NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर Question And Answer

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर Question And Answer

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर पाठ का सार

गाँधीजी द्वारा स्वयं कार्य करने पर बल देना

गाँधीजी साबरमती आश्रम बहुत से कार्य, जिन्हें सामान्यतया नौकर-चाकर किया करते हैं, स्वयं करते थे। बैरिस्टरी में जब वे हजारों रुपयों की कमाई करते थे, तब भी रोज सुबह उठकर अपने हाथ से चक्की पर आटा पीसते थे। घर व साबरमती आश्रम में भी गाँधीजी ने मोटा आटा पीसने के कार्य को स्वयं ही जारी रखा।

वे गेहूँ को पीसने से पहले उसे अच्छी तरह बीनकर साफ करते थे। गाँधीजी को बाहरी लोगों के सामने मेहनत करने में शर्म नहीं आती थी। एक बार किसी कॉलेज के छात्र गाँधीजी से मिलने आए। उन्होंने गाँधीजी से सेवा का काम पूछा। गाँधीजी ने गेहूँ भरी थाली उनके सामने करके साफ करने के लिए कहा। वे एक घंटे में ही इस कार्य को करने से थक गए और गाँधीजी से विदा लेकर चले गए।

भंडार घर की साफ-सफाई व रसोईघर के कार्य करने में योगदान

गाँधीजी भंडार घर सँभालने में भी सहायता करते थे। रसोईघर में वे सब्जियों को छीलते थे तथा भंडार घर में गंदगी या मकड़ी के जाले को देखकर अपने साथियों के साथ उसे भी साफ करते थे। वे फल, सब्जी, अनाज की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते थे। वे आश्रमवासियों को स्वयं ही भोजन परोसा करते थे। दक्षिण अफ्रीका की जेल में भी उन्होंने सैकड़ों कैदियों को दिन में दो बार भोजन परोसने का कार्य किया था।

आश्रम के नियमानुसार सभी लोगों को अपने बर्तन स्वयं साफ करने होते थे। गाँधीजी ने एक दिन बड़े-बड़े पतीलों को साफ करने का कार्य स्वयं सँभाला तथा पतीलों को खूब रगड़-रगड़ कर साफ किया। बर्तन जब तक चमकते न थे, गाँधीजी को संतोष नहीं मिलता था। आश्रम के लिए कुएँ से पानी खींचने का कार्य भी वे प्रतिदिन स्वयं करते थे, क्योंकि उनका मानना था कि सभी को अपने हिस्से का शारीरिक श्रम करना चाहिए। उनमें हर काम करने की अद्भुत शक्ति व क्षमता थी ।

सेवा की भावना

साबरमती आश्रम के निर्माण कार्य के समय मेहमानों को तंबुओं में सोना पड़ता था। एक नवागत को बिस्तर रखने का स्थान पता न होने पर उसने अपना बिस्तर लपेटकर वहीं रख दिया और यह पता लगाने चला गया कि बिस्तर कहाँ रखना है। बिस्तर को वहाँ पड़ा देखकर गाँधीजी स्वयं उसका बिस्तर उठाकर उचित स्थान पर रखने जाते हैं। उनमें थकान का नामोनिशान नहीं था।

उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में बोअर युद्ध के समय घायलों को स्ट्रेचर पर लेटाकर एक दिन में पच्चीस-पच्चीस मील तक ले गए थे। गाँधीजी मीलों पैदल चलते थे। एक बार गाँधीजी के कुछ साथी जब तालाब की भराई का काम करके लौटे तो गाँधीजी ने उनके लिए त तश्तरियों में नाश्ते के लिए फल आदि तैयार रखे थे।

एक बार गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के नेता के रूप में भारतीय प्रवासियों की माँगों को ब्रिटिश सरकार के सामने रखने के लिए लंदन गए । भारतीय छात्रों ने उन्हें शाकाहारी भोजन पर आमंत्रित किया। छात्रों ने शाकाहारी भोजन स्वयं ही बनाने का निश्चय किया। दोपहर 2 बजे के लगभग वे स्वयं आकर उनमें शामिल हो गए और तश्तरियाँ धोने, सब्जी साफ करने तथा अन्य छोटे-छोटे कामों में छात्रों की सहायता करने लगे।

दूसरों से काम न कराना

गाँधीजी अपने लिए दूसरों से काम कराना बिल्कुल पसंद नहीं करते थे। जब गाँधीजी दौरा करते थे, तब वे रात को लिखते थे और उनके लिखते समय यदि लालटेन का तेल समाप्त हो जाता, तो सोते हुए किसी व्यक्ति को तेल डालने के लिए नहीं जगाते थे, बल्कि वे चंद्रमा की रोशनी में ही पत्र पूरा करना पसंद करते थे। नौआखाली पदयात्रा के समय गाँधीजी ने दो लोगों को शिविर में रहने की अनुमति दी। उन दोनों को खाखरा बनाना नहीं आता था तो गाँधीजी ने स्वयं उन्हें खाखरा बनाने की विधि बताई।

बच्चों के प्रति प्रेम व बड़ों का आदर

गाँधीजी बच्चों से बहुत प्रेम करते थे। उनका यह मानना था कि बच्चों के विकास के लिए माँ-बाप का प्यार, उनकी देखभाल आवश्यक होती है। अपने बच्चों की देखभाल के लिए भी उन्होंने दाई नहीं रखी थी। वे माँ की तरह बच्चों की देखभाल कर सकते थे, बच्चों को खिला-पिलाकर बहला भी सकते थे। अपने मित्र की पत्नी श्रीमती पोलक के बच्चे का भी रात में ध्यान रखते थे। गाँधीजी अपने से बड़ों का बहुत आदर-सम्मान करते थे।

दक्षिण अफ्रीका में जब गोपाल कृष्ण गाँधीजी के साथ ठहरे थे, तब गाँधीजी स्वयं गोखलेजी का बिस्तर ठीक करते, उनके लिए भोजन परोसते थे। कभी-कभी कपड़े इस्त्री करते, वे उनके पैर भी दबाने को तैयार रहते थे। एक बार दक्षिण अफ्रीका से भारत आने पर गाँधीजी कांग्रेस अधिवेशन में गए। वहाँ उन्होंने गंदगी साफ की। एक नेता के कहने पर पत्र – लेखन का काम समाप्त करके कमीज़ के बटन लगाए तथा उस नेता के अन्य काम भी बड़ी प्रसन्नता से किए।

जात-पाँत में विश्वास न रखना

गाँधीजी नौकरों को केवल वेतनभोगी नहीं, अपने भाई समान समझते थे और लोगों को भी यही बात समझाते थे। आश्रम में किसी सहायक को रखना होता, तो वे किसी हरिजन को रखने का आग्रह करते थे। एक बार भारत की जेल में उनके कई साथी कैदियों को उनकी सेवा का कार्य सौंपा गया। एक आदमी उनके लिए फल धोता और काटता, दूसरा बकरी दुहता, कोई निजी नौकर की तरह कार्य करता था आदि। एक ब्राह्मण कैदी उनके बर्तन धोता था तथा दो गौरे यूरोपियन प्रतिदिन उनकी चारपाई बाहर निकालते थे।

इंग्लैंड में नौकरों का सम्मान

इंग्लैंड में उन्होंने देखा कि ऊँचे घरानों में नौकरों को परिवार के सदस्य की तरह रखा जाता था। किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता था। एक बार एक अंग्रेज़ के घर से विदा लेते समय उन्हें यह देखकर बहुत खुशी हुई कि उस व्यक्ति ने गाँधीजी से घरेलू नौकरों का परिचय परिवार के सदस्यों के समान करवाया।

गाँधीजी स्वयं नौकरों को सम्मान देते थे। एक बार गाँधीजी एक भारतीय सज्जन के घर कई दिन रुके। चलते समय घर के नौकरों से विदा लेते समय उन्होंने उनसे कहा-मैं किसी को अपना नौकर नहीं समझता, आप लोगों को अपना भाई समझता हूँ। आपके द्वारा की गई सेवा का प्रतिदान देने का सामर्थ्य मुझमें नहीं है, किंतु ईश्वर इसका फल आपको अवश्य देंगे।

शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर (अनुबंधोपाध्य) Question And Answer शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर पाठ्यपुस्तक वसंत भाग-1 के प्रश्नोत्तर

निबंध से (पृष्ठ संख्या 97)

प्रश्न 1. आश्रम में कॉलेज के छात्रों से गाँधीजी ने कौन-सा काम करवाया और क्यों?

उत्तर कॉलेज के जो छात्र आश्रम में गाँधीजी से मिलने आए थे, उन्हें अपने अंग्रेज़ी भाषा के ज्ञान पर बहुत गर्व था। गाँधीजी ने उनके मन की बात समझ ली। उन्हें गेहूँ बीनने का काम दिया गया। छात्रों ने लगभग एक घंटे तक गेहूँ बीनने का काम किया। गाँधीजी उन विद्यार्थियों को श्रम का महत्त्व सिखाना चाहते थे ।

प्रश्न 2. आश्रम में गाँधीजी कई ऐसे काम भी करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर- -चाकर करते हैं। पाठ से तीन ऐसे प्रसंगों को अपने शब्दों
में लिखो, जो इस बात का प्रमाण हों।

उत्तर गाँधीजी आश्रम में कई ऐसे काम करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर- र-चाकर करते हैं। पाठ में ऐसे कई प्रसंग आए हैं, जिनमें से प्रमुख हैं।

  1. एक कार्यकर्ता ने आश्रम में गाँधीजी से कहा कि आटा कम पड़ गया है, तो वे तुरंत आटा पीसने के लिए तैयार हो गए।
  2. आश्रम में रसोई के बर्तन बारी-बारी से दल बाँधकर धोते थे। गाँधीजी ने भी बड़े-बड़े पतीलों को खूब रगड़कर चमकाकर धोया।
  3. एक बार आश्रम में तालाब की भराई का काम करने में गाँधीजी के कुछ साथी व्यस्त थे। जब वे लोग कुदाल, फावड़ा और टोकरियाँ लेकर वापस लौटे तो उन्होंने देखा कि गाँधीजी ने उनके लिए कुछ फल काटकर तश्तरियाँ तैयार करके रखी थीं।

प्रश्न 3. लंदन में भोज पर बुलाए जाने पर गाँधीजी ने क्या किया?

उत्तर लंदन में भारतीय छात्रों ने गाँधीजी को भोज पर आमंत्रित किया। उन लोगों ने शाकाहारी भोजन बनाने का निश्चय किया था। जब छात्र काम करने में व्यस्त थे, तब गाँधीजी तीसरे पहर वहाँ पहुँचे। किसी ने उन्हें नहीं पहचाना। छात्रों के साथ मिलकर उन्होंने सब्जियाँ छीलीं, बर्तन धोए तथा अन्य कामों में उन छात्रों की सहायता की। शाम को भोज के समय छात्रों ने गाँधीजी को पहचाना।

प्रश्न 4. गाँधीजी ने श्रीमती पोलक के बच्चे का दूध कैसे छुड़वाया? अथवा श्रीमती पोलक की गाँधीजी ने किस प्रकार सहायता की?

उत्तर श्रीमती पोलक का बच्चा माँ का दूध पीना नहीं छोड़ रहा था। बच्चा अपनी माँ को रात-रात भर जगाए रखता था, जिसके कारण वे बहुत कमज़ोर हो गई थीं। गाँधीजी ने बच्चे की देखभाल का काम अपने ऊपर ले लिया। वे रात में श्रीमती पोलक के बच्चे को अपने बिस्तर पर लिटा लेते। चारपाई के पास पानी का बर्तन रख लेते, जिससे बच्चे को जब भी प्यास लगे, पिला दें। बच्चा आराम से गाँधीजी के पास सोता रहता। लगभग एक पखवाड़े तक माँ से अलग सुलाने पर बच्चे ने माँ का दूध पीना छोड़ दिया।

प्रश्न 5. आश्रम में काम करने या करवाने का कौन-सा तरीका गाँधीजी अपनाते थे? इसे पाठ पढ़कर लिखो ।

उत्तर आश्रम में गाँधीजी स्वयं काम करते थे। दूसरों से काम करवाने में सख्ती बरतते थे। अपने काम दूसरों से करवाना पसंद नहीं करते थे। किसी के पूछने पर वे काम बता देते थे। गाँधीजी को काम करने के लिए कोई भी मना नहीं कर पाता था। गाँधीजी स्वयं काम करने लगते थे, उन्हें देखकर ही दूसरे लोग काम करने लग जाते थे। वे किसी को भी नौकर की तरह नहीं समझते थे। वे नौकर को भाई-बहन की तरह समझते थे।

निबंध से आगे (पृष्ठ संख्या 97)

प्रश्न 1. गाँधीजी इतना पैदल क्यों चलते थे? पैदल चलने के क्या लाभ हैं? लिखो ।

उत्तर गाँधीजी बहुत पैदल चलते थे। वे शारीरिक श्रम को बहुत महत्त्व देते थे। पैदल चलने से शारीरिक व्यायाम होता है। शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है। पैदल चलने से मनुष्य स्वस्थ रहता है। मनुष्य में अद्भुत क्षमता और शक्ति बनी रहती है। गाँधीजी जब अफ्रीका में टालस्टॉय बाडी में रहते थे, तब वे दिन में प्रायः 42 मील पैदल चलते थे।

प्रश्न 2. अपने घर के किन्हीं दस कामों की सूची बनाकर लिखो और यह भी कि उन कामों को घर के कौन-कौन से सदस्य अकसर करते हैं? तुम तालिका की सहायता ले सकते हो

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर (अनुबंधोपाध्य) Question And Answer निबंध से आगे

अब यह देखो कि कौन सबसे ज्यादा काम करता है और कौन सबसे कम। कामों का बराबर बँटवारा हो सके, इसके लिए तुम क्या कर सकते हो ? सोचकर कक्षा में बताओ।

उत्तर छात्र स्वयं करें।

अनुमान और कल्पना ( पृष्ठ संख्या 98)

प्रश्न 1. गाँधीजी अपने साथियों का जरूरत के मुताबिक हर काम कर देते थे, लेकिन उनका स्वयं का काम कोई और करे, ये उन्हें पसंद नहीं था । क्यों? सोचो और अपनी कक्षा में सुनाओ।

उत्तर गाँधीजी में सभी प्रकार का काम करने की शक्ति और क्षमता थी। वे अपने हिस्से का दैनिक श्रम स्वयं करते थे। उन्हें अपने काम दूसरों से करवाना पसंद नहीं था, परंतु वे अपने साथियों के काम में सहायता करते थे। गाँधीजी दूसरों के काम स्वयं कर दिया करते थे। उन्हें काम करता देख दूसरे लोग भी स्वयं काम करने लगते। किसी भी कार्य को करने के लिए वे आदेश देना अच्छा नहीं समझते थे।

प्रश्न 2.’नौकरों को हमें वेतनभोगी मज़दूर नहीं, अपने भाई के समान मानना चाहिए। इसमें कुछ कठिनाई हो सकती है, फिर भी हमारी कोशिश सर्वथा निष्फल नहीं जाएगी।’ गाँधीजी ऐसा क्यों कहते होंगे? तर्क के साथ समझाओ।

उत्तर गाँधीजी नौकरों को केवल वेतन पाकर काम करने वाला नहीं समझते थे। वे उन्हें भाई के समान समझते थे। गाँधीजी का मानना था कि भाई के समान आदर देने से नौकर अपने को हीन नहीं समझेंगे। अपनी रुचि, क्षमता और लगन से काम करेंगे, परंतु कभी-कभी नौकर इस बात का अनुचित लाभ उठा सकता है। हमें उन्हें प्रसन्न करते रहना चाहिए। हमें प्रयत्न करना छोड़ना नहीं चाहिए। गाँधीजी स्वयं नौकरों के साथ अच्छा व्यवहार करते थे।

प्रश्न 3. गाँधीजी की कही-लिखी बातें लगभग सौ से अधिक किताबों में दर्ज हैं। घर के काम, बीमारों की सेवा, आगंतुकों से बातचीत आदि ढेरों काम करने के बाद गाँधीजी को लिखने का समय कब मिलता होगा ? गाँधीजी का एक दिन कैसे गुज़रता होगा, इस पर अपनी कल्पना से लिखिए?

उत्तर गाँधीजी समय का सदुपयोग करते होंगे। उनकी दिनचर्या निश्चित होगी। सवेरे होते ही वे लंबी सैर पर जाते थे। प्रार्थना सभा के बाद नाश्ता करके अपने कार्यों में जुट जाया करते थे। दिनभर काम करने के बाद रात के भोजन के बाद विश्राम करते थे। भोजन के बाद रात में लिखने का काम करते होंगे। इसी बीच आगंतुकों से मिलने का काम करते होंगे। गाँधीजी में 16 काम के प्रति अद्भुत शक्ति और क्षमता थी।

प्रश्न 4. पाठ में बताया गया है कि गाँधीजी और उनके साथी आश्रम में रहते थे। घर और स्कूल के छात्रावास से गाँधीजी का आश्रम किस तरह अलग था? कुछ वाक्यों में लिखो ।

उत्तर आश्रम में साधु-संत निवास करते हैं। वे आश्रम में ही पूजा-पाठ, भोजन, विश्राम आदि करते थे। वे गृहस्थ जीवन से अलग होते हैं। छात्रावास में छात्र-छात्राएँ रहती हैं, वहीं छात्र पढ़ते-लिखते, खेलते और रहते हैं। छात्रावास में केवल छात्र निवास करते हैं। गाँधीजी का साबरमती आश्रम छात्रावास तथा अन्य आश्रमों से बिल्कुल भिन्न था। साबरमती आश्रम में गाँधी के सहयोगी, उनके मित्र रहते थे।

आश्रम के कुछ नियम थे, उन नियमों का पालन सबको करना होता था। निर्धारित दिनचर्या भी रहती थी। आश्रम में नौकर नहीं रखे जाते थे, सभी काम आपस में मिल-जुलकर किए जाते थे। सभी लोगों के काम निर्धारित थे। आश्रम में रहने वाले लोगों को सभी आदर देते थे। सभी आश्रमवासी मिल-जुलकर रहते थे।

प्रश्न 5. ऐसे कामों की सूची बनाओ, जिन्हें तुम प्रतिदिन स्वयं कर सकते हो।

उतर हम अपने घर में प्रतिदिन निम्नलिखित कार्य स्वयं कर सकते हैं

  • अपना कमरा साफ करना।
  • अपने बिस्तर को ठीक से रखना ।
  • पुस्तकें अलमारी में उचित ढंग से लगाना ।
  • अपने जूते, वर्दी, बस्ता सही स्थान पर रखना ।
  • अपने जूते पॉलिश करना या साफ करना ।
  • ‘कपड़े स्वयं धोना एवं उन पर इस्त्री करना।
  • बाज़ार से छोटा-मोटा सामान ला देना।
  • गृहकार्य स्वयं करना।
  • माँ के कामों में सहायता कर सकते हैं।
  • दादाजी / दादीजी को समय पर दवा दे सकते हैं।

भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 98 व 99)

प्रश्न 1. (क) ‘पिसाई’ संज्ञा है पीसना शब्द से ‘ना’ निकाल देने पर ‘पीस’ धातु रह जाती है। पीस धातु में ‘आई’ प्रत्यय जोड़ने पर ‘पिसाई ‘ शब्द बनता है। किसी-किसी क्रिया में प्रत्यय जोड़कर उसे संज्ञा बनाने के बाद उसके रूप में बदलाव आ जाता है; जैसे-ढोना से दुलाई, बोना से बुआई । मूल शब्द के अंत में जुड़कर नया शब्द बनाने वाले शब्दांश को प्रत्यय कहते हैं।

नीचे कुछ संज्ञाएँ दी गई हैं। बताओ ये किन क्रियाओं से बनी हैं?

  • रोपाई ___________
  • सिंचाई ___________
  • कटाई ___________
  • सिलाई ___________
  • कताई ___________
  • रँगाई ___________

उत्तर

संज्ञा

  • रोपाई
  • कटाई
  • सिंचाई
  • सिलाई
  • कताई
  • रँगाई

क्रियाएँ

  • रोपना
  • काटना
  • सींचना
  • सिलना
  • कातना
  • रँगना

(ख) हर काम-धंधे के क्षेत्र की अपनी कुछ अलग भाषा और शब्द-भंडार भी होते हैं। उपरोक्त लिखे शब्दों का संबंध दो अलग-अलग कामों से है। पहचानो कि दिए गए शब्दों के संबंध किन-किन कामों से हैं?

उत्तर उपरोक्त दिए गए शब्दों का संबंध कृषि और वस्त्र उद्योग से है।

प्रश्न 2. (क) तुमने कपड़ों को सिलते हुए देखा होगा। नीचे इस काम से जुड़े कुछ शब्द दिए गए हैं। आस-पास के बड़ों से या दरजी से इन शब्दों के बारे में पूछो और इन शब्दों को वाक्यों में समझाओ।

(तुरपाई, बखिया, कच्ची सिलाई, चोर सिलाई)

उत्तर

  • तुरपाई: कुर्ता अच्छा सिला था पर तुरपाई खुल गई।
  • बखिया: मशीन से लगाई बखिया पक्की होती है।
  • कच्ची सिलाई: मैंने पहले कच्ची सिलाई की है, नाप कर देख लो।
  • चोर सिलाई: जेब लगाने के लिए चोर सिलाई की गई।

(ख) नीचे लिखे गए शब्द पाठ से लिए गए हैं। इन्हें पाठ में खोजकर बताओ कि ये स्त्रीलिंग हैं या पुल्लिंग।

(कालिख, रोशनी, भराई, सेवा, चक्की, पतीला)

उत्तर

  • कालिख – स्त्रीलिंग
  • रोशनी – स्त्रीलिंग
  • भराई – स्त्रीलिंग
  • सेवा – स्त्रीलिंग
  • चक्की – स्त्रीलिंग
  • पतीला – पुल्लिंग

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. साबरमती आश्रम किस राज्य में है?

(क) ओडिशा में
(ख) गुजरात में
(ग) बंगाल में
(घ) बिहार में

उत्तर (ख) गुजरात में

2. गाँधीजी के साथ दक्षिण अफ्रीका में कौन ठहरा था ?

(क) सरदार बल्लभभाई पटेल
(ख) नेताजी सुभाषचंद्र बोस
(ग) रामकृष्ण गोखले
(घ) गोपाल कृष्ण गोखले

उत्तर (घ) गोपाल कृष्ण गोखले

3. गाँधीजी पैदल क्यों चलते थे?

(क) उनको डॉक्टर ने सलाह दी थी
(ख) स्वस्थ रहने के लिए
(ग) पैसा बचाने के लिए
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर (ख) स्वस्थ रहने के लिए

4. गाँधीजी सवेरे की प्रार्थना के बाद कौन-सा कार्य करते थे?

(क) सब्जियाँ धोना
(ख) सब्जियाँ काटना
(ग) सब्जियाँ छीलना
(घ) सब्जियाँ लाना

उत्तर (ग) सब्जियाँ छीलना

5. गाँधीजी आश्रम में किस प्रकार के काम करते थे?

(क) चक्की से आटा पीसा करते थे
(ख) कपड़े धुलवाते थे.
(ग) घूमा करते थे
(घ) समय के साथ-साथ काम करते थे।

उत्तर (क) चक्की से आटा पीसा करते

6. नौकरों को गाँधीजी क्या मानते थे?

(क) ताऊ
(ख) चाचा
(ग) भाई
(घ) मामा

उत्तर (ग) भाई

7. बच्चों से किसको प्रेम था ?

(क) कस्तूरबा को
(ख) मनोहरलाल को
(ग) दयावती को
(घ) गाँधीजी को

उत्तर (घ) गाँधीजी को

8. ‘प्रवासी भारतीयों के नेता के रूप में उनकी माँगों को लेकर’ दक्षिण अफ्रीका से लंदन कौन गया था?

(क) गाँधीजी
(ख) रामकृष्णा गोखले
(ग) गोपालकृष्ण गोखले
(घ) नेताजी सुभाषचंद्र

उत्तर (क) गाँधीजी

9. ‘नौकर’ पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है?

(क) आत्मनिर्भर न बनो
(ख) दूसरों पर विश्वास रखो
(ग) बहादुर बनो
(घ) अपने कार्य स्वयं करो

उत्तर (घ) अपने कार्य स्वयं करो

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर गद्यांश पर आधारित प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

गद्यांश 1

आश्रम में गाँधीजी कई ऐसे काम भी करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं। जिस जमाने में वे बैरिस्टरी से हजारों रुपये कमाते थे, उस समय भी वे प्रतिदिन सुबह अपने हाथ से चक्की पर आटा पीसा करते थे। चक्की चलाने में कस्तूरबा और उनके लड़के भी हाथ बँटाते थे। इस प्रकार घर में रोटी बनाने के लिए महीन या मोटा आटा वे खुद पीस लेते थे। साबरमती आश्रम में भी गाँधीजी ने पिसाई का काम जारी रखा । वह चक्की को ठीक करने में कभी-कभी घंटों मेहनत करते थे। एक बार एक कार्यकर्ता ने कहा कि आश्रम में आटा कम पड़ गया है। आटा पिसवाने में हाथ बँटाने के लिए गाँधी जी फौरन उठकर खड़े हो गए।

1. गाँधीजी की पत्नी का क्या नाम था ?

(क) कस्तूरी
(ख) कसूटी
(ग) कस्तूरबा
(घ) लक्ष्मी

उत्तर (ग) कस्तूरबा

2. गाँधीजी ने साबरमती आश्रम में क्या काम जारी रखा?

(क) धुलाई
(ग) कटाई
(ख) पिसाई
(घ) जुताई

उत्तर (ख) पिसाई

3. कभी-कभी चक्की को ठीक करने में गाँधीजी कितना समय लगा देते थे?

(क) दिनों उत्तर
(ख) महीनों
(ग) घंटों
(घ) वर्षों

उत्तर (ग) घंटों

4. गाँधीजी की पत्नी और बेटे किस काम में उनका हाथ बँटाते थे?

उत्तर गाँधीजी की पत्नी और बेटे चक्की चलाने में उनका हाथ बँटाते थे।

5. इस पाठ में दिए गए ‘उस समय भी’ शब्द के द्वारा लेखक ने किस समय की बात की है?

उत्तर जब गाँधीजी वकालत करते थे, लेखक ने उस समय की बात की है।

6. सभी लोग गाँधीजी को देखकर हैरत में क्यों पड़ जाते थे ?

उत्तर सभी लोग गाँधीजी के शारीरिक श्रम को देखकर हैरत में पड़ जाते थे। वकालत का कार्य करने पर भी वे गेहूँ बीनने तक के कार्य को छोटा नहीं समझते थे।

गद्यांश 2

एक बार उनके पास कॉलेज के कोई छात्र मिलने आए। उनको अंग्रेजी भाषा के अपने ज्ञान का बड़ा गर्व था। गाँधीजी से बातचीत के अंत में वे बोले, “बापू, यदि मैं आपकी कोई सेवा कर सकूँ तो कृपया मुझे अवश्य बताएँ।” उन्हें आशा थी कि बापू उन्हें कुछ लिखने-पढ़ने का काम देंगे। गाँधीजी ने उनके मन की बात ताड़ ली और बोले, “अगर आपके पास समय हो, तो इस थाली के गेहूँ बीन डालिए। ” आगंतुक बड़ी मुश्किल में पड़ गए, लेकिन अब तो कोई चारा नहीं था। एक घंटे तक गेहूँ बीनने के बाद वह थक गए और चले गए।

1. गाँधीजी से मिलने छात्र कहाँ से आए थे?

(क) छात्रावास से
(ख) कॉलेज से
(ग) यूनिवर्सिटी से
(घ) स्कूल से

उत्तर (ख) कॉलेज से

2. छात्रों को किस बात का गर्व था?

(क) अपने स्वास्थ्य पर
(ख) अपने खेल पर
(ग) अंग्रेजी ज्ञान पर
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ग) अंग्रेजी ज्ञान पर

3. गाँधीजी ने छात्रों को क्या काम दिया?

(क) बर्तन माँजने का
(ख) चक्की चलाने का
(ग) कताई करने का
(घ) गेहूँ बीनने का

उत्तर (घ) गेहूँ बीनने का

4. गाँधीजी से मिलने कौन आए थे?

उत्तर एक बार गाँधीजी से मिलने कॉलेज के छात्र आए थे।

5. कॉलेज के छात्रों ने बापू से क्या आशा की थी?

उत्तर कॉलेज के छात्रों ने सोचा बापू उन्हें कुछ पढ़ने-लिखने का काम देंगे।

6. गाँधीजी ने छात्रों से क्या कहा?

उत्तर गाँधीजी ने छात्रों से कहा, “अगर आपके पास समय हो, तो इस थाली के गेहूँ बीन डालिए। ”

गद्यांश 3

एक दिन गाँधीजी ने बड़े-बड़े पतीलों को खुद साफ करने का काम अपने ऊपर लिया। इन पतीलों की पेंदी में खूब कालिख लगी थी। राख भरे हाथों से वह एक पतीले को खूब जोर-जोर से रगड़ने में लगे हुए थे कि तभी कस्तूरबा वहाँ आ गईं। उन्होंने पतीले को पकड़ लिया और बोली, “यह काम आपका नहीं है। इसे करने को और बहुत से लोग हैं।” गाँधी को लगा कि उनकी बात मान लेने में ही बुद्धिमानी है और वे चुपचाप कस्तूरबा को उन बर्तनों की सफाई सौंपकर चले आए। बर्तन एकदम चमकते न हों, तब तक गाँधीजी को संतोष नहीं होता था। एक बार जेल में उनको जो मददगार दिया गया था, उसके काम से असंतुष्ट होकर उन्होंने बताया था कि वे खुद कैसे लोहे के बर्तनों को भी माँजकर चाँदी – सा चमका सकते थे।

1. पतीलों में कालिख कहाँ लगी थी?

(क) पेंदी में
(ख) नीचे
(ग) ऊपर
(घ) कहीं नहीं

उत्तर (क) पेंदी में

2. किन बर्तनों को गाँधीजी चाँदी- सा चमका सकते थे?

(क) सोने के
(ख) लोहे के
(ग) काँसे के
(घ) पीतल के

उत्तर (ख) लोहे के

3. गाँधीजी को संतोष नहीं होता था

  • कथन 1 जब तक वह स्वयं बर्तन न धोएँ ।
  • कथन 2 जब तक बर्तन चमक न जाएँ।

(क) 1 और 2 दोनों सही हैं।
(ख) 1 गलत है और 2 सही है।
(ग) 1 सही है और 2 गलत है।
(घ) 1 और 2 दोनों गलत हैं।

उत्तर (ख) 1 गलत है और 2 सही है।

4. गाँधीजी ने अपने ऊपर क्या काम लिया?

उत्तर गाँधीजी ने बड़े-बड़े पतीलों को साफ करने का काम अपने ऊपर लिया।

5. कस्तूरबा जब आईं तो गाँधीजी क्या कर रहे थे?

उत्तर कस्तूरबा जब आईं तो गाँधीजी राखभरे हाथों से पतीले को रगड़ने में लगे थे।

6. गाँधीजी को पतीला साफ करते देख कस्तूरबा ने क्या कहा ?

उत्तर कस्तूरबा ने गाँधीजी से कहा, “यह काम आपका नहीं है। इसे करने को और बहुत-से लोग हैं। ”

गद्यांश 4

दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के जाने-माने नेता के रूप में गाँधीजी भारतीय प्रवासियों की माँगों को ब्रिटिश सरकार के सामने रखने के लिए एक बार लंदन गए । वहाँ उन्हें भारतीय छात्रों ने एक शाकाहारी भोज में निमंत्रित किया। छात्रों ने इस अवसर के लिए स्वयं ही शाकाहारी भोजन तैयार करने का निश्चय किया था।

तीसरे पहर दो बजे एक दुबला-पतला और छरहरा आदमी आकर उनमें शामिल हो गया और तश्तरियाँ धोने, सब्जी साफ करने और अन्य छुट-पुट काम करने में उनकी मदद करने लगा। बाद में छात्रों का नेता वहाँ आया तो क्या देखता है कि वह दुबला-पतला आदमी और कोई नहीं, उस शाम को भोज में निमंत्रित उनके सम्मानित अतिथि- गाँधीजी थे।

1. गाँधीजी कहाँ गए थे?

(क) कनाडा
(ख) लंदन
(ग) दक्षिण अफ्रीका
(घ) बर्मा

उत्तर (ख) लंदन

2. छात्रों ने गाँधीजी को कैसा भोजन कराने का निश्चय किया?

(क) शाकाहारी
(ख) मांसाहारी
(ग) चाइनीज
(घ) दक्षिण भारतीय

उत्तर (क) शाकाहारी

3. छात्रों के नेता को कब पता चला कि गाँधीजी ने उनकी दोपहर में सहायता की?

(क) कभी नहीं
(ख) दिन में ही
(ग) शाम को
(घ) अगले दिन

उत्तर (ग) शाम को

4. गाँधीजी लंदन क्यों गए थे?

उत्तर गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के जाने-माने नेता के रूप में दक्षिण भारतीय प्रवासियों की माँगों को ब्रिटिश सरकार के सामने रखने लंदन गए थे।

5. लंदन में रह रहे छात्रों ने क्या किया?

उत्तर लंदन में रह रहे भारतीय छात्रों ने गाँधीजी को शाकाहारी भोजन के लिए निमंत्रित किया।

6. तीसरे पहर गाँधीजी ने क्या किया?

उत्तर तीसरे पहर गाँधीजी स्वयं छात्रों के दल में शामिल हो गए और उनकी तश्तरियाँ धोने, सब्जी काटने, साफ करने आदि में उनकी सहायता करने लगे।

गद्यांश 5

जब गाँधीजी गाँवों का दौरा कर रहे होते, उस समय रात को यदि लिखते समय लालटेन का तेल खत्म हो जाता, तो वे चंद्रमा की रोशनी में ही पत्र पूरा कर लेना ज्यादा पसंद करते थे, लेकिन सोते हुए अपने किसी थके हुए साथी को नहीं जगाते थे। नौआखाली पद यात्रा के समय गाँधीजी ने अपने शिविर में केवल दो आदमियों को ही रहने की अनुमति दी। इन दोनों को यह नहीं मालूम था कि खाखरा कैसे बनाया जाता है। इस पर गाँधीजी स्वयं रसोई में जा बैठे और निपुण रसोइए की तरह उन्होंने खाखरा बनाने की विधि बताई। उस समय गाँधीजी की अवस्था अठहत्तर वर्ष की थी।

1. नौआखाली पद यात्रा में गाँधीजी कहाँ की यात्रा कर रहे थे?

(क) विदेश की
(ख) गाँवों की
(ग) स्कूलों की
(घ) अस्पतालों की

उत्तर (ख) गाँवों की

2. गाँधीजी अपना अधूरा पत्र किस रोशनी में ही पूरा करते थे?

(क) सूरज की
(ख) ट्यूबलाइट की
(ग) चंद्रमा की
(घ) तारे की

उत्तर (ग) चंद्रमा की

3. शिविर में कितने लोगों को रहने की अनुमति थी ?

(क) तीन
(ख) दो
(ग) चार

उत्तर (ख) दो

4. गाँधीजी लालटेन का तेल समाप्त होने पर क्या करते?

उत्तर गाँधीजी लालटेन का तेल समाप्त होने पर चंद्रमा की रोशनी में पत्र पूरा कर लेते थे।

5. गाँधीजी अपने कार्य के लिए सोते हुए साथी को क्यों नहीं जगाते थे?

उत्तर गाँधीजी अपने कार्य के लिए सोते हुए साथी को इसलिए नहीं जगाते थे, क्योंकि वे अपने कार्य के लिए किसी को भी परेशान नहीं करना चाहते थे।

6. इस गद्यांश में किस यात्रा का उल्लेख है?

उत्तर इस गद्यांश में नौआखाली पद यात्रा का उल्लेख लेखिका ने किया है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. गाँधीजी किस आश्रम में रहते थे? यह आश्रम किस राज्य में है?

उत्तर गाँधीजी साबरमती आश्रम में रहते थे। यह आश्रम अहमदाबाद भारत के गुजरात राज्य में है।

2. आश्रम के कार्यकर्ता के बताने पर कि आटा कम पड़ गया है, गाँधीजी ने क्या किया?

उत्तर आश्रम के कार्यकर्ता ने जैसे ही बताया कि आटा कम पड़ गया है, तो गाँधीजी तुरंत गेहूँ पीसने के लिए तैयार हो गए।

3. रसोईघर या भंडारघर में यदि गाँधीजी को गंदगी दिखाई पड़ती, तो वे क्या करते थे?

उत्तर गाँधीजी को यदि रसोईघर या भंडारघर में जरा सी भी गंदगी या मकड़ी का जाला दिख जाता, तो वे अपने साथियों को आड़े हाथों लेते थे।

4. चकते पड़े केलों की क्या विशेषता होती है?

उत्तर केलों के जिन छिलकों पर चकते पड़े होते हैं, वे अधिक पके हुए होते हैं। ये केले खाने के बाद जल्दी पच जाते हैं।

5. गाँधीजी आश्रम में सहायक के लिए क्या आग्रह करते थे?

उत्तर गाँधीजी को कभी आश्रम में किसी सहायक को रखने की आवश्यकता होती, तो वे किसी हरिजन को रखने का आग्रह करते थे ।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर लघु उत्तरीय प्रश्न

1. गाँधीजी को भोजन पकाने के विषय में क्या जानकारियाँ थीं?

उत्तर गाँधीजी को सब्जी, फल और अनाज के पौष्टिक गुणों का ज्ञान था। वे लोगों को बताते कि आलू और नींबू बिना धोए नहीं काटने चाहिए। उन्होंने शिविर में रहे दो लोगों को खाखरा बनाने की विधि भी सिखाई थी।

2. आश्रम निर्माण के समय गाँधीजी ने नवागत की किस प्रकार सहायता की?

उत्तर आश्रम निर्माण का कार्य चल रहा था। मेहमानों को तंबुओं में रहना होता था। एक नवागत अपना बिस्तर लेकर आया। उसे पता नहीं था कि अपना बिस्तर कहाँ रखना है, जब तक वह पता लगाकर लौटा गाँधीजी स्वयं उसका बिस्तर कंधे पर उठाए चले आए।

3. आप कैसे कह सकते हैं कि गाँधीजी बड़ों का आदर करते थे?

उत्तर दक्षिण अफ्रीका में गोखले जी गाँधीजी के साथ रुके हुए थे। गाँधीजी रोज गोखले जी का बिस्तर ठीक करते, भोजन परोसते, कपड़ों पर इस्त्री करते और पैर दबाने के लिए भी तैयार रहते थे। बहुत मना करने पर भी वे नहीं मानते थे।

4. बर्तन एक दम चमकते न हों, तब तक गाँधीजी को संतोष नहीं होता था – लेखिका का क्या तात्पर्य है?

उत्तर आश्रम के नियमानुसार, रसोई के बर्तन दल बाँधकर समूह में धोए जाते थे। एक दिन गाँधीजी ने बर्तन धोने का काम अपने ऊपर ले लिया। उन्होंने बड़े-बड़े पतीलों को खूब रगड़-रगड़ कर धोया। उस दिन बर्तनों की पेंदी में बहुत कालिख लगी थी।

5. कॉलेज के छात्र गाँधीजी से मिलने आए, वे एक घंटे बाद वापस क्यों चले गए?

उत्तर साबरमती आश्रम में गाँधीजी से मिलने कॉलेज के कुछ छात्र आए । उन छात्रों को अपने अंग्रेजी के ज्ञान पर गर्व था। गाँधीजी से उन्होंने कुछ सेवा के लिए कार्य पूछा।

गाँधीजी ने उन्हें उत्तर दिया- यदि आपके पास समय है, तो इस थाली का गेहूँ बीन डालिए। छात्रों को आशा थी कि गाँधीजी उन्हें कुछ लिखने-पढ़ने का काम देंगे। लगभग एक घंटा गेहूँ बीनने के बाद छात्र वापस चले गए।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक अध्याय 13 नौकर दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. इस पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर इस पाठ से हमें शारीरिक श्रम करने की शिक्षा मिलती है। श्रम की महत्ता को समझना चाहिए। शारीरिक श्रम करने से ही शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है। शारीरिक व्यायाम, पैदल चलने आदि को अपनी दिनचर्या में रखना आवश्यक है। सभी कार्यों को समान समझना चाहिए, कोई कार्य छोटा और बड़ा नहीं होता।

नौकरों को केवल वेतनभोगी नहीं, बस उनके साथ भाई-बहन की तरह व्यवहार करना चाहिए। हमें अपना काम स्वयं करना चाहिए। किसी पर अपने काम के लिए निर्भर नहीं होना चाहिए तथा जरूरत पड़ने पर दूसरों की सहायता करनी चाहिए।

2. गाँधीजी नौकरों के साथ भाई के समान व्यवहार करते थे। क्या यह उचित है? आप अपने नौकर / नौकरानी के साथ कैसा व्यवहार करते हैं?

उत्तर गाँधीजी नौकरों को केवल वेतन लेकर काम करने वाला व्यक्ति नहीं, बल्कि अपने भाई की तरह समझते थे। उसके साथ समानता का व्यवहार करते थे। मेरे अनुसार, गाँधीजी का यह व्यवहार सर्वथा उचित है। मैं अपनी नौकरानी के साथ भी अच्छा व्यवहार करता हूँ। घर में उसका नाम लेकर नहीं पुकारता उसे दीदी कहता हूँ कभी जो से चिल्लाकर बात नहीं करता। मैं उसे बड़ी बहन के समान मानता हूँ।

3. गाँधीजी शारीरिक व्यायाम को बहुत महत्त्व देते थे। उदाहरण सहित बताइए।

उत्तर गाँधीजी शारीरिक व्यायाम को दिनचर्या का आवश्यक अंग मानते थे। प्रातः काल ही वे लंबी सैर पर जाया करते थे। दक्षिण अफ्रीका में जब वे टॉलस्टॉय बाड़ी में रहते थे, तब अकसर बयालीस मील तक पैदल अचलते थे। दक्षिण अफ्रीका के बोअर युद्ध के समय घायलों को स्ट्रेचर पर लादकर एक दिन में पच्चीस-पच्चीस मील तक ले गए। आश्रम में गेहूं पीसना, बर्तन धोना, गंदगी साफ करना आदि सभी कार्य स्वयं अपने हाथों से किया करते थे।

4. गाँधीजी को अपना कार्य किसी दूसरे से करवाना बिल्कुल पसंद नहीं था। सोदाहरण बताइए ।

उत्तर आश्रम के नियम के अनुसार, आश्रमवासियों के काम बँटे हुए थे। गाँधीजी कुएँ से पानी खींचने का काम प्रतिदिन करते थे। एक दिन गाँधीजी कुछ अस्वस्थ थे। गेहूँ पीसने का काम वे कर चुके थे। एक साथी ने उन्हें थकावट से बचाने के लिए अन्य आश्रमवासियों की सहायता से बर्तनों में पानी भर दिया। गाँधीजी को यह बात पसंद नहीं आई और स्वयं बच्चों का टब उठाकर गए और कुएँ से पानी भरकर आश्रम में ले आए।

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