NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी Question And Answers
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी कविता का सार
‘झाँसी की रानी’ कविता सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित है। इस कविता में कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के बचपन को बताते हुए 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम में उत्साहपूर्वक भाग लेने वाली वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का वर्णन किया गया है।
लक्ष्मीबाई अपने माता-पिता की अकेली संतान थीं तथा कानपुर के नाना साहब की मुँहबोली बहन थीं। बचपन में वे नाना साहब के साथ ही पढ़ती और खेलती थीं। उन्हें बचपन से ही बरछी, ढाल, कृपाण और कटारियों के खेल प्रिय थे। शिवाजी की वीरता की गाथाएँ उन्हें भली-भाँति याद थीं। अपने मित्रों के साथ वे नकली युद्ध के खेल-खेलती थीं।
युवावस्था में लक्ष्मीबाई का विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव के साथ हो गया, किन्तु कुछ समय बाद ही गंगाधर राव की मृत्यु हो जाने पर रानी विधवा हो गई, जिससे पूरे झाँसी में शोक छा गया। रानी के निःसंतान होने के कारण उत्तराधिकार की समस्या सामने आई। रानी लक्ष्मीबाई ने राजा गंगाधर की मृत्यु के बाद झाँसी की बागडोर संभाल ली थी। देश पर अंग्रेजों का कब्जा हो जाने पर लक्ष्मीबाई ने धुंधू पंत, ताँत्या टोपे जैसे राजाओं को संगठित होने के लिए प्रेरित किया।
अंग्रेजों के साथ इस स्वतंत्रता संग्राम में घोर युद्ध हुआ और अनेक वीर; जैसे- अजीमुल्ला, अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुँवर सिंह शहीद हो गए। लक्ष्मीबाई ने इस युद्ध में बढ़-चढ़कर भाग लिया। मरदाने वेश में लक्ष्मीबाई ने लेफ्टिनेंट वॉकर का सामना किया और वह जख्मी होकर भाग गया। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में रानी के बलिदान ने भारतवासियों के मन में स्वतंत्रता प्राप्त करने की चिंगारी जला दी।
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NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी काव्यांशों की विस्तृत व्याख्या
काव्यांश 1
सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन् सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।
शब्दार्थ हिल उठे परिवर्तन हुआ, खलबली मचाना, भृकुटी भौंह, गुमी हुई-खोई हुई, फिरंगी-अंग्रेज, ठानी निश्चय किया।
संदर्भ प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक वसंत भाग-1 की ‘झाँसी की रानी’ कविता से ली गई हैं। इसकी रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान हैं।
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई के साहस और बलिदान का वर्णन किया है।
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि अंग्रेज़ों ने जब भारत पर अपना राज्य स्थापित कर लिया, तो भारत के राजाओं में हलचल हो गई, उनके राजसिंहासन हिल गए। राजाओं में अंग्रेज़ों के प्रति रोष की भावना जाग्रत हुई। क्रोध के कारण उनकी भौंहें तन गई। सभी अपनी खोई हुई आज़ादी का मूल्य पहचानने लगे। गुलामी के कारण जर्जर – बूढ़े भारत में फिर से नया जोश उत्पन्न हो गया था। वे जान गए कि स्वतंत्रता कितनी अमूल्य है।
सभी राजाओं ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और मन में दृढ़ निश्चय किया कि अंग्रेज़ों को भारत से हटा देंगे, जो तलवारें म्यान में बंद थीं, सब सन् 1857 के युद्ध में फिर से चमक उठीं। इस स्वतंत्रता संग्राम में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पुरुषों की भाँति लड़ते हुए शहीद हो गई। उनकी वीरता की कहानी हमने बुंदेलखंड के हरबोलों अर्थात् लोक गायकों से सुनी थी।
विशेष
- प्रस्तुत पंक्तियों में सन् 1857 की स्थिति का वर्णन किया है, जिसमें रानी लक्ष्मीबाई की भूमिका प्रमुख थी।
- सरल और सहज शब्दों का प्रयोग किया गया है।
- इन पंक्तियों में वीर रस है।
काव्यांश 2
कानपुर के नाना की मुँहबोली बहन ‘छबीली’ थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी,
वीर शिवाजी की गाथाएँ उसको याद ज़बानी थीं।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।
शब्दार्थ संग-साथ, गाथाएँ-कहानियाँ, कटारी-छोटी तलवार, छबीली सुंदर
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई के बचपन का उल्लेख किया है। रानी लक्ष्मीबाई ने अपने बचपन से ही नाना साहब से युद्ध की शिक्षा प्राप्त की थी।
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि कानपुर के नाना साहब (बाजीराव पेशवा) लक्ष्मीबाई को अपनी मुँहबोली बहन मानते थे। प्यार में वे उन्हें छबीली कहकर बुलाते थे। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं। बचपन से ही नाना के साथ पढ़ती और खेलती थीं। लक्ष्मीबाई को बचपन से ही बरछी, ढाल, कृपाण और कटारी चलाने का बहुत शौक था। ये सब उनकी सहेलियाँ थीं। उन्हें बचपन से ही शिवाजी की वीरता की कहानियाँ जबानी याद थीं। कवयित्री कहती हैं कि हमने बुंदेले हरबोलों के मुँह से सुना है कि रानी लक्ष्मीबाई वीर पुरुषों की भाँति बहुत वीरता से लड़ी थीं।
विशेष
- प्रस्तुत पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई की वीर गाथा का वर्णन किया गया है।
- कविता की भाषा सरल, सहज व प्रभावमयी है।
- कृपाण, कटारी में अनुप्रास अलंकार है।
काव्यांश 3
लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध, व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना, ये थे उसके प्रिय खिलवार,
महाराष्ट्र – कुल देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।
शब्दार्थ पुलकित प्रसन्न, व्यूह की रचना-युद्ध का एक प्रकार, दुर्ग किला, खिलवाड़ खेल, आराध्य जिसकी पूजा की जाए, भवानी दुर्गा
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के बचपन के प्रिय खेलों का उल्लेख किया है। रानी लक्ष्मीबाई युद्ध अभ्यास करने के साथ-साथ धर्म से भी जुड़ी हुई थीं।
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने कहा कि लक्ष्मीबाई ऐसी साक्षात् वीरता की अवतार थीं कि लगता था कि यह लक्ष्मी या दुर्गा का अवतार हैं। उसकी तलवार का वार देखकर मराठे बहुत प्रसन्न हो उठते- थे। बचपन से ही लक्ष्मीबाई के प्रिय खेल नकली युद्ध करना, व्यूह की रचना बनाना, शिकार करना, सेना को घेरना और किलों को तोड़ना थे। लक्ष्मीबाई महाराष्ट्र की कुल देवी की उपासिका थीं। वह दुर्गा की आराधना करती थीं। कवयित्री कहती हैं कि बुंदेलखंड के बुंदेलों के मुँह से लक्ष्मीबाई की कथा सुनी हैं, जो पुरुषों के समान अंग्रेज़ों से डटकर युद्ध में लड़ीं थीं।
विशेष
- यहाँ लक्ष्मीबाई के वीर अवतार रूप का वर्णन किया गया है।
- खेलना खूब में अनुप्रास अंलकार है।
- सरल भाषा का प्रयोग हुआ है।
काव्यांश 4
हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
सुभट बुंदेलों की विरुदावलि सी वह आई झाँसी में,
चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।
शब्दार्थ वैभव-धन-संपत्ति, ऐश्वर्य, विरुदावलि-बड़ाई, यश के गीत, ब्याह-विवाह ।
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के विवाह का वर्णन किया है।
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि लक्ष्मीबाई की सगाई झाँसी के राजा गंगाधर राव के साथ हुई थी। तब ऐसा लगा मानों वीरता (लक्ष्मीबाई) की सगाई धन-दौलत (गंगाधर राव ) के साथ हो गई हो ।
विवाह के बाद लक्ष्मीबाई झाँसी आ गई। संपूर्ण झाँसी में खुशियाँ मनाई गईं। राजमहलों में बधाई गीत गाए जाने लगे। वीर योद्धा बुंदेलों के यश का गान गाया जाने लगा। ऐसा लगा जैसे चित्रा को पतिरूप में अर्जुन और दुर्गा को शिव मिल गए हों। उसी तरह लक्ष्मीबाई को राजा गंगाधर राव मिले थे। कवयित्री कहती हैं कि हमने बुंदेले हरबोलों के मुँह से यह कहानी सुनी है कि वह लक्ष्मीबाई वीर योद्धाओं के समान मर्दानी बनकर वीरता के साथ लड़ी थीं।
विशेष
- बजी बधाई, साथ सगाई में अनुप्रास अलंकार है।
- सरल व सहज भाषा का प्रयोग है।
काव्यांश 5
उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजयाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
ानी विधवा हुई हाय! विधि को भी नहीं दया आई,
निःसंतान मरे राजा जी, रानी शोक-समानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।
शब्दार्थ उदित उगना, सौभाग्य-अच्छा भाग्य, मुदित-प्रसन्न, कालगति-मृत्यु की चाल, विधि-भाग्य ।
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के पति के देहांत के बारे में बताया है। जिससे पूरा झाँसी राज्य शोकपूर्ण हो गया है।
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि विवाह के पश्चात् लक्ष्मीबाई झाँसी आ गई। जिससे झाँसी के सौभाग्य का उदय हो गया था। महलों में प्रसन्नता छा गई, किंतु धीरे-धीरे दुर्भाग्य के बादल छा गए ।
राजा की अकाल मृत्यु से लक्ष्मीबाई के जीवन में समय चक्र दुःख की काली घटाएँ ले आया। रानी लक्ष्मीबाई जल्दी ही विधवा हो गईं। दुर्भाग्य को तीर चलाने वाले हाथों में चूड़ियाँ पहनना अच्छा नहीं लगा। भाग्य को भी उस पर दया नहीं आई। राजा गंगाधर राव निःसंतान मर गए। रानी शोक में डूब गई। कवयित्री कहती है कि यह सब कहानी हमने बुंदेले हरबोलों के सुनी है। जो मर्दानी की तरह लड़ी थी।
विशेष
- रानी लक्ष्मीबाई के जल्दी विधवा होने व राजा गंगाधर राव का निःसंतान मर जाने का वर्णन है।
- चुपके-चुपके में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।
- मुदित महलों में अनुप्रास अलंकार है।
काव्यांश 6
बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फ़ौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया,
अश्रुपूर्ण रानी ने देखा झाँसी हुई बिरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।
शब्दार्थ हरषाय- प्रसन्न होना, अश्रुपूर्ण आँसू से भरी हुई, वारिस – उत्तराधिकारी, बिरानी वीरान, निर्जन ।
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने झाँसी के राजा की मृत्यु बाद अंग्रेज़ी शासक का झाँसी पर अधिकार करने के विषय में वर्णन किया है।
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि झाँसी के राजा की मृत्यु से झाँसी का राज्य सुनसान हो गया। राजा की मृत्यु जब हुई थी, तब वे निःसंतान थे। ऐसे में लॉर्ड डलहौजी को राज्य हड़पने का अच्छा अवसर मिल गया। वह मन ही मन बहुत प्रसन्न हुआ, उसने तुरंत अंग्रेजी सेना के साथ झाँसी के किले पर हमला बोल दिया।
रानी को हराकर झाँसी के किले पर अंग्रेज़ी पताका फहरा दिया। झाँसी राज्य, जिसका कोई उत्तराधिकारी नहीं था, उसे अपना वारिस बनाकर झाँसी में आ गया था और झाँसी की रानी अपने आँखों से झाँसी को बेगानी होते हुए देखती रह गई। कवयित्री कहती हैं कि बुंदेले हरबोलों के मुँह से लक्ष्मीबाई की यह कहानी हमने सुनी है, जो मर्दानी बनकर खूब लड़ी हैं।
विशेष
- डलहौजी द्वारा झाँसी पर शासन करने का वर्णन किया गया है।
- अच्छा अवसर, ब्रिटिश फौरन फौजें में अनुप्रास अलंकार है।
- सरल व कोमल भाषा का प्रयोग हुआ है।
काव्यांश 7
अनुनय-विनय नहीं सुनता है, विकट फ़िरंगी की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था, जब यह भारत आया,
डलहौज़ी ने पैर पसारे अब तो पलट गई काया, राजाओं,
नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया,
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।
शब्दार्थ अनुनय विनय-प्रार्थना, निवेदन, विकट-कठिन, भयंकर, काया शरीर, काया पलटना बदलाव आ जाना।
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने अंग्रेज़ों का वर्णन किया है कि किस तरह अंग्रेज व्यापार के बहाने बड़े-बड़े राजाओं के राज्यों को हड़प जाते थे।
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि ब्रिटिश सरकार क्रूर थी। किसी की याचना का प्रभाव उन लोगों पर नहीं पड़ता था, जब ब्रिटिश भारत आए थे, तब वे व्यापारी थे जो यहाँ की दया चाहते थे। भारत देश की धन-संपत्ति को देखकर अंग्रेज यहाँ से व्यापार करना चाहते थे, किंतु धीरे-धीरे व्यापारियों का रूप बदल गया। अब वे भारत में राज्य करने लगे थे। छोटे-छोटे राजाओं को युद्ध में परास्त कर दिया था।
डलहौजी धीरे-धीरे अंग्रेज़ों का राज्य बढ़ाता ही जा रहा था। अब अंग्रेज़ व्यापारी से शासक बन गए। रानी लक्ष्मीबाई भी अंग्रेज़ों से हार गई थीं, लेकिन उन्होंने मानसिक रूप से हार नहीं मानी थी। कवयित्री कहती है कि बुंदेल लोगों के मुँह से हमने लक्ष्मीबाई की वीरता की यह कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर खूब लड़ी है।
विशेष
- यहाँ अंग्रेजों की झाँसी पर राज करने की नीति का वर्णन किया गया है।
- बनी-बनी में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
- सरल, सुंदर व सहज भाषा का प्रयोग हुआ है।
काव्यांश 8
छिनी राजधानी देहली की, लिया लखनऊ बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठूर में हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजोर, सतारा, करनाटक की कौन बिसात,
जबकि सिंध, पंजाब, ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात,
बंगाले, मद्रास आदि की भी तो यही कहानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।
शब्दार्थ विसात घात, प्रहार, वज्र निपात भारी मुसीबत, बिसात ताकत।
प्रसंग इन पंक्तियों में कवयित्री ने उन राज्यों के बारे में बताया है, जिस पर अंग्रेज़ों ने अपना अधिकार जमा लिया।
व्याख्या इन पंक्तियों में कवयित्री कह रही है कि अंग्रेज़ छोटे-छोटे राज्यों पर आक्रमण कर रहे थे। उन्होंने राजधानी दिल्ली को अपने अधीन कर लिया था और लखनऊ पर अपना अधिकार कर लिया था। बिटूर में राजा बाजीराव पेशवा को बंदी बना लिया था। नागपुर पर भी प्रहार किया, साथ ही उदयपुर, तंजौर, सतारा और कर्नाटक जैसे राज्यों को भी अधीन कर लिया। ये सभी छोटे राज्य थे। सिंध, पंजाब पर अभी-अभी अंग्रेज़ों का आक्रमण हुआ था। बंगाल, मद्रास राज्यों की भी यही स्थिति थी । कवयित्री कहती है कि बुंदेलखंड के बुंदेले लोगों के मुँह से हमने रानी लक्ष्मीबाई की यही कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर लड़ी थी।
विशेष
- इन पंक्तियों में अंग्रेज़ों के बढ़ते साम्राज्य को सरल शब्दों में स्पष्ट किया है।
- सरल व सहज भाषा का प्रयोग हुआ है।
काव्यांश 9
रानी रोई रनिवासों में बेगम गम से थीं बेज़ार,
उनके गहने-कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरेआम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार,
‘नागपुर के जेवर ले लो’ ‘लखनऊ के लो नौलख हार’,
यों परदे की इज़्ज़त पर देशी के हाथ बिकानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।
शब्दार्थ रनिवास – रानी का महल, बेजार बेहाल, परेशान।
प्रसंग इन पंक्तियों में कवयित्री ने अंग्रेज़ों द्वारा राजाओं की हत्या करके रानियों के वस्त्र और आभूषणों की नीलामी करने का वर्णन किया है।
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने कहा है कि अंग्रेज़ अपना शासन बढ़ाते जा रहे थे। छोटे-छोटे राजाओं को वे परास्त कर रहे थे, जिससे रानियाँ और बेगमें दुःखी थीं। वे महलों में बैठकर रोती रहती थीं। रानियाँ और बेगमों के बहुमूल्य वस्त्रों को अंग्रेज कलकत्ता के बाजार में नीलाम कर रहे थे। इस नीलामी के विज्ञापन अंग्रेज़ी के अखबारों में छप रहे थे।
वे विज्ञापन इस प्रकार थे— नागपुर के जेवर ले लो; ‘लखनऊ के नौलखा हार’ खरीद लो अपनी वस्तुओं को बाजार में इस प्रकार नीलाम होते देखकर रानियों का हृदय दुःख से भर जाता था, जो गहने और वस्त्र रानियों की इज्जत थे, वे आज इस प्रकार खुले आम विदेशियों के हाथ बेचे जा रहे थे। बुंदेलखंड के लोगों के मुँह से हमने . लक्ष्मीबाई की वीरता की यह कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर खूब लड़ी थी।
विशेष
- इस काव्यांश में रानियों व बेगमों के आभूषण व वस्त्रों की नीलामी का वर्णन किया है।
- रोयी -रोयी रनिवासों में अनुप्रास अलंकार है ।
काव्यांश 10
कुटियों में थी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मन में था, अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण- चंडी का कर दिया प्रकट आह्वान,
हुआ यज्ञ प्रारंभ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।
शब्दार्थ विषम-कठिन, वेदना-पीड़ा, तकलीफ, आहत घायल, आह्वान- बुलाना, पुकारना, ज्योति प्रकाश
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने बताया है कि आम जनता के मन में अंग्रेज़ों के प्रति विद्रोह की भावना थी ।
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कह रही है कि अंग्रेज़ों द्वारा भारत को अपने अधिकार में करते जाने से लोगों के मन में गहरा रोष था। अमीर और गरीब सभी कष्टपूर्ण जीवन बिता रहे थे तथा अपने आप को अपमानित महसूस कर रहे थे।
वीर सैनिकों के मन में अपने पुरखों का अभिमान था । नाना साहब और बाजीराव पेशवा अंग्रेज़ों से युद्ध करने के लिए सभी साधन एकत्र कर रहे थे। इसी समय झाँसी की रानी ने भी रणचंडी का रूप अपना लिया तथा युद्ध में भाग लेने के लिए लोगों को प्रेरित किया। लोगों के सुप्त (सोए हुए) हृदय में स्वतंत्रता प्राप्त करने की चिंगारी जला दी ।
अन्य सभी लोग उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेज़ों से सत्ता वापस लेने के लिए तत्पर हो गए। हमने यह कहानी बुंदेलखंड के बुंदेले लोगों से सुनी है कि लक्ष्मीबाई पुरुषों की भाँति वीरता से लड़ी थीं।
विशेष
- इन पंक्तियों के माध्यम से यह बताया है कि राजाओं की शक्ति को कैसे एकत्रित किया गया।
- सरल व सहज भाषा का प्रयोग हुआ है।
काव्यांश 11
महलों ने दी आग, झोपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थीं,
मेरठ, कानपुर, पटना ने भारी धूम मचाई थी,
जबलपुर, कोल्हापुर में थी कुछ हलचल उकसानी भी ।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।
शब्दार्थ अंतरतम हृदय, ज्वाला- आग की लपट, उकसाना प्रेरित करना।
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने सन् 1857 की क्रांति में सभी बड़े-बड़े शासकों के हिस्सा लेने और भारतवासियों में क्रांति की ज्वाला भड़कने का वर्णन किया है।
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि रानी लक्ष्मीबाई तथा अन्य राजाओं ने क्रांति की जो चिंगारी लगाई थी, वह अब पूर्ण ज्वाला बनकर भड़क उठी थी। महलों में ही नहीं बल्कि झोंपड़ी में रहने वालों ने भी मिलकर क्रांति में भाग लिया।
स्वतंत्रता की चिंगारी लोगों के अंतर्मन (हृदय) से निकली थी, क्योंकि सभी अंग्रेज़ों के अत्याचारों से दुःखी थे। झाँसी में क्रांति की, जो लहर उठी थी वह दिल्ली और लखनऊ में भी फैल गई थी। साथ ही मेरठ, कानपुर, पटना में भी क्रांति की लहर फैलती गई। जबलपुर और कोल्हापुर में भी कुछ हलचल हुई। चारों ओर लोग सचेत हो गए और स्वतंत्रता की कामना करने लगे। बुंदेलखंड के बुंदेले लोगों के मुँह से हमने लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर वीरता से लड़ी थी।
विशेष
- इन पंक्तियों में भारतवासियों में भड़की क्रांति की ज्वाला का चित्रण किया है।
- भाषा सरल व स्पष्ट है।
काव्यांश 12
इस स्वतंत्रता – महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास- गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम,
लेकिन आज जुर्म कहलाती, उनकी जो कुरबानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।
शब्दार्थ वीरवर-बहादुर, काम आए योगदान देना, अभिराम सुंदर, गगन- आकाश, जुर्म अपराध ।
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने स्वतंत्रता संग्राम में अपना बलिदान देने वाले लोगों का वर्णन किया है।
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कह रही हैं कि स्वतंत्रता रूपी महायज्ञ में बहुत-से वीरों ने अपना बलिदान दे दिया। इनमें धुंधूपंत, ताँत्या, अजीमुल्ला अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुँवर सिंह जैसे वीर सैनिक शामिल थे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास रूपी आकाश में इन वीरों के नाम अमर रहेंगे।
इन वीरों का बलिदान और त्याग आज भले ही अपराध कहलाए हो, किंतु उन वीरों का बलिदान देश की स्वतंत्रता के लिए था । कवयित्री कहती है कि बुंदेलखंड के बुंदेले लोगों से हमने लक्ष्मीबाई की वीरता की यह कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर लड़ी थी।
विशेष
- इन पंक्तियों में भाषा सरल, सहज व स्पष्ट है।
- पंक्तियों में स्वतंत्रता संग्राम में अपना बलिदान देने वाले लोगों का वर्णन है।
काव्यांश 13
इनकी गाथा छोड़ चले हम झाँसी के मैदानों में, जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में, लेफ्टिनेंट वॉकर आ पहुँचा, आगे बढ़ा जवानों में, रानी ने तलवार खींच ली, हुआ द्वंद्व असमानों में, ज़ख्मी होकर वॉकर भागा, उसे अजब हैरानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।
शब्दार्थ गाथा-कहानी, असमान जो समान न हों, जो बराबर नहीं हों, हैरानी आश्चर्य।
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के शौर्य बल का वर्णन किया है।
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि भारत के उन राज्यों की बात हम छोड़ देते हैं, जिन्होंने अंग्रेज़ों के सामने घुटने टेक दिए थे और हम झाँसी के मैदान की ओर चलते हैं, जहाँ रानी लक्ष्मीबाई पुरुषों के समान पुरुष रूप में खड़ी हैं। रानी पुरुषों के समान वीरता से युद्ध कर रही थीं उसी समय लेफ्टिनेंट वॉकर अपने कुछ सैनिकों के साथ वहाँ आ जाता है। तब रानी उससे युद्ध करने के लिए अपनी तलवार निकालकर उससे संघर्ष करना शुरू करती हैं।
इस युद्ध में लेफ्टिनेंट वॉकर घायल होकर भाग गया। वह हैरान था। कि रानी ने उसे परास्त कर दिया। कवयित्री कहती है कि रानी की वीरता की यह कहानी हमने बुंदेले लोगों से सुनी थी कि वह पुरुषों के समान वीरता से लड़ी थीं।
विशेष
- इन पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का चित्रण किया गया है।
- इन पंक्तियों में भाषा सुंदर, स्पष्ट व प्रभावमयी है।
काव्यांश 14
रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थककर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी किया ग्वालियर पर अधिकार,
अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी । ।
शब्दार्थ निरंतर लगातार तत्काल – तुरंत ।
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी के घोड़े की मृत्यु तथा युद्ध में अंग्रेजों से हार का वर्णन किया है।
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि रानी निरंतर आगे बढ़ती जा रही थी। लगभग सौ मील का रास्ता पार करके कालपी पहुँच गई। उनका घोड़ा थककर धरती पर गिर पड़ा और तुरंत ही मर गया। उधर यमुना के तट पर अंग्रेज़ रानी से फिर से युद्ध में पराजित हुए। रानी विजयी होकर आगे चल दी और ग्वालियर को भी जीतकर उसे अपने अधिकार में ले लिया। ग्वालियर का राजा सिंधिया अंग्रेज़ों का मित्र था । उसने रानी के भय के कारण अपनी राजधानी छोड़ दी। कवयित्री कहती है कि रानी की वीरता की यह कहानी हमने बुंदेले लोगों के मुख से सुनी थी कि रानी पुरुषों के समान युद्ध में लड़ी थी।
विशेष
- इन पंक्तियों में रानी के घोड़े की मृत्यु व युद्ध में अंग्रेज़ों की हार का वर्णन है।
काव्यांश 15
विजय मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सन्मुख था, उसने मुँह की खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थीं,
युद्ध क्षेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी,
पर, पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।
शब्दार्थ मर्दानी-पुरुष की तरह, सन्मुख सामने
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई और जनरल स्मिथ, ह्यूरोज से घमासान युद्ध का वर्णन किया है।
व्याख्या रानी विजयी तो हुई, किंतु पुनः अंग्रेज़ों की सेना ने उन्हें घेर लिया। इस बार जनरल स्मिथ अपनी सेना का नेतृत्व कर रहा था, वह उनके सामने था। वह एक बार रानी से पराजित हो चुका था। इस बार रानी के साथ उनकी दो सहेलियाँ काना और मंदरा भी आई थीं। काना और मंदरा भी रानी के साथ युद्ध कर रही थीं। दोनों में घमासान युद्ध हुआ, किंतु इसी बीच दूसरी ओर से ह्यूरोज अपनी सेना के साथ वहाँ पहुँच गया। अब रानी स्मिथ और ह्यूरोज के बीच घिर गई। कवयित्री कहती हैं कि हमने हरबोलों के मुँह से रानी की वीरता की यह कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर खूब लड़ी थी।
विशेष
- इन पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई और जनरल स्मिथ, ह्यूरोज के बीच युद्ध का वर्णन है।
- मार मचाई में अलंकार है।
काव्यांश 16
तो भी रानी मार-काटकर चलती बनी सैन्य के पार,
किंतु सामने नाला आया था यह संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गए सवार,
रानी एक शत्रु बहुतेरे होने लगे बार पर वार,
घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीर गति पानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।
शब्दार्थ विषम विपरीत, अपार जिसे पार न किया जा सके।
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी के वीरतापूर्वक युद्ध करने तथा युद्ध में घायल होने का वर्णन किया है।
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कह रही हैं कि रानी ह्यूरोज और जनरल स्मिथ की सेनाओं से घिर गई हैं, फिर भी वह सेना को चीरती हुई आगे बढ़ रही थीं कि सामने एक नाला आ जाता है। रानी का घोड़ा नया था, वह अड़ गया। तभी पीछे से अंग्रेज़ सैनिकों के आ जाने से दोनों ओर से युद्ध होने लगे।
रानी अकेली थी और अंग्रेज़ सैनिक अधिक थे, जिसके कारण रानी चारों ओर से घिर गईं। लगातार रानी पर वार हो रहे थे। अंत में रानी शेरनी की भाँति घायल होकर गिर गईं। रानी युद्ध भूमि में लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हुई। कवयित्री कहती है कि बुंदेलों के मुँह से हमने रानी की वीरता की यह कहानी सुनी है कि रानी पुरुष के समान युद्ध में यह कहानी है कि के छ लड़ी थी।
विशेष
- रानी की वीरगति पाने का चित्रण किया गया है।
- इन पंक्तियों की भाषा बहुत सरल, सुस्पष्ट है।
- कवि ने सुंदर शब्दों का प्रयोग किया है।
काव्यांश 17
रानी गई सिधार, चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता नारी थी,
दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।
शब्दार्थ दिव्य- अलौकिक, देवताओं जैसी, मनुज – मनुष्य ।
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई के जीवन की अंतिम यात्रा का वर्णन किया है।
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने कहा कि रानी वीरगति को प्राप्त हो गई। अब चिता ही उनकी दिव्य सवारी थी। उनका अलौकिक व्यक्तित्व चिता को भेंट हो गया था। उनका तेज अग्नि के तेज में मिल गया। अभी उनकी अवस्था केवल तेईस वर्ष की थीं। वह साधारण मानव नहीं बल्कि कोई दिव्य अवतार थीं।
वह स्वतंत्रता की देवी बनकर हमें स्वतंत्रता की आवश्यकता बताने आई थीं, जो सीख हमें देनी थी, वह दे गईं। वह हमारे लिए स्वतंत्रता की देवी बनकर आई थीं। हम भारतवासियों को नई राह अर्थात् बलिदान का मार्ग दिखा गईं। कवयित्री कहती है कि बुंदेले लोगों के मुँह से हमने रानी की वीरता की कहानी सुनी हैं, जो पुरुषों की भाँति युद्धभूमि में लड़ी थी।
विशेष
- इन पंक्तियों में झाँसी की रानी की अंतिम यात्रा का वर्णन है।
- सीख सीखनी में अनुप्रास अलंकार है।
काव्यांश 18
जाओ रानी याद रखेंगे हम कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनाशी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी,
तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।
शब्दार्थ कृतज्ञ उपकार को याद रखने वाले, अविनाशी-कभी नष्ट न होने वाला स्मारक यादगार।
प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान का वर्णन किया है।
व्याख्या अंत में कवयित्री शब्द रूपी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहती हैं कि हे रानी! तुम स्वर्ग सिधार गई। तुम्हें वीरगति प्राप्त हुई । हम सब भारतवासी तुम्हारा यह बलिदान हमेशा याद रखेंगे। तुम्हारा यह बलिदान हमारे अंदर त्याग की भावना को जाग्रत करता है और आज़ादी के प्रति सचेत करता रहेगा। हम भारतवासी स्वतंत्रता अवश्य प्राप्त करेंगे।
इतिहास भले ही मौन हो जाए कुछ न कहे, अंग्रेज़ भले ही विजय प्राप्त कर लें, झाँसी को नष्ट कर दें, परंतु हम भारतवासी यह बलिदान कभी नहीं भूलेंगे।
तुम्हें स्मरण करने के लिए किसी स्मारक की आवश्यकता नहीं है, तुम तो स्वयं ही स्मारक हो। तुम स्वयं ही स्मरणीय रहोगी । कवयित्री कहती हैं कि बुंदेलखंड के लोगों के मुँह से झाँसी की रानी के युद्ध की कहानी सुनी थी, जिन्होंने पुरुषों के समान वीरता से युद्ध किया।
विशेष
- इन पंक्तियों में रानी के बलिदान व त्याग भावना का वर्णन किया गया है।
- कविता की पंक्तियों को सरल व प्रभावमयी रूप से पिरोया गया है।
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर
कविता से (पृष्ठ संख्या 62)
प्रश्न 1. ‘किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई
(क) इस पंक्ति में किस घटना की ओर संकेत है?
(ख) काली घटा घिरने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर
(क) इस पंक्ति में झाँसी के राजा गंगाधर राव की मृत्यु की ओर संकेत किया गया है।
(ख) जिस प्रकार काली घटाएँ घिरकर सूर्य को ढककर उसके प्रकाश को कम कर देती हैं, उसी प्रकार राजा के नि:संतान मर जाने के कारण झाँसी के राज्य पर अंग्रेज़ अपना अधिकार कर लेंगे और झाँसी पर विपत्ति आ जाएगी। इस तथ्य को ध्यान में रखकर काली घटा घिरने की बात कही गई है।
प्रश्न 2. कविता की दूसरी पंक्ति में भारत को ‘बूढ़ा’ कहकर और उसमें ‘नई जवानी’ आने की बात कहकर सुभद्रा कुमारी चौहान क्या बताना चाहती हैं?
उत्तर कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान भारत को ‘बूढ़ा’ कहकर यह बताना चाहती हैं कि भारत बहुत समय तक परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा रहने के कारण कमज़ोर हो गया। भारत की दुर्दशा हो गई थी।
‘नई जवानी’ कहकर कवयित्री बताना चाहती हैं कि लक्ष्मीबाई ने अपनी वीरता से भारतवासियों की सोच में परिवर्तन ला दिया। भारतवासी अपनी खोई हुई स्वतंत्रता को पुनः प्राप्त करने के लिए उत्साह से भर गए। उनमें नया जोश आ गया।
प्रश्न 3. झाँसी की रानी के जीवन की कहानी अपने शब्दों में लिखो और यह भी बताओ कि उनका बचपन तुम्हारे बचपन से कैसे अलग था ?
उत्तर झाँसी की रानी का नाम लक्ष्मीबाई था। बचपन में उन्हें ‘मनु’ और ‘छबीली’ कहा जाता था। वह अपने माता- पिता की इकलौती संतान थीं। कानपुर के नाना साहब की मुँहबोली बहन थीं। बचपन में उन्हीं के साथ पढ़ती और खेलती थीं।
उनका बचपन हमारे बचपन से पूर्णतः भिन्न था। बच्चे अधिकतर खिलौनों से खेलते हैं, परंतु छबीली को बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी जैसे हथियारों से खेलना अच्छा लगता था। लक्ष्मीबाई का विवाह गंगाधर राव से हो गया।
विवाह के बाद वे झाँसी आ गई, कुछ समय बाद ही राजा की अकस्मात मृत्यु हो गई और रानी विधवा हो गईं। राजा निःसंतान थे। अंग्रेज़ों ने झाँसी को हड़पने का सुनहरा अवसर देखा ।
रानी और लेफ्टिनेंट वॉकर में युद्ध हुआ। वॉकर को रानी ने पराजित कर दिया और कालपी और ग्वालियर राज्य ले लिया। बाद में ह्यूरोज से युद्ध हुआ तथा इस घमासान युद्ध में रानी वीरगति को प्राप्त हुईं। उनका नाम इतिहास में हमेशा अमर रहेगा।
प्रश्न 4. वीर महिला की इस कहानी में कौन-कौन-से पुरुषों के नाम आए हैं? इतिहास की कुछ अन्य वीर स्त्रियों की कहानियाँ खोजो ।
उत्तर ‘झाँसी की रानी’ कविता में अनेक पुरुषों के नाम आए हैं, उनमें से प्रमुख हैं|
- शिवाजी
- अर्जुन
- पेशवा
- नाना
- साहब
- शंकर
- सिंधिया
- अहंमद
- शाह
- मौलवी
- ठाकुर
- डलहौजी
- अजी
- मुल्ला
- कुँवर
- सिंह
- जनरल
- स्मिथ
- ह्यूरोज
अन्य वीर स्त्रियों की कहानियाँ छात्र स्वयं पढ़ें।
अनुमान और कल्पना (पृष्ठ संख्या 63)
प्रश्न 1. कविता में किस दौर की बात है? कविता से उस समय के माहौल के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर इस कविता में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 ई. की बात कही गई है। कविता पढ़कर उस माहौल का पता चलता है कि अंग्रेज़ भारत आ चुके थे। हमारा देश छोटे-छोटे राज्यों में बँटा हुआ था। अंग्रेज़ अपना साम्राज्य धीरे-धीरे बढ़ा रहे थे छोटे-छोटे राज्यों पर अंग्रेज़ युद्ध करते, उन्हें हराकर अपने राज्य में मिला लेते। ऐसे वातावरण में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध संघर्ष किया। भारतवासियों में जोश और उत्साह की लहर जगी। स्वतंत्रता की चिंगारी धीरे-धीरे भारत में फैलने लगी थी ।
प्रश्न 2. सुभद्रा कुमारी चौहान लक्ष्मीबाई को ‘मर्दानी’ क्यों कहती हैं?
उत्तर लक्ष्मीबाई वीरागंना स्त्री होते हुए भी उनमें साहस और जोश था। उन्होंने पुरुषों के वेश में पुरुषों की भाँति युद्ध किया। वीरता के साथ घमासान युद्ध करके लेफ्टिनेंट वॉकर को हरा दिया था। वॉकर घायल होकर युद्ध भूमि से भाग गया था। लक्ष्मीबाई ने अपने शौर्य, पराक्रम और वीरता का परिचय दिया, इसलिए सुभद्रा कुमारी चौहान ने लक्ष्मीबाई के लिए ‘मर्दानी’ शब्द का प्रयोग किया है।
खोजबीन (पृष्ठ संख्या 63)
प्रश्न 1. ‘बरछी’, ‘कृपाण’, ‘कटारी’ उस जमाने के हथियार थे। आजकल के हथियारों के नाम पता करो।
उत्तर आजकल युद्ध तीन प्रकार से किया जाता है— जल, थल और वायु । युद्ध में टैंक, पैटनटैंक, तोपों, बंदूकों, बम-बारूद, मिसाइलों का प्रयोग किया जाता है। आवश्यकतानुसार लड़ाकू हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर, समुद्री जहाजों का प्रयोग भी किया जाता है।
प्रश्न 2. लक्ष्मीबाई के समय में अधिक लड़कियाँ ‘वीरांगना’ नहीं हुईं, क्योंकि लड़ना उनका काम नहीं माना जाता था। भारतीय सेनाओं में अब क्या स्थिति है? पता करो।
उत्तर लक्ष्मीबाई के समय में अधिक लड़कियाँ ‘वीरांगना’ नहीं हुईं, क्योंकि लड़ना उनका काम नहीं था। यह बात अक्षरश: सत्य है। लक्ष्मीबाई ने स्वतंत्रता की जो चिंगारी जलाई थी, उसी का परिणाम वर्ष 1947 की ज्वाला है। वर्तमान समय में भारतीय सेनाओं में स्त्रियाँ काफी संख्या में कार्यरत हैं। फिर भी उनकी संख्या पुरुषों के अनुपात में काफी कम है।
भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 63)
नीचे लिखे वाक्यांशों (वाक्य के हिस्सों) को पढ़ो
- झाँसी की रानी
- मिट्टी का घरौंदा
- प्रेमचंद की कहानी
- पेड़ की छाया
- ढाक के तीन पात
- नहाने का साबुन
- मील का पत्थर
- रेशमा के बच्चे
- बनारस के आम
का, के और की दो संज्ञाओं का संबंध बताते हैं। उपरोक्त वाक्यांशों में अलग-अलग जगह इन तीनों का प्रयोग हुआ है। ध्यान से पढ़ो और कक्षा में बताओ कि का, के और की का प्रयोग कहाँ और क्यों हो रहा है?
उत्तर
का, की, के संबंध कारक चिह्न हैं। इन्हें ‘परसर्ग’ भी कहते हैं। वाक्य में इनका प्रयोग संबंधी संज्ञा के अनुसार होता है। स्त्रीलिंग संबंधी संज्ञा के पूर्व की, पुल्लिंग संबंधी संज्ञा के पूर्व का और बहुवचन पुल्लिंग संबंधी संज्ञा के पूर्व के का प्रयोग होता है।
झाँसी की रानी: रानी स्त्रीलिंग है, इसलिए उसके पूर्व की का प्रयोग हुआ है।
पेड़ की छाया : छाया स्त्रीलिंग है, इसलिए उसके पूर्व की का प्रयोग हुआ है।
मील का पत्थर: पत्थर पुल्लिंग है और एकवचन है, इसलिए उसके पहले का का प्रयोग हुआ है।
मिट्टी का घरौंदा घरौंदा: एकवचन पुल्लिंग है, इसलिए उसके पहले का का प्रयोग हुआ है।
ढाक के तीन पात: पात पुल्लिंग बहुवचन है, इसलिए उसके पहले के का प्रयोग हुआ है।
रेशमा के बच्चे: बच्चे पुल्लिंग बहुवचन हैं, इसलिए उसके पहले के का प्रयोग हुआ है।
प्रेमचंद की कहानी: कहानी स्त्रीलिंग है, इसलिए उसके पहले की प्रयोग हुआ है।
नहाने का साबुन साबुन पुल्लिंग एकवचन है, इसलिए उसके पहले का का प्रयोग हुआ है।
बनारस के आम आम पुल्लिंग बहुवचन है, इसलिए उसके पहले के का प्रयोग हुआ है।
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी बहुविकल्पीय प्रश्न
अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)
1. ‘झाँसी की रानी’ किस विधा की रचना है?
(क) कहानी
(ख) कविता
(ग) निबंध
(घ) नाटक
उत्तर (ख) कविता
2. सुभद्रा कुमारी चौहान ने झाँसी की रानी की कथा किसके मुँह से सुनी थी?
(क) अपने अध्यापक के
(ख) मराठों के
(ग) कवियों के
(घ) बुंदेलों के
उत्तर (घ) बुंदेलों के
3. लक्ष्मीबाई का प्रिय खेल था?
(क) सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना
(ख) नकली युद्ध करना
(ग) व्यूह की रचना व शिकार करना
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर (घ) उपरोक्त सभी
4. रानी लक्ष्मीबाई किसकी मुँहबोली बहन थी ?
(क) कुँवर सिंह की
(ख) अजीमुल्ला खाँ की
(ग) नाना धुँधूपंत पेशवा की
(घ) अहमदशाह की
उत्तर (ग) नाना धुंधूपंत पेशवा की
5. नाना साहब कहाँ के रहने वाले थे?
(क) कानपुर के
(ख) ग्वालियर के
(ग) इलाहाबाद के
(घ) झाँसी के
उत्तर (क) कानपुर के
6. ब्रिटिश सरकार ने झाँसी के दुर्ग पर झंडा क्यों फहराया था ?
(क) राजा अमीर था।
(ख) राजा बलवान था ।
(ग) राजा का बहुत राजपाट था।
(घ) राजा निःसंतान मृत्यु को प्राप्त हुआ था।
उत्तर (घ) राजा नि:संतान मृत्यु को प्राप्त हुआ था ।
7. किसके कपड़े और गहने खुलेआम बाजारों में बेचे जा रहे थे
(क) सिपाहियों के
(ख) दरबारियों के
(ग) रानियों और बेगमों के
(घ) मंत्रियों के
उत्तर (ग) रानियों और बेगमों के
8. रानी लक्ष्मीबाई के बचपन का क्या नाम था ?
(क) रोशनी
(ख) वीरांगना
(ग) छबीली
(घ) लक्ष्मी
उत्तर (ग) छबीली
9. ‘दुर्गा के रण – चंडी रूप का’ अवतार किसको माना गया है?
(क) वैष्णों देवी को
(ख) पार्वती जी को
(ग) कौशल्या जी को
(घ) रानी लक्ष्मीबाई को
उत्तर (घ) रानी लक्ष्मीबाई को
10. स्वतंत्रता महायज्ञ किस वर्ष हुआ?
(क) 1854 ई. में
(ख) 1857 ई. में
(ग) 1859 ई. में
(घ) 1862 ई.
उत्तर (ख) 1857 ई. में
11. लक्ष्मीबाई का विवाह किसके साथ हुआ था?
(क) गंगाधर राव के
(ख) ठाकुर कुँवर सिंह के
(ग) अजीमुल्ला के
(घ) ताँत्या टोपे के
उत्तर (क) गंगाधर राव के
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी काव्यांश पर आधारित प्रश्न
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
काव्यांश 1
सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन् सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
1. इन पंक्तियों में ‘फिरंगी’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(क) राजा के
(ख) राजघराने के
(ग) अंग्रेज़ के
(घ) राजवंश के
उत्तर (ग) अंग्रेज़ के
2. झाँसी की रानी का पूरा नाम क्या था ?
(क) लक्ष्मी
(ख) लक्ष्मीबाई
(ग) लक्षमीबाई
(घ) लक्ष्मिबाई
उत्तर (ख) लक्ष्मीबाई
3. गुम हुई आज़ादी की कीमत किसने पहचानी ?
(क) भारतवासियों ने
(ख) अंग्रेजों ने
(ग) बुंदेलों ने
(घ) पुरुषों ने
उत्तर (क) भारतवासियों ने
4. ‘सिंहासन हिल उठे’ से कवयित्री का क्या आशय है?
उत्तर ‘सिंहासन हिल उठे’ से कवयित्री का आशय है कि भारत में क्रांति की भावना के कारण अंग्रेज़ परेशान होने लगे थे। अंग्रेज़ों को लगने लगा था कि अब भारत पर अधिक समय तक शासन करना कठिन है।
5. ‘बूढ़े भारत’ से कवयित्री का क्या तात्पर्य है?
उत्तर भारतवर्ष बहुत वर्षों से गुलाम रहने के कारण धीरे-धीरे शक्तिहीन हो गया है। शक्तिहीन भारत को कवयित्री ने ‘बूढ़ा भारत’ कहा है।
6. सन् सत्तावन की किस घटना के विषय में कवयित्री बात कर रही हैं?
उत्तर कवयित्री ने यहाँ सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की बात कही है। इस स्वतंत्रता संग्राम के बाद ही भारतीयों के मन में पुनः जोश भर आया।
काव्यांश 2
हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
सुभर बुंदेलों की विरुदावली सी वह आई झाँसी में,
चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी।
बुंदेले हरबोलो के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।
1. निम्न में से कौन-सा कथन गलत है?
(क) झाँसी की रानी वीरांगना थी
(ख) गंगाधर राव वैभवशाली शासक थे
(ग) बुंदेलों के वीरों का यशगान गाया गया
(घ) विवाह पूर्व रानी झाँसी में आ गई
उत्तर (घ) विवाह पूर्व रानी झाँसी में आ गई
2. राजमहल में खुशियाँ छाने का क्या कारण था?
(क) चित्रा को पति रूप में अर्जुन मिलना
(ख) झाँसी का धन-दौलत से पूर्ण होना.
(ग) लक्ष्मीबाई का रानी बनकर झाँसी आना
(घ) गंगाधर का झाँसी का शासक बनना
उत्तर (ग) लक्ष्मीबाई का रानी बनकर झाँसी आना
3. भवानी और चित्रा कौन थीं?
(क) नृतकियाँ
(ख) वीरांगनाएँ
(ग) रानियाँ
(घ) ये सभी
उत्तर (ख) वीरांगनाएँ
4. ‘वीरता की वैभव के साथ सगाई’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि रानी वीरांगना थीं और गंगाधर राव वैभवशाली धन-दौलत से परिपूर्ण शासक लक्ष्मीबाई की सगाई झाँसी के राजा के साथ होने पर यह कहा गया कि वीरता की सगाई धन-दौलत के साथ हुई है।
5. काव्यांश में चित्रा व भवानी के उदाहरण द्वारा कवयित्री ने क्या बताने का प्रयास किया है?
उत्तर चित्रा व भवानी के उदाहरण देकर कवयित्री ने वीरांगनाओं की खूबियों को प्रकट किया है, क्योंकि रानी लक्ष्मीबाई भी इन वीरांगनाओं की भाँति थीं।
6. ‘सुभर बुंदेलों की विरुदावलि सी पंक्ति के माध्यम से कवयित्री ने किसके यशगान की बात की है ?
उत्तर प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कवयित्री ने बुंदेलों के वीर योद्धा के यशगान की बात की है।
काव्यांश 3
अनुनय-विनय नहीं सुनता है, विकट फिरंगी की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था, जब यह भारत आया,
डलहौजी ने पैर पसारे अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया,
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महारानी थी,
बुंदेल हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।
1. अंग्रेज भारत में किस रूप में आए थे?
(क) विदेशी
(ख) व्यापारी
(ग) दास
(घ) शासक
उत्तर (ख) व्यापारी
2. किसने लक्ष्मीबाई की वीरता की कथा सुनाई ?
(क) राजाओं ने
(ख) शिवाजी ने
(ग) बुंदेले हरबोलों ने
(घ) रानी ने
उत्तर (ग) बुंदेले हरबोलों ने
3. कवयित्री ने रानी को ‘मर्दानी’ क्यों कहा?
(क) रानी पुरुष थीं
(ख) पुरुषों के समान वीर थीं
(ग) पुरुष रूप पसंद था
(घ) पुरुष रूप में अच्छी लगती
उत्तर (ख) पुरुषों के समान वीर थीं
4. अंग्रेज़ भारतीयों के अनुरोध क्यों नहीं सुनते थे?
उत्तर अंग्रेज़ पूरे भारत पर अपना शासन चाहते थे, इसलिए छोटे-छोटे भारतीय राजाओं के अनुरोध नहीं सुनते थे।
5. भारत में अंग्रेज़ किस विचार से आए थे?
उत्तर अंग्रेज़ भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से आए थे।
6. ‘रानी दासी बनी, दासी अब महारानी थी’ पंक्ति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर झाँसी के राजा की मृत्यु के बाद अंग्रेज़ों ने झाँसी को लावारिस समझकर आक्रमण करके उसपर अपना कब्जा कर लिया था तथा रानी दासी बन गई और दासी महारानी अर्थात् व्यापार करने वाले शासक बनते चले गए।
काव्यांश 4
कुटियों में थी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान, वीर सैनिकों के मन में था, अपने पुरखों का अभिमान, नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान, बहिन छबीली ने रणचंडी का कर दिया प्रकट आह्वान, हुआ यज्ञ प्रारंभ उन्हें तो, सोई ज्योति जगानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।
1. झोंपड़ी व महलों में रहने वाले कैसा जीवन व्यतीत कर रहे थे?
(क) ऐशोआराम का जीवन
(ख) अंग्रेजी शासकों के प्रति सम्मान भाव रखते हुए
(ग) दया, करुणा व प्रसन्न
(घ) कष्टपूर्ण, अपमानित व दुःखी
उत्तर (घ) कष्टपूर्ण, अपमानित व दुःखी
2. निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है ?
(क) लोगों के मन में अंग्रेजों के प्रति रोष था
(ख) वीर सैनिकों के हृदय में पूर्वजों का अभिमान था
(ग) अंग्रेजों ने सोए हुए हृदय में स्वतंत्रता की चिंगारी सुलगाई
(घ) झाँसी की रानी ने रणचंडी रूप धारण कर लिया
उत्तर (ग) अंग्रेजों ने सुप्त हृदय में स्वतंत्रता की चिंगारी सुलगाई।
3. अंग्रेजों से टक्कर लेने हेतु कौन साधन जुटाने में लगे थे?
(क) शिवाजी, नाना धुंधूपंत, ताँत्या टोपे
(ख) शिवाजी, लक्ष्मीबाई, ताँत्या टोपे
(ग) नाना धुंधूपंत पेशवा
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर (ग) नाना धुंधूपंत पेशवा
4. रानी लक्ष्मीबाई ने अपने मन में क्या ठान लिया था?
उत्तर झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को हराने के लिए अपने मन में दृढ़ निश्चय कर लिया। इसके लिए उन्होंने रणचंडी का रूप धारण करने की ठान ली थी।
5. ‘सोई ज्योति जगानी थी’ पंक्ति के माध्यम से कवयित्री ने किसकी ओर संकेत किया है?
उत्तर प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से लागों को युद्ध में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए प्रेरित किया गया है, जिसके लिए लोगों के सोए हुए हृदय में स्वतंत्रता की चिंगारी को जगाना था।
6. स्वतंत्रता हेतु अंग्रेजों से युद्ध करने के लिए लोगों की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर स्वतंत्रता हेतु अंग्रेजों से युद्ध करने के लिए लोग भी वीर सैनिकों के साथ मिलकर अंग्रेजों का सफाया करने के लिए तैयार थे।
काव्यांश 5
रानी गई सिधार, चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी, मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी, अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी, हमको जीवित करने आई, बन स्वतंत्रता नारी थी, दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।
1. ह्यूरोज से युद्ध करते-करते क्या हुआ?
(क) रानी वापस चली गई
(ख) रानी जीत गई
(ग) रानी हार गई
(घ) रानी स्वर्ग सिधार गई
उत्तर (घ) रानी स्वर्ग सिधार गई
2. मृत्यु के समय लक्ष्मीबाई की आयु कितनी थी?
(क) तैंतीस वर्ष
(ख) तेईस वर्ष
(ग) तेरह वर्ष
(घ) तिरेपन वर्ष
उत्तर (ख ) तेईस वर्ष
3. हरबोले लोग कहाँ के निवासी थे?
(क) बादनम के
(ख) नागपुर के
(ग) बुंदेलखंड के
(घ) उत्तराखंड के
उत्तर (ग) बुंदेलखंड के
4. रानी ने भारतीयों के मन में क्या इच्छा जाग्रत की थी?
उत्तर रानी लक्ष्मीबाई ने भारतीयों के मन में स्वतंत्रता की चाह की इच्छा जाग्रत की थी।
5. ‘चिता अब उनकी दिव्य सवारी थी- पंक्ति का क्या तात्पर्य है?
उत्तर ‘चिता अब उनकी दिव्य सवारी थी पंक्ति का तात्पर्य है कि रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो गई और उनकी चिता में आग लगा दी गई।
6. काव्यांश में ‘स्वतंत्रता की नारी’ किसे कहा गया है?
उत्तर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली नारियों में प्रथम रानी लक्ष्मीबाई थी, जिनके बलिदान व त्याग को भारत हमेशा याद रखेगा। अतः झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को स्वतंत्रता की नारी कहा है।
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. बचपन से ही लक्ष्मीबाई को कौन-सी कहानियाँ याद थीं?
उत्तर बचपन से ही लक्ष्मीबाई को शिवाजी की वीरता की कहानियाँ मुँह जुबानी याद थीं।
2. गुम हुई आज़ादी को पाने के लिए क्या किया गया?
उत्तर गुम हुई आजादी को पाने के लिए भारतवासियों ने परतंत्र भारत में आजादी के महत्त्व को समझा और देश को स्वतंत्र कराने के लिए संघर्ष प्रारंभ किया।
3. लक्ष्मीबाई को दुर्गा का अवतार क्यों कहा जाता था ?
उत्तर दुर्गाजी ने जिस प्रकार राक्षसों का संहार किया, उसी प्रकार लक्ष्मीबाई युद्ध क्षेत्र में अंग्रेज़ों का संहार कर रही थीं, इसलिए लक्ष्मीबाई को दुर्गा का अवतार कहा जाता था।
4. झाँसी में खुशियाँ छाई’ का क्या तात्पर्य है?
उत्तर ‘झाँसी में खुशियाँ छाई’ का तात्पर्य है कि झाँसी के राजा का विवाह लक्ष्मीबाई से हुआ। विवाह के अवसर पर वहाँ के निवासी खुशियाँ मना रहे थे।
5. अंग्रेज़ी के समाचार-पत्रों में उन दिनों क्या छप रहा था?
उत्तर अंग्रेज़ी के समाचार-पत्रों में उन दिनों भारत के राजघरानों के वस्त्र और आभूषणों की नीलामी के विज्ञापन छप रहे थे।
6. दुर्भाग्य को किसके हाथों में चूड़ियाँ अच्छी नहीं लगीं?
उत्तर दुर्भाग्य को रानी लक्ष्मीबाई के हाथों में चूड़ियाँ अच्छी नहीं लगीं।
7. रानी लक्ष्मीबाई के विषय में भारतवासी क्या याद रखेंगे?
उत्तर रानी लक्ष्मीबाई के विषय में भारतवासी उनके त्याग, बलिदान और राष्ट्र प्रेम को हमेशा याद रखेंगे।
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी लघु उत्तरीय प्रश्न
1. ‘बूढ़े भारत में आई नई जवानी’ से कवयित्री का क्या तात्पर्य है?
उत्तर भारत कई वर्षों से अंग्रेज़ों की गुलामी में जकड़ा हुआ था। भारतवासी निरुत्साहित और बलहीन से हो गए थे। क्रांति की आग ने इन कमजोर और शक्तिहीन राजाओं में जोश और उत्साह की भावना को जाग्रत कर दिया। पूरे भारतवर्ष में नया उत्साह आ गया।
2. लक्ष्मीबाई के बचपन में क्या शौक थे?
उत्तर लक्ष्मीबाई को बचपन से ही हथियार चलाने का बहुत शौक था। वे कृपाण, ढाल, बरछी और कटारी चलाती थीं। इसके अतिरिक्त उन्हें नकली युद्ध करना, व्यूह की रचना, सेना घेरना, दुर्ग तोड़ना और शिकार खेलना प्रिय थे।
3. बुंदेलखंड के बुंदेलों लोकनायकों द्वारा क्या कथा सुनाई गई?
उत्तर बुंदेलखंड के बुंदेलों लोकनायक द्वारा रानी लक्ष्मीबाई की कहानी सुनाई गई। लक्ष्मीबाई माता-पिता की अकेली संतान थीं। वे बहुत वीर थीं। अंग्रेज़ों से परतंत्र देश को आज़ाद कराने के लिए वे वीरतापूर्वक लड़ीं। युद्ध में लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुई ।
4. डलहौजी क्यों प्रसन्न हुआ था? वह क्या चाहता था?
उत्तर झाँसी के राजा गंगाधर राव की अकाल मृत्यु हो गई। वे नि:संतान थे,
इसलिए डलहौजी बहुत प्रसन्न हुआ था। जिन राज्यों का कोई वारिस नहीं होता था, डलहौजी उस पर अपना अधिकार जमा लेता था। झाँसी राज्य पर भी वह अधिकार करना चाहता था ।
5. अंग्रेज किस रूप में भारत आए थे? उनमें क्या परिवर्तन आ गया था?
उत्तर भारतवर्ष धन-संपत्ति से परिपूर्ण देश था, इसलिए अंग्रेज भारतवर्ष में व्यापारी के रूप में व्यापार करने के उद्देश्य से आए थे। धीरे-धीरे वे शासक बन गए। अंग्रेज छोटे-छोटे कमजोर राज्यों पर आक्रमण करके उन्हें युद्ध में हराकर अपना शासन बढ़ा रहे थे।
6. ‘झाँसी की रानी’ कविता से आपको क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर ‘झाँसी की रानी’ कविता में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का चित्रण प्रस्तुत किया है। इस कविता से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें देश से प्रेम करना चाहिए। देश की स्वतंत्रता के लिए यदि जीवन का बलिदान देना पड़े, तो भी नहीं हिचकना चाहिए। देश की उन्नति और एकता के लिए कर्मठ होकर कार्य करना चाहिए।
NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. झाँसी की रानी के जीवन से हम क्या प्ररेणा ले सकते हैं? अंग्रेजों के कुचक्र के विरुद्ध रानी ने अपनी वीरता का परिचय कैसे दिया?
उत्तर झाँसी की रानी के जीवन से हम देश के लिए मर मिटने, स्वाभिमान से जीने, साहस, दृढ़ निश्चय, विपत्तियों से न घबराने, नारी अबला नहीं सबला है आदि की प्ररेणा ले सकते हैं। अंग्रेज़ों की नीति थी यदि किसी राज्य में कोई राजा संतानहीन मृत्यु को प्राप्त हो जाता था, तो वे उनके राज्य को अपने राज्य में मिला लेते थे।
लक्ष्मीबाई के पति गंगाधर की मृत्यु के उपरांत डलहौजी ने झाँसी के राज्य को अपने राज्य में मिलाने की चाल चली। रानी उसकी चाल को समझ गई। उसने अपनी सेना की तैयारियाँ शुरू कर दी। उसने स्त्रियों को भी सैनिक शिक्षा दी। लक्ष्मीबाई ने डटकर अंग्रेज़ो का मुकाबला किया। उसने अंग्रेज़ों के कई किलों पर भी अधिकार कर लिया। अंत में रानी अंग्रेज़ी सेना के बीच युद्ध में घिर जाती है व युद्ध करते-करते रानी वीरगति को प्राप्त हो जाती है।
2. भारतीयों ने अंग्रेज़ों को दूर करने का निश्चय क्यों किया था? ऐसी कौन-सी विशेषताएँ थी, जिनके कारण मराठे लक्ष्मीबाई को देखकर
उत्तर भारत कई सौ वर्षों तक गुलाम रहा। इस कारण यहाँ के लोग स्वतंत्रता के महत्त्व को भूल गए थे। इस आंदोलन से उन्हें स्वतंत्रता का महत्त्व तो समझ में आ गया। उन्होंने यह भी महसूस किया कि फिरंगी धीरे-धीरे अपने साम्राज्य का विस्तार कर रहे हैं। इस कारण भारतीयों ने अंग्रेज़ों को दूर भगाने का निश्चय किया।
रानी लक्ष्मीबाई वीर और साहसी नारी थी उन्हें युद्ध कला में महारथ हासिल थी। नकली युद्ध व्यूह की रचना करना, खूब शिकार खेलना, सेना घेरना और दुर्ग तोड़ना उनके प्रिय खेल थे। लक्ष्मीबाई की इन विशेषताओं को देखकर मराठे बहुत पुलकित होते थे।
3. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में किन-किन वीरों ने अपनी कुर्बानी दी अंग्रेज़ों ने किन राज्यों पर अधिकार जमाया था? वर्तमान समय में सेना में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएँ भी बढ़-चढ़कर भाग क्यों ले रही हैं?
उत्तर 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम में ताँत्या टोपे, अजीमुल्ला, ठाकुर कुँवर सिंह, नाना धुँधूपंत, अहमद शाह मौलवी आदि वीरों ने अपनी कुर्बानी दी व अंग्रेज़ों ने 1857 के स्वाधीनता संग्राम में दिल्ली, लखनऊ, पंजाब, उदयपुर, सिंध, बर्मा, कर्नाटक, सतारा, मद्रास तंजौर, बंगाल आदि राज्यों पर अपना अधिकार कर लिया।
वर्तमान समय में सेना के क्षेत्र में महिलाएँ भी बढ़-चढ़कर भाग लेती हैं। यह पूरी तरह उचित है, क्योंकि आज के समय में महिलाएँ प्रत्येक क्षेत्र में सक्षम बनना चाहती हैं। वहीं सेना के कार्यक्षेत्र में महिलाओं का आगे आना एक सराहनीय कार्य है। महिलाओं के अंदर मानवीय भावना, दया, सहनशीलता, करुणा आदि कूट-कूट कर भरी होती है। हर किसी परिस्थिति को महिलाएँ आराम से काबू पाने में सक्षम होती हैं। इसके अतिरिक्त आर्थिक रूप से सक्षमता के लिए भी कार्य करने में अति उत्तम हैं।.