NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 19 चित्रकूट में भरत Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 19 चित्रकूट में भरत Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 19 चित्रकूट में भरत पाठ का सार

भरत का स्वप्न

भरत अपने ननिहाल केकय राज्य में थे, इसलिए वे अयोध्या में हो रही घटनाओं से अनजान थे। भरत ने सपने में देखा कि समुद्र सूख गया, चंद्रमा धरती पर गिर पड़ा, वृक्ष सूख गए हैं, एक राक्षसी उनके पिता को खींचकर ले जा रही है, वे रथ पर बैठे हैं और उस रथ को गधे खींच रहे हैं। यह सपना देखकर वे डर गए थे।

भरत अपने मित्रों को अपने सपने के बारे में बता रहे थे। उसी समय अयोध्या से घुड़सवार दूत वहाँ संदेश लेकर पहुँचे और उन्हें तुरंत अयोध्या चलने के लिए कहा। वे तत्काल अयोध्या जाने के लिए तैयार हो गए। भरत का मन ननिहाल में नहीं लग रहा था, इसलिए वे अयोध्या जाने के लिए उतावले थे। केकयराज ने भरत को सौ रथों और सेना के साथ विदा किया और वे आठ दिनों में अयोध्या पहुँचे।

नगर पहुँचते ही भरत सीधे पिता दशरथ के भवन की ओर महाराज वहाँ नहीं थे, फिर वे कैकेयी के महल में पहुँचे। उनकी माता कैकेयी ने बताया कि उनके पिता महाराज दशरथ का देहांत हो गया है। यह सुनकर भरत विलाप करने लगे।

Read and Learn More Class 6 Hindi Question and Answers

भरत द्वारा कैकेयी पर क्रोध करना

भरत ने कैकेयी से राम के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि महाराज ने राम को चौदह वर्ष का वनवास और भरत को राजगद्दी दी है। भरत के पूछने पर कैकेयी ने उन्हें वरदान वाली बात बताई।

भरत क्रोधित होकर बोले, “यह तुमने क्या किया, माते! पिता को खोकर और भाई से बिछड़कर मुझे ऐसा राज्य नहीं चाहिए।” इसी बीच मंत्रीगण और सभासद भी वहाँ आ गए।

भरत का स्पष्टीकरण और राम से मिलने वन में जाना

सभासदों से हाथ जोड़कर भरत ने कहा, मेरी माँ ने जो किया है, उसमें मेरा कोई दोष नहीं है। मैं राम की सौगंध खाकर कहता हूँ कि मैं वन में जाऊँगा और राम को मनाकर वापस लाऊँगा तथा उनका दास बनकर रहूँगा।

भरत रानी कौशल्या के महल में गए और उनसे क्षमा माँगते हुए माँ के व्यवहार पर दुःख व्यक्त किया। सुबह तक शत्रुघ्न को भी पता चल गया कि कैकेयी के कान मंथरा ने भरे हैं। शत्रुघ्न मंथरा के बाल खींचते हुए भरत के सामने लाए। वे मंथरा को मार देना चाहते थे, परंतु भरत ने उसे बचा लिया।

भरत ने मुनि वशिष्ठ से राजगद्दी पर बैठने के लिए मना कर दिया। उन्होंने कहा, “यह राज्य राम का है, वही इसके अधिकारी हैं। हम सब वन जाएँगे और राम को वापस लाएँगे।” भरत के साथ मुनि वशिष्ठ, सभी माताएँ, मंत्रीगण, सभासद, नगरवासी और अयोध्या की चतुरंगिणी सेना राम को अयोध्या वापस लाने के लिए चल पड़ी। राम चित्रकूट में गंगा-यमुना के संगम पर महर्षि भरद्वाज के आश्रम के पास पहाड़ी पर पर्णकुटी बनाकर रह रहे थे।

भरत की निषादराज से भेंट

भरत अयोध्यावासियों व सेना सहित श्रृंगवेरपुर पहुँचे। निषादराज गुह को लगा कि भरत, राम पर आक्रमण करना चाहता है, परंतु सही स्थिति का पता चलने पर उन्होंने भरत का स्वागत किया और गंगा नदी पार करने के लिए उन्हें पाँच सौ नावें भी दीं। मार्ग में मुनि भरद्वाज के आश्रम से उन्हें राम का समाचार मिला।

वह पहाड़ी भी दिखाई, जहाँ राम की पर्णकुटी बनी थी। अगले दिन सुबह लक्ष्मण ने सेना का कोलाहल सुना और राम को भरत के दलबल के साथ आने की सूचना दी। राम ने सारी स्थिति को समझकर लक्ष्मण को समझाया कि भरत हमला करने नहीं, हम लोगों से भेंट करने आ रहा होगा। यह सुनकर लक्ष्मण कुछ आश्वस्त हुए।

राम और भरत की भेंट

भरत ने सेना को पहाड़ी के नीचे ही रोक दिया। नगरवासी भी वहीं ठहर गए। भरत, शत्रुघ्न के साथ नंगे पैर राम से मिलने गए। राम-सीता पर्णकु में थे। भरत दौड़ पड़े और राम के चरणों में गिर पड़े। राम ने भरत एवं शत्रुघ्न को सीने से लगा लिया।

भरत पिता दशरथ के विषय में सूचना देने का साहस नहीं जुटा पा रहे थे। बड़ी कठिनाई से उन्होंने पिता के निधन का समाचार दिया, जिसे सुनकर राम शोक में डूब गए।

राम द्वारा भरत को अयोध्या वापस भेजना

राम को पता चला कि भरत के साथ नगरवासी, गुरुजन, माता कैकेयी भी आई हैं, तो वे उन सबसे भेंट करने आए। अगले दिन भरत ने राम से राजग्रहण करने का आग्रह करते हुए अयोध्या चलने का निवेदन किया।

राम ने पिता की आज्ञा का उल्लंघन करने से इनकार कर दिया। उन्होंने भरत को राजकाज सँभालने के लिए कहा।

भरत बार-बार राम से लौटने का आग्रह कर रहे थे, जिसे राम विनम्रता से अस्वीकार कर रहे थे। महर्षि वशिष्ठ ने भी ज्येष्ठ पुत्र को राजगद्दी एवं रघुकुल की परंपरा के विषय में बताया।

भरत ने कहा, यदि आप अयोध्या नहीं लौटेंगे, तो मैं भी खाली हाथ नहीं जाऊँगा । आप अपनी खड़ाऊँ मुझे दे दें और मैं चौदह वर्ष उसी की आज्ञा से राजकाज चलाऊँगा। राम ने अपनी खड़ाऊँ भरत को दे दी।

भरत ने राम की खड़ाऊँ को माथे से लगाया और सुसज्जित हाथी पर खड़ाऊँ रखकर अयोध्या ले आए। अयोध्या पहुँचकर भरत ने पादुका पूजन किया। इसके पश्चात् भरत अयोध्या में नहीं रुके। उन्होंने तपस्वी के वस्त्र पहने और पादुकाओं को अयोध्या में रखकर राम के लौटने की प्रतीक्षा में नंदीग्राम चले गए।

शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 5 चित्रकूट में भरत Question And Answers शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 19 चित्रकूट में भरत बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. भरत को अपने पिता के देहांत का पता किससे चला था ?

(क) महर्षि वशिष्ठ
(ख) माता कौशल्या से
(ग) दासी मंथरा से
(घ) माता कैकेयी से

उत्तर (घ) माता कैकेयी से

2. भरत ने किसे अपराधिनी कहा था?

(क) दासी मंथरा को
(ख) माता कौशल्या को
(ग) माता कैकेयी को
(घ) माता सुमित्रा को

उत्तर (ग) माता कैकेयी को

3. भरत किससे लिपटकर बिलख-बिलख कर रोने लगे थे?

(क) सुलोचना से
(ख) सुमित्रा से
(ग) कैकेयी से
(घ) कौशल्या से

उत्तर (घ) कौशल्या से

4. शत्रुघ्न किसके बाल पकड़कर उसे भरत के सामने लाए थे?

(क) मंथरा के
(ख) सुलोचना के
(ग) कैकेयी के
(घ) सुमित्रा के

उत्तर (क) मंथरा के

5. शृंगवेरपुर में भरत का नेतृत्व किसने किया?

(क) लक्ष्मण ने
(ख) राम ने
(ग) सैनिकों ने
(घ) निषादराज गुह ने

उत्तर (घ) निषादराज गुह ने

6. गंगा पार करने के लिए कितनी नाव जुटा दी गई थीं?

(क) 100 नाव
(ख) 200 नाव
(ग) 400 नाव
(घ) 500 नाव

उत्तर (घ) 500 नाव

7. चित्रकूट पर्वत पर किसका आश्रम था ?

(क) महर्षि विश्वामित्र का
(ख) महर्षि वाल्मीकि का
(ग) महर्षि भारद्वाज का
(घ) महर्षि वशिष्ठ का

उत्तर (ग) महर्षि भारद्वाज का

8. राम ने पर्णकुटी कहाँ पर बनाई थी ?

(क) चित्रकूट पर्वत पर
(ख) सुंदरवन में
(ग) हिमालय पर
(घ) गंगा नदी के तट पर

उत्तर (क) चित्रकूट पर्वत पर

9. सीता को किस वेश में देखकर माताएँ दु:खी हुईं?

(क) गृहिणी
(ख) तपस्विनी
(ग) राजसी
(घ) वीरांगना

उत्तर (ख) तपस्विनी

10. भरत राम से मिलने कहाँ पहुँचे ?

(क) मिथिला
(ख) किष्किंधा
(ग) चित्रकूट
(घ) अशोक वाटिका

उत्तर (ग) चित्रकूट

11. अयोध्या के राजगुरु कौन थे?

(क) महर्षि विश्वामित्र
(ख) महर्षि भारद्वाज
(ग) महर्षि परशुराम
(घ) महर्षि वशिष्ठ

उत्तर (घ) महर्षि वशिष्ठ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 19 चित्रकूट में भरत रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. नगर पहुँचते ही भरत सीधे ____________ के भवन में गए।

उत्तर नगर पहुँचते ही भरत सीधे महाराज दशरथ के भवन में गए।

2. भरत ने रानी _______ से क्षमा माँगी।

उत्तर भरत ने रानी कौशल्या से क्षमा माँगी।

3. सुबह भरत सभी _____________ और ___________ के साथ ___________ के लिए चले।

उत्तर सुबह भरत सभी मंत्रियों और सभासदों के साथ वन के लिए चले।

4. राम तब तक गंगा पार करके पहुँच गए थे।

उत्तर राम तब तक गंगा पार करके चित्रकूट पहुँच गए थे।

5. राम _________ के आश्रम में नहीं रहे, जिससे उन्हें असुविधा न हो।

उत्तर राम महर्षि भारद्वाज के आश्रम में नहीं रहे, जिससे उन्हें असुविधा न हो।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 19 चित्रकूट में भरत अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. अयोध्या के राजगुरु कौन थे?

उत्तर अयोध्या के राजगुरु महर्षि वशिष्ठ थे।

2. दशरथ के निधन के समय भरत कहाँ थे?

उत्तर राजा दशरथ के निधन के समय भरत केकयराज में अपने नाना के घर थे।

3. भरत ने स्वप्न में अपने पिता को किस अवस्था में देखा ?

उत्तर भरत ने स्वप्न में अपने पिता को एक रथ पर बैठा हुआ देखा, जिसे घोड़े के स्थान पर गधे और एक राक्षसी खींच रही थी।

4. स्वप्न देखने के बाद भरत को ननिहाल में कैसा महसूस हो रहा था?

उत्तर स्वप्न देखने के बाद भरत बहुत परेशान हो गए। उनका मन ननिहाल में बिलकुल भी नहीं लग रहा था। वह शीघ्र अयोध्या जाकर अपने पिता से मिलना चाहते थे।

5. भरत ने अपने स्वप्न का जिक्र किससे किया था?

उत्तर भरत ने जो स्वप्न देखा था, वह उस स्वप्न का अर्थ समझ नहीं पाए थे। इसलिए उन्होंने अपने स्वप्न का जिक्र सगे-संबंधियों से किया।

6. भरत को ननिहाल से अयोध्या की यात्रा में कितने दिन का समय लगा?

उत्तर भरत को ननिहाल से अयोध्या की यात्रा में 8 दिन का समय लगा, क्योंकि उस समय खेतों में फसल उगी हुई थी, जिस कारण उन्हें लंबा रास्ता पकड़ना पड़ा था।

7. अयोध्या पहुँचने के बाद भरत सर्वप्रथम कहाँ गए ?

उत्तर अयोध्या पहुँचने के बाद भरत सर्वप्रथम अपने पिता राजा दशरथ के महल में गए। भरत राजा दशरथ से मिलने के लिए बहुत व्याकुल थे।

8. अयोध्या पहुँचकर भरत की आँखें किसे ढूँढ रही थीं?

उत्तर अयोध्या पहुँचकर भरत की आँखें अपने पिता राजा दशरथ को ढूंढ रही थीं।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 19 चित्रकूट में भरत लघु उत्तरीय प्रश्न

1. अयोध्या नगरी पहुँचकर भरत ने क्या देखा?

उत्तर भरत केकयराज से रवाना होकर लंबे रास्ते से अयोध्या पहुँचे, उन्हें नगर सामान्य नहीं लगा। कुछ बदला-बदला लगा, सड़कें सूनी थीं। बाग-बगीचे सब उदास थे। कोई आवाज नहीं थी। पक्षी भी कलरव नहीं कर रहे थे। अयोध्या की यह स्थिति देखकर भरत का मन अनिष्ट की आशंका से घिर गया।

2. माता कैकेयी के द्वारा पिता के निधन का समाचार सुनकर भरत की क्या दशा हुई?

उत्तर भरत पिता के निधन का समाचार सुनकर शोक में डूब गए। वे विलाप करने लगे और धरती पर गिर पड़े। कैकेयी ने भरत की यह दशा देखकर उन्हें ढाढ़स बँधाया। कैकेयी ने उन्हें बताया कि अंतिम समय में महाराज के मुँह से केवल तीन शब्द निकले हे राम ! हे सीते! हे लक्ष्मण! तुम्हारे लिए कुछ नहीं कहा। भरत की व्याकुलता बढ़ती गई तथा वे राम के पास जाना चाहते थे। कैकेयी ने उन्हें वरदान की पूरी कथा सुनाते हुए राजगद्दी सँभालने के लिए कहा।

3. चतुरंगिणी सेना क्या है?

उत्तर प्राचीन काल में सेना के संगठन में निम्नलिखित चार अंगों को शामिल किया जाता था, जिस कारण इसको चतुरंगिणी सेना कहा जाता था; जैसे- घुड़सवार योद्धा, पैदल सैनिक हाथी पर सवार योद्धा और रथ पर सवार योद्धा ।

4. भरत ने सभासदों और मंत्रियों से क्या कहा?

उत्तर भरत ने सभासदों और मंत्रियों से हाथ जोड़कर कहा कि मेरी माँ ने जो किया है, उसमें मेरा कोई दोष नहीं है। मैं राम के पास जाऊँगा और प्रार्थना करूँगा कि वे राजगद्दी सँभाले। मैं उनका दास बनकर रहूँगा। भरत बहुत उत्तेजित हो गए थे, जिसके कारण वे स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख सके। उनकी बोलते-बोलते साँस फूलने लगी और वे चकराकर धरती पर गिर गए।

5. भरत को विशाल सेना के साथ आते हुए देखकर लक्ष्मण को क्या संदेह हुआ?

उत्तर लक्ष्मण चित्रकूट पहाड़ी पर पर्णकुटी के बाहर पहरा दे रहे थे। जब उन्होंने कोलाहल सुना तथा आसमान में धूल उड़ती हुई देखी तब उन्होंने वृक्ष पर चढ़कर देखा कि एक विशाल सेना उनके आश्रम की ओर आ रही है। सेना का ध्वज अयोध्या का था। जब उन्होंने अयोध्या की विशाल सेना को अपनी ओर आते हुए देखा, तो उन्हें संदेह हुआ कि भरत सेना के साथ यहाँ आ रहे हैं। वे हमें मार डालना चाहते हैं जिससे वे एकछत्र राज्य कर सकें।

6. राम द्वारा अयोध्या वापस लौटने से मना करने पर भरत ने क्या विनती की?

उत्तर जब राम किसी भी प्रकार अयोध्या लौटने को तैयार न हुए, तो भरत ने विनती की कि आप नहीं लौटेंगे, तो मैं भी खाली हाथ नहीं जाऊँगा। आप मुझे अपनी खड़ाऊँ दे दें। मैं चौदह वर्ष तक इन्हीं खड़ाऊँ की आज्ञा से राजकाज चलाऊंगा। भरत का यह आग्रह राम ने स्वीकार कर लिया और अपनी खड़ाऊँ भरत को दे दी। भरत ने खड़ाऊँ को माथे से लगाया और कहा, चौदह वर्ष तक अयोध्या पर इन चरण पादुकाओं का शासन रहेगा। इसके पश्चात् सबको प्रणाम करके राम ने उन्हें चित्रकूट से विदा कर दिया।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 19 चित्रकूट में भरत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. माता कैकेयी और भरत में क्या बातचीत हुई?

उत्तर अयोध्या पहुँचते ही भरत सीधे राजा दशरथ के महल में गए। माँ कैकेयी ने भरत को गले से लगा लिया और पिता के निधन का समाचार दिया। भरत निधन का समाचार सुनते ही शोक में डूब गए। कैकेयी ने भरत को समझाया और अपने को सँभालने के लिए कहा। कैकेयी ने राजा दशरथ से लिए हुए वरदान के विषय में भी भरत को बताया और उससे राजगद्दी संभालने के लिए कहा। भरत बहुत क्रोधित हुए और चीखकर बोले माते! तुमने अनर्थ किया है, तुम अपराधिनी हो, मुझे ऐसा राज्य नहीं चाहिए। मैं राम को अयोध्या वापस लेकर आऊँगा ।

2. रानी कौशल्या ने भरत से क्या कहा?

उत्तर भरत अपनी सुध-बुध लौटने पर रानी कौशल्या के महल की ओर गए और उनसे लिपटकर बच्चों की तरह रोने लगे। उनके चरणों में गिर पड़े। कौशल्या राम के वन में चले जाने तथा महाराज दशरथ का देहांत हो जाने से आहत थी। उसने भरत से कहा- पुत्र तुम्हारी मनोकामना पूरी हो गई है। राम वन में है, अयोध्या का राज तुम्हारा है। कैकेयी ने जो तरीका अपनाया, वह अनुचित है। तुम राज करो पुत्र, पर मुझ पर एक दया करो। मुझे मेरे राम के पास भिजवा दो।

3. ‘चित्रकूट में भरत’ में वर्णित भरत की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए |

उत्तर ‘चित्रकूट में भरत’ में भरत के चरित्र में त्याग, भ्रातृप्रेम, कर्तव्यनिष्ठा और नीतिपालक गुण विशेष रूप से दिखाई देते हैं। भरत ने अयोध्या पर राज्य करने से मना कर दिया, क्योंकि परंपरा के अनुसार ज्येष्ठ भ्राता ही राजगद्दी का अधिकारी होता है।

भ्रातृप्रेम के कारण भरत राम को लेने वन गए और अयोध्या चलने का आग्रह किया। राम के न आने पर उन्होंने राम की खड़ाऊँ लाकर सिंहासन पर रखी तथा स्वयं राजगद्दी पर नहीं बैठे। तपस्वी के वेश में वे नंदीग्राम में रहकर राजकाज चलाते रहे। यह भरत की कर्त्तव्यनिष्ठा का उदाहरण है। उन्होंने नीति का सदैव पालन किया।’

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 20 दंडक वन में में दस वर्ष Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 20 दंडक वन में में दस वर्ष Question And Answers शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 20 दंडक वन में में दस वर्ष पाठ का सार

राम का चित्रकूट छोड़ना और दंडक वन जाना

राम की चरण पादुकाएँ लेकर भरत अयोध्या लौट आए थे। उनके साथ उनकी सेना और नगरवासी भी लौट आए थे। अयोध्या से चित्रकूट चार दिन में ही पहुँचा जा सकता था। लोग राम से अनेक तरह के प्रश्न पूछने और राय माँगने चित्रकूट आ जाते थे। यह राम को राजकाज में हस्तक्षेप की तरह लगता था। अतः राम ने चित्रकूट से दूर चले जाने का निश्चय किया।

राम, लक्ष्मण और सीता तीनों अत्रि मुनि से विदा लेकर चित्रकूट से दंडक वन की ओर चल पड़े। दंडक वन एक घना जंगल था, जिसमें अनेक तपस्वियों के आश्रम थे।

यहाँ राक्षस भी अत्यधिक थे, जो ऋषि-मुनियों को कष्ट देते थे और अनुष्ठानों में विघ्न डालते थे। मुनियों ने राम से मायावी राक्षसों से रक्षा करने के लिए कहा। सीता का विचार था कि राम अकारण ही राक्षसों का वध न करें, क्योंकि उन्होंने राम का कोई अहित नहीं किया है। राम ने उन्हें समझाया कि ये राक्षस मायावी हैं, इन राक्षसों का विनाश उचित है।

राम, लक्ष्मण और सीता दंडक वन में दस वर्ष रहे। वे तीनों स्थान और आश्रम बदलते हुए क्षरभंग मुनि के आश्रम में पहुँचे। वहाँ उन्होंने ऋषियों के कंकालों का ढेर देखा, जिन्हें राक्षसों ने मार दिया था। सुतीक्ष्ण मुनि ने भी राम को राक्षसों के अत्याचारों की कथा सुनाई और अगस्त्य ऋषि से मिलने की सलाह दी। मुनि ने राम को गोदावरी नदी के तट पर स्थित पंचवटी जाने के लिए कहा। राम, लक्ष्मण और सीता ने वनवास का शेष समय पंचवटी में बिताया था।

Read and Learn More Class 6 Hindi Question and Answers

राम की जटायु से भेंट और पंचवटी में सुंदर कुटिया का निर्माण

राम को पंचवटी जाते समय मार्ग में विशालकाय गिद्ध मिला, जिसका नाम जटायु था। जटायु को लक्ष्मण ने मायावी राक्षस समझा, परंतु जटायु ने बताया – मैं तुम्हारे पिता का मित्र हूँ। मुझसे मत डरो ! मैं आप लोगों के साथ माता सीता की भी रक्षा करूँगा।

पंचवटी पहुँचकर लक्ष्मण ने वहाँ सुंदर सी कुटिया का निर्माण किया ।। कुटी के आस-पास मनोरम दृश्य था। इस बीच राम राक्षसों का निरंतर संहार कर रहे थे। उन्होंने विराध राक्षस को भी मार डाला। राक्षसों का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया था। मुनिगण वहाँ शांति से तपस्या करने लगे।

शूर्पणखा का आगमन और लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा के नाक-कान काटना

एक दिन लंका के राजा रावण की बहन शूर्पणखा वहाँ एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर आई और राम के रूप पर मोहित होकर बोली कि वह उनसे विवाह करना चाहती है। राम ने अपना परिचय दिया, फिर सीता की ओर संकेत करते हुए बताया कि वे विवाहित हैं। राम के पूछने पर शूर्पणखा ने अपना परिचय दिया और बताया कि वह रावण और कुंभकर्ण की अविवाहित बहन है।

राम के मना करने पर शूर्पणखा लक्ष्मण के पास गई और उनसे विवाह के लिए कहा। लक्ष्मण ने शूर्पणखा को फिर राम के पास भेज दिया। शूर्पणखा इस प्रकार दोनों के बीच भागती रही। अंत में क्रोधित होकर उसने सीता पर हमला किया। यह देखकर लक्ष्मण ने तलवार से उसके नाक-कान काट दिए। खून से लथपथ शूर्पणखा अपने सौतेले भाइयों – खर और दूषण के पास पहुँची ।

वे राम-लक्ष्मण से बदला लेने उनके पास सेना लेकर युद्ध करने पहुँचे, परंतु दोनों युद्ध में मारे गए और कुछ राक्षस जान बचाकर भाग गए।

रावण द्वारा सीता हरण की योजना

भागने वाले राक्षसों में एक अकंपन राक्षस भी था। उसने रावण को जाकर पूरा विवरण बताया और सीता का अपहरण करने की सलाह दी। रावण सीता हरण के लिए चला, तो रास्ते में उसे मारीच मिला। मारीच राम की वीरता और शौर्य से परिचित था। उसने रावण से सीता हरण की योजना का विचार छोड़ने के लिए कहा।

रावण ने मारीच की बात स्वीकार कर ली और लंका लौट गया। शूर्पणखा रोती हुई रावण के पास पहुँची और लक्ष्मण द्वारा अपने नाक-कान काटे जाने की बात बताई। रावण पुनः मारीच के पास गया और उससे सहायता माँगी। मारीच ने रावण को फिर से किया, परंतु रावण नहीं माना। विवश होकर करने के लिए तैयार हो गया ।

रावण द्वारा साधु का वेश धारण करना

मायावी मारीच ने पंचवटी के पास आकर सोने के हिरण का रूप धारण कर लिया। वह राम, लक्ष्मण और सीता की कुटिया के आस-पास घूमने लगा। रावण एक तपस्वी का वेश बनाकर एक पेड़ के पीछे छिप गया। सीता उस सुंदर हिरण पर मुग्ध हो गई और राम से उसे पकड़कर लाने को कहा।

राम-लक्ष्मण को सोने का हिरण देखकर संदेह हुआ, परंतु सीता की इच्छा जानकर राम, सीता के लिए सोने का हिरण लेने चले गए। राम ने लक्ष्मण को सीता की रक्षा करने तथा उसे अकेला न छोड़ने का आदेश दिया। लक्ष्मण ने स्वीकार किया और धनुष लेकर कुटी के बाहर खड़े हो गए।

शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 6 दंडक वन में में दस वर्ष Question And Answers शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 20 दंडक वन में में दस वर्ष बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. चित्रकूट अयोध्या से कितने दिन की दूरी पर था ?

(क) 2 दिन
(ख) 4 दिन
(ग) 6 दिन
(घ) 7 दिन

उत्तर (ख) 4 दिन

2. दंडक वन में किसके अधिक आश्रम थे?

(क) तपस्वियों के
(ख) साधु-संतों के
(ग) ऋषियों के
(घ) ये सभी

उत्तर (घ) ये सभी

3. क्षरभंग मुनि का आश्रम कहाँ पर था ?

(क) दंडक वन में
(ख) चित्रकूट में
(ग) नासिक में
(घ) पंचवटी वन में क

उत्तर (क) दंडक वन में

4. रावण व कुंभकर्ण की बहन कौन थी?

(क) सुलोचना
(ख) मांडवी
(ग) माया
(घ) शूर्पणखा

उत्तर (घ) शूर्पणखा

5. माया से सुंदर स्त्री का रूप बनाकर शूर्पणखा किसके पास गई थी?

(क) लक्ष्मण के
(ख) सीता के
(ग) राम के
(घ) ये सभी

उत्तर (ग) राम के

6. मारीच ने कौन – सा मायावी रूप धारण किया?

(क) सिंह का
(ख) मृग का
(ग) चीते का
(घ) खरगोश का

उत्तर (ख) मृग का

7. मारीच किसका पुत्र था ?

(क) तारा का
(ख) शूर्पणखा का
(ग) मंदोदरी का
(घ) ताड़का का

उत्तर (घ) ताड़का का

8. राम को कुटिया से निकलता हुआ देखकर कौन कुलाचें भरने लगा?

(क) हिरण
(ख) चिड़िया
(ग) मोरनी
(घ) कोयल

उत्तर (क) हिरण

9. कुटिया से निकलते हुए राम ने लक्ष्मण को क्या आदेश दिया था ?

(क) फल-फूल इकट्ठा करना
(ख) लकड़ियाँ काटना
(ग) सीता की रक्षा करना
(घ) ये सभी

उत्तर (ग) सीता की रक्षा करना

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 20 दंडक वन में में दस वर्ष रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. अयोध्यावासियों के लौट जाने पर __________ में शांति हो गई।

उत्तर अयोध्यावासियों के लौट जाने पर चित्रकूट में शांति हो गई ।

2. तीनों ‘से आज्ञा लेकर दंडक वन की ओर चले।

उत्तर तीनों अत्रि ऋषि से आज्ञा लेकर दंडक वन की ओर चले।

3. दंडक वन में ________ राक्षस रहते थे।

उत्तर दंडक वन में मायावी राक्षस रहते थे।

4. _______ मुनि ने ऋषियों के कंकाल का ढेर दिखाया, जिन्हें _______ ने मार डाला था।

उत्तर क्षरभंग मुनि ने ऋषियों के कंकाल का ढेर दिखाया, जिन्हें राक्षसों ने मार डाला था।

5. क्रोध में आकर __________ ने सीता पर हमला किया।

उत्तर क्रोध में आकर शूर्पणखा ने सीता पर हमला किया।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 20 दंडक वन में में दस वर्ष अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. दंडक वन के मुनियों ने राम का स्वागत करते हुए उनसे क्या कहा?

उत्तर दंडक वन के मुनियों ने राम का स्वागत करते हुए कहा- “आप दुष्ट मायावी राक्षसों से हमारी रक्षा करें और आश्रम को अपवित्र होने से बचाएँ।”

2. राम ने दैत्यों केसंहार के विषय में सीता को क्या समझाया ?

उत्तर राम ने दैत्यों के संहार के विषय में सीता को समझाया कि “सीते! राक्षसों का विनाश ही उचित है, वे मायावी हैं। ”

3. दंडक वन में तीनों वनवासी कितने वर्ष तक रहे?

उत्तर दंडक वन में तीनों वनवासी दस वर्ष तक रहे।

4. तीनों वनवासी मुनि अत्रि से विदा लेकर किस ओर चल पड़े?

उत्तर तीनों वनवासी मुनि अत्रि से विदा लेकर दंडक वन की ओर चल पड़े।

5. क्षरभंग मुनि के आश्रम पहुँचने के बाद राम ने क्या देखा?

उत्तर क्षरभंग मुनि के आश्रम पहुँचने पर राम ने हड्डियों का ढेर देखा, जो ऋषियों के कंकाल थे।

6. सुतीक्ष्ण मुनि ने राम को क्या सलाह दी ?

उत्तर सुतीक्ष्ण मुनि ने राम को अगस्त्य ऋषि से मिलने की सलाह दी। अगस्त्य ऋषि विंध्यांचल पार करने वाले पहले ऋषि थे।

7. पंचवटी के मार्ग में जटायु को देखकर कौन डर गया ?

उत्तर पंचवटी के मार्ग में जटायु को देखकर सीता डर गई ।

8. अकंपन कौन था?

उत्तर अकंपन खर-दूषण की सेना का एक मायावी राक्षस था ।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 20 दंडक वन में में दस वर्ष लघु उत्तरीय प्रश्न

1. चित्रकूट में पुन: शांति कब लौट आई ?

उत्तर भरत के साथ नगरवासी वापस अयोध्या लौट गए। उनके साथ ही उनकी चतुरंगिणी सेना भी धूल उड़ाती हुई वापस चली गई। उनके जाते ही कोलाहल समाप्त हो गया और चित्रकूट में फिर से शांति लौट आई।

2. राक्षसों के संहार के विषय में सीता के क्या विचार थे?

उत्तर मुनियों ने राम से दुष्ट राक्षसों से अपनी रक्षा करने की सहायता माँगी, ने परंतु सीता चाहती थीं कि राम अकारण राक्षसों का वध न करें। उनका कहना था कि जिन्होंने कोई अहित नहीं किया है, उन्हें न मारें। राम ने बताया कि वे मायावी हैं, इसलिए उनका विनाश उचित है।

3. जटायु कौन था? उसने राम से क्या कहा ?

उत्तर राम को पंचवटी के मार्ग में विशालकाय गिद्ध मिला। उसका नाम जटायु था। जटायु ने बताया कि मैं तुम्हारे पिता का मित्र हूँ।
वन में तुम्हारी सहायता करूँगा । आप दोनों जब बाहर जाएँगे, तो सीता की रक्षा करूँगा।

4. रावण मारीच के पास क्यों गया? उसने रावण को क्या समझाया ?

उत्तर रावण को अकंपन ने राम की विलक्षण शक्तियों तथा शूर्पणखा के नाक-कान कटने के बारे में बताया तथा राम को हराने का उपाय भी सुझाया। रावण राम से बदला लेने के लिए सीता हरण के लिए तैयार हो गया।

वह ताड़का के पुत्र मारीच के पास सहायता माँगने गया। मारीच भी राम की शक्ति से पूर्व परिचित था। उसने रावण को समझाया कि सीता हरण करना अपने विनाश को आमंत्रण देना है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 20 दंडक वन में में दस वर्ष दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. राम चित्रकूट में क्यों नहीं रहना चाहते थे?

उत्तर चित्रकूट अयोध्या के बहुत समीप था। अयोध्या से चित्रकूट केवल चार दिन में पहुँचा जा सकता था। अयोध्या से लोगों का आना-जाना लगा रहता था। लोग आते और राम से राय लेते, प्रश्न पूछते । राम को लगा कि इस प्रकार यहाँ रहने से व राय देने से राजकाज में हस्तक्षेप होगा। राम-लक्ष्मण ने उस वन को राक्षसों से भयमुक्त कर दिया था। अब ऋषि-मुनि निर्विघ्न तपस्या करते थे। इन दोनों कारणों को ध्यान में रखते हुए राम अब और चित्रकूट में नहीं रहना चाहते थे।

2. शूर्पणखा कौन थी? वह राम-लक्ष्मण के पास क्यों आई थी?

उत्तर शूर्पणखा रावण की छोटी बहन थी । उसका अभी तक विवाह नहीं हुआ था। एक दिन पंचवटी में कुटी के बाहर राम, सीता और लक्ष्मण तीनों बैठे हुए थे। पंचवटी के प्राकृतिक सौंदर्य को निहार रहे थे। तभी शूर्पणखा वहाँ आई और राम के सौंदर्य को देखकर उन पर मोहित हो गई, उसने स्वयं को पानी में देखा। उसका चेहरा विकृत था, मुँह झुर्रियों से भरा हुआ था। वह राम को किसी भी प्रकार पाना चाहती थी। उसने माया से एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर लिया। सुंदर स्त्री के रूप में शूर्पणखा राम के पास गई और उसने अपने साथ राम के विवाह का प्रस्ताव रखा।

3. शूर्पणखा के नाक-कान कटे हुए देखकर खर-दूषण ने क्या किया?

उत्तर खर-दूषण रावण के सौतेले भाई थे। वे दोनों उसी वन में रहते थे। खून से लथपथ कटे नाक-कान के साथ शूर्पणखा खर-दूषण के पास गई। दोनों बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने चौदह राक्षस शूर्पणखा के साथ राम-लक्ष्मण से बदला लेने के लिए भेजे। निर राम ने सभी राक्षसों को मार डाला। शूर्पणखा वापस खर-दूषण के पास लौटी। अब पूरी सेना के साथ खर-दूषण राम से युद्ध करने आए। घमासान युद्ध हुआ। खर दूषण दोनों अपनी सेना के साथ मारे गए। कुछ राक्षस बचे, वे जान बचाकर वहाँ से भाग गए।

4. क्या शूर्पणखा के प्रति लक्ष्मण द्वारा किया गया व्यवहार उचित था? उन्हें शूर्पणखा के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए था?

उत्तर शूर्पणखा राम के रूप पर मोहित हो गई थी। वह उनसे विवाह करना चाहती थी। शूर्पणखा के विवाह के प्रस्ताव रखने पर राम ने उसे लक्ष्मण के पास भेज दिया।

कई बार दोनों के पास इधर-उधर चक्कर काटने के कारण उसने क्रोध में आकर सीता पर हमला किया। शूर्पणखा का यह व्यवहार अनुचित था ।

लक्ष्मण ने शूर्पणखा के नाक-कान काट दिए। मेरे अनुसार लक्ष्मण का यह व्यवहार भी अनुचित था। उन्हें शूर्पणखा को समझाना चाहिए था। किसी भी प्रकार से शूर्पणखा को समझाना ही उचित व्यवहार था, क्योंकि राम और लक्ष्मण कुलीन और उच्च वंश के थे।

5. मारीच द्वारा समझाने के बाद एक बार सीता हरण का विचार छोड़ देने पर पुन: रावण सीता हरण के लिए क्यों तैयार हो गया?

उत्तर रावण शूर्पणखा के नाक-कान काटे जाने व खर-दूषण का वध किए जाने का समाचार मिलने पर कूटनीति से सीता का हरण कर राम से बदला लेना चाहता था। इस उद्देश्य से वह मारीच के पास पहुँचा, किंतु मारीच पहले से ही राम की विलक्षण शक्तियों से परिचित था । उसने रावण को समझाया कि राम से शत्रुता मोल लेने का अर्थ अपने विनाश को आमंत्रण देना है।

रावण मारीच की बात सुनकर वापस लंका लौट आया, परंतु थोड़ी देर बाद ही रावण की बहन शूर्पणखा चीखती-चिल्लाती उसके पास आई तथा उसे ललकारते हुए कहने लगी कि तेरे महाबली होने का क्या लाभ? तेरे होते हुए तेरी बहन की यह दुर्गति हो रही है।

राम-लक्ष्मण ने मेरे नाक-कान काट दिए हैं तेरा यह बल किस दिन के लिए है? तू अब किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहा है। शूर्पणखा की इस ललकार को सुनकर रावण राम व लक्ष्मण से बदला लेने को तैयार हो गया तथा उसने पुनः सीता हरण का विचार बनाया।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 22 सीता की खोज Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 22 सीता की खोज Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 22 सीता की खोज पाठ का सार

राम का आशंकित होना

मायावी सोने का हिरण बने मारीच के मरते समय उसके मुख से अपनी ही आवाज में सीता व लक्ष्मण को अपनी सहायता के लिए पुकारते हुए सुनते ही राम संदेह से भरे कुटिया की ओर भागे चले जा रहे थे कि कहीं लक्ष्मण सीता को अकेला छोड़कर न आ जाए। मार्ग में उन्होंने पगडंडी पर लक्ष्मण को आते हुए देखा। उनकी अनिष्ट की आशंका और बढ़ गई तथा राम को लक्ष्मण पर कुटिया में सीता को अकेले छोड़ आने पर क्रोध आया।

लक्ष्मण ने राम को कहा कि मुझे पता था कि आप सकुशल होंगे, परंतु सीता के कटु वचन और उलाहने ने मुझे आपके पास आने के लिए विवश कर दिया। राम-लक्ष्मण दोनों जल्दी कुटिया की ओर चल पड़े। जब कुटिया दूर से ही दिखाई देने लगी तो राम ने दूर से ही सीता को पुकारा- सीते! तुम कहाँ हो? कोई उत्तर न पाकर उनकी बेचैनी बढ़ गई। राम भागते हुए आश्रम पहुँचे, सीता का कहीं पता न चला। शोक से राम व्याकुल हो गए। सीता से बिछुड़ना उनके लिए असहनीय था ।

Read and Learn More Class 6 Hindi Question and Answers

राम द्वारा सीता की खोज

राम, सीता को पेड़ों और झाड़ियों के पीछे खोजते खोजते गोदावरी नदी के तट पर पहुँच गए। पंचवटी के एक-एक वृक्ष के पास गए। इतना ही नहीं, वे प्रकृति की हर वस्तु से सीता का पता पूछते रहे। वे भूल गए कि प्रकृति बात नहीं कर सकती। राम, सीता के वियोग में शोक में संतप्त थे। उनकी मानसिक स्थिति विक्षिप्त जैसी थी। लक्ष्मण से राम का दुःख देखा नहीं जा रहा था। राम विलाप कर रहे थे कि मैं सीता के बिना अयोध्या वापस कैसे लौट सकता हूँ? मैं वहाँ नहीं जाऊँगा । उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि लक्ष्मण तुम अयोध्या जाओ और मुझे यहीं छोड़ दो।

राम का दुःख लक्ष्मण से देखा नहीं गया। लक्ष्मण राम के निकट आए और बोले कि आप आदर्श पुरुष हैं, आपको धैर्य रखना चाहिए, हम मिलकर माता सीता की खोज करेंगे। माता सीता जहाँ भी होंगी, हमारी प्रतीक्षा कर रही होंगी। इसी बीच आश्रम के आस-पास घूमने वाला हिरणों का झुंड भी उनके निकट आ गया।

राम को लगा कि हिरण सीता के बारे में जानते हैं। राम ने हिरणों से सीता के बारे में पूछा। हिरणों ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा और दक्षिण दिशा की ओर भाग गए। राम ने उनका संकेत समझ लिया और सीता की खोज में दक्षिण दिशा की ओर चल दिए।

राम-लक्ष्मण की जटायु से भेंट

वन में दोनों भाइयों को टूटे हुए रथ के टुकड़े दिखाई दिए। ऐसा लग रहा था कि कुछ देर पहले यहाँ संघर्ष हुआ है। सीता की वेणी में गुँथी पुष्पमाला वहीं मिली। राम को लगा कि सीता राक्षसों के चंगुल में फँस गई है।

संघर्ष के समय ही माला टूटकर गिरी होगी। थोड़ी दूर जाने पर उन्हें गिद्धराज जटायु दिखाई दिया। उसके पंख कटे हुए थे। वह खून से लथपथ था। उसने राम को बताया कि रावण सीता को उठा ले गया है। सीता का विलाप सुनकर मैंने रावण को चुनौती दी और उसका रथ तोड़ दिया तथा रावण को भी घायल कर दिया, परंतु मैं सीता को नहीं बचा सका।

रावण उन्हें लेकर दक्षिण दिशा की ओर उड़ गया। यह कहते कहते जटायु ने अपने प्राण त्याग दिए। राम को यह सब सुनकर बहुत दुःख – भैया हमें जटायु हुआ। लक्ष्मण ने उन्हें विलाप करते हुए देखकर कहा- का अंतिम संस्कार करके तुरंत दक्षिण दिशा की ओर जाना चाहिए तथा वे दोनों उसी दिशा की ओर चल दिए ।

कबंध का राम से आग्रह

दोनों राजकुमार वन के कठिन मार्ग को पार करते हुए दक्षिण दिशा की ओर आगे बढ़े। यात्रा के प्रारंभ में ही कबंध राक्षस ने उन पर आक्रमण कर दिया। कबंध देखने में बहुत भयानक था। उसकी गर्दन नहीं थी, केवल एक आँख थी, दाँत बाहर निकले हुए थे। जीभ साँप की तरह लंबी और लपलपाती हुई थी। वह राक्षस मोटे मांसपिंड जैसा लगता था । उसने राम-लक्ष्मण को एक-एक हाथ से हवा में उठा दिया, जब तक वह दोनों को अपने मुँह तक ले जाता, राम-लक्ष्मण ने तलवार से उसके दोनों हाथ काट दिए। राम-लक्ष्मण की शक्ति और बुद्धि देखकर कबंध आश्चर्यचकित रह गया। उसने उन दोनों का परिचय जाना ।

राम को अपने सामने देखकर उसने उन्हें अपनी अंतिम इच्छा बताई और आग्रह किया कि राम ही उसका अंतिम संस्कार करें। राम ने सहज रूप से अपनी स्वीकृति दे दी।

कबंध द्वारा राम-लक्ष्मण का मार्गदर्शन किया जाना

कबंध ने सीता की खोज में सहायता के उद्देश्य से राम-लक्ष्मण को पंपा सरोवर के निकट ऋष्यमूक पर्वत पर जाने की सलाह दी। ऋष्यमूक पर्वत वानरराज सुग्रीव का क्षेत्र है। वह वहाँ निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उसने यह भी बताया कि सुग्रीव के पास वानरों की सेना है। सुग्रीव सीता को अवश्य खोज निकालेंगे।

कबंध ने अपना अंत होते देखकर उन्हें पंपा सरोवर के पास ही मतंग ऋषि के आश्रम जाने की सलाह भी दी और उसने आश्रम में शबरी से
मिलने के लिए भी कहा। कबंध के मर जाने पर राम ने उसका अंतिम संस्कार किया और वे दोनों पंपा सरोवर की ओर चल पड़े।

शबरी द्वारा राम को सलाह देना

राम पंपा सरोवर में मतंग ऋषि के आश्रम में शबरी के पास गए। वह ऋषि कन्या थी। वह वृद्धा थी। ऋषि ने उसे बताया था कि राम आश्रम में एक दिन अवश्य आएँगे और उससे अवश्य मिलेंगे।

राम को आश्रम में देखकर शबरी बहुत प्रसन्न हुई, उसने उनका आदर-सत्कार किया और मीठे फल खाने के लिए भी दिए। शबरी ने राम को सुग्रीव से मित्रता करने की सलाह दी। अगले दिन राम ऋष्यमूक पर्वत की ओर चल पड़े।

शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 8 सीता की खोज Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 22 सीता की खोज बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. राम, सीता की रखवाली के लिए किसे छोड़कर आए थे?

(क) हनुमान को
(ख) लक्ष्मण को
(ग) मारीच को
(घ) जटायु को

उत्तर (ख) लक्ष्मण को

2. कुटिया पहुँचकर राम किसे पुकार रहे थे?

(क) भरत
(ख) लक्ष्मण
(ग) रावण
(घ) सीता

उत्तर (घ) सीता

3. टूटे रथ के पास क्या मिला?

(क) पादुकाएँ
(ख) पुष्पमाला
(ग) तलवार
(घ) आभूषण

उत्तर (ख) पुष्पमाला

4. विरह में राम कौन-सी नदी पर गए थे?

(क) सरस्वती नदी
(ख) यमुना नदी
(ग) गोदावरी नदी
(घ) सई नदी

उत्तर (ग) गोदावरी नदी

5. कबंध कौन था?

(क) किसान
(ख) वनवासी
(ग) मायावी राक्षस
(घ) ऋषि

उत्तर (ग) मायावी राक्षस

6. पंपा सरोवर के पास किसका आश्रम था?

(क) महर्षि भारद्वाज का
(ख) महर्षि मतंग का
(ग) महर्षि विश्वामित्र का
(घ) महर्षि वाल्मीकि का

उत्तर (ख) महर्षि मतंग का

7. शबरी ने राम को किससे मित्रता करने को कहा?

(क) सुग्रीव से
(ख) विभीषण से
(ग) बाली से
(घ) रावण से

उत्तर (क) सुग्रीव से

8. ऋष्यमूक पर्वत किस वानरराज का क्षेत्र था?

(क) सुग्रीव का
(ख) बाली का
(ग) हनुमान का
(घ) जामवंत का

उत्तर (क) सुग्रीव का

9. रावण सीता को कहाँ ले गया था?

(क) स्वर्ग
(ख) पाताल
(ग) लंका
(घ) अयोध्या

उत्तर (ग) लंका

10. बिना गर्दन, एक आँख और एक योजन लंबी भुजा वाले राक्षस का क्या नाम था ?

(क) अकंपन
(ख) खर
(ग) कबंध
(घ) सारथी

उत्तर (ग) कबंध

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 22 सीता की खोज रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. राम ने मार्ग में _________ को आते देखा और कहा, तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन करके अच्छा नहीं किया।

उत्तर राम ने मार्ग में लक्ष्मण को आते देखा और कहा, तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन करके अच्छा नहीं किया ।

2. कुटिया में ___________ न थी। ___________ हे सीते! हे सीते! पुकारते रहे।

उत्तर कुटिया में सीता न थी। राम हे सीते! हे सीते! पुकारते रहे।

3. राम के पूछने पर _________ ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा और _______ की ओर भाग गए।

उत्तर राम के पूछने पर हिरणों ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा और दक्षिण दिशा की ओर भाग गए।

4. वन में भटकते हुए राम-लक्ष्मण को टूटे हुए __________ के टुकड़े मिले।

उत्तर वन में भटकते हुए राम-लक्ष्मण को टूटे हुए रथ के टुकड़े मिले।

5. कुछ ही दूर पर पक्षिराज ‘मिले, जिसके रावण ने पंख काट दिए थे।

उत्तर कुछ ही दूर पर पक्षिराज जटायु मिले, जिसके रावण ने पंख काट दिए थे।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 22 सीता की खोज अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. कुटिया की ओर भागे चले आ रहे राम के मन में कौन-सी आशंकाएँ थीं?

उत्तर कुटिया की ओर भागे चले आ रहे राम के मन में मारीच की माया और सीता की सुरक्षा को लेकर अनेक आशंकाएँ थीं।

2. राम जब कुटिया की ओर भागे जा रहे थे, तब उन्होंने किसे पगडंडी से आते देखा ?

उत्तर राम जब कुटिया की ओर भागे जा रहे थे, तब उन्होंने लक्ष्मण को पगडंडी से आते देखा।

3. राम को सीता वियोग में विलाप करते देख लक्ष्मण ने उनसे क्या कहा?

उत्तर राम को सीता वियोग में विलाप करते देख लक्ष्मण ने राम से कहा कि आप धैर्य रखिए हम सीता को ढूँढ निकालेंगे।

4. राम ने जब लक्ष्मण को अयोध्या लौट जाने को कहा, तब उसने क्या कहा?

उत्तर राम ने जब लक्ष्मण को अयोध्या लौट जाने को कहा, तब उसने कहा – ” आप आदर्श पुरुष हैं। आपको धैर्य रखना चाहिए। इस तरह दुःख से कातर नहीं होना चाहिए। हम मिलकर सीता की खोज करेंगे। वे जहाँ भी होंगी, हम उन्हें ढूंढ निकालेंगे।”

5. यात्रा के दौरान एक दिन राम-लक्ष्मण पर किसने आक्रमण किया?

उत्तर यात्रा के दौरान एक दिन राम-लक्ष्मण पर विशालकाय राक्षस कबंध ने आक्रमण किया।

6. शबरी ने राम को किससे मिलने की सलाह दी ?

उत्तर शबरी ने राम को सुग्रीव से मिलने की सलाह दी।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 22 सीता की खोज लघु उत्तरीय प्रश्न

1. राम जल्दी वापस क्यों लौटना चाहते थे?

उत्तर राम मारीच की माया को समझ चुके थे। वह उन्हें छल से कुटिया से भय से वे चिंतित थे। उन्हें दूर ले गया था। सीता के अनिष्ट के अकेले सीता को राक्षसों द्वारा मारने का डर था, इसलिए वे शीघ्रता से वापस लौटना चाहते थे।

2. लक्ष्मण को आता देखकर राम क्यों क्रोधित हुए?

उत्तर लक्ष्मण को आता देखकर जिस बात का उन्हें डर था वही होता हुआ देखकर क्रोधित हुए। उन्हें डर था कि अकेली सीता दुष्ट राक्षसों का सामना कैसे कर पाएँगी। राक्षस उस पर हमला कर देंगे और वह उनका सामना नहीं कर पाएँगी।

3. राम के क्रोधित होने पर लक्ष्मण ने अपना पक्ष किस प्रकार रखा?

उत्तर राम के क्रोधित होने पर लक्ष्मण ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मेरे मन में आपकी सुरक्षा के प्रति कोई संदेह नहीं था। मैं जानता था आप सकुशल होंगे, परंतु देवी सीता के कटु वचन में सह नहीं सका। उनके कटाक्ष और उलाहने मेरे लिए असहनीय थे। मैं आपके पास आने को विवश हो गया था।

4. राम ने परिहास करने वाली बात क्यों कही?

उत्तर कुटिया पहुँचने के बाद जब राम ने सीता को नहीं देखा, तब राम को लगा कि सीता उनके साथ लुका-छुपी खेल रही है। इस कारण राम ने परिहास करने वाली बात कही।

5. सीता की खोज में भटकते हुए राम-लक्ष्मण ने क्या-क्या देखा ?

उत्तर सीता की खोज में भटकते हुए, मार्ग में राम-लक्ष्मण ने रथ के टुकड़े, मरा हुआ सारथी और मरे हुए घोड़े देखे। वहीं उन्हें सीता के बालों के साथ गुँथी पुष्पमाला भी पड़ी मिली। थोड़ी दूरी पर उन्होंने पक्षिराज जटायु को देखा। उसके पंख कटे हुए थे, वह खून से लथपथ था। जटायु ने सीता के बारे में उन्हें महत्त्वपूर्ण जानकारी दी।

6. राम ने सीता की खोज के लिए दक्षिण दिशा की ओर जाने का निश्चय क्यों किया?

उत्तर सीता के वियोग में राम जब विलाप कर रहे थे, उसी समय आश्रम के आस-पास घूमने वाले हिरणों का एक झुंड उनके समीप आया। राम को लगा कि वे हिरण संभवतः सीता के बारे में कुछ जानते हैं। राम ने उनसे सीता के विषय में पूछा। हिरणों ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा एवं दक्षिण दिशा की ओर भाग गए। राम ने उनका यह संकेत समझ लिया और सीता की खोज में दक्षिण दिशा की ओर जाने का निश्चय किया।

7. कबंध कौन था? उसने राम से क्या आग्रह किया?

उत्तर कबंध एक विशालकाय राक्षस था। वह देखने में बहुत भयानक और मांसपिंड जैसा था, उसकी एक आँख थी, दाँत बाहर निकले हुए थे, जीभ लंबी साँप की तरह लपलपाती हुई थी। उसने राम व लक्ष्मण पर आक्रमण किया था। जब राम व लक्ष्मण ने उसके दोनों हाथ काट दिए तब राम का परिचय पाकर उसने अपना अंतिम संस्कार करने का आग्रह राम से किया था।

8. जटायु ने सीता को बचाने के लिए क्या किया?

उत्तर जटायु ने सीता को रावण से बचाने के लिए उसके साथ युद्ध किया। उसका रथ गिरा दिया। सारथी व उसके घोड़ों को मार गिराया। रावण को भी घायल कर दिया, लेकिन दुर्भाग्य से जटायु सीता को बचा नही सका।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 22 सीता की खोज दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. सीता के कुटिया में न मिलने पर राम की मनोदशा का वर्णन कीजिए ।

उत्तर मायावी हिरण राम को कुटिया से बहुत दूर ले गया था। हिरण के मरते ही वे वापस कुटिया की ओर लौटने लगे। मार्ग में लक्ष्मण को आते देख उनका मन सीता के प्रति अनिष्ट की आशंका से भर गया। कुटिया दूर से ही दिखने लगी थी।

राम ने दूर से सीता को पुकारा, पर कोई उत्तर न मिला। सीता को वहाँ न पाकर राम बेचैन हो गए। राम की आवाज पेड़ों से टकराकर हवा में लुप्त हो जाती थी। राम ने सीता को हर स्थान पर देखा, जहाँ भी वे जा सकती थीं। वे पेड़-पौधों, पत्थरों एवं चट्टानों से भी सीता के विषय में पूछ रहे थे। सीता से बिछुड़कर राम की मानसिक स्थिति विक्षिप्त जैसी हो गई। वे शोक से व्याकुल हो गए थे।

2. राम ने सीता के न मिलने पर उसके बारे में किस-किस से पूछा ?

उत्तर सीता को कुटिया में न पाकर राम का मन बहुत विचलित हो उठा। वह पूरे वन में सीता को ढूंढते रहे। वह वन में हर एक पेड़, फूल, नदियाँ आदि सभी से सीता का पता पूछ रहे थे, लेकिन किसी से भी पूछने पर उन्हें कोई जवाब नहीं मिलता था। वह सीता के विरह के दुःख में यह भूल गए थे कि पेड़, फूल, चट्टानें आदि बोलते नहीं हैं।

वन के एक मृग समूह ने फिर उन्हें संकेतों द्वारा सीता का पता बताया। मृग समूह ने यह बताया कि सीता किस दिशा की ओर गई है। तत्पश्चात् जटायु, कबंध, शबरी और सुग्रीव ने उनके सवालों को सुनकर उन्हें थोड़ी-बहुत जानकारी दी।

3. सीता की खोज करते हुए राम-लक्ष्मण को घायल स्थिति में कौन मिला? उसने सीता के बारे में क्या जानकारी दी ?

उत्तर सीता की खोज करते हुए राम-लक्ष्मण को घायल अवस्था में जटायु मिला। जटायु रावण से युद्ध करते हुए घायल हो गया था। रावण जब सीता का हरण कर उसे रथ में बैठाकर आकाश मार्ग से ले जा रहा था तथा सीता अपनी रक्षा के लिए पुकार रही थीं, तभी जटायु ने सीता की रक्षा करने के लिए तथा उसे रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए रावण पर आक्रमण कर दिया, लेकिन रावण ने उसे घायल कर उसके पंख काट दिए थे।

राम-लक्ष्मण से जटायु की भेंट होने पर जटायु ने उन्हें बताया कि रावण सीता का हरण कर उसे दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर ले गया है। सीता उस समय बहुत दुःखी थीं तथा विलाप कर रही थीं। वह रावण के चंगुल से छूटने की पूरी कोशिश कर रही थीं।

4. शबरी कौन थी ? उनकी और राम की भेंट का वर्णन कीजिए।

उत्तर शबरी मतंग ऋषि की शिष्या थीं। वह पंपा सरोवर के पास बने मतंग ऋषि के आश्रम में रहती थीं। वह वृद्धा थीं, लेकिन उसकी आँखें हर पल राम की प्रतीक्षा में द्वार पर लगी रहती थीं। ऋषि ने उसे बताया था कि राम एक दिन अवश्य उनसे मिलने आएँगे।

राम को अपने आश्रम में देखकर शबरी बहुत प्रसन्न हुई । उसने राम-लक्ष्मण की सेवा की। दोनों को रहने के लिए स्थान दिया और खाने के लिए मीठे फल दिए। राम के दर्शन करके शबरी की आँखें तृप्त हो गई। शबरी ने राम को आश्वस्त किया और सुग्रीव से मित्रता करने की सलाह भी दी।

5. शबरी ने राम को सीता को खोजने का क्या मार्ग सुझाया ?

उत्तर कबंध के बताने पर राम शबरी की कुटिया तक पहुँचे थे। तब राम पंपा सरोवर के किनारे ऋष्यमूक पर्वत पर बनी मतंग ऋषि की कुटिया में पहुँचे, तो शबरी ने उन्हें सीता को खोजने का मार्ग बताया। शबरी ने राम को सुग्रीव से मित्रता करने की बात कही। शबरी ने राम को यह भी कहा कि सुग्रीव के पास विलक्षण स्वभाव की वानर सेना है। शबरी ने यह कहकर राम को आश्वस्त किया कि सुग्रीव सीता की खोज में उनकी मदद अवश्य करेंगे।

6. पशु-पक्षी मनुष्य की बोली नहीं बोल सकते, फिर भी मानवीय भावों को समझते हैं। हिरणों के झुंड ने राम को सीता के दक्षिण- दिशा की ओर जाने का संकेत करके सहायता की थी। अपने जीवन की कोई भी घटना लिखें, जब किसी पशु या पक्षी ने आपकी मदद की हो।

उत्तर पशु-पक्षी हम मनुष्यों की तरह बोल नहीं सकते, फिर भी मनुष्य के भावों को समझते हैं। मेरे घर में एक पालतू कुत्ता था। घर के अंदर किचन गार्डन बना हुआ था, जहाँ बहुत सी सब्जियाँ लगी रहती थीं।

एक रात न जाने कहाँ से जहरीला साँप वहाँ आ गया। मेरे पालतू कुत्ते ने उसे देखकर भौंकना प्रारंभ किया। लगातार भौंकने के कारण जब हम सब उठे और बाहर आए, तो देखा कि हमारा कुत्ता साँप के सामने खड़ा भौंक रहा था और साँप को कमरों की ओर नहीं आने दे रहा था। इस प्रकार, हमारे पालतू कुत्ते ने हमें साँप से बचाकर हमारी मदद की।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 21 सोने का का हिरण Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 21 सोने का का हिरण Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 21 सोने का का हिरण पाठ का सार

मायावी हिरण को पकड़ने का प्रयास

राम के कुटी से निकलते ही मायावी हिरण बहुत तेज दौड़ने लगा। राम उस हिरण का पीछा करते हुए कुटिया से बहुत दूर निकल गए। जैसे ही राम उसे पकड़ने का प्रयास करते, वह और दूर भाग जाता। राम किसी भी प्रकार से उस हिरण को नहीं पकड़ पा रहे थे। उनके सभी प्रयास विफल हो रहे थे। राम ने हिरण को जीवित पकड़ने का विचार छोड़ दिया।

उन्होंने अपना धनुष उठाया और उस हिरण पर निशाना साधा। बाण लगते ही हिरण गिर पड़ा और अपने असली रूप में आ गया। उसने अपना रूप ही नहीं, बल्कि अपनी आवाज़ भी राम जैसी बना ली थी। धरती पर गिरते ही वह राम की आवाज में चिल्लाया— हे सीते! हे लक्ष्मण ! वह इस प्रकार चिल्लाया, जैसे राम सहायता के लिए पुकार रहे हों और वह थोड़ी देर में मर गया। रावण एक पेड़ के पीछे सारी घटना देख रहा था। वह बहुत प्रसन्न था, क्योंकि उसकी चाल सफल हो गई थी।

सीता का राम की सहायता करने के लिए लक्ष्मण से अनुरोध

मारीच की आवाज सीता और लक्ष्मण दोनों ने सुनी। लक्ष्मण समझ गए कि यह कोई चाल है, परंतु सीता घबरा गई और उन्होंने लक्ष्मण को भाई की सहायता के लिए जाने को कहा। लक्ष्मण ने सीता को समझाया कि यह सब मायावी राक्षसों की चाल है, आप चिंता न करें, भईया राम को कुछ नहीं होगा। सीता के बार-बार अनुरोध करने पर भी जब वे नहीं गए तब अंत में वे लक्ष्मण पर क्रोधित हो गई और लक्ष्मण का राम की सहायता के लिए न जाना षड्यंत्र कहा ।

सीता की बातों से लक्ष्मण को आघात पहुँचा, फिर भी लक्ष्मण ने संयम बनाए रखा और सीता को समझाया कि खर-दूषण के मारे जाने के कारण राक्षस बौखला गए हैं। वे हमसे बदला लेना चाहते हैं, आप उनकी चाल में न आएँ। सीता को लक्ष्मण की बातें सही नहीं लगीं।

अंत में सीता ने कहा कि मैं राम से बिछुड़कर नहीं रह सकती। मैं उनसे बिछुड़ने पर जान दे दूंगी। हे लक्ष्मण! तुम जाओ और उन्हें ले आओ । लक्ष्मण सीता को प्रणाम कर राम की खोज में चल पड़े।

सीता हरण 

लक्ष्मण के जाते ही रावण ने साधु का रूप धारण किया। उसने तपस्वियों की तरह के वस्त्र पहने, जटाजूट धारण किया और सीता की कुटिया के बाहर आ पहुँचा। सीता ने साधु समझकर उसका स्वागत किया। रावण ने सीता के रूप, संस्कार और साहस की प्रशंसा करते हुए अपना परिचय दिया। मैं राक्षसों का राजा लंकापति रावण हूँ। तुम मेरी रानी बनकर लंका चलो। रावण की यह बात सुनकर सीता क्रोधित हो गईं और कहा, मैं राम की पत्नी हूँ। वे महाबलशाली हैं, तुम चले जाओ, नहीं तो तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा। सीता के अनसुनी करने पर उसने छल-कपट से सीता का हरण कर लिया। सीता स्वयं को असहाय पाकर विलाप करने लगीं।

मार्ग में जटायु का रावण पर आक्रमण करना

रावण का रथ जब लंका की ओर जा रहा था, तो मार्ग में सीता पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों, पर्वतों नदियों से कहती जा रही थीं कि कोई राम को रावण द्वारा उनके हरण किए जाने की बात बता दे । गिद्धराज जटायु ने सीता का विलाप सुना, तो उसने रावण के रथ पर हमला कर दिया।
बूढ़े गिद्धराज जटायु ने रावण के रथ को क्षत-विक्षत कर रावण को भी घायल कर दिया। क्रोध में आकर रावण ने जटायु के पंख काट दिए और पंखहीन जटायु धरती पर आ गिरा।

रावण का रथ टूट चुका था। अतः उसने सीता को अपनी बाँहों में दबाया और दक्षिण दिशा की ओर लेकर उड़ गया। सीता किसी भी प्रकार राम तक अपना समाचार पहुँचाना चाहती थीं। सीता ने अपने आभूषण उतारकर फेंकना प्रारंभ कर दिए, ताकि उनके मार्ग का पता राम को चल सके। वानरों ने आभूषण उठा लिए।

रावण द्वारा सीता को प्रभावित करने का प्रयास

रावण लंका पहुँचकर अपने धन-वैभव से सीता को प्रभावित करना चाहता था। उसने सीता को राक्षसियों की निगरानी में अंतःपुर में रखा और कहा कि मैं तुम्हें एक वर्ष का समय देता हूँ। निर्णय कर लो कि मेरी रानी बनोगी या सारा जीवन रोती रहोगी। सीता बार- बार रावण को धिक्कारती रहीं तथा राम का गुणगान करती रहीं। राम की प्रशंसा सुनकर तथा खर-दूषण की मृत्यु को याद कर रावण को लगा कि राम

अवश्य शक्तिशाली होगा। उसने तत्काल अपने सबसे बलिष्ठ आठ राक्षसों को बुलाकर पंचवटी जाने के लिए कहा और अवसर पाते ही राम-लक्ष्मण को मारने का आदेश भी दे दिया।

रावण ने अपनी योजना में परिवर्तन किया तथा सीता को अंतःपुर से निकालकर अशोक वाटिका में बंदी बनाया। उसने राक्षस राक्षसियों से सीता को शारीरिक कष्ट न पहुँचाकर केवल मानसिक कष्ट पहुँचाने के लिए कहा।

शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग' पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 7 सोने का का हिरण Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 21 सोने का का हिरण बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. रावण कहाँ का राजा था?

(क) अयोध्या का
(ख) किष्किंधा का
(ग) दक्षिण भारत का
(घ) लंका का

उत्तर (घ) लंका का

2. रावण किसके पीछे छिपकर खड़ा था?

(क) वृक्ष के पीछे
(ख) कुटिया के पीछे
(ग) रथ के पीछे
(घ) पहाड़ के पीछे

उत्तर (क) वृक्ष के पीछे

3. लक्ष्मण को किसकी बातों से गहरा आघात पहुँचा था ?

(क) शत्रुघ्न की बातों से
(ख) राम की बातों से
(ग) भरत की बातों से
(घ) सीता की बातों से

उत्तर (घ) सीता की बातों से

4. राक्षसों की अगली चाल का सामना करने के लिए कौन तैयार था ?

(क) लक्ष्मण
(ख) जटायु
(ग) राम
(घ) रावण

उत्तर (क) लक्ष्मण

5. रावण की चाल सफल बनाने में किसने अच्छी भूमिका निभाई थी?

(क) मारीच ने
(ख) शूर्पणखा ने
(ग) विभीषण ने
(घ) अकंपन ने

उत्तर (क) मारीच ने

6. रावण के रथ पर किसने हमला किया था?

(क) मारीच ने
(ख) लक्ष्मण ने
(ग) गिद्धराज जटायु ने
(घ) राम ने

उत्तर (ग) गिद्धराज जटायु ने

7. रावण ने सीता को अपनी रानी बनाने का कितना समय दिया था?

(क) 4 माह
(ख) 6 माह
(ग) 1 वर्ष
(घ) 2 वर्ष

उत्तर (ग) 1 वर्ष

8. अशोक वाटिका में सीता बार-बार किसका नाम लेती थी?

(क) राम का
(ख) रावण का
(ग) हनुमान का
(घ) लक्ष्मण का

उत्तर (क) राम का

9. मायावी हिरण के वेश में कौन था?

(क) रावण
(ख) मारीच
(ग) जामवंत
(घ) अकंपन

उत्तर (ख) मारीच

10. किसे कुटी से बाहर निकलते देखकर मायावी हिरण कुलांचे भरने लगा ?

(क) सीता को देखकर
(ख) लक्ष्मण को देखकर
(ग) राम को देखकर
(घ) रावण को देखकर

उत्तर (ग) राम को देखकर

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 21 सोने का का हिरण रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. राम को कुटी से निकलते देखकर ______ कुलाचें भरने लगा।

उत्तर राम को कुटी से निकलते देखकर मायावी हिरण कुलाचें भरने लगा।

2. मारीच राम की आवाज में चिल्लाया _________

उत्तर मारीच राम की आवाज में चिल्लाया— हे सीते! हे लक्ष्मण !

3. सीता के बार-बार अनुरोध करने पर _______ राम की खोज में निकल पड़े।

उत्तर सीता के बार-बार अनुरोध करने पर लक्ष्मण राम की खोज में निकल पड़े।

4. सीता के मुख से राम की प्रशंसा सुनकर रावण ने अपने ______________ बलिष्ठ __________ को पंचवटी भेजा।

उत्तर सीता के मुख से राम की प्रशंसा सुनकर रावण ने अपने आठ बलिष्ठ राक्षसों को पंचवटी भेजा।

5. रावण ने अपनी योजना बदलकर सीता को _____________ में बंदी बनाकर रखा।

उत्तर रावण ने अपनी योजना बदलकर सीता को अशोक वाटिका में बंदी बनाकर रखा।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 21 सोने का का हिरण अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. राम ने लक्ष्मण को क्या आदेश दिया था ?

उत्तर राम ने लक्ष्मण को उनके लौटने तक सीता की रक्षा करने का आदेश दिया था।

2. सोने का हिरण राम को कुटिया से दूर कैसे ले गया?

उत्तर सोने का हिरण राम के सामने से कुलाचें भरते हुए दूर निकल गया, जिसका पीछा करते हुए राम अपनी कुटिया से दूर चले गए।

3. राम ने हिरण को जीवित पकड़ने का विचार क्यों त्याग दिया ?

उत्तर राम ने हिरण को जीवित पकड़ने का विचार इसलिए त्याग दिया, क्योंकि वह हिरण को पकड़ने का जब भी प्रयास करते, वह और दूर भागकर चला जाता।

4. मारीच ने रूप के साथ और क्या बदला?

उत्तर मारीच ने रूप के साथ अपनी आवाज़ भी बदल ली थी। मारीच ने अपनी आवाज़ राम जैसी बना ली थी।

5. सीता के कटु शब्दों का लक्ष्मण पर क्या असर हुआ ?

उत्तर सीता की कटु बातों से लक्ष्मण को गहरा आघात पहुँचा। उनका हृदय छलनी हो गया, पर उन्होंने पलटकर उत्तर नहीं दिया और संयम बनाए रखा।

6. रावण को अकंपन की कौन-सी बात याद आई ?

उत्तर रावण को अकंपन की सीता का हरण करने की बात याद आई, जिससे राम के प्राण निकल जाएँगे।

7. सीता किस-किस से अपनी सूचना राम तक पहुँचाने को कह रही थीं?

उत्तर सीता पशुओं, पक्षियों, पर्वतों एवं नदियों से अपनी सूचना राम तक पहुँचाने को कह रही थीं।

8. सीता के विलाप की आवाज़ किसने सुनी?

उत्तर सीता के विलाप की आवाज़ गिद्धराज जटायु ने सुनी थी।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 21 सोने का का हिरण लघु उत्तरीय प्रश्न

1. राम को कुटी से निकलते देखकर मायावी हिरण ने क्या किया?

उत्तर राम को कुटी से निकलते देखकर मायावी हिरण कुलाचें भरने लगा। वह झाड़ियों में छिपता – छिपाता राम को कुटी से बहुत दूर ले गया। जैसे ही राम उस हिरण को पकड़ने का प्रयास करते, वह भागकर दूर चला जाता था।

2. जीवित हिरण को न पकड़ पाने पर राम ने क्या किया?

उत्तर जब मायावी हिरण को राम जीवित न पकड़ सके, तो उन्होंने उस हिरण को जीवित पकड़ने का विचार त्याग दिया। उन्होंने अपना धनुष उठाया और निशाना साधकर बाण हिरण पर छोड़ दिया।

3. मारीच की आवाज़ सुनते ही राम ने क्या किया?

उत्तर मारीच की बदली हुई आवाज़ सुनकर राम समझ गए कि यह उसकी कोई चाल है। वह समझ गए कि हिरण जान-बूझकर उन्हें कुटिया से दूर ले जाने के लिए भागता रहा। राम उसका षड्यंत्र विफल करने के लिए जल्दी से कुटिया की ओर चल दिए। वे शीघ्रतापूर्वक कुटिया में पहुँचना चाहते थे।

4. जटायु कौन था? उसने रावण पर आक्रमण क्यों किया?

उत्तर जटायु वृद्ध गिद्धराज था। वह राम के पिता दशरथ का मित्र भी था । जब जटायु ने सीता का विलाप सुना तो उसने सीता की सहायता तथा उन्हें रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए ऊँची उड़ान भरी एवं रावण के रथ पर हमला कर दिया। उसने रावण के रथ को क्षत-विक्षत कर रावण को भी घायल कर दिया।

5. रावण द्वारा हरण कर लंका ले जाते समय सीता ने अपने आभूषण क्यों फेंके ?

उत्तर रावण द्वारा हरण कर लंका ले जाते समय सीता ने रास्ते में एक-एक कर अपने आभूषण फेंकने इसलिए शुरू कर दिए, जिससे राम को उनके हरण की सूचना मिल जाए और यह पता चल जाए कि सीता किस दिशा में गई है। राम उनकी रक्षा करने तथा रावण के चंगुल से बचाने आ जाएँ।

6. सीता हरण का मुख्य कारण क्या था?

उत्तर सीता हरण का मुख्य कारण उनका सोने के हिरण के प्रति आकर्षण था। सोने का हिरण देखते ही सीता ने सोचा कि कितना सुंदर हिरण है। इससे मैं अपनी कुटिया की शोभा बढ़ाऊँगी।

अतः उन्होंने राम से उसे पकड़कर लाने का आग्रह किया। राम के उस हिरण के पीछे जाते ही छल से लक्ष्मण को भी उस हिरण द्वारा बुला लिए जाने पर रावण ने तुरंत सीता का हरण कर लिया।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 21 सोने का का हिरण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. राम को कुटिया से दूर ले जाने के लिए मायावी हिरण ने क्या-क्या किया? उसका क्या परिणाम हुआ?

उत्तर मारीच एक मायावी राक्षस था। उसने रावण की आज्ञानुसार सोने के हिरण का रूप धारण किया। राम को कुटी से निकलते देखकर मायावी हिरण कुलाचें भरने लगा।

वह झाड़ियों में लुकता – छिपता भागता रहा। राम जैसे ही उसे पकड़ने का प्रयास करते, वह भागकर दूर चला जाता। इस प्रकार हिरण राम को कुटी से बहुत दूर ले गया। राम जब हिरण को पकड़ने में असफल रहे, तो उन्होंने उसे जीवित पकड़ने का विचार त्याग दिया। राम ने धनुष उठाकर एक बाण उस पर छोड़ दिया। कुछ ही देर में हिरण गिर पड़ा।

धरती पर गिरते ही मारीच अपने असली रूप में आ गया। मारीच ने रूप के साथ अपनी आवाज़ भी बदल ली थी। वह राम की आवाज़ में हे सीते! हे लक्ष्मण! जोर से चिल्लाया जैसे राम सहायता के लिए पुकार रहे हों। राम के बाण के प्रहार से वह छटपटाने लगा और उसकी मृत्यु हो गई।

2. क्रोधित सीता ने लक्ष्मण पर क्या आरोप लगाए?

उत्तर जब राम की आवाज़ सुनकर भी लक्ष्मण उनकी सहायता के लिए नहीं गए, तो सीता को लगा कि लक्ष्मण उनके हितैषी नहीं हैं तथा वह राम का भला नहीं चाहते।

क्रोधित होकर सीता ने कहा- “तुम्हारा मन पवित्र नहीं है, कलुषित है। मैं समझ सकती हूँ कि तुम अपने भाई की सहायता के लिए क्यों नहीं जा रहे हो। तुम चाहते हो कि राम मारे जाएँ, ताकि सारा राजपाट तुम्हारा हो जाए। क्रोधित सीता ने तो यहाँ तक कह दिया कि कहीं तुम भरत के गुप्तचर तो नहीं।

3. सीता को लंका ले जाकर रावण ने क्या किया?

उत्तर रावण सीता को लंका में अपने अंतःपुर में ले गया और वह उन्हें अपने धन ऐश्वर्य से प्रभावित करने लगा। सीता को राक्षसियों की निगरानी में रखा गया। सीता द्वारा उसकी बात स्वीकार न किए जाने पर रावण ने सीता को धमकाया कि मैं तुम्हें एक वर्ष का समय देता हूँ। निर्णय कर लो तुम मेरी रानी बनकर लंका में राज करोगी या विलाप करते हुए जीवन बिताओगी। तुम्हें कोई नहीं बचा सकता । केवल मैं तुम्हारी रक्षा कर सकता हूँ।

मुझे स्वीकार करो और लंका में रहो। बाद में सीता को अंतःपुर से निकालकर अशोक वाटिका में बंदी बना दिया गया। उसने राक्षसों – राक्षसियों को निर्देश दिए थे कि सीता को किसी प्रकार का शारीरिक व मानसिक कष्ट न हो। इस प्रकार, सीता रो-रोकर अपना जीवन बिताती रहीं।

4. लंका के राजा रावण ने सीता के साथ बलपूर्वक विवाह न करके एक वर्ष का समय क्यों दिया? इससे रावण की किस भावना का पता चलता है?

उत्तर लंका का राजा रावण जब सीता को हरण करके ले गया, तो रावण बलपूर्वक सीता से विवाह कर सकता था, परंतु रावण ने ऐसा नहीं किया। सबसे पहले वह सीता को अपने अंतःपुर ले गया। उसने अपने धन ऐश्वर्य से सीता को प्रभावित करना चाहा। एक वर्ष का समय देकर वह सीता को स्वयं उससे विवाह करने के लिए तैयार करना चाह रहा था।

अशोक वाटिका में भी सीता की सुरक्षा का ध्यान रखा गया। इससे रावण की इस भावना का पता चलता है कि वह सीता की सहमति के बिना बलपूर्वक उससे विवाह नहीं करना चाहता था।

5. सीता ने रावण को चेतावनी देते हुए क्या कहा ?

उत्तर रावण ने सीता से कहा, “तुम्हारा राम यहाँ तक कभी नहीं पहुँच सकता।” इस बात पर सीता ने रावण को चेतावनी देते हुए कहा- “पापी रावण! राम की शक्ति तो देवता भी स्वीकार करते हैं। तुम्हें तो वह अपनी दृष्टि से ही जलाकर राख कर सकते हैं। मैं उस राम की पत्नी हूँ, जिनके तेज और पराक्रम के आगे कोई नहीं ठहर सकता। तेरा सारा वैभव मेरे लिए अर्थहीन है। तूने पाप किया है, तेरा अंत मेरे राम के हाथों निश्चित है।”

6. राम की प्रशंसा सुनकर रावण ने अपनी सेना के सबसे बलवान आठ राक्षसों को क्या आदेश दिया?

उत्तर जब आक्रोश में आकर सीता ने राम की विशेषताएँ बताईं, तो रावण उनकी इतनी प्रशंसा सुनकर चिंतित हो गए। उन्होंने सोचा कि खर-दूषण को मारने वाला कितना शक्तिशाली होगा? उसने तत्काल ही अपनी सेना में से आठ सबसे बलवान राक्षसों को बुलाया और तुरंत उन्हें पंचवटी जाने का आदेश दिया। उन राक्षसों को राम-लक्ष्मण की निगरानी करनी थी और उनका एक-एक समाचार रावण को देना था। रावण ने उन्हें आज्ञा दी कि अवसर पाते ही वे राम और लक्ष्मण को मार दें।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 24 लंका में हनुमान Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 24 लंका में हनुमान Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 24 लंका में हनुमान पाठ का सार

हनुमान का लंका की ओर प्रस्थान

जामवंत की बात सुनकर हनुमान की सोई हुई शक्ति जाग उठी। वे महेंद्र पर्वत पर चढ़कर समुद्र को देखने लगे, फिर पूर्व दिशा की ओर मुँह करके पिता को प्रणाम करके हाथ हवा में उठाए । पर्वत से झुककर छलाँग लगा दी। अगले ही पल में वे आकाश में थे तथा तेजी से आगे बढ़ते जा रहे थे। महेंद्र पर्वत बहुत सुंदर था, वनस्पतियों और जीव-जंतुओं से भरा हुआ।

हनुमान के छलाँग लगाने से दबाव के कारण महेंद्र पर्वत के कुछ हिस्से टूटकर गिर गए। वे वायु की गति से आगे बढ़ रहे थे। समुद्र के अंदर स्थित मैनाक पर्वत चाहता था कि हनुमान कुछ पल वहाँ विश्राम कर लें। वह जल को चीरता हुआ ऊपर उठा, परंतु हनुमान नहीं रुके मार्ग में सुरसा राक्षसी मिली, जिसका शरीर विराट था।

वह हनुमान को खा जाना चाहती थी, लेकिन पवन पुत्र हनुमान उसे चकमा देकर आगे निकल गए। आगे छाया राक्षसी सिंहिका मिली और उसने जल में हनुमान की परछाईं को पकड़ लिया। हनुमान अचानक आसमान में ठहर गए। क्रोधित हनुमान ने सिंहिका को मार डाला और आगे बढ़े।

Read and Learn More Class 6 Hindi Question and Answers

जगमगाती सोने की लंका

हनुमान जब सागर पार उतरे तो उन्हें सोने की लंका दिखाई देने लगी थी। इमारतों में बने कंगूरे और दीवारें दिखाई दे रही थीं। यह लंका रावण की राजधानी थी।

हनुमान समुद्र के किनारे उतर गए और एक पहाड़ी पर खड़े होकर हनुमान ने खूबसूरत लंका नगरी को देखा। चारों ओर वृक्ष लगे थे, भव्य भवन थे और बगीचे सुगंधित थे। ऐसा सुंदर नगर हनुमान ने पहले कभी नहीं देखा था। वे एक-एक वस्तु को भली-भाँति देख लेना चाहते थे, जिससे वह सीता की खोज में काम आए।

हनुमान का लंका में प्रवेश

हनुमान समुद्र तट पर ही शाम ढलने की प्रतीक्षा करने लगे। उन्होंने दिन के समय लंका में प्रवेश करना उचित न समझा और शाम ढलने पर लंका में प्रवेश किया। हनुमान राजमहल पहुँच गए, जहाँ अधिकतर राक्षस सो रहे थे, क्योंकि रात का समय था ।

हनुमान के सामने सबसे बड़ा प्रश्न सीता का पता लगाना था। इस विराट नगर में यह काम सरल नहीं था। वृक्षों की डालियों पर कूदते – फाँदते हनुमान नगर के बीच पहुँच गए थे। उनका कि सीता राजमहल में होंगी।

हनुमान ने महल में चारों ओर देखा, अधिकतर लोग सो रहे थे। सीता जैसी कोई स्त्री हनुमान को नहीं दिखाई पड़ी। वे रावण के कक्ष में गए, वहाँ रानी मंदोदरी थी, परंतु सीता न मिली। सीता के विषय में सोचते हुए वे अंतःपुर से बाहर निकले। उन्होंने राक्षसों के एक-एक क घर पशुशालाएँ आदि भी देख लीं, परंतु सीता जैसी कोई स्त्री नहीं दिखाई दीं, तभी उनका ध्यान अशोक वाटिका की ओर गया।

अशोक वाटिका का दृश्य

हनुमान अशोक वाटिका में पहुँचे जहाँ अशोक के बड़े-बड़े पेड़ लगे थे। हनुमान को लगा सीता यहाँ नहीं हो सकती। निराशा से हनुमान एक वृक्ष पर चढ़कर बैठ गए। दिनभर वे घने पेड़ के पत्तों में छिपे रहे हनुमान पेड़ पर से सब कुछ देख रहे थे, लेकिन उन्हें कोई नहीं देख सकता था।

रात होने पर उन्हें एक कोने से राक्षसियों का अट्टहास सुनाई दिया। उन्हें राक्षसियों के बीच एक स्त्री बैठी दिखाई दी, जो बहुत उदास, दयनीय और दुर्बल थी। हनुमान को अब विश्वास हो गया, वह स्त्री और कोई नहीं सीता माँ हैं।

रावण का तिरस्कार

राक्षसियाँ सीता के आस-पास थीं, तभी दासियों के साथ रावण वहाँ आया। रावण ने सीता को बहुत बहलाया-फुसलाया और लालच दिया, परंतु सीता नहीं डिगीं। वह रावण से डर रही थीं, पर वे लगातार उनका तिरस्कार कर रही थीं। रावण उन्हें अपनी रानी बनने के लिए कह रहा था।

रावण का प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए राक्षसियाँ सीता को समझाती, उन्हें डराती-धमकाती थीं। उन्हीं में से एक राक्षसी त्रिजटा ने सभी राक्षसियों से कहा कि उसने एक सपना देखा है जिसमें पूरी लंका समुद्र में डूब गई, सब नष्ट हो गया। सीता को लगा कि यह सपना कहीं उनके लिए तो नहीं और वह विलाप करने लगीं। राक्षसियाँ एक-एक करके वहाँ से चली गई।

हनुमान की सीता से भेंट

राक्षसियों के जाने के बाद हनुमान ने पेड़ पर बैठे-बैठे राम-कथा प्रारंभ कर दी। सीताजी ने ऊपर देखकर पूछा, तुम कौन हो? हनुमान नीचे उतर आए और राम की अंगूठी सीताजी को दे दी तथा अपना परिचय दिया, मैं श्रीराम का दास और वानरराज सुग्रीव का अनुचर हूँ। उन्होंने मुझे यहाँ आपका समाचार लेने के लिए भेजा है। हनुमान के प्रति सीता के मन में अभी भी शंका थी। उन्होंने पर्वत पर फेंके आभूषणों की याद दिलाकर उनका संदेह दूर किया। सीता ने राम का कुशल क्षेम पूछा तथा कई प्रश्न भी किए।

हनुमान ने सीता से विदा ली और वह पूरी सूचना तत्काल राम तक पहुँचाना चाहते थे। सीता ने अपना एक आभूषण हनुमान को दे दिया तथा हनुमान ने सीता को आश्वासन दिया कि श्रीराम दो महीने में आपके पास अवश्य ही पहुँच जाएँगे ।

हनुमान का अशोक वाटिका उजाड़ डालना व लंका दहन हनुमान ने रावण का उपवन तहस-नहस कर डाला, अशोक वाटिका उजाड़ डाली, पेड़ उखाड़ डाले तथा विरोध करने वाले राक्षसों को भी मार डाला। हनुमान ने रावण के पुत्र अक्षय कुमार को भी मार डाला। राक्षसों ने रावण को वानर के उत्पात की सूचना दी, जिसे सुनकर रावण क्रोधित हो गया।

उसने सबसे बड़े बेटे मेघनाद को अपने सामने बंदर को उपस्थित करने के लिए भेजा। मेघनाद ने हनुमान को बाँधकर रावण के सामने दरबार में उपस्थित किया। रावण ने हनुमान को बाँधकर उनकी पूँछ में आग लगाने का आदेश दिया। हनुमान ने उछल-कूद करते हुए सारी लंका में आग लगा दी, तभी उन्हें सीता की चिंता हुई, लेकिन सीता अशोक वाटिका में सकुशल बैठी थीं।

हनुमान की वापसी और युद्ध की तैयारियाँ

सीता का आशीर्वाद लेकर हनुमान उत्तर दिशा की ओर वापस चल पड़े। वे राम को सीता की सूचना देना चाहते थे। दूसरे तट पर अंगद, जामवंत, सेना के अन्य लोग सभी हनुमान की प्रतीक्षा कर रहे थे। हनुमान के पहुँचते ही उन्होंने चारों ओर से हनुमान को घेर लिया तथा उनसे लंका व सीता माता का हाल पूछा। हनुमान ने संक्षेप में सभी को लंका का हाल सुनाया तथा फिर सभी किष्किंधा राम के पास पहुँचे।

हनुमान ने सीता द्वारा दिया आभूषण राम को दिया और बताया वे बहुत चिंतित व परेशान हैं तथा आपकी प्रतीक्षा कर रही हैं। यदि दो माह में आप नहीं पहुँचे, तो पापी रावण उन्हें मार डालेगा। लंका पर आक्रमण करने के लिए समय कम था। सुग्रीव ने युद्ध की तैयारियाँ तुरंत प्रारंभ करने का निर्देश दिया। सुग्रीव ने लक्ष्मण के साथ बैठकर युद्ध की योजना बनाई तथा हनुमान, अंगद, जामवंत, नल और नील सभी की योग्यतानुसार भूमिकाएँ निश्चित की गईं।

शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 10 लंका में हनुमान Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 24 लंका में हनुमान बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. पर्वत शिखर पर खड़े हनुमान ने किसकी ओर देखा था?

(क) समुद्र की ओर
(ख) लक्ष्मण की ओर
(ग) सुग्रीव की ओर
(घ) राम की ओर

उत्तर (क) समुद्र की ओर

2. अंतःपुर के बाहर हनुमान ने क्या देखा?

(क) अशोक वाटिका
(ख) विभीषण
(घ) रावण का रथ
(ग) राक्षस

उत्तर (घ) रावण का रथ

3. अचानक वाटिका के कोने से हनुमान को किसकी अट्टहास सुनाई पड़ी?

(क) रावण की
(ख) राक्षसियों की
(ग) सीता की
(घ) मेघनाद की

उत्तर (ख) राक्षसियों की

4. त्रिजटा कौन थी?

(क) राक्षसी
(ख) दासी
(ग) देवी
(घ) रानी

उत्तर (क) राक्षसी

5. रावण की पत्नी का क्या नाम था ?

(क) सुभद्रा
(ख) सुलोचना
(ग) मंदोदरी
(घ) कैकेयी

उत्तर (ग) मंदोदरी

6. हनुमान ने सीता को क्या दिया?

(क) गले का हार
(ख) आभूषण
(ग) अँगूठी
(घ) राम की पादुका

उत्तर (ग) अँगूठी

7. सीता के मन में किसके प्रति शंका थी?

(क) राम
(ख) लक्ष्मण
(ग) विभीषण
(घ) हनुमान

उत्तर (घ) हनुमान

8. हनुमान से लड़ते हुए रावण के किस पुत्र ने अपने प्राण गँवा दिए?

(क) अक्षयकुमार ने
(ख) मेघनाद ने
(ग) (क) और (ख) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (क) अक्षयकुमार ने

9. हनुमान किसके प्रति समर्पित थे?

(क) जामवंत के प्रति
(ख) बाली के प्रति
(ग) राम के प्रति
(घ) विभीषण के प्रति

उत्तर (ग) राम के प्रति

10. हनुमान को उनकी शक्ति की याद किसने दिलाई?

(क) राम ने
(ख) विभीषण ने
(ग) सुग्रीव ने
(घ) जामवंत ने

उत्तर (घ) जामवंत ने

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 24 लंका में हनुमान रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. हनुमान उठे और एक ही छलाँग में ________ पर जा खड़े हुए।

उत्तर हनुमान उठे और एक ही छलाँग में महेंद्र पर्वत पर जा खड़े हुए।

2. समुद्र के अंदर पर्वत था _______ वह चाहता था _________ कुछ पल विश्राम कर लें।

उत्तर समुद्र के अंदर पर्वत था मैनाक, वह चाहता था हनुमान कुछ पल विश्राम कर लें।

3. हनुमान __________ को चकमा देकर उसके मुँह में घुसकर बाहर आ गए।

उत्तर हनुमान सुरसा राक्षसी को चकमा देकर उसके मुँह में घुसकर बाहर आ गए।

4. रावण के अशोक वाटिका से जाने के बाद ___________ सीताजी को डराने-धमकाने लगीं।

उत्तर रावण के अशोक वाटिका से जाने के बाद राक्षसियाँ सीताजी को डराने-धमकाने लगीं।

5. राक्षसियों में एक राक्षसी ________ सबसे अलग थी।

उत्तर राक्षसियों में एक राक्षसी त्रिजटा सबसे अलग थी।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 24 लंका में हनुमान अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. वानर सेना के सामने क्या चुनौती थी ?

उत्तर वानर सेना के सामने सागर को पार करने की चुनौती थी ।

2. महेंद्र पर्वत कैसा था?

उत्तर महेंद्र पर्वत सुंदर था। यह वनस्पतियों व जीव-जंतुओं से भरा हुआ था।

3. समुद्र के अंदर कौन – सा पहाड़ था ?

उत्तर समुद्र के अंदर मैनाक नामक पहाड़ था। वह चमकता हुआ सुनहरा पर्वत था।

4. समुद्र में हनुमान से कौन मिला था ?

उत्तर समुद्र में हनुमान से सुरसा नामक राक्षसी मिली थी।

5. हनुमान को किस बात की चिंता हुई?

उत्तर हनुमान को चिंता थी कि वह सीता को कैसे ढूँढ़ेगे और कैसे पहचानेंगे?

6. सीता को रावण ने कहाँ रखा था?

उत्तर सीता को रावण ने अशोक वाटिका में रखा था।

7. राक्षसियों के जाते ही हनुमान क्या करने लगे?

उत्तर राक्षसियों के जाते ही हनुमान ने पेड़ पर बैठे-बैठे राम कथा प्रारंभ दी थी और राम का गुणगान करने लगे।

8. सीता के पूछने पर हनुमान ने अपना परिचय किस प्रकार दिया?

उत्तर सीता के पूछने पर हनुमान ने अपना परिचय इस प्रकार दिया कि वे श्रीराम के दास हैं और किष्किंधा के वानरराज सुग्रीव का अनुचर ।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 24 लंका में हनुमान लघु उत्तरीय प्रश्न

1. हनुमान के छलाँग लगाने पर महेंद्र पर्वत पर आए परिवर्तन को लिखिए।

उत्तर हनुमान के छलाँग लगाने पर महेंद्र पर्वत छलाँग के दबाव से दरक गया। वृक्ष काँपकर ही गिर गए व वन थर्रा गए तथा बड़ी-बड़ी चट्टानें नीचे लुढ़कने लगीं और पशु-पक्षी चिल्लाते हुए भागे। कई जगहों पर जल के झरने फूट पड़े व कहीं धुआँ उठने लगा।

2. समुद्र के अंदर कौन-सा पर्वत था? वह जल को चीरकर ऊपर की ओर क्यों उठा ?

उत्तर समुद्र के अंदर एक मैनाक पर्वत था। वह पर्वत सुनहरा और चमकदार था। वह चाहता था कि हनुमान कुछ पल यहाँ विश्राम कर लें, इसलिए मैनाक जल को चीरकर ऊपर की ओर उठा।

3. सिंहिका कौन थी? उसने क्या किया?

उत्तर सिंहिका एक छाया राक्षसी थी उसने जल में ही हनुमान की परछाई पकड़ ली। यह देखकर हनुमान कुछ देर आसमान में ही ठहर गए। क्रोधित हनुमान ने सिंहिका को मार डाला और आगे बढ़े।

4. हनुमान लंका को देखकर क्यों चकित हो गए?

उत्तर हनुमान लंका नगरी को देखने के लिए एक पहाड़ी पर चढ़ गए। वहाँ से चारों तरफ नजर दौड़ाई। लंका सोने की सुंदर नगरी थी। उन्होंने ऐसा भव्य नगर कभी नहीं देखा था। चारों ओर सुंदर बाग-बगीचे, हरे-भरे पेड़ तथा भव्य भवन थे। राक्षस नगरी में इतनी सुंदरता को देखकर हनुमान आश्चर्यचकित थे ।

5. हनुमान ने सीता को लंका में कहाँ-कहाँ खोजा?

उत्तर हनुमान ने शाम के समय लंका में प्रवेश किया। महल में पहरेदार थे। हनुमान ने राक्षसों के सारे घर, पशुशालाएँ, रावण का अंतःपुर सब जगह सीता की खोज की, किंतु सीता कहीं नहीं मिलीं।

6. सीता ने हनुमान को कैसे पहचाना?

उत्तर सीता वाटिका में अकेली थी। हनुमान पेड़ पर ही बैठे रहे तथा पेड़ पर बैठे-बैठे ही उन्होंने राम कथा प्रारंभ की। राम का गुणगान किया। सीता, राम की चर्चा सुनकर चौंकी। हनुमान ने सीता को प्रणाम कर राम की अँगूठी उन्हें दी। कहा, “हे माता! मैं श्रीराम का दास हूँ।”

7. त्रिजटा कौन थी? उसने क्या स्वप्न देखा था?

उत्तर सीताजी को अशोक वाटिका में डराने-धमकाने के लिए रावण ने जिन राक्षसियों को नियुक्त किया था, उन्हीं में से एक राक्षसी त्रिजटा थी, किंतु वह सबसे अलग थी। उसने सभी राक्षसियों को अपने स्वप्न के बारे में बताया कि उसने सपने में देखा कि पूरी लंका नगरी समुद्र में
डूब गई है। सब कुछ नष्ट हो गया है। रावण मारा गया है और लंका है। रावण मारा गया है और का राज्य विभीषण को मिल गया है।

8. आक्रमण की तैयारियाँ किस प्रकार की गई?

उत्तर लंका पर आक्रमण करने के लिए बहुत कम समय बचा था। सुग्रीव ने युद्ध की तैयारियाँ तुरंत करने का निर्देश दिया। सुग्रीव और लक्ष्मण ने युद्ध की योजना बनाई योग्यता और उपयोगिता के आधार पर सभी की भूमिकाएँ निर्धारित की गई।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 24 लंका में हनुमान दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. हनुमान ने समुद्र पार करते हुए किन बाधाओं का सामना किया?

उत्तर समुद्र पार करते समय हनुमान के सामने रास्ते में कई बाधाएँ आईं। विराट शरीर वाली सुरसा राक्षसी मिली। वह हनुमान को खा लेना चाहती थी। हनुमान ने उसे चकमा दिया। उसके मुँह में घुसकर बाहर निकल आए। आगे बढ़ने पर छाया राक्षसी मिली। उसका नाम सिंहिका था। उसने जल में हनुमान की परछाई पकड़ ली। तब हनुमान अचानक आसमान में ही ठहर गए। क्रोधित हनुमान ने सिंहिका को मार डाला। अब गंतव्य दूर नहीं था। क्षितिज पर लंका दिखाई देने लगी थी।

2. हनुमान और सीता भेंट का वर्णन कीजिए।

उत्तर लंका पहुँचकर हनुमान ने सीता को सब जगह खोजा, परंतु सीता कहीं नहीं दिखाई दीं। अंतत: अंतःपुर के बाहर रावण का रथ खड़ा देखकर हनुमान को लगा सीता यहीं होंगी। हनुमान वाटिका के पेड़ के घने पत्तों में छिप गए। अचानक राक्षसियों के हँसने की आवाज सुनाई दी। सीता उनके बीच उदास, निर्बल, दुःखी, दयनीय-सी बैठी थीं। हनुमा उन्हें देखते ही पहचान गए कि यह सीता है।

वाटिका में सीता को अकेले देखकर हनुमान ने पेड़ पर बैठे-बैठे राम कथा प्रारंभ की। सीता के पूछने पर हनुमान नीचे उतरे और राम की अँगूठी दी। वे सीता को कंधे पर बैठाकर राम के पास ले जाना चाहते थे, परंतु सीता ने अस्वीकार कर दिया। उन्होंने अपना आभूषण चलते समय हनुमान को दे दिया। हनुमान ने सीता को आश्वासन भी दिया कि राम दो माह में यहाँ अवश्य पहुँच जाएँगे। लंकापुरी छोड़ने से पहले उन्होंने रावण का उपवन तहस-नहस कर डाला। अशोक वाटिका उजाड़ दी।

3. हनुमान सीता को अशोक वाटिका में राक्षसियों के बीच देखकर पहचान गए, फिर भी वे क्या सोचकर नीचे नहीं उतरे ?

उत्तर हनुमान सीता की खोज में लंका पहुँचे। अंतःपुर के बाहर रावण के रथ को देखकर हनुमान समझ गए, सीता यहीं होंगी। राक्षसियों के बीच सीता को हनुमान पहचान गए, परंतु वे नीचे नहीं उतरे। उन्हें डर था कि वे पकड़े न जाएँ। जब सभी राक्षसियाँ अपने-अपने घर चली गईं और सीताजी अकेली रह गईं तभी वे पेड़ से नीचे उतरे। वे लंका छोड़ने से पहले रावण से मिलना चाहते थे। विरोध करने वाले राक्षसों को मार डाला, तो राक्षस भागकर राजमहल गए और इसकी सूचना रावण को दी। अंत में मेघनाद ने हनुमान को बाँधा और रावण के पास ले गया।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 25 लंका विजय Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 25 लंका विजय Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 25 लंका विजय पाठ का सार

लंका कूच की तैयारियाँ और विभीषण का राम की शरण में आना

रातभर लंका जाने की तैयारियाँ की गईं। सुग्रीव ने वानरों को संबोधित किया और युद्ध के नियम बनाए तथा रक्षा और आक्रमण के तरीके भी बताए । लंका पर आक्रमण करने के लिए वानरसेना किष्किंधा से राम, लक्ष्मण और सुग्रीव की जय-जयकार करते हुए निकल पड़ी।

दिन-रात चलकर महेंद्र पर्वत पर सेना ने अपना डेरा डाला। लंका में हलचल मच गई तथा राम की शक्ति से वे भयभीत हो रहे थे। राम की चर्चा विभीषण ने सुनी और रावण को समझाने गए कि राम से युद्ध न करें, सीता को लौटा दें। रावण ने क्रोधित होकर विभीषण को लंका से निकल जाने को कहा। दूसरी ओर राम की सेना समुद्रतट तक पहुँच चुकी थी।

विभीषण चार सहायकों के साथ लंका से निकल गए। वह राम के शिविर में गए और बताया, मैं रावण का छोटा भाई हूँ । रावण ने मुझे राज्य से निकाल दिया। मैं आपकी शरण में आया हूँ, मुझे स्वीकार कीजिए। राम ने उनका सत्कार किया तथा उन्हें सहायता करने का वचन भी दिया। विभीषण राम के विश्वासपात्र बन गए।

Read and Learn More Class 6 Hindi Question and Answers

समुद्र पर पुल बनाना

समुद्र पार करना सेना के लिए चुनौती थी। राम ने तीन दिन तक समुद्र से रास्ता देने की विनती की, लेकिन समुद्र के विनती न सुनने पर राम क्रोधित हो गए। राम का क्रोध देखकर समुद्र ने बताया कि नल और नील नामक वानर पुल बना सकते हैं।

कंकड़-पत्थर शिलाओं से पाँच दिनों में पुल बनकर तैयार हो गया । सबसे पहले विभीषण पुल से उस पार गए फिर वानर सेना समुद्र पार कर लंका के किनारे पहुँच गई। यह सुनकर रावण हैरान रह गया और उसने अपनी सेना को तैयार रहने का आदेश दिया।

सुलह का अंतिम प्रयास

सागर पार करने के उपरांत राम व रावण दोनों की सेनाएँ आक्रमण के लिए तैयार थीं। लंका के चार द्वार थे। राम ने अपनी सेना को चार भागों में विभक्त किया। राम ने पर्वत शिखर पर चढ़कर स्वयं लंका का निरीक्षण किया।

वे लंका का वैभव देखकर आश्चर्यचकित थे। इस बीच उन्होंने सुलह का अंतिम प्रयास किया। उन्होंने अंगद को अपना दूत बनाकर रावण के पास भेजा, जिससे रावण सीता को लौटा दे और युद्ध न हो, परंतु रावण सुलह करने के लिए तैयार नहीं हुआ।

लंका पर आक्रमण

राम का आदेश पाते ही वानर सेना ने लंका पर चढ़ाई कर दी। दूसरी ओर रावण सेना के राक्षस वानर सेना पर टूट पड़े। मेघनाद ने रावण की सेना का नेतृत्व किया। वह मायावी था और छिपकर युद्ध करता था। उसके बाण से लक्ष्मण मूच्छित हो गए।

वह उन्हें मृत समझकर रावण को सूचना देने महल की ओर दौड़कर गया। विभीषण और राम ने लक्ष्मण का उपचार किया। रावण की सेना में धूम्राक्ष, अकंपन जैसे महाबली राक्षस मारे गए। यह सुनकर रावण ने कमान सँभाल ली। राम के बाणों ने उसका मुकुट धरती पर गिरा दिया। उसने कुंभकर्ण को जगाया। कुंभकर्ण को देखते ही वानर सेना में हलचल मच गई। उसने हनुमान और अंगद को घायल कर दिया। तब राम-लक्ष्मण ने बाणों की वर्षा से कुंभकर्ण को मार डाला। कुंभकर्ण की मृत्यु से रावण निराश हो गया।

मेघनाद – लक्ष्मण युद्ध

मेघनाद बहुत पराक्रमी था तथा उसने इंद्र को भी पराजित कर दिया था। मेघनाद वानर सेना पर चक्रवात की तरह आगे बढ़ रहा था। मेघनाद और लक्ष्मण के बीच भीषण युद्ध हुआ। अंत में लक्ष्मण ने महल में मेघनाद को मार गिराया। लक्ष्मण के साथ वानर सेना ने लंका में प्रवेश किया। उनके हाथों में जलती हुई मशालें थीं। शस्त्रागार – भंडारघर सब जगह आग लगा दी गई। अकंपन, प्रबंध, यूपाक्ष, कुंभ, निकुंभ, देवांतक और त्रिशिरा, नरांतक सब मारे गए थे। लक्ष्मण ने अतिकाय का सिर काट लिया तथा राक्षस सेना भाग गई।

घातक बाण से लक्ष्मण मूर्च्छित

रावण के पास कोई विकल्प न बचा, अधिकतर राक्षस मारे जा चुके थे। रावण अकेला युद्ध नाद करता बाहर निकला। रावण, विभीषण को देखकर क्रोधित हो गया। उसने विभीषण पर निशाना लगाया, तो लक्ष्मण ने बाण काट दिया। दूसरा घातक बाण लक्ष्मण को लगने पर लक्ष्मण अचेत हो गए। लक्ष्मण को सुग्रीव की निगरानी में छोड़ राम ने रावण को चुनौती दी।

हनुमान लक्ष्मण को उठाकर रणक्षेत्र से दूर ले गए। वैद्य सुषेण को बुलाया गया और हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आए। वैद्य की चिकित्सा से घाव धीरे-धीरे भर गए तथा संजीवनी बूटी के प्रभाव से रक्त का बहना भी बंद हो गया। सुग्रीव ने लक्ष्मण के स्वस्थ होने की सूचना राम तक पहुँचाई।

राम-रावण युद्ध

राम-रावण का भयानक युद्ध हो रहा था। सबकी निगाहें राम और रावण की ओर थीं। ऐसा महासंग्राम उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। तभी रावण का एक बाण राम को लगा जिससे उनके रथ की ध्वजा कटकर गिर पड़ी। राम ने प्रहार किया, तो बाण रावण के मस्तक पर लगा। राम के बाणों ने रावण के रथ की दिशा बदल दी तथा रावण के हाथ से धनुष छूट गया। रावण मारा गया तथा राक्षस सेना जान बचाकर भागी ।

विभीषण का राज्याभिषेक

विभीषण रणक्षेत्र में बड़े भाई रावण की मृत्यु पर विलाप कर रहा था। राम ने विभीषण को समझाया कि शोक मत करो, सत्य को स्वीकार करो। विभीषण के राज्याभिषेक की तैयारी कराई गई। विभीषण को राज्याभिषेक के बाद राजसिंहासन पर बैठाया गया। हनुमान अशोक वाटिका से लौटे, तो उन्होंने बताया कि सीता लंका विजय का समाचार पाकर प्रसन्न हैं। सीता एक वर्ष के बाद राम के पास वापस आईं।

शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 11 लंका विजय Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 25 लंका विजय बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. राम व लक्ष्मण के पास कौन इकट्ठे हुए थे?

(क) वानर
(ख) हनुमान
(ग) सुग्रीव
(घ) विभीषण

उत्तर (क) वानर

2. वानर सेना ने कहाँ पर डेरा डाला था ?

(क) लंका के बाहर
(ख) महेंद्र पर्वत पर
(ग) समुद्र के किनारे
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (ख) महेंद्र पर्वत पर

3. पर्वत पर किसका ध्वज लगाया गया था?

(क) राम का
(ख) सुग्रीव का
(ग) विभीषण का
(घ) वानर सेना का

उत्तर (घ) वानर सेना का

4. रावण को समझाने कौन गया था?

(क) सुग्रीव
(ख) नल
(ग) लक्ष्मण
(घ) विभीषण

उत्तर (घ) विभीषण

5. मेघनाद कहाँ मारा गया?

(क) युद्ध भूमि में
(ख) समुद्र में
(ग) महल में
(घ) पर्वत शिखर पर

उत्तर (ग) महल में

6. राम ने किसे दूत बनाकर रावण के पास भेजा?

(क) सुग्रीव को
(ख) अंगद को
(ग) जामवंत को
(घ) हनुमान को

उत्तर (ख) अंगद को

7. हनुमान कौन-सी बूटी लाए थे?

(क) संजीवनी बूटी
(ख) जड़ी बूटी
(ग) हरड़ बूटी
(घ) गिलोय बूटी

उत्तर (क) संजीवनी बूटी

8. रावण वध को किस रूप में देखा जाता है?

(क) सत्य की असत्य पर विजय
(ख) धर्म की अधर्म पर विजय
(ग) नीति की अनीति पर विजय
(घ) ये सभी

उत्तर (घ) ये सभी

9. सेतु का निर्माण किसने किया था?

(क) राम और लक्ष्मण
(ख) नल और नील
(ग) सुग्रीव और हनुमान
(घ) ये सभी

उत्तर (ख) नल और नील

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 25 लंका विजय रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. वानर सेना का नेतृत्व _________ कर रहे थे, सबसे पीछे हनुमान और _________ थे।

उत्तर वानर सेना का नेतृत्व नल कर रहे थे, सबसे पीछे हनुमान और जामवंत थे।

2. _________ रावण का छोटा भाई था, उसने सीता को लौटा देने के लिए बहुत समझाया।

उत्तर विभीषण रावण का छोटा भाई था, उसने सीता को लौटा देने के लिए बहुत समझाया।

3. ___________ राम की शरण में आ गया और उनका विश्वासपात्र बन गया।

उत्तर विभीषण राम की शरण में आ गया और उनका विश्वासपात्र बन गया।

4. राम ___________ “से तीन दिन तक रास्ता देने की प्रार्थना करते रहे।

उत्तर राम समुद्र से तीन दिन तक रास्ता देने की प्रार्थना करते रहे।

5. _________ के बाण से _____ मूच्छित होकर गिर पड़े।

उत्तर मेघनाद के बाण से लक्ष्मण मूच्छित होकर गिर पड़े।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 25 लंका विजय अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. वानर सेना किलकारियाँ, भरती हुई कहाँ से रवाना हुई थी ?

उत्तर वानर सेना किलकारियाँ भरती हुई किष्किंधा से रवाना हुई थी ।

2. जामवंत और हनुमान सबसे पीछे क्यों चल रहे थे?

उत्तर जामवंत और हनुमान सबसे पीछे इसलिए चल रहे थे, क्योंकि ये सेना की रणनीति का एक हिस्सा था।

3. समुद्र से रास्ता देने के लिए राम ने कितने दिन तक प्रार्थना की?

उत्तर समुद्र से रास्ता देने के लिए राम ने पूरे तीन दिन तक प्रार्थना की।

4. पुल कितने दिनों में तैयार किया गया था?

उत्तर पुल केवल पाँच दिनों में तैयार किया गया था।

5. पुल के संबंध में रावण को क्या विस्मय हुआ?

उत्तर पुल के संबंध में रावण विस्मित था कि समुद्र पर पुल कैसे बनाया जा सकता है। वह भी केवल पाँच दिनों में।

6. अंगद को दूत बनाकर राम ने लंका में क्यों भेजा ?

उत्तर राम ने अंगद को शांति दूत बनाकर रावण के पास सुलह के लिए तथा सीता को लौटाने के लिए भेजा था।

7. कुंभकर्ण कौन था?

उत्तर कुंभकर्ण रावण का छोटा भाई था।

8. मेघनाद के बारे में बताइए ।

उत्तर मेघनाद बहुत पराक्रमी था। एक बार उसने इंद्र को भी पराजित कर दिया था। इस वजह से उसका नाम इंद्रजीत पड़ा।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 25 लंका विजय लघु उत्तरीय प्रश्न

1. विभीषण ने रावण को क्या समझाया?

उत्तर राम की वीरता की चर्चा विभीषण ने सुन रखी थी। वह समझ गया कि युद्ध में रावण की पराजय निश्चित है। उसने रावण को राम की वीरता के बारे में बताया तथा उनसे युद्ध न करने के लिए समझाया और सीता को लौटा देने के लिए भी कहा।

2. समुद्र ने राम की किस प्रकार सहायता की?

उत्तर राम समुद्र से तीन दिन तक रास्ता देने की विनती करते रहे। वह नहीं माना, तो राम को क्रोध आ गया। राम का क्रोध देखते हुए समुद्र ने उन्हें सलाह दी कि आपकी सेना में नल और नील नामक वानर हैं। वे पुल बना सकते हैं, जिससे वानर सेना पार उतर जाएगी।

3. लंका प्रस्थान से पहले सुग्रीव ने वानरों से क्या कहा?

उत्तर लंका प्रस्थान से पहले रातभर तैयारियाँ हुई। सवेरे सुग्रीव ने वानरों से
कहा, जो शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हैं, वही सैनिक जाएँगे। युद्ध भयानक होगा। सेना को आक्रमण के तरीके और युद्ध के नियम भी बताए ।

4. कुंभकर्ण कौन था ? रावण ने उसे क्यों बुलाया?

उत्तर कुंभकर्ण रावण का भाई था। वह महाबली था। वह छः महीने सोता था । रावण की सेना के बहुत-से राक्षस मारे गए थे। राम के साथ युद्ध करने के लिए रावण ने कुंभकर्ण को बुलाया, जिससे वह अपना पराक्रम दिखा सके तथा राम को युद्ध में हरा सके।

5. रावण की मृत्यु के बाद क्या हुआ?

उत्तर रावण की मृत्यु के बाद राम की जय-जयकार होने लगी। दूसरी ओर विभीषण रावण के मृत शरीर के पास खड़ा विलाप कर रहा था। राम ने उसे समझाया कि मृत्यु सत्य है, उसे स्वीकार करो। शोक मत करो। रावण की अंत्येष्टि के बाद विभीषण का राज्याभिषेक किया गया। लंका का राजा विभीषण बन गया।

6. लंका जाने से पूर्व वानर सेना ने पूरी तैयारियाँ की थीं। आप किसी कार्य को किस प्रकार प्रारंभ करते हैं?

उत्तर मैं किसी कार्य को योजनाबद्ध तरीके से प्रारंभ करता हूँ। कार्य प्रारंभ करने से पूर्व उसकी पूरी योजना बनाता हूँ। कार्य कहाँ ? किस प्रकार ? किसके द्वारा किया जाएगा? सभी विषयों पर गंभीरता से सोचता हूँ। कार्य के बीच में क्या रुकावटें आ सकती हैं, उस पर भी विचार-विमर्श करके उन्हें दूर करने का उपाय खोजता हूँ। यह सब करने के बाद ही पूरी तैयारी से कार्य प्रारंभ करता हूँ।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 25 लंका विजय दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. राम की सेना के सामने क्या चुनौती थी? उसका समाधान प्रकार हुआ ?

उत्तर राम की सेना के सामने समुद्र को पार करने की चुनौती थी। समुद्र विशाल था। पहले राम ने हाथ जोड़कर समुद्र से प्रार्थना की कि उसे रास्ता दे दे। तीन दिनों तक वह बैठे रहे। वे समुद्र से रास्ता देने की प्रार्थना करते रहे। पर जब वह नहीं माना, तब राम क्रोध में आ गए। राम के क्रोध को देखकर समुद्र ने उन्हें सलाह दी- “आपकी सेना में नल और नील नामक वानर हैं, वे पुल बना सकते हैं। उससे वानर सेना पार कर जाएगी और मेरी मर्यादा भी बनी रहेगी।”

नल-नील ने अगले दिन कार्य आरंभ कर दिया। पुल बनने लगा । वानर कंकड़, पत्थर, शिलाएँ लाते रहे। नल-नील पुल बनाते रहे। पुल पाँच दिन में बनकर तैयार हो गया। पहले विभीषण पुल के उस पार गए, पीछे-पीछे वानर सेना का अगला दल लंका में पहुँचा। पुल बनने का समाचार सुनकर रावण आश्चर्यचकित हो गया।

2. लंका विजय में वानर सेना ने राम की किस प्रकार से मदद की?

उत्तर लंका विजय में वानर सेना ने राम की अपार सहायता की। समुद्र पर रास्ता बनाने से लेकर रणभूमि तक पूरी वानर सेना ने राम की मदद की और प्रत्येक परिस्थिति में डटकर सामना भी किया। इसमें हनुमान ने सीता की खोज में राम की मदद की। हनुमान ने सीता तक राम की दी गई अँगूठी पहुँचाई और सीता को लंका से मुक्ति का भरोसा दिया। सेना के सेनापति नल और नील ने लंका तक जाने के लिए सुमद्र पर सेतु का निर्माण करवाया। अंगद ने वानर सेना का नेतृत्व किया। पूरी वानर सेना बहादुरी से लड़ी और वानर सेना की मदद से ही राम को युद्ध विजय में सहायता मिली।

3. विभीषण राम की शरण में क्यों आ गए?

उत्तर विभीषण रावण का छोटा भाई था । विभीषण ने रावण को युद्ध न करने के लिए बहुत समझाया, परंतु रावण न माना और उसे शत्रु कहा तथा अपने राज्य से निकल जाने के लिए कहा।

विभीषण उसी रात राम के शिविर में गए। वहाँ पहुँचकर अपना परिचय दिया और राम से अपनी शरण में लेने की विनती की। सुग्रीव और अंगद को विभीषण की बातों पर संदेह हो रहा था। राम ने पूरी बात सुनी और कहा- “हमें विभीषण को स्वीकार करना चाहिए। मैं शरण में आए व्यक्ति को कभी निराश नहीं करता। यह मेरी नीति है।” राम ने उनका सत्कार किया।

4. कुंभकर्ण को देखकर रणक्षेत्र में वानर सेना की क्या दशा हुई थी ?

उत्तर कुंभकर्ण बहुत बलवान था। बलवान होने के साथ-साथ उसमें बहुत-सी मायावी शक्तियाँ भी थीं। वह सामान्य मनुष्यों से आकार में बहुत बड़ा था। जैसे ही वह रणक्षेत्र में आया, तो उसे देखकर पूरी वानर सेना भय से कंपित होने लगी। सभी उसके विशालकाय आकार को देखकर और उसकी मायावी शक्तियों को देखकर भयभीत हो गए। उसने युद्ध क्षेत्र में आते ही अनेक वानरों को अपने हाथों और पैरों से कुचलकर मार डाला था। उसने महाबली हनुमान, अंगद और सेना के प्रमुख लोगों को भी घायल कर दिया था।

5. राम और रावण के युद्ध का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए ।

उत्तर राम और रावण के बीच युद्ध बहुत भयानक था । शस्त्रों की गति बहुत तेज़ थी। उनसे बहुत तेज़ चिंगारी आ रही थी। हवा थम गई थी और सूरज बादलों के पीछे छिप गया था दोनों वीर योद्धा बहादुरी के साथ लड़ रहे थे। उनका युद्ध देख आस-पास के छोटे-छोटे युद्ध थम गए थे। कोई योद्धा एक सूत भर पीछे होने को तैयार नहीं था। इस बीच रावण के एक बाण से राम के रथ की ध्वजा कटकर गिर पड़ी।

राम ने जोर से प्रहार किया। बाण रावण के मस्तक पर लगा। रक्त की धारा बहने लगी। रावण भागकर अपने महल में चला गया। थोड़ी देर बाद राम और रावण में फिर युद्ध शुरू हो गया। राम के बाणों ने रावण के रथ का मुँह मोड़ दिया, जिससे रावण हिम्मत हार गया। राम का एक बाण उसके पार हो गया और वह पृथ्वी पर ही गिर गया तथा मारा गया। अंततः राम की विजय हुई।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 26 राम का राज्याभिषेक Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 26 राम का राज्याभिषेक Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 26 राम का राज्याभिषेक पाठ का सार

विभीषण का राम से आग्रह

विभीषण के राजा बनने के बाद वे चाहते थे कि राम कुछ दिन उनकी लंका में रुक जाएँ। विभीषण ने अपनी इच्छा राम को बताई। राम से कहा, आप कुछ दिन यहाँ विश्राम कर लें, आपकी थकान उतर जाएगी। मुझे आपका सान्निध्य मिलेगा। कुछ रीति-नीति सीखने का अवसर भी, आपने यह नगरी भी नहीं देखी है, परंतु राम लंका नगरी से दूर रहे। वे वनवास में थे, अतः वे नगर में प्रवेश करना उचित नहीं मानते थे।

राम का तत्काल अयोध्या लौटना

राम ने वनवास के चौदह वर्ष पूरे कर लिए थे। वे तुरंत अयोध्या लौटना चाहते थे। उनके न पहुँचने पर भरत ने प्राण दे देने की प्रतिज्ञा की हुई थी। विभीषण राम के साथ रहना चाहते थे, इसलिए उन्होंने राम के साथ अयोध्या जाने तथा उनके राज्याभिषेक में उपस्थित रहने की अनुमति ले ली। राम ने विभीषण के अतिरिक्त सुग्रीव और हनुमान को भी अयोध्या आने के लिए आमंत्रित किया।

विभीषण ने अपना पुष्पक विमान राम, सीता व लक्ष्मण को अयोध्या ले जाने के लिए तैयार किया तथा उन्हें बैठाकर विमान को उत्तर दिशा की ओर अयोध्या के लिए रवाना कर दिया।

मार्ग में राम ने सीता को रणभूमि, सेतुबंध, किष्किंधा, ऋष्यमूक पर्वत पंपा सरोवर, गोदावरी नदी, पंचवटी आदि स्थानों से परिचय कराया। विमान के जाने के बाद वानर सेना भी किष्किंधा की ओर चल दी।

Read and Learn More Class 6 Hindi Question and Answers

नंदीग्राम में राम की भरत से भेंट

अयोध्या जाने से पहले राम ने हनुमान को अयोध्या भेजा। वे हनुमान द्वारा अयोध्या का हाल जानना चाहते थे। हनुमान राम के आने का समाचार लेकर नंदीग्राम गए। हनुमान ने भरत से कहा— श्रीराम वनवास की अवधि पूरी करके लौट रहे हैं। भरत की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा, वे बार-बार हनुमान को धन्यवाद दे रहे थे।

भरत से विदा लेकर हनुमान आश्रम लौट आए। राम के आने की सूचना पाकर तीनों रानियाँ नंदीग्राम की ओर चल पड़ीं। अयोध्या में उत्सव की तैयारियाँ होने लगीं। राम का पुष्पक विमान नंदीग्राम में उतरा।

राम ने भरत को गले से लगा लिया। माताओं को प्रणाम किया। भरत ने खड़ाऊँ सिंहासन से उतारकर स्वयं राम को पहनाई।

राम का अयोध्या में प्रवेश व राज्याभिषेक

राम-लक्ष्मण और सीता ने तपस्वी वेश बदलकर राजसी वस्त्र पहने और अयोध्या नगरी में प्रवेश किया। अगले दिन मुनि वशिष्ठ ने राम का राजतिलक किया। राम और सीता सोने के रत्नजड़ित सिंहासन पर बैठे। मंगलाचार हुआ, माताओं ने आरती उतारी। लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न पास ही खड़े थे और हनुमान नीचे बैठे थे। राम ने सीता को एक बहुमूल्य हार भेंट किया।

सीता ने वह हार हनुमान को भेंट कर दिया। कुछ दिनों बाद सभी अतिथि वापस लौट गए। विभीषण लंका चले गए। सुग्रीव किष्किंधा की ओर रवाना हुए। ऋषि-मुनि अपने आश्रम में गए, परंतु हनुमान राम की सेवा में वहीं रहे। राम ने लंबे समय तक अयोध्या नगरी पर राज किया। उनके राज्य में सभी सुखी थे, किसी को कोई कष्ट नहीं था।

शब्दार्थ

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 12 राम का राज्याभिषेक Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 26 राम का राज्याभिषेक बहुविकल्पीय प्रश्न

अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

1. राम, सीता व लक्ष्मण को कौन-सा विमान अयोध्या की ओर लेकर गया था?

(क) पुष्पक विमान
(ख) घोड़ा विमान
(ग) सोने का रथ
(घ) हाथी विमान

उत्तर (क) पुष्पक विमान

2. भरत को अपने आगमन की पूर्व सूचना देने के लिए राम ने किसे भेजा था?

(क) हनुमान को
(ख) अंगद को
(ग) विभीषण को
(घ) सुग्रीव को

उत्तर (क) हनुमान को

3. पुष्पक विमान वास्तव में किसका था?

(क) राम का
(ख) रावण का
(ग) विभीषण का
(घ) कुबेर का

उत्तर (घ) कुबेर का

4. लंका से विमान किस दिशा में चला था?

(क) पश्चिम दिशा की ओर
(ख) उत्तर दिशा की ओर
(ग) दक्षिण दिशा की ओर
(घ) पूर्व दिशा की ओर

उत्तर (ख) उत्तर दिशा की ओर

5. अयोध्या जाते हुए हनुमान ने किससे भेंट की थी?

(क) शत्रुघ्न से
(ख) भरत से
(ग) ऋषि भारद्वाज से
(घ) निषादराज गुह से

उत्तर (घ) निषादराज गुह

6. अयोध्या लौटते समय राम ने रात कहाँ पर गुजारी थी ?

(क) किष्किंधा में
(ख) ऋषि भारद्वाज के आश्रम में
(ग) पंपा सरोवर के पास
(घ) पर्णकुटी में

उत्तर (ख) ऋषि भारद्वाज के आश्रम में

7. अयोध्या में राम का विमान कहाँ पर उतरा था ?

(क) गंगा के तट पर
(ख) यमुना के तट पर
(ग) नंदीग्राम में
(घ) सरयू नदी के तट पर

उत्तर (ग) नंदीग्राम में

8. जब राम अयोध्या में लौटकर आए, तो भरत कहाँ रह रहे थे?

(क) पंचवटी में
(ख) नंदीग्राम में
(ग) अयोध्या में
(घ) लंका में

उत्तर (ख) नंदीग्राम में

9. राम वनवास कितने वर्षों के लिए गए थे?

(क) दस वर्ष
(ख) ग्यारह वर्ष
(ग) तेरह वर्ष
(घ) चौदह वर्ष

उत्तर (घ) चौदह वर्ष

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 26 राम का राज्याभिषेक रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. विभीषण चाहते थे कि ________ कुछ दिन _________ में रुक जाएँ।

उत्तर विभीषण चाहते थे कि राम कुछ दिन लंका में रुक जाएँ।

2. __________ राम से अलग नहीं होना चाहते थे।

उत्तर विभीषण राम से अलग नहीं होना चाहते थे।

3. राम ने राज्याभिषेक में विभीषण, ______ और ______ को अयोध्या आमंत्रित किया।

उत्तर राम ने राज्याभिषेक में विभीषण, सुग्रीव और हनुमान को अयोध्या आमंत्रित किया।

4. राम सीधे ______ नहीं जाना चाहते थे। वे सोच रहे थे कि चौदह वर्ष में ________ को सत्ता का मोह तो नहीं हो गया।

उत्तर राम सीधे अयोध्या नहीं जाना चाहते थे। वे सोच रहे थे कि चौदह वर्ष में भरत को सत्ता का मोह तो नहीं हो गया।

5. ____________ वायुवेग से उड़े, मार्ग में निषादराज गुह से भेंट की, वहाँ से टीम पहुँचे।

उत्तर हनुमान वायुवेग से उड़े, मार्ग में निषादराज गुह से भेंट की, वहाँ से नंदीग्राम पहुँचे।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 26 राम का राज्याभिषेक अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. विभीषण ने राम से क्या अनुरोध किया?

उत्तर विभीषण ने राम से अनुरोध किया कि वे कुछ दिन तक लंका में ही विश्राम करें और बाद में आराम से जाएँ।

2. राम लंका में क्यों नहीं रुकना चाहते थे?

उत्तर राम लंका में इसलिए नहीं रुकना चाहते थे, क्योंकि उनके वनवास के चौदह वर्ष पूरे हो चुके थे। वे अयोध्या वापस लौटना चाहते थे, भरत उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे।

3. राम ने किसे अयोध्या चलने के लिए आमंत्रित किया?

उत्तर राम ने सुग्रीव और हनुमान को अयोध्या चलने के लिए आमंत्रित किया।

4. राम मार्ग में सीता को क्या बता रहे थे?

उत्तर राम, मार्ग में सीता को पड़ने वाले प्रमुख स्थानों के बारे में बता रहे थे।

5. ऋषि भारद्वाज का आश्रम कहाँ था?

उत्तर ऋषि भरद्वाज का आश्रम गंगा-यमुना के तट पर था।

6. निषादराज गुह ने हनुमान को क्या बताया ?

उत्तर निषादराज गुह ने हनुमान को अयोध्या के बारे में सभी जानकारियाँ देते हुए वहाँ का हाल बताया।

7. राम के आने की सूचना सुनकर अयोध्या में क्या होने लगा ?

उत्तर राम के आने की सूचना सुनकर अयोध्या में राम के स्वागत की उत्साहपूर्वक तैयारियाँ होने लगीं।

8. भरत भागते हुए आश्रम के भीतर क्या लेने गए ?

उत्तर भरत भागते हुए आश्रम के भीतर राम की खड़ाऊँ को लेने गए। जिसे चौदह वर्ष तक सिंहासन पर रखकर उन्होंने राजकाज चलाया था।

9. सीता ने अपने गले का हार हनुमान को क्यों दिया था ?

उत्तर सीता ने अपने गले का हार हनुमान को उनकी भक्ति और पराक्रम के लिए दिया था और वह उनसे सबसे अधिक प्रसन्न थीं।

10. राम के राज्य में सब कुछ कैसा था?

उत्तर राम के राज्य में कोई भेदभाव नहीं था, कोई बीमार नहीं पड़ता था । खेत हरे-भरे थे। पेड़ फलों से लदे रहते थे।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 26 राम का राज्याभिषेक लघु उत्तरीय प्रश्न कि

1. विभीषण राम को कुछ दिन लंका में क्यों रोकना चाहते थे?

उत्तर विभीषण चाहते थे कि राम लंका में युद्ध की थकान मिटाने के लिए विश्राम कर लें। विभीषण राम का सान्निध्य और उनसे रीति-नीति सीखने का अवसर चाहते थे।

2. विभीषण ने राम के सम्मुख क्या नया प्रस्ताव रखा ?

उत्तर विभीषण ने राम के सम्मुख नया प्रस्ताव रखा, “मेरी इच्छा है कि मैं आपके राज्याभिषेक में उपस्थित रहूँ। मुझे अपने साथ चलने की अनुमति दें।” राम ने विभीषण का यह आग्रह स्वीकार कर लिया।

3. विमान लंका से उड़कर कहाँ-कहाँ रुका?

उत्तर विमान लंका से उड़कर सीता के आग्रह पर किष्किंधा में सुग्रीव की रानियों तारा और रूपा को लेने के लिए उतरा। इसके पश्चात् ऋषि भरद्वाज के आश्रम में विमान उतरा। सबने रात वहीं बिताई।

4. हनुमान और भरत की भेंट का वर्णन करें।

उत्तर हनुमान वायुवेग से उड़कर नंदीग्राम पहुँचे वहाँ उन्होंने भरत को बताया कि राम का वनवास पूरा हो गया। वे प्रयाग पहुँच चुके हैं। वे उन्हीं की आज्ञा से यहाँ आपके पास आपको सूचना देने पहुँचे हैं। यह सुनकर भरत की खुशी का ठिकाना न रहा। उनकी आँखों में खुशी के आँसू थे। इस शुभ सूचना के लिए वह हनुमान का धन्यवाद कर रहे थे। उनके चेहरे पर केवल प्रसन्नता का भाव था। हनुमान उनसे विदा लेकर राम के पास लौट गए।

5. राम के आने की सूचना पाकर भरत ने क्या किया?

उत्तर राम के आने की सूचना पाकर भरत अतीव प्रसन्न हुए। भरत राम को याद करने लगे और उनकी आँखों में आँसू आ गए और वे अयोध्या में उत्सव की तैयारी में जुट गए। उन्होंने प्रभु राम के आने की जानकारी सभी को दी।

6. राम ने राजसी वस्त्र कहाँ धारण किए?

उत्तर अनेक वर्षों के बाद राम लंका विजय करके अयोध्या वापिस लौट रहे थे। तब वे सीधे अयोध्या न जाकर नंदीग्राम में रुके, जहाँ भरत संन्यासी वेश धारण कर रहे थे तथा अयोध्या का राजकाज चला रहे थे। तब अयोध्या पहुँचने से पहले ही राम ने नंदीग्राम के पास राजसी वस्त्र धारण कर लिए थे।

7. जिस विमान से राम अयोध्या लौटकर आए, उसका क्या नाम था? उस विमान को किसने, किसको दिया था?

उत्तर जिस विमान में राम अयोध्या लौटकर आए, उसका नाम पुष्पक विमान था। जब भगवान राम लंका से अयोध्या अनेक वर्षों के बाद वापस जा रहे थे, तब लंका से अयोध्या जाते समय विभीषण का पुष्पक विमान राम को ले जाने के लिए तैयार था। राम ने बाद में पुष्पक विमान धन के देवता कुबेर के पास भेज दिया, क्योंकि वह विमान कुबेर का था। रावण ने बलपूर्वक कुबेर से छीन लिया था।

8. राम के राजतिलक के विषय में संक्षेप में बताइए ।

उत्तर मुनि वशिष्ठ ने राम का राजतिलक किया। राम और सीता सोने के रत्न जड़ित सिंहासन पर बैठे। लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न पास खड़े थे। हनुमान नीचे बैठ गए। मंगलाचार हुआ, माताओं ने आरती उतारी। इस प्रकार चारों ओर खुशी की लहर दौड़ रही थी। राम ने सीता को एक बहुमूल्य हार दिया।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 26 राम का राज्याभिषेक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. लंका विजय के बाद राम की अयोध्या लौटने की यात्रा का वर्णन कीजिए।

उत्तर लंका विजय के पश्चात् विभीषण का राजतिलक हुआ। इसके पश्चात् राम का पुष्पक विमान उत्तर दिशा में अयोध्या के लिए चल पड़ा। राम, लक्ष्मण, सीता, सुग्रीव तथा हनुमान उस विमान में बैठे थे। पहले रणभूमि से गुजरा, फिर नल-नील का बनाया सेतुबंध रास्ते में देखा, तब किष्किंधा में विमान उतरा और सुग्रीव की रानियों रूपा और तारा को लिया गया।

ऋष्यमूक पर्वत पंपा सरोवर, गोदावरी नदी, जिसके पास पर्णकुटी अभी भी बनी हुई थी, इन सब से होता हुआ विमान ऋषि भरद्वाज के आश्रम में पहुँचा। ऋषि के आग्रह पर रात सभी ने आश्रम में ही बिताई। अगली सुबह श्रृंगवेरपुर होते हुए राम का विमान सरयू नदी के ऊपर पहुँच गया। जहाँ से अयोध्या नगरी दूर से दिखाई पड़ने लगी थी।

2. नंदीग्राम में राम का स्वागत किस प्रकार हुआ?

उत्तर राम का विमान नंदीग्राम पहुँचा, वहाँ उनका भव्य स्वागत हुआ। पूरा आकाश राम के जयघोष से गूंज उठा। विमान से उतरकर राम ने भरत को गले लगाया। तीनों माताओं को सादर प्रणाम किया। भरत भागते हुए आश्रम में गए और राम की खड़ाऊँ उठा लाए। उन खड़ाऊँ को सिंहासन पर रखकर भरत ने चौदह वर्ष अयोध्या का राजकाज चलाया था।

खड़ाऊँ अपने हाथों से राम को पहनाई। सभी के चेहरों पर प्रसन्नता थी। राम भरत का मिलन दृश्य अद्भुत था। वहाँ उपस्थित सभी की आँखों में खुशी के आँसू थे।

3. वर्तमान समय में आप कैसे रामराज्य की कल्पना करते हैं? .।

उत्तर हमारा देश लोकतांत्रिक देश है, जिसमें सभी मनुष्यों के अधिकार तथा कर्त्तव्य संविधान में उल्लेखित हैं। मैं सभी लोगों के लिए भरपेट भोजन, वस्त्र, रहने के लिए घर की कल्पना करता हूँ। प्रत्येक बालक को शिक्षा प्राप्त हो । उचित इलाज की व्यवस्था हो । देश स्वच्छ हो। युवकों को रोजगार मिले। प्रत्येक व्यक्ति खुशहाल हो, ऐसे राज्य की मैं कल्पना करता हूँ ।

4. राम के आगमन के बाद अयोध्या की घटनाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर सजी-धजी अयोध्या नगरी राम के आगमन के लिए बेचैन थी। माताएँ एवं मुनिगण खुश थे। पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा की रही थी। नगरवासी राम को वापस देखकर प्रसन्न थे। भरत अयोध्या का राज्य राम को नंदीग्राम में ही लौटा चुके थे। राजमहल में मुनि वशिष्ठ ने कहा कि अगले दिन राज्याभिषेक किया जाएगा। इसकी तैयारी शत्रुघ्न पहले कर चुके थे।

अगले दिन राम का राज तिलक हुआ। राम और सीता रत्नजड़ित सिंहासन पर बैठे। राजतिलक मुनि वशिष्ठ ने किया। माताओं ने आरती उतारी मंगला चरण गाया गया। राम ने सीता को एक बहुमूल्य हार दिया। सीता ने हनुमान की भक्ति तथा पराक्रम के लिए यह हार उन्हें भेंट किया था। राम राज्य का राज्याभिषेक होने से प्रजा काफ़ी खुश थी।

5. राम ने राज्याभिषेक के समय सीता को क्या भेंट किया? उस भेंट के संबंध में सीता को क्या दुविधा थी?

उत्तर राम ने राज्याभिषेक के समय सीता को एक बहुमूल्य हार भेंट किया। सीता के मन में उस हार को लेकर यह दुविधा थी कि वह यह हार किसे दे। राम ने सीता के मन की बात जानकर उनकी दुविधा दूर करते हुए कहा कि जिस पर तुम अत्यधिक प्रसन्न हो, उसे यह हार दे सकती हो। सीता ने वह हार हनुमान को उपहारस्वरूप भेंट कर दिया, क्योंकि वह हनुमान के बल तथा पराक्रम से अत्यंत प्रसन्न थीं।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ग’ पूरक पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा अध्याय 26 राम का राज्याभिषेक परीक्षा अभ्यास (संपूर्ण पूरक पाठ्यपुस्तक पर आधारित)

1. पुस्तक के पहले अध्याय के पहले अनुच्छेद में लेखक ने सजीव ढंग से अवध की तस्वीर प्रस्तुत की है। तुम भी अपने आस-पास की किसी जगह का ऐसा ही बारीक चित्रण करो । यह चित्रण मोहल्ले के चबूतरे, गली की चहल-पहल, सड़क के नजारे आदि किसी का भी हो सकता है, जिससे तुम अच्छी तरह परिचित हो ।

उत्तर भारत की राजधानी दिल्ली है। दिल्ली एक बड़ा शहर है। इसका दक्षिणी भाग विशेष रूप से हरा-भरा है। भारत के प्रधानमंत्री का निवास स्थान रेसकोर्स है। चौड़ी-चौड़ी सड़कें हैं। आस-पास बड़े-बड़े बंगले हैं। सड़कों के किनारे तरह तरह के पेड़ लगे हैं। हरे-भरे सुंदर बगीचे हैं।

चौराहों पर यातायात व्यवस्थित करने के लिए बत्तियाँ लगी हैं। रेसकोर्स के लगभग एक किलोमीटर पर नेहरू पार्क है। सवेरे शाम यहाँ सैकड़ों की संख्या में लोग व्यायाम करने के लिए आते हैं। सुंदर-सुंदर पेड़ों से घिरा है यह नेहरू पार्क। अंदर मखमली हरी घास अनेक संगीत कार्यक्रमों का आयोजन यहाँ किया जाता है। नेहरू पार्क के पास ही चाणक्यपुरी है। यहाँ सरकारी बंगले हैं। विभिन्न अधिकारी यहाँ निवास करते हैं। यहाँ का वातावरण बहुत शांत है।

2. विश्वामित्र जानते थे कि क्रोध करने से यज्ञ पूरा नहीं होगा, इसलिए वे क्रोध को पी गए। तुम्हें भी कभी-कभी गुस्सा आता होगा। तुम्हें कब-कब गुस्सा आता है और इसका क्या परिणाम होता है?

उत्तर मुझे अक्सर गुस्सा आ जाता है, जब मेरी पसंद का भोजन नहीं मिलता, मित्र के झूठ बोलने पर, छोटे भाई के द्वारा मेरी वस्तु का नुकसान कर देने पर गुस्सा आता है। गुस्सा आने पर मैं अपने पर काबू नहीं कर पाता। जोर-जोर से चिल्लाता हूँ, कभी-कभी सामान फेंकने लगता हूँ। गुस्सा शांत होने पर समझ में आता है, गुस्सा करना व्यर्थ है।

3. राम और लक्ष्मण ने महाराज दशरथ के निर्णय को खुशी-खुशी स्वीकार किया। तुम्हारी समझ में इसका क्या कारण रहा होगा?

उत्तर राम और लक्ष्मण ने महाराज दशरथ के निर्णय को खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया, क्योंकि उन्हें अपने कुल की परंपरा का ज्ञान था। राम पितृभक्त थे। वे किसी भी स्थिति में पिता की आज्ञा को टालना नहीं चाहते थे। उनके पिता वृद्ध थे, वे उन्हें किसी भी प्रकार का कष्ट या मानसिक पीड़ा नहीं देना चाहते थे।

4. विश्वामित्र ने कहा, “ये जानवर और वनस्पतियाँ जंगल की शोभा हैं। इनसे कोई डर नहीं है।” उन्होंने ऐसा क्यों कहा?

उत्तर जानवर और वनस्पतियाँ जंगल का अभिन्न अंग हैं। इनके बिना जंगल के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती है। पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने के लिए जंगलों का होना आवश्यक है। विभिन्न पशु-पक्षियों का जंगल में निवास स्थान होता है। जंगल के बिना इन पशु-पक्षियों का अस्तित्व नहीं रह सकता।

इन जीव-जंतुओं से धरती की सुंदरता है। ये हमारे मित्र हैं, अकारण किसी का नुकसान नहीं करते हैं। हमें इनकी सुरक्षा करनी चाहिए। इसी प्रकार जंगल में लगे विभिन्न प्रकार के वृक्ष, लताएँ वातावरण को संतुलित रखते हैं। अनेक वृक्ष हमारे लिए उपयोगी होते हैं। वृक्षों की छाल, पत्तियाँ आदि औषधि का काम करती हैं।

अतः वनस्पतियाँ जितनी अधिक होंगी उतना ही अच्छा होगा। जंगल भी घना, अच्छा और उपयोगी होता है। इन विभिन्न कारणों से ही विश्वामित्र ने ‘जानवरों और वनस्पतियों को जंगल की शोभा’ कहा है। हम इनसे भयभीत न हों, बस इन्हें अपना मित्र समझें और इनकी उपयोगिता को समझें।

5. लक्ष्मण ने शूर्पणखा के नाक-कान काट दिए। क्या ऐसा करना उचित था ? अपने उत्तर का कारण बताओ।

उत्तर शूर्पणखा ने राम-लक्ष्मण के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। राम ने उस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया, क्योंकि वे विवाहित थे। राम ने शूर्पणखा को लक्ष्मण के पास भेजा। बार-बार आने-जाने के कारण शूर्पणखा खीझ गई। उसने क्रोध में आकर सीता पर झपट्टा मारा। यह कि देखकर लक्ष्मण ने शूर्पणखा के नाक-कान काट दिए।

मेरे अनुसार, लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा के नाक-कान काटना सर्वथा अनुचित था । लक्ष्मण को उसे समझाना चाहिए था। उसके न मानने पर उसे कोई और दंड देना चाहिए था। शूर्पणखा एक राक्षसी थी, परंतु स्त्री थी। अतः स्त्री का अपमान करना अनुचित है।

6. विश्वामित्र और कैकेयी दोनों ही दशरथ को रघुकुल के वचन निभाने की प्रथा याद दिलाते हैं। तुम अपने अनुभवों की मदद से बताओ कि क्या दिया हुआ वचन निभाना हमेशा संभव होता है?

उत्तर सदैव दिया हुआ वचन निभाना संभव नहीं होता है। कभी-कभी परिस्थिति बदल जाने पर मनुष्य चाहते हुए भी दिया हुआ वचन निभाने में असमर्थ होता है। विपरीत परिस्थितियाँ मनुष्य को वचन न निभाने को मजबूर कर देती हैं।

एक मित्र को मैंने रविवार की शाम क्रिकेट मैच खेलने का वचन दिया। मेरे मित्र ने अपने सभी मित्रों को क्रिकेट खेलने के लिए आमंत्रित कर लिया। समय स्थान सभी कुछ निश्चित हो गया। मैं भी बहुत उत्सुक था। निर्धारित समय पर मैं साइकिल से क्रिकेट खेलने के लिए निकला। रास्ते में एक मोटर साइकिल से मेरी टक्कर हो गई। मैं आस-पास वाले लोग मुझे उठाकर अस्पताल ले गए, मेरे पैर की एक हड्डी टूट चुकी थी। मैं मैच खेलने का वायदा नहीं निभा सका।

7. मान लो कि तुम्हारे स्कूल में ‘रामकथा’ को नाटक के रूप में खेलने की तैयारी चल रही है। तुम इस नाटक में उसी पात्र की भूमिका निभाना चाहते हो, जो तुम्हें सबसे ज्यादा अच्छा, दिलचस्प या आकर्षक लगता है। वह पात्र कौन-सा है और क्यों ?

उत्तर ‘रामकथा’ में सभी मुख्य पात्र मेरे प्रिय हैं। सभी विभिन्न गुणों से भरपूर हैं। मैं अपने स्कूल में रामकथा के नाटक में राम की भूमिका निभाना चाहूँगा । राम पुरुषोत्तम हैं। वे पितृभक्त थे। अपने पिता के दिए गए वचनों का पालन करने के लिए राजसिंहासन त्यागकर वन चले गए। मातृप्रेमी थे, अपने तीनों भाइयों से स्नेह करते थे।

लक्ष्मण के क्रोध करने पर भी वे उन्हें शांत कराते रहते थे। माता-पिता के आज्ञाकारी थे और उनका आदर करते थे। कैकेयी द्वारा वनवास दिलाने पर भी उन्हें उनपर क्रोध नहीं आया और शांतिपूर्वक उनकी आज्ञा का पालन किया। वे एक लोकप्रिय राजा थे, वे न्यायप्रिय राजा थे और किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं करते थे। प्रजा उनके राज में बहुत खुश रही वे गुणों के सागर थे।

8. सीता बिना बात के राक्षसों के वध के पक्ष में नहीं थीं, जबकि राम राक्षसों के विनाश को ठीक समझते थे। तुम किससे सहमत हो – राम से या सीता से? कारण बताते हुए उत्तर दो।

उत्तर सीता राक्षसों के स्वभाव से अपरिचित थीं, इसलिए अकारण उनके वध के पक्ष में नहीं थी। राक्षस दुष्ट थे, उनमें से कुछ मायावी भी थे। अकारण ऋषि-मुनियों की तपस्या तथा यज्ञ में विघ्न डालते थे। राक्षसों ने अनेक ऋषियों की हत्या कर डाली थी। वन में राक्षसों का आतंक फैला था। लोग उनसे डरते थे उनमें दया भाव न था। राम राक्षसों के स्वभाव से परिचित थे, इसलिए वह सीता की बातों से सहमत नहीं थे। वे राक्षसों के विनाश को ठीक समझते थे मेरे अनुसार राम का विचार पूर्णत: सही है।

9. रामकथा’ के तीसरे अध्याय में मंथरा, कैकेयी को समझाती है कि राम को युवराज बनाना उसके बेटे के हक में नहीं है। इस प्रसंग को अपने शब्दों में कक्षा में नाटक के रूप में प्रस्तुत करो।

उत्तर नाटक के दो पात्र

  • मंथरा: रानी! रानी जी! कहाँ हैं आप? क्या ऐसी ही सोती रहेगी?
  • कैकेयी: क्या बात है मंथरा ! क्यों आसमान सिर पर उठा लिया है?
  • मंथरा: कुछ पता है राज दरबार में क्या हो रहा है?
  • कैकेयी: मुझे तो नहीं पता। तुम ही बताओ।
  • मंथरा : राम के राज्याभिषेक की तैयारियाँ चल रही हैं।
  • कैकेयी : यह तो खुशी की बात है।
  • मंथरा : तुम्हारी बुद्धि को क्या हो गया है? यह तुम्हारे और भरत के विरुद्ध राजा का षड्यंत्र है।
  • कैकेयी: क्या कहती हो? ठीक ही तो है— राजगद्दी तो राजा के ज्येष्ठ पुत्र को ही मिलती है। राम ज्येष्ठ हैं, मेरा प्रिय है।
  • मंथरा : यह सब छलावा है। राम को राजगद्दी मिलते ही वह भरत को राज्य से निकाल देंगे। तुम रानी से दासी बन जाओगी। कौशल्या राजमाता बन जाएँगी।
  • कैकेयी: तो मैं क्या करूँ? कुछ समझ ही नहीं आ रहा।
  • मंथरा : रानी! तुम राजा दशरथ को उनके दिए गए वचनों की याद दिलाकर वरदान माँगो, तो भरत का राज्याभिषेक और राम को वनवास
  • कैकेयी: परंतु यह सब मैं कैसे करूँ ?
  • मंथरा : भोली रानी! तुम बस मैले कपड़े पहनकर कोपभवन में चली जाओ। राजा आएँ तो बात मत करना, जब वह मनाने लगे तब उन्हें वचन की याद दिलाना और वरदान माँग लेना।
  • कैकेयी: ठीक है! मैं यही करूँगी, किसी भी प्रकार राम का राज्याभिषेक नहीं होने दूंगी।

10. तुमने ‘जंगल और जनकपुर’ तथा ‘दंडक वन में दस वर्ष’ में राक्षसों द्वारा मुनियों को परेशान करने की बात पढ़ी। राक्षस ऐसा क्यों करते थे? क्या यह संभव नहीं था कि दोनों शांतिपूर्वक वन में रहते ? कारण बताते हुए उत्तर दो।

उत्तर राक्षसों और ऋषि-मुनियों के स्वभाव में मूलभूत अंतर होता है। राक्षस दुष्ट प्रवृत्ति के होते हैं। राक्षस पूजा-पाठ में विघ्न डालते हैं और उत्पात मचाते हैं। निर्दोष प्राणियों की हत्या करते हैं। लोग उनके आतंक से परेशान होते हैं। ऋषि-मुनियों की तपस्या में बाधा डालते हैं। दूसरों को कष्ट पहुँचाकर वे प्रसन्न होते हैं। ऋषियों को यज्ञ नहीं करने देते। ऋषि-मुनि शांत स्वभाव, दयावान तथा परोपकारी होते हैं। अपनी भिन्न प्रवृत्तियों के कारण राक्षसों तथा ऋषि-मुनियों का वन में शांतिपूर्वक रहना असंभव है।

11. हनुमान ने लंका से लौटकर अंगद और जामवंत को लंका के बारे में क्या-क्या बताया होगा?

उत्तर हनुमान ने लंका से लौटकर अंगद और जामवंत को लंका की सुंदरता और वैभव के विषय में बताया कि लंका में भव्य महल हैं। पूरी नगरी सोने से जड़ित है। ऊँची-ऊँची अट्टालिकाएँ हैं। सुंदर हरे-भरे सुवासित उद्यान हैं। उद्यानों में फलों से लदे वृक्ष हैं। लंका नगरी चारों ओर से सुरक्षित है। वहाँ का राजा रावण है, जो पराक्रमी और बुद्धिमान है। वह ऊँचे सिंहासन पर विराजित था। अनेक राक्षस राक्षसियाँ वहाँ पहरा देते हैं। वहाँ सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था है। कोई भी बाहर का व्यक्ति अंदर प्रवेश नहीं कर सकता । सीता अशोक वाटिका में है। वे हर समय अनेक राक्षस और राक्षसियों से घिरी रहती हैं।

12. तुमने बहुत-सी पौराणिक कथाएँ और लोक कथाएँ पढ़ी होंगी। उनमें क्या अंतर होता है? यह जानने के लिए पाँच-पाँच के समूह में कक्षा के बच्चे दो-दो पौराणिक कथाएँ और लोक कथाएँ इकट्ठा करें। कथ्य (कहानी), भाषा आदि के अनुसार, दोनों प्रकार की कहानियों का विश्लेषण करें और उनके अंतर लिखें।

उत्तर पौराणिक कथाएँ धार्मिक मान्यताओं पर आधारित होती हैं। उनमें किसी देवी-देवताओं से जुड़े हुए प्रसंग होते हैं। लोक कथाएँ वे होती हैं, जो लोक जीवन में प्रचलित हों। श्रवण कुमार, सत्यवादी हरिश्चंद आदि पौराणिक कथाएँ हैं। हीर राँझा आदि लोक कथाएँ हैं। विद्यार्थी पुस्तकालय से पुस्तकें लाकर कहानियाँ पढ़कर स्वयं विश्लेषण करेंगे।

13. क्या होता यदि (क) राजा दशरथ, कैकेयी की प्रार्थना स्वीकार नहीं करते।

उत्तर (क) यदि राजा दशरथ कैकेयी की प्रार्थना स्वीकार न करते, तो वे अपने दिए गए वचन को पूरा न करने वाले अपने कुल के पहले राजा होते। हो सकता है रानी कैकेयी अपने प्राण त्यागकर वचन पूरा करती। राजा दशरथ को वह सम्मान नहीं मिलता, जो उन्हें वचन पूरा करने के पश्चात् मिला। राम का राज्याभिषेक हो जाता। राम वन नहीं जाते। अयोध्या में रहकर राजकाज चलाते, परंतु यह कथा न होती, जिसे हम आज पढ़ रहे हैं।

(ख) रावण ने विभीषण और अंगद का सुझाव माना होता और युद्ध का फैसला न किया होता ।

उत्तर (ख ) यदि रावण ने विभीषण और अंगद का सुझाव माना होता और युद्ध का फैसला न किया होता, तो सीता को लौटा दिया जाता । राम द्वारा रावण का वध न होता। लंका नगरी का विनाश न होता ।

14. नीचे कुछ चारित्रिक विशेषताएँ दी गई हैं और तालिका में कुछ पात्रों के नाम दिए गए हैं। प्रत्येक नाम के सामने उपयुक्त विशेषताओं को छाँटकर लिखो।

पराक्रमी, साहस, निडर, पितृभक्त, वीर, शांत, दूरदर्शी, त्यागी, लालची, अज्ञानी, दुश्चरित्र, दीनबंधु, गंभीर, स्वार्थी, उदार, धैर्यवान, अड़ियल, कपटी, भक्त, न्यायप्रिय और ज्ञानी ।

  • राम _____
  • लक्ष्मण _______
  • रावण _______
  • विभीषण _______
  • सीता _______
  • कैकेयी _______
  • हनुमान _______
  • भरत _______

उत्तर 

  • राम पराक्रमी, निडर, साहसी, पितृभक्त, वीर, शांत, त्यागी, दीनबंधु, गंभीर, उदार, धैर्यवान, न्यायप्रिय, ज्ञानी ।
  • लक्ष्मण पराक्रमी, निडर, साहसी, पितृभक्त, वीर, त्यागी ।
  • रावण पराक्रमी, निडर, साहसी, वीर, दुश्चरित्र, अड़ियल, कपटी ।
  • विभीषण निडर, साहसी, दूरदर्शी, ज्ञानी। सीता शांत, त्यागी, उदार, धैर्यवान।
  • कैकेयी लालची, अज्ञानी, कपटी, अड़ियल ।
  • हनुमान पराक्रमी, निडर, साहसी, वीर, शांत, दूरदर्शी, त्यागी, भक्त।
  • भरत त्यागी, गंभीर, उदार, धैर्यवान, भक्त, न्यायप्रिय ज्ञानी ।

15. तुमने अपने आस-पास के बड़ों से रामायण की कहानी सुनी होगी। रामलीला भी देखी होगी। क्या तुम्हें अपनी पुस्तक रामकथा की कहानी और बड़ों से सुनी रामायण की कहानी में कोई अंतर नजर आया ? यदि हाँ, तो उसके बारे में कक्षा में बताओ।

उत्तर मैंने बड़े लोगों से रामकथा कई बार सुनी है। रामलीला भी देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। दोनों ही स्थानों पर कहानी के मुख्य पात्रों के विषय में ही उल्लेख होता है, घटनाक्रम तथा कहानी में अंतर नहीं होता है। बाल रामकथा में प्रत्येक छोटी बड़ी घटना की विस्तृत जानकारी मिली, जैसे मुनि विश्वामित्र किस नदी के किस किनारे गए, किस स्थान से अयोध्या नगरी ओझल हो गई। सारी जानकारी विस्तृत रूप में मिली।

16. ‘रामकथा’ में कई नदियों और स्थानों के नाम आए हैं। इनकी सूची बनाओ और एटलस में देखो कि कौन-कौन-सी नदियाँ और जगहें अभी भी मौजूद हैं। यह काम तुम चार-चार के समूह में कर सकते हो।

उत्तर ‘रामकथा’ में आए नदियों तथा स्थानों के नाम निम्नलिखित हैं

नदियों के नाम सरयू, गंगा, यमुना, गोदावरी।

स्थानों के नाम अवध, अयोध्या, मिथिला, चित्रकूट, केकयराज, किष्किंधा, श्रृंगवेरपुर, विंध्याचल, प्रयाग, लंका (विद्यार्थी एटलस में देखेंगे)।

17. यह रामकथा वाल्मीकि रामायण पर आधारित है। तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ के बारे में जानकारी इकट्ठी करो और उसे चार्टपेपर पर लिखकर कक्षा में लगाओ। जानकारी प्रस्तुत करने के निम्नलिखित बिंदु हो सकते हैं

  • रामकथा का नाम
  • रचनाकार का नाम
  • भाषा / प्रांत

18. ‘नगर में बड़ा समारोह आयोजित किया गया। धूमधाम से।’ ‘एक दिन ऐसी ही चर्चा चल रही थी। गहन मंत्रणा ।’ पाँच दिन तक सब ठीक-ठीक चलता रहा। शांति से । निर्विघ्न ।’ रामकथा की इन पंक्तियों में कुछ वाक्य केवल एक या दो शब्दों के हैं। ऐसा लेखक ने किसी बात पर बल देने के लिए, उसे प्रभावशाली बनाने के लिए या नाटकीय बनाने के लिए किया है। ऐसे कुछ और उदाहरण पुस्तक से छाँटो और देखो कि इन एक-दो शब्दों के वाक्य को पिछले वाक्य में जोड़कर लिखने से बात के असर में क्या फर्क पड़ता है। उदाहरण के लिए
‘पाँच दिन तक सब शांति से निर्विघ्न और ठीक-ठाक चलता रहा।’

उत्तर दोनों भाइयों ने उसे सहर्ष स्वीकार कर लिया। सिर झुकाकर ।

आदर सहित।

नदी पार जंगल था। घना । दुर्गम ।

लोगों का आना-जाना लगा रहता। वे प्रश्न पूछते। राय माँगते ।

ध्यान से देखा।

राक्षसियों के बीच एक स्त्री बैठी है।

चेहरा मुरझाया हुआ ।

उदास दयनीय दुर्बल। शोक प्रस्त

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 4 सूचना लेखन Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 4 सूचना लेखन Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 4 सूचना लेखन सूचना-लेखन का अर्थ

सूचना संचार का एक माध्यम है, जिसके द्वारा लोगों के विशेष समूह तक महत्त्वपूर्ण जानकारी अथवा संदेश पहुँचाया जाता है। किसी विशेष विषय पर किसी विशेष व्यक्ति, संस्था, समूह, कार्यालय, शिक्षा संस्थान या समाज विशेष को कम शब्दों व औपचारिक शैली में लिखी गई संक्षिप्त जानकारी सूचना लेखन कहलाती है।

सूचनाओं के प्रकार

  • किसी वस्तु के खो जाने पर उसकी खोज हेतु सूचना
  • विद्यालय तथा संस्थानों में अवकाश (छुट्टी), सांस्कृतिक कार्यक्रमों, परीक्षा व प्रतियोगिता संबंधी, विशेष दिवस मनाने आदि विषयों पर t सूचनाएँ।
  • किसी विशेष कार्य हेतु नियुक्त किए गए व्यक्ति की सूचना ।
  • किसी कार्यक्रम के आमंत्रण की सूचना, किसी विशेष कार्य हेतु नियुक्त किए गए व्यक्ति की सूचना ।
  • किसी नवीन परिवर्तन की सूचना ।

सूचना लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • सूचना लिखते समय सर्वप्रथम ‘सूचना’ शब्द अवश्य लिखें तथा सूचना पूर्ण होने पर उसे एक बॉक्स में बंद कर दें।
  • सूचना विषय के अनुरूप लिखी जानी चाहिए।
  • सूचना किसे देनी है और क्या सूचना देनी है यह स्पष्ट होना चाहिए।
  • सूचना में समय व दिनांक स्पष्ट होना चाहिए।
  • सूचना की भाषा सुगम एवं स्पष्ट होनी चाहिए।
  • सूचना सीमित शब्दों में लिखी जाती है तथा इसे लिखने के पश्चात् धन्यवाद नहीं लिखा जाना चाहिए।
  • सूचना के अंत में जारी करने वाले का नाम व पद अवश्य लिखा होना चाहिए।

Read and Learn More Class 6 Hindi Question and Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 4 सूचना लेखन सूचना-लेखन का प्रारूप

प्रश्न आप स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम, दिल्ली में कार्यरत् हैं। एक स्वास्थ्य संबंधी सूचना को 20-30 शब्दों में लिखिए।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 4 सूचना लेखन Question And Answers सूचना-लेखन का प्रारूप

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 4 सूचना लेखन अभ्यास प्रश्न

1. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘स्वच्छ भारत’ विषय पर विज्ञापन आमंत्रित किए जाने हेतु सूचना लिखिए।

उतर

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली

सूचना

दिनांक 8 अक्टूबर, 20XX

स्वच्छ भारत अभियान

सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि 14 नवंबर, 20XX से आरंभ होने वाले अभियान ‘स्वच्छ भारत’ पर विज्ञापन डिजाइन करें। सर्वश्रेष्ठ विज्ञापन को मंत्रालय द्वारा ₹ 10,000 का नकद पुरस्कार एवं प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाएगा। रंगीन विज्ञापन का आकार 30 x 40 सेमी होना चाहि ए ।

विज्ञापन पीडीएफ प्रारूप में www.davp.nic.in पर उपलब्ध लिंक से अपलोड करें, प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथि 12 अक्टूबर, 20XX है। सुनिश्चित करें कि आपकी प्रविष्टि भारतीय कॉपीराइट अधिनियम का उल्लंघन न करती हो।

डी वी सिंह
(सचिव)

2. विद्यालय की ‘वाद-विवाद प्रतियोगिता’ समिति के सचिव की तरफ से सभी सदस्यों को बैठक के लिए आमंत्रित किए जाने की सूचना लिखिए ।

उतर

अर्वाचीन पब्लिक स्कूल विवेक विहार, नई दिल्ली

सूचना

दिनांक 21 अक्टूबर, 20XX

वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन

विद्यालय की वाद-विवाद समिति के सदस्यों को सूचित किया जाता है कि अगले माह होने वाली ‘अंतर- विद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगिता के आयोजन के संबंध में चर्चा करने के लिए एक बैठक दिनांक 27 अक्टूबर, 20XX की अपराह्न 3 : 00 बजे कक्ष सं. 14 में आयोजित की जाएगी। सभी सदस्य उपस्थित होने का कष्ट करें।

सौम्या रावत
(सचिव) वाद-विवाद समिति

3. विद्यालय के प्रधानाचार्य की ओर से विद्यार्थियों को मोबाइल लेकर नहीं आने के संबंध में सूचना लिखिए।

उतर

बाल भारती स्कूल, मेरठ

सूचना

दिनांक 29 जुलाई, 20XX

मोबाइल फोन का निषेध

विद्यालय के सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय में कोई भी छात्र मोबाइल फोन लेकर नहीं आएगा। यदि कोई इस आदेश को नहीं मानता है, तो उसके विरुद्ध ठोस कदम उठाया जाएगा।

एस के ओहरी
(प्रधानाचार्य )

4. आप निकेतन अपार्टमेंट, नोएडा सेक्टर-63 के आर डब्ल्यू ए के सचिव हैं। गाँधी जयंती के अवसर पर आर डब्ल्यू ए के सदस्यों ने डॉक्टरों की देख-रेख में रक्तदान शिविर का आयोजन किया है। इच्छुक व्यक्ति रक्तदान हेतु सादर आमंत्रित हैं। इस संबंध में सूचना दीजिए।

उतर

निकेतन अपार्टमेंट, नोएडा सेक्टर-63

सूचना

दिनांक 28 सितंबर, 20XX

रक्तदान शिविर का आयोजन

आप सभी को अत्यंत हर्ष के साथ सूचित किया जाता है कि 2 अक्टूबर अर्थात् गाँधी जयंती के शुभ अवसर पर अपार्टमेंट के सामुदायिक भवन में एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है। यह आयोजन दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के डॉक्टरों की देखरेख में किया जाएगा। रक्तदान के इच्छुक व्यक्ति 1 अक्टूबर, 20XX

तक अवश्य नामांकन करवा दें।

आयोजन का दिन- 2 अक्टूबर, 20XX
समय – प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे
स्थान – निकेतन अपार्टमेंट, सेक्टर-63,

अश्विन गुप्ता
(सचिव)
आर डब्ल्यू ए

5. महात्मा गाँधी सार्वजनिक पुस्तकालय, मेरठ के पुस्तकालय अध्यक्ष की ओर से एक सूचना जारी कीजिए कि जनता की माँग पर पुस्तकालय रविवार को पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न 4 बजे तक खुला रहेगा।

उतर

महात्मा गाँधी सार्वजनिक पुस्तकालय, मेरठ

सूचना

दिनांक 23 सितंबर, 20XX

पुस्तकालय के समय में बदलाव से संबंधित

समस्त जनसामान्य को सूचित किया जाता है कि आगामी गाँधी जयंती 2 अक्टूबर, 20XX से लोगों की माँग पर पुस्तकालय हर रविवार को पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न 4 बजे तक खोला जाएगा।

रविकांत त्यागी
(पुस्तकालय अध्यक्ष )

6. सचिव ईरोज गार्डन कल्याण समिति, फरीदाबाद की ओर से कॉलोनी के समस्त निवासियों के लिए यह सूचना जारी कीजिए कि दिनांक 25 अक्टूबर, 20XX को पानी की लाइनों की सफाई के कारण प्रातः 6:00 बजे से सायं 6:00 बजे तक पानी नहीं आएगा।

उतर

ईरोज गार्डन कल्याण समिति, फरीदाबाद

सूचना

दिनांक 20 अगस्त, 20XX

जल आपूर्ति में कटौती

कॉलोनी के समस्त निवासियों को सूचित किया जाता है कि पानी की पाइपलाइनों की सफाई के कारण दिनांक 25 अगस्त, 20XX को प्रातः 6 बजे से सायं 6 बजे तक जल की आपूर्ति बंद रहेगी। असुविधा के लिए खेद है।

राजीव कुमार
(सचिव)

7. थाना हौज खास द्वारा जारी पहचान की अपील हेतु सूचना लिखिए।

उतर

थाना हौज खास, नई दिल्ली

सूचना

दिनांक 13 सितंबर, 20XX

पहचान की अपील

सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि एक अज्ञात व्यक्ति, जिसकी आयु लगभग 35 वर्ष, कद 5’6″ रंग साँवला, जो हल्के नीले रंग की शर्ट तथा नीले रंग की जीन्स पहने हुए हैं, दिनांक 5/9/XX को एम्स अस्पताल, नई दिल्ली में मृत पाया गया। इस संदर्भ में एक डी डी नं. 3-बी 5/9/XX को थाना हौज खास में दर्ज है।

इस मृतक के बारे में किसी भी व्यक्ति को कोई भी जानकारी / सुराग मिले, तो निम्नलिखित को सूचित करने की कृपा करें

थानाध्यक्ष
थाना हौज खास, नई दिल्ली
फोन : 265367XXXX, 265100XXXX

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 3 निबंध लेखन Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 3 निबंध लेखन Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 3 निबंध लेखन निबंध का अर्थ

निबंध अंग्रेजी शब्द ‘Essay’ का हिंदी पर्याय है। निबंध ‘नि’ और ‘बंध’ दो शब्दों के मेल से बना है, जिसका अर्थ है- अच्छी तरह नियमों से बँधा हुआ अर्थात् ऐसी रचना, जिससे विषय वस्तु से संबंधित विचारों को विस्तृत व सारगर्भित जानकारी के रूप में प्रकट किया गया है।

अतः निबंध वह गद्य रचना है, जिसमें लेखक अपने भावों विचारों को क्रमबद्ध, सुसंगठित रूप में प्रस्तुत करता है। हिंदी के प्रसिद्ध निबंधकार और लेखक आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार, “पद्य कवियों की कसौटी है, तो निबंध गद्य की कसौटी है । ”

निबंध के अंग: निबंध के तीन अंग होते हैं।

  1. भूमिका या प्रस्तावना इसके अंतर्गत विषय का परिचय दिया जाता है।
  2. विषय का विस्तार यह निबंध का मध्य या मुख्य भाग भी कहलाता है। इसका आकार विस्तारित होता है। इसमें मुख्य विषय का वर्णन क्रमबद्ध रूप से किया जाता है।
  3. उपसंहार या निष्कर्ष यह निबंध का अंतिम भाग है, जिसे निबंध का निकास द्वार भी कहा जा सकता है। यह भाग इतना प्रभावी होना चाहिए कि पाठक के मन पर इसका अमिट प्रभाव पड़े।

Read and Learn More Class 6 Hindi Question and Answers

निबंध लेखन में ध्यान देने योग्य बातें

  • जिस विषय पर निबंध लिखना है, उस विषय की पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए।
  • विषय संबंधी जानकारी के आधार पर निबंध लिखने से पूर्व उसकी रूपरेखा बना लेनी चाहिए।
  • निबंध का आरंभ विशेष रूप से आकर्षक बनाने का प्रयास करना चाहिए ।
  • निबंध में सजीवता, सहजता का गुण होना चाहिए।
  • निबंध में लंबे वाक्यों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  • निबंध की भाषा सरल, सुबोध, प्रवाहमयी एवं प्रभावोत्पादक होनी चाहिए।
  • निबंध में विराम चिह्नों का उचित स्थानों पर शुद्ध प्रयोग करना चाहिए, जिससे भावों में स्पष्टता आ सके।
  • निबंध के अंत में उससे मिलने वाली शिक्षा या संदेश का उल्लेख किया जाना चाहिए।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 3 निबंध लेखन निबंध का प्रारूप भारत में इलेक्ट्रिक वाहन

भूमिका आज हम सभी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के उन्नत युग में जीवनयापन कर रहे हैं। प्रौद्योगिकी की प्रगति हमेशा मानव जीवन को बेहतर बनाने में मदद करती है। इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग मनुष्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी बहुत लाभदायक है। भारत में इलेक्ट्रिक वाहन अब तीव्रता से पारंपरिक जीवाश्म ईंधन आधारित वाहनों के स्थायी विकल्प के रूप में उभर रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहन नई तकनीक है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, साथ ही यह देश की पेट्रोलियम निर्यातक देशों पर निर्भरता कम कर देगा।

इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभ परिवहन के क्षेत्र में नई तकनीक इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरण के अनुकूल है। यह वाहन बिजली से चलते हैं व धुआँ नहीं छोड़ते इसलिए यह प्रदूषण को कम करने में बहुत मददगार हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग से ग्लोबल वार्मिंग में कमी आएगी।

डीजल, पेट्रोल सभी ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन हैं। इनका अधिक प्रयोग प्रकृति के लिए अच्छा नहीं है। इन प्राकृतिक संसाधन के संरक्षण के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग अत्यंत लाभदायक सिद्ध हो रहा है।

प्रौद्योगिकी की तीव्र गति के साथ लोगों की माँग बढ़ रही है। इस बढ़ती हुई माँग को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन परिवहन के नए साधन के रूप में उभरकर सामने आए हैं। दिल्ली सरकार ने हाल ही में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने हेतु ‘स्विच दिल्ली’ जनआंदोलन
भी प्रारंभ किया है।

इलेक्ट्रिक वाहनों से हानि इलेक्ट्रिक वाहनों की हानि इसकी सीमित ड्राइविंग रेंज है। इन वाहनों के चार्जिंग स्टेशनों की सीमित उपलब्धता एक अन्य नुकसान है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों में लंबी दूरी की यात्रा अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाती है।

इन वाहनों में चार्जिंग के लिए लगने वाला लंबा समय पेट्रोल, डीजल आदि से चलने वाले वाहन को भरने में लगने वाले समय से अधिक होता है। इन इलेक्ट्रिक वाहनों का कम व अधिक जलवायु वाले क्षेत्रों या तापमान में नकारात्मक प्रभाव है, क्योंकि इन क्षेत्रों में वाहनों की बैटरी व ड्राइविंग रेंज कम हो जाती है।

उपसंहार परिवहन की नई तकनीक इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभ व हानि दोनों ही हैं। समय के साथ-साथ व तकनीकी प्रगति द्वारा इन वाहनों को अपनाना अधिक व्यापक होता जा रहा है। भविष्य में ये इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरणीय एवं आर्थिक लाभ के कारण परिवहन के आकर्षक व उत्तम साधन के रूप में उभरकर सामने आएँगे।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 3 निबंध लेखन अभ्यास प्रश्न

चंद्रयान मिशन-3

भूमिका चंद्रयान- 3 भारत के लिए अग्रणी एवं महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि इसने भारत को चंद्रमा पर पहुँचने वाला अमेरिका, रूस, चीन के बाद चौथा देश बना दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने वर्ष 2008 में चंद्रयान लॉन्च किया था। चंद्रयान-1 को वर्ष 2018 में श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था।

इसने हमें चंद्रमा पर खनिजों के बारे में विस्तारपूर्वक स्पेक्ट्रम जानकारी प्रदान की, लेकिन तकनीकी समस्याओं व संचार में रुकावट आने के कारण यह पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सका। अतः चंद्रयान-2 को 22 जुलाई, 2019 को लॉन्च किया गया। यह चंद्रमा की सतह पर पानी का पता लगाने के उद्देश्य से बनाया गया था, परंतु इसका लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसके कारण यह विफल हो गया।

चंद्रयान-3 का लैंडर पिछले मिशन के अनुरूप 14 जुलाई, 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान- 3 लॉन्च किया गया। चंद्रयान-3 में भारत ने अपना वैज्ञानिक अध्ययन और खोज अभियांत्रिकी को मजबूत करने के लिए विक्रम लैंडर और रोवर को चाँद पर भेजने में सफलता प्राप्त की। इस यान में एक ऑर्बिट भी शामिल किया गया है, जो चंद्रमा की सतह की पूरी तरह से निगरानी करेगा। चंद्रयान- 3 ने दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करके इतिहास रच दिया है।

चंद्रयान-3 की विशेषता दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान है। इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर मौजूद पानी और बर्फ की उपस्थिति, वहाँ मौजूद प्राकृतिक तत्त्व एवं खनिजों, चंद्रमा की सतह की संरचना या बनावट, चंद्रमा के वायुमंडल में स्थित प्राकृतिक गैसों तथा संभावित जीवन की जानकारी प्राप्त करना है।

23 अगस्त 2023 को चंद्रयान- 3 सफलतापूर्वक उतर चुका है, जिससे भारत को एक नई पहचान मिली है। इस सफलता के साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बन गया है।

लाभ चंद्रयान-3 से देश के युवाओं को अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारी प्राप्त होगी। देश के सभी लोगों को चंद्रमा की बनावट का पता लगेगा। इस मिशन के सफल होने से अंतरिक्ष क्षेत्र में नई पहचान मिल गई। चंद्रयान- 3 भारत के अंतरिक्ष रहस्यों की खोज और मानव ब्रह्मांड के बारे में ज्ञान का योगदान देना एक बड़ा कदम है।

उपसंहार यह भारत के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण व गौरवशाली कदम है।

” अंतरिक्ष में गूँज उठे हम,
चंद्रयान का गान लिए ।
चाँद तिरंगे रंग में रंगा,
एक नई पहचान लिए ।
मेरे भारत के वैज्ञानिक,
तुम गौरव हो भारत का ।
ऊँचा माथा लिए खड़े हम,
एक सच्चा अभिमान लिए । ”

जी-20

भूमिका जी-20 अर्थात् ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (Group of Twenty) दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का समूह है। जी-20 अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। यह सभी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक संरचना और अधिशासन निर्धारित करने तथा उसे मजबूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

जी-20 शिखर सम्मेलन की स्थापना वर्ष 1999 में हुई थी। यह सम्मेलन वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है। भारत की अध्यक्षता में जी-20 सम्मेलन 9-10 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया। जी-20 शिखर सम्मेलन का इस वर्ष विषय है- हम एक पृथ्वी हैं, एक परिवार हैं और हमारा भविष्य एक है (We are One Earth, One Family and We Share One Future)। यह विषय भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की विचारधारा को दर्शाता है।

जी-20 के सदस्य देश जी 20 यूरोपियन यूनियन एवं 19 देशों का एक अनौपचारिक समूह है। जी-20 शिखर सम्मेलन में सभी नेता प्रत्येक वर्ष एकत्रित होते हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इस विषय पर चर्चा करते हैं। इसकी शुरुआत जर्मन की राजधानी बर्लिन से हुई थी।

जी-20 में 19 देश- अर्जेंटीना, ब्राजील, चीन, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, मैक्सिको, सऊदी अरब, तुर्की, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका, रूस, कोरिया गणराज्य इटली, भारत, फ्रांस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया तथा एक यूरोपीय देश शामिल हैं। जी-20 अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85% वैश्विक व्यापार का 75% से अधिक और विश्व का लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।

जी-20 का उद्देश्य जी -20 का प्रमुख उद्देश्य व्यापार, जलवायु, स्वास्थ्य तथा अन्य मुद्दों पर वैश्विक नीति के समन्वय के लिए नियमित रूप से मिलना, चर्चा करना और उसमें सुधार करना या उससे निपटना है। जी-20 का नेता वर्ष के दौरान, देश के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार लाने, वित्तीय नियमन में सुधार लाने और प्रत्येक सदस्य देश में जरूरी प्रमुख आर्थिक सुधारों पर चर्चा करने के लिए नियमित रूप से बैठक करते हैं।

जी-20 का कार्य जी 20 बैठक वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा और दशा दोनों को ही तय करता है। जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान एजेंडे तय किए जाते हैं। ये समूह मुख्य रूप से ग्लोबल इकोनॉमी, आर्थिक स्थिरता, जलवायु परिवर्तन के मुद्दे, सतत विकास आदि प्रक्रियाओं पर काम करते हैं।

उपसंहार जी-20 सम्मेलन एक प्रासंगिक व महत्त्वपूर्ण सम्मेलन है। यह सम्मेलन विश्व की समस्याओं का समाधान खोजने के लिए सभी राष्ट्रों को एकसाथ एक मंच पर लेकर आता है। भारत भी इसमें शामिल है और हमें भारतीय होने पर गर्व है। इस वर्ष भारत ने विश्व में जी-20 के माध्यम से अपना परचम लहराया है।

चंद्रशेखर आजाद (स्वतंत्रता संग्राम के नायक)

भूमिका हमारे देश को आजादी दिलाने में अनेक देशभक्त वीरों ने अपनी जान की बाजी लगा दी और आजादी के लिए अपना तन-मन-धन सब कुछ भारत माता के चरणों में अर्पित कर दिया। ऐसे ही क्रांतिकारियों में चंद्रशेखर आजाद का नाम अग्रण्य है, जिनका नाम भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।

प्रारंभिक जीवन महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के साधारण से परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित सीताराम और माता का नाम जगरानी देवी था। उनमें साहस और आत्मविश्वास कूट-कूटकर भरा था। चंद्रशेखर आजाद की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा काशी (वर्तमान में वाराणसी) में हुई। उन्हें संस्कृत पढ़ने के लिए भी काशी भेजा गया, जहाँ उन्होंने संस्कृत व्याकरण का अध्ययन किया, पर स्वभाव के अनुरूप उनका मन उसमें न लगा। वे वीरों की कहानियाँ और साहसपूर्ण घटनाओं से संबंधित पुस्तकें पढ़ा करते थे।

त्याग और बलिदान का अद्भुत उदाहरण वर्ष 1919 में जलियाँवाला बाग में हो रही जनसभा में उपस्थित भीड़ पर जनरल डायर ने गोलियाँ चलवा दीं। इसमें हजारों निहत्थे वृद्ध, युवा नर-नारी और बच्चे मारे गए। दस ग्यारह वर्षीय आजाद के मन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। वे उसी समय से अंग्रेजों से बदला लेने की सोचने लगे। वे हर समय यही योजना बनाते रहते कि अंग्रेजों को देश से बाहर कैसे निकाला जाए?

इसके तीन-चार दिन बाद की घटना है कि गाँधीजी एडवर्ड के भारत आगमन पर उनके बहिष्कार के लिए आंदोलन चला रहे थे। लगभग 15 वर्ष की अल्पायु में ही वह इस आंदोलन में कूद पड़े। अंग्रेजों ने इस अल्पवयस्क बालक पर भी दया नहीं दिखाई और उन्हें गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। मजिस्ट्रेट के सामने चंद्रशेखर ने अपना नाम ‘आजाद’, पिता का नाम ‘स्वाधीनता’ और अपना घर ‘जेलखाना’ बताया।

इससे क्रोधित मजिस्ट्रेट ने चंद्रशेखर को 15 बेंत लगाने की सजा दी। जब उनकी पीठ पर बेंत मारी जाने लगी, तो प्रत्येक बेंत मारे जाने के साथ उनके मुँह से ‘भारत माता की जय’, ‘महात्मा गाँधी की जय’ के नारे निकलते रहे। इसी घटना के बाद उनका नाम ‘आजाद’ पड़ गया और वे प्रसिद्ध क्रांतिकारी बन गए। वे अंग्रेजों को नाकों चने चबवाते रहे । 27 फरवरी, 1931 को एक मुठभेड़ में उन्होंने अपनी पिस्तौल की अंतिम गोली स्वयं को मार ली और अंग्रेजों के हाथ जिंदा न पकड़ने की प्रतिज्ञा को निभाया।

उपसंहार चंद्रशेखर आजाद ने अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दे दिया। उनके चरित्र से आज के नवयुवकों को अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा मिलती है। अतः हमें भी अपने देश के लिए सर्वस्व अर्पित करने को तैयार रहना चाहिए।

महात्मा गाँधी (राष्ट्रपिता)

भूमिका भारत को आजादी दिलाने में अनेक महापुरुषों, देशभक्तों और वीरों का अमूल्य योगदान है। इन्हीं महापुरुषों में अद्भुत छवि वाले व्यक्ति भी थे, जिन्हें भारतवासी ‘बापू’ और ‘राष्ट्रपिता’ कहते हैं। बापू की कार्यशैली सबसे अलग थी, जिसके कारण उनकी एक अलग ही छवि बन गई। वे सारे विश्व में जाने-पहचाने जाने लगे। उन्होंने अपने विशेष अस्त्र ‘सत्य और अहिंसा’ के बल पर देशवासियों को आजादी दिलाई। लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता चरम पर थी।

गाँधीजी का अनुकरणीय चरित्र राष्ट्रपिता गाँधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधीजी ने अपनी माँ का सदैव कहना माना और आजीवन सत्य बोलने का प्रण लिया। गाँधीजी की प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में हुई। मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद गाँधीजी वकालत की पढ़ाई करने इंग्लैंड चले गए। वहाँ भी उन्होंने अपनी माता को दिया हुआ 88 वचन निभाया और मांस-मदिरा को हाथ नहीं लगाया। वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद गाँधीजी भारत लौट आए, उन्होंने मुंबई में प्रैक्टिस शुरू की। वे झूठे मुकदमे नहीं लेते थे।

दक्षिण अफ्रीका में गाँधीजी एक मुकदमे की पैरवी के सिलसिले में उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहाँ उन्हें अंग्रेजों द्वारा रंग-भेद की नीति का

शिकार होना पड़ा। दक्षिण अफ्रीका में गाँधीजी ने रंग-भेद के विरुद्ध आवाज उठाई और लोगों का समर्थन प्राप्त किया।

गाँधीजी का स्वतंत्रता के लिए आंदोलन गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका से वापस भारत आए और स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष शुरू किया। उन्होंने सत्य और अहिंसा को अपना अस्त्र बनाया। उनका ‘सत्याग्रह’ पूरे देश में प्रसिद्ध हो गया। उनके रूप में देशवासियों को एक नया नेतृत्व मिल चुका था। उन्होंने वर्ष 1921 में ‘असहयोग आंदोलन’, वर्ष 1930 में ‘नमक सत्याग्रह’ और वर्ष 1942 में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन चलाया। उनके अनवरत् प्रयासों से देश ने 15 अगस्त, 1947 को आजादी का नया सूरज देखा।

उपसंहार गाँधीजी मानवता के सच्चे पुजारी थे। उन्होंने कभी किसी को छोटा नहीं समझा। उन्होंने अछूतों को ‘हरिजन’ नाम देकर समाज में उन्हें सम्मानजनक स्थान दिया। वे भारत में सभी को सुखी और स्वस्थ देखना चाहते थे। इसलिए हमें गाँधीजी के आदर्शों का पालन करना चाहिए। ‘रघुपति राघव राजाराम’ उनका प्रसिद्ध भजन था। मानवता का यह पुजारी 30 जनवरी, 1948 को भारतवासियों को छोड़कर सदा के लिए चला गया।

स्वतंत्रता दिवस

भूमिका इस धरती पर शायद ही कोई ऐसा प्राणी हो, जिसे परतंत्रता प्रिय हो। इसके विपरीत स्वतंत्रता सभी को प्रिय होती है। दुर्भाग्य से यदि किसी प्राणी की स्वतंत्रता छिन जाती है, तो वह उसे पाने के लिए प्राण रहने तक संघर्ष करता है। कुछ ऐसा ही भारतवासियों के साथ हुआ था। हमारे देश को सैकड़ों वर्षों तक पराधीनता का कलंक झेलना पड़ा।

देश की आजादी खोई स्वतंत्रता को पाने के लिए अनेक महापुरुषों, देशभक्तों तथा वीर जवानों को अपना बलिदान देना पड़ा। 15 अगस्त, 1947 को अंततः देशवासियों को खोई आज़ादी मिली। जिस प्रकार किसी वस्तु को खोना सरल होता है, परंतु उसे पाना कठिन, उसी प्रकार खोई आज़ादी को पाने के लिए देशवासियों को बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ा। इस महासंग्राम के पावन यज्ञ में अनेक देशभक्तों को आहुति देनी पड़ी। इनमें तात्या टोपे, मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, वीर कुँवर सिंह, नानासाहब, भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, बालगंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, सुभाषचंद्र बोस आदि नाम अविस्मरणीय हैं।

इनके अतिरिक्त महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल आदि को जेल की यात्रा करनी पड़ी। इन्हीं शहीदों के बलिदान को याद करने तथा अपनी आजादी की रक्षा के लिए प्रतिवर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।

स्वतंत्रता दिवस – राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाना स्वतंत्रता दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रूप में सारे देश में जोश और उल्लास से मनाया जाता है। स्वतंत्रता दिवस का मुख्य पर्व भारत की राजधानी दिल्ली में लालकिले पर मनाया जाता है। इस दिन प्रातः काल प्रधानमंत्री राष्ट्रीय

ध्वज फहराकर राष्ट्र के नाम संदेश प्रसारित करते हैं। इस समारोह में लाखों नर-नारी एकत्र होते हैं। वे राष्ट्र के नाम प्रसारित संदेश सुनते हैं। इसमें देश की प्रगति का खाका खींचते हुए प्रगति के पथ पर अग्रसर करने की झलक मिलती है। इस अवसर पर देश के कृतज्ञ लोगों द्वारा वीर शहीदों को याद किया जाता है।

उपसंहार स्वतंत्रता दिवस एक ओर खुशी का संदेश लेकर आता है, तो दूसरी ओर देशवासियों को उनके कर्त्तव्य की याद भी दिलाता है, इसलिए देशवासियों को इस पावन अवसर पर प्रण करना चाहिए कि हम देश की रक्षा करते हुए अपना सर्वस्व अर्पण कर देंगे। हम ऊँच-नीच का भेदभाव भुलाकर अपनी एकता बनाए रखेंगे और शहीदों को सम्मान देते हुए उनके प्रति कृतज्ञ बने रहेंगे।

गणतंत्र दिवस

भूमिका भारत त्योहारों का देश है। यहाँ कई प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें कुछ सामाजिक, कुछ धार्मिक और कुछ राष्ट्रीय त्योहार हैं। राष्ट्रीय त्योहारों में गणतंत्र दिवस अपना विशेष महत्त्व रखता है। इस पर्व को सारा देश मिल-जुलकर मनाता है।

गणतंत्र दिवस – एक ऐतिहासिक दिन हमारा देश भारत 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हुआ था, पर इसका अपना संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। उसी समय से 26 जनवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसी ऐतिहासिक दिन को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई थी।

स्वतंत्रता दिवस की भाँति ही इस राष्ट्रीय पर्व को भी अत्यंत धूमधाम से सारा देश मिल-जुलकर मनाता है। इस दिन राजपत्रित अवकाश होता है। इससे लोग इस पर्व में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। विभिन्न राज्यों की राजधानियों एवं देशभर में सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। विद्यालयों में बच्चों को एकत्र कर प्रभात फेरियाँ निकाली जाती हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं और बच्चों को देश की आज़ादी एकता और अखंडता बनाए रखने की शपथ दिलाई जाती है। पूरे देश में राष्ट्रीय एकता, देशप्रेम और देशभक्ति बढ़ाने वाले गीतों की गूंज सुनाई देती है। विदेशों में रहने वाले भारतीय भी इस पर्व को हर्षोल्लास से मनाते हैं।

राजधानी में गणतंत्र दिवस देश की राजधानी नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस का समारोह विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दिन पूरी दिल्ली को सजाया जाता है। राष्ट्रपति शाही बग्घी पर बैठकर विजय चौक आते हैं। वहाँ देश के प्रधानमंत्री और तीनों सेना के प्रमुख राष्ट्रपति का स्वागत करते हैं। इस भव्य समारोह को देखने के लिए दिल्ली के अतिरिक्त दूर-दूर से लोग आते हैं। विजय चौक पर अद्भुत दृश्य होता है। सेना के तीनों अंगों द्वारा राष्ट्रपति को सलामी दी जाती है। उनके सामने सामरिक अस्त्र- त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन किया जाता है।

सेना के जवानों द्वारा हैरतअंगेज कारनामे प्रस्तुत किए जाते हैं। इस अवसर पर विभिन्न राज्यों की झाँकियाँ प्रस्तुत की जाती हैं तथा देश के सभी प्रांतों से आए कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। विभिन्न स्कूलों के छात्रों और पुलिस के जवानों द्वारा बैंड वादन किया जाता है। राष्ट्रपति द्वारा साहसिक कारनामा करने वाले बच्चों को पुरस्कृत किया जाता है।

उपसंहार गणतंत्र दिवस हमें अपनी एकता एवं अखंडता बनाए रखने की सीख देता है। हम भारतीयों को अपनी जान देकर अपनी मातृभूमि की रक्षा करनी चाहिए, यही गणतंत्र दिवस का संदेश है।

मेरी दिल्ली हरी-भरी

भूमिका मुझे जिस पावन एवं सुंदर भू-भाग पर जन्म लेने पर पलने-बढ़ने का सौभाग्य मिला है, दुनिया उसे भारत के नाम से जानती है। इसकी राजधानी नई दिल्ली है, जिसे ‘हिंदुस्तान का दिल’ कहा जाता है। यह भारत की राजधानी होने के अतिरिक्त संसार के सुंदर देशों में से एक है। यह हमारे देश का अत्यंत सुंदर और प्राचीन नगर है, जो यमुना नदी के किनारे पर स्थित है।

दिल्ली – एक ऐतिहासिक नगर दिल्ली प्राचीन ऐतिहासिक नगर है, जो परिस्थितिवश अनेक बार बसी और उखड़ी है। महाभारत काल में पांडवों ने इसे दोबारा बसाया और उसका नाम इंद्रप्रस्थ रखा। बाद में इसका नाम शाहजहानाबाद पड़ा। अंत में इसका नाम दिल्ली पड़ा। मुगल शासकों ने इसे अपनी राजधानी बनाया। इसकी भव्यता, सुंदरता और समृद्धि देखकर अंग्रेज शासकों ने भी इसे राजधानी और सत्ता का केंद्र बनाया।

हरी-भरी दिल्ली में प्रदूषण दिल्ली पहले बहुत ही हरी-भरी थी। यहाँ जगह-जगह बाग-बगीचे थे, जिनका प्राकृतिक सौंदर्य मनोहारी था। इसके एक ओर अरावली की पहाड़ियाँ थीं, तो इसके पूर्वी भाग में यमुना नदी कल-कल करती बहा करती थी। यहाँ रोजगार के नाना प्रकार के साधन थे, इसलिए आस-पास के राज्यों से लोग आते रहे। बढ़ती आबादी की आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए हरे-भरे पेड़ों को काटा गया।

मोटरगाड़ियों की संख्या बढ़ी। इससे एक ओर दिल्ली का सौंदर्य नष्ट हुआ, तो दूसरी ओर प्रदूषण का स्तर निरंतर बढ़ता गया। यमुना, जो पतित पावनी मानी जाती थी, इतनी प्रदूषित हो गई कि उसका जल पीना तो दूर स्नान करने लायक भी न रह गया। मोटरगाड़ियों और कल-कारखानों का शोर निरंतर ध्वनि प्रदूषण बढ़ा रहा है।

दिल्ली को हरा-भरा बनाने के उपाय दिल्ली को हरा-भरा बनाने के लिए लोगों में जागरूकता उत्पन्न हुई है। इस दिशा में सरकार ने भी आवश्यक कदम उठाया है। यहाँ वर्षा ऋतु आते ही उद्यान विभाग और पौधशालाओं से पौधों का निःशुल्क वितरण किया जाता है, ताकि लोग अपने आस-पास खाली पड़ी भूमि पर अधिकाधिक पौधे लगाएँ तथा पेड़ बनने तक उनकी रक्षा करें। इसके अतिरिक्त हरे पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगाया गया है। मोटरगाड़ियों में शीशा रहित पेट्रोल का प्रयोग और मेट्रो रेल के परिचालन से प्रदूषण में कमी आई है। इसके अतिरिक्त यमुना की सफाई के लिए उठाए गए आवश्यक कदमों से दिल्ली को सौंदर्य वापस मिलेगा।

उपसंहार हमें दिल्ली के पर्यावरण में सुधार करने और प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए जागरूकता लानी आवश्यक है।

सरकार और नागरिकों की साझेदारी के माध्यम से हरी-भरी दिल्ली का सपना पुनः साकार हो सकता है। हम औद्योगिकीकरण को समझकर निःशुल्क पौधों का वितरण करके और पौधारोपण करके समृद्ध और हरी भरी दिल्ली के सपने को साकार करने में अपना सहयोग दे सकते हैं।

जल ही जीवन है

भूमिका जल है, तभी जीवन है। वैज्ञानिक कहते हैं कि मनुष्य का जन्म जल से हुआ है। जल न हो, तो कोई खाने या पीने का पदार्थ नहीं बन सकता। इसके बिना मनुष्य जी नहीं सकता। तभी सभी मानव सभ्यताएँ नदियों, झरनों या तालाबों के आस-पास जन्मीं, पली-बढ़ीं और विकसित हुईं। ऐसे जल को जीवन कहना गलत नहीं है।

प्रकृति का वरदान जल प्रकृति का वरदान है। इसे कोई मनुष्य नहीं बना सकता। हाँ, यह मनुष्य को जीवित रख सकता है। धरती पर जितना जल है, उसका 97.3% जल खारे समुद्र एकत्र है। इसका उपयोग मानव जाति नहीं कर सकती। 2% बर्फ के रूप में जमा है। शेष बचे 0.07% जल में से 0.06% नदियों, झरनों में बहता है। मात्र 0.01% जल धरती पर सुरक्षित है।

आज हम जल संकट से गुजर रहे हैं। उसके दो कारण हैं- बढ़ती जनसंख्या और जल का गलत ढंग से संरक्षण। जनसंख्या बढ़ रही है तो उसको पीने, नहाने धोने के लिए जल चाहिए। मनुष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए कारखाने और मकान भी चाहिए और चाहे कारखाने चलाने हों या फैक्ट्रियाँ, जल की आवश्यकता हमेशा बनी रहती है। यदि बढ़ती हुई जरूरतों के हिसाब से मनुष्य जल का सही रूप से संरक्षण कर ले, तब भी जल संकट दूर हो सकता है, लेकिन इस दिशा में आज का व्यक्ति चिंतित तो है, पर तैयार नहीं है।

जल संरक्षण के उपाय वर्षा का जल पीने योग्य तथा उपयोगी होता है, लेकिन इसका 80% भाग नदी-नालों में बहकर वापस समुद्र में चला जाता है। यदि उस जल को जंगलों, तालाबों आदि स्थानों में रोक लिया जाए, तो हम जल संकट से मुक्ति पा सकते हैं। जल संकट से मुक्ति के उपाय निम्नलिखित हैं

  1. हमें जंगलों को हरा-भरा बनाना चाहिए।
  2. खुले और ढके हुए तालाबों को स्वच्छ और भरा-पूरा रखना चाहिए।
  3. वर्षा के जल को भूमि के अंदर तक पहुँचाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
  4. नदियों के पवित्र जल को गंदगी व कचरे से दूर रखना चाहिए।

उपसंहार अंत में हम कह सकते हैं कि हम मनुष्य जितनी जल्दी जागृत होंगे, उतनी जल्दी जीवन देने वाले जल को संरक्षित कर सकेंगे और जीवन को एक अमूल्य भेंट प्रदान करेंगे। रहीमदास ने कहा है कि रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।।

अर्थात् पानी के बिना कुछ संभव नहीं है और हमें पानी का संरक्षण और रख-रखाव सही तरीके से करना चाहिए।

रक्षाबंधन (भाई-बहनों के प्रेम का त्योहार)

भूमिका रक्षाबंधन भारत में मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। भारतीय त्योहारों में इसका विशेष महत्त्व है। यह त्योहार भाई बहन के पवित्र रिश्ते को और भी मजबूती प्रदान करता है। यह भाई को बहन के प्रति अपने कर्त्तव्यों की याद दिलाता है। रक्षाबंधन का त्योहार मनाए जाने के पीछे पौराणिक कथा यह है कि एक बार इंद्र और राक्षसों के बीच भीषण युद्ध हुआ, जिसमें देवताओं की पराजय सुनिश्चित लगने लगी, तब इंद्र की पत्नी शची ने देवताओं को राखी बाँधी ।

तब इंद्र के साथ और देवताओं ने भी राक्षसों से युद्ध किया और उन्हें पराजित किया। इसके अतिरिक्त जब बहादुरशाह ने मेवाड़ पर आक्रमण किया और राजपूत हारने लगे, तब चित्तौड़ की महारानी कर्मवती ने मेवाड़ की रक्षा के लिए हुमायूँ को राखी भेजी थी। इस राखी की लाज रखते हुए हुमायूँ ने अपनी सेना के साथ तत्काल प्रस्थान किया और चित्तौड़ की रक्षा की।

भाई-बहन का पर्व रक्षाबंधन का पर्व सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, इसलिए इसे ‘श्रावणी’ भी कहा जाता है। इस दिन बहनें थाली में मिठाइयाँ, रोली टीका और राखी रखकर भाइयों के पास जाती हैं, उन्हें तिलक लगाती हैं और उनके हाथ में राखी बाँधती हैं। भाई उन्हें उपहारस्वरूप कुछ धन, कपड़े या अन्य उपहार देते हैं तथा रक्षा का वचन देते हैं। इससे भाई-बहन के रिश्ते में और भी प्रगाढ़ता आती है।

प्रेम व स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र प्रेम एवं स्नेह का प्रतीक है। यह पूरे देश में उल्लास के साथ मनाया जाता है। देश के कुछ स्थानों पर पुरोहित अपने यजमान को रक्षा सूत्र बाँधते हैं। देश की सीमा पर पहरा देने वाले जवानों के हाथों में राखियाँ बाँधी जाती हैं। कुछ उत्साही बच्चे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी राखी बाँधकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मध्यकाल में युद्ध में जाते हुए भाइयों के हाथ में बहनें राखी बाँधकर उन्हें रणभूमि में भेजती थीं।

उपसंहार रक्षाबंधन पवित्रता और सादगी का त्योहार है, जो भाई बहन के पावन रिश्ते को प्रगाढ़ बनाता है। इस त्योहार में मानवीय भावनाओं को महत्ता देनी चाहिए, न कि धन को कुछ लोग थोड़े से पैसे देकर अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री समझ लेते हैं। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। हमें राखी के धागे में छिपे प्यार और कर्त्तव्य के संदेश को समझना और पूरा करना चाहिए।

विश्व योग दिवस

भूमिका योग का अर्थ होता है— जुड़ना । योग खुद से जुड़ने की क्रिया है और जो खुद से जुड़ पाता है वही समाज के लिए कुछ कर पाता है। आज बहुत-से लोग अपने जीवन में आर्थिक रूप से सुखी हैं, परंतु जीवन की भाग-दौड़ ने उनको मानसिक रूप से खुश नहीं रहने दिया है। मन की शांति का एकमात्र साधन योग है। योग से न केवल मन की शांति, बल्कि सैकड़ों बीमारियों का इलाज भी संभव है।

इसलिए कहा जाता है कि ‘करें योग, रहें निरोग।’ इसका अर्थ यह है कि योग करने मनुष्य निरोग रहता है और कौन नहीं चाहता कि हम स्वस्थ जीवन व्यतीत न करें।

योग दिवस की शुरुआत भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 27 सितंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में कहा-

“योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। ”

इसके बाद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल से 21 जून, 2015 को प्रथम विश्व योग दिवस मनाया गया तथा अब प्रत्येक वर्ष 21 जून को ‘विश्व योग दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।

मानव जीवन का अभिन्न अंग योग की शुरुआत भारत में प्राचीनकाल से मानी जाती है। योग हजारों वर्षों से भारतीयों की जीवन-शैली का हिस्सा रहा है। यह भारत की धरोहर है। योग में पूरी मानव जाति को एकजुट करने की शक्ति है। योग ज्ञान, कर्म और भक्ति का मिश्रण है। दुनियाभर के अनेक लोगों ने योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाया है। दुनिया के कई हिस्सों में इसका प्रचार-प्रसार हो चुका है। हमारे देश का योग विदेश में योगा (Yoga) नाम से प्रचलित है। सभी देश-विदेश के लोगों की दिनचर्या का अभिन्न अंग योग ही है।

विश्व योग दिवस की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष सैम के कुटेसा ने 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने की घोषणा की और कहा कि 170 से अधिक देशों ने विश्व योग दिवस के सुझाव का समर्थन किया है, जिससे पता चलता है कि योग के लाभ विश्व के लोगों को कितना आकर्षित करते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बधाई दी, जिनकी पहल से 21 जून को प्रत्येक वर्ष विश्व योग दिवस घोषित किया गया है। विश्व योग दिवस का उद्देश्य पूरे विश्व में योग से मिलने वाले लाभों के प्रति लोगों को जागरूक करना है।

उपसंहार केंद्र सरकार ने प्रथम विश्व योग दिवस के कार्यक्रम के अवसर पर किए गए योगासन के बारे में फिल्म तैयार करवाई। इस फिल्म को देखकर लोग घर बैठे टीवी, इंटरनेट के माध्यम से भिन्न-भिन्न प्रकार के योगासनों का लाभ उठा सकेंगे। इस प्रकार, कहा जा सकता है योग मात्र किसी एक व्यक्ति की जरूरत न होकर संपूर्ण मानव जीवन की जरूरत है। इस योग दिवस ने विश्व बंधुत्व की भावना को उजागर किया है। आज के समय में योग हमारी जरूरत से अधिक आदत बन गई है, जो हमारे शारीरिक और मानसिक विकास का आधार है।

ईद

भूमिका मानव जीवन में त्योहारों का विशेष महत्त्व है। त्योहार जीवन की नीरसता दूर कर मनुष्य के थके-हारे मन को नवोल्लास तथा उत्साह से भर देते हैं। त्योहार मनुष्य को एक-दूसरे के निकट लाते हैं। तथा आपस में एकता, भाईचारा, सांप्रदायिक सद्भाव और मेल-जोल बढ़ाते हैं। त्योहार हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग हैं, जो देश के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसा ही एक प्रमुख त्योहार है – ईद |

एकता का त्योहार ईद हमारे देश में मनाए जाने वाले अधिकांश त्योहारों का जुड़ाव धर्म के साथ है। यद्यपि विभिन्नता में छिपी एकता की मजबूत भावना रखने वाले भारत देश में त्योहारों को सभी लोग मिल-जुलकर मनाते हैं। ईद मुसलमानों का प्रमुख और सबसे लोकप्रिय त्योहार है। यह त्योहार लोगों को मिल-जुलकर रहने, परोपकार करने और भाईचारा बनाए रखने का संदेश देता है।

रमजान का महीना व ईद की प्रतीक्षा रमजान इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने में मनाया जाता है, जो चाँद की दृश्यता के आधार पर तय किया जाता है। रमजान के आखिरी दिन चाँद देखकर अगले दिन ईद घोषित की जाती है। इस एक माह की अवधि में मुसलमान पवित्रता के साथ रोजा रखते हैं तथा दिन में पाँच बार नमाज पढ़ते हैं। महीने भर की इस अवधि में वे दिनभर निर्जल रहकर शाम को अपना रोजा खोलते हैं। रोजे की समाप्ति के बाद ही ईद का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

ईद के दिन मुसलमान सूर्योदय के बाद किसी बड़ी मस्जिद में सामूहिक नमाज पढ़ते हैं। इस दिन मस्जिदों की भीड़ देखने योग्य होती है। इस नमाज में गजब का अनुशासन दिखाई देता है। लोग वहाँ आते हैं और पंक्तिबद्ध खड़े होकर एवं बैठकर नमाज पढ़ते हैं। नमाज खत्म होने के बाद वे परस्पर गले मिलते हैं और एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं। घर आकर वह मीठी सेवइयाँ खाते एवं खिलाते हैं और गरीबों को दान भी देते हैं।

उपसंहार इस दिन सभी परस्पर बैर भाव भूलकर प्रेम और सद्भाव के व्यवहार से ईद की सार्थकता सिद्ध करते हैं। ईद प्रसन्नता एवं सद्भावना फैलाने का त्योहार है। इस दिन हर आयु वर्ग के लोगों का उत्साह देखते ही बनता है। सभी भारतीयों को एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए एक-दूसरे के त्योहारों को मिल-जुलकर मनाना चाहिए, ताकि राष्ट्रीय एकता और अखंडता और भी मजबूत बने ।

दीपावली (अंधकार पर प्रकाश का प्रतीक वाला त्योहार)

भूमिका भारत पर्वों एवं त्योहारों का देश है। यहाँ समय-समय पर कोई-न-कोई पर्व-त्योहार मनाया जाता है। इन त्योहारों में रक्षाबंधन, दशहरा, होली, दीपावली, ईद आदि प्रमुख हैं। इनमें दीपों का त्योहार दीपावली अपना विशेष महत्त्व रखता है। इसे ‘प्रकाश का पर्व’ भी कहा जाता है। इस त्योहार में भारतीय संस्कृति की झाँकी मिलती है तथा यह हमारी एकता को मजबूत करते हुए जनजीवन को हर्षोल्लास से भर देता है।

दीपावली मनाए जाने का समय दीपावली दो शब्दों- ‘दीप’ और ‘अवली’ के मेल से बना है। इसका अर्थ है – दीपों की पंक्तियाँ। सचमुच अमावस्या की रात में जब यह त्योहार मनाया जाता है, तो धरती पर असंख्य दीप एकसाथ जगमगा उठते हैं। इन्हें देखकर लगता है कि आसमान के लाखों तारे धरती पर उतर आए हैं। इससे धरती की शोभा कई गुना बढ़ जाती है।

दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को अत्यंत हर्षोल्लास से मनाया जाता है। दीपावली से दो दिन पहले धन तेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बर्तन एवं आभूषण खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। इससे बर्तन एवं आभूषणों की दुकानों पर लगी भीड़ देखते ही बनती है। अगले दिन छोटी दीपावली या नरक चतुर्दशी मनाई जाती है।

मनाए जाने का तरीका इस दिन लोग खील बताशे, कपड़े, मिठाइयाँ, उपहार, धूप-दीप-मालाएँ, मोमबत्तियाँ, बिजली के बल्बों की लड़ियाँ, मिट्टी के दीये आदि खरीदते हैं। बच्चे इस दिन पटाखे खरीदते हैं। शाम को दीप जलाकर लक्ष्मी-गणेश का पूजन किया जाता है। घर में जगह-जगह दीप जलाकर रखे जाते हैं। लोग एक-दूसरे से गले मिलकर दीपावली की शुभकामनाएँ देते हैं। वे अपने निकट संबंधियों को उपहार भी देते हैं। बच्चे अपने माता-पिता की देख-रेख में पटाखों का आनंद लेते हैं। इस त्योहार के अगले दिन गोवर्धन पूजा और अंतिम दिन भैय्यादूज का त्योहार मनाया जाता है।

पौराणिक कथा दीपावली मनाने के पीछे पौराणिक कथा यह है कि भगवान श्रीराम रावण को मारकर चौदह वर्ष के वनवास के बाद
अयोध्या वापस आए थे। उनके अयोध्या वापस आने की खुशी में लोगों ने घी के दीप जलाकर खुशियाँ मनाई थीं। तब से यह त्योहार प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह भी इसी दिन बंधन मुक्त हुए थे।

उपसंहार दीपावली हर्षोल्लास लाने वाला पर्व है। इसे सादगीपूर्वक मनाना चाहिए। पटाखे कम-से-कम जलाने चाहिए, ताकि प्रदूषण न बढ़ने पाए। कुछ लोग इस अवसर पर जुआ भी खेलते हैं। हमें इस दुष्प्रवृत्ति पर भी अंकुश लगाना चाहिए। दीपावली का त्योहार हमें एकता, स्वच्छता तथा खुशियों का संदेश देता है। अतः हमें इसे मिल-जुलकर प्रेम से मनाना चाहिए।

दशहरा (असत्य पर सत्य की जीत पर मनाया जाने वाला पर्व)

भूमिका भारत त्योहारों का देश है। साल में एक-दो महीनों को छोड़कर यहाँ प्रत्येक माह कोई-न-कोई त्योहार मनाया जाता है। यहाँ रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, नागपंचमी, दशहरा, दीपावली, भैय्यादूज, क्रिसमस, ईद, लोहड़ी, बसंत पंचमी, होली, बैसाखी, राम नवमी आदि त्योहार खूब धूमधाम से मनाए जाते हैं। इनमें बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाने वाला त्योहार दशहरा अपना विशेष महत्त्व रखता है।

दशहरा मनाए जाने का समय दशहरा पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में प्रथमा तिथि से दशमी तक मनाया जाता है। इस समय प्रत्येक शाम को भगवान राम की पावन लीला का मंचन किया जाता है। इसके अंतर्गत राम जन्म से लेकर रावण पर विजय पाने के घटनाक्रम को दिखाया जाता है। इसकी संगीतमय प्रस्तुति अत्यंत आकर्षक और मनभावन होती है। दसवें दिन राम-लक्ष्मण और सीता की झाँकियाँ निकाली जाती हैं।

बुराई पर अच्छाई की जीत किसी खुले स्थान पर रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के विशालकाय पुतले खड़े किए जाते हैं। झाँकी का यहीं समापन होता है। मंत्रोच्चारण के बीच राम के बाण मारते ही रावण का पुतला जल उठता है। अन्य बाणों से मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले भी जल उठते हैं। इस तरह बुराई पर अच्छाई की जीत का अनुकरणीय प्रदर्शन होता है।

उपसंहार इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। स्त्री-पुरुष और बच्चों का उत्साह एवं उल्लास देखने योग्य होता है। बच्चे खिलौनों के रूप में धनुष-बाण, गदा, मुखौटे आदि खरीदकर खुश होते हैं। दशहरा हमें बुराई से दूर रहने तथा अच्छाई को अपनाने की सीख देता है। इस अवसर पर हमें राम के अनुकरणीय चरित्र से सीख लेकर परस्पर प्रेम एवं सद्भाव से रहना चाहिए तथा लोगों में भी यही संदेश फैलाना चाहिए।

जन्माष्टमी (भगवान कृष्ण की बाल लीला)

भूमिका भारत भूमि अत्यंत सुंदर, सुखद और पावन है। इस भूमि पर अनेक महापुरुषों और युगपुरुषों ने जन्म लिया है। यहाँ राम, कृष्ण, गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी, संत नानक देव, कबीर, तुलसी आदि युगपुरुषों और संत-महात्माओं ने जन्म लिया है, जिससे इस धरा की पवित्रता और महत्ता और भी बढ़ गई है। इनमें श्रीकृष्ण ऐसे ही युगपुरुष थे, जिनका जन्मदिवस श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाया जाता है।

जन्माष्टमी और पौराणिक कथा भारत भूमि को समय-समय पर अधर्म, अन्याय और अत्याचार का सामना करना पड़ा है। इसकी रक्षा के लिए तथा धर्म की स्थापना करने के लिए स्वयं ईश्वर ने विभिन्न रूपों में अवतार लिया है। कहा जाता है कि आज से हजारों वर्ष पूर्व मथुरा में उग्रसेन नामक राजा राज्य करते थे। उनका पुत्र कंस बहुत अत्याचारी था।

कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक राजा के साथ हुआ था। विवाह के बाद जब वसुदेव के साथ देवकी की विदाई हो रही थी, तब कंस को यह भविष्यवाणी सुनाई दी कि हे कंस! देवकी के आठवें पुत्र द्वारा तेरा वध किया जाएगा।

यह सुनते ही कंस ने वसुदेव और देवकी को कारागार में डाल दिया। उसने देवकी की सात संतानों का एक-एक कर वध कर दिया, पर जब आठवें बालक का जन्म श्रीकृष्ण के रूप में हुआ, तब उनकी बेड़ियाँ खुल गईं। कारागार के रक्षक गहरी नींद में सो गए। भादो महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्मे बालक श्रीकृष्ण को वसुदेव अपने मित्र नंद के घर छोड़ आए और उनकी कन्या लाकर देवकी की गोद में डाल दी। प्रातः काल कंस ने कन्या का वध कर दिया और भयमुक्त हो गया। उधर श्रीकृष्ण जब बड़े हुए, तब उन्होंने कंस का वध किया। भगवान कृष्ण के जन्म दिवस को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

जन्माष्टमी मनाने का तरीका जन्माष्टमी के दिन लोग व्रत-उपवास रखते हैं तथा शाम को मंदिर में या घर पर ही भजन-कीर्तन करते हैं। मंदिरों में झाँकियाँ सजाई जाती हैं, जिनमें पालने सुंदर ढंग से सजाएं जाते हैं। आधी रात में श्रीकृष्ण का जन्म होते ही लोग उल्लासित हो उठते हैं। मंदिरों के घंटे बज उठते हैं। प्रसाद का वितरण होता है।

इसे खाकर लोग अपना व्रत खोलते हैं। इस उत्सव की विशेष शोभा मथुरा के मंदिरों में देखते ही बनती है। वहाँ देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु एकत्र होते हैं और इस त्योहार का आनंद लेते हैं।

उपसंहार जन्माष्टमी का त्योहार हमें श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश देता है। यह त्योहार हमें साहसी बनने, अन्याय एवं अत्याचार न सहने तथा धर्म की राह अपनाने की प्रेरणा देता है। हमें श्रीकृष्ण के आदर्शो पर चलते हुए समाज में सद्भाव, प्रेम, भाईचारे और एकता को मजबूत करना चाहिए।

होली (रंगों का त्योहार)

भूमिका मनुष्य अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए श्रम करता है। इससे उसके तन-मन को थकान और जीवन में नीरसता पैदा होती है। इस थकान और नीरसता को दूर करने के लिए वह त्योहारों का सहारा लेता है। ये त्योहार मनुष्य को उत्साह, ऊर्जा और हर्षोल्लास से भर देते हैं। होली ऐसा ही त्योहार है, जो प्रतिवर्ष खुशियाँ लेकर आता है और लोग आपसी मतभेद भुलाकर इसे मिल-जुलकर खुशी-खुशी मनाते हैं। यह त्योहार रंग और गुलाल उड़ाकर मनाया जाता है। इसलिए इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है।

होली की पौराणिक कथा होली का त्योहार सारे देश में मिल-जुलकर मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने के पीछे जनश्रुति यह है कि हिरण्यकश्यप नामक राक्षसों का राजा था, जो बहुत अत्याचारी था। वह स्वयं को भगवान समझता था। वह चाहता था कि लोग उसे भगवान मानकर उसकी पूजा करें, पर उसका पुत्र प्रह्लाद ईश्वर का पक्का भक्त था।

वह ईश्वर में गहरी आस्था और विश्वास रखता था। इससे रुष्ट होकर हिरण्यकश्यप ने उसे प्रताड़ित करना शुरू किया और कई बार उसे मारने का असफल प्रयास किया। प्रह्लाद की बुआ होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ जाए, जिससे प्रह्लाद जलकर मर जाए। ईश्वर की कृपा से प्रह्लाद तो बच गया, परंतु होलिका जल गई। इसी घटना की याद में होली का त्योहार मनाया जाता है।

रंगों का त्योहार होली का त्योहार वसंत ऋतु में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस रात्रि में लकड़ियों और उपलों का ढेर लगाकर होलिका जलाई जाती है।

लोग उसकी परिक्रमा करते हैं। इसी आग में नए अनाज की बालियाँ भूनकर उन्हें प्रसाद के रूप में घर लाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों का त्योहार होली मनाई जाती है। बच्चे सवेरे से ही रंग और

पिचकारियाँ लेकर निकल पड़ते हैं। एक-दूसरे पर रंग डालते हैं। बच्चे, युवा तथा बड़े सभी रंगों में रंगीन हो जाते हैं। वे बूढ़ों तथा बुजुर्गों को अबीर लगाकर उनके चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस अवसर पर सभी होली की शुभकामनाएँ देते हैं।

उपसंहार होली खुशियों का त्योहार है। यह प्रेम, एकता, सद्भावना, भाईचारा बढ़ाने वाला त्योहार है। हमें आपसी घृणा, शत्रुता, बैर-भाव, द्वेष भूलकर प्रेमपूर्वक मिल-जुलकर होली मनानी चाहिए तथा अपने। साथ-साथ दूसरों के जीवन को भी रंगों की खुशियों से भर देना चाहिए, ताकि सभी के लिए होली मंगलमय बन जाए ।

5G नेटवर्क

भूमिका 5G में ‘G’ का अर्थ जनरेशन (पीढ़ी) होता है। जिस भी पीढ़ी की टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है, उसके आगे ‘G’ लगाया जाता है और यही ‘G’ आधुनिक तकनीक के उपकरण को नई पीढ़ी के रूप में दर्शाने का कार्य करता है। हमारा देश धीरे-धीरे नई तकनीक की ओर अग्रसर होता जा रहा है और हमारे देश में नई-नई तकनीकों का आविष्कार किया जा रहा है।

5G एक आधुनिक तकनीक 5G टेक्नोलॉजी दूरसंचार की टेक्नोलॉजी से संबंध रखती है। किसी भी तकनीक का प्रयोग वायरलेस तकनीक के द्वारा किया जाता है। दूरसंचार की इस नई तकनीक में रेडियो तरंगें और विभिन्न तरह की रेडियो आवृत्ति का उपयोग किया जाता है। 5G तकनीक अगली पीढ़ी की तकनीक है और यह अब तक की सबसे ज्यादा आधुनिक तकनीक मानी जा रही है।

5G नेटवर्क के लाभ 5G तकनीक के आ जाने से ड्राइवरलेस कार, हेल्थ केयर, वर्चुअल रियलिटी क्लाउड गेमिंग के क्षेत्र में नए-नए विकासशील मार्ग खुलते चले जा रहे हैं।

5G तकनीक सुपर हाई स्पीड इंटरनेट की कनेक्टिविटी प्रदान करने के साथ-साथ कई महत्त्वपूर्ण स्थानों में उपयोग में लाई जा रही है। 5G टेक्नोलॉजी आ जाने से कनेक्टिविटी में और भी ज्यादा विकास एवं शुद्धता प्राप्त हुई है।

5G का उपयोग स्मार्ट शहरों और अन्य जुड़े हुए वातावरणों के विकास के साथ-साथ नई स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा प्रौद्योगिकी के विकास के लिए भी किया जा रहा है।

5G की विशेषताएँ 5G तकनीक की स्पीड लगभग एक सेकंड 20Gbs ( डाउनलोड के आधार पर) इसके उपभोक्ताओं को प्राप्त होती है। 5G नेटवर्क के आ जाने से देश में डिजिटल इंडिया को एक अच्छी गति प्राप्त हुई है और साथ ही देश के विकास में तीव्रता आई है। हाल ही में आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन ने दावा किया है कि देश में 5G के आ जाने से हमारे देश की जीडीपी एवं अर्थव्यवस्था में काफी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है।

उपसंहार 5G तकनीक से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत होने की आशा है। जहाँ तक प्रौद्योगिकी के राष्ट्रव्यापी परिनियोजन का संबंध है, भारत को अभी भी एक लंबा मार्ग तय करना है, जिसके अंतर्गत स्पेक्ट्रम की कीमतों को कम करना, ग्रामीण शहरी इलाके में तकनीक के अंतर को पाटना एवं नेटवर्क की पहुँच को देश के हर घर तक बढ़ाना शामिल है।

पैट जीपीटी

भूमिका चैट जीपीटी (जनरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफॉर्मर) ओपन ए आई (Artificial Intelligence) द्वारा विकसित एक बड़े पैमाने पर नेटवर्क आधारित भाषा प्रारूप है। जीपीटी मॉडल बड़ी मात्रा में कंटेंट लिख सकता है, यह विभिन्न विषयों पर प्रतिक्रियाएँ दे सकता है; जैसे- प्रश्नों का उत्तर देना, स्पष्टीकरण प्रदान करना और संवाद में भाग लेना। चैट जीपीटी अनुवर्ती प्रश्नों का उत्तर देने के साथ अपनी गलतियों को स्वीकार कर सकता है, गलत धारणाओं को चुनौती दे सकता है, साथ ही अनुचित अनुरोधों को अस्वीकार कर सकता है।

चैट जीपीटी की विशेषताएँ चैट जीपीटी की प्राकृतिक भाषा को संसाधित करने एवं समझने हेतु डिजाइन किया गया है। इसका उपयोग वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों; जैसे-डिजिटल मार्केटिंग, ऑनलाइन सामग्री निर्माण, ग्राहकों के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए किया जाता है। यह मनुष्य के बोलने की शैलियों की नकल करते हुए प्रश्नों की एक बड़ी श्रृंखला का जवाब दे सकता है। इसे बुनियादी ई-मेल, पार्टी नियोजन सूचियों, सीवी और यहाँ तक कि कॉलेज निबंध और होमवर्क के प्रतिस्थापन के रूप में देखा जा रहा है। इसका उपयोग कोड लिखने के लिए भी किया जा सकता है।

चैट जीपीटी की सीमाएँ भाषा इंटरफेस (BHASHINI, BHASHA Interface for India) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से भाषा अनुवाद करता है, जिससे कभी-कभी उनमें कुछ त्रुटियाँ रह जाती हैं।

उपसंहार चैट जीपीटी के अंतर्गत उपयोगकर्ता वॉयस नोट्स का उपयोग करके एक प्रश्न पूछ सकता है और चैट द्वारा उत्पन्न आवाज आधारित प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकता है। चैटबॉट भारत की ग्रामीण और कृषक आबादी को ध्यान में रखकर विकसित किया जा रहा है, जो अधिकांशतः सरकारी योजनाओं तथा सब्सिडी पर निर्भर करता है। इसके संभावित उपयोगकर्ता भाषाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग करते हैं, जिससे एक भाषा मॉडल बनाना महत्त्वपूर्ण हो जाता है, जो उन्हें सफलतापूर्वक पहचान और समझ सके। इससे भारत में उन किसानों को मदद मिलेगी, जो स्मार्टफोन पर टाइपिंग नहीं कर सकते हैं।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 2 अनुच्छेद-लेखन Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 2 अनुच्छेद-लेखन Question And Answers

अनुच्छेद का अर्थ

किसी विषय पर संक्षेप में अपने भाव-विचार व्यक्त करना अनुच्छेद-लेखन कहलाता है। अनुच्छेद में किसी एक विषय पर संक्षेप में मुख्य बिंदुओं पर चर्चा की जाती है। अनुच्छेद लेखन को निबंध का लघु रूप भी कहा जाता है, लेकिन निबंध और अनुच्छेद में अंतर होता है। निबंध में विषय के पक्ष-विपक्ष में तथा उसके विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत रूप से लिखा जाता है, किंतु अनुच्छेद के विषय को विस्तृत रूप से न लिखकर प्राय: 80-100 शब्दों में मुख्य बिंदुओं का ही वर्णन किया जाता है।

अनुच्छेद लेखन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • अनुच्छेद लेखन के लिए दिए गए शीर्षक व संकेत बिंदुओं पर विचार कर लेना चाहिए।
  • अनुच्छेद के केंद्र-बिंदु को ध्यान में रखकर अनुच्छेद न अधिक बड़ा न अधिक छोटा होना चाहिए।
  • संक्षेपीकरण के कारण अनुच्छेद अधूरा नहीं रह जाना चाहिए ।
  • विषय के किसी भी बिंदु की विस्तृत व्याख्या से बचना चाहिए ।
  • अनुच्छेद की भाषा सरल व प्रभावपूर्ण होनी चाहिए।
  • पुनरुक्ति से बचने का हरसंभव प्रयास करना चाहिए।
  • विषय-वस्तु से संबंधित विचारों को व्यवस्थित व क्रमबद्ध रूप में लिखना चाहिए।
  • मुहावरे लोकोक्तियों का प्रयोग अनुच्छेद को प्रभावशाली बनाते हैं।
  • अनुच्छेद के अंत में विषय का निष्कर्ष पूरी तरह स्पष्ट हो जाना चाहिए।

Read and Learn More Class 6 Hindi Question and Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 2 अनुच्छेद-लेखन अभ्यास प्रश्न

भारत का नया संसद भवन

संकेत बिंदु

  • भवन का उद्घाटन
  • संरचना
  • सीटों की संख्या
  • आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 28 मई, 2023 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नए संसद भवन का उद्घाटन किया है। दिल्ली में पुराने संसद भवन को अब लगभग 100 वर्ष पूरे हो गए थे। ऐसे में एक नए संसद भवन की कमी महसूस हो रही थी, जिसमें आज के युग की नव- तकनीकें मौजूद हों। फलस्वरूप 10 दिसंबर, 2020 को नरेंद्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन की आधारशिला रखी गई।

नए संसद भवन का आकार वास्तुशिल्प संरचना के अनुसार त्रिकोणीय है। इसका निर्माण सेंट्रल विस्टा संरचनाओं की तर्ज पर किया गया है। इसमें लोकसभा, राज्यसभा, केंद्रीय लाउंज और संवैधानिक प्राधिकरणों के कार्यालय हैं। नई संसद में लोकसभा सीटों की संख्या 888 है।

राज्यसभा में सदस्यों के बैठने की क्षमता को 280 से बढ़ाकर 384 की गई है अर्थात् संयुक्त सत्र के दौरान नए संसद भवन में 1,272 से ज्यादा सांसद बैठ सकेंगे। नए संसद भवन में रखा जाने वाले संगोल की कहानी वास्तव में भारत की आज़ादी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़ी हुई है।

नए संसद भवन के निर्माण का टेंडर टाटा ग्रुप ने जीता था। नए संसद भवन को ‘आत्मनिर्भर भारत की भावना का प्रतीक माना जाएगा।

बाल मजदूरी एक सामाजिक अभिशाप

संकेत बिंदु

  • काम करने की विवशता
  • बचपन का छिन जाना
  • कारण
  • उपाय

आज भारत को जिन सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उनमें बाल मजदूरी प्रमुख है। बाल मजदूरी छोटी उम्र में बच्चों द्वारा व्यावसायिक काम करने की विवशता है। बचपन मानव जीवन का स्वर्णिम काल होता है। इस काल में बच्चा खेल – कूदकर अपना मनोरंजन और शारीरिक विकास करता है। वह पढ़-लिखकर समाजोपयोगी नागरिक बनता है, परंतु बचपन में मजदूरी करने से उसका बचपन छिन जाता है और खेल-कूद तथा पढ़ाई-लिखाई के अवसर नष्ट हो जाते हैं। इससे बच्चा बन्धुआ मजदूर बनकर रह जाता है।

वह एक मजदूर की जिंदगी जीने को अभिशप्त हो जाता है। बाल मजदूरी का प्रमुख कारण निर्धनता है। इसके कारण न चाहते हुए भी माता-पिता अपने बच्चों को काम पर भेजने के लिए विवश होते हैं। इसके अतिरिक्त समाज के कुछ स्वार्थी लोग बच्चों से लगभग मुफ्त में नौकरी करवाकर मोटा मुनाफा कमाते हैं। सरकार को बाल मजदूरी रोकने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।

आदित्य एल 1 सौर मिशन

संकेत बिंदु

  • कब लॉन्च किया गया
  • पहला सौर मिशन
  • उद्देश्य
  • क्रांतिकारी मिशन

आदित्य एल 1 एक कोरोनोग्राफी अंतरिक्ष यान है। यह सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला सौर मिशन है। पहले इसका नाम आदित्य-1 था, जिसे बदलकर आदित्य एल 1 कर दिया गया। आदित्य एल 1 का प्राथमिक उद्देश्य विशेष रूप से सूर्य की बाहरी परत पृथ्वी की जलवायु और सौर कोरोना गतिविधियों के प्रभाव का अध्ययन करना है।

आदित्य एल 1 मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। इसे 2 सितंबर, 2023 को प्रातः 11 बजकर 50 मिनट पर PSLV-C57 रॉकेट द्वारा श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया है। इसे पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी की दूरी पर लैग्रेज प्वाइंट 1 (एल 1) नामक स्थान के आस-पास एक प्रभा मंडल कक्षा में स्थापित किया गया।

यह एल 1 अंतरिक्ष में एक स्थान है, जहाँ सूर्य और पृथ्वी जैसे दो खगोलीय पिंडों के गुरुत्वाकर्षण बल संतुलन में हैं। यह वहाँ रखी हुई वस्तु को दोनों खगोलीय पिंडों के संबंध में अपेक्षाकृत स्थिर रहने की अनुमति देता है। आदित्य एल 1, 6 जनवरी, 2024 को सफलतापूर्वक पहुँच गया।

यह मिशन भारत के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण मिशन है, जो सूर्य की गतिशीलता और अंतरिक्ष मौसम की समझ में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा।

बच्चों के बस्ते का बढ़ता बोझ

संकेत बिंदु

  • अधिक पुस्तकों का बोझ
  • मानसिक विकास में रुकावट
  • शिक्षा की प्रणाली में परिवर्तन लाना

शिक्षा में ज्यों-ज्यों निजी क्षेत्र का हस्तक्षेप बढ़ा है, त्यों-त्यों अच्छी शिक्षा देने के नाम पर प्राइवेट स्कूल पाठ्यक्रम में पुस्तकें बढ़ाते ही जा रहे हैं, जिसका सीधा असर बच्चों के कंधों और उनके बस्तों पर पड़ रहा है। आज छोटे-छोटे बच्चों को उनके वजन के बराबर या उससे अधिक वजन वाला बस्ता लेकर स्कूल जाते हुए देखा जा सकता है।

अब तो बच्चों का बस्ता पहुँचाने के लिए अभिभावकों को भी साथ जाना पड़ रहा है। माता-पिता की पसंद के अनुरूप भी अब ऐसे विद्यालय बनते जा रहे हैं, जहाँ खूब सारी किताबें मँगवाई जाती हैं। अधिकांश माता-पिता के लिए किताबों की अधिकता ही उनके लिए अच्छी शिक्षा की गारंटी देती है, जबकि इससे बच्चे का मानसिक विकास नहीं हो पाता है।

बच्चों को इतना गृहकार्य दिया जाने लगा है कि उन्हें पूरा कराने के लिए या तो ट्यूटर की जरूरत पड़ने लगी है या माता-पिता उन्हें खुद पढ़ाने के लिए विवश हैं। बच्चों की शिक्षा का माध्यम सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान न होकर व्यावहारिक एवं रचनात्मक होना चाहिए। अतः विद्यालयी शिक्षा की प्रक्रिया में परिवर्तन लाकर बच्चों के बस्तों के बढ़ते बोझ को कम करके पाठ्यक्रम में बदलाव लाने की आवश्यकता है।

बढ़ती आबादी, घटते वन

संकेत बिंदु

  • जनसंख्या का बढ़ना व संसाधनों का घटनाक
  • देश के विकास में बाधा
  • वनों की अंधाधुंध कटाई
  • नियंत्रण की आवश्यकता

भारत की जनसंख्या में जिस तीव्रता के साथ वृद्धि हो रही है, उतने ही तीव्रता से संसाधन भी घटते जा रहे हैं तीव्रता से बढ़ती आबादी के कारण देश को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इससे एक ओर देश का विकास बाधित हो रहा है, तो दूसरी ओर प्राकृतिक संसाधनों पर भी इसका बुरा असर दिखाई देने लगा है। निगड जनसंख्या की बढ़ती जरूरतें पूरी करने के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है।

वनों की इस कटाई से लोगों की आवास समस्या तो हल हो रही है, परंतु अप्रत्यक्ष रूप से अनेक समस्याएँ पैदा हो रही हैं। इससे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, तो हरियाली में भी कमी होती जा रही है। वन्यजीवों की अनेक प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर पहुँच चुकी हैं। धरती का तापमान बढ़ रहा है और ओजोन परत प्रभावित हो रही है। मानवता को बचाए रखने के लिए वनों की कटाई और जनसंख्या वृद्धि दोनों पर नियंत्रण करने की आवश्यकता है। तभी पृथ्वी पर जीवन सुचारु रूप से चल पाएगा।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) परिश्रम का महत्त्व

संकेत बिंदु

  • कंप्यूटर पर निर्भरता
  • मानव बुद्धि की नकल
  • उपयोग
  • संभावित खतरे

आधुनिक समय में हमारा जीवन काफी हद तक कंप्यूटर पर निर्भर हो गया है। कंप्यूटर के बिना जीवन के बारे में सोचना लगभग असंभव है, इसलिए कंप्यूटर को इंटेलिजेंस बनाना बहुत जरूरी है ताकि हमारा जीवन सरल हो सके। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर का सिद्धांत और विकास है, जो मानव बुद्धि की नकल है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता विभिन्न क्षेत्रों; जैसे- चिकित्सा में रोगी के रोग का पता लगाने में, शिक्षा में छात्रों को नवीन तकनीक द्वारा पढ़ाने, वित्तीय क्षेत्र में डाटा का विश्लेषण करके निवेशकों के लिए निवेश का उचित सुझाव देना, धोखाधड़ी को पहचानना, कृषि जगत में पौधों की देख-रेख मौसम की स्थिति, तापमान आदि में उपयोगी है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंप्यूटर और रोबोटिक्स की दुनिया में क्रांति जैसा है, परंतु इससे संभावित खतरे भी हैं। यदि मशीनें स्वयं निर्णय लेने लगेंगी और उस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो यह मानव सभ्यता के लिए खतरा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता दुनिया का भविष्य बनाने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है। यह मानव जाति के इतिहास में एक बड़ी क्रांति लाएगा।

मीठी वाणी की महत्ता

संकेत बिंदु

  • वाणी का महत्त्व
  • मीठी वाणी का प्रभाव
  • मीठी व कड़वी वाणी में अंतर

कवि रहीम ने कहा है कि “कागा काको लेत है, कोयल काको देय! मीठे वचन सुनाय के जग अपनो करि लेय!”

अर्थात् न कौआ किसी का कुछ लेता है और न कोयल किसी को कुछ देती है। एक ओर कौए को भगाया जाता है, तो दूसरी ओर कोयल अपनी वाणी से लोगों को अपना बना लेती है। इससे वाणी की महत्ता अपने आप सिद्ध हो जाती है। इसी प्रकार व्यावहारिक जीवन में भी हम कुछ लोगों की बातें मुग्ध होकर सुनते हैं, जबकि कुछ लोगों का कर्कश स्वर सुनकर हम अपने कान बंद कर लेना चाहते हैं।

मीठी वाणी अपने प्रभाव से शत्रु को भी मित्र बना लेती है। इससे सुनने वाले को सुख मिलता है। मधुर वाणी औषधि के समान होती है, जिससे सुनने वाले के दिल को शांति, शीतलता और संतुष्टि मिलती है। यह रेगिस्तान में मरुद्यान की भाँति होती है, जहाँ बैठकर शांति पाने की इच्छा होती है। कहा गया है कि कड़वी वाणी तलवार की भाँति ऐसी चोट पहुँचाती है, जिसे समय का मरहम भी नहीं भर पाता है। अतः हमें सदैव मधुर वाणी ही बोलनी चाहिए।

परिश्रम का महत्त्व

संकेत बिंदु

  • सफलता का साधन
  • मनुष्य का कर्त्तव्य
  • परिश्रम न करने से हानि
  • उन्नति का मूल मंत्र

‘उद्यमेन हि सिध्यंति कार्याणि न मनोरथैः’ ! इस श्लोक की पंक्ति का भाव यह है कि परिश्रम से ही काम सिद्ध होते हैं, मन में सोचने मात्र से नहीं। सच भी है कि इस संसार में मनोवांछित सफलता पाने का सबसे अच्छा और महत्त्वपूर्ण साधन परिश्रम ही है। परिश्रम करना मनुष्य का कर्त्तव्य है और यही उसके हाथ में है। बिना परिश्रम के फल की कामना करना दिवास्वप्न देखने जैसा है। मनुष्य को स्वभावतः परिश्रमशील होना चाहिए। परिश्रम करने से व्यक्ति का शरीर फुर्तीला और चुस्त रहता है।

इसके अभाव में व्यक्ति आलसी हो जाता है। इससे वह विनाश की ओर उन्मुख हो जाता है। यह संसार परिश्रमी लोगों के कारण ही सुंदर बना हुआ है। यदि मजदूर श्रम से जी चुराने लगे, तो धरती पर खंडहर – ही- खंडहर नजर आते। यदि सूर्य समय पर न उदय हो, तो प्राणियों की दशा का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि परिश्रम मनुष्य की उन्नति का मूल है। परिश्रम के द्वारा वह अपना भाग्य बनाता है। अतः हमें परिश्रम से जी नहीं चुराना चाहिए।

कंप्यूटर आज की आवश्यकता

संकेत बिंदु

  • विज्ञान की देन
  • प्रयोग
  • संचार के क्षेत्र में क्रांति

विज्ञान ने मानव जीवन को सुखी बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। इसकी खोजों से मनुष्य को ऐसे आश्चर्यजनक साधन मिले हैं, जिनकी कभी वह कल्पना भी नहीं करता था। कंप्यूटर ऐसा ही बहुपयोगी साधन है, जो विधि रूपों में मनुष्य के लिए लाभदायी सिद्ध हुआ है। आज कंप्यूटर का प्रयोग हर कार्यालय, यहाँ तक कि हर घर में किसी-न-किसी रूप में होने लगा है। यह गणितीय गणनाएँ करने में बहुत कुशल है।

इस कारण विभिन्न प्रकार के बिल बनाना, उन्हें जमा कराना अब बाएँ हाथ का काम बन चुका है। अब घंटों लाइन में लगकर समय गँवाने की जरूरत नहीं रही। अब फाइलों के खोने और दीमकों द्वारा चाटे जाने का भय समाप्त हो गया है। इसके कारण पुस्तकों की गुणवत्ता में जबरदस्त वृद्धि हुई है।

संचार के क्षेत्र में कंप्यूटर ने अद्भुत क्रांति ला दी है। आज कंप्यूटर मनोरंजन का प्रमुख साधन बन गया है। आप इस पर फिल्में देखकर मनपसंद गाने सुनकर अपना मनोरंजन कर सकते हैं। कंप्यूटर ने दुनिया के लिए ज्ञान का दरवाजा खोल दिया है, जिससे घर बैठे ज्ञानार्जन किया जा सकता है।

जैसी संगति बैठिए तैसोई फल दीन

संकेत बिंदु

  • सामाजिक प्राणी
  • समाज व आस-पास का प्रभाव
  • परिणाम

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह सभी कार्य स्वयं नहीं कर सकता। उसे दूसरों की सहायता लेनी ही पड़ती है।

समाज में रहने के कारण कभी उसे अच्छे लोगों का साथ मिलता है और कभी बुरे लोगों का। यदि मनुष्य अच्छे लोगों के साथ उठेगा बैठेगा तो उस पर प्रभाव भी अच्छा पड़ेगा। बुरे लोगों के साथ रहने का बुरा प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। बुरे व्यक्ति स्वयं अपनी हानि करते हैं और समाज को भी हानि पहुँचाते हैं। इसका परिणाम भी उन्हें भुगतना पड़ता है।

अतः मनुष्य को चाहिए कि वह अच्छी संगति में बैठे, जिससे उसे अच्छा फल प्राप्त हो।