंदेलखंड में आल्हा और गुजरात में गरबा प्रचलित है।
3. बुंदेलखंड के लोकगीत के विषय में बताइए ।
उत्तर बुंदेलखंड क्षेत्र में ओज से परिपूर्ण आल्हा गीत बहुत लोकप्रिय हैं। ये गीत बुंदेलखंडी बोली में आल्हा ऊदल की वीरता का गुणगान करते हैं। इन गीतों का आरंभ चंदेल राजाओं के राजकवि जगनिक से माना जाता है। राजकवि जगनिक ने अपने महाकाव्य के आल्हा ऊदल की वीरता की प्रशंसा का वर्णन किया है। इस वीरता के वर्णन को दूसरे कवियों ने भी
अपने गीतों में लिया। इन्हें गाने वाले लोग गाँव-गाँव ढोलक लिए गाते फिरते हैं। अधिकतर ये गीत पद्यात्मक होते हैं और इनके अपने बोल हैं।
4. आपकी दृष्टि में लोकगीतों की क्या महत्ता है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर प्रत्येक क्षेत्र के लोकगीतों की अपनी अलग पहचान है। ये उस क्षेत्र के रहन-सहन, त्योहार, खान-पान सबका प्रतिबिंब होते हैं। दूर दराज रहने वाले लोग, जो शहरी इलाकों से अलग-अलग हैं, उनके लिए मनोरंजन का सुलभ साधन हैं। कुछ क्षेत्रों में स्त्रियाँ दूर से पानी लाती, गीत गाती गाती दूर तक जाती हैं।
कठिन कार्य को भी लोकगीतों से सहज बना लेती हैं। लोकगीत भारत की अपनी विशेषता है। मेरे अनुसार, लोकगीत मनुष्य की आवश्यकता है। इन्हें लुप्त नहीं होने देना चाहिए।