NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 5 साथी हाथ बढ़ाना Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 5 साथी हाथ बढ़ाना Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 5 साथी हाथ बढ़ाना पाठ का सार

‘साथी हाथ बढ़ाना’ कविता प्रसिद्ध कवि | (शायर) साहिर लुधियानवी द्वारा रचित है। इस गीत के द्वारा कवि ने संगठन की महत्ता पर बल दिया है। कवि कहता है कि मिल-जुलकर काम करने से बड़ी-बड़ी मुसीबतें भी समाप्त हो जाती हैं। जब भी मेहनत करने वालों ने अपना कदम आगे बढ़ाया, उनकी मुसीबतें समाप्त हो गई और रास्ते स्वयं बनते चले गए। परिश्रम करने व एक-दूसरे के साथ सहयोग करने से मनुष्य कुछ भी हासिल कर सकता है।

कवि के अनुसार, सुख-दुःख का चक्र जीवन में हमेशा आता रहता है। हमें हर परिस्थिति में हमेशा अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहना चाहिए। दुनिया में हर बड़ी चीज छोटी-छोटी चीजों से मिलकर ही बनी है। एक-दूसरे के साथ संगठित होकर मनुष्य अपने भाग्य को बदल सकता है।

काव्यांशों की विस्तृत व्याख्या

काव्यांश 1

साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया।
सागर ने रास्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया
फ़ौलादी हैं सीने अपने फ़ौलादी हैं बाँहें
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें
साथी हाथ बढ़ाना।

शब्दार्थ बोझ भार, हाथ बढ़ाना सहायता करना, कदम-पैर, सागर-समुद्र, सीस-सिर, फौलाबी-मजबूत, चट्टान- बड़ा भारी कठोर पत्थर

संदर्भ प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक वसंत भाग-1 में संकलित ‘साथी हाथ बढ़ाना’ कविता से ली गई हैं। इसके रचयिता प्रसिद्ध गीतकार ‘साहिर लुधियानवी’ हैं।

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प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने मिल-जुलकर कार्य करने के महत्त्व को दर्शाया है। मनुष्य यदि मिल-जुलकर कार्य करे, तो कठिन से कठिन कार्य करने में भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवि लोगों को मिल-जुलकर कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है। यदि मनुष्य अकेले कार्य करेगा, बोझ उठाएगा तो वह शीघ्र ही थक जाएगा। हमें मिलकर दूसरों का हाथ बँटाते हुए कार्य करना चाहिए। मिल-जुलकर बोझ उठाने से बोझ सरलता से उठाया जा सकता है और हर कार्य सरलता से पूरा हो सकता है। मिल-जुलकर कदम बढ़ाया, उनके सामने आने वाली बाधाएँ हट गईं।

जब भी परिश्रम करने वाले लोगों ने किसी भी कार्य के लिए मिलकर कार्य करने वालों के लिए समुद्र ने भी रास्ता दे दिया, पर्वत भी झुक गया अर्थात् एकजुट होकर कार्य करने वालों को कोई भी बाधा आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती।

परिश्रमी लोगों का सीना और हाथ फौलाद अर्थात् लोहे के समान मजबूत होते हैं। मेहनती लोग यदि चाहें तो चट्टानों में भी रास्ते बना सकते हैं अर्थात् कठिन से कठिन कार्य भी पूरा कर सकते हैं।

विशेष

  1. प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने मनुष्य को मिलकर काम करने का संदेश दिया है।
  2. इन पंक्तियों में लय तथा संगीतात्मकता है।
  3. प्रत्येक पंक्ति का अंतिम शब्द तुकांत है।

काव्यांश 2

मेहनत अपने लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना
कल गैरों की खातिर की आज अपनी खातिर करना
अपना दुःख भी एक है साथी
अपना सुख भी एक अपनी मंज़िल सच की मंजिल,
अपना रास्ता नेक साथी हाथ बढ़ाना।

शब्दार्थ गैर अपरिचित, जिन्हें जानते न हों, खातिर के लिए मंजिल-लक्ष्य, उद्देश्य, ध्येय, नेक भला

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने मनुष्य को परिश्रम करके सभी कठिनाइयों पर विजय पाने और अपने इन साथियों को मिलकर देश के नव निर्माण के लिए कार्य करने, लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए कहा है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवि अपने साथियों से कहता है कि परिश्रम करने से डरना नहीं चाहिए। परिश्रम करना अपने भाग्य में ही लिखा है। जब तक हमारा देश गुलाम था तब तक हमने विदेशियों के लिए कार्य किए, किंतु आज हम स्वतंत्र हैं। अब हमें अपने देश की उन्नति के लिए कार्य करना चाहिए। हम सभी, जो साथ में कार्य करते रहे हैं, सुख और दुःख के साथी हैं। हमारा लक्ष्य सत्य को प्राप्त करना है तथा हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिल-जुलकर आगे बढ़ना चाहिए।

विशेष

  1. कवि ने देश की उन्नति के लिए सहयोग भावना के साथ कार्य करने पर बल दिया है।
  2. कहीं-कहीं उर्दू शब्दों का सहज रूप से प्रयोग किया है। जैसे खातिर, गैर, मंजिल, आदि।

काव्यांश 3

एक-से-एक मिले तो कतरा बन जाता है दरिया
एक-से-एक मिले तो ज़र्रा, बन जाता है सेहरा
एक-से-एक मिले तो राई, बन सकती है पर्वत
एक-से-एक मिले तो इंसाँ बस में कर ले किस्मत
साथी हाथ बढ़ाना।

शब्दार्थ दरिया नदी, जर्रा धूल का कण, सेहरा रेगिस्तान, राई -सरसों, किस्मत भाग्य

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने आपस में एकता बनाकर रखने का संदेश दिया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवि संगठन में शक्ति को स्पष्ट करते हुए बताता है कि एक-एक बूँद एकत्र होकर सागर का रूप ले लेती है, धूल का एक-एक कण एकत्र होकर रेगिस्तान का रूप ले लेता है तथा एक-एक राई का दाना भी एकत्रित होकर पहाड़ का आकार ले लेता है, इसी प्रकार मनुष्य भी यदि मिलकर कार्य करें, तो अपने भाग्य को वश में कर सकते हैं। मनुष्य को आपसी सहयोग के साथ कार्य करना चाहिए।

विशेष

  1. कवि ने बताया है कि एकत्रित होकर छोटी वस्तुएँ भी बड़े आकार में परिवर्तित हो जाती हैं।
  2. उर्दू शब्दों का सहजतापूर्वक प्रयोग किया है; जैसे-कतरा जर्रा आदि।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 5 साथी हाथ बढ़ाना पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

गीत से (पृष्ठ संख्या 29)

प्रश्न 1. इस गीत की किन पंक्तियों को तुम अपने आस-पास की जिंदगी में घटते हुए देख सकते हो?

उत्तर इस गीत की निम्न पंक्तियों को हम अपने आस-पास की जिंदगी में घटते हुए देख सकते हैं

  • हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया
  • एक-से-एक मिले तो कतरा बन जाता है दरिया एक-से-एक मिले तो ज़र्रा बन जाता है सेहरा

प्रश्न  2. ‘सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया’ – कवि ने ऐसा क्यों कहा है? लिखिए।

उत्तर कवि ने ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि संगठन में इतनी शक्ति होती है कि वह बड़ी से बड़ी बाधाओं को भी दूर कर सकती है। कवि ने समुद्र तथा पर्वत के उदाहरण द्वारा समझाने का प्रयत्न किया है कि मिलकर कार्य

करने वालों के लिए समुद्र भी रास्ता छोड़ देता है तथा पर्वत भी शीश झुका देता है अर्थात् उन्हें कोई भी बाधा आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती है। कठिन से कठिन लक्ष्य भी सरलता से प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 3.  गीत में सीने और बाँहों को फ़ौलादी क्यों कहा गया है?

उत्तर गीत में मनुष्य के सीने और बाँहों को फौलादी इसलिए कहा गया है, क्योंकि मनुष्य में परिश्रम करने की असीम क्षमता होती है। सदा परिश्रम करके मनुष्य ने सफलता प्राप्त की है। परिश्रम करने के लिए मन में पक्के विश्वास की आवश्यकता होती है। दृढ़ निश्चय और परिश्रम से लक्ष्य की प्राप्ति संभव है।

गीत से आगे (पृष्ठ संख्या 29)

प्रश्न 1. अपने आसपास तुम किसे ‘साथी’ मानते हो और क्यों? इससे मिलते-जुलते कुछ और शब्द खोजकर लिखिए।

उत्तर मैं अपने आस-पास परिवार के लोगों, मित्रों, प्रकृति, पशु-पक्षियों सभी को अपना साथी मानता / मानती हूँ। ये सभी लोग सदैव किसी-न-किसी रूप में मेरे कार्यों में सहयोग देते हैं। मिलते-जुलते शब्द मित्र, गीत, सहचर, संगी, दोस्त, सहयोगी, हितैषी, शुभचिंतक, सहपाठी आदि ।

प्रश्न 2. ‘अपना दुःख भी एक है साथी अपना सुख भी एक ‘ कक्षा, मोहल्ले और गाँव / शहर के किस-किस तरह के साथियों के बीच तुम्हें इस वाक्य की सच्चाई महसूस होती है और कैसे?

उत्तर हमारी कक्षा व मोहल्ले में साथियों के साथ खेल में हार-जीत होने पर एक-सी ही भावना होती है। खेल या प्रतियोगिता में सफल होने पर सबको खुशी होती है और असफल होने पर सबको दुःख होता है। गाँव और शहर में बिजली की कटौती होने पर, जल की समस्या, बाढ़ व भूकंप आने पर सभी को एक समान कष्ट होता है।

प्रश्न 3. इस गीत को तुम किस माहौल में गुनगुना सकते हो ?

उत्तर इस गीत को हम विभिन्न माहौल में गुनगुना सकते हैं; जैसे- अंत्याक्षरी खेलते समय, विद्यालय व मोहल्ले में मनाए जाने वाले उत्सव व राष्ट्रीय पर्वों आदि पर ।

प्रश्न 4. ‘एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना’

  1. तुम अपने घर में इस बात का ध्यान कैसे रख सकते हो?
  2. पापा के काम और माँ के काम क्या-क्या हैं?
  3. क्या वे एक-दूसरे का हाथ बँटाते हैं?

उत्तर

  1. घर में अपनी माँ के कामों में हाथ बँटाकर इस बात का ध्यान रख सकते हैं।
  2. पापा का काम ऑफिस जाना या व्यवसाय सँभालना, बाज़ार से सामान लाना है और माँ का काम खाना पकाना, घर की व्यवस्था करना, मेरी और भाई बहन की पढ़ाई में सहायता करना है।
  3. हाँ, वे कभी-कभी एक-दूसरे का हाथ बँटाते हैं।

प्रश्न 5. यदि तुमने ‘नया दौर’ फ़िल्म देखी है, तो बताओ कि यह गीत फ़िल्म में कहानी के किस मोड़ पर आता है। यदि तुमने फिल्म नहीं देखी है तो फ़िल्म देखो और बताओ ।

उत्तर ‘नया दौर’ फिल्म में अभिनेता कच्ची सड़क को पक्का करने के लिए अपने साथियों के साथ काम करते हुए यह गीत गाता है। इस गीत से उनमें स्फूर्ति और जोश की भावना आती है।

कहावतों की दुनिया (पृष्ठ संख्या 30)

प्रश्न 1. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता । एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं।

(क) ऊपर लिखी कहावतों का अर्थ गीत की किन पंक्तियों से मिलता-जुलता है?
(ख) इन दोनों कहावतों का अर्थ कहावत – कोश में देखकर समझो और उनका वाक्यों में प्रयोग करो।

उत्तर

(क) ऊपर लिखी कहावतों का अर्थ गीत की निम्नलिखित पंक्तियों से मिलता-जुलता है

  1. साथी हाथ बढ़ाना – एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना
  2. एक से एक मिले तो कतरा बन जाता है दरिया
    एक-से-एक मिले तो ज़र्रा, बन जाता है सेहरा
    एक-से-एक मिले तो राई, बन सकती है परबत
    एक-से-एक मिले तो इंसाँ बस में कर ले किस्मत

(ख)

  1. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता काम नहीं कर सकता। – अकेला आदमी बड़ा
    • आपसी बैर- र-भाव के कारण अनेक राजा अंग्रेजों से हार रहे थे, क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है।
  2. एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं। संगठन में शक्ति होती है। मैंने अपने मित्रों के साथ मिलकर आतंकवादियों को पकड़वा दिया, क्योंकि एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं।

प्रश्न 2. नीचे हाथ से संबंधित कुछ मुहावरे दिए गए हैं। इनके अर्थ समझो और प्रत्येक मुहावरे से वाक्य बनाओ

(क) हाथ को हाथ न सूझना
(ख) हाथ साफ करना
(ग) हाथ-पैर फूलना
(घ) हाथों-हाथ लेना
(ङ) हाथ लगना

उत्तर

(क) हाथ को हाथ न सूझना कुछ भी दिखाई न देना

  • घनघोर अंधकार होने के कारण हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था।

(ख) हाथ साफ करना गायब कर देना

  • नौकर ने तिजोरी तोड़कर गहनों पर हाथ साफ कर दिया।

(ग) हाथ-पैर फूलना घबरा जाना

  • कठिन प्रश्न-पत्र देखकर छात्रों के हाथ-पैर फूल गए।

(घ) हाथों-हाथ लेना सम्मान देना

  • विदेशों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को हाथों-हाथ ले रहे हैं।

(ङ) हाथ लगना कुछ मिल जाना

  • लाटरी खुलने पर रोहन को ₹20 लाख हाथ लगे।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 30 व 31)

प्रश्न 1. हाथ और हस्त एक ही शब्द के दो रूप हैं। नीचे दिए शब्दों में हस्त और हाथ छिपे हैं। शब्दों को पढ़कर बताओ कि हाथों का इनमें क्या काम है?

  • हाथघड़ी
  • निहत्था
  • हथकंडा
  • हस्तशिल्प
  • हस्ताक्षर
  • हस्तक्षेप
  • हथकरघा

उत्तर

  • हाथघड़ी इस घड़ी को हाथ में पहना जाता है।
  • हथौड़ा यह एक ऐसा औजार है, जिसे हाथ में पकड़कर चलाया जाता है।
  • हस्तशिल्प हाथ से करने वाली कारीगरी / शिल्पकारी ।
  • हस्तक्षेप दखल देना

नोट हस्तक्षेप में हाथ का कोई काम नहीं होता ।

  • निहत्था जिसके हाथ में कोई हथियार न हो ।
  • हथकंडा बुरा कार्य करने के लिए अपनाया जाने वाला कोई अनुचित तरीका
  • हस्ताक्षर हाथ से अपने नाम का दस्तखत करना ।
  • हथकरघा हाथ से कपड़ा बुनने का कार्य करने वाला यंत्र ।

प्रश्न 2. इस गीत में परबत, सीस, रस्ता, इंसाँ जैसे शब्दों के प्रयोग हुए हैं। इन शब्दों के प्रचलित रूप लिखो

उत्तर

  • परबत – पर्वत
  • रस्ता – रास्ता
  • सीस – सिर
  • इंसाँ – इंसान

प्रश्न 3. ‘कल गैरों की खातिर की, आज अपनी खातिर करना- इस वाक्य को गीतकार इस प्रकार कहना चाहता है- (तुमने) कल गैरों की खातिर (मेहनत की, आज (तुम) अपनी खातिर करना ।

इस वाक्य में ‘तुम’ कर्ता है, जो गीत की पंक्ति में छंद बनाए रखने के लिए हटा दिया गया है। उपर्युक्त पंक्ति में रेखांकित शब्द ‘अपनी‘ का प्रयोग कर्ता ‘तुम’ के लिए हो रहा है, इसलिए यह सर्वनाम है। ऐसे सर्वनाम जो अपने आपके बारे में बताएँ निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं (निज का अर्थ ‘अपना’ होता है)। निजवाचक सर्वनाम के तीन प्रकार होते हैं, जो नीचे दिए वाक्यों में रेखांकित हैं

  • मैं अपने आप या आप घर चली जाऊँगी।
  • बब्बन अपना काम खुद करता है।
  • सुधा ने अपने लिए कुछ नहीं खरीदा।

अब तुम भी निजवाचक सर्वनाम के निम्नलिखित रूपों का वाक्यों में प्रयोग करो

  • अपने को
  • अपने पर
  • अपने से
  • अपने लिए
  • अपना
  • आपस में

उत्तर

  • अपने को – रूपा अपने को सबसे सुंदर समझती है।
  • अपने से – अपने से बड़ों का सदैव आदर करो।
  • अपना – हमें अपना कार्य स्वयं करना चाहिए।
  • अपने पर – सदैव अपने पर भरोसा रखना चाहिए।
  • अपने लिए – मैंने अपने लिए दो स्वैटर खरीदे थे।
  • आपस में – कक्षा में हम सब विद्यार्थी आपस में मिल-जुलकर रहते हैं।

कुछ करने को (पृष्ठ संख्या 31)

बातचीत करते समय हमारी बातें हाथ की हरकत से प्रभावशाली होकर दूसरे तक पहुँचती हैं। हाथ की हरकत से या हाथ के इशारे

से भी कुछ कहा जा सकता है।

नीचे लिखे हाथ के इशारे किन अवसरों पर प्रयोग होते हैं? लिखो ।

  • ‘क्यों पूछते हाथ
  • बुलाते हाथ
  • जोश दिखाते हाथ
  • मना करते हाथ
  • आरोप लगाते हाथ
  • समझाते हाथ
  • चेतावनी देते हाथ

उत्तर

  • ‘क्यों पूछते हाथ जब कुछ जानना होता है, जब कुछ पूछना होता है।
  • मना करते हाथ हाथ के इशारे से किसी बात के लिए मना करना होता है।
  • समझाते हाथ हाथ के इशारे से किसी बात को समझाना ।
  • बुलाते हाथ किसी को बुलाने के लिए इशारा करते समय ।
  • आरोप लगाते हाथ किसी पर दोष लगाते हुए हाथ की अँगुली का इशारा |
  • चेतावनी देते हाथ अँगुली या हाथ के इशारे से संकेत करते हैं।
  • जोश दिखाते हाथ दोनों हाथ उठाकर जोश या उत्साह दिखाते हैं

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 5 साथी हाथ बढ़ाना बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. ‘साथी हाथ बढ़ाना’ के रचनाकार निम्नलिखित में से हैं

(क) सुमित्रानंदन पंत
(ख) दिलीप एम. साल्वी
(ग) विष्णु प्रभाकर
(घ) साहिर लुधियानवी

उत्तर (घ) साहिर लुधियानवी

2. राई का पर्वत कैसे बनता है?

(क) व्यापारियों द्वारा खरीदे जाने पर
(ख) एक से एक मिलते चले जाने पर
(ग) वर्षा होने पर
(घ) खेत में पैदा होने पर

उत्तर (ख) एक से एक मिलते चले जाने पर

3. किसके सहारे मनुष्य अपना भाग्य बना सकता है?

(क) मेहनत के
(ख) किस्मत के
(ग) खेल के
(घ) धन के

उत्तर (क) मेहनत के

4. गीतकार कहाँ राहें पैदा करने की बात कह रहा है?

(क) वन में
(ख) समुद्र में
(ग) चट्टानों में
(घ) हवा में

उत्तर (ग) चट्टानों में

5. यह गीत किसे संबोधित करता है?

(क) देशवासियों को
(ख) विदेशियों को
(ग) रिश्तेदारों को
(घ) परिवार को

उत्तर (क) देशवासियों को

6. ‘साथी हाथ बढ़ाना’ यह वाक्य किस ओर संकेत करता है?

(क) एकसाथ रहना
ख) मिलकर कार्य करना
(ग) मिल-जुलकर टहलना
(घ) एकसाथ घूमना

उत्तर (ख) मिलकर कार्य करना

7. चट्टानों से रास्ता कौन निकाल सकता है?

(क) जानवर
(ख) खच्चर
(ग) पक्षी
(घ) इंसान

उत्तर (घ) इंसान

8. अपनी सुख-सुविधाओं की परवाह किए बगैर हमने किसके लिए कार्य पूरे किए हैं?

(क) अपनों के लिए
(ख) देश के लिए
(ग) गैरों के लिए उत्तर
(घ) दुश्मनों के लिए

उत्तर (ग) गैरों के लिए

9. हमारा लक्ष्य क्या है?

(क) सत्य की प्राप्ति
(ख) उन्नति
(ग) पथराही
(घ) देशों को प्यार करना

उत्तर (क) सत्य की प्राप्ति

10. इस गीत में श्रमिकों को क्या कहा गया है?

(क) बीमार व्यक्ति
(ख) स्त्रियाँ
(ग) युवक
(घ) साथी

उत्तर (घ) साथी

11. एकता और संगठन में क्या निहित होता है?

(क) शक्ति
(ख) खून
(ग) पसीना
(घ) हवा

उत्तर (क) शक्ति

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 5 साथी हाथ बढ़ाना काव्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

काव्यांश 1

साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा, मिल-जुलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनत वालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया।
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया ।
फौलादी हैं सीने अपने फौलादी हैं बाँहें।
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें

1. कवि ने साथी शब्द का प्रयोग किनके लिए किया है?

(क) भारतवासियों के लिए
(ख) विदेशियों के लिए
(ग) परिवार वालों के लिए
(घ) सहपाठियों के लिए

उत्तर (क) भारतवासियों के लिए

2. मनुष्य के अकेले बोझ उठाने से क्या होगा?

(क) बीमार हो जाएगा
(ख) थक जाएगा
(ग) सो जाएगा
(घ) रुक जाएगा

उत्तर (ख) थक जाएगा

3. ‘फौलादी’ शब्द का अर्थ है।

(क) मजबूरी
(ख) कमजोर भावनाएँ
(ग) मजदूरी
(घ) मजबूत इरादे

उत्तर (घ) मजबूत इरादे

4. ‘एक अकेला थक जाएगा, मिल-जुलकर बोझ उठाना’ का क्या तात्पर्य है?

उत्तर प्रस्तुत पंक्ति का तात्पर्य है कि मिलकर कार्य करने से कठिन से कठिन कार्य भी सरल लगने लगता है। कठिन कार्य को मिलकर सरलता से किया जा सकता है।

5. सागर अपना रास्ता कब छोड़ देता है और पर्वत कब सीस झुकाता है?

उत्तर जब लोग संगठित होकर मिल-जुलकर कार्य करते हैं, कदम बढ़ते हैं तो मार्ग में आने वाली बाधाएँ भी हट जाती हैं अर्थात् बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं। कवि ने सागर और पर्वत का उदाहरण देकर अपनी इसी बात को समझाने का प्रयास किया है।

6. सीने और बाँहें फौलादी होने से क्या संभव है?

उत्तर कवि ने कहा है कि हम भारतवासी दृढनिश्चयी हैं तथा हमारे इरादे पक्के हैं, जो परिश्रम व कर्मवीर होते हैं उनकी भुजाएँ फौदाल अर्थात् लोहे की तरह मजबूत होती हैं जो मेहनत करने से नहीं घबराते उनके लिए लक्ष्य की प्राप्ति संभव है।

काव्यांश 2

साथी हाथ बढ़ाना।
मेहनत अपने लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना
कल गैरों की खातिर की आज अपनी खातिर करना,
अपना दुःख भी एक है साथी अपना सुख भी एक
अपनी मंजिल सच की मंजिल, अपना रस्ता नेक
साथी हाथ बढ़ाना।

1. मेहनत करने वालों ने अभी तक किसकी खातिर काम किया है?

(क) अपनों के
(ख) घर के
(ग) सबके
(घ) गैरों के

उत्तर (घ) गैरों के

2. कवि ने किससे न डरने के लिए कहा है?

(क) लोगों से
(ख) मेहनत से से
(ग) सुख से
(घ) दुःख

उत्तर (घ) दुःख से

3. एक साथ काम करने वालों का सुख-दुःख कैसा होता है?

(क) अलग-अलग
(ख) मिला हुआ
(ग) एक समान
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ग) एक समान

4. ‘मेहनत अपने लेख की रेखा’ से कवि का क्या तात्पर्य है?

उत्तर ‘मेहनत अपने लेख की रेखा’ से कवि का तात्पर्य है कि मेहनत करना हमारे भाग्य में ही लिखा है। अतः हमें मेहनत करने से नहीं डरना चाहिए।

5. कवि ‘अपना दुःख भी एक है साथी पंक्ति द्वारा देशवासियों की किस भावना को उजागर करना चाहता है?

उत्तर प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि हम सभी देशवासियों के सुख-दुःख एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। एक साथ कार्य करने वाले, एक साथ रहने वाले लोगों को एक ही प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है अर्थात् किसी भी कठिनाई का सुख व दुःख सभी देशवासियों को समान होता है। कवि ने यहाँ देशवासियों की समान भावनाओं को उजागर करना चाहा है।

6. कवि के अनुसार, मंजिल कैसी है?

उत्तर कवि ने सत्य की प्राप्ति को मंजिल बताया है, उस पर चलने वाले लोगों का रास्ता भला है अर्थात् उसे पाने हेतु हमारी भावनाएँ नेक व परोपकारी हैं। भलाई के रास्ते पर चलकर सत्य की मंजिल तक पहुँचा जा सकता है।

काव्यांश 3

एक से एक मिले तो कतरा, बन जाता है दरिया
एक से एक मिले तो जर्रा, बन जाता है सेहरा
एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत
एक से एक मिले तो इंसाँ बस में कर ले किस्मत साथी हाथ बढ़ाना

1. निम्नलिखित में से ‘इंसा’ का प्रचलित रूप कौन-सा है?

(क) इसा
(ख) लोग
(ग) इंसान
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ग) इंसान

2. राई के एकत्र होने से क्या होगा?

(क) पर्वत बन जाएगा
(ख) दरिया बन जाएगा
(ग) आकाश बन जाएगा
(घ) कुछ न होगा

उत्तर (क) पर्वत बन जाएगा

3. मिलकर कार्य करने से मनुष्य किसे वश में कर सकता है?

(क) देश को
(ख) परिवार को
(ग) मित्रों को
(घ) किस्मत को

उत्तर (घ) किस्मत को

4. कवि ने ‘एक से एक मिले’ शब्दों को चारों पंक्तियों में बार-बार क्यों प्रयोग किया?

उत्तर कवि ने एक-से-एक मिले शब्दों को बार-बार अनेक उदाहरणों को देने के लिए प्रयोग किया है। इन उदाहरणों द्वारा कवि संगठन की शक्ति को बता रहे हैं।

5. ‘एक से एक मिले तो जर्रा, बन जाता है सेहरा’ का क्या तात्पर्य है?

उत्तर व्यक्ति यदि मिल-जुलकर सहयोग के साथ कार्य करे, तो उसकी शक्ति संगठित हो जाती है और इससे देश का विकास होगा।

6. क्या इंसान किस्मत को वश में कर सकता है?

उत्तर हाँ, इंसान किस्मत को वश में कर सकता है। इंसान अपनी मेहनत से ही अपनी किस्मत को बनाता है। दृढ़ निश्चय और मेहनत से इंसान कार्य करे, तो किस्मत स्वयं ही बन जाती है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 5 साथी हाथ बढ़ाना अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. कविता में मिलकर क्या उठाने की बात कही गई है?

उत्तर कविता में कवि ने मिल-जुलकर बोझ उठाने की बात कही है।

2. ‘मेहनत से क्या डरना’ का क्या आशय है?

उत्तर मजदूर अभी तक कठोर मेहनत करता रहा है, उसे मेहनत करने की आदत है, इसलिए उसे मेहनत से डर नहीं लगता है।

3. कवि ने ‘अपना’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया है?

उत्तर कवि ने इस कविता में ‘अपना’ शब्द अपने जैसे मजदूरों के लिए प्रयोग किया है, जो मेहनत करके अपनी जीविका चलाते हैं।

4. अभी तक मजदूर किसके लिए काम करता था और क्यों?

उत्तर अभी तक मजदूर अपनी जीविका चलाने के लिए पूँजीपतियों के लिए काम करता था, क्योंकि इसी से मजदूर के परिवार का पालन-पोषण होता था।

5. कविता के अनुसार हमारा रास्ता कैसा है ?

उत्तर कविता के अनुसार, हमारा रास्ता भलाई का रास्ता है।

6. यदि जर्रा जर्रा मिल जाए तो क्या संभव है?

उत्तर यदि जर्रा जर्रा मिल जाए, तो रेगिस्तान का बनना संभव है।

7. ‘साथी हाथ बढ़ाना’ गीत हमें क्या शिक्षा देता है?

उत्तर साथी हाथ बढ़ाना गीत हमें यह शिक्षा देता है कि हमें आपस में मिलकर काम करना चाहिए, जिससे मुश्किल से मुश्किल काम भी आसानी से हो जाता है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 5 साथी हाथ बढ़ाना लघु उत्तरीय प्रश्न

1. साथी हाथ बढ़ाना का क्या तात्पर्य है? यहाँ कवि ने साथी किसे कहा है?

उत्तर इस कविता में कवि ने ‘साथी’ शब्द का प्रयोग अपने ही जैसे और लोगों के लिए किया है, जो मेहनत करते हैं। वे सभी मेहनत और मिल-जुलकर काम करें, तो काम सरल हो जाएगा। अकेले काम करने से जो थकान होती थी वह कम होगी। अतः मेहनत कर लोगों को काम में दूसरों का हाथ बँटाना चाहिए।

2. मेहनत करने वालों के मिलकर कदम उठाने से क्या होगा?

उत्तर मेहनत करने वाले लोग जब भी मिलकर कदम उठाते हैं तो उनकी शक्ति बहुत बढ़ जाती है। उनके लक्ष्य में किसी भी प्रकार की बाधाएँ टिक नहीं पाती हैं। मेहनत करने वाले मिलकर बाधाओं का सामना करते हैं और उन बाधाओं को दूर कर लेते हैं। वे बाधाएँ पार करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं।

3. इस गीत में सीने और बाहों को फौलादी क्यों कहा गया है?

उत्तर कवि ने ‘फौलादी’ शब्द का प्रयोग मजबूत तथा दृढ़ निश्चय के अर्थ में किया है। कवि के अनुसार मेहनत करने वाले लोग काम करने से नहीं डरते उनके इरादे भी पक्के और मजबूत होते हैं। ये लोग दृढ़ निश्चय के साथ परिश्रम करते हुए कठिन कार्य को बहुत ही आसानी से कर लेते हैं और अपने मजबूत इरादों के साथ लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते हैं।

4. सुख-दुःख के साथी कौन हैं? कविता के अनुसार बताइए ।

उत्तर इस कविता में कवि ने मेहनत करने वालों को साथी कहा है। इन मेहनत करने वाले मजदूरों के सुख-दुःख समान होते हैं। सभी लोग एक-दूसरे के सुख और दुःख में एक-दूसरे का साथ देते हैं। दुःख में एक-दूसरे का सहारा बनते हैं और सुख में सभी खुशी मनाते हैं।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 5 साथी हाथ बढ़ाना दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. साथी हाथ बढ़ाना में कवि ने कहा है ‘मेहनत से क्या डरना’ इस विषय में अपने विचार लिखिए।

उत्तर मेरे अनुसार, मेहनत हर मनुष्य को करनी चाहिए। ईश्वर ने हमें दो हाथ काम करने के लिए दिए हैं। इन दोनों हाथों को मैं ईश्वर का वरदान मानता हूँ। मेरे विचार से मैं जितनी मेहनत करूँगा, उतनी ही सफलता पाऊँगा। इसीलिए मैं अपनी पढ़ाई और खेल दोनों में मेहनत करता हूँ।

पढ़ाई में मेहनत और अभ्यास करने से मुझे अच्छे अंक मिलेंगे। मैं फुटबॉल का खिलाड़ी हूँ और खेल में भी बहुत मेहनत कर रहा हूँ। मुझे पूरी आशा है कि मैं इस वर्ष फुटबॉल टीम का कप्तान चुन लिया जाऊँगा । मेरा मानना है कि मेहनत से नहीं डरना चाहिए। जीवन में लक्ष्य तक मेहनत करने से ही पहुँचा जा सकता है।

2. क्या आप सभी मिलकर काम करते हैं? मिलकर काम करने से क्या होता है? उदाहरण सहित उत्तर दीजिए ।

उत्तर मिलकर सहयोग के साथ काम करने से कठिन से कठिन कार्य भी सरलता से हो जाते हैं। मैं अकसर मिल-जुलकर मित्रों के सहयोग के साथ काम करता हूँ।

मैंने अपने चार मित्रों के साथ परियोजना कार्य किया। मेरे चारों मित्रों ने उसमें सहयोग दिया। अध्यापिका ने इस परियोजना कार्य की बहुत प्रशंसा की। यदि मैं यह परियोजना कार्य अकेले करता, तो कार्य इतना अच्छा न होता, जितना मित्रों के सहयोग से हो सका।

3. ‘एक से एक मिले’ कहकर कवि ने किसे महत्त्व दिया है?

उत्तर ‘एक से एक मिले’ कहकर कवि संगठन तथा सहयोग को महत्त्व दे रहे हैं। यदि भारतवासी मिल-जुलकर काम करें तो असंभव काम भी सरलता से कर सकते हैं।

कवि ने बूँद और धूल के कण का उदाहरण देते हुए बताया है कि एक-एक बूँद मिलकर नदी बन जाती है। इस प्रकार, धूल का एक- एक कण मिलकर पूरा रेगिस्तान का रूप ले लेता है। इसी प्रकार मनुष्य को भी संगठित होकर काम करना चाहिए।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 23 राम और सुग्रीव Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 23 राम और सुग्रीव Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 23 राम और सुग्रीव पाठ का सार

रामसुग्री भेंट

राम-लक्ष्मण ऋष्यमूक पर्वत पर गए। सुग्रीव किष्किंधा के वानरराज के छोटे पुत्र थे, जो ऋष्यमूक पर्वत पर निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे थे।

वे किष्किंधा के मूल निवासी थे, उनका बड़ा भाई बाली था। पिता की मृत्यु के बाद किष्किंधा का राजा ज्येष्ठ पुत्र बाली बना था। राजकाज में मनमुटाव के कारण तथा बाली से अपनी जान बचाने के लिए सुग्रीव अपने साथियों के साथ ऋष्यमूक पर्वत पर रहने लगे थे।

एक दिन जब उसने दो तपस्वी युवकों को अपनी ओर आते हुए देखा, तो उन्हें लगा कि ये बाली के गुप्तचर हैं। तब उन्हें हनुमान ने समझाया और अपना वेश बदलकर उन राजकुमारों के पास पहुँचे।

शिष्टता से प्रणाम करके ने उनका परिचय पूछा। राम-लक्ष्मण ने हनुमान अपना परिचय देकर बताया कि रावण सीता का अपहरण करके ले गया है। वे कबंध और शबरी की सलाह पर सुग्रीव से सीता की खोज करने में सहायता माँगने आए हैं। तब हनुमान अपने मूल रूप में आ गए। उन्होंने राम को प्रणाम करके अपना परिचय दिया कि मैं सुग्रीव का सेवक हनुमान हूँ। हनुमान ने राम-लक्ष्मण को अपने कंधे पर बिठाया और ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव के पास पहुँचा दिया। हनुमान ने दोनों को सुग्रीव से मिलवाया। राम और सुग्रीव ने अग्नि को साक्षी मानकर मित्रता का वचन लिया।

सुग्रीव द्वारा सहायता का वचन देना

राम ने सुग्रीव को सीता हरण की बात बताई। अचानक सुग्रीव को कुछ याद आया । सुग्रीव ने बताया कि रावण का रथ इसी पर्वत के ऊपर से गया था। निश्चित रूप से वह सीता माता ही होंगी।

स्वयं को छुड़ाने के लिए वे प्रयास कर रही थीं और वानरों को देखकर उन्होने आभूषणों की पोटली नीचे फेंक दी थी। सुग्रीव द्वारा आभूषण दिखाए जाने पर राम और लक्ष्मण ने आभूषण तुरंत पहचान लिए तब सुग्रीव ने उन्हें सीता की खोज करने में सहायता करने का वचन दिया।

सुग्रीव की व्यथा-कथा

सुग्रीव ने राम को अपनी व्यथा-कथा सुनाई कि कैसे बाली ने उसे राज्य से निकाल दिया और उसकी पत्नी को छीन लिया था। संकट के समय हनुमान और नल-नील ने उसका साथ कभी नहीं छोड़ा। सुग्रीव ने राम से सहायता माँगी। राम ने सुग्रीव को आश्वासन दिया कि वह चिंता न करें, उसकी पत्नी और राज्य दोनों ही उसे अवश्य मिल जाएँगे।

राम द्वारा बाली का वध

सुग्रीव ने बाली की शक्ति के विषय में राम को बताया कि वह महाशक्तिशाली है और शाल के सात वृक्षों को एकसाथ झकझोरने की शक्ति रखता है, उसे हराना इतना आसान नहीं है। सुग्रीव की बातें सुनकर राम ने एक तीर चलाया और शाल के सातों वृक्ष एक ही बाण में गिर पड़े। तब उसे राम की शक्ति पर भरोसा हो गया। योजना के अनुसार, सुग्रीव ने बाली को युद्ध के लिए ललकारा। राम-लक्ष्मण और हनुमान सब छिप गए। सुग्रीव के ललकारने पर बाली गरजता हुआ क्रोध में बाहर निकला।

दोनों में भीषण मल्ल युद्ध हुआ। युद्ध में बाली भारी पड़ रहा था। पेड़ के पीछे छिपे हुए राम ने बाली पर तीर नहीं चलाया। सुग्रीव जान बचाकर ऋष्यमूक पर्वत पर आया। वह राम से गुस्सा था कि उन्होंने बाली को नहीं मारा। राम ने सुग्रीव को समझाया कि तुम दोनों के चेहरे मिलते-जुलते हैं। मैं बाली को पहचान नहीं पाया। राम के समझाने पर सुग्रीव ने फिर से किष्किंधा जाकर बाली को युद्ध के लिए ललकारा। बाली अंतःपुर से बाहर आया तभी राम का बाण उसकी छाती में लगा और उसकी मृत्यु हो गई।

सुग्रीव का राज्याभिषेक

सुग्रीव का शीघ्रता से राज्याभिषेक किया गया और बाली के पुत्र अंगद को युवराज का पद दिया गया। राम किष्किंधा से वापस आ गए। वर्षा के कारण सीता की खोज करने जाना संभव नहीं था। अतः कुछ समय के लिए सीता की खोज का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया, परंतु वर्षा बीत जाने पर राम सुग्रीव की वानर सेना की प्रतीक्षा कर रहे थे, परंतु सुग्रीव रास रंग में अपना वचन भूल गया।

हनुमान ने सुग्रीव को उनके वचन को याद दिलाया। वानर सेना एकत्रित करने का काम सेनापति नल को सौंपा गया। पंद्रह दिन बीतने पर भी सेना राम तक न पहुँची।

लक्ष्मण का किष्किंधा गमन

राम को चिंतित देख क्रोध में लक्ष्मण ने किष्किंधा जाकर धनुष की टंकार की, जिसे सुनकर सुग्रीव को राम को दिया हुआ वचन याद आ गया। सुग्रीव ने हनुमान को वानर सेना एकत्र करने का आदेश देकर स्वयं लक्ष्मण के पीछे निकल पड़ा और राम के सामने जाकर उनसे क्षमा माँगी। तब तक हनुमान, जामवंत काफी वानरों तथा भालुओं के साथ वहाँ पहुँच गए।

लंका रोहण की योजना

वानरों के दलों को चार टोलियों में बाँटा गया। वानरों की सेना भेजने से पहले चतुर बुद्धिमान दूतों को भेजे जाने का विचार हुआ। राम और सुग्रीव की जय-जयकार करते वानर अपनी निर्धारित दिशाओं में चले गए।

राम द्वारा हनुमान को अँगूठी देना

राम ने अपनी एक अँगूठी उतारकर हनुमान को दी। राम ने कहा, जब सीता से भेंट हो, तो यह अँगूठी उन्हें दे देना। अँगूठी देखकर सीता समझ जाएँगी कि तुम मेरे दूत हो। अंगद और हनुमान की अगुआई में वानरों की विशाल टोली ऐसे स्थान पर पहुँची, जिसके आगे अपार भयंकर लहरों वाला विशाल समुद्र सामने था ।

संपाति से भेंट

पहाड़ी के पीछे उनकी भेंट विशाल गिद्ध से हुई। वह संपाति था जटायु का बड़ा भाई। उसने बताया, रावण सीता को लंका ले गया है। वहाँ तक पहुँचने के लिए आप लोगों को समुद्र पार करना होगा। सब थके हुए परेशान बैठे थे। जामवंत ने हनुमान से कहा, आप पवन पुत्र हैं। आप में अपार शक्ति है। यह कार्य आप ही कर सकते हैं। आपको जाना होगा। जामवंत ने हनुमान को उसकी शक्ति की याद दिलाई।

शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 9 राम और और सुग्रीव Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 23 राम और सुग्रीव बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. हनुमान ने स्वयं को किसका सेवक बताया था ?

(क) बाली का
(ख) रावण का
(ग) सुग्रीव का
(घ) विभीषण का

उत्तर (ग) सुग्रीव का

2. हनुमान ने राम व लक्ष्मण को ऋष्यमूक पर्वत पर कैसे पहुँचाया?

(क) अपने कंधे पर बैठाकर
(ख) घोड़े गाड़ी द्वारा
(ग) आगे चलकर रास्ता बताते हुए
(घ) वायुयान द्वारा

उत्तर (क) अपने कंधे पर बैठाकर

3. किसकी स्थिति एक जैसी थी ?

(क) सुग्रीव – बाली की
(ख) हनुमान – सुग्रीव की
(ग) सुग्रीव – राम की
(घ) सुग्रीव – लक्ष्मण की

उत्तर (ग) सुग्रीव – राम की

4. सुग्रीव की पत्नी किसने छीन ली थी?

(क) बाली ने
(ख) रावण ने
(ग) अंगद ने
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (क) बाली ने

5. राम का बाण बाली को कहाँ लगा था ?

(क) छाती में
(ख) सिर में
(ग) पेट में
(घ) पैरों में

उत्तर (क) छाती में

6. राम की सलाह पर युवराज पद किसे दिया गया?

(क) नल को
(ख) नील को
(ग) सुग्रीव को
(घ) अंगद को

उत्तर (घ) अंगद को

7. राम ने अपनी अँगुली से अँगूठी उतारकर किसे दे दी ?

(क) सुग्रीव को
(ख) हनुमान को
(ग) अंगद को
(घ) लक्ष्मण को

उत्तर (ख) हनुमान को

8. जामवंत के पीछे किसकी सेना थी?

(क) वानरों की
(ख) मनुष्यों की
(ग) भालुओं की
(घ) घोड़ों की

उत्तर (ग) भालुओं की

9. जटायु के भाई का क्या नाम था ?

(क) जामवंत
(ख) अंगद
(ग) हनुमान
(घ) संपाति

उत्तर (घ) संपाति

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 23 राम और सुग्रीव रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. साधु का वेश बनाकर __________ राम-लक्ष्मण के पास पहुँचे।

उत्तर साधु का वेश बनाकर हनुमान राम-लक्ष्मण के पास पहुँचे।

2. सुग्रीव ___________ का मूल निवासी था।

उत्तर सुग्रीव किष्किंधा का मूल निवासी था।

3. सुग्रीव ‘का छोटा भाई था, दोनों में राजकाज को लेकर मनमुटाव हो गया था।

उत्तर सुग्रीव बाली का छोटा भाई था, दोनों में राजकाज को लेकर मनमुटाव हो गया था।

4. ___________ ने बाली को मार डाला।

उत्तर राम ने बाली को मार डाला।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 23 राम और सुग्रीव

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. राम और लक्ष्मण का अगला पड़ाव क्या था?

उत्तर राम और लक्ष्मण का अगला पड़ाव ऋष्यमूक पर्वत जहाँ सुग्रीव रहते थे, वहाँ पहुँचना था।

2. राम और लक्ष्मण को सुग्रीव से मिलने की सलाह किसने दी थी ?

उत्तर राम और लक्ष्मण को सुग्रीव से मिलने की सलाह कबंध और शबरी दोनों ने ही दी थी।

3. सुग्रीव कौन था?

उत्तर सुग्रीव किष्किंधा के वानरराज बाली का छोटा भाई था।

4. सुग्रीव के प्रमुख साथी कौन थे?

उत्तर सुग्रीव के प्रमुख साथी हनुमान थे।

5. सुग्रीव को किसके डर से ऋष्यमूक पर्वत पर रहने जाना पड़ा था?

उत्तर सुग्रीव को अपने बड़े भाई बाली के डर के कारण ऋष्यमूक पर्वत पर रहने जाना पड़ा था।

6. संकट में पड़ने पर सुग्रीव का साथ किसने दिया?

उत्तर संकट में पड़ने पर सुग्रीव का साथ हनुमान, नल व नील ने दिया।

7. सुग्रीव और राम ने किस प्रकार दोस्ती की?

उत्तर सुग्रीव और राम ने अग्नि को साक्षी मानकर मित्रता का वचन लिया तथा एक दूसरे की सहायता करने का वचन दिया था।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. छद्मवेश धारी हनुमान से राम-लक्ष्मण की भेंट होने पर उन्होंने उनसे क्या पूछा?

उत्तर छद्मवेश धारी हनुमान से राम-लक्ष्मण की भेंट होने पर सर्वप्रथम उन्होंने उन दोनों को शिष्टतापूर्वक प्रणाम किया। फिर उनसे पूछा, “आप दोनों कौन हैं ? आप इस वन में क्यों भटक रहे हो। आप दोनों का वेश तो मुनियों जैसा है, परंतु चेहरे से राजकुमार लगते हो। ”

2. राम और सुग्रीव दोनों में क्या समानता थी?

उत्तर राम और सुग्रीव दोनों ही निर्वासित थे। राम अयोध्या से निर्वासित थे, तो सुग्रीव राजकाज के कारण निर्वासित थे। राम की पत्नी को रावण उठा ले गया था। सुग्रीव की पत्नी उसके बड़े भाई बाली ने छीन ली थी। दोनों के पिता का स्वर्गवास हो चुका था।

3. सीता ने अपने आभूषण क्यों फेंक दिए थे?

उत्तर जब रावण सीता का अपहरण करके ले जा रहा था, तब सीता ने अपने आभूषणों को खोलकर नीचे धरती पर फेंक दिया था, जिससे जब कभी श्रीराम उस मार्ग से गुजरें तो वह उन आभूषणों को पहचानकर अनुमान लगा सकें कि सीता इसी दिशा की ओर गई है।

4. बाली ने सुग्रीव के साथ कैसा व्यवहार किया?

उत्तर बाली सुग्रीव का बड़ा भाई था। बड़ा भाई होते हुए भी उसने अपने छोटे भाई सुग्रीव के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया। बाली ने सुग्रीव को राजपाट से निकाल दिया और उसकी पत्नी को भी उसने छीन लिया। बाली का व्यवहार अपने भाई सुग्रीव के प्रति बहुत ही निंदनीय था।

5. सुग्रीव किसके डर से डरा रहता था?

उत्तर सुग्रीव हमेशा अपने बड़े भाई बाली के डर से डरा रहता था। बाली एक महापराक्रमी वानर था । सुग्रीव को हमेशा यह डर रहता था कि उसका बड़ा भाई कभी भी उस पर आक्रमण करके उसे मार सकता है। इसी डर के कारण वह हमेशा डरा रहता था।

6. राम ने सुग्रीव को अपनी शक्ति का परिचय किस प्रकार दिया?

उत्तर राम ने धनुष उठाया और तीर चलाया, जिससे शाल के सातों विशाल वृक्ष एक ही बाण से कटकर गिर पड़े। राम की शक्ति से परिचित होकर सुग्रीव ने हाथ जोड़ लिए तथा उन पर उसे पूर्ण विश्वास हो गया।

7. राम, सुग्रीव से क्षुब्ध क्यों हुए?

उत्तर सुग्रीव ने अपने राज्याभिषेक के समय वादा किया था कि वर्षा ऋतु बीत जाने पर वे सीता की खोज में निकलेंगे। सुग्रीव रास रंग में उलझ गए और राम को दिया गया अपना वचन भूल गए। राम इस बात से चिंतित भी थे और क्षुब्ध भी थे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. सुग्रीव कौन था? उसने राम को अपनी क्या व्यथा-कथा सुनाई ?

उत्तर सुग्रीव, बाली का छोटा भाई और किष्किंधा का मूल निवासी था। वह ऋष्यमूक पर्वत पर अपने भाई बाली के डर से निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहा था। उसने राम को अपनी व्यथा-कथा इस प्रकार सुनाई कि पिता वानरराज की मृत्यु के बाद दोनों भाइयों में राजकाज को लेकर झगड़ा इतना बढ़ गया कि सुग्रीव को वह मार डालना चाहता था और उसकी पत्नी को भी छीन लिया था। बाली बहुत बलशाली था उसे हराना सरल नहीं था।

संकट के समय हनुमान और नल नील ने सुग्रीव का सदा साथ दिया था। सुग्रीव, बाली के भय के कारण ऋष्यमूक पर्वत पर रहता था। वह सदैव चौकस रहता था। उसकी विश्वासपात्र वानर सेना सदैव पहरे पर रहती थी।

2. राम- -सुग्रीव की भेंट का वर्णन कीजिए।

उत्तर राम व लक्ष्मण कबन्ध व शबरी के कहे अनुसार जब, ऋष्यमूक के निकट पहुँचे तब उनकी भेंट हनुमान से हुई। हनुमान, राम और लक्ष्मण को अपने कंधे पर बैठाकर ऋष्यमूक पर्वत पर ले गए। वहाँ हनुमान ने दोनों को सुग्रीव से मिलवाया। दोनों ने अग्नि को साक्षी मानकर मित्रता का वचन लिया। राम ने सीता हरण के विषय में बताया।

सुग्रीव ने आभूषणों की पोटली राम को दिखाई, जो सीता ने फेंकी थी। राम उन आभूषणों को देखकर पहचान गए कि ये आभूषण सीता के ही हैं। सुग्रीव ने राम की हर प्रकार से सहायता करने का वचन दिया। राम के बाद सुग्रीव ने अपनी करुण कथा सुनाई। सुग्रीव की पूरी बातें सुनकर राम ने कहा, चिंता मत करो। तुम्हें अपनी पत्नी भी मिलेगी और राज्य भी मिलेगा।

3. बाली और सुग्रीव दोनों सगे भाई थे, फिर भी उनके आपसी संबंध अच्छे नहीं थे। आपके अनुसार, भाइयों और बहनों के संबंध कैसे होने चाहिए?

उत्तर बाली और सुग्रीव दोनों के आपसी संबंध अच्छे नहीं थे, जबकि दोनों सगे भाई थे। मेरे अनुसार भाइयों और बहनों के संबंध सदैव मधुर होने चाहिए। आपसी प्रेम और विश्वास होना चाहिए। किसी भी परेशानी में वह एक दूसरे की सहायता करने के लिए तत्पर खड़े रहें। अपने रिश्ते में छोटी-छोटी गलतफहमियों को आपस में बातचीत करके दूर करने की पूरी कोशिश करें एक-दूसरे की भावनाओं का आदर करना चाहिए।

4. जामवंत ने हनुमान के बारे में क्या कहा?

उत्तर वानर सेना के लंका की ओर प्रस्थान करते समय रास्ते में एक बहुत ही बड़ा समुद्र था। वानरों के लिए उस समुद्र को पार करना अत्यंत कठिन था। जामवंत को मालूम था कि केवल हनुमान ही एक ऐसे वानर हैं, जो इस समुद्र को लाँघ सकते हैं हनुमान अपनी इस शक्ति को भूल चुके थे।

जामवंत ने हनुमान को उनकी शक्तियों का एहसास दिलाया। जामवंत को उनकी शक्ति पर पूरा भरोसा था। हनुमान को अपनी भूली हुई शक्तियाँ याद आई तब वह लंका जाने के लिए तथा उस विशाल समुद्र को लाँघने के लिए तैयार हो गए।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें कविता का सार

कवि शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित कविता ‘चाँद से थोड़ी-सी गप्पें’ में बाल-सुलभ कल्पनाओं का अत्यंत सुंदर व सजीव चित्रण किया गया है। दस – ग्यारह साल की एक छोटी-सी लड़की चाँद से बातचीत करती है और अपनी भावनाओं को प्रकट करते कुछ कहती है कि मुझे आप गोल और कुछ तिरछे से दिखाई देते हो। आपका मुँह खुला हुआ लगता है।

आप बहुत गोरे नजर आते हो और आपने आपकी पोशाक चारों ओर फैलाई हुई है। आपने तारों से जड़े पूरे आकाश को ही वस्त्र की तरह पहन रखा है।

छोटी लड़की चाँद पर कटाक्ष करके कहती है कि मुझे आपकी सारी असलियत मालूम है। आपको घटने और बढ़ने की बीमारी है। आप जब घटना शुरू होते, तो लगातार घटते ही जाते हो और एक दिन बिल्कुल ही दिखाई नहीं देते। जब आप बढ़ना शुरू होते हो, तो लगातार बढ़ते ही जाते हो। जब तक आप पूरे गोल नहीं होते, तब तक नहीं रुकते ।

काव्यांशों की विस्तृत व्याख्या

काव्यांश 1

गोल हैं खूब मगर
आप तिरछे नजर आते हैं जरा ।
आप पहने हुए हैं कुल आकाश तारों जड़ा;
सिर्फ मुँह खोले हुए हैं अपना गोरा चिट्टा गोल-मटोल,
अपनी पोशाक को फैलाए हुए चारों सिम्त ।
आप कुछ तिरछे नज़र आते हैं जाने कैसे

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शब्दार्थ खूब बहुत, तिरछे टेढ़े-मेढ़े, जरा थोड़ा, कुल-सारा, पोशाक वस्त्र, सिम्त दिशा ।

संदर्भ प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग- 1’ में संकलित ‘चाँद से थोड़ी-सी गप्पें कविता से ली गई हैं। इसके रचयिता शमशेर बहादुर सिंह हैं।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में छोटी लड़की चाँद के रंग-रूप और आकाश में तारों से जड़ित चाँद की पोशाक पर व्यंग्य कर रही है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में एक छोटी लड़की चाँद से बातें करती हुई कहती है-आप गोल हैं। लेकिन मुझे आप गोल होने पर भी टेढ़े-मेढ़े तिरछे दिखाई देते हो। आपने पूरे आसमान को वस्त्र की तरह पहन रखा है। आपकी यह पोशाक तारों से जड़ी हुई है। इन वस्त्रों में से केवल आपका गोरा चिट्टा व सुंदर गोल मुँह ही दिखाई देता है। आपका आकाश रूपी वस्त्र सभी दिशाओं में फैला हुआ है। फिर भी आप मुझे तिरछे दिखाई देते हैं।

विशेष

  1. कवि ने अत्यंत सरल शब्दों में चाँद के रंग-रूप का वर्णन किया है।
  2. बालिका का सहज स्वभाव दर्शनीय है।
  3. कविता छंद मुक्त तथा अतुकांत है।

काव्यांश 2

खूब हैं गोकि !
वाह जी वाह !
हमको बुद्ध ही निरा समझा है !
हम समझते ही नहीं जैसे कि
आपको बीमारी है:
आप घटते हैं, तो घटते ही चले जाते हैं,
और बढ़ते हैं, तो बस यानी कि
बढ़ते ही चले जाते हैं
दम नहीं लेते हैं, जब तक बिलकुल ही
गोल न हो जाएँ, बिलकुल गोल ।
यह मरज़ आपका अच्छा ही नहीं होने में ________ आता है।

शब्दार्थ गोकि हालाँकि, – बिल्कुल, बुद्धू- बेवकूफ, दम-साँस, मरज-बीमारी, रोग।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में छोटी लड़की चाँद के स्वरूप पर कटाक्ष कर रही है। उसने चाँद के घटते-बढ़ते आकार को बीमारी कहा है, जो ठीक नहीं होती।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में छोटी लड़की चाँद से बातें करती हुई उस पर कटाक्ष करती है कि आप मुझे बिलकुल मूर्ख समझते हैं। मुझे मालूम है कि आपको घटते और बढ़ते रहने की बीमारी है। जब आप घटना शुरू होते हैं, तो लगातार घटते ही जाते हैं और तब तक घटते रहते हैं, जब तक पूरी तरह गायब नहीं हो जाते। इसी प्रकार जब आप बढ़ना शुरू होते हैं, तो लगातार बढ़ते ही जाते हैं। जब तक आप पूरे गोल नहीं हो जाते, तब तक रुकते नहीं हो। आपकी यह बीमारी लाइलाज है, जो किसी भी प्रकार से ठीक नहीं हो सकती है। चाँद का इस प्रकार घटना और बढ़ना प्रकृति का नियम है।

विशेष

  1. कवि ने प्रकृति के नियम का सहज रूप से वर्णन किया है।
  2. सरल शब्दों का प्रयोग है।
  3. उर्दू शब्द ‘मरज’ का स्वाभाविक रूप से प्रयोग है।
  4. अतुकांत पद है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

कविता से (पृष्ठ संख्या 24 व 25)

प्रश्न 1. ‘आप पहने हुए हैं कुल आकाश’ के माध्यम से लड़की कहना चाहती है कि

(क) चाँद तारों से जड़ी हुई चादर ओढ़कर बैठा है।
(ख) चाँद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है। तुम किसे सही मानते हो?

उत्तर (ख) मेरे अनुसार, लड़की कहना चाहती है कि चाँद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है।

प्रश्न 2. कवि ने चाँद से गप्पें किस दिन लगाई होंगी? इस कविता में आई बातों की मदद से अनुमान लगाओ और उसका कारण भी बताओ ।

दिन

पूर्णिमा ___________
अष्टमी से पूर्णिमा के बीच ____________
प्रथमा से अष्टमी के बीच ___________________

कारण

_________
_________
_________

उत्तर

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें Question And Answers लगाओ उसका

अतः मेरे विचार से कवि ने चाँद से गप्पें अष्टमी से पूर्णिमा के बीच लगाई होंगी, क्योंकि इन्हीं दिनों में चाँद तिरछेपन से पूर्ण रूप से गोलाई आकृति ले लेता है।

प्रश्न 3. नई कविता में तुक या छंद के बदले बिंब का प्रयोग अधिक होता है। बिंब वह तसवीर होती है, जो शब्दों को पढ़ते समय हमारे मन में उभरती है। कई बार कुछ कवि शब्दों की ध्वनि की मदद से ऐसी तसवीर बनाते हैं और कुछ कवि अक्षरों या शब्दों को इस तरह छापने पर बल देते हैं कि उनसे कई चित्र हमारे मन में बनें। इस कविता के अंतिम हिस्से में चाँद को एकदम गोल बताने के लिए कवि ने बिल कुल शब्द के अक्षरों को अलग-अलग करके लिखा है। तुम इस कविता के और किन शब्दों को चित्र की आकृति देना चाहोगे? ऐसे शब्दों को अपने ढंग से लिखकर दिखाओ।

उत्तर

इस कविता के निम्नलिखित शब्दों को चित्र की आकृति दी जा सकती है— चाँद, ति र छे, घ ट ते, ब ढ़ ते, न ज र ।

अनुमान और कल्पना (पृष्ठ संख्या 25)

प्रश्न 1. कुछ लोग बड़ी जल्दी चिढ़ जाते हैं। यदि चाँद का स्वभाव भी आसानी से चिढ़ जाने का हो तो वह किन बातों से सबसे ज्यादा चिढ़ेगा? चिढ़कर वह उन बातों का क्या जवाब देगा? अपनी कल्पना से चाँद की ओर से दिए गए जवाब लिखो ।

उत्तर यदि चाँद का स्वभाव आसानी से चिढ़ जाने का हो, तो वह तिरछा, गोल-मटोल और घटते-बढ़ते की बात पर चिढ़ेगा। अपनी फैलाई हुई पोशाक में से केवल मुँह दिखने की बात पर चिढ़ेगा, किसी लाइलाज बीमारी की बात पर भी अवश्य चिढ़ेगा।

चाँद चिढ़कर उत्तर देगा कि मैं तिरछा नहीं हूँ, बल्कि तुम्हें ठीक से दिखाई नहीं देता है। मैं स्वस्थ हूँ, इसलिए तुम मुझे गोल-मटोल कह रहे हो। तुम अपने को देखो कितने दुबले-पतले हो ।

मैं प्रकाशवान हूँ। यदि मैं अपना पूरा प्रकाश फैला दूँ, तो तुम्हारी आँखें चौंध जाएँगी। तुम अपनी आँखें मेरी चमक में नहीं खोल पाओगे । घटने-बढ़ने की मुझे कोई बीमारी नहीं है। यह मेरी विशेषता है। इसी कारण पूर्णिमा और अमावस्या होती है।

प्रश्न 2. यदि कोई सूरज से गप्पें लगाए, तो वह क्या लिखेगा? अपनी कल्पना से गद्य या पद्य में लिखो। इसी तरह की कुछ और गप्पें निम्नलिखित में से किसी एक या दो से करके लिखो

(पेड़, बिजली का खंभा, सड़क, पेट्रोल पंप)

उत्तर

पेड़ पेड़ तुम कितने अच्छे हो, मुझे मीठे-मीठे पके हुए फल खाने के लिए देते हो। बहुत से लोग तुम्हारी छाया में बैठकर आराम करते हैं। मज़े की बात यह है कि तुम अपने फल स्वयं नहीं खाते हो, बल्कि दूसरों को खिलाते हो। तुम बहुत परोपकारी हो। पर्यावरण की भी रक्षा करते हो। हरे-भरे पेड़ों से ऑक्सीजन मिलती है। तुम बहुत सुंदर और घने हो ।

बिजली का खंभा बिजली के खंभे तुम दिन-रात मेरे घर के सामने खड़े रहते हो। तुम कभी हिलते डुलते या बैठते नहीं हो। क्या तुम कभी थकते नहीं हो? कितने ही तार तुमसे जुड़े रहते हैं। हर मौसम में तुम्हारे कारण ही लोगों को बिजली मिलती है। गर्मी, वर्षा सभी को तुम खुशी से सहन करते हो। बिजली के खंभे तुम उपयोगी और परोपकारी हो ।

सड़क सड़क तुम सर्दी, गर्मी को सहन करती अपनी जगह ही रहती हो। तुम पर कितने ही लोग चलते हैं। तुम्हारे ऊपर से भारी वाहन जाते हैं, लेकिन तुम उफ भी नहीं करती हो। कुछ लोग तुम्हें कूड़ा-करकट फेंककर गंदा भी कर देते हैं। तुम बहुत सहनशील हो ।

पेट्रोल पंप पेट्रोल पंप तुम दो पहिए और चार पहिए वाहनों को चलाने के लिए पेट्रोल देते हो। लोग पेट्रोल खरीदते हैं और कीमत देकर चले जाते हैं। कोई भी तुमसे बात तक नहीं करता। क्या तुम्हें बुरा नहीं लगता? तुम एक दिन मेरी बात मानकर पेट्रोल बंद कर देना तब तुम्हारा महत्त्व लोग समझेंगे।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 25 व 26)

प्रश्न 1.चाँद संज्ञा है। चाँदनी रात में चाँदनी विशेषण है। नीचे दिए गए विशेषणों को ध्यान से देखो और बताओ कि

(क) कौन-सा प्रत्यय जुड़ने पर विशेषण बन रहे हैं।
(ख) इन विशेषणों के लिए एक-एक उपयुक्त संज्ञा भी लिखो ।

  • गुलाबी पगड़ी
  • ठंडी रात
  • मखमली घास
  • जंगली फूल
  • कीमती गहनें
  • कश्मीरी भाषा

उत्तर

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें Question And Answers भाषा की बात

प्रश्न 2. गोल-मटोल गोरा चिट्ठा

कविता में आए शब्दों के इन जोड़ों में अंतर यह है कि चिट्टा का अर्थ सफ़ेद है और गोरा से मिलता-जुलता है, जबकि मटोल अपने आपमें कोई शब्द नहीं है। यह शब्द ‘मोटा’ से बना है।

ऐसे चार-चार शब्द युग्म सोचकर लिखो और उनका वाक्यों में प्रयोग करो।

उत्तर

  1. सीधा-सादा मेरा भाई बहुत सीधा-सादा है।
  2. तोल-मोल बाजार में हर वस्तु तोल-मोल कर ही मिलती है।
  3. टेढ़ी-मेढ़ी यह टेढ़ी-मेढ़ी खीर मेरे सामने मत बनाओ।
  4. खाना-वाना मैं खाना वाना खाकर घर पहुँचा।

प्रश्न 3. ‘बिलकुल गोल’ कविता में इसके दो अर्थ हैं

(क) गोल आकार का
(ख) गायब होना

ऐसे तीन और शब्द सोचकर उनसे ऐसे वाक्य बनाओ, जिनके दो-दो अर्थ निकलते हों।

उत्तर

  1. हार (माला ) मैंने गुलाब के फूलों का हार बनाया।
    • हार (पराजय) राजा की हार का समाचार सुनते ही प्रजा दुःखी हो गई।
  2. उत्तर (दिशा) ध्रुव तारा उत्तर में अटल रहता है।
    • उत्तर ( जवाब ) मैं कठिन प्रश्न का उत्तर न दे सका।
  3. जल (पानी) शीतल जल पीकर मेरी प्यास बुझी ।
    • जल (आग में जलना) आग फैलते ही गरीबों की झोंपड़ियाँ जल गईं।

प्रश्न 4. ताकि, जबकि, चूँकि, हालाँकि – कविता की जिन पंक्तियों में ये शब्द आए हैं, उन्हें ध्यान से पढ़ो। ये शब्द दो वाक्यों को जोड़ने का काम करते हैं। इन शब्दों का प्रयोग करते हुए दो-दो वाक्य बनाओ।

उत्तर

ताकि

  1. आज मैं घर से जल्दी निकला, ताकि समय से ऑफिस पहुँच सकूँ।
  2. तुम इधर बैठ जाओ, ताकि कोई इस जगह न बैठे।

जबकि

  1. मैं मित्र से मिलने अकसर जाता हूँ, जबकि वह नहीं आता।
  2. तुम खाना खा चुके, जबकि मैंने शुरू भी नहीं किया।

चूँकि

  1. चूँकि वह पौष्टिक भोजन करता है, इसलिए उसकी सेहत भी अच्छी है।
  2. चूँकि कार खराब हो गई, इसलिए मौसीजी बस से आएँगी।

हालाँकि

  1. सभी लोग इंतजार कर रहे थे हालाँकि मैं देर से वहाँ पहुँचा।
  2. हालाँकि तूफान आया, परंतु नुकसान कम हुआ।

प्रश्न 5. गप्प, गप-शप, गप्पबाज़ी क्या इन शब्दों के अर्थों में अंतर है? तुम्हें क्या लगता है? लिखो।

उत्तर

गप्प काल्पनिक बातें

गप-शप बिना उद्देश्य के बातें करके समय बिताना।

गप्पबाज़ी बहुत समय तक काल्पनिक या व्यर्थ की बातें करते रहना।

कुछ करने को (पृष्ठ संख्या 26 व 27)

पृथ्वी के चारों ओर परिभ्रमण करते हुए चंद्रमा भी पृथ्वी के साथ-साथ सूर्य का परिभ्रमण करता है। इन्हीं दोनों परिभ्रमणों से वर्ष और मास की गणनाएँ होती हैं। सामान्यतः तीस दिनों के महीने होते हैं, जिन्हें चंद्रमा की वार्षिक गति को बारह महीनों में विभाजित करके निर्धारित किया जाता है।

तीस दिनों में पंद्रह-पंद्रह दिनों के दो पक्ष होते हैं। जिन पंद्रह दिनों में चंद्रमा बढ़ते-बढ़ते पूर्णिमा तक पहुँचता है, उसे शुक्लपक्ष और जिन पंद्रह दिनों में चंद्रमा घटते घटते अमावस्या तक जाता है, उसे कृष्णपक्ष कहते हैं। इसी तरह एक वर्ष के बारह महीनों में छह-छह माह के दो अयन होते हैं।

जिन छह महीनों में मौसम का तापमान बढ़ता है, उसे उत्तरायण और जिन छह महीनों में मौसम का तापमान घटता है, उसे दक्षिणायन कहते हैं। संवत् के बारह महीनों के नाम इस प्रकार हैं- चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन ।

अंग्रेजी कैलेंडर की वार्षिक गणना सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के परिभ्रमण की अवधि के अनुसार तीन सौ पैंसठ दिनों की होती है। इसके महीनों की गणना पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा के परिभ्रमण पर आधारित नहीं है।

इसमें वर्ष के तीन सौ पैंसठ दिनों को ही बारह महीनों में विभाजित किया गया है। इस कैलेंडर के सभी महीने तीस-तीस दिन के नहीं होते। अप्रैल, नवंबर, जून, सितंबर- इनके हैं दिन तीस फरवरी है अट्ठाइस दिन की, बाकी सब इकत्तीस ।

नीचे दो प्रकार के कैलेंडर दिए गए हैं। इन्हें देखो और प्रश्नों के उत्तर दो।

मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष – मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष संवत् २०६३

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें नवंबर से ४ दिसंबर, २००६

(क) ऊपर दिए गए कैलेंडरों में से किस कैलेंडर में चंद्रमा के अनुसार महीने के दिन दिए गए हैं?
(ख) दिए गए दोनों कैलेंडरों के अंतर स्पष्ट करो।
(ग) कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष का क्या अर्थ होता है?

उत्तर

(क ) ऊपर दिए गए कैलेंडरों में से पहले कैलेंडर में संवत् 2063 में चंद्रमा के अनुसार महीने दिए गए हैं।
(ख) पहले कैलेंडर में संवत् 2063 के मार्गशीर्ष महीने की तिथि को दर्शाया गया है, जबकि दूसरे कैलेंडर में वर्ष 2006 के नवंबर और दिसंबर महीने की तारीखें लिखी हुई हैं। पहले कैलेंडर में महीने को कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष में बाँटा गया है, जबकि दूसरे महीने में ऐसा नहीं है।
(ग) कृष्णपक्ष जिन पंद्रह दिनों में चंद्रमा घटते घटते एक रात दिखाई नहीं देता, तब अमावस्या होती है। इन दिनों को कृष्णपक्ष कहते हैं। शुक्लपक्ष जिन पंद्रह दिनों में चंद्रमा बढ़ते-बढ़ते पूर्णिमा तक पहुँचता है, उसे शुक्लपक्ष कहते हैं।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. चाँद को कौन-सी बीमारी है?

(क) घटने की
(ख) बढ़ने की
(ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनों

2. चाँद से थोड़ी-सी गप्पें कविता के कवि कौन हैं?

(क) सुमित्रानंदन पंत
(ख) केदारनाथ अग्रवाल
(ग) शमशेर बहादुर सिंह
(घ) विनय महाजन

उत्तर (ग) शमशेर बहादुर सिंह

3. चाँद की पोशाक की क्या विशेषता है?

(क) आकाश के चारों तरफ फैली हुई है।
(ख) आकाश के चारों तरफ रखी हुई है
(ग) आकाश में तिरछी खड़ी है
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर (क) आकाश के चारों तरफ फैली हुई है

4. ‘मरज’ शब्द से क्या तात्पर्य है?

(क) तबीयत उत्तर
(ख) रोग
(ग) यानी
(घ) बिल्कुल

उत्तर (ख) रोग

5. काव्यांश में कितने पक्षों को दर्शाया गया है?

(क) आठ
(ख) छ:
(ग) चार
(घ) दो

उत्तर (घ) दो

6. बच्चे चाँद को किस नाम से पुकारते हैं?

(क) मामा
(ख) चाचा
(ग) दादा
(घ) काका

उत्तर (क) मामा

7. चाँद गोल कब दिखाई देता है?

(क) अमावस्या को
(ख) भादो में
(ग) पूर्णिमा को
(घ) आषाढ़ में

उत्तर (ग) पूर्णिमा को

8. चाँद अमावस्या की रात को क्या/ कैसा हो जाता है?

(क) ज्वलंत
(ख) गायब
(ग) पराया
(घ) श्रेष्ठ

उत्तर (ख ) गायब

9. कविता में चन्द्रमा को घटने और बढ़ने की बीमारी है। आपके अनुसार सूर्य को कौन-सी बीमारी हो सकती है?

(क) हमेशा गर्म रहने की
(ख) हमेशा ठंडे रहने की
(ग) कोरोना
(घ) हृदय रोग

उत्तर (क) हमेशा गर्म रहने की

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें काव्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

काव्यांश

गोल है खूब मगर
आप तिरछे नजर आते हैं जरा ।
आप पहने हुए हैं कुल आकाश तारों जड़ा;
सिर्फ मुँह खोले हुए हैं अपना
गोरा-चिट्टा गोल-मटोल,
अपनी पोशाक को फैलाए हुए चारों सिम्त ।
आप कुछ तिरछे नजर आते हैं जाने कैसे?

1. उपरोक्त पंक्तियों में चाँद से बातें कौन कर रहा है?

(क) कवि
(ख) लड़की
(ग) लड़का
(घ) माँ

उत्तर (ख) लड़की

2. चाँद कैसा नजर आता है?

(क) बड़ा
(ख) उल्टा
(ग) तिरछा
(घ) सपाट

उत्तर (ग) तिरछा

3. चाँद ने क्या खोला हुआ है?

(क) मुँह
(ख) हाथ
(ग) पैर
(घ) बाल

उत्तर (क) मुँह

4. छोटी लड़की को चाँद कैसा दिखाई देता है, किंतु वास्तव में कैसा है ?

उत्तर छोटी लड़की को चाँद गोल होने पर भी पृथ्वी से तिरछा दिखाई देता है। चाँद वास्तविक रूप में गोल है।

5. कवि के अनुसार, चाँद की पोशाक कैसी है?

उत्तर कवि के अनुसार, चाँद की पोशाक पूरा आसमान ही है। आसमान में टिमटिमाने वाले असंख्य तारे उस पोशाक में जड़े हुए लगते हैं।

6. पोशाक में से चाँद का चेहरा कैसा दिखाई देता है?

उत्तर नीले आसमान में तारों से जड़ी सुंदर पोशाक में से चाँद का केवल चेहरा ही दिखाई देता है, अन्य शरीर दिखाई नहीं देता। चाँद का चेहरा गोरा चिट्टा और गोल-मटोल है।

काव्यांश 2

खूब हैं गोकि !
वाह जी वाह !
हमको बुद्ध ही निरा समझा है!
हम समझते ही नहीं जैसे कि
आपको बीमारी है:
आप घटते हैं, तो घटते ही चले जाते हैं,
और बढ़ते हैं तो बस यानी कि बढ़ते ही चले जाते हैं
दम नहीं लेते हैं, जब तक बिलकुल ही गोल न हो जाएँ, बिलकुल गोल ।
यह मरज आपका अच्छा ही नहीं होने में ______ आता है।

1. कवि ने ‘गोकि’ शब्द का प्रयोग किस अर्थ में किया है?

(क) कि उत्तर
(ख) क्योंकि
(ग) परंतु
(घ) यानी

उत्तर (घ) यानी

2. कवि के अनुसार, बीमारी किसे है?

(क) लड़की को
(ख) चाँद को
(ग) कवि को
(घ) लोगों को

उत्तर (ख) चाँद को

3. उपरोक्त पंक्तियों में कवि ने ‘हमको’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया है?

(क) स्वयं के लिए
(ख) चाँद के लिए
(ग) लड़की के लिए
(घ) मरज के लिए

उत्तर (ग) लड़की के लिए

4. इन पंक्तियों में ‘हमको बुद्ध ही निरा समझा है!’ का क्या तात्पर्य है?

उत्तर कवि ने इन पंक्तियों में हमको शब्द छोटी लड़की के लिए प्रयोग किया है। चाँद से बाल सुलभ बातें करते-करते वह कहती है कि चाँद तुमने मुझे पूरा बुद्ध समझा है। मुझे तुम्हारे घटने-बढ़ने का सही कारण मालूम है, तुमने मुझे गलत समझा है।

5. कवि ने ‘बिलकुल गोल’ तथा ‘बिलकुल गोल’ शब्दों को अलग रूप में लिखकर क्या स्पष्ट किया है?

उत्तर ‘चाँद से थोड़ी-सी गप्पें कविता में ‘बिलकुल गोल’ शब्द में अक्षरों को अलग-अलग लिखकर चाँद के पूरे रूप को बताया गया है। चाँद बढ़ते-बढ़ते पूरा गोल आकार का हो जाता है। दूसरी बार ‘बिलकुल ‘गोल’ लिखकर चाँद के गायब हो जाने की बात कही गई है।

6. पूर्णिमा तथा अमावस्या के बीच चाँद की क्या स्थिति रहती है?

उत्तर पूर्णिमा तथा अमावस्या के बीच चाँद घटता और बढ़ता रहता है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. इस कविता में कौन किससे बातें कर रहा है?

उत्तर इस कविता में लगभग दस ग्यारह वर्ष की छोटी बालिका चाँद से बातें कर रही है।

2. चाँद का आकार कैसा है? फिर भी क्या वह छोटी लड़की को उसी आकार का दिखाई देता है?

उत्तर चाँद का आकार गोल है। छोटी लड़की को चाँद गोल होने पर थोड़ा तिरछा दिखाई देता है।

3. कवि ने ‘सिर्फ मुँह खोले हुए हैं अपना’ किसके लिए और क्यों कहा?

उत्तर कवि ने ‘सिर्फ मुँह खोले हुए हैं अपना’ चाँद के लिए कहा है। पूरे आसमान में केवल चाँद दिखाई देता है, ऐसा लगता है कि नीली पोशाक में से चाँद ने सिर्फ मुँह खोल रखा है।

4. चारों ओर फैली हुई पोशाक में से चाँद का मुँह कैसा दिखाई पड़ता है?

उत्तर चारों ओर फैली हुई पोशाक में से चाँद का मुँह गोरा चिट्टा और गोल-मटोल दिखाई देता है।

5. चाँद कब तक बढ़ता रहता है?

उत्तर चाँद शुक्लपक्ष में धीरे-धीरे प्रतिदिन बढ़ता जाता है और पूर्णिमा तक पूरा गोल होने तक बढ़ता रहता है।

6. चाँद कब तक घटता है?

उत्तर चाँद कृष्णपक्ष में धीरे-धीरे प्रतिदिन घटता जाता है। चाँद एक रात में बिल्कुल भी दिखाई न देने तक घटता है, वह अमावस्या होती है।

7. यदि चाँद नहीं होता तो धरती पर क्या होता? अपनी कल्पना के आधार पर लिखिए।

उत्तर यदि चाँद नहीं होता तो धरती पर रात की सुंदरता कम हो जाती, चाँद पर कविता एवं मुहावरे न बन पाते और न ही अपोलो यान बनता ।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें लघु उत्तरीय प्रश्न

1. ‘चाँद से थोड़ी-सी गप्पें कविता में लड़की चाँद से गप्पें क्यों कर रही है?

उत्तर इस कविता में कवि ने जिस लड़की को चाँद से गप्पें करते हुए बताया है, उस लड़की की आयु लगभग दस ग्यारह वर्ष की होगी।

दस – ग्यारह वर्ष के बच्चे बहुत भोले और काल्पनिक होते हैं। प्रत्येक वस्तु को ध्यान से देखते हैं। अपने भोलेपन के कारण छोटी लड़की चाँद से गप्पें कर रही है।

2. कवि ने आसमान के विषय में क्या कहा?

उत्तर इस कविता में कवि ने नीले आसमान को चाँद की पोशाक कहा है। नीले आसमान में चमकने वाले तारों को कवि ने चाँद की पोशाक में जड़े तारे कहा है। यह तारों जड़ी पोशाक चाँद के चारों ओर फैली हुई है।

3. इस कविता में ‘दम नहीं लेते हैं का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर कवि ने ‘चाँद से थोड़ी-सी गप्पें कविता में छोटी लड़की के माध्यम से चाँद के घटने-बढ़ने का वर्णन किया है तथा ‘दम नहीं लेते हैं’ से कवि का आशय है कि चाँद पूरा गोल हो जाने तक लगातार बढ़ता ही रहता है, कभी थकता नहीं है।

4. छोटी लड़की अपने को बुद्ध क्यों नहीं समझती है ?

उत्तर कवि के अनुसार, छोटी लड़की की आयु केवल दस – ग्यारह वर्ष की है, फिर भी वह समझदार है। लड़की को चाँद के घटने और बढ़ने का कारण पता है। वह प्रकृति के नियम को भली-भाँति देख और समझ चुकी है, इसलिए वह अपने को बुद्ध नहीं समझती है।

5. क्या सच में चाँद को कोई लाइलाज बीमारी है?

उत्तर चाँद प्राकृतिक नियम का पालन करता है। शुक्लपक्ष में चाँद पंद्रह दिनों तक लगातार बढ़ता है तथा कृष्णपक्ष में पंद्रह दिनों तक लगातार घटता है। चाँद को कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। कवि ने छोटी लड़की के माध्यम से बाल सुलभ स्वाभाविक भावना प्रकट की है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. चाँद नियम के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है। क्या मनुष्य को भी नियम के अनुसार चलना चाहिए? अपने विचार लिखिए।

उत्तर प्रकृति में चाँद, सूरज आदि सभी अपने नियमों पर चलते हैं। मनुष्य को भी नियम के अनुसार चलना चाहिए। नियम के अनुसार कार्य करने से मनुष्य का जीवन व्यवस्थित रहता है। मनुष्य को सभी कार्य नियम के अनुसार करने चाहिए; जैसे- समय पर जगना, स्कूल जाना, भोजन करना, खेलना और पढ़ाई करना तथा व्यवस्थित जीवन जीने से मनुष्य को सफलता भी मिलती है।

2. ‘चाँद से थोड़ी-सी गप्पें कविता में छोटी लड़की चाँद से गप्पें लगा रही है। क्या आप भी गप्पें लगाते हैं? अधिक गप्पें लगाने से क्या होगा?

उत्तर ‘चाँद से थोड़ी-सी गप्पें कविता में लगभग दस ग्यारह वर्ष की छोटी बालिका चाँद से गप्पें लगा रही है। हाँ, मैं भी कभी-कभी अपने मनोरंजन के लिए मित्रों के साथ गप्पें लगाता हूँ। अधिक समय तक गप्पें नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि अधिक गप्पें लगाने से समय व्यर्थ में नष्ट होता है। हम अपने काम निश्चित समय पर पूरे नहीं कर पाते हैं। अतः हमें थोड़ी देर गप्पें लगाना चाहिए, अधिक देर तक नहीं।

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 3 नादान दोस्त Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 3 नादान दोस्त Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 3 नादान दोस्त पाठ का सार

केशव व श्यामा की जिज्ञासा

‘नादान दोस्त’ प्रेमचंद द्वारा लिखी गई मार्मिक कहानी है। केशव और श्यामा भाई-बहन थे, जिनके घर की छत की कार्निस (छज्जा) पर एक चिड़िया ने अंडे दिए थे। अंडों को देखकर उनके मन में तरह-तरह के प्रश्न आते थे। वे अकसर सोचते अंडे कितने बड़े होंगे? किस रंग के होंगे? कितने होंगे? उनमें से बच्चे कब निकलेंगे? बच्चों के पर कैसे निकलेंगे ? घोंसला कैसा है? आदि।

केशव और श्यामा इन प्रश्नों के उत्तर जानना चाहते थे, लेकिन उनके माता-पिता के पास उनके प्रश्नों के उत्तर देने का समय नहीं होने के कारण वे आपस में ही सवाल जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे देते थे।

चिड़िया के बच्चों को भूख-प्यास से बचाना

केशव और श्यामा के मन में दिन-प्रतिदिन जिज्ञासा बढ़ रही थी। दोनों ने अनुमान लगाया कि अब तक अंडों में से बच्चे निकल आए होंगे। इस कारण उन्हें उन बच्चों के खाने-पीने की चिंता सताने लगी। दोनों ने उनकी भूख-प्यास मिटाने का फैसला किया। श्यामा ने चुपके से मटके से कुछ चावल निकाले और केशव ने तेल की प्याली साफ करके उसमें पानी भरा। इसके पश्चात् कूड़ा फेंकने वाली टोकरी से घोंसले पर छाया करने का प्रबंध किया।

बाबू जी के दफ्तर चले जाने व माँ के सो जाने के बाद केशव और श्यामा चुपके से कमरे के बाहर आ गए। केशव नहाने की चौकी पर स्टूल रखकर उस पर चढ़ गया, जिसे श्यामा ने पकड़ लिया। कार्निस पर हाथ रखते ही दोनों चिड़ियाँ उड़ गई। वहाँ तीन अंडे थे, जिन्हें केशव ने पुरानी धोती के टुकड़े की गद्दी बनाकर उसके ऊपर रख दिया।

चावल के दाने और पानी की कटोरी भी रखी तथा टोकरी को लकड़ी से टिकाकर अंडों पर छाया कर दी। केशव के नीचे उतरने पर श्यामा ने भी अंडे देखने के लिए कहा तो केशव ने डर के कारण उसे मना कर दिया और बोला कि वह स्टूल से गिर जाएगी तो अम्मा खूब पीटेंगी। यह सुनकर श्यामा रोने लगी और ये सभी बातें माँ से बताने के लिए कहने लगी।

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चिड़िया का कार्निस पर आकर उड़ जाना

दोनों चिड़िया कार्निस पर बार-बार आकर बिना बैठे ही उड़ जाती थीं। केशव को लगा कि शायद वह भय के कारण वहाँ नहीं बैठ पा रहीं हैं, इसलिए केशव ने चॉकी और स्टूल वहाँ से हटाकर अपने स्थान पर रख दिए। तभी माँ नींद से जाग गईं और दोनों को दरवाजा खोलने पर डाँट लगाई और फिर से दोनों को कमरे में ले गई।

अंडों का टूटना

शाम चार बजे जब श्यामा नींद से जागी, तो वह कार्निस के पास गई और देखा कि अंडे नीचे गिरकर टूटे पड़े हैं। उसने तुरंत केशव को जाकर सब कुछ बताया। यह बात सुनकर केशव भी घबराकर बाहर आया और देखा कि पानी की प्याली टूटी पड़ी है, तीनों अंडे भी जमीन पर टूटे पड़े हैं, जिनमें से सफेद रंग का पानी निकल आया है। तभी माँ सोटी (छड़ी) लेकर वहाँ आ गई और कहा- तुम धूप में क्या कर रहे हो।

श्यामा ने माँ को बताया कि अंडे टूट गए हैं तो माँ ने कहा- तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा। अब श्यामा ने माँ को सब बता दिया कि भइया ने उन्हें रखा था, तब माँ ने उन्हें बताया कि अंडों को छूने से वे गंदे हो जाते हैं, जिसके कारण चिड़िया उन्हें नहीं सेती और तोड़ देती है।

केशव को अपनी गलती पर अफसोस

यह सुनकर केशव का चेहरा उतर गया और बोला कि मैंने तो सिर्फ अंडों को कपड़े की गद्दी पर रखा था। केशव के भोलेपन की बात सुनकर माँ को हँसी आ गई, लेकिन केशव बहुत दुःखी हुआ और काफी दिनों तक अपनी गलती पर अफसोस करके रोता रहा।

शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 3 नादान दोस्त (प्रेमचंद) Question And Answers शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 3 नादान दोस्त पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

कहानी से (पृष्ठ संख्या 19)

प्रश्न 1. अंडों के बारे में केशव और श्यामा के मन में किस तरह के सवाल उठते थे? वे आपस में ही सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे दिया करते थे?

उत्तर केशव और श्यामा दोनों के मन में अंडों के बारे में बहुत जिज्ञासा रहती थी। वे जानना चाहते थे कि अंडे किस रंग के हैं? कितने बड़े हैं? उनमें से बच्चे कब निकलेंगे? बच्चों के पर कैसे निकलेंगे? बच्चों के इन प्रश्नों का उत्तर देने वाला कोई न था माँ और पिताजी भी व्यस्त रहते थे, इसीलिए दोनों आपस में ही सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे।

प्रश्न 2. केशव ने श्यामा से चिथड़े, टोकरी और दाना-पानी मँगाकर कार्निस पर क्यों रखे थे?

उत्तर केशव ने श्यामा से चिथड़े मँगाकर उनकी गद्दी बनाकर अंडों के नीचे रखी। एक टोकरी को टहनी से टिकाकर अंडों के ऊपर छाया कर दी। पास में ही दाना-पानी भी रख दिया, जिससे चिड़िया के बच्चों को कोई परेशानी न हो, क्योंकि अकेले चिड़िया इतना दाना-पानी नहीं ला सकती थी, जिससे उसके बच्चों का पेट भर सके।

प्रश्न 3. केशव और श्यामा ने चिड़िया के अंडों की रक्षा की या नादानी ?

उत्तर केशव और श्यामा ने अपनी बाल-सुलभ सोच से चिड़िया के अंडों को सुरक्षित तथा आरामदेह समझकर उनकी रक्षा की, परंतु यह उनकी नादानी सिद्ध हुई। उन्होंने अंडों को रक्षा के प्रयास में छूकर गंदा कर दिया। उन्हें नहीं पता था कि हाथ लगाने पर चिड़िया अंडे सेती नहीं है।

कहानी से आगे (पृष्ठ संख्या 20)

प्रश्न 1. केशव और श्यामा ने अंडों के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए? यदि उस जगह तुम होते तो क्या अनुमान लगाते और क्या करते?

उत्तर केशव और श्यामा ने अनुमान लगाया कि अंडों को तिनके चुभते होंगे, कार्निस पर होने के कारण धूप लगती होगी। उन्होंने तीन-चार दिन बाद अनुमान लगाया कि अंडों में से बच्चे निकल आए होंगे, चिड़िया अपने बच्चों के लिए भोजन कहाँ से लाएगी, बच्चे भूख से मर जाएँगे, उन्हें प्यास भी लगेगी।

यदि मैं उनकी जगह पर होता तो अनुमान लगाता कि बच्चों के पर कितने दिनों में निकलेंगे? कोई पशु-पक्षी उन अंडों तक पहुँच नहीं पाएगा। मैं पूरा प्रयास करता कि पशु-पक्षी से कार्निस पर रखे अंडे सुरक्षित रहें। मैं दाना जमीन पर बिखेर देता, जिससे चिड़िया वहीं से भोजन ले सके।

प्रश्न 2. माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर क्यों निकल आए ? माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण क्यों नहीं बताया?

उत्तर दोपहर के समय माँ दोनों बच्चों को सुलाकर ही स्वयं सोती थी । इसीलिए माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोनों अंडों को देखने कमरे से बाहर आ गए। यदि माँ देख लेती तो दोनों को बाहर न आने देती। माँ के पूछने पर भी केशव और श्यामा दोनों ने ही बाहर निकलने का कारण नहीं बताया। दोनों भाई-बहन का आपस में बहुत प्रेम था। वे दोनों नहीं चाहते थे कि उनमें से किसी की भी पिटाई हो ।

प्रश्न 3. प्रेमचंद ने इस कहानी का नाम ‘नादान दोस्त’ रखा। तुम इसे क्या शीर्षक देना चाहोगे?

उत्तर कहानीकार प्रेमचंद ने कहानी का नाम ‘नादान दोस्त’ रखा। मैं इस कहानी का नाम ‘बच्चों की नादानी’ या ‘चिड़िया के अंडे’ शीर्षक रखता।

अनुमान और कल्पना ( पृष्ठ संख्या 20)

प्रश्न 1. इस पाठ में गर्मी के दिनों की चर्चा है। अगर सर्दी या बरसात के दिन होते तो क्या-क्या होता? अनुमान करो और अपने साथियों को सुनाओ।

उत्तर अगर सर्दी के दिन होते तो केशव और श्यामा की माँ ठंड के कारण बच्चों को बाहर नहीं निकलने देती। ठंड के कारण अंडों को ठंडक लगने से बचाना होता।

अगर बरसात का मौसम होता तो अंडों को बरसात में भीगने से और पानी में बहने से बचाना होता। बरसात में बाहर निकलने पर केशव और श्यामा भीग जाते। इसलिए उनकी माँ उन्हें बाहर नहीं निकलने देती ।

प्रश्न 2. पाठ पढ़कर मालूम करो कि दोनों चिड़ियाँ वहाँ फिर क्यों नहीं दिखाई दीं? वे कहाँ गई होंगी? इस पर अपने दोस्तों के साथ मिलकर बातचीत करो।

उत्तर अंडे फूट जाने के बाद दोनों चिड़ियाँ वहाँ नहीं आईं। उन्हें यह स्थान असुरक्षित लगा होगा तथा उन्होंने कोई नया सुरक्षित स्थान खोजकर घोंसला बनाया होगा और फिर समय आने पर अंडे दिए होंगे।

प्रश्न 3. केशव और श्यामा चिड़िया के अंडों को लेकर बहुत उत्सुक थे। क्या तुम्हें भी किसी नई चीज या बात को लेकर कौतूहल महसूस हुआ है? ऐसे किसी अनुभव का वर्णन करो और बताओ कि ऐसे में तुम्हारे मन में क्या-क्या सवाल उठे?

उत्तर मेरे जन्मदिन पर मेरे मित्र ने मुझे मछलियाँ उपहार में दीं। उन्हें देखकर मैं बहुत खुश हुआ। मेरे मन में कौतूहल हुआ। ये मछलियाँ कैसे खाती हैं? कब सोती हैं? कैसे खेलती हैं? किस प्रकार आपस में बातें करती हैं? इन मछलियों के माता-पिता कौन और कहाँ हैं?

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 20 व 21)

प्रश्न 1. श्यामा माँ से बोली, “मैंने आपकी बातचीत सुन ली है। ” ऊपर दिए उदाहरण में मैंने का प्रयोग ‘श्यामा’ के लिए और आपकी का प्रयोग ‘माँ’ के लिए हो रहा है। जब सर्वनाम का प्रयोग कहने वाले, सुनने वाले या किसी तीसरे के लिए हो, तो उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। नीचे दिए गए वाक्यों में तीनों प्रकार के पुरुषवाचक सर्वनामों के नीचे रेखा खींचो

एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर चला आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा, “मैं भूख से मरा जा रहा हूँ। क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं?”

उत्तर एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर चला आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा, “मैं भूख से मरा जा रहा हूँ। क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं?”

प्रश्न 2. तगड़े बच्चे मसालेदार सब्जी बड़ा अंडा

यहाँ रेखांकित शब्द क्रमशः बच्चे, सब्जी और अंडे की विशेषता यानी गुण बता रहे हैं, इसलिए ऐसे विशेषणों को गुणवाचक विशेषण कहते हैं। इसमें व्यक्ति या वस्तु के अच्छे-बुरे हर तरह के गुण आते हैं। तुम चार गुणवाचक विशेषण लिखो और उनसे वाक्य बनाओ।

उत्तर

  • सुंदर – गीता बहुत सुंदर गाती थी।
  • नया – राघव ने नौकरी लगते ही नया घर खरीदा।
  • बुद्धिमान – सोनल कक्षा की सबसे बुद्धिमान छात्रा है।
  • ताजा – ताजा भोजन खाने से शरीर स्वस्थ रहता है।

प्रश्न 3.

(क) केशव ने झुंझलाकर कहा….
(ख) केशव रोनी सूरत बनाकर बोला….
(ग) केशव घबराकर उठा…
(घ) केशव ने टोकरी को एक टहनी से टिकाकर कहा….
(ङ) श्यामा ने गिड़गिड़ाकर कहा…..

ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखो ये शब्द रीतिवाचक क्रिया-विशेषण का काम कर रहे हैं, क्योंकि ये बताते हैं कि कहने, बोलने और उठने की क्रिया कैसे क्रिया हुई। ‘कर’ वाले शब्दों के क्रिया-विशेषण होने की एक पहचान यह भी है कि ये अकसर क्रिया से ठीक पहले आते हैं। अब तुम भी इन पाँच क्रिया-विशेषणों का वाक्यों में प्रयोग करो।

उत्तर

(क) झुंझलाकर – माँ ने झुंझलाकर कहा अब चुप हो जाओ।
(ख) बनाकर – बालक चित्र बनाकर चला गया।
(ग) घबराकर – तूफान की सूचना मिलते ही गाँव वाले घबराकर भागने लगे।
(घ) टिकाकर – अलमारी में मैंने कुछ पुस्तकें टिकाकर रख दीं।
(ङ) गिड़गिड़ाकर चोरी पकड़ी जाने पर नौकर ने गिड़गिड़ाकर माफी माँगी।

प्रश्न 4. नीचे प्रेमचंद की कहानी ‘सत्याग्रह’ का एक अंश दिया गया है। तुम इसे पढ़ोगे तो पाओगे कि विराम चिह्नों के बिना यह अंश अधूरा सा है। तुम आवश्यकता के अनुसार उचित जगहों पर विराम चिह्न लगाओ।

उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया 11 बज चुके थे चारों तरफ सन्नाटा छा गया था पंडित जी ने बुलाया खोमचेवाले खोमचेवाला कहिए क्या दूँ भूख लग आई न अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है हमारा आपका नहीं मोटेराम अबे क्या कहता है यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं? चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख न लगे तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि जरा अपनी कुप्पी मुझे दे देखूं तो वहाँ क्या रेंग रहा है मुझे भय होता है।

उत्तर उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया। 11 बज चुके थे। चारों तरफ सन्नाटा छा गया था। पंडित जी ने बुलाया, ‘खोमचेवाले !’ खोमचेवाला- ‘कहिए, क्या दूँ? भूख लग आई ना अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है, हमारा आपका नहीं।’ मोटेराम, ‘अबे ! क्या कहता है? यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं? चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख न लगे। तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि जरा अपनी कुप्पी मुझे दे। देखें तो, वहाँ क्या रेंग रहा है। मुझे भय होता है।’

कुछ करने को (पृष्ठ संख्या 22)

गर्मियों या सर्दियों में जब तुम्हारी लंबी छुट्टियाँ होती हैं, तो तुम्हारा दिन कैसे बीतता है? अपनी बुआ या किसी और को एक पोस्टकार्ड या अंतर्देशीय पत्र लिखकर बताओ।

उत्तर छात्र स्वयं करें

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 3 नादान दोस्त बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. ‘नादान दोस्त’ कहानी के कहानीकार का नाम है

(क) कृष्णा सोबती
(ख) विष्णु प्रभाकर
(ग) प्रेमचंद
(घ) विनय महाजन

उत्तर (ग) प्रेमचंद

2. केशव व श्यामा ने चिड़िया के खाने के लिए क्या रखा था?

(क) जौ
(ख) बाजरा
(ग) मक्का
(घ) चावल

उत्तर चावल

3. चिड़िया ने अंडे कहाँ दिए थे?

(क) पेड़ पर
(ख) खिड़की पर
(ग) कार्निस पर
(घ) छत पर

उत्तर (ग) कार्निस पर

4. श्यामा ने माँ को क्यों नहीं बताया कि दरवाजा केशव ने खोला था ?

(क) यह सुनकर माँ दोनों की पिटाई करतीं
(ख) क्योंकि इससे केशव नाराज़ हो जाता
(ग) यह सुनकर माँ उसे मारतीं
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर (ग) यह सुनकर माँ उसे मारतीं

5. माँ के सो जाने के बाद केशव और श्यामा चुपके से कहाँ आ गए?

(क) छत पर
(ख) कमरे के बाहर
(ग) कमरे के अंदर
(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर (ख) कमरे के बाहर

6. स्टूल पर कौन चढ़ा हुआ था?

(क) श्यामा
(ख) पिताजी
(ग) केशव
(घ) माताजी

उत्तर (ग) केशव

7. श्यामा और केशव अंडों को किससे बचाना चाहते थे?

(क) धूप से
(ख) बारिश से
(ग) हवा से
(घ) आँधी से

उत्तर (क) धूप से

8. अंडों से किस रंग का पानी निकल रहा था?

(क) पीला
(ख) नीला
(ग) सफेद
(घ) ये सभी

उत्तर (ग) सफेद

9. केशव को अपनी गलती पर क्या हुआ?

(क) अफ़सोस
(ख) गर्व
(ग) खुशी
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (क) अफ़सोस

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 3 नादान दोस्त गद्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

गद्यांश 1

केशव के घर कार्निस के ऊपर एक चिड़िया ने अंडे दिए थे। केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बड़े ध्यान से चिड़िया को वहाँ आते-जाते देखा करते। सवेरे दोनों आँखें मलते कार्निस के सामने पहुँच जाते और चिड़ा व चिड़िया दोनों को वहाँ बैठा पाते। उनको देखने में दोनों बच्चों को न मालूम क्या मजा मिलता, दूध और जलेबी की सुध भी न रहती थी। दोनों के दिल में तरह-तरह के सवाल उठते अंडे कितने बड़े होंगे? किस रंग के होंगे? कितने होंगे? क्या खाते होंगे? उनमें से बच्चे किस तरह निकल आएँगे? बच्चों के पर कैसे निकलेंगे? घोंसला कैसा है?

1. चिड़ा और चिड़िया को कौन देखता था?

(क) केशव
(ख) श्यामा
(ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर (ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनों

2. सवेरे नाश्ते में केशव और श्यामा क्या खाते थे?

(क) जलेबी और दही
(ख) डबल रोटी और दूध
(घ) दूध और बिस्कुट
(ग) दूध और जलेबी

उत्तर (ग) दूध और जलेबी

3. बच्चों के मन में क्या जिज्ञासा थी?

(क) अंडों को देखने की
(ख) चिड़िया को पालने की
(ग) अंडे गिनने की
(घ) चिड़िया उड़ाने की

उत्तर (क) अंडों को देखने की

4. केशव और श्यामा को किसमें आनंद आता था ?

उत्तर केशव और श्यामा को चिड़ा और चिड़िया देखने में बहुत आनंद आता था।

5. चिड़ा और चिड़िया बार-बार कार्निस के ऊपर क्यों आते थे?

उत्तर अंडों को सेने के लिए चिड़ा और चिड़िया बार-बार कार्निस के ऊपर आते थे।

6. केशव और श्यामा अंडों के विषय में क्या सोचते थे?

उत्तर चिड़ा और चिड़िया को आते-जाते देखकर केशव और श्यामा के मन में अनेक प्रश्न उठते; जैसे-अंडे कितने बड़े होंगे? किस रंग के होंगे? कितने होंगे? आदि।

गद्यांश 2

गर्मी के दिन थे। बाबू जी दफ्तर गए हुए थे। अम्मा दोनों बच्चों को कमरे में सुलाकर खुद सो गई थीं, लेकिन बच्चों की आँखों में आज नींद कहाँ?

अम्मा जी को बहलाने के लिए दोनों दम रोके, आँखें बंद किए, मौके का इंतजार कर रहे थे। ज्यों ही मालूम हुआ कि अम्मा जी अच्छी तरह से सो गईं, दोनों चुपके से उठे और बहुत धीरे से दरवाजे की सिटकनी खोलकर बाहर निकल आए। अंडों की हिफाजत की तैयारियाँ होने लगीं।

1. कैसे दिनों की बात है?

(क) बरसात के
(ख) सर्दी के
(ग) गर्मी के
(घ) वसंत के

उत्तर (ग) गर्मी के

2. बच्चों के पिताजी कहाँ गए थे?

(क) दफ्तर
(ख) बाजार
(ग) बैंक
(घ) अस्पताल

उत्तर (क) दफ्तर

3. किसकी हिफाजत की तैयारियाँ होने लगीं?

(क) माँ की
(ख) अंडों की
(ग) दरवाजे की
(घ) स्टूल की

उत्तर (ख) अंडों की

4. दोपहर होने पर अम्मा ने क्या किया?

उत्तर दोपहर होने पर अम्मा ने दोनों बच्चों- केशव और श्यामा को कमरे में सुला दिया। बच्चों के सोने के बाद वे स्वयं भी सो गईं।

5. बच्चों की आँख में आज नींद क्यों नहीं थी?

उत्तर बच्चों की आँख में नींद इसलिए नहीं थी, क्योंकि केशव और श्यामा को अंडों की हिफाजत की तैयारियाँ करनी थी।

6. माँ के सोते ही दोनों बच्चों ने क्या किया?

उत्तर माँ के सोते ही दोनों बच्चे चुपचाप उठे और दरवाजे की सिटकनी खोलकर बाहर निकल आए।

गद्यांश 3

आखिर यही फैसला हुआ कि घोंसले के ऊपर कपड़े की छत बना देनी चाहिए। पानी की प्याली और थोड़े से चावल रख देने का प्रस्ताव भी स्वीकृत हो गया। दोनों बच्चे बड़े चाव से काम करने लगे श्यामा, माँ की आँख बचाकर मटके से चावल निकाल लाई। केशव ने पत्थर की प्याली का तेल चुपके से जमीन पर गिरा दिया और उसे खूब साफ करके उसमें पानी भरा। अब चाँदनी के लिए कपड़ा कहाँ से आए? फिर ऊपर बगैर छड़ियों के कपड़ा ठहरेगा कैसे और छड़ियाँ खड़ी होंगी कैसे?

केशव बड़ी देर तक इसी उधेड़बुन में रहा। आखिरकार उसने यह मुश्किल भी हल कर दी। श्यामा से बोला- जाकर कूड़ा फेंकने वाली टोकरी उठा लाओ । अम्माँ जी को मत दिखाना। श्यामा वह तो बीच से फटी हुई है। उसमें से धूप न जाएगी? केशव ने झुंझलाकर कहा- तू टोकरी तो ला, मैं उसका सुराख बंद करने की हिकमत निकालूँगा।

1. घोंसले के ऊपर किसकी छत बनाने का फैसला हुआ?

(क) ईंटों की
(ख) कागज की
(ग) टिन की
(घ) कपड़े की

उत्तर (घ) कपड़े की

2. केशव ने प्याली का तेल कहाँ फेंका?

(क) गमले में
(ख) जमीन पर
(ग) कप में उत्तर
(घ) प्लेट में

उत्तर (ख) जमीन पर

3. प्यास के कारण कौन तड़पता होगा?

(क) अम्मा
(ख) बाबूजी
(ग) केशव
(घ) चिड़िया के बच्चे

उत्तर (घ) चिड़िया के बच्चे

4. बच्चों में क्या प्रस्ताव स्वीकृत किया गया?

उत्तर केशव और श्यामा ने चिड़िया के बच्चों के कष्टों को समझा। उन कष्टों को दूर करने के लिए बच्चों ने कपड़ों की छत बनाने, प्याली में चावल रखने का प्रस्ताव स्वीकृत किया।

5. चिड़िया के बच्चों के कष्टों को दूर करने के लिए केशव और श्यामा चाव से क्या काम करने लगे?

उत्तर केशव और श्यामा चिड़िया के बच्चों की सुरक्षा तथा खाने-पीने का काम बड़े चाव से करने लगे।

6. श्यामा ने क्या काम किया?

उत्तर श्यामा माँ की आँख बचाकर मटके से चावल निकालकर ले आई, जिन्हें चिड़िया के बच्चों के खाने के लिए रखा जा सके।

गद्यांश 4

चार बजे यकायक श्यामा की नींद खुली। किवाड़ खुले हुए थे। वह दौड़ी हुई कार्निस के पास आई और ऊपर की तरफ ताकने लगी। टोकरी का पता न था। संयोग से उसकी नजर नीचे गई और वह उल्टे पाँव दौड़ती हुई कमरे में जाकर जोर से बोली- भइया, अंडे तो नीचे पड़े हैं, बच्चे उड़ गए। केशव घबराकर उठा और दौड़ा हुआ बाहर आया तो क्या देखता है कि तीनों अंडे नीचे टूटे पड़े हैं और उनसे कोई चूने की-सी चीज़ बाहर निकल आई है। पानी की प्याली भी एक तरफ टूटी पड़ी है।

1. श्यामा की नींद कितने बजे खुली ?

(क) दो बजे
(ख) तीन बजे
(ग) चार बजे
(घ) दस बजे

उत्तर (ग) चार बजे

2. नींद खुलने पर श्यामा दौड़ती हुई कहाँ आई ?

(क) कमरे में
(ख) कार्निस के पास
(ग) छत पर
(घ) अस्पताल में

उत्तर (ख) कार्निस के पास

3. अंडे कहाँ पड़े थे ?

(क) अलमारी में
(ख) बक्से में
(ग) रसोई में
(घ) नीचे जमीन पर

उत्तर (घ) नीचे जमीन पर

4. श्यामा ने उठते ही क्या किया?

उत्तर श्यामा की नींद जब अचानक चार बजे खुल गई तो वह उठते ही कार्निस के पास गई और ऊपर की ओर ताकने लगी।

5. श्यामा उल्टे पाँव वापस केशव के पास क्यों गई?

उत्तर श्यामा कार्निस से नीचे गिरे अंडों को देखकर घबरा गई और उल्टे पाँव केशव के पास गई।

6. केशव के चेहरे का रंग उड़ने का क्या कारण था?

उत्तर केशव को जब श्यामा ने बताया कि अंडे नीचे पड़े हैं और बच्चे उड़ गए हैं, तो घबराता हुआ कमरे से बाहर आया और देखा कि तीनों अंडे टूटे पड़े हैं। पानी की प्याली भी टूट गई थी। यह देखकर उसके चेहरे का रंग उड़ गया था।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 3 नादान दोस्त अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. केशव और श्यामा कौन थे? दोनों सवेरे उठते ही कहाँ जाते थे?

उत्तर केशव और श्यामा भाई-बहन थे। दोनों सवेरे उठते ही कार्निस के पास चले जाते थे।

2. केशव के घर की कार्निस पर क्या था?

उत्तर केशव के घर की कार्निस के ऊपर एक चिड़िया ने अंडे दिए थे।

3. केशव और श्यामा आपस में ही सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे लिया करते थे?

उत्तर केशव और श्यामा की अम्मा घर के काम-काज में व्यस्त रहती थीं। उनके बाबूजी को पढ़ने-लिखने से फुरसत नहीं थी। इसलिए केशव और श्यामा आपस में ही सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे लिया करते थे।

4. श्यामा ने पूछा- बच्चे निकलकर फुर्र से उड़ जाएँगे? केशव ने इस प्रश्न का क्या उत्तर दिया?

उत्तर श्यामा के प्रश्न को ध्यानपूर्वक सुनकर केशव ने विद्वानों की तरह गर्व से उत्तर दिया- नहीं री पगली, पहले पर निकलेंगे। बगैर परों के बेचारे कैसे उड़ेंगे?

5. तीन-चार दिन बाद बच्चों ने अंडों के बारे में क्या अनुमान लगाया?

उत्तर तीन-चार दिन बाद बच्चों ने अंडों के बारे में अनुमान लगाया कि अब जरूर बच्चे निकल आए होंगे।

6. बच्चों ने टोकरी का क्या प्रयोग किया?

उत्तर बच्चों ने टोकरी टहनी से टिकाकर घोंसले पर आड़ी करके रख दी, जिससे घोंसले पर धूप न आए।

7. केशव अंडों तक कैसे पहुँचा ?

उत्तर केशव कमरे से स्टूल लाया उसके ऊपर नहाने की चौकी लाकर स्टूल के नीचे रखी। स्टूल की चारों टाँगे बराबर नहीं थीं, इसलिए श्यामा ने दोनों हाथों से स्टूल को पकड़ा। इस प्रकार स्टूल पर चढ़कर केशव अंडों तक पहुँच गया।

8. दोनों बच्चे कमरे से बाहर कब आए ?

उत्तर बच्चों की माँ जब सो गईं, तो दोनों बच्चे चुपके से उठे और धीरे से दरवाजे की सिटकनी खोलकर कमरे से बाहर आ गए।

9. श्यामा के बार-बार कहने पर भी केशव ने उसे अंडे क्यों नहीं दिखाए?

उत्तर केशव को डर था कि जरा सी असावधानी से श्यामा स्टूल से गिर पड़ेगी, इसलिए श्यामा के बार-बार कहने पर भी केशव ने उसे अंडे नहीं दिखाए।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 3 नादान दोस्त लघु उत्तरीय प्रश्न

1. बच्चों के प्रश्नों का जवाब देने वाला कोई क्यों नहीं था?

उत्तर श्यामा और केशव अपने बाबूजी और अम्मा के साथ घर में रहते थे। बाबूजी और अम्माजी के अतिरिक्त घर में और कोई बड़ा नहीं रहता था। चिड़ा और चिड़िया को कार्निस पर आते-जाते देख दोनों के मन में अनेक प्रश्न उठते थे। बाबूजी पढ़ने-लिखने में बहुत व्यस्त रहते थे और अम्मा को घर के काम-काज के कारण समय नहीं था। इसलिए बच्चों के प्रश्नों का जवाब देने वाला कोई नहीं था।

2. चिड़िया के बच्चों के लिए दाने और पानी का प्रबंध केशव और श्यामा ने किस प्रकार किया?

उत्तर केशव और श्यामा दोनों ने चिड़िया के बच्चों के लिए दाने पानी का प्रबंध करने का फैसला ले लिया था। श्यामा माँ की आँख बचाकर मटके में से चावल निकालकर ले आई। केशव ने पत्थर की प्याली का तेल फेंककर उसे साफ किया और उसमें पानी भरकर रखा।

3. अम्मा के सो जाने पर बच्चे किस अवसर का इंतजार कर रहे थे?

उत्तर गर्मी के दिन थे। केशव और श्यामा के बाबूजी दफ्तर जा चुके थे। दोनों बच्चों को कमरे में सुलाकर अम्मा जी सो गई थीं। बच्चे दम रोके, आँखें बंद किए पड़े थे, उन्हें नींद नहीं आ रही थी। दोनों बच्चे माँ के सोने का ही इंतजार कर रहे थे, जिससे वे कमरे से बाहर निकल सकें।

4. अंडे टूट जाने के बाद केशव को क्या महसूस हुआ?

उत्तर चिड़िया के अंडे टूट जाने के बाद केशव को कई दिनों तक अपनी गलती पर अफसोस होता रहा। केशव अकसर इस घटना को याद करके रो भी पड़ता था। केशव और श्यामा अंडों की सुरक्षा करना चाहते थे, किंतु उनकी नादानी के कारण अंडे टूट गए थे।

5. ‘नादान दोस्त’ कहानी के अंत से आपको क्या सीख मिली?

उत्तर ‘नादान दोस्त’ कहानी के अंत में बच्चों की नादानी के कारण चिड़िया ने अपने अंडे नीचे फेंककर तोड़ दिए और उन अंडों को नहीं सेया । मुझे इस कहानी के अंत से सीख मिली कि हमें जीव-जंतुओं के जीवन में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्हें स्वतंत्र रहने देना चाहिए।

6. यदि आपके घर के पास रहने वाला बच्चा अपनी गुलेल से पशु-पक्षियों को मारता है, तो आप उसे किस प्रकार समझाएँगे और ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे?

उत्तर यदि मेरे घर के पास रहने वाला बच्चा अपनी गुलेल से पशु-पक्षियों को मारेगा तो मैं उसके घर जाऊँगा। उस बच्चे को समझाऊँगा कि जीव-जंतु में जीवन होता है, उन्हें भी मनुष्य की तरह दर्द होता है। हमें जीव-जंतुओं की रक्षा करनी चाहिए। प्रत्येक जीव पर्यावरण का अभिन्न हिस्सा है। उनकी सुरक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 3 नादान दोस्त दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. केशव और श्यामा कार्निस पर रखे अंडों में से निकलने वाले चिड़िया के बच्चों के विषय में आपस में क्या सवाल-जवाब करते थे? अथवा केशव और श्यामा के मन में चिड़िया के अंडों के बारे में किस तरह के सवाल-जवाब आते रहते थे?

उत्तर केशव और श्यामा की अम्मा और बाबूजी बहुत व्यस्त रहते थे। इसलिए वे दोनों आपस में ही सवाल जवाब करते थे। श्यामा ने केशव से पूछा- भैय्या ? क्या, बच्चे निकलकर फुर्र से उड़ जाएँगे? केशव ने बहुत समझदारी से गर्व के साथ उत्तर दिया- नहीं री पगली, पहले पर निकलेंगे। बगैर परों के बेचारे बच्चे नहीं उड़ सकते। श्यामा ने प्रश्न किया- चिड़िया बेचारी बच्चों को क्या खिलाएगी? केशव इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे सका, क्योंकि यह प्रश्न बहुत कठिन था।

2. “केशव जब स्टूल पर खड़ा होकर अंडों की हिफाजत कर रहा था तब उसका मन व्यथित था।” नादान दोस्त कहानी के आधार पर इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर केशव जब स्टूल पर खड़ा होकर अंडों की हिफाजत कर रहा था तब उसका मन व्यथित था, क्योंकि वह अंडों की हिफाजत करने के लिए स्टूल के ऊपर डरते-डरते चढ़ा था और श्यामा ने दोनों हाथों से उस स्टूल को पकड़ा हुआ था। स्टूल की चारों टाँगें बराबर नहीं थीं इसलिए जिस तरफ स्टूल पर ज्यादा दबाव पड़ता। वह उस ओर झुक जाता था, जिससे उसे परेशानी उठानी पड़ती थी। संतुलन के बिगड़ जाने पर वह दोनों हाथों से कार्निस को पकड़ लेता था और दबी आवाज में श्यामा को डाँटता था ।

3. श्यामा ने किस विचार से खुश होकर बोला- “अब तो चिड़िया को चारे के लिए कहीं उड़कर न जाना पड़ेगा?”

उत्तर श्यामा और केशव ने अनुमान लगाया था कि घोंसले में रखे अंडों में से बच्चे निकल आए होंगे। बच्चों को खिलाने के लिए चिड़िया बेचारी इतना दाना कहाँ पाएगी कि सारे बच्चों का पेट भर सके।

चूँ-चूँ करके बच्चे भूख से मर जाएँगे। इस विचार से बच्चे घबरा गए। तभी श्यामा को कार्निस पर दाना रख देने का विचार आया। श्यामा इस विचार के आते ही खुश हो गई, क्योंकि अब चिड़िया को चारे के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा।

4. अंडे गंदे क्यों हुए और उन अंडों का क्या हुआ ?

उत्तर केशव ने सुरक्षा के विचार से तिनकों पर पुराने कपड़ों की गद्दी बनाकर रखी और उसके ऊपर अंडे रख दिए थे, केशव ने अंडों को छू लिया था । इसीलिए चिड़िया के अंडे गंदे हो गए थे। चिड़िया जब वापस अपने घोंसले में आई तो उसे देखा कि उसके अंडों को हाथ लगा दिया गया है, इसी कारण चिड़िया ने अंडों को नहीं सेया और चिड़िया ने उन अंडों को उठाकर घोंसले से नीचे फेंक दिया। गिरने से अंडे टूट गए और उनमें से चूने जैसा तरल पदार्थ निकल आया।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 2 बचपन Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 2 बचपन Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 2 बचपन पाठ का सार

उम्र में सयानापन और बचपन का पहनावा

‘बचपन’, लेखिका कृष्णा सोबती द्वारा लिखा गया संस्मरण है। लेखिका ने इस पाठ में अपने बचपन के बारे में बताया है। लेखिका का जन्म पिछली शताब्दी में हुआ था। इस समय लेखिका नानी या दादी की उम्र की हैं। वह बच्चों की बड़ी मौसी या बुआ की उम्र की भी हो सकती हैं। परिवार में सभी लोग उन्हें जीजी कहते हैं। इस उम्र में वे अपने आप को बुजुर्ग महसूस करती हैं।

उम्र के साथ लेखिका के पहनावे में बदलाव आ गया। पहले वे गहरे रंग के कपड़े पहनती थीं, अब सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनती हैं। लेखिका ने अपने बचपन की कई फ्रॉकों के बारे में बताया है। किसी फ्रॉक में खूब घेर होता, तो किसी में फ्रिल लगी होती थी। लेखिका गोल कफ और गोल कॉलर वाले फ्रॉक भी पहनती थीं तथा उनके पास फर लगा एक गरम फ्रॉक भी था। फ्रॉक की ऊपर वाली जेब में रुमाल रहता था तथा बालों में रंग-बिरंगे रिबन लगाती थीं।

शनिवार और रविवार के प्रमुख कार्य

लेखिका को प्रत्येक शनिवार को ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल पीना पड़ता था, जिसकी गंध बहुत बुरी लगती थी। जिस गिलास में वे कैस्टर ऑयल या ऑलिव ऑयल पीतीं, उसे देखते ही मितली सी होने लगती थी। लेखिका रविवार को अपने मोजे स्वयं धोती थीं, फिर अपने जूतों पर पॉलिश करके उन्हें कपड़े या ब्रश से चमकाती थीं।

लेखिका को अब भी जूतों पर पॉलिश करना अच्छा लगता है। नए जूते पहनने पर पैरों में छाले पड़ जाते थे, इसलिए छालों से बचने के लिए जूते में रुई लगाती थीं। आजकल विभिन्न तरीकों के आरामदेह जूते मिलने लगे हैं। मनोरंजन के साधनों और खानपान में बदलाव लेखिका जब छोटी थीं, तब मनोरंजन के लिए रेडियो और टेलीविजन नहीं होते थे, बल्कि घरों में ग्रामोफोन होते थे।

उस समय लोग कुल्फी, कचौड़ी और समोसा खाते थे, पर अब आइसक्रीम और पेटीज़ खाई जाती हैं। पहले शहतूत, फालसे और खसखस का शरबत पिया जाता था, अब कोक और पेप्सी पी जाती हैं।

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शिमला में लेखिका का घर मॉल के पास था। वे मॉल से हफ्ते भर में एक बार चॉकलेट खरीदती और रात में खाने के बाद बिस्तर में लेटकर उसे खूब आनंद से खातीं। उन्हें शिमला के काफल, आग पर भुने हुए चेस्टनट चना जोर गरम और अनारदाने का चूर्ण भी पसंद थे। आज भी चना जोर गरम की पुड़िया कागज को तिरछी करके पहले की तरह बनाई जाती है।

शिमला में बिताए गए बचपन के दिन

लेखिका बचपन में शिमला रिज जाकर घुड़सवारी करती थीं। शाम को रंगीन गुब्बारे, जाखू का पहाड़ और चर्च की घंटियों के स्वर बहुत मनभावन लगते थे।

सूर्यास्त का दृश्य बहुत सुंदर होता था। दुकानों पर खूब रौनक रहती थी तथा स्कैंडल प्वॉइंट पर बहुत भीड़ होती थी। स्कैंडल प्वॉइंट के सामने एक दुकान थी, जिसमें शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल रखा हुआ था। उन दिनों यह सबसे तेज रफ्तार वाली ट्रेन थी।

कभी-कभी हवाई जहाज भी देखने को मिलते थे, जिन्हें देखकर ऐसा लगता था कि कोई बड़ा पक्षी उड़ रहा है। उसी दुकान के बराबर में चश्मे की दुकान थी, जहाँ से लेखिका ने अपना पहला चश्मा बनवाया था।

लेखिका का चश्मा और टोपियाँ

बचपन से ही लेखिका को चश्मा लग गया था, जिसकी जिम्मेदार वे स्वयं को मानती हैं। डॉक्टर ने कहा था कि बाद में चश्मा उतर जाएगा, पर अब तक नहीं उतरा, बस नंबर कम होता गया क्योंकि लेखिका रात में टेबल लैंप की रोशनी में काम करती थीं। शुरू में चश्मा लगाना लेखिका को अटपटा लगता था।

चचेरे भाई बहुत चिढ़ाते थे। उनके जाने के बाद आईने में अपनी सूरत देखती थीं। धीरे-धीरे चश्मा लगाने की आदत हो गई। अब तो चश्मा न लगाने पर चेहरा सूना लगता था । अब उन्हें दुपट्टा ओढ़ने के बदले हिमाचली टोपी पहनना ज्यादा अच्छा लगता है। इसी कारण उन्होंने कई रंगों की टोपियाँ जमा कर ली थीं।

शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 2 बचपन (कृष्णा सोबती) Question And Answers शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 2 बचपन पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

संस्मरण से (पृष्ठ संख्या 10)

प्रश्न 1. लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या-क्या काम करती थीं?

उत्तर लेखिका बचपन में इतवार की सुबह अपने मोज़े धोती थीं, क्योंकि उन्हें यह कार्य नौकर या नौकरानी से करवाने के लिए मना किया हुआ था । इसके पश्चात् वे अपने जूतों पर पॉलिश करती थीं तथा उन्हें कपड़े या ब्रश से रगड़कर चमकाती थीं।

प्रश्न 2. ‘तुम्हें बताऊँगी कि हमारे समय और तुम्हारे समय में कितनी दूरी हो चुकी है।’ इस बात के लिए लेखिका क्या-क्या उदाहरण देती हैं?

उत्तर ‘तुम्हें बताऊँगी कि हमारे समय और तुम्हारे समय में कितनी दूरी हो चुकी है।’ इस बात के लिए लेखिका निम्नलिखित उदाहरण देती हैं।

  • पहले केवल कुछ घरों में ग्रामोफोन थे तथा रेडियो और टेलीविजन नहीं होते थे, जबकि आजकल ये सभी घरों में उपलब्ध हैं।
  • पहले लोग कचौड़ी, समोसा और कुल्फी खाते थे, अब पेटीज़ और आइसक्रीम खाने लगे हैं।
  • पहले फ़ालसे और खसखस का शरबत पीते थे, अब कोक और पेप्सी जैसे शीतल पेय पदार्थों ने स्थान ले लिया है।
  • उन दिनों बाज़ार में कोक नहीं, बल्कि लेमनेड और विमटो मिलती थी।

प्रश्न 3. पाठ से पता करके लिखो कि लेखिका को चश्मा क्यों लगाना पड़ा? चश्मा लगाने पर उनके चचेरे भाई उन्हें क्या कहकर चिढ़ाते थे?

उत्तर लेखिका बचपन में रात को टेबल लैंप की रोशनी में काम करती थीं, जिसके कारण उनकी नजर कमजोर हो गई और उन्हें चश्मा लगाना पड़ा। चश्मा लगाने पर लेखिका के चचेरे भाई उन्हें छेड़ते हुए कहते थे-

आँख पर चश्मा लगाया
ताकि सूझे दूर की
यह नहीं लड़की को मालूम
सूरत बनी लंगूर की !

प्रश्न 4. लेखिका अपने बचपन में कौन-कौन सी चीज़ें आनंद ले-लेकर खाती थीं? उनमें से प्रमुख फलों के नाम लिखो ।

उत्तर लेखिका अपने बचपन में कुल्फी, शरबत, पेस्ट्री, चनाजोर गरम, अनारदाने का चूरन, आग पर भुने चेस्टनट चॉकलेट बड़े आनंद से खाती थीं। उनको सप्ताह में एक बार चॉकलेट खरीदने की छूट थी। लेखिका चॉकलेट को साइडबोर्ड पर रख देती थीं, फिर बिस्तर पर लेटकर आनंद से खाती थीं। इसके अतिरिक्त फलों में उन्हें काफ़ल, रसभरी और कसमल पसंद थे।

संस्मरण से आगे (पृष्ठ संख्या 10)

प्रश्न 1. लेखिका के बचपन में हवाई जहाज की आवाज़ें, घुड़सवारी, ग्रामोफ़ोन और शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल ही आश्चर्यजनक आधुनिक चीजें थीं, आज क्या-क्या आश्चर्यजनक आधुनिक चीजें तुम्हें आकर्षित करती हैं? उनके नाम लिखो।

उत्तर आज की आधुनिक चीजों में हमें मोबाइल फोन, आई फोन, इंटरनेट, कंप्यूटर, रोबोट, मिसाइलें, ग्रहों पर जाने वाले उपग्रह, मेट्रो ट्रेन, मोटर कार, बाइक बहुत आकर्षित करते हैं।

प्रश्न 2. अपने बचपन की कोई मनमोहक घटना याद करके विस्तार से लिखो ।

उत्तर विद्यार्थी अपने जीवन में घटी किसी घटना का वर्णन स्वयं करें।

अनुमान और कल्पना ( पृष्ठ संख्या 10)

प्रश्न 1. वर्ष 1935-40 के लगभग लेखिका का बचपन शिमला में अधिक दिन गुजरा। उन दिनों के शिमला के विषय में जानने का प्रयास करो।

उत्तर लेखिका का बचपन अधिकांशतः शिमला में बीता। लेखिका ने पाठ में शिमला का जो वर्णन किया है, उससे लगता है कि उन दिनों भी शिमला का प्राकृतिक सौंदर्य दर्शनीय रहा होगा। छोटी-छोटी पहाड़ियों वाले शहर में चढ़ाई चढ़कर गिरजा मैदान पहुँचना और वहाँ से थोड़ा नीचे उतरकर मॉल जाना अच्छा लगता होगा। स्कैंडल प्वॉइंट और मॉल की दुकानों पर रौनक रहती होगी। शाम के समय पहाड़ों के बीच सूर्यास्त बहुत सुंदर लगता होगा। उस समय शिमला रिज की रौनक अद्भुत रही होगी।

प्रश्न 2. लेखिका ने इस संस्मरण में सरवर के माध्यम से अपनी बात बताने की कोशिश की है, लेकिन सरवर का कोई परिचय नहीं दिया है। अनुमान लगाओ कि सरवर कौन हो सकता है?

उत्तर लेखिका ने इस संस्मरण में ‘सरवर’ शब्द का प्रयोग दो बार किया है। इसके अतिरिक्त उस व्यक्ति के लिए अन्य संबोधन का प्रयोग नहीं हुआ है। ऐसा प्रतीत होता है कि ‘सरवर’ लेखिका का कोई परिचित व्यक्ति होगा, जिसे वह बार-बार संबोधित करके अपने बचपन की यादें सुना रही हैं।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 11)

प्रश्न 1. क्रियाओं से भी भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं; जैसे-मारना से मार, काटना से काट, हारना से हार, सीखना से सीख, पलटना से पलट और हड़पना से हड़प आदि भाववाचक संज्ञाएँ बनी हैं। तुम भी इस संस्मरण से कुछ क्रियाओं को छाँटकर लिखो और उनसे भाववाचक संज्ञा बनाओ।

उत्तर

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 2 बचपन (कृष्णा सोबती) Question And Answers भाषा की बात

प्रश्न 2. चार दिन, कुछ व्यक्ति, एक लीटर दूध आदि शब्दों के प्रयोग पर ध्यान दो तो पता चलेगा कि इसमें चार, कुछ और एक लीटर शब्द से संख्या या परिमाण का आभास होता है, क्योंकि ये संख्यावाचक विशेषण हैं। इसमें भी चार दिन से निश्चित संख्या का बोध होता है, इसलिए इसको निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं और कुछ व्यक्ति से अनिश्चित संख्या का बोध होने से इसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। इसी प्रकार एक लीटर दूध से परिमाण का बोध होता है, इसलिए इसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। अब तुम नीचे लिखे वाक्यों को पढ़ो और उनके सामने विशेषण के भेदों को लिखो

(क) मुझे दो दर्जन केले चाहिए।
(ख) दो किलो अनाज दे दो।
(ग) कुछ बच्चे आ रहे हैं।
(घ) सभी लोग हँस रहे थे।
(ङ) तुम्हारा नाम बहुत सुंदर है।

उत्तर

(क) दो दर्जन – निश्चित संख्यावाचक विशेषण
(ख) दो किलो – निश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(ग) कुछ – अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(घ) सभी – अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(ङ) तुम्हारा – सार्वनामिक विशेषण, सुंदर – गुणवाचक विशेषण

प्रश्न 3. कपड़ों में मेरी दिलचस्पियाँ मेरी मौसी जानती थीं। इस वाक्य में रेखांकित शब्द ‘दिलचस्पियाँ’ और ‘मौसी’ संज्ञाओं की विशेषता बता रहे हैं, इसलिए ये सार्वनामिक विशेषण हैं। सर्वनाम कभी-कभी विशेषण का काम भी करते हैं। पाठ में से ऐसे पाँच उदाहरण छाँटकर लिखो।

उत्तर पाठ में दिए गए पाँच उदाहरण निम्न प्रकार हैं

  1. मैं तुम्हें अपने बचपन की ओर ले जाऊँगी।
  2. हमारा घर माल से अधिक दूर नहीं था।
  3. उन दिनों फ्रॉक के ऊपर की जेब में रुमाल रखने का चलन था।
  4. मेरे चेहरे की ओर देखते और कहते।
  5. हम बच्चे इतवार की सुबह इसी में लगते।

कुछ करने को (पृष्ठ संख्या 12)

प्रश्न 1. यदि तुम्हें अपनी पोशाक बनाने को कहा जाए, तो कैसी पोशाक बनाओगे और पोशाक बनाते समय किन बातों का ध्यान रखोगे? अपनी कल्पना से पोशाक का डिजाइन बनाओ।

उत्तर यदि हमें पोशाक बनाने को कहा जाए, तो हम वर्तमान समय में चल रहे डिजाइन के अनुसार पोशाक बनाएँगे। मौसम का विशेष ध्यान रखेंगे। मौसम के अनुसार ही कपड़े का चुनाव और रंग का चुनाव करेंगे। अपनी कद-काठी का अवश्य ध्यान रखेंगे ऐसी पोशाक बनाएँगे, जो स्वयं पर अच्छी लगे विद्यार्थी अपनी कल्पना से पोशाक का डिजाइन स्वयं बनाएँ।

प्रश्न 2. तीन-तीन के समूह में अपने साथियों के साथ कपड़ों के नमूने इकट्ठा करके कक्षा में बताओ। इन नमूनों को छूकर देखो और अंतर महसूस करो। यह भी पता करो कि कौन सा कपड़ा किस मौसम में पहनने के लिए अनुकूल है ?

उत्तर छात्र विभिन्न मौसम में पहनने वाले कपड़ों के नमूने एकत्र करेंगे। बताएँगे सूती कपड़ा गर्मी, ऊनी कपड़ा सर्दी में पहनने के लिए आरामदायक होता है। इसके अतिरिक्त खादी, सिल्क और पॉलिस्टर के नमूने देखकर अंतर बताएँगे।

प्रश्न 3. हथकरघा और मिल के कपड़े बनाने के तरीकों के बारे में पता करो। संभव हो तो किसी कपड़े के कारखाने में जाकर भी जानकारी इकट्ठी करो।

उत्तर हथकरघा पर हाथ से कपड़ा बनाया जाता है। सूती और सिल्क दोनों प्रकार के कपड़े हथकरघों पर बुने जाते हैं। मिल में मशीनों द्वारा कपड़े बुने जाते हैं। छात्र किसी कारखाने में जाकर यह जानने का प्रयास करें कि कपड़ा बनाने की प्रक्रिया क्या है।

प्रश्न 4. हमारे देश में तरह-तरह के भोजन, तरह-तरह की पोशाकें प्रचलित हैं। कक्षा के बच्चे और शिक्षक इनके विविध रूपों के बारे में बातचीत करें।

उत्तर हमारे देश में जो फसल होती है, उसी के अनुसार भोजन खाया जाता है। जैसे दक्षिण भारत में चावल अधिक होता है। इसलिए अधिकतर भोज्य चावल से बना होता है।

गुजरात, राजस्थान में घाघरा और चोली पहनने का चलन है। स्त्रियाँ हर प्रांत में साड़ी पहनती हैं, परंतु उनके पहनने के तरीके में अंतर होता है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 2 बचपन बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. लेखिका का जन्म किस सदी में हुआ था?

(क) 18वीं
(ख) 19वीं
(ग) 20वीं
(घ) 21वीं

उत्तर (ग) 20वीं

2. लेखिका शनिवार को कौन-सा ऑयल पीती थी?

(क) नारियल तेल
(ख) देशी घी
(ग) सरसों तेल
(घ) ऑलिव ऑयल

उत्तर (घ) ऑलिव ऑयल

3. लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या काम करती थी?

(क) वह नृत्य करती थी
(ख) वह विद्यालय जाती थी
(ग) वह अपने मोजे व जूते पॉलिश करती थी
(घ) वह पौधों की देख-रेख करती थी

उत्तर (ग) वह अपने मोजे व जूते पॉलिश करती थीं

4. पहले गीत-संगीत सुनने के क्या साधन थे?

(क) सी. डी. प्लेयर
(ख) टेलीविजन
(ग) रेडियो
(घ) ग्रामोफोन

उत्तर (घ) ग्रामोफोन

5. इस संस्मरण में लेखिका किसकी चर्चा कर रही है?

(क) अपने बचपन की
(ख) अपने बच्चों की
(ग) अपने परिवार की
(घ) अपनी वृद्धावस्था की

उत्तर (क) अपने बचपन की

6. लेखिका को सप्ताह में कितनी बार चॉकलेट खरीदने की छूट थी?

(क) एक बार
(ख) दो बार
(ग) तीन बार
(घ) चार बार

उत्तर (क) एक बार

7. दुकान के सामने किस ट्रेन का मॉडल था?

(क) मेट्रो रेल का
(ख) भारतीय रेल का
(ग) शिमला-कालका ट्रेन का
(घ) वंदे भारत ट्रेन का

उत्तर (ग) शिमला-कालका ट्रेन का

8. पिछली सदी में कौन सी चीज़ खास थी?

(क) हवाई जहाज
(ख) आइसक्रीम
(ग) चॉलकेट
(घ) बैलगाड़ी

उत्तर (क) हवाई जहाज

9. निम्न में से उर्दू शब्द कौन-सा है?

(क) फ़र्क
(ख) खुराक
(ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनों

10. हमारे लिए पढ़ने का सही समय कौन-सा होता है?

(क) रात में अधिक प्रकाश में
(ख) कम रोशनी में
(ग) दिन के प्रकाश में
(घ) कृत्रिम रोशनी में

उत्तर (ग) दिन के प्रकाश में

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 2 बचपन गद्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

गद्यांश 1

हाँ, मैं इन दिनों कुछ बड़ा बड़ा यानी उम्र में सयाना महसूस करने लगी हूँ। शायद इसलिए कि पिछली शताब्दी में पैदा हुई थी। मेरे पहनने ओढ़ने में भी काफी बदलाव आए हैं। पहले मैं रंग-बिरंगे कपड़े पहनती रही हूँ। नीला – जामुनी – ग्रे- काला चॉकलेटी अब मन कुछ ऐसा करता है कि सफेद पहनो गहरे नहीं, हल्के रंग ।

मैंने पिछले दशकों में तरह-तरह की पोशाकें पहनी हैं। पहले फ्रॉक, फिर निकर वॉकर, स्कर्ट, लहँगे, गरारे और अब चूड़ीदार और घेरदार कुर्ते ।

1. लेखिका उम्र में क्या महसूस करने लगी थी?

(क) उदास
(ख) बीमार
(ग) छोटा
(घ) सयाना

उत्तर (घ) सयाना

2. लेखिका पहले कैसे कपड़े पहनती थी?

(क) नीले
(ख) चॉकलेटी
(ग) रंग-बिरंगे
(घ) पीले

उत्तर (ग) रंग-बिरंगे

3. परिवार के सभी लोग लेखिका को क्या कहकर पुकारते थे?

(क) दादी
(ख) नानी
(ग) जीजी
(घ) दीदी

उत्तर (ग) जीजी

4. लेखिका यह क्यों समझती थी कि आजकल वह सयानी हो गई है?

उत्तर लेखिका का जन्म पिछली शताब्दी में हुआ था, अब उनकी उम्र दादी या नानी के बराबर हो गई है। उम्र बढ़ने के कारण लेखिका अपने आप को सयाना महसूस करने लगीं।

5. लेखिका के पहनावे में बदलाव क्यों आया?

उत्तर उम्र बढ़ने के कारण प्रत्येक मनुष्य के पहनावे में बदलाव आ जाता है। लेखिका भी अब अपने आप को बड़ी उम्र का महसूस करने लगी थी, इसलिए उनके पहनावे में काफी बदलाव आ गया।

6. लेखिका के बचपन से अब तक के पहनावे में क्या-क्या बदलाव आए?

उत्तर लेखिका बचपन में फ्रॉक पहनती थी, फिर निकर वॉकर, स्कर्ट, लहँगे व गरारे पहनने लगी, लेकिन वे अब उम्र बढ़ने के कारण हल्के रंगों के घेरदार कुर्ता पजामा पहनती हैं।

गद्यांश 2

हर शनीचर को हमें ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल पीना पड़ता। यह एक मुश्किल काम था। शनीचर को सुबह से ही नाक में इसकी गंध आने लगती।

छोटे शीशे के गिलास, जिन पर ठीक खुराक के लिए निशान पड़े रहते, उन्हें देखते ही मितली होने लगती। मुझे आज भी लगता है कि अगर हम न भी पीते वह शनिवारी दवा, तो कुछ ज्यादा बिगड़ने वाला नहीं था। सेहत ठीक ही रहती।

1. ऑलिव ऑयल का अर्थ क्या होता है?

(क) जैतून का तेल
(ख) सरसों का तेल
(ग) तिलहन का तेल उत्तर
(घ) नारियल का तेल

उत्तर (क) जैतून का तेल

2. लेखिका ने ऑलिव या कैस्टर ऑयल को कौन-सी दवा कहा?

(क) अच्छी दवा
(ख) बुरी दवा
(ग) इतवारी दवा
(घ) शनिवारी दवा

उत्तर (घ) शनिवारी दवा

3. बच्चों को शनिवारी दवा क्या ठीक रखने के लिए पिलाई जाती थी?. 

(क) पेट
(ख) सेहत
(ग) बाल
(घ) आँखें

उत्तर (ख) सेहत

4. हर शनिवार की सुबह लेखिका को क्या काम मुश्किल लगता था?

उत्तर हर शनिवार की सुबह लेखिका को ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल पीना पड़ता था, जो लेखिका को बहुत मुश्किल काम लगता था ।

5. ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल पीना कठिन क्यों था?

उत्तर ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल में गंध आती थी, इसलिए उसे पीना कठिन होता था। जिस गिलास से ऑयल पिलाया जाता, उसे देखते ही मितली होने लगती थी।

6. शनिवारी दवा के बारे में लेखिका के अब क्या विचार हैं?

उत्तर शनिवारी दवा के बारे में लेखिका के विचार हैं कि बचपन में कैस्टर ऑयल या ऑलिव ऑयल पिलाए जाने का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

गद्यांश 3

पिछली सदी में तेज रफ्तारवाली गाड़ी वही थी। कभी-कभी हवाई जहाज भी देखने को मिलते। दिल्ली में जब भी उनकी आवाज आती, बच्चे उन्हें देखने बाहर दौड़ते दीखता एक भारी-भरकम पक्षी उड़ा जा रहा है पंख फैलाकर यह देखो और वह गायब। उसकी स्पीड ही इतनी तेज लगती। हाँ, गाड़ी के मॉडल वाली दुकान के साथ एक और ऐसी दुकान थी, जो मैं कभी नहीं भूलती। यह वह दुकान थी, जहाँ मेरा पहला चश्मा बना था। वहाँ आँखों के डॉक्टर अंग्रेज थे।

1. पिछली सदी में तेज़ रफ्तार वाली ट्रेन कौन-सी थी ?

(क) मुंबई-कलकत्ता ट्रेन
(ख) शिमला-कालका ट्रेन
(ग) जम्मू तवी ट्रेन
(घ) शताब्दी ट्रेन

उत्तर (ख) शिमला-कालका ट्रेन

2. चश्मे की दुकान पर बैठने वाले डॉक्टर कौन थे?

(क) कश्मीरी
(ख) बूढ़े
(ग) अंग्रेज
(घ) जापानी

उत्तर (ग) अंग्रेज

3. बच्चे किस की आवाज़ सुनकर घरों से दौड़ पड़ते थे?

(क) चिड़ियों की
(ख) हवाई जहाज की
(ग) ट्रेन की
(घ) जानवरों की

उत्तर (ख) हवाई जहाज की

4. हवाई जहाज की आवाज़ को सुनकर बच्चे क्या करते थे?

उत्तर दिल्ली में हवाई जहाज की आवाज़ सुनते ही बच्चे उन्हें देखने के लिए घर से बाहर आ जाते थे।

5. बच्चों को हवाई जहाज पक्षी के समान क्यों लगता था ?

उत्तर बच्चों को हवाई जहाज एक भारी भरकम बड़े पक्षी की तरह लगता था, क्योंकि नीचे से बच्चों को हवाई जहाज पक्षी जैसा पंख फैलाकर तेज गति से उड़ता दिखाई देता था और देखते ही देखते हवाई जहाज गायब हो जाता था।

6. लेखिका को स्कैंडल प्वॉइंट की किन दुकानों के बारे में आज भी याद है?

उत्तर लेखिका को स्कैंडल प्वॉइंट के सामने वाली दुकान आज भी याद है, जिसके शोरूम में ट्रेन का मॉडल रखा था। दूसरी जिस दुकान पर लेखिका का पहला चश्मा बना था।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 2 बचपन अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. लेखिका बचपन में कैसी पोशाकें पहनती थीं?

उत्तर लेखिका को रंग-बिरंगे कपड़े पसंद थे, वह अपने बचपन में फ्रॉक, निकर वॉकर, स्कर्ट तथा लहँगे पहना करती थीं।

2. लेखिका को बचपन में जूतों से क्या तकलीफ़ होती थी?

उत्तर लेखिका को बचपन में जूते अधिक आरामदेह नहीं होते थे। नए जूते पहनते ही पैरों में छाले पड़ जाते थे।

3. लेखिका को किस प्रकार के चेस्टनट खाने पसंद थे?

उत्तर लेखिका को चेस्टनट को आग पर भूनने के बाद उसके छिलके उतारकर खाना पसंद था।

4. लेखिका को शिमला रिज की क्या याद आती है?

उत्तर लेखिका ने बचपन में घोड़ों की सवारी करते हुए शिमला रिज पर ने बहुत मजे किए हैं। उन्हें घोड़े देखकर खुशी होती थी। शाम के समय जाखू के पहाड़ पर चर्च की घाटियाँ और रंग-बिरंगी रोशनी उन्हें आकर्षित करती थी ।

5. आँखों के डॉक्टर ने लेखिका को चश्मे के बारे में क्या आश्वासन दिया था?

उत्तर आँखों के डॉक्टर ने लेखिका को आश्वासन दिया कि यदि वे चश्मा लगाएँगी, तो नजर ठीक हो जाएगी और चश्मा हट जाएगा।

6. लेखिका अपने मोजे और स्टॉकिंग स्वयं क्यों धोती थीं?

उत्तर लेखिका के घर में नौकर या नौकरानी से मोजे और स्टॉकिंग धुलवाने के लिए मना किया गया था। इस कारण हर इतवार को लेखिका मोजे और स्टॉकिंग स्वयं धोती थीं।

7. हवाई जहाज देखकर बच्चों को क्या लगता था ?

उत्तर बच्चों को हवाई जहाज एक भारी-भरकम पक्षी की तरह लगता, जो पंख फैलाकर उड़ रहा हो।

8. शिमला में लेखिका सिर पर क्या लगाती थीं?

उत्तर शिमला में लेखिका सिर पर हिमाचली टोपियाँ लगाती थीं।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 2 बचपन लघु उत्तरीय प्रश्न

1. लेखिका को बचपन की अपनी किन-किन पोशाकों के बारे में आज भी याद है?

उत्तर लेखिका अपने बचपन में रंग-बिरंगी फ्रॉक पहनती थीं। उनमें से लेखिका को कुछ फ्रॉकों के रंग और डिजाइन अब भी याद हैं। लेखिका को हल्की नीली, पीली धारीवाली फ्रॉक याद हैं। एक हल्के गुलाबी रंग की चुन्नटों वाले घेरे की फ्रॉक थी, जिसमें गुलाबी रंग की ही फ्रिल लगी थी।

2. लेखिका के बचपन और आज के समय में खाने की चीजों में क्या परिवर्तन हो गया है?

उत्तर लेखिका के बचपन में लोग कचौड़ी और समोसा खाते थे। अब लोग पेटीज़ खाना पसंद करते हैं। तब लोग कुल्फी खाते थे, लेकिन अब आइसक्रीम खाते हैं। तब शहतूत, फालसे और खसखस का शरबत पिया जाता था और अब लोग उनके स्थान पर कोक और पेप्सी पीने लगे हैं। उन दिनों बाजार में कोक और पेप्सी नहीं बल्कि लेमनेड और विमटो ही मिलती थी ।

3. आप छुट्टी के दिन क्या कुछ ऐसे काम करते हैं, जिनसे आपकी माँ को कुछ सहायता मिल सके।

उत्तर जी हाँ, मैं छुट्टी के दिन काफी काम स्वयं करता हूँ। मैं अपनी पढ़ने की मेज और पुस्तकों की अलमारी ठीक करता हूँ। अपने कपड़े तह कर रखता हूँ। बाजार के छोटे-छोटे काम करता हूँ। अपनी माँ से पूछता हूँ उनको मेरी क्या सहायता चाहिए, वे जो भी कहती हैं, मैं कर देता हूँ।

4. लेखिका चॉकलेट कहाँ और कैसे खाती थी?

उत्तर लेखिका को हफ्ते में एक बार चॉकलेट खरीदने की छूट थी। सबसे अधिक चॉकलेट का स्टॉक लेखिका के पास ही होता था। लेखिका चाँकलेट खड़े होकर नहीं खाती थी। वह रात को खाने के बाद बिस्तर में लेटकर आनंद ले लेकर खाती थीं।

5. लेखिका साथ में रुई क्यों रखती थी?

उत्तर पहले जूते अधिक आरामदायक नहीं होते थे, उनसे पैरों में छाले बन जाते थे। जब कभी लेखिका लंबी सैर पर जाती तो इस तकलीफ से बचने के लिए वे अपने पास रुई रखती थीं ताकि जूता लगे तो रुई मौजे के अंदर रख ले।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 2 बचपन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. लेखिका ने जाखू के पहाड़ों के सौंदर्य का क्या वर्णन किया?

उत्तर लेखिका ने बताया जाखू के पहाड़ बहुत सुंदर थे। वहाँ एक ऊँचा चर्च था। इस चर्च में घंटियाँ बजती थीं, जो दूर-दूर तक सुनाई देती थीं। घंटियों की आवाज बहुत मधुर होती थी, जिसकी गूँज पहाड़ों में गूँजती थी। मधुर आवाज संगीत की तरह लगती। ऐसा लगता कि प्रभु यीशू इस संगीत के माध्यम से कुछ कह रहे हों। सूर्यास्त होने पर नीले आसमान में गुलाबी और सुनहरी धारियाँ फैल जाती थीं। धीरे-धीरे बत्तियाँ टिमटिमाने लगती थीं। रिज और माल की दुकानों में रौनक हो जाती थी ।

2. उम्र बढ़ने पर आप क्या-क्या बदलाव देखते हैं? ‘बचपन’ पाठ के आधार पर अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर उम्र बढ़ने पर हम निम्नलिखित बदलाव देखते हैं।

  • शरीर धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है।
  • बाल भी सफेद होते जाते हैं।
  • आँखों से धुंधला दिखाई पड़ने लगता है।
  • कानों से कम सुनाई देने लगता है।
  • हम तेज़ दौड़ने व चलने में असमर्थ रहते हैं।
  • अपने बच्चों व घर के अन्य सदस्यों पर निर्भर होने लगते हैं।
  • पाचन क्रिया कमज़ोर हो जाती है।
  • उम्र बढ़ने के साथ-साथ ही सोच भी बदलने लगती है और रंग-बिरंगे कपड़ों के प्रति आकर्षण कम हो जाता है।

3. लेखिका को चश्मा क्यों लगाना पड़ा तथा उन्होंने चश्मा कहाँ से बनवाया ?

उत्तर लेखिका को चश्मा इसलिए लगाना पड़ा, क्योंकि वह दिन की रोशनी को छोड़कर रात में टेबल लैंप के सामने बैठकर काम करती थीं। इसकी जिम्मेदार वे स्वयं को ही मानती थीं। स्कैंडल प्वॉइंट के पास एक चश्मे की दुकान थी, इसी दुकान से लेखिका ने अपना पहला चश्मा बनवाया था, जिसे लेखिका कभी नहीं भूलीं ।

4. शोरूम में बनी ट्रेन का नाम और विशेषता बताइए ।

उत्तर स्कैंडल प्वॉइंट के ठीक सामने एक दुकान थी, जिसके शोरूम में एक ट्रेन का मॉडल था, जिसका नाम शिमला-कालका ट्रेन था। इसके छोटे-छोटे डिब्बे थे। इसकी पटरियाँ छोटी-छोटी थीं, जिस पर ट्रेन खड़ी थी और एक लाल टीन की छत वाला स्टेशन था और सामने एक खंभा था, जो सिग्नल दे रहा था। थोड़ी दूरी पर बनी सुरंग थी, जो बच्चों को बहुत आकर्षित करती थी।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 14 वन के मार्ग में तुलसीदास Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 14 वन के मार्ग में Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 14 वन के मार्ग में कविता का सार

‘वन के मार्ग में’ कविता (सवैये) तुलसीदास द्वारा रचित कवितावली के ‘अयोध्याकांड’ से ली गई है। इसमें सीता, श्री राम के साथ वन गमन के लिए अपने महल से निकली हैं। वह थोड़ी दूर चलने के बाद थक जाती हैं और उनके माथे पर पसीना आ जाता है। उनके होंठ भी थकान के कारण सूख जाते हैं।

वे अपने पति श्रीराम से पूछती हैं कि अभी कितनी दूर और चलना है? आप पर्णकुटिया कहाँ बनाएँगे? सीता की यह दशा देखकर रामचंद्रजी की आँखों से आँसू आ जाते हैं। पेड़ के नीचे आराम करने की इच्छा व्यक्त करते हुए सीता, श्रीराम से थोड़ी देर छाया में रुकने के लिए कहती हैं। रामचंद्रजी सीता की व्याकुलता को देखकर कुछ देर पेड़ के नीचे विश्राम करते हैं और उनके पैरों से काँटे निकालने लगते हैं। अपने प्रियतम के इस प्यार को देखकर सीता मन-ही-मन प्रसन्न होने लगती हैं।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 14 वन के मार्ग में काव्यांशों की विस्तृत व्याख्या

काव्यांश 1

पुर तें निकसी रघुबीर- बधू, धरि धीर दए मग में डग है।
झलकीं भरि भाल कनी जल की, पुट सूख गए मधुराधर वै ।।
फिरि बूझति हैं, “चलनो अब केतिक, पर्नकुटी करिहौं कित है? ” ।
तिय की लखि आतुरता पिय की अँखियाँ अति चारु चलीं जल वै ।।

शब्दार्थ पुर नगर किला, निकसी निकली, धरि-धारण करके, धीर-धैर्य, धीरज, मग मार्ग, रास्ता, हग-कदम, है-दो, झलक दिखाई दी, भाल मस्तक, माथा, कनी-कण, पुट-ओष्ठ, होंठ, सूख गए सूख गए, फिरि-फिर, बूझति-पूछना, केतिक कितना, पर्न कुटी-पत्तों से बनाई जाने वाली कुटी, कित-कहाँ, तिय-उनकी पत्नी, लखि-देखकर, आतुरता व्याकुलता, बेचैनी, पिय-पति, चारा-सुंदर, जल -पानी चूना ।

संदर्भ प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक वसंत – भाग 1 के ‘वन के मार्ग से’ अवतरित है। यह सवैया गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित है।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि ने सीता के परिश्रम और व्याकुलता का वर्णन किया है।

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व्याख्या प्रस्तुत सवैया में तुलसीदास जी कहते हैं कि राम अयोध्या नगर से अपनी पत्नी सीता के साथ वन की ओर बड़े धैर्य के साथ धीरे-धीरे दो कदम चलते ही हैं कि सीता जी कुछ दूर चलने में थक जाती हैं, उनके माथे पर परिश्रम के कारण पसीने की बूँदें छलक आई थीं और होंठ भी पानी न मिलने के कारण सूख गए। वे अपने पति राम से पूछती हैं कि हमें अभी कितनी दूर और चलना होगा और आराम करने के लिए पर्णकुटी कहाँ बनाएँगे? पत्नी सीता की यह अधीरता ( व्याकुलता ) को देखकर श्रीराम की आखों में आँसू आ जाते हैं।

विशेष

  1. वन मार्ग के कष्ट तथा सीता की व्याकुलता का व्यथित चित्रण किया है।
  2. ‘सवैया’ ब्रजभाषा में रचित है।
  3. प्रश्न शैली का प्रयोग किया गया है।
  4. कवि तुलसीदासजी ने ‘सवैया’ छंद का प्रयोग किया है।

काव्यांश 2

” जल को गए लक्खनु, हैं लरिका परिखौ, पिय! छाँह घरीक है ठाढ़े। पोंछि पसेउ बयारि करौं, अरु पायँ पखारिहाँ भूभुरि- डाढ़े।। ” तुलसी रघुबीर प्रियाश्रमा जानि कै बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े। जानकीं नाह को नेह लख्यौ, पुलको तनु, बारि विलोचन बाढ़े ।।

शब्दार्थ लक्खन-लक्ष्मण (राम के छोटे भाई), लरिका-लड़का, परिखा प्रतीक्षा इंतजार, छाँह छाया, घरीक घड़ी भर, ठाढ़े खड़े होना, पसेऊ-पसीना, श्रमजल, बयार हवा, पवन, पाँच-पैर, चरण, पखारिहाँ धोना, कंटक काँटे, जानकी सीता (राम की पत्नी), काढ़-निकालना, नेह-स्नेह, प्यार, लख्यों देखकर, पुलको प्रसन्न होना, हर्षित होना, तनु-शरीर, बारि-अश्रु, आँसू, बिलोचन नैन, आँखें।

प्रसंग प्रस्तुत सवैये में वन मार्ग पर राम-सीता को प्यास लगने पर लक्ष्मण उनके लिए पानी लेने जाने, सीता की थकान व श्रीराम द्वारा सीता के पैर में गड़े हुए काँटों को निकालने का वर्णन किया गया है।

व्याख्या प्रस्तुत सवैये में तुलसीदास जी कहते हैं कि सीता वन मार्ग में चलने से थक जाती हैं। वह अपने पति श्रीराम से कहती हैं कि अभी लक्ष्मण पानी लेने गए हैं। अतः उनके आने की हम लोग प्रतीक्षा कर लेते हैं। आप भी किसी वृक्ष की छाँह में थोड़ी देर रुककर पसीना पोंछ लीजिए। पैर गर्म धूल से जल रहे हैं, इसलिए अपने पैरों को भी धोकर ठंडा कर लें।

श्रीराम जान जाते हैं कि सीता जी थक गई हैं। वह सीता के कहने पर वृक्ष की छाया में कुछ देर विश्राम करने लगते हैं। इसी बीच वे सीता के पैरों में काँटा गड़ा हुआ देखकर अपने हाथों से निकालना शुरू कर देते हैं, सीता जी श्रीराम का यह प्रेम भाव देखकर पुलकित हो जाती हैं और उनकी आँखों से खुशी के आँसू निकल पड़ते हैं।

विशेष

  1. राम और सीता के प्रेमपूर्ण क्षणों की अद्भुत छटा दर्शनीय है।
  2. कवि ने वन-मार्ग के कष्टों का सुंदर वर्णन किया है।
  3. ब्रजभाषा में सवैया की रचना की गई है।
  4. कवि ने ‘सवैया’ छंद का प्रयोग किया है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 14 वन के मार्ग में पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

सवैया से (पृष्ठ संख्या 101)

प्रश्न 1. नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने के बाद सीता की क्या दशा हुई?

उत्तर नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने के बाद सीताजी बहुत थक गईं। थकान के कारण उनके माथे पर पसीने की बूँदें छलकने लगीं और उनके होंठ भी सूख गए।

प्रश्न 2.’अब और कितनी दूर चलना है, पर्णकुटी कहाँ बनाइएगा’- किसने किससे पूछा और क्यों?

उत्तर ‘अब और कितनी दूर चलना है, पर्णकुटी कहाँ बनाइएगा’ – यह प्रश्न सीता ने अपने पति रामजी से पूछा, क्योंकि सीता जी वन मार्ग पर चलने के कारण बहुत थक गई थीं।

प्रश्न 3. राम ने थकी हुई सीता की क्या सहायता की?

उत्तर राम ने जब सीता को थका हुआ देखा तो पैरों से बहुत देर तक वे काँटे निकालते रहे, जिससे सीता को कुछ देर आराम मिल जाए।

प्रश्न 4. दोनों सवैयों के प्रसंगों में अंतर स्पष्ट करो।

उत्तर पहले सवैये में राम, सीता और लक्ष्मण तीनों नगर से बाहर संन्यासी वेश में निकले। कुछ दूर जाते ही सीता बहुत थक गईं। उनके माथे पर पसीना आ गया और होंठ सूख गए। सीता पति राम से अनेक प्रश्न पूछने लगीं। दूसरे सवैये में श्रीराम ने सीता की दशा को देखा तो चिंतित हो गए। लक्ष्मण पानी लेने गए थे। सीता उनके आने तक प्रतीक्षा करना चाहती हैं। राम, सीता की थकान देख देर तक काँटे निकालते रहे। दोनों ने वृक्ष की छाया में विश्राम किया।

प्रश्न 5. पाठ के आधार पर वन के मार्ग का वर्णन अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

उत्तर वन का मार्ग बहुत कष्टदायक था। मार्ग पर काँटे थे। तेज गर्मी के रहे कारण धूल बहुत गर्म हो गई थी। नंगे पैर उस मार्ग पर चलना बहुत कठिन था। पैर गर्म धूल से जल रहे थे। पैरों में अनेक काँटे चुभ थे। दूर-दूर तक पानी भी नहीं दिखाई दे रहा था। भूख लगने पर भोजन भी नहीं मिल पा रहा था। विश्राम करने के लिए स्थान ढूँढ़ना आसान नहीं था। चारों ओर भय व असुरक्षा का वातावरण था।

अनुमान और कल्पना ( पृष्ठ संख्या 101)

गर्मी के दिनों में कच्ची सड़क की तपती धूल में नंगे पाँव चलने पर पाँव जलते हैं। ऐसी स्थिति में पेड़ की छाया में खड़ा होने और पाँव धो लेने पर बड़ी राहत मिलती है। ठीक वैसे ही जैसे प्यास लगने पर पानी मिल जाए और भूख लगने पर भोजन । तुम्हें भी किसी वस्तु की आवश्यकता हुई होगी और वह कुछ समय बाद पूरी हो गई होगी। तुम सोचकर लिखो कि आवश्यकता पूरी होने के पहले तक तुम्हारे मन की दशा कैसी थी

उत्तर एक बार दोपहर को दो बजे मैं घर पहुँचा। गर्मियों के दिन थे बहुत प्यास लग रही थी गला सूख रहा था। सोचा था घर पहुँचते ही ठंडा पानी पी लूँगा तो राहत मिलेगी, परंतु घर में ताला लगा हुआ था। मैंने सोचा माँ तो रोज लगभग एक बजे तक काम से वापस लौट आती हैं। आज क्या हुआ? अब मेरा क्या होगा? भूख और प्यास से मेरी तो जान ही निकल जाएगी। तभी पड़ोस वाले घर से आंटी बाहर आईं। उन्होंने मुझे अंदर घर में बुलाया और ठंडा पानी पीने के लिए दिया। खाना गर्म-गर्म अपने हाथों से प्यार से परोसा और बताया आज मेरी माँ शाम पाँच बजे आएँगी उन्हें कुछ जरूरी काम है।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 101 व 102)

1. लखि-देखकर, धरि-रखकर, पोंछि-पोंछकर, जानि- जानकर ऊपर लिखे शब्दों और उनके अर्थों को ध्यान से देखो। हिंदी में जिस उद्देश्य के लिए हम क्रिया में ‘कर’ जोड़ते हैं, उसी के लिए अवधी में क्रिया में (इ) को जोड़ा जाता है, जैसे-अवधी में बैठ += बैठि और हिंदी में बैठ कर बैठकर तुम्हारी भाषा या बोली में क्या होता है? अपनी भाषा के ऐसे छः शब्द लिखो। उन्हें ध्यान से देखो और कक्षा में बताओ।

उत्तर हमारी भाषा या बोली में भी हिंदी से थोड़ा-सा अंतर होता है; जैसे-

देख + के = देखके

रख + के = रखके

पोंछ + के पोंछके

जान + के = जानके

2. “मिट्टी का गहरा अंधकार, डूबा है उसमें एक बीज उसमें एक बीज डूबा है।

जब हम किसी बात को कविता में कहते हैं, तो वाक्य के शब्दों के क्रम में बदलाव आता है; जैसे- “छाँह घरीक है ठाढ़े” को गद्य में ऐसे लिखा जा सकता है- “छाया में एक घड़ी खड़ा होकर ” । उदाहरण के आधार पर दी गई कविता की पंक्तियों को गद्य के शब्दक्रम में लिखो ।

  • पुरतें निकसी रघुबीर बधू,
  • पुट सूख गए मधुराधर वै ।।
  • बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े।
  • पर्णकुटी करिहौं कित है?

उत्तर गद्य रूप में लिखी पंक्तियाँ

  • श्रीराम की वधू सीता नगर से निकलीं,
  • उनके दोनों होंठ सूख गए।
  • श्रीराम थोड़ी देर बैठे और देर तक काँटे निकालते रहे।
  • पर्णकुटी कहाँ बनाओगे?

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 14 वन के मार्ग में बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. राम और सीता के साथ वन में कौन गए?

(क) शत्रुघ्न
(ख) लक्ष्मण
(ग) भरत
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ख) लक्ष्मण

2. राम की आँखों में आँसू क्यों आ गए?

(क) अपने पिता को याद करके
(ख) सीता की व्याकुलता देखकर
(ग) घर की याद आने से
(घ) वन के कष्टों के कारण

उत्तर (ख) सीता की व्याकुलता देखकर

3. पर्णकुटी किस चीज़ से बनती है?

(क) पत्तों से
(ख) पत्थर से
(ग) पानी से
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (क) पत्तों से

4. प्रथम सवैया में राम-सीता के किस प्रसंग का वर्णन किया है?

(क) अयोध्या का
(ख) वनगमन का
(ग) सती का
(घ) प्रेम का

उत्तर (ख) वनगमन का

5. सीता चलते-चलते क्यों थक जाती है?

(क) क्योंकि वह चलती नहीं है
(ख) क्योंकि वह कभी घर से बाहर नहीं निकली
(ग) क्योंकि उन्हें महल में रहने की आदत है
(घ) क्योंकि उन्होंने चप्पल नहीं पहन रखी

उत्तर (ग) क्योंकि उन्हें महल में रहने की आदत है

6. सीता ने राम से क्या प्रश्न किया?

(क) अभी कितना और चलना है?
(ख) हम पर्णकुटी कहाँ बनाएँगे?
(ग) (क) और (ख ) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ग) (क) और (ख) दोनों

7. यह पाठ किस भाषा में लिखा गया है?

(क) ब्रज
(ख) भोजपुरी
(ग) अवधी
(घ) हिंदी

उत्तर (क) ब्रज

8. रामचरितमानस, विनयपत्रिका, कवितावाली, दोहावाली, गीतावली, आदि किसकी प्रमुख रचनाएँ हैं?’

(क) केशवदास की
(ख) मुरलीदास की
(ग) तुलसीदास की
(घ) गंगादास की

उत्तर (ग) तुलसीदास की

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 14 वन के मार्ग में काव्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

काव्यांश 1

पुर वें निकसी रघुबीर बधू, धरि धीर दए मग में डग है। झलकीं भरि भाल कनी जल की, पुट सूख गए मधुराधर वै ।। फिरि बूझति हैं, “चलनो अब केतिक, पर्नकुटी करिहौं कित है? ” । तिय की लखि आतुरता पिय की अँखियाँ अति चारु चली जल वै ।।

1. वन मार्ग पर कौन-कौन जा रहे थे?

(क) राम
(ख) लक्ष्मण
(ग) सीता
(घ) ये सभी

उत्तर (घ) ये सभी

2. राम-सीता और लक्ष्मण वन जाने के लिए कहाँ से निकले थे ?

(क) पाठशाला से
(ख) नगर से
(ग) आयुधशाला से
(घ) गाँव से

उत्तर (ख ) नगर से

3. सीता ने राम से क्या पूछा?

(क) घर कहाँ है?
(ख) वनवासी कहाँ हैं?
(ग) पर्णकुटी कहाँ है?
(घ) लक्ष्मण कहाँ हैं?

उत्तर (ग) पर्णकुटी कहाँ है?

4. इन पंक्तियों में कवि ने किस समय का वर्णन किया है?

उत्तर इन पंक्तियों में कवि ने राम और सीता के वन जाने का वर्णन किया है।

5. पुर से निकलते ही सीता की क्या दशा हो गई?

उत्तर पुर से निकलते ही सीता थक गईं और उनके माथे पर पसीना आ गया।

6. सीता की व्याकुलता देखकर रामजी की क्या दशा हुई?

उत्तर सीता की व्याकुलता देखकर श्रीराम की आँखें आँसुओं से भर आई।

काव्यांश 2

“जल को गए लक्खन हैं लरिका परिखौ, पिय! छाँह घरीक हैं ठाढ़े। पोंछि पसेउ बयारि करौं, अरु पायँ पखारिहों भूभुरि- डाढ़े ।। ” तुलसी रघुबीर प्रियाश्रम जानि कै बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े। जानकीं नाह को नेह लख्यौ, पुलको तनु बारि बिलोचन बाढ़े । ।

1. जल लेने कौन गया था ?

(क) राम
(ख) सीता
(ग) लक्ष्मण
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ग) लक्ष्मण

2. सीता राम से विश्राम करने के लिए क्यों कह रही थीं?

(क) लक्ष्मण को अकेले नहीं छोड़ना चाहती थीं।
(ख) लक्ष्मण को आते देखना चाहती थीं।
(ग) वे स्वयं भी विश्राम करना चाहती थीं।
(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर (ग) वे स्वयं भी विश्राम करना चाहती थीं।

3. किसका शरीर पुलकित हो गया?

(क) सीता का
(ख) राम का
(ग) लक्ष्मण का
(घ) शत्रुघ्न का

उत्तर (ख) राम का

4. वन मार्ग पर कुछ दूर चलने के बाद लक्ष्मण कहाँ चले गए?

उत्तर वन मार्ग पर कुछ दूर चलने के बाद लक्ष्मण जल लेने चले गए थे।

5. लक्ष्मण को न देख सीता ने पति राम से क्या इच्छा प्रकट की?

उत्तर सीता ने जब देखा कि लक्ष्मण जल लेने गए हैं, तो उन्होंने पति राम से कहा जब तक लक्ष्मण वापस आते हैं, यहाँ विश्राम कर लें।

6. सीता की बात मानकर श्रीराम ने क्या किया?

उत्तर सीताजी की बात मानकर श्रीराम पेड़ की छाया में विश्राम करने लगे और बहुत देर तक पैरों से काँटे निकालते रहे।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 14 वन के मार्ग में अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. राजा दशरथ ने माता कैकेयी को कितने वरदान दिए थे?

उत्तर राजा दशरथ ने माता कैकेयी को दो वरदान दिए थे।

2. राम और सीता कहाँ जा रहे थे?

उत्तर राम और सीता चौदह वर्ष के लिए वन जा रहे थे।

3. राम के भाई लक्ष्मण वन में कहाँ गए थे?

उत्तर राम के छोटे भाई लक्ष्मण वन में प्यास बुझाने के लिए जल लेने गए थे।

4. श्रीराम रास्ते में काँटे देर तक क्यों निकालते रहे?

उत्तर श्रीराम ने सीता को रास्ते में थका हुआ देखा तो उन्हें विश्राम देने के उद्देश्य से देर तक काँटे निकालते रहे।

5. राम, लक्ष्मण और सीता जब वनवास का समय पूर्ण करके आए तो लोगों ने कौन-सा त्योहार मनाया ?

उत्तर राम, लक्ष्मण और सीता जब वनवास का समय पूर्ण करके आए तो लोगों ने दीपावली का त्योहार मनाया।

6. अयोध्या का राजसिंहासन दशरथ के बाद किसे मिला?

उत्तर अयोध्या का राजसिंहासन दशरथ के बाद श्री राम को मिला।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 14 वन के मार्ग में लघु उत्तरीय प्रश्न

1. प्रथम सवैया में तुलसीदास ने किस प्रसंग का उल्लेख किया है?

उत्तर प्रथम सवैया में तुलसीदास जी ने राम, सीता और लक्ष्मण के वन गमन के प्रसंग का उल्लेख किया है। दशरथ ने अपनी पत्नी को दो वरदान दिए थे। पहले वरदान के अनुसार, राम को चौदह वर्ष का वनवास मिला था। इस कारण वे पिता के वचनों का पालन करने वनवास गए थे। वन गमन में होने वाले कष्टों व सीता जी की व्याकुलता का वर्णन किया है।

2. तुलसीदास ने इस सवैया में क्या व्यक्त किया है?

उत्तर तुलसीदास का सवैया दो भागों में निहित है। पहले भाग में उन्होंने सीता जी के समक्ष वन मार्ग में आई कठिनाइयों और उनकी व्याकुलता को व्यक्त किया है। दूसरे भाग में सीता की व्याकुलता को देखकर स्वयं रामजी की आँखों में आँसू आ जाने और सीता की थकान की वजह से पेड़ के नीचे बैठकर कुछ देर तक विश्राम करने का वर्णन किया गया है।

3. राम बैठकर देर तक काँटे क्यों निकालते रहे?

उत्तर श्रीराम से अपनी धर्मपत्नी की व्याकुलता देखी नहीं जा रही थी। वहीं सीता जी का प्यास के कारण बुरा हाल था। प्यास के कारण उनका गला सूख गया था और वहीं लक्ष्मण भी पानी की तलाश में गए हुए थे। अतः जब तक लक्ष्मण लौटकर नहीं आते तब तक श्रीराम सीता की व्याकुलता और कष्ट को कम करना चाहते थे, इसलिए राम देर तक बैठकर सीता जी के पैरों से काँटे निकालते रहे।

4. मार्ग में सीताजी ने अपने पति राम से क्या पूछा?

उत्तर वन मार्ग में कुछ ही दूर तक जाने पर सीताजी ने रामजी से पूछा कि अभी हमें कितनी दूर और चलना होगा? पर्णकुटी कहाँ बनानी है? क्योंकि सीताजी गर्मी से बहुत व्याकुल हो गईं थीं। गर्मी के कारण उनका गला भी सूख गया था।

5. सीता की आतुरता देख श्रीराम की क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर सीता की आतुरता जब श्रीराम ने देखी कि सीता वन-मार्ग में बहुत थक गईं हैं। प्यास से उनके होंठ सूख गए हैं पसीना शरीर पर आ गया है और सीता आतुरता से राम से अनेक प्रश्न पूछने लगी है, तब रामजी भी पत्नी की इस दशा को देखकर परेशान होते हैं और उनकी ऐसी दशा देखकर राम की आँखों में आँसू भर आते हैं।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 14 वन के मार्ग में दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. क्या आपने कभी किसी जंगल की यात्रा की है? वहाँ के कष्टों का वर्णन कीजिए।

उत्तर जी हाँ! अक्टूबर के महीने में मैं रणथंभौर गया था। वहाँ हम सभी को मिलाकर लगभग तीस छात्र थे। सफारी की यात्रा तो हमने कैंट में बैठकर आरामदायक तरीके से की।

जंगल में एक किला था। उस किले में एक त्रिगणेश मंदिर था। हमें वहाँ जाना था। रास्ता पथरीला और कँटीला था। धूप भी तेज थी।

मंदिर बहुत ऊँचाई पर था। कुछ ही दूर जाकर हम थक गए। थोड़ा विश्राम किया, पानी पिया और फिर चल दिए। पसीना टपक रहा था, गला सूख रहा था। किसी प्रकार पचास मिनट में हम लोग मंदिर पहुँच गए।

2. वन के मार्ग में सीता को होने वाली कठिनाइयों के बारे में लिखो । सीता जी ने बेचैन होकर श्रीराम से क्या बात कही?

उत्तर सीता वन के मार्ग पर थोड़ी दूर चलने से ही थक गई। उनके माथे पर पसीना दिखाई देने लगा। उनके होंठ सूख गए। वे बहुत बेचैन हो उठी व श्रीराम से पूछने लगी कि अभी कितनी दूर जाना है। मार्ग काँटों से भरा हुआ था, जिस कारण सीता जी का चलना मुश्किल हो रहा था। सीता जी इसी कारण से अपने पति श्रीराम से पूछ लेती हैं कि अब और कितना अधिक चलना है तथा पर्णकुटी कहाँ बनानी है। अभी लक्ष्मण भी पानी लेने गए हुए हैं।

अतः आप किसी पेड़ के नीचे छाया में खड़े होकर उनका इंतजार कर लीजिए। जब तक लक्ष्मण पानी लेकर नहीं आ जाते तब तक हम पेड़ की छाया में रुककर विश्राम कर लेते हैं।

3. दिए गए सवैया का सारांश लिखिए।

उत्तर दिया गया सवैया तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस से लिया गया है । रामजी को मिले चौदह वर्षों के वनवास के समय, घर से निकलते समय की स्थिति का वर्णन किया गया है।

कवि कहता है कि बहुत धैर्य धारण करके सीता जी वन के मार्ग को निकलीं, लेकिन दो कदम चलने के बाद ही उनके माथे से पसीना निकलने लगा एवं व्याकुल सीता जी ने रामजी से कहा कि अभी ।। कितनी दूर चलना है और कुटिया कहाँ बनाएँगे। सीता जी की यह व्याकुलता देखकर रामजी की आँखों से आँसू बहने लगे।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 1 वह चिड़िया जो Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 1 वह चिड़िया जो Question And Answers

कविता का सार

प्रस्तुत कविता ‘वह चिड़िया जो केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने नीले पंखों वाली छोटी-सी चिड़िया को अपने स्वभाव के रूप में व्यक्त किया है। उन्होंने बताया है कि छोटी चिड़िया को अन्न से बहुत प्यार है। वह रुचि से गेहूँ, जौ व बाजरा के कच्चे दानों को चोंच मारकर खाती हैं। वह बहुत संतोषी है और वन को बूढ़ा बाबा कहकर उसके लिए अपने कंठों से मीठे स्वर में गाना गाती है। उसे एकांत में रहना पसंद है।

वह नदी से मोती जितना ही पानी लेती है, क्योंकि वह नदी से बहुत प्रेम करती है। छोटी-सी चिड़िया साहसी है और उसे स्वयं पर गर्व है। चिड़िया के माध्यम से कवि ने उन गुणों को बताया है, जो मनुष्य के स्वभाव में विद्यमान होने चाहिए; जैसे-मधुर वाणी, धैर्यशीलता, प्रकृति के प्रति संवेदनशील आदि।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 1 वह चिड़िया जो काव्यांशों की विस्तृत व्याख्या

काव्यांश 1

वह चिड़िया जो-
चोंच मारकर,
दूध-भरे जुडी के दाने
रुचि से, रस से खा लेती है।
वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखोंवाली मैं हूँ
मुझे अन्न से बहुत प्यार है।

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शब्दार्थ दूध-भरे कच्चे, अधपके, मुंडी-जौ, गेहूँ और बाजरे की बालियाँ, रुचि – चाहत, पसंद, संतोषी – धीरज वाली, रस-स्वाद, अन्न- अनाज |

संदर्भ प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग- 1’ में संकलित ‘वह चिड़िया जो’ कविता से ली गई हैं। इसके रचयिता केदारनाथ अग्रवाल हैं।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने चिड़िया की रुचि और स्वभाव के विषय में बताया है।

व्याख्या कवि कहते हैं कि चिड़िया बहुत छोटे आकार की है। और उसके पंख नीले रंग के हैं। चिड़िया दूध से युक्त अर्थात् अधपके जुंडी (जौ, गेहूँ और बाजरे) के दाने रुचि से खाती है, क्योंकि ये अधपके दाने बहुत रसीले होते हैं। चिड़िया संतोषी है तथा वह थोड़े से ही दानों से संतुष्ट हो जाती है। उसे अनाज के दाने बहुत ही प्रिय लगते हैं।

विशेष

  1. कवि ने एक छोटी-सी चिड़िया के माध्यम से मानवीय स्वभाव का वर्णन किया है।
  2. चिड़िया अन्न का अनादर नहीं करके खेत में खड़ी फसलों में से ही अनाज के दाने चुगकर संतोष प्राप्त कर लेती है।

काव्यांश 2

वह चिड़िया जो-
कंठ खोलकर
बूढ़े वन बाबा की खातिर
रस उँडेलकर गा लेती है।
वह छोटी मुँह बोली चिड़िया
नीले पंखोंवाली मैं हूँ
मुझे विजन से बहुत प्यार है।

शब्दार्थ कंठ-गला, बूढ़े पुराने, वन जंगल, विजन-एकां रस उँडेलकर- सुमधुर स्वर में, मुँहबोली- चिर-परिचित ।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने छोटी चिड़िया के गाने की विशेषता बताई है।

व्याख्या कवि बताता है कि नीले पंखोंवाली छोटी चिड़िया कहती है कि मधुर स्वर में कंठ खोलकर बूढ़े (पुराने) वन बाबा के लिए गीत गाने वाली चिड़िया मैं ही हूँ। चिड़िया के गीत जंगल में रहने वाले लोगों को बहुत अच्छे लगते हैं। उसे एकांत में रहना पसंद है। चिड़िया एकांत को भी अपने स्वर से मधुर रसमय बना देती है।

विशेष

  1. नन्हीं चिड़िया के माध्यम से कवि ने बताया है कि जंगल में रहने वाली चिड़िया इतनी कठिनाइयाँ झेलने के बाद भी खुश रहने का प्रयत्न करती है।
  2. चिड़िया की भाँति ही मनुष्य को भी अपने जीवन में प्रेम-भाव से रहना चाहिए।

काव्यांश 3

वह चिड़िया जो-
चोंच मारकर
चढ़ी नदी का दिल टटोलकर
जल का मोती ले जाती है
वह छोटी गरबीली चिड़िया
नीले पंखोंवाली मैं हूँ।
मुझे नदी से बहुत प्यार है।

शब्दार्थ चढ़ी नदी जल से पूरी भरी नदी, गरबीली-गर्व करने वाली, अभिमानिनी, टटोलकर – खोजकर ।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने छोटी-सी गर्व करने वाली चिड़िया का वर्णन किया है।

व्याख्या कवि कहता है कि चिड़िया जल से भरी नदी में अपनी चोंच मारकर उसका हृदय टटोलती है अर्थात् अपनी इच्छानुसार ही चोंच से मोती के समान जल लेकर अपनी प्यास बुझाती है। चिड़िया बहुत छोटी है, इसलिए नदी से जल पीने का कार्य उसके लिए साहसपूर्ण है। वह नीले पंखों वाली चिड़िया गर्वीली है, उसे नदी से बहुत प्यार है।

विशेष

  1. प्रस्तुत पंक्तियों में चिड़िया का नदी से प्रेम करने का संदेश दिया गया है।
  2. नदियाँ सभ्यता के विकास में प्राचीन काल से हमारी सहायक रही हैं।
  3. चिड़िया के साहसी होने का वर्णन किया गया है, चिड़िया की भाँति मनुष्य को भी कार्य को करते समय मन में साहस रखना चाहिए।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 1 वह चिड़िया जो पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

कविता से (पृष्ठ संख्या 2 व 3)

प्रश्न1 कविता पढ़कर तुम्हारे मन में चिड़िया का जो चित्र उभरता है, उस चित्र को कागज़ पर बनाओ।

उत्तर: छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2 तुम्हें कविता का कोई और शीर्षक देना हो तो क्या शीर्षक देना चाहोगे? उपयुक्त शीर्षक सोचकर लिखो ।

उत्तर: कविता के अन्य उपयुक्त शीर्षक हैं-नन्हीं चिड़िया, छोटी चिड़िया, नीले पंखों वाली चिड़िया, गरबीली चिड़िया, चिड़िया रानी ।

प्रश्न 3 इस कविता के आधार पर बताओ कि चिड़िया को किन-किन चीज़ों से प्यार है?

उत्तर: चिड़िया निम्नलिखित चीज़ों से प्यार करती हैं

  1. चिड़िया को खेतों में लगे जौ-बाजरे की फलियों (अन्न) से प्यार है। वह उसे रुचिपूर्वक रस लेकर खाती है।
  2. उसे जंगल से प्यार है, जहाँ वह एकांत में रहना चाहती है तथा जहाँ वह खुली हवा में गाना गा सकती है।
  3. उसे नदी से प्यार है, जिसका ठंडा और मीठा मोती के समान जल की बूंदों को वह पीती है।

ये चीजें चिड़िया को आज़ादी का एहसास दिलाती हैं, इसलिए वह इन सबसे प्यार करती है।

प्रश्न 4 आशय स्पष्ट करो

(क) रस उँडेलकर गा लेती है।
(ख) चढ़ी नदी का दिल टटोलकर जल का मोती ले जाती है।

उत्तर:

(क) चिड़िया जंगल में स्वतंत्रता से रहती है। उसे किसी भी प्रकार का बंधन नहीं है। वह स्वतंत्र होने के कारण अत्यंत मधुर स्वर में गाती है। उसका स्वर बहुत मीठा है। उसके मधुर गीतों से पूरा वातावरण रसमय हो जाता है।

(ख) प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि चिड़िया केवल नदी से जल की बूँदे लेकर प्यास नहीं बुझाती, अपितु वह पहले उफनती हुई नदी के दिल को टटोलती है, उसके बाद ही वह नदी में से मोती के समान जल की बूंदों को अपनी चोंच में लेकर उड़ जाती है। वह अपनी चोंच से नदी की गहराई और जल राशि का अनुमान लगा लेती है तथा वह अपनी चोंच में आवश्यकतानुसार ही जल की बूंदों को भरती है।

अनुमान और कल्पना (पृष्ठ संख्या 3)

प्रश्न 1. कवि ने नीली चिड़िया का नाम नहीं बताया है। वह कौन-सी चिड़िया रही होगी ? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए पक्षी – विज्ञानी सालिम अली की पुस्तक ‘भारतीय पक्षी’ देखो। इनमें ऐसे पक्षी भी शामिल हैं, जो जाड़े में एशिया के उत्तरी भाग और अन्य ठंडे देशों से भारत आते हैं। उनकी पुस्तक को देखकर तुम अनुमान लगा सकते हो कि इस कविता में वर्णित नीली चिड़िया शायद इनमें से कोई एक रही होगी

(नीलकंठ, छोटा किलकिला, कबूतर, बड़ा पतरिंगा)

उत्तर इस कविता में वर्णित चिड़िया संभवतः नीलकंठ रही होगी, क्योंकि उसका अधिकांश भाग नीलकंठ से मेल खाता है। नीलकंठ का आकार छोटा, शरीर का अधिकांश भाग नीला और आवाज़ मधुर होती है। चिड़िया भी ठीक इसी प्रकार की है।

प्रश्न 2 नीचे कुछ पक्षियों के नाम दिए गए हैं। उनमें यदि कोई पक्षी एक से अधिक रंग का है, तो लिखो कि उसके किस हिस्से का रंग कैसा है; जैसे – तोते की चोंच लाल है, शरीर हरा है।

(मैना, कौवा, बत्तख, कबूतर)

उत्तर:

मैना यह काले रंग की होती है। इसके गले होते हैं। चोंच का रंग पीला होता है।

कौवा यह काले रंग का होता है इसके पंख कहीं-कहीं हल्के काले रंग के होते हैं तथा चोंच भी काली होती है।

बत्तख यह सफ़ेद, भूरे रंग की होती है। इसकी चोंच और पाँव हल्के नीले रंग के होते हैं। आँख काली व गर्दन सफेद, भूरी रंग की होती है।

कबूतर यह सफ़ेद या भूरा (ग्रे) रंग का होता है। इसकी चोंच काली, गर्दन चमकीली, पाँव गुलाबी रंग के व आँखें लाल होती हैं।

प्रश्न 3 कविता का प्रत्येक बंध ‘वह चिड़िया जो-‘ से शुरू होता है और ‘मुझे बहुत प्यार है’ पर खत्म होता है। तुम भी इन पंक्तियों का प्रयोग करते हुए अपनी कल्पना से कविता में कुछ नए बंध जोड़ो।

उत्तर छात्र अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 4 तुम भी ऐसी कल्पना कर सकते हो कि ‘वह फूल का पौधा जो-पीली पंखुड़ियों वाला महक रहा है मैं हूँ।’ उसकी विशेषताएँ मुझ में हैं……। फूल के बदले वह कोई दूसरी चीज़ भी हो सकती है, जिसकी विशेषताओं को गिनाते हुए तुम उसी चीज़ से अपनी समानता बता सकते हो. ऐसी कल्पना के आधार पर कुछ पंक्तियाँ लिखो ।

उत्तर:

वह कली जो-
हवा में झूलती
उपवन में खड़ी मुस्करा रही है
सुगंध अपनी फैला रही है
गुलाबी पंखुड़ियों वाली कली हूँ मैं
मुझे किरणों से बहुत प्यार हैं।
खिलती रहती
उपवन में फूल बनती
मुरझाने पर भी सुगंध कभी न तजती
गुलाबी पंखुड़ियों वाली कली हूँ मैं
मुझे चमन से बहुत प्यार है।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 4)

प्रश्न 1.

  • पंखोंवाली चिड़िया
  • ऊपरवाली दराज़
  • नीले पंखोंवाली चिड़िया
  • सबसे ऊपरवाली दराज़

यहाँ रेखांकित शब्द विशेषण का काम कर रहे हैं। ये शब्द चिड़िया और दराज़ संज्ञाओं की विशेषता बता रहे हैं। अतः रेखांकि शब्द विशेषण हैं और चिड़िया, दराज़ विशेष्य हैं। यहाँ ‘वाला/वाली’ जोड़कर बनने वाले कुछ और विशेषण दिए गए हैं। ऊपर दिए गए उदाहरणों की तरह इनके आगे एक-एक विशेषण और जोड़ो-

  • ________मोरोंवाला बाग
  • ___________ ‘पेड़ोंवाला घर
  • ____________’फूलोंवाली क्यारी
  • ___________ ‘हँसनेवाला बच्चा
  • _________’स्कूलवाला रास्ता
  • ___________मूँछोंवाला आदमी

उत्तर:

  • सुंदर मोरोंवाला बाग
  • हरे-भरे पेड़ोंवाला घर
  • लाल – फूलोंवाली क्यारी
  • छोटा –  स्कूलवाला रास्ता
  • अधिक –  हँसनेवाला बच्चा
  • घनी  – मूँछोंवाला आदमी

प्रश्न 2. वह चिड़िया ______ जुंडी के दाने रुचि से _________ खा लेती है।

वह चिड़िया _______ रस उँडेलकर गा लेती है।

कविता की इन पंक्तियों में मोटे छापे वाले शब्दों को ध्यान से पढ़ो। पहले वाक्य में ‘रुचि से’ खाने के ढंग की और दूसरे वाक्य में ‘रस उँडेलकर’ गाने के ढंग की विशेषता बता रहे हैं।

अतः ये दोनों क्रिया-विशेषण हैं। नीचे दिए वाक्यों में कार्य के ढंग या रीति से संबंधित क्रिया – विशेषण छाँटो

(क) सोनाली जल्दी-जल्दी मुँह में लड्डू इँसने लगी ।
(ख) गेंद लुढ़कती हुई झाड़ियों में चली गई।
(ग) भूकंप के बाद जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य होने लगा।
(घ) कोई सफ़ेद – सी चीज़ धप्प से आँगन में गिरी।
(ङ) टॉमी फुर्ती से चोर पर झपटा।
(च) तेजिंदर सहमकर कोने में बैठ गया।
(छ) आज अचानक ठंड बढ़ गई है।

उत्तर:

(क) जल्दी-जल्दी
(ख) लुढ़कती हुई
(ग) धीरे-धीरे
(घ) धप्प से
(ङ) फुर्ती से
(च) सहमकर
(छ) अचानक

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 1 वह चिड़िया जो बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. कविता में कैसी चिड़िया की बात कही गई है?

(क) पीली चिड़िया की
(ख) काली चिड़िया की
(ग) नीली चिड़िया की
(घ) भूरी चिड़िया की

उत्तर: (ग) नीली चिड़िया की

2. चिड़िया रुचि से क्या खाना पसंद करती है?

(क) जुंडी के दाने
(ख) गेहूँ के दाने
(ग) सरसों के दाने
(घ) ये सभी

उत्तर (क) जुंडी के दाने

3. ‘वह चिड़िया जो’ कविता के कवि का क्या नाम है ?

(क) महेश दत्त
(ख) केदारनाथ अग्रवाल
(ग) नुपुर मेहता
(घ) ओमप्रकाश शाह

उत्तर (ख) केदारनाथ अग्रवाल

4. ‘मुझे विजन से बहुत प्यार है – इस पंक्ति का क्या अर्थ है?

(क) वह सारे संसार से प्रेम करती है।
(ख) उसे आकाश की ऊँचाइयों से प्रेम है।
(ग) वह अनाज के खेतों से बहुत प्रेम करती है।
(घ) चिड़िया को सुनसान स्थानों से लगाव है, इसलिए वह जंगल बाबा से प्यार करती है।

उत्तर (घ) चिड़िया को सुनसान स्थानों से लगाव है, इसलिए वह जंगल बाबा से प्यार करती है।

5. चिड़िया को किस-किस से प्यार है ?

(क) नदी, अन्न और जंगल
(ख) पानी, आकाश और बादल
(ग) पवन अंबर और गगन
(घ) हवा, जल और जल

उत्तर (क) नदी, अन्न और जंगल

6. कविता में नदी के पानी की बूँदों को क्या कहा गया है?

(क) हीरे मोती
(ख) जीवनदायनी
(ग) जल का मोती
(घ) रस

उत्तर (ग) जल का मोती

7. चिड़िया पुराने जंगल को किस नाम से बुलाती है?

(क) बूढ़े वन- बाबा
(ख) जंगल का राजा
(ग) मानव प्राणी
(घ) देवता

उत्तर (क) बूढ़े वन- बाबा

8. वन बाबा के लिए चिड़िया क्या करती है ?

(क) गाती है
(ख) नाचती है
(ग) उड़ती है
((घ) खाती है।

उत्तर (क) गाती है

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 1 वह चिड़िया जो काव्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

काव्यांश 1

वह चिड़िया जो-
चोंच मारकर, दूध-
भरे जुंडी के दाने
रुचि से रस से खा लेती है वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे अन्न से बहुत प्यार है ।

1. चिड़िया के पंख किस रंग के हैं?

(क) पीले
(ख) लाल
(ग) नीले
(घ) चितकबरे

उत्तर (ग) नीले

2. काव्यांश के अनुसार ‘दूध भरे’ का क्या अर्थ है?

(क) कच्चे
(ख) पक्के
(ग) गीले
(घ) सूखे

उतर (क) कच्चे

3. चिड़िया कैसे स्वभाव की है?

(क) संतोषी
(ख) मतवाली
(ग) नटखट
(घ) घमंडी

उत्तर (क) संतोषी

4. चिड़िया दूध भरे जुंडी के दाने रुचि से क्यों खाती है?

उत्तर कवि के अनुसार, चिड़िया को जुडी अर्थात् गेहूँ, जौ और ज्वार के दाने रुचि से इसलिए खाती है, क्योंकि वे दाने मीठे और रसीले होते हैं।

5. चिड़िया के लिए छोटी और संतोषी विशेषण शब्दों का प्रयोग करने के क्या कारण हैं?

उत्तर कविता में वर्णित चिड़िया का आकार बहुत छोटा है और वह सरलता से मिल जाने वाले दाने खाकर संतुष्ट रहती है, इसलिए कवि ने चिड़िया के लिए ‘छोटी’ तथा ‘संतोषी’ विशेषण शब्दों का प्रयोग किया है।

6. ‘चोंच मारकर खाने से क्या तात्पर्य है?

उत्तर ‘चोंच मारकर खाने का अर्थ चिड़िया का अपनी चोंच से दाने चुगना है।

काव्यांश 2

वह चिड़िया जो
कंठ खोलकर
बूढ़े वन- बाबा की खातिर रस उँडेलकर गा लेती है।
वह छोटी मुँह बोली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे विजन से बहुत प्यार है।

1. चिड़िया का गीत कैसा है?

(क) बेसुरा
(ख) नीरस
(ग) सुरीला
(घ) उबाने वाला

उत्तर (ग) सुरीला

2. चिड़िया के लिए पुराने वन बाबा क्या हैं?

(क) वृक्ष
(ख) बगीचा
(ग) संसार
(घ) आश्रयदाता

उत्तर (घ) आश्रयदाता

3. ‘रस उँडेलकर गाना’ कैसा होता है?

(क) रस टपकाना
(ख) रस को निकालना
(ग) रस को निचोड़ना
(घ) जिसे सुनकर आनंद आए

उत्तर (घ) जिसे सुनकर आनंद आए

4. कवि के अनुसार, ‘कंठ खोलकर गाने’ से क्या तात्पर्य है?

उत्तर कवि के अनुसार, ‘कंठ खोलकर गाने’ का अर्थ मुक्त रूप से गीत गाने से है।

5. चिड़िया को जंगल से बहुत प्यार क्यों है?

उत्तर चिड़िया को जंगल से बहुत प्यार इसलिए है, क्योंकि वह जंगल में अकेले ही स्वतंत्रतापूर्वक उड़ती और गीत गाती हैं।

6. कवि ने छोटी चिड़िया को मुँहबोली क्यों कहा है?

उत्तर कवि के अनुसार, चिड़िया अपने में ही मस्त रहती है। चिड़िया एकांत प्रिय है तथा किसी को हानि नहीं पहुँचाती । वह मधुर स्वर में खुलकर गीत गाती है। इन्हीं विशेषताओं के कारण कवि ने चिड़िया को ‘मुँहबोली’ कहा है।

काव्यांश 3

वह चिड़िया जो- चोंच मारकर
चढ़ी नदी का दिल टटोलकर
जल का मोती ले जाती है
वह छोटी गरबीली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ।
मुझे नदी से बहुत प्यार है।

1. चिड़िया जल कैसे पीती है?

(क) तैरकर
(ख) मुँह से
(ग) चखकर
(घ) चोंच से

उत्तर (घ) चोंच से

2. चिड़िया कैसे स्वभाव वाली है?

(क) शर्मीली
(ख) गरबीली
(ग) चहकती
(घ) चिड़चिड़ी

उत्तर (ख) गरबीली

3. चिड़िया को किससे बहुत प्यार है?

(क) नदी से
(ख) मोती से
(ग) पंखों से
(घ) चोंच से

उत्तर (क) नदी से

4. कविता के संदर्भ में ‘चढ़ी नदी’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर ‘वह चिड़िया जो कविता में जिस नदी का वर्णन किया गया है, वह सूखी नहीं है, बल्कि जल से परिपूर्ण है। जल से उफनती नदी के कारण ही कवि ने नदी के लिए ‘चढ़ी’ विशेषण का प्रयोग किया है। अतः यहाँ चढ़ी नदी का तात्पर्य उफनती नदी से है।

5. प्रस्तुत पंक्तियों में ‘जल का मोती ले जाती हैं’ का क्या अर्थ है?

उत्तर प्रस्तुत पंक्तियों में ‘जल का मोती ले जाती है’ का अर्थ ‘पानी की बूँदों को मोती के समान चुगना’ है।

6. चिड़िया नदी से जल कैसे लेती है?

उत्तर चिड़िया नदी से जल लेने से पूर्व उसका हृदय टटोलती है अर्थात् उसकी इच्छा जानती है और उतना ही जल लेती है, जितना उसकी प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 1 वह चिड़िया जो अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. चिड़िया रुचिपूर्वक क्या खाती है?

उत्तर चिड़िया जुंडी (जौं, गेहूँ व बाजरे) के दाने रुचिपूर्वक खाती है।

2. कविता में चिड़िया किसका दिल टटोलती है?

उत्तर कविता में चिड़िया पानी से उफनती नदी का दिल टटोलती है।

3. कवि ने चिड़िया को संतोषी क्यों कहा है?

उत्तर चिड़िया को जो भी दाने खाने को मिलते हैं, वह उसको खाकर संतोष कर लेती है, इसलिए कवि ने चिड़िया को संतोषी कहा है।

4. चिड़िया जंगल में किस तरह के गीत गाती हुई इधर-उधर उड़ती है?

उत्तर चिड़िया जंगल में उत्साहपूर्वक गीत गाती हुई इधर-उधर उड़ती रहती है।

5. ‘बूढ़े वन- बाबा’ का क्या तात्पर्य है?

उत्तर जिस जंगल में चिड़िया रहती है, वह बहुत घना और पुराना है, इसलिए कवि ने जंगल को ‘बूढ़े वन- बाबा’ कहा है।

6. चिड़िया को जुंडी के दाने क्यों पसंद हैं?

उत्तर जुडी के कच्चे दाने दूध भरे होते हैं, इसलिए चिड़िया को जुडी के दाने खाने पसंद हैं।

7. अपनी चोंच से चिड़िया क्या-क्या करती है?

उत्तर चिड़िया अपनी चोंच से रसभरे जुडी के दाने खाती है और नदी का जल भी पीती है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 1 वह चिड़िया जो (केदारनाथ अग्रवाल) लघु उत्तरीय प्रश्न

1. कवि ने अपने अंदर की कल्पित चिड़िया के माध्यम से मनुष्य के किन गुणों को उजागर किया है?

उत्तर कवि ने अपने अंदर की कल्पित चिड़िया के माध्यम से मनुष्य के निम्नलिखित गुणों को उजागर किया है

  • संतोषी प्रवृत्ति ।
  • संघर्षशील व साहसी
  • प्रकृति-प्रेमी
  • स्वयं पर गर्व करने वाला

2. चिड़िया का जीवन कैसा है?

उत्तर चिड़िया का जीवन संतोष से भरा है, उसे जो कुछ खाने को मिलता है, वह उसे ही खाकर संतुष्ट रहती है। चिड़िया एकांत में भी उत्साहपूर्वक रहती है। वह मुक्त कंठ से गीत गाती है तथा जंगल, नदी सभी जगह इच्छापूर्वक विचरण करती है।

3. इस कविता में चिड़िया को छोटी, संतोषी, मुँहबोली और गरबीली क्यों कहा गया है?

उत्तर कविता में वर्णित चिड़िया आकार में छोटी है। वह अनाज के दाने और जल की बूँदों से ही संतुष्ट रहती है, इस कारण कवि ने उसे संतोषी कहा है। चिड़िया पूरे जंगल में मुक्त कंठ से गीत गाती फिरती है, इसलिए वह मुँहबोली है। उफनती नदी से अपनी छोटी चोंच में जल को भर लाने के कारण उसे गरबीली कहा गया है।

4. चिड़िया की कौन-सी विशेषता आपको सबसे अच्छी लगी और क्यों?

उत्तर मुझे छोटी चिड़िया की ‘संतोष भावना’ सबसे अच्छी लगी। चिड़िया को जो भी दाने खाने को मिलते, वह उसे खा लेती हैं, नदी का जल पीकर अपनी प्यास बुझा लेती है। चिड़िया से मुझे भी प्रेरणा मिलती है। कि जीवन में संतोष आवश्यक है।

किसी कवि ने ठीक ही कहा है- ” जब आवै संतोष धन सब धन धूरि समान”

अर्थात् जिसके पास संतोष रूपी धन होता है, उसे सभी धन धूल की तरह मूल्यहीन लगते हैं।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 1 वह चिड़िया जो (केदारनाथ अग्रवाल) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. इस कविता में कवि ने जिस चिड़िया की बात की है, वह संतोषी, गरबीली और सदैव प्रसन्न रहकर जीवन जीना पसंद करती है। आप कैसा जीवन जीना पसंद करेंगे?

उत्तर मैं भी कविता में वर्णित छोटी चिड़िया के समान संतोष और गर्व के साथ जीवन बिताना पसंद करूँगा / करूंगी। जीवन का वास्तविक सुख संतोष में ही मिलता है। इच्छाओं का कोई अंत नहीं होता ।

हमें प्रत्येक परिस्थिति में खुश रहना चाहिए। सुख और दुःख का चक्र जीवन में निरंतर चलता रहता है। जीवन में सुख और दुःख आते-जाते रहते हैं। अतः दुःख में अधिक दुःखी होना व्यर्थ है। जीवन में दुःख के बाद सुख अवश्य आता है।

2. छोटी चिड़िया बूढ़े वन- बाबा के लिए मीठे स्वर में गाती है। आप अपने घर के बड़े-बुजुर्गों के लिए क्या-क्या करते हैं?

उत्तर

मेरे घर में दादा और दादीजी रहते हैं। मैं रोज शाम को लगभग एक घंटा उनके साथ व्यतीत करता हूँ। उनके साथ बैठकर बातें करता हूँ। दवा का समय होने पर उन्हें दवा भी देता हूँ। अपने दादा-दादी के हाथ-पाँव भी दबाता हूँ।

कभी-कभी घर के सामने वाले पार्क में टहलने ले जाता हूँ। वे मुझे जो भी छोटे-मोटे काम सौंपते हैं, सब हँसकर प्रसन्नतापूर्वक से कर देता हूँ। यह देखकर मेरे दादाजी दादीजी बहुत प्रसन्न होते हैं।

3. ‘वह चिड़िया जो’ कविता हमें क्या संदेश / शिक्षा देती है?

उत्तर ‘वह चिड़िया जो’ कविता हमें निम्नलिखित प्रकार से संदेश

  • शिक्षा देती है हमें अन्न व जल को बर्बाद नहीं करना चाहिए।
  • हमें लालची न होकर संतोषी बनना चाहिए।
  • हमें प्रकृति व पर्यावरण से प्रेम करना चाहिए व इसकी रक्षा भी करनी चाहिए।
  • पेड़ों की सुरक्षा करनी चाहिए, उन्हें काटना व बर्बाद नहीं करना चाहिए।
  • हमें साहसी और संघर्षशील होना चाहिए।

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे पाठ का सार

एकांकी में निहित पात्रों का परिचय

‘ऐसे-ऐसे’ एक एकांकी (नाटक/छोटी कहानी) है, जिसके लेखक विष्णु प्रभाकर हैं। इस एकांकी के पात्र मोहन ( एक विद्यार्थी), दीनानाथ (एक पड़ोसी) माँ (मोहन की माँ), मोहन के पिता मोहन के मास्टर जी, वैद्य जी, डॉक्टर और एक पड़ोसन हैं।

मोहन के पेट में दर्द और माँ की परेशानी

मोहन आठ-नौ वर्ष का बालक है, वह तीसरी कक्षा में पढ़ता है। कमरे में लेटा हुआ वह बार-बार पेट पकड़कर कराह (पीड़ा में निकलने वाली आवाज) रहा है। उसकी माँ गरम पानी की बोतल से मोहन का पेट सेंक रही हैं। वह मोहन के पिता से पूछती हैं कि उसने कुछ खराब चीज तो नहीं खाई है, पिताजी उन्हें तसल्ली देते हुए कहते हैं कि मोहन ने केवल केला और संतरा खाया है। दफ्तर से अड्डे तक ठीक ही आया था, पर बस अड्डे पर अचानक बोलने लगा कि पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ हो रहा है।

माँ, पिता से पूछती हैं कि डॉक्टर अभी तक क्यों नहीं आया और बताती हैं कि वह हींग, चूरन, पिपरमेंट भी दे चुकी हैं, परंतु उससे भी कोई लाभ नहीं हुआ। माँ मोहन की परेशानी देखकर बहुत परेशान होती हैं। उन्हें लग रहा था कि मोहन को कोई नई बीमारी हो गई है, क्योंकि घरेलू इलाज के बाद भी पेट दर्द कम नहीं हो रहा था। मोहन के पिताजी भी मोहन की दशा देखकर और परेशान हो जाते हैं।

दीनानाथ की मोहन के प्रति दयालुता

पड़ोसी दीनानाथ मोहन के घर आते हैं और मोहन की ऐसी दशा देखकर उन्हें आश्चर्य होता है, क्योंकि मोहन एक शरारती बालक है। और पूरे घर में शोरगुल मचाए रहता है। वह मामूली परेशानी को कुछ नहीं समझता है, लेकिन इस समय वह अपनी माँ के सामने थका हुआ, पेट दबाए बैठा था।

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वैद्य और डॉक्टर द्वारा मोहन का उपचार

दीनानाथ के कहने पर वैद्यजी मोहन को देखने के लिए आते हैं। वैद्यजी मोहन की नाड़ी छूकर कहते हैं कि मोहन बच्चा है, इसलिए वह समझ नहीं पा रहा है। मोहन का पेट साफ नहीं हुआ है। उसे कब्ज है, जिससे उसके पेट में वायु रुक गई है अर्थात् उसे गैस की समस्या हो गई है। वैद्यजी दवाई की पुड़िया देते हैं और आधे-आधे घंटे बाद उसे गरम पानी के साथ देने के लिए कहते हैं।

वैद्यजी के जाने के बाद मोहन के इलाज के लिए डॉक्टर आता है। मोहन की दशा देखकर डॉक्टर साहब उसकी जीभ देखकर कहते हैं कि मोहन को कुछ बदहजमी है, कुछ कब्ज की समस्या लग रही है। मेरी दवा की एक खुराक से मोहन की तबीयत ठीक हो जाएगी। डॉक्टर साहब गरम पानी की बोतल से सिंकाई करने की भी सलाह देते हैं।

पड़ोसन का मोहन के घर आना

डॉक्टर साहब के जाते ही पड़ोसन मोहन का हाल-चाल जानने के लिए आती है। पड़ोसन मोहन की माँ से कहती है कि आजकल नई-नई बीमारियाँ चल रही हैं। आजकल तो बुखार भी नए-नए चल रहे हैं। अब पहले जैसा खाना-पीना नहीं है, इसलिए नई-नई बीमारियाँ हो रही हैं। मोहन की माँ ने पड़ोसन को बताया कि डॉक्टर ने मोहन को बदहजमी बताई है।

मास्टरजी का आना और मोहन की बीमारी का भेद खुलना

उसी समय मोहन के विद्यालय के मास्टर जी मोहन को पुकारते हुए कमरे में आते हैं। मास्टरजी मोहन से कहते हैं, सुना है कि तुम्हारे पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा है, तुम्हारा चेहरा भी उतरा हुआ है।

कल तुम्हारे बिना तो कक्षा में रौनक ही नहीं रहेगी, शायद ठीक से खाना न खाने के कारण ‘ऐसे-ऐसे’ हो रहा है। मुझे इसकी बीमारी ‘ऐसे-ऐसे’ का कारण पता है, मैं इस बीमारी के बारे में जानता हूँ। किसी वैद्यजी या डॉक्टर के पास इसकी दवा नहीं है।

मास्टरजी ने मोहन से गृहकार्य पूरा करने की बात पूछी, जिसके जवाब में मोहन ने कोई उत्तर नहीं दिया। मास्टरजी मोहन की माँ को बताते हैं कि मोहन ने मौज-मस्ती पूरी की पर छुट्टियों का गृहकार्य पूरा नहीं किया है, जिसके कारण वह स्कूल जाने से बचने के लिए ‘ऐसे-ऐसे’ का बहाना बना रहा है।

मास्टरजी मोहन को गृहकार्य पूरा करने के लिए दो दिन का समय देते हैं। मास्टरजी की पूरी बात सुनकर माता-पिता दोनों दंग रह जाते हैं कि यह स्कूल का काम पूरा न करने का डर है और तभी पिता के हाथ से दवा की शीशी फर्श पर गिरकर बिखर जाती है। एकांकी के अंत में सभी लोग हँस पड़ते हैं।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे ऐसे विष्णु प्रभा बीमारी का भेद खुलना

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

एकांकी से (पृष्ठ संख्या 42)

प्रश्न 1. सड़क के किनारे एक सुंदर फ्लैट में बैठक का दृश्य । उसका एक दरवाजा सड़क वाले बरामदे में खुलता है। … उस पर एक फोन रखा है।’ इस बैठक की पूरी तसवीर बनाओ।

उत्तर छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2. माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर क्यों घबरा रही थी?

उत्तर मोहन का दर्द बढ़ता जा रहा था। वह दर्द के कारण कराह रहा था तथा बेचैन हो रहा था। वह माँ के पूछने पर बार-बार ऐसे-ऐसे होता है बता रहा था। माँ को लग रहा था कि मोहन को कोई नई बीमारी हो गई है। इसलिए माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर घबरा रही थीं।

प्रश्न 3. ऐसे कौन-कौन से बहाने होते हैं, जिन्हें मास्टरजी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं? ऐसे कुछ बहानों के बारे में लिखो ।

उत्तर ऐसे कई बहाने होते हैं, जिन्हें मास्टरजी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं; जैसे-

  • तेज बुखार आ गया था।
  • पेट में बहुत दर्द था ।
  • सिर में बहुत दर्द था।
  • हाथ में चोट लगने के कारण लिख नहीं पा रहा था ।
  • पार्टी में जाने के कारण घर देर से आया था।

अनुमान और कल्पना ( पृष्ठ संख्या 42)

प्रश्न 1. स्कूल के काम से बचने के लिए मोहन ने कई बार पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ होने के बहाने बनाए। मान लो, एक बार उसे सचमुच पेट में दर्द हो गया और उसकी बातों पर लोगों ने विश्वास नहीं किया, तब मोहन पर क्या बीती होगी?

उत्तर यदि मोहन को सचमुच पेट में दर्द हुआ होगा, तो घर में माँ और पिताजी ने उसकी बात पर विश्वास ही नहीं किया होगा। दर्द को बहाना समझकर ध्यान नहीं दे रहे होंगे। मोहन का दर्द बढ़ता जा रहा होगा। मोहन दर्द से बेचैन हुआ होगा, मुँह की रंगत बदल गई होगी। मोहन को अपने किए पर पछतावा हुआ होगा। उसे दोबारा ऐसी गलती न करने की सीख मिली होगी। मोहन ने अपनी आदत को सुधार लिया होगा ।

प्रश्न 2. पाठ में आए वाक्य ‘लोचा लोचा फिरे है’ के बदले ‘ढीला-ढाला हो गया है या बहुत कमजोर हो गया है’, लिखा जा सकता है। लेकिन, ‘लेखक ने संवाद’ में विशेषता लाने के लिए बोलियों के रंग-ढंग का उपयोग किया है। इस पाठ में इस तरह की अन्य पंक्तियाँ भी हैं; जैसे-

  1. इत्ती नई-नई बीमारियाँ निकली हैं।
  2. राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया।
  3. तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है।

अनुमान लगाओ, इन पंक्तियों को दूसरे ढंग से कैसे लिखा जा सकता है?

उत्तर इन पंक्तियों को इस प्रकार लिखा जा सकता है

  1. इतनी नई-नई बीमारियाँ निकल आई हैं।
  2. इन बीमारियों ने तो परेशान कर दिया।
  3. तुम तो बड़े छुपे रुस्तम हो ।

प्रश्न 3. मान लो कि तुम मोहन की तबीयत पूछने जाते हो। तुम अपने और मोहन के बीच की बातचीत को संवाद के रूप में लिखो ।

उत्तर

मैं – मोहन! कैसे हो? क्या हो गया तुम्हें?

मोहन – मित्र क्या बताऊँ? पेट में दर्द हो रहा है।

मैं – अच्छा! तुमने दिन में क्या खाया था?

मोहन – बस, एक संतरा और केला खाया था।

मैं – संतरा और केला खाने से दर्द नहीं हो सकता।

मोहन – दर्द के कारण बड़ी उलझन हो रही है।

मैं – माँ ने कोई घरेलू इलाज किया।

मोहन – हाँ, माँ ने हींग, चूरन और पिपरमेंट सब कुछ खिलाया था।

मैं – क्या उन चीजों को खाने से कोई लाभ नहीं मिला?

मोहन – नहीं, बिल्कुल भी लाभ नहीं हो रहा है।

मैं – तुमने डॉक्टर या वैद्य को नहीं दिखाया।

मोहन – हाँ, अभी कुछ देर पहले वैद्यजी देखने आए थे। उन्हीं की दवा खा रहा हूँ। शायद लाभ हो जाए।

मैं – समय पर दवा लेते रहना। जल्दी ठीक हो जाओगे। तुम्हारे बिना तो कक्षा में अच्छा नहीं लगेगा।

मोहन – हाँ, मेरा मन भी नहीं लगेगा। तबीयत ठीक हो जाएगी, तो मैं कल तुम्हारे साथ स्कूल चलूँगा।

मैं – ठीक है। अपना ध्यान रखना ।

प्रश्न 4. संकट के समय के लिए कौन-कौन से नंबर याद रखे जाने चाहिए? ऐसे समय में पुलिस, फायर ब्रिगेड और डॉक्टर से तुम कैसे बात करोगे? कक्षा में करके बताओ।

उत्तर संकट के समय इन नंबरों को याद रखना चाहिए

  1. पुलिस के लिए – 100
  2. फायर ब्रिगेड के लिए-101
  3. एंबुलेंस के लिए -102
  • यदि कोई दुर्घटना हो गई हो या मारपीट हो रही हो, तो 100 नंबर डायल करके पुलिस को घटना की संक्षिप्त जानकारी देते हुए पता बता देंगे।
  • आग लगने पर दुर्घटना की जानकारी देते हुए 101 नंबर पर डायल करके पता बता देंगे।
  • किसी के बीमार होने पर एंबुलेंस के लिए 102 नंबर डायल करके मरीज के लक्षण डॉक्टर को बताएँगे। शीघ्र पहुँचने के लिए सही पता बता देंगे। सदैव नम्रता से बात करेंगे। हम उन्हें घर के आस-पास की स्थिति अवश्य बताते हुए शीघ्रता से आने के लिए प्रार्थना करेंगे।

ऐसा होता तो क्या होता ____________ (पृष्ठ संख्या 42)

  • मास्टर _________ स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है? (मोहन हाँ में सिर हिलाता है।)
  • मोहन जी, सब काम पूरा कर लिया है।

इस स्थिति में नाटक का अंत क्या होता? लिखो ।

उत्तर

ऐसी स्थिति में मास्टरजी समझ जाते कि मोहन कोई बहाना नहीं बना रहा, बल्कि वास्तव में उसके पेट में दर्द है। मोहन ठीक से समझा नहीं पा रहा है, इसलिए ‘ऐसे-ऐसे’ कह रहा है। माँ और पिताजी मोहन का वैद्यजी या डॉक्टर साहब से इलाज करवाते। मोहन उनकी दवा खाकर स्वस्थ हो जाता और दो या तीन दिन में मोहन स्वस्थ होकर फिर से स्कूल आने लगता।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 43)

(क) मोहन ने केला और संतरा खाया।
(ख) मोहन ने केला और संतरा नहीं खाया।
(ग) मोहन ने क्या खाया ?
(घ) मोहन केला और संतरा खाओ।

उपर्युक्त वाक्यों में से पहला वाक्य एकांकी से लिया गया है। बाकी तीन वाक्य देखने में पहले वाक्य से मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ अलग-अलग हैं। पहला वाक्य किसी कार्य या बात के होने के बारे में बताता है। इसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं। दूसरे वाक्य का संबंध उस कार्य के न होने से है, इसलिए उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। (निषेध का अर्थ नहीं या मनाही होता है।)

तीसरे वाक्य में इसी बात को प्रश्न के रूप में पूछा जा रहा है, ऐसे वाक्य प्रश्नवाचक कहलाते हैं। चौथे वाक्य में मोहन से उसी कार्य को करने के लिए कहा जा रहा है। इसलिए उसे आदेशवाचक वाक्य कहते हैं। आगे एक वाक्य दिया गया है। इसके बाकी तीन रूप तुम सोचकर लिखो

  • बताना – रुथ ने कपड़े अलमारी में रखे ।
  • नहीं / मना करना –
  • पूछना –
  • आदेश देना –

उत्तर

नहीं / मना करना – श्याम ने कपड़े अलमारी में नहीं रखे।

पूछना – क्या श्याम ने कपड़े अलमारी में रखे ?

आदेश देना – श्याम! कपड़े अलमारी में रखो।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. ‘ऐसे-ऐसे’ एकांकी के एकांकीकार कौन हैं?

(क) अनुबंधोपाध्याय
(ख) गुणाकर मुले
(घ) जयंत विष्णु
(ग) विष्णु प्रभाकर

उत्तर (ग) विष्णु प्रभाकर

2. मोहन कैसा लड़का था ?

(क) शरारती
(ख) कमजोर
(ग) कम बुद्धिवाला
(घ) भला

उत्तर (क) शरारती

3. मोहन ने पिता के दफ्तर में क्या खाया था?

(क) फल
(ख) मिठाई
(ग) बर्गर
(घ) समोसे

उत्तर (क) फल

4. मोहन ने क्या बहाना बनाया?

(क) सिर दर्द होना
(ख) दस्त होना
(ग) ‘ऐसे-ऐसे’ होना
(घ) बुखार होना

उत्तर (ग) ‘ऐसे-ऐसे’ होना

5. वैद्यजी को बुलाकर कौन लाया था?

(क) मोहन के पड़ोसी दीनानाथ
(ख) मोहन का मित्र
(ग) मोहन के पिता
(घ) मोहन की माँ

उत्तर (क) मोहन के पड़ोसी दीनानाथ

6. मास्टरजी किस प्रकार के बहाने को समझ जाते हैं?

(क) वैसे-वैसे
(ख) वैसे-ऐसे
(ग) ऐसे-ऐसे
(घ) ऐसे-वैसे

उत्तर (ग) ऐसे-ऐसे

7. क्या मोहन के पेट में सचमुच दर्द था?

(क) पता नहीं
(ख) नहीं
(ग) हाँ
(घ) शायद हाँ

उत्तर (ख) नहीं

8. माँ किसका इंतजार कर रही थी?

(क) पिता का
(ख) पड़ोसी का
(ग) मित्र का
(घ) वैद्य का

उत्तर (घ) वैद्य का

9. माँ क्यों परेशान हो गई थी?

(क) मोहन को बुखार होने के कारण
(ख) मोहन के पेट में दर्द होने के कारण
(ग) मोहन के घर न आने के कारण
(घ) मोहन के खो जाने के कारण

उत्तर (ख) मोहन के पेट में दर्द होने के कारण

10. मोहन के पिता को क्या बात समझ में नहीं आ रही थी?

(क) मोहन का ऐसे-ऐसे कहना
(ख) मोहन की बेचैनी
(ग) मोहन की बीमारी
(घ) ये सभी

उत्तर (घ) ये सभी

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे गद्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

गद्यांश 1

इसने कहीं कुछ अंट-शंट तो नहीं खा लिया?

पिता कहाँ? कुछ भी नहीं। सिर्फ एक केला और एक संतरा खाया था। अरे, यह तो दफ्तर से चलने तक कूदता फिर रहा था। बस अड्डे पर आकर यकायक बोला- पिताजी, मेरे पेट में तो कुछ ऐसे-ऐसे हो रहा है। माँ कैसे ?

पिता बस ऐसे-ऐसे करता रहा। मैंने कहा- अ -अरे, गड़गड़ होती है? तो बोला- नहीं। फिर पूछा- चाकू सा चुभता है? तो जवाब दिया- नहीं। गोला – सा फूटता है? तो बोला- नहीं, जो पूछा उसका जवाब नहीं। बस एक ही रट लगाता रहा, कुछ ‘ऐसे-ऐसे’ होता है।

1. मोहन पिताजी के साथ कहाँ गया था ?

(क) पुस्तकालय
(ख) विद्यालय
(ग) बाजार
(घ) दफ्तर

उत्तर (घ) दफ्तर

2. मोहन ने दिन में क्या खाया था?

(क) केला, अमरूद
(ख) केला, संतरा
(ग) संतरा, अंगूर
(घ) संतरा, आम

उत्तर (ख) केला, संतरा

3. मोहन पिताजी से क्या रट लगाए था?

(क) चक्कर आना
(ख) पेट दर्द
(ग) सिर दर्द
(घ) ये सभी

उत्तर (घ) ये सभी

4. मोहन की माँ ने मोहन के पिताजी से मोहन के खाने के विषय में क्या पूछा?

उत्तर मोहन की माँ ने मोहन के पिताजी से पूछा कि मोहन ने कहीं कुछ अंट शंट तो नहीं खा लिया।

5. मोहन को तकलीफ कहाँ प्रारंभ हुई थी ?

उत्तर मोहन को बस अड्डे पर आकर अचानक तकलीफ प्रारंभ हुई। थी, उसने अपने पिताजी से कहा—मेरे पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा है।

6. पिताजी ने मोहन से उसकी तकलीफ जानने के लिए क्या- क्या पूछा?

उत्तर पिताजी ने मोहन से पूछा क्या गड़गड़ होती है? चाकू-सा चुभता है ? गोला-सा फूटता है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर में मोहन ने नहीं कहा।

गद्यांश 2

तभी फोन की घंटी बजती है। मोहन के पिता उठाते हैं।

पिता यह 43332 है जी, जी हाँ बोल रहा हूँ कौन? डॉक्टर साहब ! जी हाँ, मोहन के पेट में दर्द है” जी नहीं खाया तो कुछ नहीं बस यही कह रहा है बस जी नहीं, गिरा भी नहीं ऐसे-ऐसे होता है। बस जी, ऐसे-ऐसे होता है। बस जी, ‘ऐसे-ऐसे’ क्या बला है, कुछ समझ में नहीं आता? जी जी हाँ! चेहरा एकदम सफेद हो रहा है।

नाचा नाचता फिरता है जी नहीं, दस्त तो नहीं आया जी हाँ, पेशाब तो आया था जी नहीं, रंग तो नहीं देखा। आप कहें तो अब देख लेंगे अच्छा जी! जरा जल्दी आइए। अच्छा जी बड़ी कृपा है। (फोन का चोगा रख देते हैं।) डॉक्टर साहब चल दिए हैं। पाँच मिनट में आ जाते हैं।

1. मोहन के पिताजी ने किससे बात की?

(क) वैद्यजी से
(ख ) डॉक्टर से
(ग) मोहन की माँ से उत्तर
घ) मोहन के मित्र से

उत्तर (ख) डॉक्टर से

2. किसके पेट में दर्द हो रहा था?

(क) मोहन की माँ के
(ख) मोहन के पिताजी के
(ग) मोहन के मास्टरजी के
(घ) मोहन के
(ख) डॉक्टर से

उत्तर (घ) मोहन के

3. गद्यांश में संवाद किनके मध्य हो रहा है?

(क) माँ और पिताजी
(ख) पिताजी और डॉक्टर
(ग) पंडित और माँ
(घ) मोहन और डॉक्टर

उत्तर (ख) पिताजी और डॉक्टर

4. प्रस्तुत गद्यांश में कौन किससे बातें कर रहा है?

उत्तर इन पंक्तियों में मोहन के पिताजी डॉक्टर साहब से फोन पर बातें कर रहे हैं। पिताजी डॉक्टर को मोहन के पेट में दर्द की बीमारी के विषय में बता रहे हैं।

5. डॉक्टर साहब ने मोहन के पिताजी से क्या-क्या पूछा?

उत्तर डॉक्टर साहब ने मोहन के पिताजी से मोहन के दस्त और पेशाब के रंग के बारे में पूछा, जिससे वे मोहन की बीमारी के विषय में जान सकें।

6. मोहन के पिताजी क्यों परेशान थे?

उत्तर मोहन ने अंट-शंट नहीं खाया था। कहीं गिरा भी नहीं था फिर भी मोहन के पेट में दर्द हो रहा था। मोहन ऐसे-ऐसे होता है, कहे जा रहा था, जिसके कारण उसके पिताजी को कुछ समझ नहीं आ रहा था और वे परेशान थे।

गद्यांश 3

अभी बता देता हूँ। असल में बच्चा है। समझा नहीं पाता है। (नाड़ी दबाकर, वात का प्रकोप है. मैंने कहा, बेटा, जीभ तो दिखाओ। (मोहन जीभ निकालता है।) कब्ज है। पेट साफ नहीं हुआ। (पेट टटोलकर) हूँ, पेट साफ नहीं है। मल रुक जाने से वायु बढ़ गई है, क्यों बेटा ? (हाथ की अंगुलियों को फैलाकर फिर सिकोड़ते हैं। ) ऐसे-ऐसे होता है?

(हर्ष से उछलकर) मैंने कहा न मैं समझ गया। अभी पुड़िया भेजता हूँ। मामूली बात है, पर यही मामूली बात कभी-कभी बड़ों-बड़ों को छका देती है। समझने की बात है। मैंने कहा, आओ जी, दीनानाथ जी, आप ही पुड़िया ले लो। (मोहन की माँ से) आधे-आधे घंटे बाद गर पानी से देनी है। दो-तीन दस्त होंगे। बस फिर ऐसे-ऐसे ऐसे भागेगा जैसे गधे के सिर से सींग ।

1. मोहन के इलाज के लिए कौन आया था?

(क) माँ
(ख) वैद्यजी
(ग) सर्जन
(घ) हकीम साहब

उत्तर (ख) वैद्यजी

2. वैद्यजी ने मोहन से उसकी बीमारी जानने के लिए अपने हाथ की अँगुलियों को फैलाकर फिर क्या किया?

(क) मोड़ लिया
(ख) घुमाया
(ग) मरोड़ा
(घ) सिकोड़ा

उत्तर (घ) सिकोड़ा

3. दवाई खाने के बाद मोहन को कितने दस्त होंगे?

(क) तीन-चार
(ख) दो-तीन
(ग) चार-पाँच
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ख ) दो-तीन

4. वैद्यजी ने प्रसन्न होकर क्या कहा?

उत्तर वैद्यजी मोहन को देखने घर आए थे। मोहन की नाड़ी, जीभ और पेट देखने के बाद वैद्यजी मोहन की बीमारी समझ गए थे। इसलिए वे प्रसन्न होकर बोले मैं अभी पुड़िया भेज देता हूँ।

5. वैद्यजी ने मोहन को देखने के बाद क्या आश्वासन दिया?

उत्तर वैद्यजी ने मोहन को देखने के बाद यह आश्वासन दिया कि घबराने की कोई बात नहीं है।

6. वैद्यजी ने मोहन का क्या इलाज किया?

उत्तर वैद्यजी ने कब्ज की समस्या बताकर मोहन को दवा की पुड़िया को आधे-आधे घंटे बाद गरम पानी से खाने के लिए कहा था। उस दवा को खाने से दो-तीन दस्त आने से ऐसे-ऐसे भाग जाएगा।

गद्यांश 4

(सहसा गंभीर होकर) वह तो मैं देख रहा हूँ। चेहरा बताता है, इसे काफी दर्द है। असल में कई तरह के दर्द चल पड़े हैं। कौलिक पेन तो है नहीं और फोड़ा भी नहीं जान पड़ता। (बराबर पेट टटोलता रहता है।) (काँपकर) फोड़ा। जी नहीं, वह नहीं है। बिल्कुल नहीं है। (मोहन से) जरा मुँह फिर खोलना। जीभ निकालो। (मोहन जीभ निकालता है।) हाँ, कब्ज ही लगता है। कुछ बदहजमी भी है। (उठते हुए) कोई बात नहीं। दवा भेजता हूँ। (पिता से) क्यों न आप ही चलें। मेरा विचार है। कि एक ही खुराक पीने के बाद तबीयत ठीक हो जाएगी।

कभी-कभी हवा रुक जाती है और फंदा डाल लेती है। बस उसी की ऐंठन है।

1. सहसा गंभीर कौन हो गया?

(क) पिताजी
(ख) डॉक्टर साहब
(ग) वैद्यजी
घ) पड़ोसिन

उत्तर (ख ) डॉक्टर साहब

2. वैद्यजी ने मोहन के किस अंग का परीक्षण किया?

(क) मुँह
(ख) जीभ
(ग) पेट
(घ) ये सभी

उत्तर (घ) ये सभी

3. मोहन की बीमारी कितनी खुराक दवा पीने से ठीक हो सकती थी?

(क) दो खुराक
(ख) तीन खुराक
(ग) एक खुराक
(घ) चार खुराक

उत्तर (ग) एक खुराक

4. डॉक्टर साहब ने मोहन के चेहरे को देखकर क्या बताया?

उत्तर डॉक्टर साहब ने मोहन के चेहरे को देखकर बताया कि मोहन को काफी दर्द है। आजकल कई तरह के दर्द चल पड़े हैं।

5. डॉक्टर ने मोहन को कौन-कौन सी बीमारियाँ न होने के बारे में बताया ?

उत्तर डॉक्टर ने मोहन को कौलिक पेन तथा फोड़ा न होने के बारे में बताया।

6. डॉक्टर के अनुसार, मोहन को क्या बीमारी थी ?

उत्तर डॉक्टर के अनुसार, मोहन को कब्ज और बदहजमी थी, जो ही खुराक दवा पीने से ठीक हो सकती थी।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. ‘ऐसे-ऐसे’ एकांकी के लेखक कौन हैं? एकांकी किस पर आधारित है?

उत्तर ‘ऐसे-ऐसे’ एकांकी के लेखक विष्णु प्रभाकर जी हैं। यह एकांकी आठ-नौ वर्ष के बालक की मानसिकता पर आधारित है।

2. मोहन की माँ ने मोहन के दर्द के लिए क्या घरेलू इलाज किए थे?

उत्तर मोहन की माँ ने मोहन के दर्द के लिए उसे हींग, चूरन और पिपरमेंट खिलाया था।

3. मोहन के इलाज में कितने रुपये खर्च हो गए थे?

उत्तर मोहन के इलाज में कुल मिलाकर पंद्रह रुपये खर्च हो गए थे।

4. पड़ोसी लाला दीनानाथ मोहन की दशा देखकर क्यों आश्चर्यचकित हुआ?

उत्तर पड़ोसी लाला दीनानाथ मोहन की दशा देखकर आश्चर्यचकित इसलिए हुआ, क्योंकि वह एक शरारती बालक था और आस-पड़ोस में धमाचौकड़ी व शैतानियाँ करता रहता था ।

5. मोहन ने अपने पिताजी को दर्द के बारे में कब बताया ?

उत्तर मोहन ने अपने पिताजी को दर्द के बारे में बस अड्डे पर पहुँचते ही बताया कि मेरे पेट में कुछ ‘ऐसे-ऐसे’ हो रहा है।

6. मोहन को देखने के लिए आई पड़ोसन ने मोहन की माँ से बीमारी के विषय में क्या कहा?

उत्तर पड़ोसिन ने मोहन की माँ से कहा कि आजकल नई-नई बीमारियाँ हो रही हैं तथा नए-नए बुखार निकल आए हैं। अनेक बीमारियों का कारण आजकल का खान-पान है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे लघु उत्तरीय प्रश्न

1. मोहन कौन था? वह अपने पिताजी के साथ कहाँ गया था ?

उत्तर मोहन आठ-नौ वर्ष का छोटा बालक था। वह तीसरी कक्षा में पढ़ता था। मोहन बहुत शरारती था। प्रत्येक समय घर को अपने सिर पर उठाए रहता था। घर के अड़ोस पड़ोस में भी छेड़छाड़ करता रहता था। मोहन अपने पिताजी के साथ उनके दफ्तर गया था।

2. “हँसी की हँसी, दुःख का दुःख, मोहन की माँ ऐसा क्यों कहती है?

उत्तर मोहन की माँ मोहन से बार-बार उसके पेट में दर्द के विषय में पूछती है। मोहन बस यही कहता है कि पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ हो रहा है। उसकी बात सुनकर माँ हँस पड़ती है और चिंतित भी होती है। वह अपने बेटे के दुःख से दुःखी होती है। इसी मनःस्थिति में वह कहती हैं कि हँसी की हँसी, दुःख का दुःख उसे यह अजीब सी बीमारी लगती है।

3. वैद्यजी ने मोहन के पेट दर्द का क्या कारण बताया? अथवा वैद्य जी मोहन को क्या बीमारी बताते हैं?

उत्तर वैद्यजी ने कहा- मोहन बच्चा है, इसलिए अपनी तकलीफ समझा नहीं पा रहा है। इसे बात का प्रकोप है। पेट साफ नहीं हुआ है। मल रुक जाने से वायु बढ़ गई है। मामूली सी बात है, कब्ज है। यह बड़ों-बड़ों को थका देती है।

4. वैद्यजी ने मोहन के पेट के दर्द के लिए क्या सलाह दी ? अथवा वैद्यजी ने मोहन को देखने के बाद क्या कहा?

उत्तर वैद्यजी ने मोहन की नाड़ी देखी पेट टटोलकर भली-भाँति देखा। प्रसन्न होकर वैद्यजी ने बताया कि मैं बीमारी समझ गया हूँ । मोहन का पेट साफ नहीं हुआ है। मैं एक दवा पुड़िया में दूंगा। इसे आधे-आधे घंटे बाद गरम पानी से देना होगा। दो-तीन दस्त होंगे फिर ‘ऐसे-ऐसे’ ऐसे भागेगा जैसे गधे के सिर से सींग भागते हैं।

5. मास्टर साहब ने मोहन से क्या पूछा?

उत्तर मोहन की तबीयत खराब है, ऐसा सुनकर स्कूल के मास्टर साहब भी मोहन को देखने घर आए। उन्होंने मोहन से स्कूल का काम पूरा होने के विषय में पूछा, क्योंकि मास्टर जी जानते थे कि मोहन ने छुट्टियों में दिया गया गृहकार्य पूरा नहीं किया है इसलिए वह डर के कारण इस प्रकार के बहाने बना रहा है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 6 ऐसे-ऐसे दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. मोहन की माँ क्यों परेशान थीं? उन्होंने मोहन के पिता को मोहन के विषय में क्या बताया?

उत्तर मोहन अपने पिता के साथ दफ्तर से लौटा था। दिनभर वह बिल्कुल ठीक था। मोहन दिन में एक संतरा और एक केला खाकर, कूदता फिर रहा था। अचानक मोहन पेट में ऐसे-ऐसे होने की शिकायत करने लगा था। मोहन का मुँह उतर गया, चेहरा सफेद पड़ गया, बेचैनी लगातार बढ़ रही थी, थोड़ा सा भी चैन नहीं पड़ रहा था। मोहन की माँ ने मोहन के पिताजी को बताया कि मैं मोहन को हींग, चूरन, पिपरमेंट सब दे चुकी हूँ। किसी से भी मोहन को थोड़ा-सा भी आराम नहीं मिला है। इसलिए मोहन की बिगड़ती हुई दशा देखकर मोहन की माँ बहुत परेशान थीं।

2. मोहन के मास्टरजी ने मोहन की बीमारी को कैसे पहचान लिया? बीमारी का क्या इलाज बताया ?

उत्तर मोहन के मास्टरजी एक अनुभवी अध्यापक थे। वे पिछले कई वर्षों से विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे। विद्यार्थियों के बालक स्वभाव को वे भली-भाँति समझते थे। अकसर विद्यार्थी काम न कर पाने के लिए बहाने बनाते थे और सच्चाई छिपाने का प्रयत्न करते थे। मास्टरजी ने मोहन की माँ से कहा मोहन की दवा किसी वैद्य या डॉक्टर साहब के पास नहीं है।

इसकी बीमारी को मैं जानता हूँ, जो अकसर मोहन जैसे बच्चों को हो जाती है। मोहन ने महीने भर मौज-मस्ती की है। स्कूल का काम पूरा नहीं किया है, डर के कारण पेट में दर्द का बहाना बना रहा है। मोहन को सलाह देते हुए मास्टरजी ने कहा तुम्हें दो दिन की छुट्टी मिलेगी। उन दो दिनों में अपना काम पूरा करना। अब उठो और सवाल करना शुरू करो।

3. मोहन ने छुट्टियों में खूब मौज-मस्ती की थी, छुट्टियों का गृहकार्य नहीं किया था, इसलिए पेट दर्द का बहाना बना रहा था। आपके अनुसार क्या मोहन का यह व्यवहार उचित है? यदि आप उसके स्थान पर होते तो क्या करते?

उत्तर मोहन ने छुट्टियों में खूब मौज-मस्ती की थी। मोहन का यह व्यवहार उचित था, परंतु छुट्टियों का गृहकार्य न करना और पेट दर्द का बहाना बनाना अनुचित था।

यदि मैं मोहन के स्थान पर होता, तो मौज-मस्ती के साथ समय निकालकर गृहकार्य भी पूरा करता । मेरे अनुसार, पढ़ाई और मौज-मस्ती दोनों ही आवश्यक हैं।

यदि किसी कारण मेरा गृहकार्य पूरा न हो पाता, तो मैं कोई बहाना नहीं बनाता, बल्कि अपने माता-पिता को सच बता देता। मेरे माता-पिता मेरा गृहकार्य करने में मेरी सहायता करते और स्कूल खुलने से पहले मेरा गृहकार्य पूरा हो जाता ।

4. अकसर विद्यार्थी गृहकार्य पूरा न हो पाने पर स्कूल न जाने के लिए अनेक बहाने बनाते हैं। क्या आपने कभी ऐसा किया है? विस्तार से लिखिए |

उत्तर मेरे कुछ मित्र अकसर स्कूल न जाने के लिए बहाना बनाते हैं, पर मेरे अनुसार यह ठीक नहीं है। हाँ, एक बार मैं अपना अंग्रेजी का गृहकार्य करना भूल गया। रात में बस्ता लगाते समय मुझे अंग्रेजी गृहकार्य के विषय में याद आया। अब कार्य पूरा करने का समय नहीं था। मन में आया कि सिर दर्द का बहाना बना दूं और माँ को पता भी नहीं चलेगा।

यह बुखार की तरह थर्मामीटर में मापा नहीं जा सकता। तुरंत मन ने मुझे सतर्क किया, नहीं यह गलत है। मैंने अपनी माँ को अपनी गलती बता दी। माँ ने गृहकार्य के विषय में पूछा और उस रात देर तक जागकर मेरा गृहकार्य करवाने में सहायता की। रात 12:30 बजे तक मेरा गृहकार्य पूरा हो गया। अगले दिन मैं प्रसन्नता से अपना गृहकार्य लेकर स्कूल गया।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी कविता का सार

‘झाँसी की रानी’ कविता सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित है। इस कविता में कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के बचपन को बताते हुए 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम में उत्साहपूर्वक भाग लेने वाली वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का वर्णन किया गया है।

लक्ष्मीबाई अपने माता-पिता की अकेली संतान थीं तथा कानपुर के नाना साहब की मुँहबोली बहन थीं। बचपन में वे नाना साहब के साथ ही पढ़ती और खेलती थीं। उन्हें बचपन से ही बरछी, ढाल, कृपाण और कटारियों के खेल प्रिय थे। शिवाजी की वीरता की गाथाएँ उन्हें भली-भाँति याद थीं। अपने मित्रों के साथ वे नकली युद्ध के खेल-खेलती थीं।

युवावस्था में लक्ष्मीबाई का विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव के साथ हो गया, किन्तु कुछ समय बाद ही गंगाधर राव की मृत्यु हो जाने पर रानी विधवा हो गई, जिससे पूरे झाँसी में शोक छा गया। रानी के निःसंतान होने के कारण उत्तराधिकार की समस्या सामने आई। रानी लक्ष्मीबाई ने राजा गंगाधर की मृत्यु के बाद झाँसी की बागडोर संभाल ली थी। देश पर अंग्रेजों का कब्जा हो जाने पर लक्ष्मीबाई ने धुंधू पंत, ताँत्या टोपे जैसे राजाओं को संगठित होने के लिए प्रेरित किया।

अंग्रेजों के साथ इस स्वतंत्रता संग्राम में घोर युद्ध हुआ और अनेक वीर; जैसे- अजीमुल्ला, अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुँवर सिंह शहीद हो गए। लक्ष्मीबाई ने इस युद्ध में बढ़-चढ़कर भाग लिया। मरदाने वेश में लक्ष्मीबाई ने लेफ्टिनेंट वॉकर का सामना किया और वह जख्मी होकर भाग गया। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में रानी के बलिदान ने भारतवासियों के मन में स्वतंत्रता प्राप्त करने की चिंगारी जला दी।

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NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी काव्यांशों की विस्तृत व्याख्या

काव्यांश 1

सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन् सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ हिल उठे परिवर्तन हुआ, खलबली मचाना, भृकुटी भौंह, गुमी हुई-खोई हुई, फिरंगी-अंग्रेज, ठानी निश्चय किया।

संदर्भ प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक वसंत भाग-1 की ‘झाँसी की रानी’ कविता से ली गई हैं। इसकी रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान हैं।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई के साहस और बलिदान का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि अंग्रेज़ों ने जब भारत पर अपना राज्य स्थापित कर लिया, तो भारत के राजाओं में हलचल हो गई, उनके राजसिंहासन हिल गए। राजाओं में अंग्रेज़ों के प्रति रोष की भावना जाग्रत हुई। क्रोध के कारण उनकी भौंहें तन गई। सभी अपनी खोई हुई आज़ादी का मूल्य पहचानने लगे। गुलामी के कारण जर्जर – बूढ़े भारत में फिर से नया जोश उत्पन्न हो गया था। वे जान गए कि स्वतंत्रता कितनी अमूल्य है।

सभी राजाओं ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और मन में दृढ़ निश्चय किया कि अंग्रेज़ों को भारत से हटा देंगे, जो तलवारें म्यान में बंद थीं, सब सन् 1857 के युद्ध में फिर से चमक उठीं। इस स्वतंत्रता संग्राम में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पुरुषों की भाँति लड़ते हुए शहीद हो गई। उनकी वीरता की कहानी हमने बुंदेलखंड के हरबोलों अर्थात् लोक गायकों से सुनी थी।

विशेष

  1. प्रस्तुत पंक्तियों में सन् 1857 की स्थिति का वर्णन किया है, जिसमें रानी लक्ष्मीबाई की भूमिका प्रमुख थी।
  2. सरल और सहज शब्दों का प्रयोग किया गया है।
  3. इन पंक्तियों में वीर रस है।

काव्यांश 2

कानपुर के नाना की मुँहबोली बहन ‘छबीली’ थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी,
वीर शिवाजी की गाथाएँ उसको याद ज़बानी थीं।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।

शब्दार्थ संग-साथ, गाथाएँ-कहानियाँ, कटारी-छोटी तलवार, छबीली सुंदर

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई के बचपन का उल्लेख किया है। रानी लक्ष्मीबाई ने अपने बचपन से ही नाना साहब से युद्ध की शिक्षा प्राप्त की थी।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि कानपुर के नाना साहब (बाजीराव पेशवा) लक्ष्मीबाई को अपनी मुँहबोली बहन मानते थे। प्यार में वे उन्हें छबीली कहकर बुलाते थे। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं। बचपन से ही नाना के साथ पढ़ती और खेलती थीं। लक्ष्मीबाई को बचपन से ही बरछी, ढाल, कृपाण और कटारी चलाने का बहुत शौक था। ये सब उनकी सहेलियाँ थीं। उन्हें बचपन से ही शिवाजी की वीरता की कहानियाँ जबानी याद थीं। कवयित्री कहती हैं कि हमने बुंदेले हरबोलों के मुँह से सुना है कि रानी लक्ष्मीबाई वीर पुरुषों की भाँति बहुत वीरता से लड़ी थीं।

विशेष

  1. प्रस्तुत पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई की वीर गाथा का वर्णन किया गया है।
  2. कविता की भाषा सरल, सहज व प्रभावमयी है।
  3. कृपाण, कटारी में अनुप्रास अलंकार है।

काव्यांश 3

लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध, व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना, ये थे उसके प्रिय खिलवार,
महाराष्ट्र – कुल देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ पुलकित प्रसन्न, व्यूह की रचना-युद्ध का एक प्रकार, दुर्ग किला, खिलवाड़ खेल, आराध्य जिसकी पूजा की जाए, भवानी दुर्गा

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के बचपन के प्रिय खेलों का उल्लेख किया है। रानी लक्ष्मीबाई युद्ध अभ्यास करने के साथ-साथ धर्म से भी जुड़ी हुई थीं।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने कहा कि लक्ष्मीबाई ऐसी साक्षात् वीरता की अवतार थीं कि लगता था कि यह लक्ष्मी या दुर्गा का अवतार हैं। उसकी तलवार का वार देखकर मराठे बहुत प्रसन्न हो उठते- थे। बचपन से ही लक्ष्मीबाई के प्रिय खेल नकली युद्ध करना, व्यूह की रचना बनाना, शिकार करना, सेना को घेरना और किलों को तोड़ना थे। लक्ष्मीबाई महाराष्ट्र की कुल देवी की उपासिका थीं। वह दुर्गा की आराधना करती थीं। कवयित्री कहती हैं कि बुंदेलखंड के बुंदेलों के मुँह से लक्ष्मीबाई की कथा सुनी हैं, जो पुरुषों के समान अंग्रेज़ों से डटकर युद्ध में लड़ीं थीं।

विशेष

  1. यहाँ लक्ष्मीबाई के वीर अवतार रूप का वर्णन किया गया है।
  2. खेलना खूब में अनुप्रास अंलकार है।
  3. सरल भाषा का प्रयोग हुआ है।

काव्यांश 4

हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
सुभट बुंदेलों की विरुदावलि सी वह आई झाँसी में,
चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ वैभव-धन-संपत्ति, ऐश्वर्य, विरुदावलि-बड़ाई, यश के गीत, ब्याह-विवाह ।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के विवाह का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि लक्ष्मीबाई की सगाई झाँसी के राजा गंगाधर राव के साथ हुई थी। तब ऐसा लगा मानों वीरता (लक्ष्मीबाई) की सगाई धन-दौलत (गंगाधर राव ) के साथ हो गई हो ।

विवाह के बाद लक्ष्मीबाई झाँसी आ गई। संपूर्ण झाँसी में खुशियाँ मनाई गईं। राजमहलों में बधाई गीत गाए जाने लगे। वीर योद्धा बुंदेलों के यश का गान गाया जाने लगा। ऐसा लगा जैसे चित्रा को पतिरूप में अर्जुन और दुर्गा को शिव मिल गए हों। उसी तरह लक्ष्मीबाई को राजा गंगाधर राव मिले थे। कवयित्री कहती हैं कि हमने बुंदेले हरबोलों के मुँह से यह कहानी सुनी है कि वह लक्ष्मीबाई वीर योद्धाओं के समान मर्दानी बनकर वीरता के साथ लड़ी थीं।

विशेष

  1. बजी बधाई, साथ सगाई में अनुप्रास अलंकार है।
  2. सरल व सहज भाषा का प्रयोग है।

काव्यांश 5

उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजयाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
ानी विधवा हुई हाय! विधि को भी नहीं दया आई,
निःसंतान मरे राजा जी, रानी शोक-समानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ उदित उगना, सौभाग्य-अच्छा भाग्य, मुदित-प्रसन्न, कालगति-मृत्यु की चाल, विधि-भाग्य ।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के पति के देहांत के बारे में बताया है। जिससे पूरा झाँसी राज्य शोकपूर्ण हो गया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि विवाह के पश्चात् लक्ष्मीबाई झाँसी आ गई। जिससे झाँसी के सौभाग्य का उदय हो गया था। महलों में प्रसन्नता छा गई, किंतु धीरे-धीरे दुर्भाग्य के बादल छा गए ।

राजा की अकाल मृत्यु से लक्ष्मीबाई के जीवन में समय चक्र दुःख की काली घटाएँ ले आया। रानी लक्ष्मीबाई जल्दी ही विधवा हो गईं। दुर्भाग्य को तीर चलाने वाले हाथों में चूड़ियाँ पहनना अच्छा नहीं लगा। भाग्य को भी उस पर दया नहीं आई। राजा गंगाधर राव निःसंतान मर गए। रानी शोक में डूब गई। कवयित्री कहती है कि यह सब कहानी हमने बुंदेले हरबोलों के सुनी है। जो मर्दानी की तरह लड़ी थी।

विशेष

  1. रानी लक्ष्मीबाई के जल्दी विधवा होने व राजा गंगाधर राव का निःसंतान मर जाने का वर्णन है।
  2. चुपके-चुपके में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।
  3. मुदित महलों में अनुप्रास अलंकार है।

काव्यांश 6

बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फ़ौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया,
अश्रुपूर्ण रानी ने देखा झाँसी हुई बिरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ हरषाय- प्रसन्न होना, अश्रुपूर्ण आँसू से भरी हुई, वारिस – उत्तराधिकारी, बिरानी वीरान, निर्जन ।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने झाँसी के राजा की मृत्यु बाद अंग्रेज़ी शासक का झाँसी पर अधिकार करने के विषय में वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि झाँसी के राजा की मृत्यु से झाँसी का राज्य सुनसान हो गया। राजा की मृत्यु जब हुई थी, तब वे निःसंतान थे। ऐसे में लॉर्ड डलहौजी को राज्य हड़पने का अच्छा अवसर मिल गया। वह मन ही मन बहुत प्रसन्न हुआ, उसने तुरंत अंग्रेजी सेना के साथ झाँसी के किले पर हमला बोल दिया।

रानी को हराकर झाँसी के किले पर अंग्रेज़ी पताका फहरा दिया। झाँसी राज्य, जिसका कोई उत्तराधिकारी नहीं था, उसे अपना वारिस बनाकर झाँसी में आ गया था और झाँसी की रानी अपने आँखों से झाँसी को बेगानी होते हुए देखती रह गई। कवयित्री कहती हैं कि बुंदेले हरबोलों के मुँह से लक्ष्मीबाई की यह कहानी हमने सुनी है, जो मर्दानी बनकर खूब लड़ी हैं।

विशेष

  1. डलहौजी द्वारा झाँसी पर शासन करने का वर्णन किया गया है।
  2. अच्छा अवसर, ब्रिटिश फौरन फौजें में अनुप्रास अलंकार है।
  3. सरल व कोमल भाषा का प्रयोग हुआ है।

काव्यांश 7

अनुनय-विनय नहीं सुनता है, विकट फ़िरंगी की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था, जब यह भारत आया,
डलहौज़ी ने पैर पसारे अब तो पलट गई काया, राजाओं,
नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया,
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ अनुनय विनय-प्रार्थना, निवेदन, विकट-कठिन, भयंकर, काया शरीर, काया पलटना बदलाव आ जाना।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने अंग्रेज़ों का वर्णन किया है कि किस तरह अंग्रेज व्यापार के बहाने बड़े-बड़े राजाओं के राज्यों को हड़प जाते थे।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि ब्रिटिश सरकार क्रूर थी। किसी की याचना का प्रभाव उन लोगों पर नहीं पड़ता था, जब ब्रिटिश भारत आए थे, तब वे व्यापारी थे जो यहाँ की दया चाहते थे। भारत देश की धन-संपत्ति को देखकर अंग्रेज यहाँ से व्यापार करना चाहते थे, किंतु धीरे-धीरे व्यापारियों का रूप बदल गया। अब वे भारत में राज्य करने लगे थे। छोटे-छोटे राजाओं को युद्ध में परास्त कर दिया था।

डलहौजी धीरे-धीरे अंग्रेज़ों का राज्य बढ़ाता ही जा रहा था। अब अंग्रेज़ व्यापारी से शासक बन गए। रानी लक्ष्मीबाई भी अंग्रेज़ों से हार गई थीं, लेकिन उन्होंने मानसिक रूप से हार नहीं मानी थी। कवयित्री कहती है कि बुंदेल लोगों के मुँह से हमने लक्ष्मीबाई की वीरता की यह कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर खूब लड़ी है।

विशेष

  1. यहाँ अंग्रेजों की झाँसी पर राज करने की नीति का वर्णन किया गया है।
  2. बनी-बनी में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
  3. सरल, सुंदर व सहज भाषा का प्रयोग हुआ है।

काव्यांश 8

छिनी राजधानी देहली की, लिया लखनऊ बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठूर में हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजोर, सतारा, करनाटक की कौन बिसात,
जबकि सिंध, पंजाब, ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात,
बंगाले, मद्रास आदि की भी तो यही कहानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ विसात घात, प्रहार, वज्र निपात भारी मुसीबत, बिसात ताकत।

प्रसंग इन पंक्तियों में कवयित्री ने उन राज्यों के बारे में बताया है, जिस पर अंग्रेज़ों ने अपना अधिकार जमा लिया।

व्याख्या इन पंक्तियों में कवयित्री कह रही है कि अंग्रेज़ छोटे-छोटे राज्यों पर आक्रमण कर रहे थे। उन्होंने राजधानी दिल्ली को अपने अधीन कर लिया था और लखनऊ पर अपना अधिकार कर लिया था। बिटूर में राजा बाजीराव पेशवा को बंदी बना लिया था। नागपुर पर भी प्रहार किया, साथ ही उदयपुर, तंजौर, सतारा और कर्नाटक जैसे राज्यों को भी अधीन कर लिया। ये सभी छोटे राज्य थे। सिंध, पंजाब पर अभी-अभी अंग्रेज़ों का आक्रमण हुआ था। बंगाल, मद्रास राज्यों की भी यही स्थिति थी । कवयित्री कहती है कि बुंदेलखंड के बुंदेले लोगों के मुँह से हमने रानी लक्ष्मीबाई की यही कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर लड़ी थी।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में अंग्रेज़ों के बढ़ते साम्राज्य को सरल शब्दों में स्पष्ट किया है।
  2. सरल व सहज भाषा का प्रयोग हुआ है।

काव्यांश 9

रानी रोई रनिवासों में बेगम गम से थीं बेज़ार,
उनके गहने-कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरेआम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार,
‘नागपुर के जेवर ले लो’ ‘लखनऊ के लो नौलख हार’,
यों परदे की इज़्ज़त पर देशी के हाथ बिकानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ रनिवास – रानी का महल, बेजार बेहाल, परेशान।

प्रसंग इन पंक्तियों में कवयित्री ने अंग्रेज़ों द्वारा राजाओं की हत्या करके रानियों के वस्त्र और आभूषणों की नीलामी करने का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने कहा है कि अंग्रेज़ अपना शासन बढ़ाते जा रहे थे। छोटे-छोटे राजाओं को वे परास्त कर रहे थे, जिससे रानियाँ और बेगमें दुःखी थीं। वे महलों में बैठकर रोती रहती थीं। रानियाँ और बेगमों के बहुमूल्य वस्त्रों को अंग्रेज कलकत्ता के बाजार में नीलाम कर रहे थे। इस नीलामी के विज्ञापन अंग्रेज़ी के अखबारों में छप रहे थे।

वे विज्ञापन इस प्रकार थे— नागपुर के जेवर ले लो; ‘लखनऊ के नौलखा हार’ खरीद लो अपनी वस्तुओं को बाजार में इस प्रकार नीलाम होते देखकर रानियों का हृदय दुःख से भर जाता था, जो गहने और वस्त्र रानियों की इज्जत थे, वे आज इस प्रकार खुले आम विदेशियों के हाथ बेचे जा रहे थे। बुंदेलखंड के लोगों के मुँह से हमने . लक्ष्मीबाई की वीरता की यह कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर खूब लड़ी थी।

विशेष

  1. इस काव्यांश में रानियों व बेगमों के आभूषण व वस्त्रों की नीलामी का वर्णन किया है।
  2. रोयी -रोयी रनिवासों में अनुप्रास अलंकार है ।

काव्यांश 10

कुटियों में थी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मन में था, अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण- चंडी का कर दिया प्रकट आह्वान,
हुआ यज्ञ प्रारंभ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ विषम-कठिन, वेदना-पीड़ा, तकलीफ, आहत घायल, आह्वान- बुलाना, पुकारना, ज्योति प्रकाश

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने बताया है कि आम जनता के मन में अंग्रेज़ों के प्रति विद्रोह की भावना थी ।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कह रही है कि अंग्रेज़ों द्वारा भारत को अपने अधिकार में करते जाने से लोगों के मन में गहरा रोष था। अमीर और गरीब सभी कष्टपूर्ण जीवन बिता रहे थे तथा अपने आप को अपमानित महसूस कर रहे थे।

वीर सैनिकों के मन में अपने पुरखों का अभिमान था । नाना साहब और बाजीराव पेशवा अंग्रेज़ों से युद्ध करने के लिए सभी साधन एकत्र कर रहे थे। इसी समय झाँसी की रानी ने भी रणचंडी का रूप अपना लिया तथा युद्ध में भाग लेने के लिए लोगों को प्रेरित किया। लोगों के सुप्त (सोए हुए) हृदय में स्वतंत्रता प्राप्त करने की चिंगारी जला दी ।

अन्य सभी लोग उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेज़ों से सत्ता वापस लेने के लिए तत्पर हो गए। हमने यह कहानी बुंदेलखंड के बुंदेले लोगों से सुनी है कि लक्ष्मीबाई पुरुषों की भाँति वीरता से लड़ी थीं।

विशेष

  1. इन पंक्तियों के माध्यम से यह बताया है कि राजाओं की शक्ति को कैसे एकत्रित किया गया।
  2. सरल व सहज भाषा का प्रयोग हुआ है।

काव्यांश 11

महलों ने दी आग, झोपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थीं,
मेरठ, कानपुर, पटना ने भारी धूम मचाई थी,
जबलपुर, कोल्हापुर में थी कुछ हलचल उकसानी भी ।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ अंतरतम हृदय, ज्वाला- आग की लपट, उकसाना प्रेरित करना।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने सन् 1857 की क्रांति में सभी बड़े-बड़े शासकों के हिस्सा लेने और भारतवासियों में क्रांति की ज्वाला भड़कने का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि रानी लक्ष्मीबाई तथा अन्य राजाओं ने क्रांति की जो चिंगारी लगाई थी, वह अब पूर्ण ज्वाला बनकर भड़क उठी थी। महलों में ही नहीं बल्कि झोंपड़ी में रहने वालों ने भी मिलकर क्रांति में भाग लिया।

स्वतंत्रता की चिंगारी लोगों के अंतर्मन (हृदय) से निकली थी, क्योंकि सभी अंग्रेज़ों के अत्याचारों से दुःखी थे। झाँसी में क्रांति की, जो लहर उठी थी वह दिल्ली और लखनऊ में भी फैल गई थी। साथ ही मेरठ, कानपुर, पटना में भी क्रांति की लहर फैलती गई। जबलपुर और कोल्हापुर में भी कुछ हलचल हुई। चारों ओर लोग सचेत हो गए और स्वतंत्रता की कामना करने लगे। बुंदेलखंड के बुंदेले लोगों के मुँह से हमने लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर वीरता से लड़ी थी।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में भारतवासियों में भड़की क्रांति की ज्वाला का चित्रण किया है।
  2. भाषा सरल व स्पष्ट है।

काव्यांश 12

इस स्वतंत्रता – महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास- गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम,
लेकिन आज जुर्म कहलाती, उनकी जो कुरबानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ वीरवर-बहादुर, काम आए योगदान देना, अभिराम सुंदर, गगन- आकाश, जुर्म अपराध ।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने स्वतंत्रता संग्राम में अपना बलिदान देने वाले लोगों का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कह रही हैं कि स्वतंत्रता रूपी महायज्ञ में बहुत-से वीरों ने अपना बलिदान दे दिया। इनमें धुंधूपंत, ताँत्या, अजीमुल्ला अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुँवर सिंह जैसे वीर सैनिक शामिल थे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास रूपी आकाश में इन वीरों के नाम अमर रहेंगे।

इन वीरों का बलिदान और त्याग आज भले ही अपराध कहलाए हो, किंतु उन वीरों का बलिदान देश की स्वतंत्रता के लिए था । कवयित्री कहती है कि बुंदेलखंड के बुंदेले लोगों से हमने लक्ष्मीबाई की वीरता की यह कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर लड़ी थी।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में भाषा सरल, सहज व स्पष्ट है।
  2. पंक्तियों में स्वतंत्रता संग्राम में अपना बलिदान देने वाले लोगों का वर्णन है।

काव्यांश 13

इनकी गाथा छोड़ चले हम झाँसी के मैदानों में, जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में, लेफ्टिनेंट वॉकर आ पहुँचा, आगे बढ़ा जवानों में, रानी ने तलवार खींच ली, हुआ द्वंद्व असमानों में, ज़ख्मी होकर वॉकर भागा, उसे अजब हैरानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ गाथा-कहानी, असमान जो समान न हों, जो बराबर नहीं हों, हैरानी आश्चर्य।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के शौर्य बल का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि भारत के उन राज्यों की बात हम छोड़ देते हैं, जिन्होंने अंग्रेज़ों के सामने घुटने टेक दिए थे और हम झाँसी के मैदान की ओर चलते हैं, जहाँ रानी लक्ष्मीबाई पुरुषों के समान पुरुष रूप में खड़ी हैं। रानी पुरुषों के समान वीरता से युद्ध कर रही थीं उसी समय लेफ्टिनेंट वॉकर अपने कुछ सैनिकों के साथ वहाँ आ जाता है। तब रानी उससे युद्ध करने के लिए अपनी तलवार निकालकर उससे संघर्ष करना शुरू करती हैं।

इस युद्ध में लेफ्टिनेंट वॉकर घायल होकर भाग गया। वह हैरान था। कि रानी ने उसे परास्त कर दिया। कवयित्री कहती है कि रानी की वीरता की यह कहानी हमने बुंदेले लोगों से सुनी थी कि वह पुरुषों के समान वीरता से लड़ी थीं।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का चित्रण किया गया है।
  2. इन पंक्तियों में भाषा सुंदर, स्पष्ट व प्रभावमयी है।

काव्यांश 14

रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थककर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी किया ग्वालियर पर अधिकार,
अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी । ।

शब्दार्थ निरंतर लगातार तत्काल – तुरंत ।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी के घोड़े की मृत्यु तथा युद्ध में अंग्रेजों से हार का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि रानी निरंतर आगे बढ़ती जा रही थी। लगभग सौ मील का रास्ता पार करके कालपी पहुँच गई। उनका घोड़ा थककर धरती पर गिर पड़ा और तुरंत ही मर गया। उधर यमुना के तट पर अंग्रेज़ रानी से फिर से युद्ध में पराजित हुए। रानी विजयी होकर आगे चल दी और ग्वालियर को भी जीतकर उसे अपने अधिकार में ले लिया। ग्वालियर का राजा सिंधिया अंग्रेज़ों का मित्र था । उसने रानी के भय के कारण अपनी राजधानी छोड़ दी। कवयित्री कहती है कि रानी की वीरता की यह कहानी हमने बुंदेले लोगों के मुख से सुनी थी कि रानी पुरुषों के समान युद्ध में लड़ी थी।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में रानी के घोड़े की मृत्यु व युद्ध में अंग्रेज़ों की हार का वर्णन है।

काव्यांश 15

विजय मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सन्मुख था, उसने मुँह की खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थीं,
युद्ध क्षेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी,
पर, पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।

शब्दार्थ मर्दानी-पुरुष की तरह, सन्मुख सामने

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई और जनरल स्मिथ, ह्यूरोज से घमासान युद्ध का वर्णन किया है।

व्याख्या रानी विजयी तो हुई, किंतु पुनः अंग्रेज़ों की सेना ने उन्हें घेर लिया। इस बार जनरल स्मिथ अपनी सेना का नेतृत्व कर रहा था, वह उनके सामने था। वह एक बार रानी से पराजित हो चुका था। इस बार रानी के साथ उनकी दो सहेलियाँ काना और मंदरा भी आई थीं। काना और मंदरा भी रानी के साथ युद्ध कर रही थीं। दोनों में घमासान युद्ध हुआ, किंतु इसी बीच दूसरी ओर से ह्यूरोज अपनी सेना के साथ वहाँ पहुँच गया। अब रानी स्मिथ और ह्यूरोज के बीच घिर गई। कवयित्री कहती हैं कि हमने हरबोलों के मुँह से रानी की वीरता की यह कहानी सुनी है, जो मर्दानी बनकर खूब लड़ी थी।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई और जनरल स्मिथ, ह्यूरोज के बीच युद्ध का वर्णन है।
  2. मार मचाई में अलंकार है।

काव्यांश 16

तो भी रानी मार-काटकर चलती बनी सैन्य के पार,
किंतु सामने नाला आया था यह संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गए सवार,
रानी एक शत्रु बहुतेरे होने लगे बार पर वार,
घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीर गति पानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ विषम विपरीत, अपार जिसे पार न किया जा सके।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी के वीरतापूर्वक युद्ध करने तथा युद्ध में घायल होने का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कह रही हैं कि रानी ह्यूरोज और जनरल स्मिथ की सेनाओं से घिर गई हैं, फिर भी वह सेना को चीरती हुई आगे बढ़ रही थीं कि सामने एक नाला आ जाता है। रानी का घोड़ा नया था, वह अड़ गया। तभी पीछे से अंग्रेज़ सैनिकों के आ जाने से दोनों ओर से युद्ध होने लगे।

रानी अकेली थी और अंग्रेज़ सैनिक अधिक थे, जिसके कारण रानी चारों ओर से घिर गईं। लगातार रानी पर वार हो रहे थे। अंत में रानी शेरनी की भाँति घायल होकर गिर गईं। रानी युद्ध भूमि में लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हुई। कवयित्री कहती है कि बुंदेलों के मुँह से हमने रानी की वीरता की यह कहानी सुनी है कि रानी पुरुष के समान युद्ध में यह कहानी है कि के छ लड़ी थी।

विशेष

  1. रानी की वीरगति पाने का चित्रण किया गया है।
  2. इन पंक्तियों की भाषा बहुत सरल, सुस्पष्ट है।
  3. कवि ने सुंदर शब्दों का प्रयोग किया है।

काव्यांश 17

रानी गई सिधार, चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता नारी थी,
दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।

शब्दार्थ दिव्य- अलौकिक, देवताओं जैसी, मनुज – मनुष्य ।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई के जीवन की अंतिम यात्रा का वर्णन किया है।

व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने कहा कि रानी वीरगति को प्राप्त हो गई। अब चिता ही उनकी दिव्य सवारी थी। उनका अलौकिक व्यक्तित्व चिता को भेंट हो गया था। उनका तेज अग्नि के तेज में मिल गया। अभी उनकी अवस्था केवल तेईस वर्ष की थीं। वह साधारण मानव नहीं बल्कि कोई दिव्य अवतार थीं।

वह स्वतंत्रता की देवी बनकर हमें स्वतंत्रता की आवश्यकता बताने आई थीं, जो सीख हमें देनी थी, वह दे गईं। वह हमारे लिए स्वतंत्रता की देवी बनकर आई थीं। हम भारतवासियों को नई राह अर्थात् बलिदान का मार्ग दिखा गईं। कवयित्री कहती है कि बुंदेले लोगों के मुँह से हमने रानी की वीरता की कहानी सुनी हैं, जो पुरुषों की भाँति युद्धभूमि में लड़ी थी।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में झाँसी की रानी की अंतिम यात्रा का वर्णन है।
  2. सीख सीखनी में अनुप्रास अलंकार है।

काव्यांश 18

जाओ रानी याद रखेंगे हम कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनाशी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय,  मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी,
तेरा स्मारक तू ही होगी,  तू खुद अमिट निशानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।।

शब्दार्थ कृतज्ञ उपकार को याद रखने वाले, अविनाशी-कभी नष्ट न होने वाला स्मारक यादगार।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान का वर्णन किया है।

व्याख्या अंत में कवयित्री शब्द रूपी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहती हैं कि हे रानी! तुम स्वर्ग सिधार गई। तुम्हें वीरगति प्राप्त हुई । हम सब भारतवासी तुम्हारा यह बलिदान हमेशा याद रखेंगे। तुम्हारा यह बलिदान हमारे अंदर त्याग की भावना को जाग्रत करता है और आज़ादी के प्रति सचेत करता रहेगा। हम भारतवासी स्वतंत्रता अवश्य प्राप्त करेंगे।

इतिहास भले ही मौन हो जाए कुछ न कहे, अंग्रेज़ भले ही विजय प्राप्त कर लें, झाँसी को नष्ट कर दें, परंतु हम भारतवासी यह बलिदान कभी नहीं भूलेंगे।

तुम्हें स्मरण करने के लिए किसी स्मारक की आवश्यकता नहीं है, तुम तो स्वयं ही स्मारक हो। तुम स्वयं ही स्मरणीय रहोगी । कवयित्री कहती हैं कि बुंदेलखंड के लोगों के मुँह से झाँसी की रानी के युद्ध की कहानी सुनी थी, जिन्होंने पुरुषों के समान वीरता से युद्ध किया।

विशेष

  1. इन पंक्तियों में रानी के बलिदान व त्याग भावना का वर्णन किया गया है।
  2. कविता की पंक्तियों को सरल व प्रभावमयी रूप से पिरोया गया है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

कविता से (पृष्ठ संख्या 62)

प्रश्न 1. ‘किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई

(क) इस पंक्ति में किस घटना की ओर संकेत है?
(ख) काली घटा घिरने की बात क्यों कही गई है?

उत्तर

(क) इस पंक्ति में झाँसी के राजा गंगाधर राव की मृत्यु की ओर संकेत किया गया है।

(ख) जिस प्रकार काली घटाएँ घिरकर सूर्य को ढककर उसके प्रकाश को कम कर देती हैं, उसी प्रकार राजा के नि:संतान मर जाने के कारण झाँसी के राज्य पर अंग्रेज़ अपना अधिकार कर लेंगे और झाँसी पर विपत्ति आ जाएगी। इस तथ्य को ध्यान में रखकर काली घटा घिरने की बात कही गई है।

प्रश्न 2. कविता की दूसरी पंक्ति में भारत को ‘बूढ़ा’ कहकर और उसमें ‘नई जवानी’ आने की बात कहकर सुभद्रा कुमारी चौहान क्या बताना चाहती हैं?

उत्तर कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान भारत को ‘बूढ़ा’ कहकर यह बताना चाहती हैं कि भारत बहुत समय तक परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा रहने के कारण कमज़ोर हो गया। भारत की दुर्दशा हो गई थी।

‘नई जवानी’ कहकर कवयित्री बताना चाहती हैं कि लक्ष्मीबाई ने अपनी वीरता से भारतवासियों की सोच में परिवर्तन ला दिया। भारतवासी अपनी खोई हुई स्वतंत्रता को पुनः प्राप्त करने के लिए उत्साह से भर गए। उनमें नया जोश आ गया।

प्रश्न 3. झाँसी की रानी के जीवन की कहानी अपने शब्दों में लिखो और यह भी बताओ कि उनका बचपन तुम्हारे बचपन से कैसे अलग था ?

उत्तर झाँसी की रानी का नाम लक्ष्मीबाई था। बचपन में उन्हें ‘मनु’ और ‘छबीली’ कहा जाता था। वह अपने माता- पिता की इकलौती संतान थीं। कानपुर के नाना साहब की मुँहबोली बहन थीं। बचपन में उन्हीं के साथ पढ़ती और खेलती थीं।

उनका बचपन हमारे बचपन से पूर्णतः भिन्न था। बच्चे अधिकतर खिलौनों से खेलते हैं, परंतु छबीली को बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी जैसे हथियारों से खेलना अच्छा लगता था। लक्ष्मीबाई का विवाह गंगाधर राव से हो गया।

विवाह के बाद वे झाँसी आ गई, कुछ समय बाद ही राजा की अकस्मात मृत्यु हो गई और रानी विधवा हो गईं। राजा निःसंतान थे। अंग्रेज़ों ने झाँसी को हड़पने का सुनहरा अवसर देखा ।

रानी और लेफ्टिनेंट वॉकर में युद्ध हुआ। वॉकर को रानी ने पराजित कर दिया और कालपी और ग्वालियर राज्य ले लिया। बाद में ह्यूरोज से युद्ध हुआ तथा इस घमासान युद्ध में रानी वीरगति को प्राप्त हुईं। उनका नाम इतिहास में हमेशा अमर रहेगा।

प्रश्न 4. वीर महिला की इस कहानी में कौन-कौन-से पुरुषों के नाम आए हैं? इतिहास की कुछ अन्य वीर स्त्रियों की कहानियाँ खोजो ।

उत्तर ‘झाँसी की रानी’ कविता में अनेक पुरुषों के नाम आए हैं, उनमें से प्रमुख हैं|

  • शिवाजी
  • अर्जुन
  • पेशवा
  • नाना
  • साहब
  • शंकर
  • सिंधिया
  • अहंमद
  • शाह
  • मौलवी
  • ठाकुर
  • डलहौजी
  • अजी
  • मुल्ला
  • कुँवर
  • सिंह
  • जनरल
  • स्मिथ
  • ह्यूरोज

अन्य वीर स्त्रियों की कहानियाँ छात्र स्वयं पढ़ें।

अनुमान और कल्पना (पृष्ठ संख्या 63)

प्रश्न 1. कविता में किस दौर की बात है? कविता से उस समय के माहौल के बारे में क्या पता चलता है?

उत्तर इस कविता में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 ई. की बात कही गई है। कविता पढ़कर उस माहौल का पता चलता है कि अंग्रेज़ भारत आ चुके थे। हमारा देश छोटे-छोटे राज्यों में बँटा हुआ था। अंग्रेज़ अपना साम्राज्य धीरे-धीरे बढ़ा रहे थे छोटे-छोटे राज्यों पर अंग्रेज़ युद्ध करते, उन्हें हराकर अपने राज्य में मिला लेते। ऐसे वातावरण में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध संघर्ष किया। भारतवासियों में जोश और उत्साह की लहर जगी। स्वतंत्रता की चिंगारी धीरे-धीरे भारत में फैलने लगी थी ।

प्रश्न 2. सुभद्रा कुमारी चौहान लक्ष्मीबाई को ‘मर्दानी’ क्यों कहती हैं?

उत्तर लक्ष्मीबाई वीरागंना स्त्री होते हुए भी उनमें साहस और जोश था। उन्होंने पुरुषों के वेश में पुरुषों की भाँति युद्ध किया। वीरता के साथ घमासान युद्ध करके लेफ्टिनेंट वॉकर को हरा दिया था। वॉकर घायल होकर युद्ध भूमि से भाग गया था। लक्ष्मीबाई ने अपने शौर्य, पराक्रम और वीरता का परिचय दिया, इसलिए सुभद्रा कुमारी चौहान ने लक्ष्मीबाई के लिए ‘मर्दानी’ शब्द का प्रयोग किया है।

खोजबीन (पृष्ठ संख्या 63)

प्रश्न 1. ‘बरछी’, ‘कृपाण’, ‘कटारी’ उस जमाने के हथियार थे। आजकल के हथियारों के नाम पता करो।

उत्तर आजकल युद्ध तीन प्रकार से किया जाता है— जल, थल और वायु । युद्ध में टैंक, पैटनटैंक, तोपों, बंदूकों, बम-बारूद, मिसाइलों का प्रयोग किया जाता है। आवश्यकतानुसार लड़ाकू हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर, समुद्री जहाजों का प्रयोग भी किया जाता है।

प्रश्न 2. लक्ष्मीबाई के समय में अधिक लड़कियाँ ‘वीरांगना’ नहीं हुईं, क्योंकि लड़ना उनका काम नहीं माना जाता था। भारतीय सेनाओं में अब क्या स्थिति है? पता करो।

उत्तर लक्ष्मीबाई के समय में अधिक लड़कियाँ ‘वीरांगना’ नहीं हुईं, क्योंकि लड़ना उनका काम नहीं था। यह बात अक्षरश: सत्य है। लक्ष्मीबाई ने स्वतंत्रता की जो चिंगारी जलाई थी, उसी का परिणाम वर्ष 1947 की ज्वाला है। वर्तमान समय में भारतीय सेनाओं में स्त्रियाँ काफी संख्या में कार्यरत हैं। फिर भी उनकी संख्या पुरुषों के अनुपात में काफी कम है।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 63)

नीचे लिखे वाक्यांशों (वाक्य के हिस्सों) को पढ़ो

  • झाँसी की रानी
  • मिट्टी का घरौंदा
  • प्रेमचंद की कहानी
  • पेड़ की छाया
  • ढाक के तीन पात
  • नहाने का साबुन
  • मील का पत्थर
  • रेशमा के बच्चे
  • बनारस के आम

का, के और की दो संज्ञाओं का संबंध बताते हैं। उपरोक्त वाक्यांशों में अलग-अलग जगह इन तीनों का प्रयोग हुआ है। ध्यान से पढ़ो और कक्षा में बताओ कि का, के और की का प्रयोग कहाँ और क्यों हो रहा है?

उत्तर

का, की, के संबंध कारक चिह्न हैं। इन्हें ‘परसर्ग’ भी कहते हैं। वाक्य में इनका प्रयोग संबंधी संज्ञा के अनुसार होता है। स्त्रीलिंग संबंधी संज्ञा के पूर्व की, पुल्लिंग संबंधी संज्ञा के पूर्व का और बहुवचन पुल्लिंग संबंधी संज्ञा के पूर्व के का प्रयोग होता है।

झाँसी की रानी: रानी स्त्रीलिंग है, इसलिए उसके पूर्व की का प्रयोग हुआ है।

पेड़ की छाया : छाया स्त्रीलिंग है, इसलिए उसके पूर्व की का प्रयोग हुआ है।

मील का पत्थर: पत्थर पुल्लिंग है और एकवचन है, इसलिए उसके पहले का का प्रयोग हुआ है।

मिट्टी का घरौंदा घरौंदा: एकवचन पुल्लिंग है, इसलिए उसके पहले का का प्रयोग हुआ है।

ढाक के तीन पात: पात पुल्लिंग बहुवचन है, इसलिए उसके पहले के का प्रयोग हुआ है।

रेशमा के बच्चे: बच्चे पुल्लिंग बहुवचन हैं, इसलिए उसके पहले के का प्रयोग हुआ है।

प्रेमचंद की कहानी: कहानी स्त्रीलिंग है, इसलिए उसके पहले की प्रयोग हुआ है।

नहाने का साबुन साबुन पुल्लिंग एकवचन है, इसलिए उसके पहले का का प्रयोग हुआ है।

बनारस के आम आम पुल्लिंग बहुवचन है, इसलिए उसके पहले के का प्रयोग हुआ है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. ‘झाँसी की रानी’ किस विधा की रचना है?

(क) कहानी
(ख) कविता
(ग) निबंध
(घ) नाटक

उत्तर (ख) कविता

2. सुभद्रा कुमारी चौहान ने झाँसी की रानी की कथा किसके मुँह से सुनी थी?

(क) अपने अध्यापक के
(ख) मराठों के
(ग) कवियों के
(घ) बुंदेलों के

उत्तर (घ) बुंदेलों के

3. लक्ष्मीबाई का प्रिय खेल था?

(क) सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना
(ख) नकली युद्ध करना
(ग) व्यूह की रचना व शिकार करना
(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर (घ) उपरोक्त सभी

4. रानी लक्ष्मीबाई किसकी मुँहबोली बहन थी ?

(क) कुँवर सिंह की
(ख) अजीमुल्ला खाँ की
(ग) नाना धुँधूपंत पेशवा की
(घ) अहमदशाह की

उत्तर (ग) नाना धुंधूपंत पेशवा की

5. नाना साहब कहाँ के रहने वाले थे?

(क) कानपुर के
(ख) ग्वालियर के
(ग) इलाहाबाद के
(घ) झाँसी के

उत्तर (क) कानपुर के

6. ब्रिटिश सरकार ने झाँसी के दुर्ग पर झंडा क्यों फहराया था ?

(क) राजा अमीर था।
(ख) राजा बलवान था ।
(ग) राजा का बहुत राजपाट था।
(घ) राजा निःसंतान मृत्यु को प्राप्त हुआ था।

उत्तर (घ) राजा नि:संतान मृत्यु को प्राप्त हुआ था ।

7. किसके कपड़े और गहने खुलेआम बाजारों में बेचे जा रहे थे

(क) सिपाहियों के
(ख) दरबारियों के
(ग) रानियों और बेगमों के
(घ) मंत्रियों के

उत्तर (ग) रानियों और बेगमों के

8. रानी लक्ष्मीबाई के बचपन का क्या नाम था ?

(क) रोशनी
(ख) वीरांगना
(ग) छबीली
(घ) लक्ष्मी

उत्तर (ग) छबीली

9. ‘दुर्गा के रण – चंडी रूप का’ अवतार किसको माना गया है?

(क) वैष्णों देवी को
(ख) पार्वती जी को
(ग) कौशल्या जी को
(घ) रानी लक्ष्मीबाई को

उत्तर (घ) रानी लक्ष्मीबाई को

10. स्वतंत्रता महायज्ञ किस वर्ष हुआ?

(क) 1854 ई. में
(ख) 1857 ई. में
(ग) 1859 ई. में
(घ) 1862 ई.

उत्तर (ख) 1857 ई. में

11. लक्ष्मीबाई का विवाह किसके साथ हुआ था?

(क) गंगाधर राव के
(ख) ठाकुर कुँवर सिंह के
(ग) अजीमुल्ला के
(घ) ताँत्या टोपे के

उत्तर (क) गंगाधर राव के

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी  काव्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

काव्यांश 1

सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन् सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

1. इन पंक्तियों में ‘फिरंगी’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?

(क) राजा के
(ख) राजघराने के
(ग) अंग्रेज़ के
(घ) राजवंश के

उत्तर (ग) अंग्रेज़ के

2. झाँसी की रानी का पूरा नाम क्या था ?

(क) लक्ष्मी
(ख) लक्ष्मीबाई
(ग) लक्षमीबाई
(घ) लक्ष्मिबाई

उत्तर (ख) लक्ष्मीबाई

3. गुम हुई आज़ादी की कीमत किसने पहचानी ?

(क) भारतवासियों ने
(ख) अंग्रेजों ने
(ग) बुंदेलों ने
(घ) पुरुषों ने

उत्तर (क) भारतवासियों ने

4. ‘सिंहासन हिल उठे’ से कवयित्री का क्या आशय है?

उत्तर ‘सिंहासन हिल उठे’ से कवयित्री का आशय है कि भारत में क्रांति की भावना के कारण अंग्रेज़ परेशान होने लगे थे। अंग्रेज़ों को लगने लगा था कि अब भारत पर अधिक समय तक शासन करना कठिन है।

5. ‘बूढ़े भारत’ से कवयित्री का क्या तात्पर्य है?

उत्तर भारतवर्ष बहुत वर्षों से गुलाम रहने के कारण धीरे-धीरे शक्तिहीन हो गया है। शक्तिहीन भारत को कवयित्री ने ‘बूढ़ा भारत’ कहा है।

6. सन् सत्तावन की किस घटना के विषय में कवयित्री बात कर रही हैं?

उत्तर कवयित्री ने यहाँ सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की बात कही है। इस स्वतंत्रता संग्राम के बाद ही भारतीयों के मन में पुनः जोश भर आया।

काव्यांश 2

हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
सुभर बुंदेलों की विरुदावली सी वह आई झाँसी में,
चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी।
बुंदेले हरबोलो के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

1. निम्न में से कौन-सा कथन गलत है?

(क) झाँसी की रानी वीरांगना थी
(ख) गंगाधर राव वैभवशाली शासक थे
(ग) बुंदेलों के वीरों का यशगान गाया गया
(घ) विवाह पूर्व रानी झाँसी में आ गई

उत्तर (घ) विवाह पूर्व रानी झाँसी में आ गई

2. राजमहल में खुशियाँ छाने का क्या कारण था?

(क) चित्रा को पति रूप में अर्जुन मिलना
(ख) झाँसी का धन-दौलत से पूर्ण होना.
(ग) लक्ष्मीबाई का रानी बनकर झाँसी आना
(घ) गंगाधर का झाँसी का शासक बनना

उत्तर (ग) लक्ष्मीबाई का रानी बनकर झाँसी आना

3. भवानी और चित्रा कौन थीं?

(क) नृतकियाँ
(ख) वीरांगनाएँ
(ग) रानियाँ
(घ) ये सभी

उत्तर (ख) वीरांगनाएँ

4. ‘वीरता की वैभव के साथ सगाई’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि रानी वीरांगना थीं और गंगाधर राव वैभवशाली धन-दौलत से परिपूर्ण शासक लक्ष्मीबाई की सगाई झाँसी के राजा के साथ होने पर यह कहा गया कि वीरता की सगाई धन-दौलत के साथ हुई है।

5. काव्यांश में चित्रा व भवानी के उदाहरण द्वारा कवयित्री ने क्या बताने का प्रयास किया है?

उत्तर चित्रा व भवानी के उदाहरण देकर कवयित्री ने वीरांगनाओं की खूबियों को प्रकट किया है, क्योंकि रानी लक्ष्मीबाई भी इन वीरांगनाओं की भाँति थीं।

6. ‘सुभर बुंदेलों की विरुदावलि सी पंक्ति के माध्यम से कवयित्री ने किसके यशगान की बात की है ?

उत्तर प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कवयित्री ने बुंदेलों के वीर योद्धा के यशगान की बात की है।

काव्यांश 3

अनुनय-विनय नहीं सुनता है, विकट फिरंगी की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था, जब यह भारत आया,
डलहौजी ने पैर पसारे अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया,
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महारानी थी,
बुंदेल हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।

1. अंग्रेज भारत में किस रूप में आए थे?

(क) विदेशी
(ख) व्यापारी
(ग) दास
(घ) शासक

उत्तर (ख) व्यापारी

2. किसने लक्ष्मीबाई की वीरता की कथा सुनाई ?

(क) राजाओं ने
(ख) शिवाजी ने
(ग) बुंदेले हरबोलों ने
(घ) रानी ने

उत्तर (ग) बुंदेले हरबोलों ने

3. कवयित्री ने रानी को ‘मर्दानी’ क्यों कहा?

(क) रानी पुरुष थीं
(ख) पुरुषों के समान वीर थीं
(ग) पुरुष रूप पसंद था
(घ) पुरुष रूप में अच्छी लगती

उत्तर (ख) पुरुषों के समान वीर थीं

4. अंग्रेज़ भारतीयों के अनुरोध क्यों नहीं सुनते थे?

उत्तर अंग्रेज़ पूरे भारत पर अपना शासन चाहते थे, इसलिए छोटे-छोटे भारतीय राजाओं के अनुरोध नहीं सुनते थे।

5. भारत में अंग्रेज़ किस विचार से आए थे?

उत्तर अंग्रेज़ भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से आए थे।

6. ‘रानी दासी बनी, दासी अब महारानी थी’ पंक्ति से क्या तात्पर्य है?

उत्तर झाँसी के राजा की मृत्यु के बाद अंग्रेज़ों ने झाँसी को लावारिस समझकर आक्रमण करके उसपर अपना कब्जा कर लिया था तथा रानी दासी बन गई और दासी महारानी अर्थात् व्यापार करने वाले शासक बनते चले गए।

काव्यांश 4

कुटियों में थी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान, वीर सैनिकों के मन में था, अपने पुरखों का अभिमान, नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान, बहिन छबीली ने रणचंडी का कर दिया प्रकट आह्वान, हुआ यज्ञ प्रारंभ उन्हें तो, सोई ज्योति जगानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

1. झोंपड़ी व महलों में रहने वाले कैसा जीवन व्यतीत कर रहे थे?

(क) ऐशोआराम का जीवन
(ख) अंग्रेजी शासकों के प्रति सम्मान भाव रखते हुए
(ग) दया, करुणा व प्रसन्न
(घ) कष्टपूर्ण, अपमानित व दुःखी

उत्तर (घ) कष्टपूर्ण, अपमानित व दुःखी

2. निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है ?

(क) लोगों के मन में अंग्रेजों के प्रति रोष था
(ख) वीर सैनिकों के हृदय में पूर्वजों का अभिमान था
(ग) अंग्रेजों ने सोए हुए हृदय में स्वतंत्रता की चिंगारी सुलगाई
(घ) झाँसी की रानी ने रणचंडी रूप धारण कर लिया

उत्तर (ग) अंग्रेजों ने सुप्त हृदय में स्वतंत्रता की चिंगारी सुलगाई।

3. अंग्रेजों से टक्कर लेने हेतु कौन साधन जुटाने में लगे थे?

(क) शिवाजी, नाना धुंधूपंत, ताँत्या टोपे
(ख) शिवाजी, लक्ष्मीबाई, ताँत्या टोपे
(ग) नाना धुंधूपंत पेशवा
(घ) उपरोक्त सभी

उत्तर (ग) नाना धुंधूपंत पेशवा

4. रानी लक्ष्मीबाई ने अपने मन में क्या ठान लिया था?

उत्तर झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को हराने के लिए अपने मन में दृढ़ निश्चय कर लिया। इसके लिए उन्होंने रणचंडी का रूप धारण करने की ठान ली थी।

5. ‘सोई ज्योति जगानी थी’ पंक्ति के माध्यम से कवयित्री ने किसकी ओर संकेत किया है?

उत्तर प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से लागों को युद्ध में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए प्रेरित किया गया है, जिसके लिए लोगों के सोए हुए हृदय में स्वतंत्रता की चिंगारी को जगाना था।

6. स्वतंत्रता हेतु अंग्रेजों से युद्ध करने के लिए लोगों की क्या प्रतिक्रिया थी?

उत्तर स्वतंत्रता हेतु अंग्रेजों से युद्ध करने के लिए लोग भी वीर सैनिकों के साथ मिलकर अंग्रेजों का सफाया करने के लिए तैयार थे।

काव्यांश 5

रानी गई सिधार, चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी, मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी, अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी, हमको जीवित करने आई, बन स्वतंत्रता नारी थी, दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।

1. ह्यूरोज से युद्ध करते-करते क्या हुआ?

(क) रानी वापस चली गई
(ख) रानी जीत गई
(ग) रानी हार गई
(घ) रानी स्वर्ग सिधार गई

उत्तर (घ) रानी स्वर्ग सिधार गई

2. मृत्यु के समय लक्ष्मीबाई की आयु कितनी थी?

(क) तैंतीस वर्ष
(ख) तेईस वर्ष
(ग) तेरह वर्ष
(घ) तिरेपन वर्ष

उत्तर (ख ) तेईस वर्ष

3. हरबोले लोग कहाँ के निवासी थे?

(क) बादनम के
(ख) नागपुर के
(ग) बुंदेलखंड के
(घ) उत्तराखंड के

उत्तर (ग) बुंदेलखंड के

4. रानी ने भारतीयों के मन में क्या इच्छा जाग्रत की थी?

उत्तर रानी लक्ष्मीबाई ने भारतीयों के मन में स्वतंत्रता की चाह की इच्छा जाग्रत की थी।

5. ‘चिता अब उनकी दिव्य सवारी थी- पंक्ति का क्या तात्पर्य है?

उत्तर ‘चिता अब उनकी दिव्य सवारी थी पंक्ति का तात्पर्य है कि रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो गई और उनकी चिता में आग लगा दी गई।

6. काव्यांश में ‘स्वतंत्रता की नारी’ किसे कहा गया है?

उत्तर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली नारियों में प्रथम रानी लक्ष्मीबाई थी, जिनके बलिदान व त्याग को भारत हमेशा याद रखेगा। अतः झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को स्वतंत्रता की नारी कहा है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी  अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. बचपन से ही लक्ष्मीबाई को कौन-सी कहानियाँ याद थीं?

उत्तर बचपन से ही लक्ष्मीबाई को शिवाजी की वीरता की कहानियाँ मुँह जुबानी याद थीं।

2. गुम हुई आज़ादी को पाने के लिए क्या किया गया?

उत्तर गुम हुई आजादी को पाने के लिए भारतवासियों ने परतंत्र भारत में आजादी के महत्त्व को समझा और देश को स्वतंत्र कराने के लिए संघर्ष प्रारंभ किया।

3. लक्ष्मीबाई को दुर्गा का अवतार क्यों कहा जाता था ?

उत्तर दुर्गाजी ने जिस प्रकार राक्षसों का संहार किया, उसी प्रकार लक्ष्मीबाई युद्ध क्षेत्र में अंग्रेज़ों का संहार कर रही थीं, इसलिए लक्ष्मीबाई को दुर्गा का अवतार कहा जाता था।

4. झाँसी में खुशियाँ छाई’ का क्या तात्पर्य है?

उत्तर ‘झाँसी में खुशियाँ छाई’ का तात्पर्य है कि झाँसी के राजा का विवाह लक्ष्मीबाई से हुआ। विवाह के अवसर पर वहाँ के निवासी खुशियाँ मना रहे थे।

5. अंग्रेज़ी के समाचार-पत्रों में उन दिनों क्या छप रहा था?

उत्तर अंग्रेज़ी के समाचार-पत्रों में उन दिनों भारत के राजघरानों के वस्त्र और आभूषणों की नीलामी के विज्ञापन छप रहे थे।

6. दुर्भाग्य को किसके हाथों में चूड़ियाँ अच्छी नहीं लगीं?

उत्तर दुर्भाग्य को रानी लक्ष्मीबाई के हाथों में चूड़ियाँ अच्छी नहीं लगीं।

7. रानी लक्ष्मीबाई के विषय में भारतवासी क्या याद रखेंगे?

उत्तर रानी लक्ष्मीबाई के विषय में भारतवासी उनके त्याग, बलिदान और राष्ट्र प्रेम को हमेशा याद रखेंगे।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी लघु उत्तरीय प्रश्न

1. ‘बूढ़े भारत में आई नई जवानी’ से कवयित्री का क्या तात्पर्य है?

उत्तर भारत कई वर्षों से अंग्रेज़ों की गुलामी में जकड़ा हुआ था। भारतवासी निरुत्साहित और बलहीन से हो गए थे। क्रांति की आग ने इन कमजोर और शक्तिहीन राजाओं में जोश और उत्साह की भावना को जाग्रत कर दिया। पूरे भारतवर्ष में नया उत्साह आ गया।

2. लक्ष्मीबाई के बचपन में क्या शौक थे?

उत्तर लक्ष्मीबाई को बचपन से ही हथियार चलाने का बहुत शौक था। वे कृपाण, ढाल, बरछी और कटारी चलाती थीं। इसके अतिरिक्त उन्हें नकली युद्ध करना, व्यूह की रचना, सेना घेरना, दुर्ग तोड़ना और शिकार खेलना प्रिय थे।

3. बुंदेलखंड के बुंदेलों लोकनायकों द्वारा क्या कथा सुनाई गई?

उत्तर बुंदेलखंड के बुंदेलों लोकनायक द्वारा रानी लक्ष्मीबाई की कहानी सुनाई गई। लक्ष्मीबाई माता-पिता की अकेली संतान थीं। वे बहुत वीर थीं। अंग्रेज़ों से परतंत्र देश को आज़ाद कराने के लिए वे वीरतापूर्वक लड़ीं। युद्ध में लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुई ।

4. डलहौजी क्यों प्रसन्न हुआ था? वह क्या चाहता था?

उत्तर झाँसी के राजा गंगाधर राव की अकाल मृत्यु हो गई। वे नि:संतान थे,
इसलिए डलहौजी बहुत प्रसन्न हुआ था। जिन राज्यों का कोई वारिस नहीं होता था, डलहौजी उस पर अपना अधिकार जमा लेता था। झाँसी राज्य पर भी वह अधिकार करना चाहता था ।

5. अंग्रेज किस रूप में भारत आए थे? उनमें क्या परिवर्तन आ गया था?

उत्तर भारतवर्ष धन-संपत्ति से परिपूर्ण देश था, इसलिए अंग्रेज भारतवर्ष में व्यापारी के रूप में व्यापार करने के उद्देश्य से आए थे। धीरे-धीरे वे शासक बन गए। अंग्रेज छोटे-छोटे कमजोर राज्यों पर आक्रमण करके उन्हें युद्ध में हराकर अपना शासन बढ़ा रहे थे।

6. ‘झाँसी की रानी’ कविता से आपको क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर ‘झाँसी की रानी’ कविता में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का चित्रण प्रस्तुत किया है। इस कविता से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें देश से प्रेम करना चाहिए। देश की स्वतंत्रता के लिए यदि जीवन का बलिदान देना पड़े, तो भी नहीं हिचकना चाहिए। देश की उन्नति और एकता के लिए कर्मठ होकर कार्य करना चाहिए।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 8 झाँसी की रानी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. झाँसी की रानी के जीवन से हम क्या प्ररेणा ले सकते हैं? अंग्रेजों के कुचक्र के विरुद्ध रानी ने अपनी वीरता का परिचय कैसे दिया?

उत्तर झाँसी की रानी के जीवन से हम देश के लिए मर मिटने, स्वाभिमान से जीने, साहस, दृढ़ निश्चय, विपत्तियों से न घबराने, नारी अबला नहीं सबला है आदि की प्ररेणा ले सकते हैं। अंग्रेज़ों की नीति थी यदि किसी राज्य में कोई राजा संतानहीन मृत्यु को प्राप्त हो जाता था, तो वे उनके राज्य को अपने राज्य में मिला लेते थे।

लक्ष्मीबाई के पति गंगाधर की मृत्यु के उपरांत डलहौजी ने झाँसी के राज्य को अपने राज्य में मिलाने की चाल चली। रानी उसकी चाल को समझ गई। उसने अपनी सेना की तैयारियाँ शुरू कर दी। उसने स्त्रियों को भी सैनिक शिक्षा दी। लक्ष्मीबाई ने डटकर अंग्रेज़ो का मुकाबला किया। उसने अंग्रेज़ों के कई किलों पर भी अधिकार कर लिया। अंत में रानी अंग्रेज़ी सेना के बीच युद्ध में घिर जाती है व युद्ध करते-करते रानी वीरगति को प्राप्त हो जाती है।

2. भारतीयों ने अंग्रेज़ों को दूर करने का निश्चय क्यों किया था? ऐसी कौन-सी विशेषताएँ थी, जिनके कारण मराठे लक्ष्मीबाई को देखकर

उत्तर भारत कई सौ वर्षों तक गुलाम रहा। इस कारण यहाँ के लोग स्वतंत्रता के महत्त्व को भूल गए थे। इस आंदोलन से उन्हें स्वतंत्रता का महत्त्व तो समझ में आ गया। उन्होंने यह भी महसूस किया कि फिरंगी धीरे-धीरे अपने साम्राज्य का विस्तार कर रहे हैं। इस कारण भारतीयों ने अंग्रेज़ों को दूर भगाने का निश्चय किया।

रानी लक्ष्मीबाई वीर और साहसी नारी थी उन्हें युद्ध कला में महारथ हासिल थी। नकली युद्ध व्यूह की रचना करना, खूब शिकार खेलना, सेना घेरना और दुर्ग तोड़ना उनके प्रिय खेल थे। लक्ष्मीबाई की इन विशेषताओं को देखकर मराठे बहुत पुलकित होते थे।

3. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में किन-किन वीरों ने अपनी कुर्बानी दी अंग्रेज़ों ने किन राज्यों पर अधिकार जमाया था? वर्तमान समय में सेना में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएँ भी बढ़-चढ़कर भाग क्यों ले रही हैं?

उत्तर 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम में ताँत्या टोपे, अजीमुल्ला, ठाकुर कुँवर सिंह, नाना धुँधूपंत, अहमद शाह मौलवी आदि वीरों ने अपनी कुर्बानी दी व अंग्रेज़ों ने 1857 के स्वाधीनता संग्राम में दिल्ली, लखनऊ, पंजाब, उदयपुर, सिंध, बर्मा, कर्नाटक, सतारा, मद्रास तंजौर, बंगाल आदि राज्यों पर अपना अधिकार कर लिया।

वर्तमान समय में सेना के क्षेत्र में महिलाएँ भी बढ़-चढ़कर भाग लेती हैं। यह पूरी तरह उचित है, क्योंकि आज के समय में महिलाएँ प्रत्येक क्षेत्र में सक्षम बनना चाहती हैं। वहीं सेना के कार्यक्षेत्र में महिलाओं का आगे आना एक सराहनीय कार्य है। महिलाओं के अंदर मानवीय भावना, दया, सहनशीलता, करुणा आदि कूट-कूट कर भरी होती है। हर किसी परिस्थिति को महिलाएँ आराम से काबू पाने में सक्षम होती हैं। इसके अतिरिक्त आर्थिक रूप से सक्षमता के लिए भी कार्य करने में अति उत्तम हैं।.

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते पाठ का सार

लोग देखकर भी नहीं देखते

लेखिका जब डेढ़ वर्ष की थीं, तभी उनकी देखने और सुनने की शक्ति खो गई थी। उनकी प्रिय सहेली कुछ समय पहले जंगल की सैर करके वापस आई थी। लेखिका ने अपनी सहेली से पूछा तुमने जंगल में क्या देखा? सहेली ने उत्तर दिया कुछ खास नहीं देखा ।

लेखिका इस उत्तर को सुनकर आश्चर्यचकित नहीं हुई, क्योंकि वे इस प्रकार के उत्तर सुनने की आदी हो चुकी थीं। उन्हें विश्वास था कि जिन लोगों की आँखें होती हैं, वे बहुत कम देखते हैं। लेखिका सोचती थीं कि ऐसा कैसे संभव है कि कोई भी एक घंटा जंगल में घूमे, लेकिन उसे कुछ भी विशेष तथा रुचिकर चीज नहीं दिखी हो ।

लेखिका द्वारा वस्तुओं को छूकर पहचानना

लेखिका को दिखाई नहीं देता था, परंतु छूकर सैकड़ों रोचक चीजें पहचान लेती थीं। फूलों एवं पंखुड़ियों को छूने में उन्हें अधिक आनंद मिलता था।

वे भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ के पेड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श करके पहचान लेती थीं कि वह कौन सा पेड़ है। उन्हें फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह छूकर और उनकी घुमावदार बनावट महसूस करके बहुत आनंद मिलता था ।

वह झरने के पानी को अपनी अँगुलियों के बीच बहते हुए महसूस करके प्रसन्न हो जाती थीं। उन्हें मैदान में लगी घास मखमली महँगे कालीन से भी अधिक अच्छी लगती थी। वे इसे प्रकृति के जादू का अहसास मानती हैं। लेखिका सोचती कि यदि सिर्फ छूने से ही इतनी खुशी मिलती है, तो उसे देखकर कितना अच्छा लगता होगा।

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अपनी क्षमताओं को साधारण समझना

जिन लोगों के पास देखने के लिए आँखें हैं, वे बहुत कम देखते हैं, जिन व्यक्तियों के पास जो शक्तियाँ (देखने, सुनने, बोलने आदि) हैं, वे उनकी महत्ता नहीं समझते तथा अपनी इन क्षमताओं की कद्र नहीं करते हैं। ऐसे लोग उन चीजों की आशा करते हैं, जो उनके पास नहीं हैं। लेखिका को बहुत दुःख होता कि जो लोग देख सकते हैं, वे बहुत कम देखते हैं। ईश्वर से मिले इस आशीर्वाद के महत्त्व को न समझकर देखने की शक्ति को साधारण समझते हैं। दृष्टि का आशीर्वाद जिंदगी को इंद्रधनुषी रंगों से भर सकता है।

शबदार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते (हेलेन केलर) शबदार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

निबंध से (पृष्ठ संख्या 67)

प्रश्न 1. ‘जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं।’ हेलेन केलर को ऐसा क्यों लगता था ?

उत्तर ‘जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं’, हेलेन केलर को ऐसा इसलिए लगता था, क्योंकि वे स्वयं नेत्रहीन थीं। जिन वस्तुओं को स्पर्श कर वे रोमांचित होती थीं, वे वस्तुएँ उनके मित्रों, (जो देख सकते थे) को साधारण प्रतीत होती थीं।

प्रश्न 2. ‘प्रकृति का जादू’ किसे कहा गया है?

उत्तर ऋतुओं में परिवर्तन, पेड़ की पत्तियों की विभिन्न बनावट, पेड़ों की छाल में विभिन्नता, वसंत के मौसम में स्वतः कलियों का खिलना, फूलों की पंखुड़ियों की घुमावदार बनावट, बागों में मीठे स्वर में गाते पक्षी, कल-कल करते बहते हुए झरने, मुलायम मखमली कालीन के समान फैले घास के मैदानों को ‘प्रकृति का जादू’ कहा गया है।

प्रश्न 3. ‘कुछ खास तो नहीं’- हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस अवसर पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य क्यों नहीं हुआ?

उत्तर हेलेन की मित्र जब जंगल में एक घंटे घूमकर वापस आई तब हेलेन ने पूछा कि तुमने जंगल में क्या देखा? इस प्रश्न के उत्तर में हेलेन की मित्र ने कहा ‘कुछ खास नहीं !

अपनी मित्र के इस उत्तर को सुनकर हेलेन को आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि वे ऐसे उत्तर सुनने की आदी हो चुकी थीं। अकसर लोग ऐसे ही कहते थे कि कुछ खास नहीं देखा।

प्रश्न 4. हेलेन केलर प्रकृति की किन चीज़ों को छूकर और सुनकर पहचान लेती थीं? पाठ के आधार पर इसका उत्तर लिखो ।

उत्तर हेलेन केलर भोज पत्र की चिकनी छाल, चीड़ की पेड़ की खुरदरी

छाल, कलियों और फूलों की बनावट को छूकर पहचान लेती थीं। चिड़िया के मधुर स्वर को सुनकर भी पहचान लेती थी कि कौन-सी चिड़िया बोल रही है।

प्रश्न 5. “जबकि इस नियामत से जिंदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से हरा-भरा किया जा सकता है।”- तुम्हारी नज़र में इसका क्या अर्थ हो सकता है?

उत्तर ईश्वर ने हमें दृष्टि का वरदान दिया है। इन्हीं आँखों से हम दुनिया की सुंदरता को देखते हैं। हर वस्तु विभिन्न रंग की है। प्रकृति की सुंदरता का आनंद आँखों से ही लिया जा सकता है। यदि आखें न होती तो प्रकृति की इस रंग-बिरंगी सुंदरता को देखने से वंचित रह जाते।

निबंध से आगे (पृष्ठ संख्या 68)

प्रश्न 1. आज तुमने अपने घर से आते हुए बारीकी से क्या-क्या देखा-सुना? मित्रों के साथ सामूहिक चर्चा करो।

उत्तर आज सवेरे उठते ही मैंने अपने बगीचे में कुछ पक्षियों की चहचहाहट को सुना। बाहर जाकर देखा एक पक्षियों का झुंड बगीचे में लगे गुलाब के पेड़ों के पास बैठा था। पक्षी हल्के स्लेटी रंग के थे, उनकी चोंच लाल थी घास में से उठाकर कुछ खा रहे थे। मुझे आते देखकर फुर्र से उड़ गए।

तैयार होकर बस स्टॉप तक आया। रास्ते में घर के पास एक बड़ा-सा पेड़ गिरा पड़ा था। कल रात तेज हवाएँ चली थीं। उसी हवा के कारण पेड़ गिर पड़ा था। पेड़ की बहुत-सी टहनियाँ हवा से टूटकर जमीन पर पड़ी थीं, सूखे पत्ते भी बिखरे हुऐ थे। पेड़ सड़क के बीच में गिरा था, इसलिए यातायात में समस्या हो रही थी। लोगों को घूमकर दूसरी ओर से आना पड़ रहा था। कुछ देर में बस आ गई और मैं उसमें बैठकर स्कूल आ गया।

प्रश्न 2.  कान से न सुन पाने पर आस-पास की दुनिया कैसी लगती होगी? इस पर टिप्पणी लिखो और कक्षा में पढ़कर सुनाओ।

उत्तर कान से न सुन पाने के कारण चारों ओर शांति लगती होगी।

घर में परिवार के सदस्यों, मित्रों के होंठ चलते हाथ से इशारे करके कुछ कहते दिखाई देते होंगे, लेकिन क्या कहा जा रहा है समझ नहीं आता होगा। हँसते हुए लोगों को देखकर हँसी किस कारण आई है। यह न समझ आता होगा। सड़क पर भी इशारे करते लोगों को देखकर समझ नहीं आता होगा।

सभी अपनी ही धुन में काम करते हुए दिखाई देते होंगे। अपनी बात समझा पाना बहुत कठिन होता होगा। जीवन बहुत कष्टमय होता होगा।

प्रश्न 3. तुम्हें किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का अवसर मिले जिसे दिखाई न देता हो तो तुम उससे सुनकर, सूँघकर, चखकर, छूकर अनुभव की जाने वाली चीज़ों के संसार के विषय में क्या-क्या प्रश्न कर सकते हो? लिखो ।

उत्तर यदि मुझे ऐसे व्यक्ति से मिलने का अवसर मिले, जिसे दिखाई न देता हो, तो मैं उससे निम्न प्रश्न करूँगा, जिन्हें हम सुनकर, सूँघकर, चखकर, छूकर समझते हैं।

  • आप पक्षी की आवाज़ सुनकर कैसे जान पाते हैं कि वह कौन-सा पक्षी है?
  • क्या आप सूंघकर सुंगध से जान जाते हैं कि कौन-सा फूल है ?
  • क्या आप चखकर बता सकते हैं कि फल पका है या कच्चा ?
  • नरम मुलायम स्वेटर छूकर आपको कैसा महसूस होता है?

प्रश्न 4. हम अपनी पाँचों इंद्रियों में से आँखों का प्रयोग सबसे अधिक करते हैं। ऐसी चीज़ों के अहसासों की तालिका बनाओ, जो तुम बाकी चार इंद्रियों से महसूस करते हो

(सुनकर, चखकर, सूँघकर, छूकर)

उत्तर सुनकर हम कानों के द्वारा ध्वनियों के अंतर को सुन सकते हैं व पहचान सकते हैं; जैसे-गीत सुनकर गायक की पहचान, वाद्य यंत्र की आवाज़ सुनकर वाद्य की पहचान, कोयल की मधुर आवाज़, कौए की कर्कश ध्वनि, कार के हॉर्न की आवाज़ सुनकर सचेत होना, कुकर की सीटी की आवाज़, माँ के बुलाने की आवाज़ आदि सुनकर जान सकते हैं।

चखकर जीभ के द्वारा हम इमली की खटास करेले का कड़वापन, जलेबी की मिठास, आँवले का कसैलापन, दाल में नमक, मिर्च का तीखापन आदि का अहसास कर सकते हैं।

सूँघकर नाक के द्वारा हम पुष्प, इत्र की सुगंध, पेट्रोल की दुर्गंध, किसी वस्तु के जलने की गंध आदि पहचान सकते हैं।

छूकर स्पर्श द्वारा हम चाय का गर्म होना, बर्फ की ठंडक, पत्थर की खुरदराहट, मखमली कपड़े की चिकनाई, गोंद की चिपचिपाहट आदि को पहचान सकते हैं।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 68 व 69)

प्रश्न 1. यदि मुझे इन चीजों को छूने भर से इतनी खुशी मिलती है, तो उनकी सुंदरता देखकर तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा। ऊपर रेखांकित संज्ञाएँ क्रमश: किसी भाव और किसी की विशेषता के बारे में बता रही हैं। ऐसी संज्ञाएँ भाववाचक कहलाती हैं। गुण और भाव के अतिरिक्त भाववाचक संज्ञाओं का संबंध किसी की दशा और किसी कार्य से भी होता है। भाववाचक संज्ञा की पहचान यह है कि इससे जुड़े शब्दों को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं, देख या छू नहीं सकते। आगे लिखी भाववाचक संज्ञाओं को पढ़ो और समझो। इनमें से कुछ शब्द संज्ञा और कुछ क्रिया से बने हैं। उन्हें भी पहचानकर लिखो ।

  • मिठास
  • बुढ़ापा
  • घबराहट
  • शांति बहाव
  • भोलापन फुर्ती
  • ताज़गी
  • क्रोध
  • मज़दूरी
  • अहसास

उत्तर

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते (हेलेन केलर) भाषा की बात

प्रश्न 2. 

  • मैं अब इस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी हूँ।
  • उस बगीचे में आम, अमलतास, सेमल आदि तरह-तरह के पेड़ थे।

ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में रेखांकित शब्द देखने में मिलते- जुलते हैं, पर उनके अर्थ भिन्न हैं। नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिए गए हैं। वाक्य बनाकर उनका अर्थ स्पष्ट करो

  • अवधि – अवधी
  • में – मैं
  • मेल – मैल
  • ओर – और
  • दिन – दीन
  • सिल – शील

उत्तर

  • अवधी – रामचरितमानस की रचना अवधी भाषा में की गई।
  • में – मैं अपना गृहकार्य कर चुका हूँ।
  • मेल – दोनों बहनों में बड़ा मेल है।
  • मैल  – तुम्हारे कान में बहुत मैल है।
  • ओर – सड़क के बाईं ओर चलना चाहिए।
  • और  – मैं और मेरा छोटा भाई एक ही विद्यालय में पढ़ते हैं।
  • दिन  – किसान दिन भर परिश्रम करता है।
  • दीन  – दीन-दुःखी पर दया करो।
  • सिल – फटी कमीज़ सिल दो।
  • शील – अदिति शील स्वभाव की बालिका है।

अनुमान ‘और कल्पना (पृष्ठ संख्या 69 व 70)

प्रश्न 1. गली में क्या-क्या चीजें हैं?

उत्तर चित्र में बनी गली में एक आदमी स्कूटर पर बैठा हुआ जा रहा है। गली के एक ओर कुछ दुकानें हैं। कुछ लोग आते-जाते दिखाई दे रहे हैं। गली के दोनों ओर मकान बने हुए हैं। इन मकानों की बालकनी में कपड़े सूख रहे हैं। गली में चहल-पहल है। कुछ साइकिलें भी खड़ी दिखाई दे रही हैं। लोग आ जा रहे हैं। बिजली के तार नजर आ रहे हैं।

प्रश्न 2. इस गली में हमें कौन-कौन सी आवाजें सुनाई देती होंगी?

  • सुबह के वक्त
  • शाम के वक्त
  • दोपहर के वक्त
  • रात के वक्त

उत्तर

सुबह के वक्त मंदिर तथा मस्जिद के लाउड स्पीकरों की आवाज़, साइकिलों की घंटियाँ, कार तथा स्कूटर के हॉर्न, कुत्तों के भौंकने, दूध वाले, अखबार वालों की आवाजें सुनाई देती होंगी।

दोपहर के वक्त फेरीवालों, कबाड़ी वालों, स्कूल से लौटते बच्चों की बातचीत, वाहनों की आवाजें सुनाई देती होंगी।

शाम के वक्त वाहनों का शोर, बच्चों के खेलने की आवाज़ें, घूमने जाते लोगों की आवाज़ें सुनाई देती होंगी।

रात के वक्त टहलने जाते लोगों की तथा कभी-कभी कुत्तों के भौंकने की आवाजें सुनाई देती होंगी।

प्रश्न 3. अलग-अलग समय में ये गली कैसे बदलती होगी?

उत्तर समय के अनुसार, गली में कभी खूब भीड़-भाड़ और शोरगुल होता होगा। रात होने पर सन्नाटा छा जाता होगा। लोग अपने-अपने घर चले जाते होंगे। गली बिल्कुल खाली हो जाती होगी। एक-आध लोग तथा चौकीदार ही गली में दिखाई देते होंगे।

प्रश्न 4. ये तारें गली को कहाँ-कहाँ से जोड़ती होंगी?

उत्तर ये तारें गली के एक खंबे से दूसरे खंबे तक जुड़ी हुई हैं। ये तार गली को किसी ट्रांसफॉर्मर या दूरदर्शन के टावर से जोड़ते होंगे।

प्रश्न 5. साइकिल वाला कहाँ से आकर कहाँ जा रहा होगा?

उत्तर साइकिल वाला अपनी दुकान या कार्यालय से काम करके वापस अपने घर जा रहा होगा।

सुनना और देखना (पृष्ठ संख्या 70)

प्रश्न 1. एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा निर्मित श्रव्य कार्यक्रम ‘हेलेन केलर’।

उत्तर छात्र स्वयं करेंगे।

प्रश्न 2. सई परांजपे द्वारा निर्देशित फ़ीचर फ़िल्म ‘स्पर्श’।

उत्तर छात्र स्वयं फीचर फिल्म ‘स्पर्श’ देखेंगे।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित

1. ‘जो देखकर भी नहीं देखते’ किस विधा की रचना है?

(क) निबंध
(ख) नाटक
(ग) कहानी
(घ) कविता

उत्तर (क) निबंध

2. इनमें किस पेड़ की छाल चिकनी होती है?

(क) पीपल की
(ख) बरगद की
(ग) चीड़ की
(घ) भोज-पत्रे की

उत्तर (घ) भोज पत्र की

3. लेखिका हेलन केलर चीज़ों को कैसे पहचानती है ?

(क) सूंघकर
(ख) छूकर (स्पर्श)
(ग) दूसरों से उसका वर्णन सुनकर
(घ) देखकर

उत्तर (ख) छूकर (स्पर्श)

4. लेखिका किसके स्वर पर मंत्रमुग्ध हो जाती है?

(क) चिड़िया के
(ख) मोर के
(ग) कोयल के
(घ) मैना के

उत्तर (क) चिड़िया के

5. लेखिका हेलन केलर को किस कार्य में आनंद मिलता है?

(क) प्रकृति को निहारने में
(ख) लोगों से बात करने में
(ग) फूलों की पंखुड़ियों को छूने और उसकी घुमावदार बनावट को कि महसूस करने में
(घ) घर का कार्य करने में

उत्तर (ग) फूलों की पंखुड़ियों को छूने और उसकी घुमावदार बनावट को महसूस करने में

6. इस दुनिया के अधिकांश लोग कैसे हैं?

(क) चतुर
(ख) संवेदनशील
(ग) कर्मवीर
(घ) भावुक

उत्तर (ख) संवेदनशील

7. संवेदनशील लोग किसकी कद्र करना नहीं जानते हैं?

(क) क्षमताओं की
(ख) संवेदनाओं की
(ग) अपनों की
(घ) स्वप्नों की

उत्तर (क) क्षमताओं की

8. ‘द स्टोरी ऑफ माई लाइफ’ नाम से किसकी आत्मकथा प्रकाशित हुई ?

(क) हेलेन मेनका की
(ख) हेलेन प्योरी की
(ग) हेलेन कायरी की उत्तर
(घ) हेलेन केलर की

उत्तर (घ) हेलेन केलर की

9. लेखिका को किस काम में खुशी मिलती है?

(क) बाहर के सभी कार्य करने में
(ख) प्राकृतिक वस्तुओं को स्पर्श करने में
(ग) घर के कार्य करने में
(घ) मित्रों के साथ बातें करने में

उत्तर (ख) प्राकृतिक वस्तुओं को स्पर्श करने में

10. मनुष्य किन चीज़ों के लिए भागता रहता है?

(क) जो उसको चाहिए
(ख) जो घरवालों ने दिया
(ग) जो उसके पास नहीं है
(घ) बाज़ार में आने वाली नई वस्तुओं

उत्तर (ग) जो उसके पास नहीं है।

11. लेखिका किसे ईश्वरीय देन मानती है?

(क) नाक को
(ख) दृष्टि को
(ग) कान को
(घ) मस्तिष्क को

उत्तर (ख) दृष्टि को

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते गद्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

गद्यांश 1

कभी-कभी अपने मित्रों की परीक्षा लेती हूँ, यह परखने के लिए कि वह क्या देखते हैं। हाल ही में मेरी एक प्रिय मित्र जंगल की सैर करने के बाद वापस लौटी। मैंने उनसे पूछा, “आपने क्या-क्या देखा?” “कुछ खास तो नहीं,” उनका जवाब था। मुझे बहुत अचरज नहीं हुआ, क्योंकि मैं अब इस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी हूँ। मेरा विश्वास है कि जिन लोगों की आँखें होती हैं, वे बहुत कम देखते हैं।

1. लेखिका की मित्र कहाँ की सैर करके वापस लौटी थी?

(क) बगीचे की
(ख) जंगल की
(ग) चिड़ियाघर की
(घ) बाजार की

उत्तर (ख) जंगल की

2. लेखिका अकसर किसकी परीक्षा लेती थीं?

(क) माता की
(ख) पिता की
(ग) मित्रों की
(घ) भाई बहन की

उत्तर (ग) मित्रों की

3. मित्र का जवाब सुनकर लेखिका को क्या नहीं हुआ?

(क) चिंता
(ख) घबराहट
(ग) क्रोध
(घ) आश्चर्य

उत्तर (घ) आश्चर्य

4. लेखिका अपने मित्रों की परीक्षा क्यों लेती थीं?

उत्तर लेखिका परखना चाहती थीं कि वह क्या देखते हैं, इसलिए वे अपने मित्रों की परीक्षा लेती थीं।

5. लेखिका की मित्र ने क्या उत्तर दिया?

उत्तर लेखिका की मित्र ने उत्तर दिया ‘कुछ खास तो नहीं।’

6. लेखिका को क्या विश्वास था ?

उत्तर लेखिका को विश्वास था कि जिन लोगों की आँखें होती हैं, वह बहुत कम देखते हैं।

गद्यांश 2

क्या यह संभव है कि भला कोई जंगल में घंटाभर घूम-फिर के भी कोई विशेष चीज न देखे ? मुझे जिसे कुछ भी दिखाई नहीं देता- सैकड़ों रोचक चीजें मिलती हैं, जिन्हें मैं छूकर पहचान लेती हूँ। मैं भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती हूँ। वसंत के दौरान, मैं टहनियों में नई कलियाँ खोजती हूँ। मुझे फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह छूने और उसकी घुमावदार बनावट महसूस करने में अपार आनंद मिलता है।

इस दौरान मुझे प्रकृति के जादू का कुछ अहसास होता है। कभी, जब मैं खुशनसीब होती हूँ, तो टहनी पर हाथ रखते ही किसी चिड़िया के मधुर स्वर कानों में गूँजने लगते हैं। अपनी अँगुलियों के बीच झरने के पानी को बहते हुए महसूस कर मैं आनंदित हो उठती हूँ। मुझे चीड़ की फैली पत्तियाँ या घास का मैदान किसी भी महँगे कालीन से अधिक प्रिय है। बदलते हुए मौसम का समाँ मेरे जीवन में एक नया रंग और खुशियाँ भर जाता है।

1. चीड़ की छाल स्पर्श करने में कैसी महसूस होती है ?

(क) चिकनी
(ख ) खुरदरी
(ग) चिपचिपी
(घ) लिबलिबी

उत्तर (ख) खुरदरी

2. दिए गए गद्यांश में लेखिका के स्वभाव की कौन-सी विशेषता उजागर होती है?

(क) सहयोगी
(ख) आत्मकेंद्रित
(ग) मधुरता
(घ) प्रकृति प्रेमी

उत्तर (घ) प्रकृति प्रेमी

3. ‘घास का मैदान’ लेखिका को किससे अधिक प्रिय लगता था ?

(क) महँगे परदों से
(ख) सस्ते कपड़ों से
(ग) महँगे कालीन
(घ) सस्ते कालीन से

उत्तर (ग) महँगे कालीन से

4. लेखिका स्पर्श करके क्या पहचान लेती थी?

उत्तर लेखिका भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती थी।

5. अपार आनंद लेखिका को कब प्राप्त होता था?

उत्तर वसंत के मौसम में नई कलियों को खोजने, फूलों की मखमली सतह को छूने, उसकी बनावट को महसूस करने में लेखिका को अपार आनंद मिलता था।

6. लेखिका के जीवन में नया रंग कब आता था?

उत्तर लेखिका के जीवन में नया रंग तब आता था, जब मौसम बदलते थे। मौसम के बदलने पर प्रकृति में अनेक परिवर्तन होते हैं। यह बदलाव लेखिका के जीवन में नया रंग भर देता था।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते (हेलेन केलर) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. लेखिका ने जंगल की सैर से वापस आई मित्र से क्या पूछा था ?

उत्तर लेखिका ने जंगल की सैर से वापस आई मित्र से पूछा ‘आपने क्या-क्या देखा’।

2. मित्र का जवाब सुनकर लेखिका को आश्चर्य क्यों नहीं हुआ?

उत्तर लेखिका अब तक ‘कुछ खास तो नहीं’ जैसे जवाब सुनने की आदी हो चुकी थी। इसलिए मित्र का जवाब सुनकर लेखिका को आश्चर्य नहीं हुआ।

3. जिनकी आँखें होती हैं, वे लोग बहुत कम क्यों देखते हैं?

उत्तर लेखिका को विश्वास हो गया था कि जिन लोगों की आँखें होती हैं, वे बहुत कम देखते हैं, क्योंकि वे उसकी महत्ता नहीं समझते हैं।

4. चीड़ की फैली पत्तियाँ या घास के मैदान लेखिका को कैसे लगते हैं?

उत्तर लेखिका को चीड़ की फैली पत्तियाँ या घास का मैदान महँगे कालीन से भी अधिक अच्छे और प्रिय लगते हैं।

5. लेखिका अपने को कब खुशनसीब समझती थीं?

उत्तर किसी टहनी पर हाथ रखते ही यदि किसी चिड़िया के मधुर स्वर गूँजने लगते, तो लेखिका अपने को खुशनसीब समझती थीं।

6. हेलन केलर का मन किस लिए मचल उठता है?

उत्तर हेलन केलर का मन प्राकृतिक वस्तुओं को देखने के लिए मचल उठता है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते लघु उत्तरीय प्रश्न

1. लेखिका चीजों को किस प्रकार पहचान पाती थीं?

उत्तर लेखिका दृष्टिहीन थीं। जब वे डेढ़ वर्ष की थीं, तो किसी बीमारी के कारण उनकी आँखों की रोशनी चली गई। फिर भी वे चीज़ों को सुनकर और सूंघकर पहचान लेती थीं। वे भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ के पेड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श करके पहचान लेती थीं कि वह कौन सा पेड़ है।

2. लेखिका अपने मित्रों की परीक्षा कब लेती थीं?

उत्तर लेखिका का कोई भी मित्र जब जंगल की सैर करके वापस लौटती है तो लेखिका उसकी परीक्षा लेती थीं, जिससे वह उन्हें परख सके। किंतु लेखिका के पूछने पर कि तुमने जंगल में क्या-क्या देखा इस प्रश्न का उत्तर वह कुछ खास नहीं कहकर देती है।

3. लेखिका के अनुसार, मनुष्य किसकी आस लगाए रहता है?

उत्तर लेखिका का कहना था कि मनुष्य के पास सुनने, देखने, बोलने आदि की जो शक्तियाँ हैं वह उनका महत्त्व नहीं जान पाता तथा अपनी क्षमताओं की कभी कद्र नहीं करता है। अपनी क्षमताओं का महत्त्व नहीं जानता है, किन्तु जो उसके पास नहीं है, वह उसकी आस लगाए रहता है।

4. लेखिका ने दृष्टि का आशीर्वाद किसे कहा है?

उत्तर लेखिका ने दृष्टि का आशीर्वाद दृश्य शक्ति वाली शक्ति को कहा है।

ईश्वर से हमें कई शक्तियाँ आशीर्वाद के रूप में मिली हैं, जिनमें दृश्य शक्ति प्रमुख है, इसी शक्ति से मनुष्य संसार की वस्तुओं को देखता है। तथा उनके रूप-रंग, आकार प्रकार से परिचित होता है।

5. लेखिका को आश्चर्य क्यों हो रहा है?

उत्तर लेखिका को अपनी सहेली पर आश्चर्य होता है, क्योंकि वह आँखों से भी वो नहीं देख पाती है, जो मैं बिना आँखों के देख लेती हूँ। जब उनकी सहेली कहती है कि उसने जंगल में कुछ खास नहीं देखा तो लेखिका आश्चर्य से मन में सोचती है कि व्यक्ति अपनी शक्तियों और क्षमताओं का सही उपयोग नहीं कर रहे हैं।

6. इस कहानी से आपको क्या सीख मिलती है?

उत्तर इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अपने दिल में प्यार की भावना होनी चाहिए और चीजों को देखने का नजरिया बदलना चाहिए। हमें जो भी मिला है उसका हमें आदर करना चाहिए। अपनी क्षमताओं के लिए ईश्वर को शुक्रिया अदा करना चाहिए। यदि आप लोभ के कारण अपने पास उपस्थित वस्तु का महत्त्व नहीं समझते हैं, तो यह उचित नहीं है। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए और थोड़े में ही संतुष्ट होना चाहिए।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 9 जो देखकर भी नहीं देखते दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. साधारण मनुष्य तथा लेखिका के प्राकृतिक वस्तुओं को देखने के दृष्टिकोण में आपके विचार से क्या अंतर प्रतीत होता है और क्यों?

उत्तर साधारण मनुष्य दृश्य शक्ति के महत्त्व को नहीं समझते। वे दृश्य शक्ति को सामान्य मानते हैं, इसलिए वे प्रकृति की सुंदरता को भली-भाँति नहीं देखते हैं। लेखिका दृष्टिहीन हैं। अतः वह प्राकृतिक वस्तुओं को छूकर पहचानती हैं। वस्तुओं की विभिन्न बनावट को महसूस करती हैं। प्रकृति की सुंदरता वे देख नहीं पातीं, परंतु उस करके प्रसन्न होती हैं।

2. दृष्टि के आशीर्वाद से जिंदगी में किस प्रकार रंग भरे जा सकते हैं?

उत्तर मनुष्य को ईश्वर प्रदत्त दृष्टि के आशीर्वाद का महत्त्व समझना चाहिए। प्रकृति के सौंदर्य को देखना, समझना और अनुभव करना चाहिए। समुद्र का नीला रंग, कल-कल, छल-छल की मधुर आवाज़ करती नदियाँ, पेड़ों की नरम पत्तियाँ कली की कोमलता, कली का धीरे-धीरे खिलना आदि देख मनुष्य को मुग्ध होना चाहिए। इस प्रकृति में हर रंग का अपना अलग महत्त्व है। उसका आनंद लेना चाहिए। यदि मनुष्य प्रकृति के कण-कण में आनंद लें, तो जिंदगी प्रसन्नता से भरपूर और इंद्रधनुष के समान सतरंगी हो सकती है।

3. यदि आपको सड़क पार करता नेत्रहीन व्यक्ति मिले, तो आपक्या करेंगे?

उत्तर यदि कभी मुझे सड़क पर कोई नेत्रहीन व्यक्ति मिले, जो सड़क पार कर रहा हो, तो मैं तुरंत उसका हाथ पकड़कर सावधानीपूर्वक उसे सड़क पार करा दूंगा। उससे पूछूंगा कि उन्हें कहाँ जाना है? यदि संभव हुआ, तो गंतव्य स्थान तक हाथ पकड़कर पहुँचा भी दूंगा। नेत्रहीन व्यक्ति को हमारी हमदर्दी नहीं वरन् सहायता की आवश्यकता होती है। हमारी की गई सहायता से नेत्रहीन का जीवन सरल हो सकता है।

4. किसी विकलांग व्यक्ति को देखकर आपके मन में क्या विचार आते हैं?

उत्तर जब मैं किसी भी विकलांग (नेत्रहीन, गूंगे, हाथ-पैर से असमर्थ )

व्यक्ति को देखता हूँ, तो सोचता हूँ यह व्यक्ति जन्म से ही विकलांग है या बाद में किसी कारणवश हो गया है। मैं सोचता हूँ, यह व्यक्ति कितना साहसी है, जिसने अपनी विकलांगता के कारण जीवन से हार नहीं मानी है। बस साहस से सामना कर रहा है। इस परिश्रमी व्यक्ति को कोई भी बाधा रोक नहीं सकेगी। अपने लक्ष्य तक अवश्य पहुँच जाएगा। पोलियो जैसे रोगों के विषय में समाज में सजगता लाना कितना आवश्यक है, यह भी सोचता हूँ। व्यक्ति के आत्मविश्वास और धैर्य देखकर मन प्रसन्न भी होता है।