Chapter 9 प्रकृति पर्व – फूलदेई
पाठ पर आधारित प्रश्न
Question 1. दिए गए प्रश्नों के सही विकल्प पर सही (✓) का निशान लगाइए।
1. जानकी को अपने मित्रों के साथ कहाँ जाना था ?
- घूमने के लिए
- फूलदेई पर्व के लिए
- खेलने के लिए
- विद्यालय के लिए
Answer: 2. फूलदेई पर्व के लिए (✓)
2. चैत्र ऋतु आते ही क्या होता है ?
- पहाड़ियों पर बर्फ जमने लगती है।
- पहाड़ बर्फ से ढक जाते हैं।
- सर्दियों के ठंडे दिन बीत जाते हैं।
- सर्दियाँ प्रारंभ हो जाती हैं।
Answer: 3. सर्दियों के ठंडे दिन बीत जाते हैं। (✓)
3. बच्चों की टोली को क्या कहा जाता है ?
- फुलवारी
- फ्योंली
- बुरांस
- फुलारी
Answer: 4. फुलारी (✓)
4. बच्चों की टोली प्रत्येक घर के मुख्य द्वार पर क्या डालती है ?
- अक्षत
- फूल
- अक्षत और चावल
- अक्षत और फूल
Answer: 4. अक्षत और फूल (✓)
Question 2. सही कथन के सामने सही (✓) तथा गलत कथन के सामने गलत (✘) का निशान लगाइए।
- जानकी नहाकर छोटी डलिया लेकर फूल चुनने के लिए निकल गई। (✓)
- चैत्र के महीने में उत्तराखंड के सुंदर पहाड़ों से फूल झड़ जाते हैं। (✘)
- सभी घरों में फुलारी आने की तैयारी की जाती है। (✓)
- फुलारी को चावल, गुड़ और भेंट में पैसे दिए जाते हैं। (✓)
- फूलदेई का त्योहार उत्तराखंड में मनाया जाता है । (✓)
Question 3. दिए गए वाक्यों को कहानी के अनुसार क्रम में लगाइए।
- जानकी और उसके मित्रों ने कई प्रकार के फूल डलिया में इकट्ठे कर लिए।
- घरों की देहली को गोबर – मिट्टी से लीपकर तैयार किया जाता है।
- सबके घरों में अन्न के भंडार भरे रहें ।
- सभी हाथ में छोटी-छोटी डलिया लेकर जंगल की ओर निकल गए।
- फूलदेई त्योहार चैत्र मास की संक्रांति के दिन मनाया जाता है।
Answer:
- 4. सभी हाथ में छोटी-छोटी डलिया लेकर जंगल की ओर निकल गए।
- 5. फूलदेई त्योहार चैत्र मास की संक्रांति के दिन मनाया जाता है।
- 1. जानकी और उसके मित्रों ने कई प्रकार के फूल डलिया में इकट्ठे कर लिए।
- 3. सबके घरों में अन्न के भंडार भरे रहें ।
- 2. घरों की देहली को गोबर – मिट्टी से लीपकर तैयार किया जाता है।
Question 4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
- फूलदेई क्या है ?
- फुलारी द्वारा गाए जाने वाले गीत का क्या अर्थ है ?
- फूलदेई का पर्व कितने दिनों तक चलता है ?
- फूलदेई पर्व किससे जुड़ने का अवसर प्रदान करता है?
Answer:
- फूलदेई उत्तराखंड का प्रसिद्ध त्योहार है।
- फुलारी द्वारा गाए जाने वाले गीत का अर्थ है – आपकी देहली फूलों से भरी रहें। मंगलकारी हों। सबको क्षमा प्रदान करें। सबकी रक्षा करें। देहली और घर में समृद्धि बनी रहे। सबके घरों में अन्न के भंडार भरें रहें।
- फूलदेई का पर्व आठ दिनों से लेकर महीने भर तक चलता है।
- फूलदेई पर्व लोकगीतों, मान्यताओं और परंपराओं से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।
Question 5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर लिखिए |
फूलदेई उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध त्योहार है। यह त्योहार बच्चों द्वारा मनाया जाता है, इसलिए इसे ‘बाल पर्व’ भी कहा जाता है। यह चैत्र मास की संक्रांति के दिन मनाया जाता है। चैत्र मास हिंदू नववर्ष का पहला महीना होता है। फूलदेई वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है।
1. फूलदेई पर्व को ‘बाल पर्व’ क्यों कहा जाता है ?
Answer: फूलदेई पर्व बच्चों द्वारा मनाया जाता है, इसलिए इसे ‘बाल पर्व’ कहा जाता है।
2. चैत्र माह का कौन – सा महीना होता है ?
Answer: चैत्र माह हिंदू नववर्ष का पहला महीना होता है।
3. फूलदेई किसका प्रतीक है?
Answer: फूलदेई वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है।
4. विलोम शब्द लिखिए।
- दिन
- पहला
Answer:
- रात
- अंतिम / आखिरी
5. गद्यांश से दो संज्ञा शब्द छाँटकर लिखिए।
Answer:
- बच्चों
- उत्तराखंड
Chapter 9 प्रकृति पर्व – फूलदेई भाषा की बात
Question 1. नीचे दिए गए शब्दों के अर्थ लिखिए।
Question 2. नीचे दिए गए एक शब्द के अनेक शब्द लिखिए।
Question 3. ध्यानपूर्वक पढ़िए, समझिए एवं लिखिए।
ऊपर दिए गए चित्र में शिक्षक पूजा से प्रश्न पूछ रहे हैं। पूजा उत्तर देते हुए अपने और अपने मित्रों के बारे में बता रही है। इन दोनों उदाहरणों में पूर्ण विराम (l), अल्प विराम (,) और प्रश्नवाचक चिह्न (?) का प्रयोग किया गया है।
नीचे दिए गए वाक्यों में इन विराम चिह्नों का उपयोग करके पुनः लिखिए ।
गरिमा को फल खाना बहुत पसंद है वह अपने मित्र गौरव दीपक ममता और नवजोत को भी फल खाने की सलाह देती है क्या अपको भी फल खाना पसंद है
Answer:
गरिमा को फल खाना बहुत पसंद है। वह अपने मित्र गौरव, दीपक, ममता और नवजोत को भी फल खाने की सलाह देती है। क्या आपको भी फल खाना पसंद है ?
Chapter 9 प्रकृति पर्व – फूलदेई सुनो भई गप्प
सुनो भई गप्प, सुनो भई शप्प,
नाव में नदिया डूबी जाए।
चींटी चली बजार को,
नौ मन मल के तेल,
ईंटें दो बगल में ले लीं,
सिर पर धर ली रेल |
सुनो भई गप्प, सुनो भई शप्प,
नाव में नदिया डूबी जाए।
गधा चढ़ा खजूर पर,
खाने को अंगूर,
पीठ पे उसके नाच रहे थे,
पाँच-पाँच लंगूर ।
सुनो भई गप्प, सुनो भई शप्प,
नाव में नदिया डूबी जाए।
हाथी ढम ढम ढोल बजाए,
ऊँट खाट पर सोए,
बिल्ली सबकी रोटी सेके,
घोड़ा कपड़े धोए ।
सुनो भई गप्प, सुनो भई शप्प,
नाव में नदिया डूबी जाए।