NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 3 निबंध लेखन Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 3 निबंध लेखन Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 3 निबंध लेखन निबंध का अर्थ

निबंध अंग्रेजी शब्द ‘Essay’ का हिंदी पर्याय है। निबंध ‘नि’ और ‘बंध’ दो शब्दों के मेल से बना है, जिसका अर्थ है- अच्छी तरह नियमों से बँधा हुआ अर्थात् ऐसी रचना, जिससे विषय वस्तु से संबंधित विचारों को विस्तृत व सारगर्भित जानकारी के रूप में प्रकट किया गया है।

अतः निबंध वह गद्य रचना है, जिसमें लेखक अपने भावों विचारों को क्रमबद्ध, सुसंगठित रूप में प्रस्तुत करता है। हिंदी के प्रसिद्ध निबंधकार और लेखक आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार, “पद्य कवियों की कसौटी है, तो निबंध गद्य की कसौटी है । ”

निबंध के अंग: निबंध के तीन अंग होते हैं।

  1. भूमिका या प्रस्तावना इसके अंतर्गत विषय का परिचय दिया जाता है।
  2. विषय का विस्तार यह निबंध का मध्य या मुख्य भाग भी कहलाता है। इसका आकार विस्तारित होता है। इसमें मुख्य विषय का वर्णन क्रमबद्ध रूप से किया जाता है।
  3. उपसंहार या निष्कर्ष यह निबंध का अंतिम भाग है, जिसे निबंध का निकास द्वार भी कहा जा सकता है। यह भाग इतना प्रभावी होना चाहिए कि पाठक के मन पर इसका अमिट प्रभाव पड़े।

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निबंध लेखन में ध्यान देने योग्य बातें

  • जिस विषय पर निबंध लिखना है, उस विषय की पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए।
  • विषय संबंधी जानकारी के आधार पर निबंध लिखने से पूर्व उसकी रूपरेखा बना लेनी चाहिए।
  • निबंध का आरंभ विशेष रूप से आकर्षक बनाने का प्रयास करना चाहिए ।
  • निबंध में सजीवता, सहजता का गुण होना चाहिए।
  • निबंध में लंबे वाक्यों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  • निबंध की भाषा सरल, सुबोध, प्रवाहमयी एवं प्रभावोत्पादक होनी चाहिए।
  • निबंध में विराम चिह्नों का उचित स्थानों पर शुद्ध प्रयोग करना चाहिए, जिससे भावों में स्पष्टता आ सके।
  • निबंध के अंत में उससे मिलने वाली शिक्षा या संदेश का उल्लेख किया जाना चाहिए।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 3 निबंध लेखन निबंध का प्रारूप भारत में इलेक्ट्रिक वाहन

भूमिका आज हम सभी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के उन्नत युग में जीवनयापन कर रहे हैं। प्रौद्योगिकी की प्रगति हमेशा मानव जीवन को बेहतर बनाने में मदद करती है। इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग मनुष्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी बहुत लाभदायक है। भारत में इलेक्ट्रिक वाहन अब तीव्रता से पारंपरिक जीवाश्म ईंधन आधारित वाहनों के स्थायी विकल्प के रूप में उभर रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहन नई तकनीक है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, साथ ही यह देश की पेट्रोलियम निर्यातक देशों पर निर्भरता कम कर देगा।

इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभ परिवहन के क्षेत्र में नई तकनीक इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरण के अनुकूल है। यह वाहन बिजली से चलते हैं व धुआँ नहीं छोड़ते इसलिए यह प्रदूषण को कम करने में बहुत मददगार हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग से ग्लोबल वार्मिंग में कमी आएगी।

डीजल, पेट्रोल सभी ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन हैं। इनका अधिक प्रयोग प्रकृति के लिए अच्छा नहीं है। इन प्राकृतिक संसाधन के संरक्षण के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग अत्यंत लाभदायक सिद्ध हो रहा है।

प्रौद्योगिकी की तीव्र गति के साथ लोगों की माँग बढ़ रही है। इस बढ़ती हुई माँग को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन परिवहन के नए साधन के रूप में उभरकर सामने आए हैं। दिल्ली सरकार ने हाल ही में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने हेतु ‘स्विच दिल्ली’ जनआंदोलन
भी प्रारंभ किया है।

इलेक्ट्रिक वाहनों से हानि इलेक्ट्रिक वाहनों की हानि इसकी सीमित ड्राइविंग रेंज है। इन वाहनों के चार्जिंग स्टेशनों की सीमित उपलब्धता एक अन्य नुकसान है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों में लंबी दूरी की यात्रा अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाती है।

इन वाहनों में चार्जिंग के लिए लगने वाला लंबा समय पेट्रोल, डीजल आदि से चलने वाले वाहन को भरने में लगने वाले समय से अधिक होता है। इन इलेक्ट्रिक वाहनों का कम व अधिक जलवायु वाले क्षेत्रों या तापमान में नकारात्मक प्रभाव है, क्योंकि इन क्षेत्रों में वाहनों की बैटरी व ड्राइविंग रेंज कम हो जाती है।

उपसंहार परिवहन की नई तकनीक इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभ व हानि दोनों ही हैं। समय के साथ-साथ व तकनीकी प्रगति द्वारा इन वाहनों को अपनाना अधिक व्यापक होता जा रहा है। भविष्य में ये इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरणीय एवं आर्थिक लाभ के कारण परिवहन के आकर्षक व उत्तम साधन के रूप में उभरकर सामने आएँगे।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 3 निबंध लेखन अभ्यास प्रश्न

चंद्रयान मिशन-3

भूमिका चंद्रयान- 3 भारत के लिए अग्रणी एवं महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि इसने भारत को चंद्रमा पर पहुँचने वाला अमेरिका, रूस, चीन के बाद चौथा देश बना दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने वर्ष 2008 में चंद्रयान लॉन्च किया था। चंद्रयान-1 को वर्ष 2018 में श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था।

इसने हमें चंद्रमा पर खनिजों के बारे में विस्तारपूर्वक स्पेक्ट्रम जानकारी प्रदान की, लेकिन तकनीकी समस्याओं व संचार में रुकावट आने के कारण यह पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सका। अतः चंद्रयान-2 को 22 जुलाई, 2019 को लॉन्च किया गया। यह चंद्रमा की सतह पर पानी का पता लगाने के उद्देश्य से बनाया गया था, परंतु इसका लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसके कारण यह विफल हो गया।

चंद्रयान-3 का लैंडर पिछले मिशन के अनुरूप 14 जुलाई, 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान- 3 लॉन्च किया गया। चंद्रयान-3 में भारत ने अपना वैज्ञानिक अध्ययन और खोज अभियांत्रिकी को मजबूत करने के लिए विक्रम लैंडर और रोवर को चाँद पर भेजने में सफलता प्राप्त की। इस यान में एक ऑर्बिट भी शामिल किया गया है, जो चंद्रमा की सतह की पूरी तरह से निगरानी करेगा। चंद्रयान- 3 ने दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करके इतिहास रच दिया है।

चंद्रयान-3 की विशेषता दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान है। इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर मौजूद पानी और बर्फ की उपस्थिति, वहाँ मौजूद प्राकृतिक तत्त्व एवं खनिजों, चंद्रमा की सतह की संरचना या बनावट, चंद्रमा के वायुमंडल में स्थित प्राकृतिक गैसों तथा संभावित जीवन की जानकारी प्राप्त करना है।

23 अगस्त 2023 को चंद्रयान- 3 सफलतापूर्वक उतर चुका है, जिससे भारत को एक नई पहचान मिली है। इस सफलता के साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बन गया है।

लाभ चंद्रयान-3 से देश के युवाओं को अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारी प्राप्त होगी। देश के सभी लोगों को चंद्रमा की बनावट का पता लगेगा। इस मिशन के सफल होने से अंतरिक्ष क्षेत्र में नई पहचान मिल गई। चंद्रयान- 3 भारत के अंतरिक्ष रहस्यों की खोज और मानव ब्रह्मांड के बारे में ज्ञान का योगदान देना एक बड़ा कदम है।

उपसंहार यह भारत के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण व गौरवशाली कदम है।

” अंतरिक्ष में गूँज उठे हम,
चंद्रयान का गान लिए ।
चाँद तिरंगे रंग में रंगा,
एक नई पहचान लिए ।
मेरे भारत के वैज्ञानिक,
तुम गौरव हो भारत का ।
ऊँचा माथा लिए खड़े हम,
एक सच्चा अभिमान लिए । ”

जी-20

भूमिका जी-20 अर्थात् ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (Group of Twenty) दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का समूह है। जी-20 अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। यह सभी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक संरचना और अधिशासन निर्धारित करने तथा उसे मजबूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

जी-20 शिखर सम्मेलन की स्थापना वर्ष 1999 में हुई थी। यह सम्मेलन वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है। भारत की अध्यक्षता में जी-20 सम्मेलन 9-10 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया। जी-20 शिखर सम्मेलन का इस वर्ष विषय है- हम एक पृथ्वी हैं, एक परिवार हैं और हमारा भविष्य एक है (We are One Earth, One Family and We Share One Future)। यह विषय भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की विचारधारा को दर्शाता है।

जी-20 के सदस्य देश जी 20 यूरोपियन यूनियन एवं 19 देशों का एक अनौपचारिक समूह है। जी-20 शिखर सम्मेलन में सभी नेता प्रत्येक वर्ष एकत्रित होते हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इस विषय पर चर्चा करते हैं। इसकी शुरुआत जर्मन की राजधानी बर्लिन से हुई थी।

जी-20 में 19 देश- अर्जेंटीना, ब्राजील, चीन, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, मैक्सिको, सऊदी अरब, तुर्की, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका, रूस, कोरिया गणराज्य इटली, भारत, फ्रांस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया तथा एक यूरोपीय देश शामिल हैं। जी-20 अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85% वैश्विक व्यापार का 75% से अधिक और विश्व का लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।

जी-20 का उद्देश्य जी -20 का प्रमुख उद्देश्य व्यापार, जलवायु, स्वास्थ्य तथा अन्य मुद्दों पर वैश्विक नीति के समन्वय के लिए नियमित रूप से मिलना, चर्चा करना और उसमें सुधार करना या उससे निपटना है। जी-20 का नेता वर्ष के दौरान, देश के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार लाने, वित्तीय नियमन में सुधार लाने और प्रत्येक सदस्य देश में जरूरी प्रमुख आर्थिक सुधारों पर चर्चा करने के लिए नियमित रूप से बैठक करते हैं।

जी-20 का कार्य जी 20 बैठक वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा और दशा दोनों को ही तय करता है। जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान एजेंडे तय किए जाते हैं। ये समूह मुख्य रूप से ग्लोबल इकोनॉमी, आर्थिक स्थिरता, जलवायु परिवर्तन के मुद्दे, सतत विकास आदि प्रक्रियाओं पर काम करते हैं।

उपसंहार जी-20 सम्मेलन एक प्रासंगिक व महत्त्वपूर्ण सम्मेलन है। यह सम्मेलन विश्व की समस्याओं का समाधान खोजने के लिए सभी राष्ट्रों को एकसाथ एक मंच पर लेकर आता है। भारत भी इसमें शामिल है और हमें भारतीय होने पर गर्व है। इस वर्ष भारत ने विश्व में जी-20 के माध्यम से अपना परचम लहराया है।

चंद्रशेखर आजाद (स्वतंत्रता संग्राम के नायक)

भूमिका हमारे देश को आजादी दिलाने में अनेक देशभक्त वीरों ने अपनी जान की बाजी लगा दी और आजादी के लिए अपना तन-मन-धन सब कुछ भारत माता के चरणों में अर्पित कर दिया। ऐसे ही क्रांतिकारियों में चंद्रशेखर आजाद का नाम अग्रण्य है, जिनका नाम भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।

प्रारंभिक जीवन महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के साधारण से परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित सीताराम और माता का नाम जगरानी देवी था। उनमें साहस और आत्मविश्वास कूट-कूटकर भरा था। चंद्रशेखर आजाद की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा काशी (वर्तमान में वाराणसी) में हुई। उन्हें संस्कृत पढ़ने के लिए भी काशी भेजा गया, जहाँ उन्होंने संस्कृत व्याकरण का अध्ययन किया, पर स्वभाव के अनुरूप उनका मन उसमें न लगा। वे वीरों की कहानियाँ और साहसपूर्ण घटनाओं से संबंधित पुस्तकें पढ़ा करते थे।

त्याग और बलिदान का अद्भुत उदाहरण वर्ष 1919 में जलियाँवाला बाग में हो रही जनसभा में उपस्थित भीड़ पर जनरल डायर ने गोलियाँ चलवा दीं। इसमें हजारों निहत्थे वृद्ध, युवा नर-नारी और बच्चे मारे गए। दस ग्यारह वर्षीय आजाद के मन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। वे उसी समय से अंग्रेजों से बदला लेने की सोचने लगे। वे हर समय यही योजना बनाते रहते कि अंग्रेजों को देश से बाहर कैसे निकाला जाए?

इसके तीन-चार दिन बाद की घटना है कि गाँधीजी एडवर्ड के भारत आगमन पर उनके बहिष्कार के लिए आंदोलन चला रहे थे। लगभग 15 वर्ष की अल्पायु में ही वह इस आंदोलन में कूद पड़े। अंग्रेजों ने इस अल्पवयस्क बालक पर भी दया नहीं दिखाई और उन्हें गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। मजिस्ट्रेट के सामने चंद्रशेखर ने अपना नाम ‘आजाद’, पिता का नाम ‘स्वाधीनता’ और अपना घर ‘जेलखाना’ बताया।

इससे क्रोधित मजिस्ट्रेट ने चंद्रशेखर को 15 बेंत लगाने की सजा दी। जब उनकी पीठ पर बेंत मारी जाने लगी, तो प्रत्येक बेंत मारे जाने के साथ उनके मुँह से ‘भारत माता की जय’, ‘महात्मा गाँधी की जय’ के नारे निकलते रहे। इसी घटना के बाद उनका नाम ‘आजाद’ पड़ गया और वे प्रसिद्ध क्रांतिकारी बन गए। वे अंग्रेजों को नाकों चने चबवाते रहे । 27 फरवरी, 1931 को एक मुठभेड़ में उन्होंने अपनी पिस्तौल की अंतिम गोली स्वयं को मार ली और अंग्रेजों के हाथ जिंदा न पकड़ने की प्रतिज्ञा को निभाया।

उपसंहार चंद्रशेखर आजाद ने अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दे दिया। उनके चरित्र से आज के नवयुवकों को अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा मिलती है। अतः हमें भी अपने देश के लिए सर्वस्व अर्पित करने को तैयार रहना चाहिए।

महात्मा गाँधी (राष्ट्रपिता)

भूमिका भारत को आजादी दिलाने में अनेक महापुरुषों, देशभक्तों और वीरों का अमूल्य योगदान है। इन्हीं महापुरुषों में अद्भुत छवि वाले व्यक्ति भी थे, जिन्हें भारतवासी ‘बापू’ और ‘राष्ट्रपिता’ कहते हैं। बापू की कार्यशैली सबसे अलग थी, जिसके कारण उनकी एक अलग ही छवि बन गई। वे सारे विश्व में जाने-पहचाने जाने लगे। उन्होंने अपने विशेष अस्त्र ‘सत्य और अहिंसा’ के बल पर देशवासियों को आजादी दिलाई। लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता चरम पर थी।

गाँधीजी का अनुकरणीय चरित्र राष्ट्रपिता गाँधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधीजी ने अपनी माँ का सदैव कहना माना और आजीवन सत्य बोलने का प्रण लिया। गाँधीजी की प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में हुई। मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद गाँधीजी वकालत की पढ़ाई करने इंग्लैंड चले गए। वहाँ भी उन्होंने अपनी माता को दिया हुआ 88 वचन निभाया और मांस-मदिरा को हाथ नहीं लगाया। वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद गाँधीजी भारत लौट आए, उन्होंने मुंबई में प्रैक्टिस शुरू की। वे झूठे मुकदमे नहीं लेते थे।

दक्षिण अफ्रीका में गाँधीजी एक मुकदमे की पैरवी के सिलसिले में उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहाँ उन्हें अंग्रेजों द्वारा रंग-भेद की नीति का

शिकार होना पड़ा। दक्षिण अफ्रीका में गाँधीजी ने रंग-भेद के विरुद्ध आवाज उठाई और लोगों का समर्थन प्राप्त किया।

गाँधीजी का स्वतंत्रता के लिए आंदोलन गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका से वापस भारत आए और स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष शुरू किया। उन्होंने सत्य और अहिंसा को अपना अस्त्र बनाया। उनका ‘सत्याग्रह’ पूरे देश में प्रसिद्ध हो गया। उनके रूप में देशवासियों को एक नया नेतृत्व मिल चुका था। उन्होंने वर्ष 1921 में ‘असहयोग आंदोलन’, वर्ष 1930 में ‘नमक सत्याग्रह’ और वर्ष 1942 में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन चलाया। उनके अनवरत् प्रयासों से देश ने 15 अगस्त, 1947 को आजादी का नया सूरज देखा।

उपसंहार गाँधीजी मानवता के सच्चे पुजारी थे। उन्होंने कभी किसी को छोटा नहीं समझा। उन्होंने अछूतों को ‘हरिजन’ नाम देकर समाज में उन्हें सम्मानजनक स्थान दिया। वे भारत में सभी को सुखी और स्वस्थ देखना चाहते थे। इसलिए हमें गाँधीजी के आदर्शों का पालन करना चाहिए। ‘रघुपति राघव राजाराम’ उनका प्रसिद्ध भजन था। मानवता का यह पुजारी 30 जनवरी, 1948 को भारतवासियों को छोड़कर सदा के लिए चला गया।

स्वतंत्रता दिवस

भूमिका इस धरती पर शायद ही कोई ऐसा प्राणी हो, जिसे परतंत्रता प्रिय हो। इसके विपरीत स्वतंत्रता सभी को प्रिय होती है। दुर्भाग्य से यदि किसी प्राणी की स्वतंत्रता छिन जाती है, तो वह उसे पाने के लिए प्राण रहने तक संघर्ष करता है। कुछ ऐसा ही भारतवासियों के साथ हुआ था। हमारे देश को सैकड़ों वर्षों तक पराधीनता का कलंक झेलना पड़ा।

देश की आजादी खोई स्वतंत्रता को पाने के लिए अनेक महापुरुषों, देशभक्तों तथा वीर जवानों को अपना बलिदान देना पड़ा। 15 अगस्त, 1947 को अंततः देशवासियों को खोई आज़ादी मिली। जिस प्रकार किसी वस्तु को खोना सरल होता है, परंतु उसे पाना कठिन, उसी प्रकार खोई आज़ादी को पाने के लिए देशवासियों को बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ा। इस महासंग्राम के पावन यज्ञ में अनेक देशभक्तों को आहुति देनी पड़ी। इनमें तात्या टोपे, मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, वीर कुँवर सिंह, नानासाहब, भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, बालगंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, सुभाषचंद्र बोस आदि नाम अविस्मरणीय हैं।

इनके अतिरिक्त महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल आदि को जेल की यात्रा करनी पड़ी। इन्हीं शहीदों के बलिदान को याद करने तथा अपनी आजादी की रक्षा के लिए प्रतिवर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।

स्वतंत्रता दिवस – राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाना स्वतंत्रता दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रूप में सारे देश में जोश और उल्लास से मनाया जाता है। स्वतंत्रता दिवस का मुख्य पर्व भारत की राजधानी दिल्ली में लालकिले पर मनाया जाता है। इस दिन प्रातः काल प्रधानमंत्री राष्ट्रीय

ध्वज फहराकर राष्ट्र के नाम संदेश प्रसारित करते हैं। इस समारोह में लाखों नर-नारी एकत्र होते हैं। वे राष्ट्र के नाम प्रसारित संदेश सुनते हैं। इसमें देश की प्रगति का खाका खींचते हुए प्रगति के पथ पर अग्रसर करने की झलक मिलती है। इस अवसर पर देश के कृतज्ञ लोगों द्वारा वीर शहीदों को याद किया जाता है।

उपसंहार स्वतंत्रता दिवस एक ओर खुशी का संदेश लेकर आता है, तो दूसरी ओर देशवासियों को उनके कर्त्तव्य की याद भी दिलाता है, इसलिए देशवासियों को इस पावन अवसर पर प्रण करना चाहिए कि हम देश की रक्षा करते हुए अपना सर्वस्व अर्पण कर देंगे। हम ऊँच-नीच का भेदभाव भुलाकर अपनी एकता बनाए रखेंगे और शहीदों को सम्मान देते हुए उनके प्रति कृतज्ञ बने रहेंगे।

गणतंत्र दिवस

भूमिका भारत त्योहारों का देश है। यहाँ कई प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें कुछ सामाजिक, कुछ धार्मिक और कुछ राष्ट्रीय त्योहार हैं। राष्ट्रीय त्योहारों में गणतंत्र दिवस अपना विशेष महत्त्व रखता है। इस पर्व को सारा देश मिल-जुलकर मनाता है।

गणतंत्र दिवस – एक ऐतिहासिक दिन हमारा देश भारत 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हुआ था, पर इसका अपना संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। उसी समय से 26 जनवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसी ऐतिहासिक दिन को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई थी।

स्वतंत्रता दिवस की भाँति ही इस राष्ट्रीय पर्व को भी अत्यंत धूमधाम से सारा देश मिल-जुलकर मनाता है। इस दिन राजपत्रित अवकाश होता है। इससे लोग इस पर्व में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। विभिन्न राज्यों की राजधानियों एवं देशभर में सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। विद्यालयों में बच्चों को एकत्र कर प्रभात फेरियाँ निकाली जाती हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं और बच्चों को देश की आज़ादी एकता और अखंडता बनाए रखने की शपथ दिलाई जाती है। पूरे देश में राष्ट्रीय एकता, देशप्रेम और देशभक्ति बढ़ाने वाले गीतों की गूंज सुनाई देती है। विदेशों में रहने वाले भारतीय भी इस पर्व को हर्षोल्लास से मनाते हैं।

राजधानी में गणतंत्र दिवस देश की राजधानी नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस का समारोह विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दिन पूरी दिल्ली को सजाया जाता है। राष्ट्रपति शाही बग्घी पर बैठकर विजय चौक आते हैं। वहाँ देश के प्रधानमंत्री और तीनों सेना के प्रमुख राष्ट्रपति का स्वागत करते हैं। इस भव्य समारोह को देखने के लिए दिल्ली के अतिरिक्त दूर-दूर से लोग आते हैं। विजय चौक पर अद्भुत दृश्य होता है। सेना के तीनों अंगों द्वारा राष्ट्रपति को सलामी दी जाती है। उनके सामने सामरिक अस्त्र- त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन किया जाता है।

सेना के जवानों द्वारा हैरतअंगेज कारनामे प्रस्तुत किए जाते हैं। इस अवसर पर विभिन्न राज्यों की झाँकियाँ प्रस्तुत की जाती हैं तथा देश के सभी प्रांतों से आए कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। विभिन्न स्कूलों के छात्रों और पुलिस के जवानों द्वारा बैंड वादन किया जाता है। राष्ट्रपति द्वारा साहसिक कारनामा करने वाले बच्चों को पुरस्कृत किया जाता है।

उपसंहार गणतंत्र दिवस हमें अपनी एकता एवं अखंडता बनाए रखने की सीख देता है। हम भारतीयों को अपनी जान देकर अपनी मातृभूमि की रक्षा करनी चाहिए, यही गणतंत्र दिवस का संदेश है।

मेरी दिल्ली हरी-भरी

भूमिका मुझे जिस पावन एवं सुंदर भू-भाग पर जन्म लेने पर पलने-बढ़ने का सौभाग्य मिला है, दुनिया उसे भारत के नाम से जानती है। इसकी राजधानी नई दिल्ली है, जिसे ‘हिंदुस्तान का दिल’ कहा जाता है। यह भारत की राजधानी होने के अतिरिक्त संसार के सुंदर देशों में से एक है। यह हमारे देश का अत्यंत सुंदर और प्राचीन नगर है, जो यमुना नदी के किनारे पर स्थित है।

दिल्ली – एक ऐतिहासिक नगर दिल्ली प्राचीन ऐतिहासिक नगर है, जो परिस्थितिवश अनेक बार बसी और उखड़ी है। महाभारत काल में पांडवों ने इसे दोबारा बसाया और उसका नाम इंद्रप्रस्थ रखा। बाद में इसका नाम शाहजहानाबाद पड़ा। अंत में इसका नाम दिल्ली पड़ा। मुगल शासकों ने इसे अपनी राजधानी बनाया। इसकी भव्यता, सुंदरता और समृद्धि देखकर अंग्रेज शासकों ने भी इसे राजधानी और सत्ता का केंद्र बनाया।

हरी-भरी दिल्ली में प्रदूषण दिल्ली पहले बहुत ही हरी-भरी थी। यहाँ जगह-जगह बाग-बगीचे थे, जिनका प्राकृतिक सौंदर्य मनोहारी था। इसके एक ओर अरावली की पहाड़ियाँ थीं, तो इसके पूर्वी भाग में यमुना नदी कल-कल करती बहा करती थी। यहाँ रोजगार के नाना प्रकार के साधन थे, इसलिए आस-पास के राज्यों से लोग आते रहे। बढ़ती आबादी की आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए हरे-भरे पेड़ों को काटा गया।

मोटरगाड़ियों की संख्या बढ़ी। इससे एक ओर दिल्ली का सौंदर्य नष्ट हुआ, तो दूसरी ओर प्रदूषण का स्तर निरंतर बढ़ता गया। यमुना, जो पतित पावनी मानी जाती थी, इतनी प्रदूषित हो गई कि उसका जल पीना तो दूर स्नान करने लायक भी न रह गया। मोटरगाड़ियों और कल-कारखानों का शोर निरंतर ध्वनि प्रदूषण बढ़ा रहा है।

दिल्ली को हरा-भरा बनाने के उपाय दिल्ली को हरा-भरा बनाने के लिए लोगों में जागरूकता उत्पन्न हुई है। इस दिशा में सरकार ने भी आवश्यक कदम उठाया है। यहाँ वर्षा ऋतु आते ही उद्यान विभाग और पौधशालाओं से पौधों का निःशुल्क वितरण किया जाता है, ताकि लोग अपने आस-पास खाली पड़ी भूमि पर अधिकाधिक पौधे लगाएँ तथा पेड़ बनने तक उनकी रक्षा करें। इसके अतिरिक्त हरे पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगाया गया है। मोटरगाड़ियों में शीशा रहित पेट्रोल का प्रयोग और मेट्रो रेल के परिचालन से प्रदूषण में कमी आई है। इसके अतिरिक्त यमुना की सफाई के लिए उठाए गए आवश्यक कदमों से दिल्ली को सौंदर्य वापस मिलेगा।

उपसंहार हमें दिल्ली के पर्यावरण में सुधार करने और प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए जागरूकता लानी आवश्यक है।

सरकार और नागरिकों की साझेदारी के माध्यम से हरी-भरी दिल्ली का सपना पुनः साकार हो सकता है। हम औद्योगिकीकरण को समझकर निःशुल्क पौधों का वितरण करके और पौधारोपण करके समृद्ध और हरी भरी दिल्ली के सपने को साकार करने में अपना सहयोग दे सकते हैं।

जल ही जीवन है

भूमिका जल है, तभी जीवन है। वैज्ञानिक कहते हैं कि मनुष्य का जन्म जल से हुआ है। जल न हो, तो कोई खाने या पीने का पदार्थ नहीं बन सकता। इसके बिना मनुष्य जी नहीं सकता। तभी सभी मानव सभ्यताएँ नदियों, झरनों या तालाबों के आस-पास जन्मीं, पली-बढ़ीं और विकसित हुईं। ऐसे जल को जीवन कहना गलत नहीं है।

प्रकृति का वरदान जल प्रकृति का वरदान है। इसे कोई मनुष्य नहीं बना सकता। हाँ, यह मनुष्य को जीवित रख सकता है। धरती पर जितना जल है, उसका 97.3% जल खारे समुद्र एकत्र है। इसका उपयोग मानव जाति नहीं कर सकती। 2% बर्फ के रूप में जमा है। शेष बचे 0.07% जल में से 0.06% नदियों, झरनों में बहता है। मात्र 0.01% जल धरती पर सुरक्षित है।

आज हम जल संकट से गुजर रहे हैं। उसके दो कारण हैं- बढ़ती जनसंख्या और जल का गलत ढंग से संरक्षण। जनसंख्या बढ़ रही है तो उसको पीने, नहाने धोने के लिए जल चाहिए। मनुष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए कारखाने और मकान भी चाहिए और चाहे कारखाने चलाने हों या फैक्ट्रियाँ, जल की आवश्यकता हमेशा बनी रहती है। यदि बढ़ती हुई जरूरतों के हिसाब से मनुष्य जल का सही रूप से संरक्षण कर ले, तब भी जल संकट दूर हो सकता है, लेकिन इस दिशा में आज का व्यक्ति चिंतित तो है, पर तैयार नहीं है।

जल संरक्षण के उपाय वर्षा का जल पीने योग्य तथा उपयोगी होता है, लेकिन इसका 80% भाग नदी-नालों में बहकर वापस समुद्र में चला जाता है। यदि उस जल को जंगलों, तालाबों आदि स्थानों में रोक लिया जाए, तो हम जल संकट से मुक्ति पा सकते हैं। जल संकट से मुक्ति के उपाय निम्नलिखित हैं

  1. हमें जंगलों को हरा-भरा बनाना चाहिए।
  2. खुले और ढके हुए तालाबों को स्वच्छ और भरा-पूरा रखना चाहिए।
  3. वर्षा के जल को भूमि के अंदर तक पहुँचाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
  4. नदियों के पवित्र जल को गंदगी व कचरे से दूर रखना चाहिए।

उपसंहार अंत में हम कह सकते हैं कि हम मनुष्य जितनी जल्दी जागृत होंगे, उतनी जल्दी जीवन देने वाले जल को संरक्षित कर सकेंगे और जीवन को एक अमूल्य भेंट प्रदान करेंगे। रहीमदास ने कहा है कि रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।।

अर्थात् पानी के बिना कुछ संभव नहीं है और हमें पानी का संरक्षण और रख-रखाव सही तरीके से करना चाहिए।

रक्षाबंधन (भाई-बहनों के प्रेम का त्योहार)

भूमिका रक्षाबंधन भारत में मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। भारतीय त्योहारों में इसका विशेष महत्त्व है। यह त्योहार भाई बहन के पवित्र रिश्ते को और भी मजबूती प्रदान करता है। यह भाई को बहन के प्रति अपने कर्त्तव्यों की याद दिलाता है। रक्षाबंधन का त्योहार मनाए जाने के पीछे पौराणिक कथा यह है कि एक बार इंद्र और राक्षसों के बीच भीषण युद्ध हुआ, जिसमें देवताओं की पराजय सुनिश्चित लगने लगी, तब इंद्र की पत्नी शची ने देवताओं को राखी बाँधी ।

तब इंद्र के साथ और देवताओं ने भी राक्षसों से युद्ध किया और उन्हें पराजित किया। इसके अतिरिक्त जब बहादुरशाह ने मेवाड़ पर आक्रमण किया और राजपूत हारने लगे, तब चित्तौड़ की महारानी कर्मवती ने मेवाड़ की रक्षा के लिए हुमायूँ को राखी भेजी थी। इस राखी की लाज रखते हुए हुमायूँ ने अपनी सेना के साथ तत्काल प्रस्थान किया और चित्तौड़ की रक्षा की।

भाई-बहन का पर्व रक्षाबंधन का पर्व सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, इसलिए इसे ‘श्रावणी’ भी कहा जाता है। इस दिन बहनें थाली में मिठाइयाँ, रोली टीका और राखी रखकर भाइयों के पास जाती हैं, उन्हें तिलक लगाती हैं और उनके हाथ में राखी बाँधती हैं। भाई उन्हें उपहारस्वरूप कुछ धन, कपड़े या अन्य उपहार देते हैं तथा रक्षा का वचन देते हैं। इससे भाई-बहन के रिश्ते में और भी प्रगाढ़ता आती है।

प्रेम व स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र प्रेम एवं स्नेह का प्रतीक है। यह पूरे देश में उल्लास के साथ मनाया जाता है। देश के कुछ स्थानों पर पुरोहित अपने यजमान को रक्षा सूत्र बाँधते हैं। देश की सीमा पर पहरा देने वाले जवानों के हाथों में राखियाँ बाँधी जाती हैं। कुछ उत्साही बच्चे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी राखी बाँधकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मध्यकाल में युद्ध में जाते हुए भाइयों के हाथ में बहनें राखी बाँधकर उन्हें रणभूमि में भेजती थीं।

उपसंहार रक्षाबंधन पवित्रता और सादगी का त्योहार है, जो भाई बहन के पावन रिश्ते को प्रगाढ़ बनाता है। इस त्योहार में मानवीय भावनाओं को महत्ता देनी चाहिए, न कि धन को कुछ लोग थोड़े से पैसे देकर अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री समझ लेते हैं। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। हमें राखी के धागे में छिपे प्यार और कर्त्तव्य के संदेश को समझना और पूरा करना चाहिए।

विश्व योग दिवस

भूमिका योग का अर्थ होता है— जुड़ना । योग खुद से जुड़ने की क्रिया है और जो खुद से जुड़ पाता है वही समाज के लिए कुछ कर पाता है। आज बहुत-से लोग अपने जीवन में आर्थिक रूप से सुखी हैं, परंतु जीवन की भाग-दौड़ ने उनको मानसिक रूप से खुश नहीं रहने दिया है। मन की शांति का एकमात्र साधन योग है। योग से न केवल मन की शांति, बल्कि सैकड़ों बीमारियों का इलाज भी संभव है।

इसलिए कहा जाता है कि ‘करें योग, रहें निरोग।’ इसका अर्थ यह है कि योग करने मनुष्य निरोग रहता है और कौन नहीं चाहता कि हम स्वस्थ जीवन व्यतीत न करें।

योग दिवस की शुरुआत भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 27 सितंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में कहा-

“योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। ”

इसके बाद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल से 21 जून, 2015 को प्रथम विश्व योग दिवस मनाया गया तथा अब प्रत्येक वर्ष 21 जून को ‘विश्व योग दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।

मानव जीवन का अभिन्न अंग योग की शुरुआत भारत में प्राचीनकाल से मानी जाती है। योग हजारों वर्षों से भारतीयों की जीवन-शैली का हिस्सा रहा है। यह भारत की धरोहर है। योग में पूरी मानव जाति को एकजुट करने की शक्ति है। योग ज्ञान, कर्म और भक्ति का मिश्रण है। दुनियाभर के अनेक लोगों ने योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाया है। दुनिया के कई हिस्सों में इसका प्रचार-प्रसार हो चुका है। हमारे देश का योग विदेश में योगा (Yoga) नाम से प्रचलित है। सभी देश-विदेश के लोगों की दिनचर्या का अभिन्न अंग योग ही है।

विश्व योग दिवस की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष सैम के कुटेसा ने 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने की घोषणा की और कहा कि 170 से अधिक देशों ने विश्व योग दिवस के सुझाव का समर्थन किया है, जिससे पता चलता है कि योग के लाभ विश्व के लोगों को कितना आकर्षित करते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बधाई दी, जिनकी पहल से 21 जून को प्रत्येक वर्ष विश्व योग दिवस घोषित किया गया है। विश्व योग दिवस का उद्देश्य पूरे विश्व में योग से मिलने वाले लाभों के प्रति लोगों को जागरूक करना है।

उपसंहार केंद्र सरकार ने प्रथम विश्व योग दिवस के कार्यक्रम के अवसर पर किए गए योगासन के बारे में फिल्म तैयार करवाई। इस फिल्म को देखकर लोग घर बैठे टीवी, इंटरनेट के माध्यम से भिन्न-भिन्न प्रकार के योगासनों का लाभ उठा सकेंगे। इस प्रकार, कहा जा सकता है योग मात्र किसी एक व्यक्ति की जरूरत न होकर संपूर्ण मानव जीवन की जरूरत है। इस योग दिवस ने विश्व बंधुत्व की भावना को उजागर किया है। आज के समय में योग हमारी जरूरत से अधिक आदत बन गई है, जो हमारे शारीरिक और मानसिक विकास का आधार है।

ईद

भूमिका मानव जीवन में त्योहारों का विशेष महत्त्व है। त्योहार जीवन की नीरसता दूर कर मनुष्य के थके-हारे मन को नवोल्लास तथा उत्साह से भर देते हैं। त्योहार मनुष्य को एक-दूसरे के निकट लाते हैं। तथा आपस में एकता, भाईचारा, सांप्रदायिक सद्भाव और मेल-जोल बढ़ाते हैं। त्योहार हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग हैं, जो देश के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसा ही एक प्रमुख त्योहार है – ईद |

एकता का त्योहार ईद हमारे देश में मनाए जाने वाले अधिकांश त्योहारों का जुड़ाव धर्म के साथ है। यद्यपि विभिन्नता में छिपी एकता की मजबूत भावना रखने वाले भारत देश में त्योहारों को सभी लोग मिल-जुलकर मनाते हैं। ईद मुसलमानों का प्रमुख और सबसे लोकप्रिय त्योहार है। यह त्योहार लोगों को मिल-जुलकर रहने, परोपकार करने और भाईचारा बनाए रखने का संदेश देता है।

रमजान का महीना व ईद की प्रतीक्षा रमजान इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने में मनाया जाता है, जो चाँद की दृश्यता के आधार पर तय किया जाता है। रमजान के आखिरी दिन चाँद देखकर अगले दिन ईद घोषित की जाती है। इस एक माह की अवधि में मुसलमान पवित्रता के साथ रोजा रखते हैं तथा दिन में पाँच बार नमाज पढ़ते हैं। महीने भर की इस अवधि में वे दिनभर निर्जल रहकर शाम को अपना रोजा खोलते हैं। रोजे की समाप्ति के बाद ही ईद का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

ईद के दिन मुसलमान सूर्योदय के बाद किसी बड़ी मस्जिद में सामूहिक नमाज पढ़ते हैं। इस दिन मस्जिदों की भीड़ देखने योग्य होती है। इस नमाज में गजब का अनुशासन दिखाई देता है। लोग वहाँ आते हैं और पंक्तिबद्ध खड़े होकर एवं बैठकर नमाज पढ़ते हैं। नमाज खत्म होने के बाद वे परस्पर गले मिलते हैं और एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं। घर आकर वह मीठी सेवइयाँ खाते एवं खिलाते हैं और गरीबों को दान भी देते हैं।

उपसंहार इस दिन सभी परस्पर बैर भाव भूलकर प्रेम और सद्भाव के व्यवहार से ईद की सार्थकता सिद्ध करते हैं। ईद प्रसन्नता एवं सद्भावना फैलाने का त्योहार है। इस दिन हर आयु वर्ग के लोगों का उत्साह देखते ही बनता है। सभी भारतीयों को एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए एक-दूसरे के त्योहारों को मिल-जुलकर मनाना चाहिए, ताकि राष्ट्रीय एकता और अखंडता और भी मजबूत बने ।

दीपावली (अंधकार पर प्रकाश का प्रतीक वाला त्योहार)

भूमिका भारत पर्वों एवं त्योहारों का देश है। यहाँ समय-समय पर कोई-न-कोई पर्व-त्योहार मनाया जाता है। इन त्योहारों में रक्षाबंधन, दशहरा, होली, दीपावली, ईद आदि प्रमुख हैं। इनमें दीपों का त्योहार दीपावली अपना विशेष महत्त्व रखता है। इसे ‘प्रकाश का पर्व’ भी कहा जाता है। इस त्योहार में भारतीय संस्कृति की झाँकी मिलती है तथा यह हमारी एकता को मजबूत करते हुए जनजीवन को हर्षोल्लास से भर देता है।

दीपावली मनाए जाने का समय दीपावली दो शब्दों- ‘दीप’ और ‘अवली’ के मेल से बना है। इसका अर्थ है – दीपों की पंक्तियाँ। सचमुच अमावस्या की रात में जब यह त्योहार मनाया जाता है, तो धरती पर असंख्य दीप एकसाथ जगमगा उठते हैं। इन्हें देखकर लगता है कि आसमान के लाखों तारे धरती पर उतर आए हैं। इससे धरती की शोभा कई गुना बढ़ जाती है।

दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को अत्यंत हर्षोल्लास से मनाया जाता है। दीपावली से दो दिन पहले धन तेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बर्तन एवं आभूषण खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। इससे बर्तन एवं आभूषणों की दुकानों पर लगी भीड़ देखते ही बनती है। अगले दिन छोटी दीपावली या नरक चतुर्दशी मनाई जाती है।

मनाए जाने का तरीका इस दिन लोग खील बताशे, कपड़े, मिठाइयाँ, उपहार, धूप-दीप-मालाएँ, मोमबत्तियाँ, बिजली के बल्बों की लड़ियाँ, मिट्टी के दीये आदि खरीदते हैं। बच्चे इस दिन पटाखे खरीदते हैं। शाम को दीप जलाकर लक्ष्मी-गणेश का पूजन किया जाता है। घर में जगह-जगह दीप जलाकर रखे जाते हैं। लोग एक-दूसरे से गले मिलकर दीपावली की शुभकामनाएँ देते हैं। वे अपने निकट संबंधियों को उपहार भी देते हैं। बच्चे अपने माता-पिता की देख-रेख में पटाखों का आनंद लेते हैं। इस त्योहार के अगले दिन गोवर्धन पूजा और अंतिम दिन भैय्यादूज का त्योहार मनाया जाता है।

पौराणिक कथा दीपावली मनाने के पीछे पौराणिक कथा यह है कि भगवान श्रीराम रावण को मारकर चौदह वर्ष के वनवास के बाद
अयोध्या वापस आए थे। उनके अयोध्या वापस आने की खुशी में लोगों ने घी के दीप जलाकर खुशियाँ मनाई थीं। तब से यह त्योहार प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह भी इसी दिन बंधन मुक्त हुए थे।

उपसंहार दीपावली हर्षोल्लास लाने वाला पर्व है। इसे सादगीपूर्वक मनाना चाहिए। पटाखे कम-से-कम जलाने चाहिए, ताकि प्रदूषण न बढ़ने पाए। कुछ लोग इस अवसर पर जुआ भी खेलते हैं। हमें इस दुष्प्रवृत्ति पर भी अंकुश लगाना चाहिए। दीपावली का त्योहार हमें एकता, स्वच्छता तथा खुशियों का संदेश देता है। अतः हमें इसे मिल-जुलकर प्रेम से मनाना चाहिए।

दशहरा (असत्य पर सत्य की जीत पर मनाया जाने वाला पर्व)

भूमिका भारत त्योहारों का देश है। साल में एक-दो महीनों को छोड़कर यहाँ प्रत्येक माह कोई-न-कोई त्योहार मनाया जाता है। यहाँ रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, नागपंचमी, दशहरा, दीपावली, भैय्यादूज, क्रिसमस, ईद, लोहड़ी, बसंत पंचमी, होली, बैसाखी, राम नवमी आदि त्योहार खूब धूमधाम से मनाए जाते हैं। इनमें बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाने वाला त्योहार दशहरा अपना विशेष महत्त्व रखता है।

दशहरा मनाए जाने का समय दशहरा पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में प्रथमा तिथि से दशमी तक मनाया जाता है। इस समय प्रत्येक शाम को भगवान राम की पावन लीला का मंचन किया जाता है। इसके अंतर्गत राम जन्म से लेकर रावण पर विजय पाने के घटनाक्रम को दिखाया जाता है। इसकी संगीतमय प्रस्तुति अत्यंत आकर्षक और मनभावन होती है। दसवें दिन राम-लक्ष्मण और सीता की झाँकियाँ निकाली जाती हैं।

बुराई पर अच्छाई की जीत किसी खुले स्थान पर रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के विशालकाय पुतले खड़े किए जाते हैं। झाँकी का यहीं समापन होता है। मंत्रोच्चारण के बीच राम के बाण मारते ही रावण का पुतला जल उठता है। अन्य बाणों से मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले भी जल उठते हैं। इस तरह बुराई पर अच्छाई की जीत का अनुकरणीय प्रदर्शन होता है।

उपसंहार इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। स्त्री-पुरुष और बच्चों का उत्साह एवं उल्लास देखने योग्य होता है। बच्चे खिलौनों के रूप में धनुष-बाण, गदा, मुखौटे आदि खरीदकर खुश होते हैं। दशहरा हमें बुराई से दूर रहने तथा अच्छाई को अपनाने की सीख देता है। इस अवसर पर हमें राम के अनुकरणीय चरित्र से सीख लेकर परस्पर प्रेम एवं सद्भाव से रहना चाहिए तथा लोगों में भी यही संदेश फैलाना चाहिए।

जन्माष्टमी (भगवान कृष्ण की बाल लीला)

भूमिका भारत भूमि अत्यंत सुंदर, सुखद और पावन है। इस भूमि पर अनेक महापुरुषों और युगपुरुषों ने जन्म लिया है। यहाँ राम, कृष्ण, गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी, संत नानक देव, कबीर, तुलसी आदि युगपुरुषों और संत-महात्माओं ने जन्म लिया है, जिससे इस धरा की पवित्रता और महत्ता और भी बढ़ गई है। इनमें श्रीकृष्ण ऐसे ही युगपुरुष थे, जिनका जन्मदिवस श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाया जाता है।

जन्माष्टमी और पौराणिक कथा भारत भूमि को समय-समय पर अधर्म, अन्याय और अत्याचार का सामना करना पड़ा है। इसकी रक्षा के लिए तथा धर्म की स्थापना करने के लिए स्वयं ईश्वर ने विभिन्न रूपों में अवतार लिया है। कहा जाता है कि आज से हजारों वर्ष पूर्व मथुरा में उग्रसेन नामक राजा राज्य करते थे। उनका पुत्र कंस बहुत अत्याचारी था।

कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक राजा के साथ हुआ था। विवाह के बाद जब वसुदेव के साथ देवकी की विदाई हो रही थी, तब कंस को यह भविष्यवाणी सुनाई दी कि हे कंस! देवकी के आठवें पुत्र द्वारा तेरा वध किया जाएगा।

यह सुनते ही कंस ने वसुदेव और देवकी को कारागार में डाल दिया। उसने देवकी की सात संतानों का एक-एक कर वध कर दिया, पर जब आठवें बालक का जन्म श्रीकृष्ण के रूप में हुआ, तब उनकी बेड़ियाँ खुल गईं। कारागार के रक्षक गहरी नींद में सो गए। भादो महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्मे बालक श्रीकृष्ण को वसुदेव अपने मित्र नंद के घर छोड़ आए और उनकी कन्या लाकर देवकी की गोद में डाल दी। प्रातः काल कंस ने कन्या का वध कर दिया और भयमुक्त हो गया। उधर श्रीकृष्ण जब बड़े हुए, तब उन्होंने कंस का वध किया। भगवान कृष्ण के जन्म दिवस को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

जन्माष्टमी मनाने का तरीका जन्माष्टमी के दिन लोग व्रत-उपवास रखते हैं तथा शाम को मंदिर में या घर पर ही भजन-कीर्तन करते हैं। मंदिरों में झाँकियाँ सजाई जाती हैं, जिनमें पालने सुंदर ढंग से सजाएं जाते हैं। आधी रात में श्रीकृष्ण का जन्म होते ही लोग उल्लासित हो उठते हैं। मंदिरों के घंटे बज उठते हैं। प्रसाद का वितरण होता है।

इसे खाकर लोग अपना व्रत खोलते हैं। इस उत्सव की विशेष शोभा मथुरा के मंदिरों में देखते ही बनती है। वहाँ देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु एकत्र होते हैं और इस त्योहार का आनंद लेते हैं।

उपसंहार जन्माष्टमी का त्योहार हमें श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश देता है। यह त्योहार हमें साहसी बनने, अन्याय एवं अत्याचार न सहने तथा धर्म की राह अपनाने की प्रेरणा देता है। हमें श्रीकृष्ण के आदर्शो पर चलते हुए समाज में सद्भाव, प्रेम, भाईचारे और एकता को मजबूत करना चाहिए।

होली (रंगों का त्योहार)

भूमिका मनुष्य अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए श्रम करता है। इससे उसके तन-मन को थकान और जीवन में नीरसता पैदा होती है। इस थकान और नीरसता को दूर करने के लिए वह त्योहारों का सहारा लेता है। ये त्योहार मनुष्य को उत्साह, ऊर्जा और हर्षोल्लास से भर देते हैं। होली ऐसा ही त्योहार है, जो प्रतिवर्ष खुशियाँ लेकर आता है और लोग आपसी मतभेद भुलाकर इसे मिल-जुलकर खुशी-खुशी मनाते हैं। यह त्योहार रंग और गुलाल उड़ाकर मनाया जाता है। इसलिए इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है।

होली की पौराणिक कथा होली का त्योहार सारे देश में मिल-जुलकर मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने के पीछे जनश्रुति यह है कि हिरण्यकश्यप नामक राक्षसों का राजा था, जो बहुत अत्याचारी था। वह स्वयं को भगवान समझता था। वह चाहता था कि लोग उसे भगवान मानकर उसकी पूजा करें, पर उसका पुत्र प्रह्लाद ईश्वर का पक्का भक्त था।

वह ईश्वर में गहरी आस्था और विश्वास रखता था। इससे रुष्ट होकर हिरण्यकश्यप ने उसे प्रताड़ित करना शुरू किया और कई बार उसे मारने का असफल प्रयास किया। प्रह्लाद की बुआ होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ जाए, जिससे प्रह्लाद जलकर मर जाए। ईश्वर की कृपा से प्रह्लाद तो बच गया, परंतु होलिका जल गई। इसी घटना की याद में होली का त्योहार मनाया जाता है।

रंगों का त्योहार होली का त्योहार वसंत ऋतु में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस रात्रि में लकड़ियों और उपलों का ढेर लगाकर होलिका जलाई जाती है।

लोग उसकी परिक्रमा करते हैं। इसी आग में नए अनाज की बालियाँ भूनकर उन्हें प्रसाद के रूप में घर लाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों का त्योहार होली मनाई जाती है। बच्चे सवेरे से ही रंग और

पिचकारियाँ लेकर निकल पड़ते हैं। एक-दूसरे पर रंग डालते हैं। बच्चे, युवा तथा बड़े सभी रंगों में रंगीन हो जाते हैं। वे बूढ़ों तथा बुजुर्गों को अबीर लगाकर उनके चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस अवसर पर सभी होली की शुभकामनाएँ देते हैं।

उपसंहार होली खुशियों का त्योहार है। यह प्रेम, एकता, सद्भावना, भाईचारा बढ़ाने वाला त्योहार है। हमें आपसी घृणा, शत्रुता, बैर-भाव, द्वेष भूलकर प्रेमपूर्वक मिल-जुलकर होली मनानी चाहिए तथा अपने। साथ-साथ दूसरों के जीवन को भी रंगों की खुशियों से भर देना चाहिए, ताकि सभी के लिए होली मंगलमय बन जाए ।

5G नेटवर्क

भूमिका 5G में ‘G’ का अर्थ जनरेशन (पीढ़ी) होता है। जिस भी पीढ़ी की टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है, उसके आगे ‘G’ लगाया जाता है और यही ‘G’ आधुनिक तकनीक के उपकरण को नई पीढ़ी के रूप में दर्शाने का कार्य करता है। हमारा देश धीरे-धीरे नई तकनीक की ओर अग्रसर होता जा रहा है और हमारे देश में नई-नई तकनीकों का आविष्कार किया जा रहा है।

5G एक आधुनिक तकनीक 5G टेक्नोलॉजी दूरसंचार की टेक्नोलॉजी से संबंध रखती है। किसी भी तकनीक का प्रयोग वायरलेस तकनीक के द्वारा किया जाता है। दूरसंचार की इस नई तकनीक में रेडियो तरंगें और विभिन्न तरह की रेडियो आवृत्ति का उपयोग किया जाता है। 5G तकनीक अगली पीढ़ी की तकनीक है और यह अब तक की सबसे ज्यादा आधुनिक तकनीक मानी जा रही है।

5G नेटवर्क के लाभ 5G तकनीक के आ जाने से ड्राइवरलेस कार, हेल्थ केयर, वर्चुअल रियलिटी क्लाउड गेमिंग के क्षेत्र में नए-नए विकासशील मार्ग खुलते चले जा रहे हैं।

5G तकनीक सुपर हाई स्पीड इंटरनेट की कनेक्टिविटी प्रदान करने के साथ-साथ कई महत्त्वपूर्ण स्थानों में उपयोग में लाई जा रही है। 5G टेक्नोलॉजी आ जाने से कनेक्टिविटी में और भी ज्यादा विकास एवं शुद्धता प्राप्त हुई है।

5G का उपयोग स्मार्ट शहरों और अन्य जुड़े हुए वातावरणों के विकास के साथ-साथ नई स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा प्रौद्योगिकी के विकास के लिए भी किया जा रहा है।

5G की विशेषताएँ 5G तकनीक की स्पीड लगभग एक सेकंड 20Gbs ( डाउनलोड के आधार पर) इसके उपभोक्ताओं को प्राप्त होती है। 5G नेटवर्क के आ जाने से देश में डिजिटल इंडिया को एक अच्छी गति प्राप्त हुई है और साथ ही देश के विकास में तीव्रता आई है। हाल ही में आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन ने दावा किया है कि देश में 5G के आ जाने से हमारे देश की जीडीपी एवं अर्थव्यवस्था में काफी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है।

उपसंहार 5G तकनीक से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत होने की आशा है। जहाँ तक प्रौद्योगिकी के राष्ट्रव्यापी परिनियोजन का संबंध है, भारत को अभी भी एक लंबा मार्ग तय करना है, जिसके अंतर्गत स्पेक्ट्रम की कीमतों को कम करना, ग्रामीण शहरी इलाके में तकनीक के अंतर को पाटना एवं नेटवर्क की पहुँच को देश के हर घर तक बढ़ाना शामिल है।

पैट जीपीटी

भूमिका चैट जीपीटी (जनरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफॉर्मर) ओपन ए आई (Artificial Intelligence) द्वारा विकसित एक बड़े पैमाने पर नेटवर्क आधारित भाषा प्रारूप है। जीपीटी मॉडल बड़ी मात्रा में कंटेंट लिख सकता है, यह विभिन्न विषयों पर प्रतिक्रियाएँ दे सकता है; जैसे- प्रश्नों का उत्तर देना, स्पष्टीकरण प्रदान करना और संवाद में भाग लेना। चैट जीपीटी अनुवर्ती प्रश्नों का उत्तर देने के साथ अपनी गलतियों को स्वीकार कर सकता है, गलत धारणाओं को चुनौती दे सकता है, साथ ही अनुचित अनुरोधों को अस्वीकार कर सकता है।

चैट जीपीटी की विशेषताएँ चैट जीपीटी की प्राकृतिक भाषा को संसाधित करने एवं समझने हेतु डिजाइन किया गया है। इसका उपयोग वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों; जैसे-डिजिटल मार्केटिंग, ऑनलाइन सामग्री निर्माण, ग्राहकों के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए किया जाता है। यह मनुष्य के बोलने की शैलियों की नकल करते हुए प्रश्नों की एक बड़ी श्रृंखला का जवाब दे सकता है। इसे बुनियादी ई-मेल, पार्टी नियोजन सूचियों, सीवी और यहाँ तक कि कॉलेज निबंध और होमवर्क के प्रतिस्थापन के रूप में देखा जा रहा है। इसका उपयोग कोड लिखने के लिए भी किया जा सकता है।

चैट जीपीटी की सीमाएँ भाषा इंटरफेस (BHASHINI, BHASHA Interface for India) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से भाषा अनुवाद करता है, जिससे कभी-कभी उनमें कुछ त्रुटियाँ रह जाती हैं।

उपसंहार चैट जीपीटी के अंतर्गत उपयोगकर्ता वॉयस नोट्स का उपयोग करके एक प्रश्न पूछ सकता है और चैट द्वारा उत्पन्न आवाज आधारित प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकता है। चैटबॉट भारत की ग्रामीण और कृषक आबादी को ध्यान में रखकर विकसित किया जा रहा है, जो अधिकांशतः सरकारी योजनाओं तथा सब्सिडी पर निर्भर करता है। इसके संभावित उपयोगकर्ता भाषाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग करते हैं, जिससे एक भाषा मॉडल बनाना महत्त्वपूर्ण हो जाता है, जो उन्हें सफलतापूर्वक पहचान और समझ सके। इससे भारत में उन किसानों को मदद मिलेगी, जो स्मार्टफोन पर टाइपिंग नहीं कर सकते हैं।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 2 अनुच्छेद-लेखन Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 2 अनुच्छेद-लेखन Question And Answers

अनुच्छेद का अर्थ

किसी विषय पर संक्षेप में अपने भाव-विचार व्यक्त करना अनुच्छेद-लेखन कहलाता है। अनुच्छेद में किसी एक विषय पर संक्षेप में मुख्य बिंदुओं पर चर्चा की जाती है। अनुच्छेद लेखन को निबंध का लघु रूप भी कहा जाता है, लेकिन निबंध और अनुच्छेद में अंतर होता है। निबंध में विषय के पक्ष-विपक्ष में तथा उसके विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत रूप से लिखा जाता है, किंतु अनुच्छेद के विषय को विस्तृत रूप से न लिखकर प्राय: 80-100 शब्दों में मुख्य बिंदुओं का ही वर्णन किया जाता है।

अनुच्छेद लेखन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • अनुच्छेद लेखन के लिए दिए गए शीर्षक व संकेत बिंदुओं पर विचार कर लेना चाहिए।
  • अनुच्छेद के केंद्र-बिंदु को ध्यान में रखकर अनुच्छेद न अधिक बड़ा न अधिक छोटा होना चाहिए।
  • संक्षेपीकरण के कारण अनुच्छेद अधूरा नहीं रह जाना चाहिए ।
  • विषय के किसी भी बिंदु की विस्तृत व्याख्या से बचना चाहिए ।
  • अनुच्छेद की भाषा सरल व प्रभावपूर्ण होनी चाहिए।
  • पुनरुक्ति से बचने का हरसंभव प्रयास करना चाहिए।
  • विषय-वस्तु से संबंधित विचारों को व्यवस्थित व क्रमबद्ध रूप में लिखना चाहिए।
  • मुहावरे लोकोक्तियों का प्रयोग अनुच्छेद को प्रभावशाली बनाते हैं।
  • अनुच्छेद के अंत में विषय का निष्कर्ष पूरी तरह स्पष्ट हो जाना चाहिए।

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NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 2 अनुच्छेद-लेखन अभ्यास प्रश्न

भारत का नया संसद भवन

संकेत बिंदु

  • भवन का उद्घाटन
  • संरचना
  • सीटों की संख्या
  • आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 28 मई, 2023 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नए संसद भवन का उद्घाटन किया है। दिल्ली में पुराने संसद भवन को अब लगभग 100 वर्ष पूरे हो गए थे। ऐसे में एक नए संसद भवन की कमी महसूस हो रही थी, जिसमें आज के युग की नव- तकनीकें मौजूद हों। फलस्वरूप 10 दिसंबर, 2020 को नरेंद्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन की आधारशिला रखी गई।

नए संसद भवन का आकार वास्तुशिल्प संरचना के अनुसार त्रिकोणीय है। इसका निर्माण सेंट्रल विस्टा संरचनाओं की तर्ज पर किया गया है। इसमें लोकसभा, राज्यसभा, केंद्रीय लाउंज और संवैधानिक प्राधिकरणों के कार्यालय हैं। नई संसद में लोकसभा सीटों की संख्या 888 है।

राज्यसभा में सदस्यों के बैठने की क्षमता को 280 से बढ़ाकर 384 की गई है अर्थात् संयुक्त सत्र के दौरान नए संसद भवन में 1,272 से ज्यादा सांसद बैठ सकेंगे। नए संसद भवन में रखा जाने वाले संगोल की कहानी वास्तव में भारत की आज़ादी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़ी हुई है।

नए संसद भवन के निर्माण का टेंडर टाटा ग्रुप ने जीता था। नए संसद भवन को ‘आत्मनिर्भर भारत की भावना का प्रतीक माना जाएगा।

बाल मजदूरी एक सामाजिक अभिशाप

संकेत बिंदु

  • काम करने की विवशता
  • बचपन का छिन जाना
  • कारण
  • उपाय

आज भारत को जिन सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उनमें बाल मजदूरी प्रमुख है। बाल मजदूरी छोटी उम्र में बच्चों द्वारा व्यावसायिक काम करने की विवशता है। बचपन मानव जीवन का स्वर्णिम काल होता है। इस काल में बच्चा खेल – कूदकर अपना मनोरंजन और शारीरिक विकास करता है। वह पढ़-लिखकर समाजोपयोगी नागरिक बनता है, परंतु बचपन में मजदूरी करने से उसका बचपन छिन जाता है और खेल-कूद तथा पढ़ाई-लिखाई के अवसर नष्ट हो जाते हैं। इससे बच्चा बन्धुआ मजदूर बनकर रह जाता है।

वह एक मजदूर की जिंदगी जीने को अभिशप्त हो जाता है। बाल मजदूरी का प्रमुख कारण निर्धनता है। इसके कारण न चाहते हुए भी माता-पिता अपने बच्चों को काम पर भेजने के लिए विवश होते हैं। इसके अतिरिक्त समाज के कुछ स्वार्थी लोग बच्चों से लगभग मुफ्त में नौकरी करवाकर मोटा मुनाफा कमाते हैं। सरकार को बाल मजदूरी रोकने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।

आदित्य एल 1 सौर मिशन

संकेत बिंदु

  • कब लॉन्च किया गया
  • पहला सौर मिशन
  • उद्देश्य
  • क्रांतिकारी मिशन

आदित्य एल 1 एक कोरोनोग्राफी अंतरिक्ष यान है। यह सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला सौर मिशन है। पहले इसका नाम आदित्य-1 था, जिसे बदलकर आदित्य एल 1 कर दिया गया। आदित्य एल 1 का प्राथमिक उद्देश्य विशेष रूप से सूर्य की बाहरी परत पृथ्वी की जलवायु और सौर कोरोना गतिविधियों के प्रभाव का अध्ययन करना है।

आदित्य एल 1 मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। इसे 2 सितंबर, 2023 को प्रातः 11 बजकर 50 मिनट पर PSLV-C57 रॉकेट द्वारा श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया है। इसे पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी की दूरी पर लैग्रेज प्वाइंट 1 (एल 1) नामक स्थान के आस-पास एक प्रभा मंडल कक्षा में स्थापित किया गया।

यह एल 1 अंतरिक्ष में एक स्थान है, जहाँ सूर्य और पृथ्वी जैसे दो खगोलीय पिंडों के गुरुत्वाकर्षण बल संतुलन में हैं। यह वहाँ रखी हुई वस्तु को दोनों खगोलीय पिंडों के संबंध में अपेक्षाकृत स्थिर रहने की अनुमति देता है। आदित्य एल 1, 6 जनवरी, 2024 को सफलतापूर्वक पहुँच गया।

यह मिशन भारत के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण मिशन है, जो सूर्य की गतिशीलता और अंतरिक्ष मौसम की समझ में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा।

बच्चों के बस्ते का बढ़ता बोझ

संकेत बिंदु

  • अधिक पुस्तकों का बोझ
  • मानसिक विकास में रुकावट
  • शिक्षा की प्रणाली में परिवर्तन लाना

शिक्षा में ज्यों-ज्यों निजी क्षेत्र का हस्तक्षेप बढ़ा है, त्यों-त्यों अच्छी शिक्षा देने के नाम पर प्राइवेट स्कूल पाठ्यक्रम में पुस्तकें बढ़ाते ही जा रहे हैं, जिसका सीधा असर बच्चों के कंधों और उनके बस्तों पर पड़ रहा है। आज छोटे-छोटे बच्चों को उनके वजन के बराबर या उससे अधिक वजन वाला बस्ता लेकर स्कूल जाते हुए देखा जा सकता है।

अब तो बच्चों का बस्ता पहुँचाने के लिए अभिभावकों को भी साथ जाना पड़ रहा है। माता-पिता की पसंद के अनुरूप भी अब ऐसे विद्यालय बनते जा रहे हैं, जहाँ खूब सारी किताबें मँगवाई जाती हैं। अधिकांश माता-पिता के लिए किताबों की अधिकता ही उनके लिए अच्छी शिक्षा की गारंटी देती है, जबकि इससे बच्चे का मानसिक विकास नहीं हो पाता है।

बच्चों को इतना गृहकार्य दिया जाने लगा है कि उन्हें पूरा कराने के लिए या तो ट्यूटर की जरूरत पड़ने लगी है या माता-पिता उन्हें खुद पढ़ाने के लिए विवश हैं। बच्चों की शिक्षा का माध्यम सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान न होकर व्यावहारिक एवं रचनात्मक होना चाहिए। अतः विद्यालयी शिक्षा की प्रक्रिया में परिवर्तन लाकर बच्चों के बस्तों के बढ़ते बोझ को कम करके पाठ्यक्रम में बदलाव लाने की आवश्यकता है।

बढ़ती आबादी, घटते वन

संकेत बिंदु

  • जनसंख्या का बढ़ना व संसाधनों का घटनाक
  • देश के विकास में बाधा
  • वनों की अंधाधुंध कटाई
  • नियंत्रण की आवश्यकता

भारत की जनसंख्या में जिस तीव्रता के साथ वृद्धि हो रही है, उतने ही तीव्रता से संसाधन भी घटते जा रहे हैं तीव्रता से बढ़ती आबादी के कारण देश को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इससे एक ओर देश का विकास बाधित हो रहा है, तो दूसरी ओर प्राकृतिक संसाधनों पर भी इसका बुरा असर दिखाई देने लगा है। निगड जनसंख्या की बढ़ती जरूरतें पूरी करने के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है।

वनों की इस कटाई से लोगों की आवास समस्या तो हल हो रही है, परंतु अप्रत्यक्ष रूप से अनेक समस्याएँ पैदा हो रही हैं। इससे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, तो हरियाली में भी कमी होती जा रही है। वन्यजीवों की अनेक प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर पहुँच चुकी हैं। धरती का तापमान बढ़ रहा है और ओजोन परत प्रभावित हो रही है। मानवता को बचाए रखने के लिए वनों की कटाई और जनसंख्या वृद्धि दोनों पर नियंत्रण करने की आवश्यकता है। तभी पृथ्वी पर जीवन सुचारु रूप से चल पाएगा।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) परिश्रम का महत्त्व

संकेत बिंदु

  • कंप्यूटर पर निर्भरता
  • मानव बुद्धि की नकल
  • उपयोग
  • संभावित खतरे

आधुनिक समय में हमारा जीवन काफी हद तक कंप्यूटर पर निर्भर हो गया है। कंप्यूटर के बिना जीवन के बारे में सोचना लगभग असंभव है, इसलिए कंप्यूटर को इंटेलिजेंस बनाना बहुत जरूरी है ताकि हमारा जीवन सरल हो सके। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर का सिद्धांत और विकास है, जो मानव बुद्धि की नकल है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता विभिन्न क्षेत्रों; जैसे- चिकित्सा में रोगी के रोग का पता लगाने में, शिक्षा में छात्रों को नवीन तकनीक द्वारा पढ़ाने, वित्तीय क्षेत्र में डाटा का विश्लेषण करके निवेशकों के लिए निवेश का उचित सुझाव देना, धोखाधड़ी को पहचानना, कृषि जगत में पौधों की देख-रेख मौसम की स्थिति, तापमान आदि में उपयोगी है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंप्यूटर और रोबोटिक्स की दुनिया में क्रांति जैसा है, परंतु इससे संभावित खतरे भी हैं। यदि मशीनें स्वयं निर्णय लेने लगेंगी और उस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो यह मानव सभ्यता के लिए खतरा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता दुनिया का भविष्य बनाने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है। यह मानव जाति के इतिहास में एक बड़ी क्रांति लाएगा।

मीठी वाणी की महत्ता

संकेत बिंदु

  • वाणी का महत्त्व
  • मीठी वाणी का प्रभाव
  • मीठी व कड़वी वाणी में अंतर

कवि रहीम ने कहा है कि “कागा काको लेत है, कोयल काको देय! मीठे वचन सुनाय के जग अपनो करि लेय!”

अर्थात् न कौआ किसी का कुछ लेता है और न कोयल किसी को कुछ देती है। एक ओर कौए को भगाया जाता है, तो दूसरी ओर कोयल अपनी वाणी से लोगों को अपना बना लेती है। इससे वाणी की महत्ता अपने आप सिद्ध हो जाती है। इसी प्रकार व्यावहारिक जीवन में भी हम कुछ लोगों की बातें मुग्ध होकर सुनते हैं, जबकि कुछ लोगों का कर्कश स्वर सुनकर हम अपने कान बंद कर लेना चाहते हैं।

मीठी वाणी अपने प्रभाव से शत्रु को भी मित्र बना लेती है। इससे सुनने वाले को सुख मिलता है। मधुर वाणी औषधि के समान होती है, जिससे सुनने वाले के दिल को शांति, शीतलता और संतुष्टि मिलती है। यह रेगिस्तान में मरुद्यान की भाँति होती है, जहाँ बैठकर शांति पाने की इच्छा होती है। कहा गया है कि कड़वी वाणी तलवार की भाँति ऐसी चोट पहुँचाती है, जिसे समय का मरहम भी नहीं भर पाता है। अतः हमें सदैव मधुर वाणी ही बोलनी चाहिए।

परिश्रम का महत्त्व

संकेत बिंदु

  • सफलता का साधन
  • मनुष्य का कर्त्तव्य
  • परिश्रम न करने से हानि
  • उन्नति का मूल मंत्र

‘उद्यमेन हि सिध्यंति कार्याणि न मनोरथैः’ ! इस श्लोक की पंक्ति का भाव यह है कि परिश्रम से ही काम सिद्ध होते हैं, मन में सोचने मात्र से नहीं। सच भी है कि इस संसार में मनोवांछित सफलता पाने का सबसे अच्छा और महत्त्वपूर्ण साधन परिश्रम ही है। परिश्रम करना मनुष्य का कर्त्तव्य है और यही उसके हाथ में है। बिना परिश्रम के फल की कामना करना दिवास्वप्न देखने जैसा है। मनुष्य को स्वभावतः परिश्रमशील होना चाहिए। परिश्रम करने से व्यक्ति का शरीर फुर्तीला और चुस्त रहता है।

इसके अभाव में व्यक्ति आलसी हो जाता है। इससे वह विनाश की ओर उन्मुख हो जाता है। यह संसार परिश्रमी लोगों के कारण ही सुंदर बना हुआ है। यदि मजदूर श्रम से जी चुराने लगे, तो धरती पर खंडहर – ही- खंडहर नजर आते। यदि सूर्य समय पर न उदय हो, तो प्राणियों की दशा का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि परिश्रम मनुष्य की उन्नति का मूल है। परिश्रम के द्वारा वह अपना भाग्य बनाता है। अतः हमें परिश्रम से जी नहीं चुराना चाहिए।

कंप्यूटर आज की आवश्यकता

संकेत बिंदु

  • विज्ञान की देन
  • प्रयोग
  • संचार के क्षेत्र में क्रांति

विज्ञान ने मानव जीवन को सुखी बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। इसकी खोजों से मनुष्य को ऐसे आश्चर्यजनक साधन मिले हैं, जिनकी कभी वह कल्पना भी नहीं करता था। कंप्यूटर ऐसा ही बहुपयोगी साधन है, जो विधि रूपों में मनुष्य के लिए लाभदायी सिद्ध हुआ है। आज कंप्यूटर का प्रयोग हर कार्यालय, यहाँ तक कि हर घर में किसी-न-किसी रूप में होने लगा है। यह गणितीय गणनाएँ करने में बहुत कुशल है।

इस कारण विभिन्न प्रकार के बिल बनाना, उन्हें जमा कराना अब बाएँ हाथ का काम बन चुका है। अब घंटों लाइन में लगकर समय गँवाने की जरूरत नहीं रही। अब फाइलों के खोने और दीमकों द्वारा चाटे जाने का भय समाप्त हो गया है। इसके कारण पुस्तकों की गुणवत्ता में जबरदस्त वृद्धि हुई है।

संचार के क्षेत्र में कंप्यूटर ने अद्भुत क्रांति ला दी है। आज कंप्यूटर मनोरंजन का प्रमुख साधन बन गया है। आप इस पर फिल्में देखकर मनपसंद गाने सुनकर अपना मनोरंजन कर सकते हैं। कंप्यूटर ने दुनिया के लिए ज्ञान का दरवाजा खोल दिया है, जिससे घर बैठे ज्ञानार्जन किया जा सकता है।

जैसी संगति बैठिए तैसोई फल दीन

संकेत बिंदु

  • सामाजिक प्राणी
  • समाज व आस-पास का प्रभाव
  • परिणाम

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह सभी कार्य स्वयं नहीं कर सकता। उसे दूसरों की सहायता लेनी ही पड़ती है।

समाज में रहने के कारण कभी उसे अच्छे लोगों का साथ मिलता है और कभी बुरे लोगों का। यदि मनुष्य अच्छे लोगों के साथ उठेगा बैठेगा तो उस पर प्रभाव भी अच्छा पड़ेगा। बुरे लोगों के साथ रहने का बुरा प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। बुरे व्यक्ति स्वयं अपनी हानि करते हैं और समाज को भी हानि पहुँचाते हैं। इसका परिणाम भी उन्हें भुगतना पड़ता है।

अतः मनुष्य को चाहिए कि वह अच्छी संगति में बैठे, जिससे उसे अच्छा फल प्राप्त हो।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 1 पत्र लेखन Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 1 पत्र लेखन Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 1 पत्र लेखन का अर्थ

पत्र लेखन एक महत्त्वपूर्ण कला है। अपने विचारों एवं भावों की अभिव्यक्ति के लिए पत्र लेखन का प्रयोग किया जाता है। पत्र लेखन की अपनी विशेष शैली होती है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 1 पत्र लेखन पत्र के अंग

पत्र को जिस क्रम में लिखा जाता है, वे पत्र के अंग कहलाते हैं। सामान्यतः किसी भी पत्र में निम्नलिखित अंग होते हैं।

  1. शीर्षक या प्रारंभ पत्र में सर्वप्रथम शीर्षक के रूप में पत्र लिखने वाले का नाम व पता लिखा जाता है, उसके बाद पत्र लिखने की तिथि का उल्लेख किया जाता है। परीक्षा में पूछे गए औपचारिक व अनौपचारिक पत्र के नाम का उल्लेख न होने पर परीक्षा भवन लिखा जाता है। यह सब पत्र में बाएँ और सबसे ऊपर लिखा जाता है। तत्पश्चात् जिसे पत्र भेजना है, उसका नाम व पता लिखा जाता
    है।
  2. विषय औपचारिक पत्रों के अंतर्गत विषय का उल्लेख सीमित शब्दों में स्पष्ट रूप से किया जाता है, जबकि अनौपचारिक पत्रों में इसका उल्लेख नहीं होता।
  3. संबोधन पत्र में संबोधन का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। औपचारिक पत्र के अंतर्गत मान्यवर, महोदय आदि सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है तथा अनौपचारिक पत्र के अंतर्गत पूजनीय, स्नेहमयी, प्रिय आदि सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
  4. अभिवादन पत्र में संबोधन के अनुरूप ही अभिवादन हेतु शब्दों का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग अनौपचारिक पत्रों में बड़ों के लिए प्रणाम, नमस्कार, सादर चरण स्पर्श तथा छोटों के लिए आशीर्वाद, शुभाशीष, चिरंजीव रहो आदि शब्द-सूचक का प्रयोग किया जाता है। यद्यपि औपचारिक पत्रों में इसका प्रयोग नहीं होता ।
  5. विषय-वस्तु विषय-वस्तु पत्र लेखन का महत्त्वपूर्ण अंग है। इसे पत्र का मुख्य भाग भी कहते हैं। इस भाग में पत्र से संबंधित भावों व विचारों को प्रकट किया जाता है।
  6. समाप्ति अथवा अंत पत्र के अंत में समाप्ति हेतु औपचारिक पत्र में धन्यवाद लिखते हुए भवदीय, प्रार्थी, आज्ञाकारी शब्द सूचक का प्रयोग किया जाता है तथा अनौपचारिक पत्र में प्यारा, स्नेहाकांक्षी, हितैषी, शुभाकांक्षी आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

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पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • पत्र का विषय स्पष्ट होना चाहिए तथा पत्र में क्रमबद्धता का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • पत्र इतना संक्षिप्त नहीं होना चाहिए कि मुख्य बातें ही छूटी हुई-सी लगें।
  • पत्र – लेखन में पुनरुक्ति तथा अनावश्यक वर्णन से बचना चाहिए।
  • पत्र में प्रयुक्त वाक्यों की परस्पर संबद्धता होनी चाहिए, जिससे भावों को स्पष्ट रूप से समझा जा सके।
  • पत्र की समाप्ति इस प्रकार होनी चाहिए कि पत्र का संदेश स्पष्ट हो सके।
  • पत्र की भाषा सरल, स्पष्ट, आदर-सूचक व शुद्ध होनी चाहिए।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 1 पत्र लेखन पत्र के प्रकार

सामान्यतया पत्रों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है

  1. औपचारिक पत्र
  2. औपचारिक पत्र

अनौपचारिक पत्र: अधिकारियों, कर्मचारियों तथा संस्था प्रमुख, पुस्तक विक्रेता, संपादक आदि को लिखे जाने वाले पत्र औपचारिक पत्र कहलाते हैं। इनसे हमारा व्यक्तिगत परिचय नहीं होता है। इन पत्रों में सूचना देने का भाव छिपा होता है। औपचारिक पत्रों के अंतर्गत निम्नलिखित पत्र आते हैं

(क) प्रार्थना-पत्र / आवेदन पत्र
(ख) शिकायती पत्र
(ग) व्यावसायिक पत्र
(घ) कार्यालयी पत्र
(ङ) संपादक के नाम पत्र

औपचारिक पत्र का प्रारूप

Example: प्रश्न दो दिन के अवकाश के संबंध में प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।

पत्र लिखने वाले (प्रेषक) का पता

  • परीक्षा भवन,
  • दिल्ली।

दिनांक

  • दिनांक 25 अप्रैल, 20XX

पत्र प्राप्तकर्ता का पता

  • सेवा में,
  • प्रधानाचार्य महोदय
  • रा. सर्वोदय बाल विद्यालय,
  • रूपनगर नं. 1,
  • दिल्ली।

विषय

  • विषय दो दिन के अवकाश के संबंध में।

संबोधन

  • महोदय,

विषय-वस्तु

  • सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की छठी कक्षा का छात्र हूँ। कल विद्यालय से घर आते समय मुझे तेज़ धूप में पैदल चलना पड़ा, जिससे घर आते ही मुझे चक्कर और बुखार आ गया। डॉक्टर ने समय-समय पर दवा लेने और दो दिन तक आराम करने की सलाह दी है, इसलिए मैं दो दिन विद्यालय आने में असमर्थ हूँ।
  • अतः मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि मुझे 25 और 26 अप्रैल, 20XX को अवकाश देने की कृपा करें।

समापन

  • सधन्यवाद।

प्रेषक का नाम

  • आपका आज्ञाकारी शिष्य,
  • क. ख. ग
  • कक्षा छठी ‘अ’ अनुक्रमांक 20

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 1 पत्र लेखन प्रार्थना-पत्र / आवेदन-पत्र

अभ्यास प्रश्न

1. छात्रों के लिए अधिक खेल सामग्री उपलब्ध कराने का अनुरोध करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए ।

उत्तर परीक्षा भवन,
दिल्ली ।

दिनांक 20 अप्रैल, 20XX

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय,
सिविल लाइन्स,
दिल्ली |

विषय अधिक खेल सामग्री उपलब्ध कराने हेतु।

महोदय,

विनम्र निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा छठी ‘अ’ का छात्र हूँ। हमारे विद्यालय में खेल का मैदान तो काफी बड़ा है, किंतु खेल सामग्री छात्रों के अनुपात में अत्यंत कम है। खेल के पीरियड (समय) में छात्र खेल नहीं पाते। हमारे विद्यालय में काफी समय से खेल का कोई भी नया सामान नहीं खरीदा गया है, विद्यार्थियों को टूटे-फूटे सामान से ही खेलना पड़ता है। यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है।

अतः आपसे अनुरोध है कि विद्यालय में अधिक खेल सामग्री उपलब्ध कराने की कृपा करें, जिससे छात्र पढ़ाई के साथ-साथ खेल में जीतकर विद्यालय का नाम ऊँचा करें।

सधन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
क. ख. ग.
छठी ‘अ’ अनुक्रमांक 15

2. विद्यालय में पुनः प्रवेश के लिए प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।

उत्तर

परीक्षा भवन,
दिल्ली।

दिनांक 5 अगस्त, 20XX

सेवा में,
प्रधानाचार्या महोदया,
नवीन भारती उच्चतम माध्यमिक विद्यालय,
हर्ष विहार,
दिल्ली।

विषय विद्यालय में पुनः प्रवेश के संबंध में

महोदया,

सविनय निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की छठी कक्षा की छात्रा हूँ। लगभग बीस दिन पहले मेरे दादाजी की मृत्यु गाँव में हो गई। यह खबर सुनते ही हमारे परिवार को अचानक गाँव जाना पड़ा। इस बात की सूचना मैं अपनी कक्षा अध्यापिका को न दे सकी। मेरे लगातार कई दिन तक विद्यालय में अनुपस्थित रहने के कारण उन्होंने (कक्षा अध्यापिका) मेरा नाम काट दिया है। अब मैं इस गलती के लिए क्षमा माँगते हुए अपना नाम विद्यालय में पुनः लिखवाने के लिए निवेदन करती हूँ।

आपसे विनम्र प्रार्थना है कि मेरी स्थिति पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए मेरा नाम दोबारा अपने विद्यालय में लिखने की कृपा करें। मैं सदैव आपकी आभारी रहूँगी।

सधन्यवाद ।

आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या,
क. ख. ग.
छठी ‘अ’ अनुक्रमांक 2

3. सेक्शन बदलने के लिए प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।

उत्तर

परीक्षा भवन,
दिल्ली।

दिनांक 4 सितंबर, 20XX

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक बाल विद्यालय,
ईस्ट पंजाबी बाग,
दिल्ली।

विषय सेक्शन बदलवाने के संबंध में।

महोदय,

विनम्र निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय की छठी कक्षा का छात्र हूँ। इस महीने के आरंभ में मुझे टायफाइड हो गया था। इस कारण मुझे दस दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। उसके बाद भी मैं दस दिन और विद्यालय न आ सका। इससे मेरी पढ़ाई छूट गई और मेरा कार्य अधूरा रह गया। मेरा भाई इसी विद्यालय की छठी ‘ब’ में पढ़ता है। यदि मेरा सेक्शन बदल दिया जाए तो उसकी सहायता से मैं अपना काम आसानी से पूरा कर सकता हूँ।

आपसे प्रार्थना है कि मेरा सेक्शन छठी ‘अ’ से बदलकर छठी ‘ब’ करने की कृपा करें।

सधन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
क. ख. ग.
छठी ‘अ’ अनुक्रमांक 22

4. प्रधानाचार्य को छात्रवृत्ति के लिए आवेदन पत्र लिखिए ।

उत्तर

परीक्षा भवन,
दिल्ली |

दिनांक 10 सितंबर, 20XX

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
दिल्ली।

विषय छात्रवृत्ति हेतु आवेदन-पत्र।

श्रीमान,

सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में छठी कक्षा की छात्रा हूँ। मैं परीक्षा में सदैव अच्छे अंकों से पास होती हूँ तथा पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल में होने वाले अन्य कार्यक्रमों में भी रुचि लेती हूँ। खेलकूद में भी मुझे अब तक कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। विद्यालय के सभी अध्यापक मेरे आचरण से पूरी तरह संतुष्ट हैं। इस वर्ष मेरे घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। मेरे पिताजी नौकरी से सेवानिवृत्त हो गए हैं। मेरी पढ़ाई दो माह पहले प्रारंभ हो गई है, परंतु अभी तक मैं अपनी पाठ्यपुस्तकें भी नहीं खरीद पाई हूँ। मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि मुझे छात्रवृत्ति देने की कृपा ‘करें। मैं आपकी सदैव आभारी रहूँगी।

सधन्यवाद ।

आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
क. ख. ग.
छटी ‘अ’ अनुक्रमांक 9

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 1 पत्र लेखन शिकायती पत्र

5. पेयजल संकट के निवारण हेतु जल निगम अधिकारी को पत्र लिखिए।

उत्तर

परीक्षा भवन,
दिल्ली।

दिनांक 10 मार्च, 20XX

सेवा में,

जल निगम अधिकारी,
दिल्ली जल बोर्ड संस्थान,
किरी
16 राजपुर रोड,
दिल्ली।

विषय पेयजल संकट के निवारण के संबंध में।

महोदय,

निवेदन यह है कि मैं सी-सी कॉलोनी का निवासी हूँ। हमारे मोहल्ले में पिछले पंद्रह-बीस दिनों से पानी बहुत कम आ रहा है। यहाँ सुबह-शाम एक-दो घंटे के लिए ही पानी आता है। पानी का दबाव इतना कम होता है कि ऊपर की मंजिलों पर वह नहीं चढ़ पाता है। इसके अतिरिक्त जितनी देर के लिए पानी आता है, वह पानी गंदा होता है, जिसमें बदबू आती है। इस पानी को पीने से हैजा, अपच ॐ जैसी बीमारियाँ फैल रही हैं।

अतः मेरी आपसे प्रार्थना है कि पानी की गुणवत्ता में सुधार करते हुए पानी की आपूर्ति को नियमित एवं सुचारु करने की कृपा करें।
सधन्यवाद।

भवदीय,
“क. ख. ग.

6. स्वास्थ्य अधिकारी को मोहल्ले में नियमित सफाई न होने की शिकायत करते हुए पत्र लिखिए ।

उत्तर

परीक्षा भवन,
दिल्ली |

दिनांक 25 अगस्त, 20XX

सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी महोदय,
उत्तरी दिल्ली नगर निगम,
दिल्ली ।

विषय मोहल्ले की सफाई व्यवस्था के संबंध में।

महोदय,

मैं आपका ध्यान अपने मोहल्ले इंदिरा विकास कॉलोनी की सफाई की बदहाल स्थिति की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। हमारे मोहल्ले में नियुक्त सफाईकर्मी सप्ताह में एक या दो दिन ही सफाई करते हैं और वे कूड़े का ढेर लगाकर चले जाते हैं। इस ढेर पर कुत्ते मल-मूत्र त्यागते हैं और गायें इसे इधर-उधर बिखरा जाती हैं। इसके अतिरिक्त नालियों की सफाई न होने से उनमें बदबू मारने लगी है, जिससे यहाँ रहना कठिन हो गया है। नियमित सफाई न होने के कारण यहाँ रहने वाले निवासी बीमार हो रहे हैं।

अतः मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप स्वयं इस मामले में आवश्यक कदम उठाते हुए सफाई व्यवस्था को सुचारु करवाने की कृपा करें। धन्यवाद ।

भवदीय,
क. ख. ग.

कार्यालयी पत्र

7. साइकिल खोने की सूचना देते हुए थानाध्यक्ष को पत्र लिखिए।

उत्तर

परीक्षा भवन,
दिल्ली।

दिनांक 10 जुलाई, 20XX

सेवा में,
थानाध्यक्ष महोदय,
करोलबाग,
दिल्ली।

विषय साइकिल खोने के संबंध में।

महोदय,

निवेदन यह है कि मैं कल शाम कुछ पुस्तकें और स्टेशनरी का सामान लेने के लिए टैंक रोड गया था। किताबों की दुकान पर भीड़ होने के

कारण मुझे दुकान पर बीस-पच्चीस मिनट लग गए। मैंने दुकान के सामने दीवार के पास अपनी साइकिल खड़ी की थी, परंतु कुछ देर बाद वह वहाँ से गायब हो गई।

मैंने आस-पास के दुकानदारों और कुछ लोगों से पूछताछ की, पर कुछ पता न चला। मैंने हीरो कंपनी के रेंजर मॉडल की इस साइकिल को 27 मार्च, 20XX को खरीदा था।

मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि इस साइकिल के खोने की सूचना दर्ज करते हुए इसे खोजने में मेरी मदद करने की कृपा करें।

सधन्यवाद ।

भवदीय
क. ख. ग.

8. डाकिए की डाक बाँटने हेतु अनियमितता की शिकायत करते हुए क्षेत्र के मुख्य पोस्टमास्टर को पत्र लिखिए।

उत्तर

परीक्षा भवन
दिल्ली ।

दिनांक 8 नवंबर, 20XX

सेवा में,
मुख्य पोस्टमास्टर,
प्रधान डाकघर,
सीमापुरी,
दिल्ली ।

विषय डाकिए की डाक बाँटने हेतु अनियमितता की शिकायत हेतु ।

महोदय,

मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान अपने क्षेत्र सीमापुरी में नियुक्त डाकिए की कार्य शैली की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। इस क्षेत्र में नियुक्त डाकिया चिट्ठियाँ बाँटने महीने में एक-दो दिन ही आता है। और गली के बाहर खेल रहे बच्चों को डाक पकड़ा जाता है। बच्चे इसे खेलने की वस्तु समझकर इधर-उधर फेंक देते हैं। कई बार वह पत्र गलत पते पर भी डाल देता है तथा कभी वह पत्रों को घर के बाहर ही फेंककर चला जाता है, जिससे हमारे पत्र हमें नहीं मिल पाते हैं। इससे हमें परेशानी का सामना करना पड़ता है।

अतः आपसे प्रार्थना है कि इस मामले में व्यक्तिगत रुचि लेकर डाक वितरण व्यवस्था सुचारू करने की कृपा करें।

धन्यवाद ।

भवदीय
क. ख. ग.

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 1 पत्र लेखन व्यावसायिक पत्र

9. आपको कुछ पुस्तकों की आवश्यकता है। इस संदर्भ में पुस्तक विक्रेता को वीपीपी द्वारा पुस्तक भेजने के लिए पत्र लिखिए।

उत्तर

परीक्षा भवन,
दिल्ली।

दिनांक 21 जुलाई, 20XX

सेवा में,
संचालक महोदय,
हिंदी बुक सेंटर,
आसफ अली रोड,
नई दिल्ली

विषय वीपीपी द्वारा पुस्तकें भेजने हेतु पत्र । महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय का छात्र हूँ। मुझे कुछ पुस्तकों की शीघ्र आवश्यकता है। अतः आपसे अनुरोध है कि उचित कमीशन काटकर वीपीपी द्वारा निम्ननिखित पुस्तकें शीघ्र भेजने की कृपा करें

1. हिंदी व्याकरण भाग-3 (एक प्रति)
2. हिंदी व्याकरण भाग 8 ( एक प्रति )
3. साहित्य संगम सं. सुधाकर पांडेय (एक प्रति)

धन्यवाद।

भवदीय,
क. ख. ग.

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 1 पत्र लेखन संपादकीय पत्र

10. हिंसा प्रधान फिल्मों को देखकर बाल मन पर पड़ने वाले इनके दुष्प्रभाव का वर्णन करते हुए दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।

उत्तर

परीक्षा भवन,
दिल्ली ।

दिनांक 25 जनवरी, 20XX

सेवा में,
संपादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
दिल्ली।

विषय हिंसा प्रधान फिल्मों के बाल मन पर पड़ रहे दुष्प्रभाव हेतु ।

महोदय,

मैं आपके दैनिक लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से सरकार और समाज का ध्यान हिंसा प्रधान फिल्मों के पड़ने वाले दुष्प्रभाव की ओर दिलाना चाहती हूँ। आजकल दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों पर हिंसा प्रधान फिल्मों को देखकर लगता है कि सरकार का इन पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। आज समाज में लूटपाट एवं हिंसा की घटनाओं के पीछे ये फिल्में ही हैं। इन फिल्मों से युवा मन जल्दी ही बुराई की ओर आकर्षित होता है। इस प्रवृत्ति को रोकना अत्यंत आवश्यक है।

मैं इस पत्र के माध्यम से सरकार के ‘सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय’ से अपील करती हूँ कि वह अपनी नीति में उपयुक्त सुधार करके हिंसा प्रधान फिल्मों पर रोक लगाए।

सधन्यवाद ।

भवदीया,
क. ख. ग.

अनौपचारिक पत्र: सगे-संबंधियों, मित्रों, पारिवारिक संबंधियों तथा परिचित व्यक्तियों को लिखे गए पत्र अनौपचारिक पत्र कहलाते हैं। इन पत्रों में व्यक्ति से संबंधित सुख-दुःख, हर्ष, उत्साह, आत्मीयता का भाव छिपा होता है, जिसकी अनुभूति पढ़ने और लिखने वाले दोनों को होती है।

अनौपचारिक पत्र का प्रारूप

Example: प्रश्न भाई के विवाह में आमंत्रित करते हुए मित्र को निमंत्रण पत्र लिखिए।

प्रेषक का नाम एवं पता

  • परीक्षा भवन,
  • दिल्ली।

दिनांक

  • दिनांक 15 फरवरी, 20XX

संबोधन

  • प्रिय मित्र,

अभिवादन

  • सप्रेम नमस्ते।

पत्र की सामग्री

मैं यहाँ स्वस्थ एवं प्रसन्न हूँ एवं आशा करता हूँ कि तुम भी सपरिवार सकुशल होंगे। मित्र! तुम्हें यह जानकर अपार खुशी होगी कि ईश्वर की कृपा से मेरे बड़े भाई का विवाह अगामी 26 फरवरी, 20XX को होना सुनिश्चित हुआ है। बरात मेरे निवास स्थान से मेरठ वातानुकूलित बस द्वारा दोपहर में साढ़े तीन बजे प्रस्थान करेगी। इस अवसर पर मैं तुम्हें सादर आमंत्रित करता हूँ।

समापन

  • आशा ही नहीं, वरन् पूर्ण विश्वास है कि तुम मुझे निराश नहीं करोगे।
  • तुम्हारे आगमन की प्रतीक्षा में,

समापन हेतु औपचारिक शब्द

  • तुम्हारा अभिन्न मित्र

नाम / हस्ताक्षर

  • क., ख, ग,

संलग्न

  • नोट वैवाहिक कार्यक्रम निमंत्रण-पत्र पर छपा है, जो पत्र के साथ संलग्न है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 1 पत्र लेखन अभ्यास प्रश्न

1. अपने मित्र को पत्र लिखिए, जिसमें उसे स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ने का आग्रह किया गया है।

उत्तर

परीक्षा भवन,
दिल्ली |

दिनांक 29 सितंबर, 20XX

प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्ते ।

आशा है कि तुम्हारी पढ़ाई ठीक चल रही होगी और तुम मन लगाकर परीक्षा की तैयारी में लगी होगी। तुम्हें यह जानकर खुशी होगी कि हमारे विद्यालय ने प्रधानमंत्री द्वारा चलाए गए ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से जुड़ने का निश्चय किया है। विद्यालय के सभी छात्र अपने-अपने क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान से जुड़ेंगे। वे प्रत्येक रविवार को स्थान-स्थान पर अपने अध्यापकों के मार्गदर्शन में समूह बनाकर स्वच्छता का कार्य करेंगे। मैं चाहती हूँ कि तुम भी अपने विद्यालय के सहपाठियों व अध्यापकों से इस विषय पर बातचीत करो तथा इस कार्य में सहयोगी बनने के लिए प्रेरित करो। यदि हम अपने आस-पास के स्थान को गंदगी से मुक्त रखेंगे तथा स्वच्छ बनाएँगे, तो यह बहुत महत्त्वपूर्ण कदम होगा।

मुझे पूरी आशा है कि तुम स्वच्छ भारत अभियान से जुड़कर भारत को स्वच्छ बनाने में पूरा सहयोग दोगी।

तुम्हारी अभिन्न मित्र
क. ख. ग.

2. मित्र को जन्मदिन की बधाई देते हुए पत्र लिखिए।

उत्तर

परीक्षा भवन,
दिल्ली ।

दिनांक 7 जुलाई, 20XX

प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्ते ।

कल शाम को तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर खुशी हुई कि तुम छात्रावास में सकुशल हो। मैं ईश्वर से यह कामना भी करता हूँ कि तुम स्वस्थ रहो।

मित्र! मुझे सबसे अधिक खुशी यह जानकर हुई कि तुम्हारा जन्मदिन आगामी 20 जुलाई को है। मैं तुम्हें जन्मदिन की खूब सारी बधाइयाँ देता हूँ। मुझे तुम्हारा पिछला जन्मदिन आज भी याद है। उस समय हमने तुम्हारे दोस्तों के साथ मिलकर जो आनंद उठाया था, उसे मैं भूल न सका। इस बार भी हम सब तुम्हारा जन्मदिन खूब हर्षोल्लास से मनाएँगे।

मेरी ओर से एक बार फिर ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ स्वीकार करो। शेष मिलने पर,

तुम्हारा मित्र
क. ख. ग.

3. भाई को परीक्षा में मिली सफलता पर बधाई देते हुए पत्र लिखिए।

उत्तर

परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।

दिनांक 25 अक्टूबर, 20XX

प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्ते ।

अभी-अभी समाचार मिला कि तुम परीक्षा में 99.9 प्रतिशत अंकों के साथ पूरे विद्यालय में प्रथम आए हो। यह जानकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई। यह सब तुम्हारी लगन एवं कड़ी मेहनत का ही फल है। तुमने माताजी व पिताजी के साथ-साथ पूरे परिवार का नाम रोशन कर दिया है।

घर में परिजनों व मित्रों के बधाई संदेश आ रहे हैं। हम सभी लोगों को तुम्हारे ऊपर बड़ा गर्व है। ईश्वर करें, तुम भविष्य में भी इसी तरह से सफलताएँ प्राप्त करते रहो और परिवार का नाम रोशन करते रहो।

तुम्हारा भाई

क. ख. ग.

4. छात्रावास में रहते हुए पुस्तकें खरीदने व फीस जमा कराने हेतु रुपये मँगवाने के लिए पिताजी को पत्र लिखिए।

उत्तर

परीक्षा भवन,
दिल्ली |

दिनांक 5 अप्रैल, 20XX

पूज्य पिताजी

सादर चरण स्पर्श!

मैं यहाँ पर सकुशल हूँ और आशा करता हूँ कि घर पर आप सब भी सकुशल होंगे।

पिताजी! आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मैंने छठी कक्षा में A+ ग्रेड प्राप्त किया है। कक्षाध्यापिका ने मेरा रिपोर्ट कार्ड देखकर मेरी पीठ थपथपाई। अब मुझे सातवीं कक्षा के लिए छात्रावास की फीस जमा कराने के अतिरिक्त कुछ पुस्तकें भी खरीदनी हैं। इसके लिए मुझे तीन हजार रुपये की आवश्यकता है। इन्हें आप मनीऑर्डर द्वारा शीघ्र भिजवा दीजिए, जिससे मैं समय पर पुस्तकें खरीद सकूँ व फीस जमा कर सकूँ।

पूज्य माताजी को प्रणाम तथा सौम्य को स्नेह । शेष अगले पत्र में,

आपका प्रिय पुत्र
क. ख. ग.

5. अपने नए विद्यालय की विशेषताओं को बताते हुए माताजी को पत्र लिखिए।

उत्तर

परीक्षा भवन,
दिल्ली।

दिनांक 20 अप्रैल, 20XX

पूज्या माताजी,
सादर प्रणाम।

कल शाम आपका पत्र मिला। पत्र पढ़कर खुशी हुई। मैं भी यहाँ छात्रावास में सकुशल रहकर अपनी पढ़ाई कर रही हूँ ।

माँ! जब आपने मेरा इस नए विद्यालय में दाखिला करवाया था, तब मन में अनेक शंकाएँ जन्म ले रही थीं, पर एक सप्ताह में ही उनका निवारण हो गया। यह विद्यालय हरे-भरे पेड़ों के बीच विशाल मैदान में स्थित है। इसके कमरे बड़े-बड़े, साफ तथा हवादार हैं। यहाँ के शिक्षक परिश्रमी हैं, जो छात्रों को लगन एवं प्यार से पढ़ाते हैं। छात्रावास में मिलने वाला खाना पौष्टिक एवं ताजा होता है। छात्रावास में भी पढ़ाई का उत्तम वातावरण है। अब चिंता की कोई बात नहीं है। पूज्य पिताजी को सादर चरण स्पर्श तथा छोटे भाई को स्नेह । शेष अगले पत्र में,

आपकी प्रिय पुत्री
क. ख. ग.

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 6 विज्ञापन लेखन Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 6 विज्ञापन लेखन Question And Answers

विज्ञापन का अर्थ

सामान्य रूप से विज्ञापन शब्द का अर्थ है ‘ज्ञापन कराना’ या ‘सूचना देना’ विज्ञापन अंग्रेज़ी शब्द ‘एडवरटाइजिंग’ का हिंदी पर्याय है, जब किसी वस्तु या सेवा के लिए इसका प्रयोग होता है, तो इसका अभिप्राय लोगों को उस ओर आकृष्ट करना होता है।

इसे ‘सार्वजनिक सूचना की घोषणा’ भी कह सकते हैं, क्योंकि यह ऐसी सूचना होती है, जो जन साधारण के हितों से जुड़ी होती है। विज्ञापन उन समस्त गतिविधियों का नाम है, जिनका उद्देश्य किसी विचार, वस्तु या सेवा के विषय में जानकारी प्रसारित करना है और इससे विज्ञापनकर्ता का उद्देश्य ग्राहक को अपनी इच्छा के अनुकूल बनाना है। विज्ञापन से ग्राहक के मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है। इससे ग्राहक या उपभोक्ता उस विचार, वस्तु अथवा सेवा से स्वयं को जोड़ने लगता है और बाद में उसे अपनाने लगता है।

विज्ञापन – लेखन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • विज्ञापन का आरंभ विषय से होना चाहिए।
  • सरल भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
  • विज्ञापन में स्लोगन का प्रयोग करना चाहिए।
  • वाक्य छोटे होने चाहिए तथा एक-दूसरे से संबद्ध होने चाहिए।

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NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 6 विज्ञापन लेखन अभ्यास प्रश्न

1. आपके शहर में ‘विश्व पुस्तक मेले’ का आयोजन होने जा रहा है। इसके लिए एक विज्ञापन तैयार कीजिए।

उतर

विश्व पुस्तक मेला

अब आपके शहर दिल्ली में

दिनांक 14-11-20XX से 27-11-20XX तक
स्थान – B-1 /60 प्रगति मैदान, नई दिल्ली 110001
समय प्रात: 10:00 से रात्रि 8:00 बजे तक

मंच एक पुस्तकें अनेक

विशेष आकर्षण

कई देशों के प्रकाशक और पुस्तकें

अलग-अलग भाषाओं की पुस्तकें

किफायती दाम

साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम

2. प्रदूषण से बचने के लिए जनहित में जारी एक विज्ञापन पर्यावरण विभाग की ओर से लिखिए ।

उतर

जन-जन तक संदेश पहुँचाना है पर्यावरण को बचाना है

प्रदूषण मुक्त पर्यावरण

  • पर्यावरण सुरक्षित देश सुरक्षित
  • प्रदूषण से बचने के उपाय
  • अधिक से अधिक पेड़ लगाएँ
  • सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करें
  • सार्वजनिक स्थलों पर मास्क का प्रयोग करें
  • अपने आस-पास गंदी न होने दें
  • साफ-सफाई का ध्यान रखें।

आइए प्रदूषण युक्त पर्यावरण का निर्माण करें।

पर्यावरण विभाग, भारत सरकार द्वारा जनहित में जारी..

3. रजिस्टर एवं कॉपियाँ बनाने वाली ‘रचना कंपनी’ के लिए उत्पाद प्रचार करने हेतु एक विज्ञापन तैयार कीजिए।

उतर

रचना रजिस्टर एवं कॉपियाँ

विद्यार्थियों की पहली पसंद

10 कॉपियों या रजिस्टर के साथ दो कॉपियों मुफ्त

रचना रजिस्टर एवं कॉपियों की खूबियाँ

  • उत्तम गुणवत्ता वाला कागज
  • पुनः उपयोगी व इकोफ्रेंडली कागज का प्रयोग
  • छोटे-बड़े सभी आकारों में उपलब्ध
  • उचित दाम

आकर्षित रंग व डिजाइन

रचना कंपनी के रजिस्टर व कॉपियाँ लाओ अच्छी लिखावट व अच्छे अंक पाओ

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें- 0984371000

4. देश की जनता को ‘मतदान अधिकार’ के प्रति जागरूक करने के लिए मुख्य निर्वाचन आयुक्त कार्यालय की ओर से एक विज्ञापन तैयार कीजिए।

उतर

जन-जन की यही पुकार वोट डालो अबकी बार

मतदान आपका हक है और जिम्मेदारी भी

  • आपका मतदान लोकतंत्र की जान
  • सारे काम छोड़ दो सबसे पहले वोट दो
  • अपनी जिम्मेदारी पूरी करें
  • अपने अधिकार का प्रयोग करें
  • सबसे बड़े लोकतंत्र में भागीदारी निभायें
  • बुजुर्ग हो या जवान सभी करें मतदान
  • लोकतंत्र की पहचान जागरूक मतदाता, निष्पक्ष मतदान

मुख्य निर्वाचन आयुक्त कार्यालय, भारत सरकार द्वारा जनहित में जारी _________

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 5 संवाद लेखन Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 5 संवाद लेखन Question And Answers

संवाद का अर्थ

संवाद का अर्थ है- बातचीत या वार्तालाप दो या दो से अधिक लोगों के बीच की बातचीत को संवाद या वार्तालाप कहते हैं। इसी बातचीत को यदि लिखित रूप दे दिया जाए, तो यह संवाद लेखन कहलाता है। नाटक, धारावाहिक तथा सिनेमा में संवाद का बहुत महत्त्व है। संवादों के आधार पर ही उसकी लोकप्रियता निर्धारित होती है।

संवाद-लेखन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • संवाद लेखन की भाषा सरल, स्पष्ट एवं प्रभावशाली होनी चाहिए।
  • संवादों के बीच उचित विराम चिह्नों का प्रयोग अवश्य किया जाना चाहिए।
  • संवाद लेखन में संवाद बहुत लंबे नहीं होने चाहिए।
  • संवाद लेखन में संवाद मुख्य विषय से हटकर नहीं लिखे जाने चाहिए।
  • संवाद विषयानुकूल व भावानुकूल होने चाहिए।
  • संवाद लेखन में शब्द-सीमा का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
  • संवाद लेखन में वार्ता अंत तक पूरी हो जानी चाहिए।

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NCERT Class 6 Hindi खंड ‘घ’ लेखन अध्याय 5 संवाद लेखन अभ्यास प्रश्न

1. शहर में आए दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं से बचकर रहने के विषय में दो मित्रों के बीच संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए |

उतर

दीपशिखा: अरुण! कल एक स्कूल बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें चार बच्चों की मृत्यु व ग्यारह बच्चे घायल हो गए।

अरुण: हाँ यार, इस समाचार को पढ़कर तो मेरा मन भी बहुत दुःखी हो गया, पर इस तरह की घटनाएँ अब आम हो चुकी हैं।

दीपशिखा: तुम बिलकुल सही बोल रहे हो।

अरुण: पता नहीं सरकार ट्रैफिक नियमों का पालन सख्त क्यों नहीं करती?

दीपशिखा: ट्रैफिक नियम तो सख्त हैं, पर भ्रष्टाचार इतना बढ़ चुका है कि गलती करने पर यदि कोई पकड़ा भी जाता है तो रिश्वत देकर छूट जाता है।

अरुण: तुम तो साइकिल से स्कूल आती हो, ध्यान से साइकिल चलाया करो।

दीपशिखा: तुमने मेरा ध्यान रखा इसके लिए धन्यवाद

अरुण: बाय-बाय ।

2. खाद्य पदार्थों में मिलावट के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के संबंध में मित्र के बीच संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।

उतर

अभय: विष्णु, कल मैंने टी. वी. पर देखा कि लोग कैसे दूध में यूरिया, घी में चर्बी, मसालों में सूखा गोबर और न जाने क्या-क्या मिलाकर बेचते हैं।

विष्णु: हाँ मित्र, ये मिलावटी चीजें स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होती हैं।

अभय: हाँ, जनता मरे या जिए। व्यापारियों को केवल धन कमाने की चिंता होती है।

विष्णु: लगता है, अब तो बस फल खाकर ही जीना पड़ेगा।

अभय: नहीं भाई, सेब के साइज को बढ़ाने के लिए भी इनमें इंजेक्शन लगाया जाता है, अब कोई भी खाद्य पदार्थ शुद्ध नहीं रह गए हैं।

विष्णु: ऐसे में हमें अपने स्वास्थ्य को बचाने के लिए मिलावट के विरोध में आंदोलन करना पड़ेगा।

अभय: तुमने सही कहा । इस विषय में हम फिर बात करेंगे अभी चलता हूँ। नमस्ते ।

विष्णु: नमस्ते।

3. कक्षा में आए नए छात्र और अध्यापक के मध्य हुई बातचीत का संवाद-लेखन लगभग 50 शब्दों में कीजिए।

उतर

छात्र: सर नमस्ते ! क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?

अध्यापक: नमस्ते! हाँ, अंदर आ जाओ। बताओ, क्या काम है?

छात्र: सर! मेरा दाखिला इसी कक्षा में हुआ है।

अध्यापक: अच्छा! यह तो अच्छी बात है। क्या नाम है तुम्हारा?

छात्र: धन्यवाद! मेरा नाम अमरकांत है।

अध्यापक: तुम किस विद्यालय से यहाँ आए हो?

छात्र: मैं नगर निगम प्राथमिक विद्यालय लखनऊ रोड, दिल्ली से आया हूँ।

अध्यापक: तुम कहाँ रहते हो?

छात्र: मैं लॉसर्ज रोड के फ्लैट संख्या सी-142 में रहता हूँ।

अध्यापक: तुम्हारे पिताजी क्या काम करते हैं?

छात्र: वह स्वास्थ्य विभाग में क्लर्क हैं।

अध्यापक: तुम्हें कौन-सा विषय सबसे अच्छा लगता है?

छात्र: मुझे विज्ञान विषय बहुत पसंद है।

अध्यापक: प्रार्थना के लिए घंटी बज रही है। अब प्रार्थना स्थल पर जाओ और छठी ‘ए’ की पंक्ति में खड़े होकर प्रार्थना करना ।

छात्र: ठीक है, धन्यवाद सर ।

4. ‘धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक’ विषय पर दो मित्रों के बीच हुई बातचीत पर लगभग 50 शब्दों में संवाद-लेखन कीजिए।

उतर

मेघा: नेहा ! मैंने सुना कि तुम कल सिगरेट पी रही थी।

नेहा: हाँ! कभी- कभी पी लेती हूँ।

मेघा: सिगरेट पीना एक गंदी आदत है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

नेहा: अरे! तुम क्यों चिंता कर रही हो? बहुत पुरुष व बुजुर्ग व्यक्ति भी सिगरेट पीते हैं, क्या सभी का स्वास्थ्य खराब हो जाता है।

मेघा: हाँ, अधिकतर लोगों के फेफड़े खराब हो जाते हैं। सोचो, अगर तुम्हारे साथ ऐसा हो जाए तो तुम क्या करोगी।

नेहा: तुम ठीक कह रही हो। आज मैं तुमसे वादा करती हूँ कि अब कभी सिगरेट नहीं पिऊँगी।

मेघा: मुझे विश्वास है कि तुम ऐसा ही करोगी। चलो चलती हूँ, बाय।

नेहा: बाय।

5. दीपावली के अवसर पर पटाखे खरीदने के संबंध में पिता-पुत्र की बातचीत का संवाद-लेखन लगभग 50 शब्दों में कीजिए ।

उतर

पुत्र: पिताजी! आज दीपावली है। मुझे ₹500 चाहिए ।

पिताजी: ₹500! इतने पैसों का क्या करोगे?

पुत्र: पिताजी! मैं दीपावली की खरीदारी में खर्च करूँगा।

पिताजी: तुम्हारे लिए कपड़े और मिठाइयाँ मैं लाऊँगा। तुम मेरे साथ चलकर खिलौने खरीद लेना ।

पुत्र: पिताजी! मुझे अपने मित्र शुभम के साथ जाकर पटाखे खरीदने हैं- अनार, फुलझड़ियाँ, तेज़ आवाज़ करने वाले बम और दूसरे पटाखे ।

पिताजी: बेटा! पटाखे हानिकारक होते हैं। इनका कम-से-कम प्रयोग करना चाहिए।

पुत्र: वह कैसे, पिताजी ? सभी लोग तो पटाखों का आनंद उठाते हैं।

पिताजी: बेटा! पटाखे क्षणभर के लिए आनंद तो देते हैं, पर इनकी तेज आवाज़ कानों को बहरा बनाती है। इनसे निकले धुएँ से वायु प्रदूषण होता है।

पुत्र: अच्छा, इतने हानिकारक!

पिताजी: हाँ बेटा, इनसे जलने का खतरा भी सदैव बना रहता है।

पुत्र: मैं इस बार पटाखे नहीं खरीदूँगा ।

पिताजी: शाबास! ये हुई न बात ।

6. पार्क में काम कर रहे माली और कुणाल के बीच हुई बातचीत का संवाद-लेखन लगभग 50 शब्दों में कीजिए ।

उतर

कुणाल: माली काका नमस्ते!

माली: नमस्ते बेटा!

कुणाल: आप इन पेड़ों की डालियाँ क्यों काट रहे हो?

माली: इन पेड़ों की छोटी डालियाँ काटने से वसंत ऋतु में इनमें नई शाखाएँ निकलेंगी।

कुणाल: फिर क्या होगा?

माली: फिर शाखाओं पर हरे पत्ते, कलियाँ और फूल आएँगे।

कुणाल: इन छोटे-छोटे पौधों के क्या-क्या नाम हैं?

माली: देखो! इस पहली क्यारी में गेंदा के पौधे, दूसरी में गुलाब, उधर डहेलिया और आखिरी क्यारी में गुलदाउदी के पौधे हैं।

कुणाल: क्या आप मुझे भी तीन-चार पौधे दे देंगे?

माली: जरूर पर पहले अपने गमले की मिट्टी में खाद मिलाओ और मिट्टी तैयार करो ।

कुणाल: मैं भी अपने गमलों में पौधे लगाकर उनकी देख-रेख करना चाहता हूँ, ताकि उन पर फूल आ जाएँ।

माली: यह तो बहुत अच्छी बात है।

7. हरी सब्जियाँ और फल खाने के संबंध में माँ और अनिल के बीच हुई बातचीत का संवाद-लेखन लगभग 50 शब्दों में कीजिए ।

उतर

अनिल: माँ! आज मेरे टिफिन में बर्गर ही देना।

माँ: पर बेटा! कल भी तो तुम पेटीज ले गए थे।

अनिल: और माँ कल नूडल्स बनाकर देना।

माँ: अनिल, तुम अपने टिफिन में कभी भी फल और हरी सब्जियाँ क्यों नहीं ले जाते हो?

अनिल: माँ, वह सब मुझे अच्छा नहीं लगता है।

माँ: यह बर्गर, पेटीज, नूडल, समोसे आदि स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं होते हैं।

अनिल: पर ये स्वादिष्ट होते हैं माँ!

माँ: बेटा! हमें स्वाद के लिए नहीं, स्वास्थ्य के लिए खाना चाहिए।

अनिल: फल और सब्जियाँ खाने के लिए आप क्यों कहती हो?

माँ: बेटा, फल और हरी सब्जियों में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज लवण पाए जाते हैं, जो हमें रोग और बीमारियों से बचाते हैं।

अनिल: माँ! फिर तो मैं फल और हरी सब्जियाँ जरूर खाऊँगा ।

माँ: ये हुई न राजा बेटे वाली बात ।

8. डॉक्टर और अस्वस्थ बालक मोहन के बीच हुई बातचीत का संवाद-लेखन लगभग 50 शब्दों में कीजिए ।

उतर

मोहन: डॉक्टर साहब नमस्ते!

डॉक्टर: नमस्ते! कैसे आना हुआ ?

मोहन: डॉक्टर साहब! आज दोपहर से मेरी तबीयत ठीक नहीं है।

डॉक्टर: क्या तकलीफ है?

मोहन: मेरे पेट में बहुत दर्द हो रहा है।

डॉक्टर: आपने सवेरे क्या खाया था?

मोहन: सवेरे चाय के साथ समोसे खाए थे।

डॉक्टर: हो सकता है कि समोसे ताजे न रहे हों, जिस कारण आपको पेट में इंफेक्शन हो गया है।

मोहन: अब डॉक्टर साहब दवा दे दीजिए, ज्यादा दर्द हो रहा है।

डॉक्टर: ठीक है, पर जरा हाथ दिखाना अपना !

मोहन: यह देखिए !

डॉक्टर: तुम्हारे हाथों के नाखून बड़े और गंदे हैं। इसके कारण भी भोजन के साथ पेट में गंदगी जा सकती है।

मोहन: डॉक्टर साहब, अब मैं इनकी सफाई का पूरा ध्यान रखूँगा और बाजार की चीजें भी कम खाऊँगा ।

डॉक्टर: तब तुम जल्दी स्वस्थ हो जाओगे और स्वस्थ ही रहोगे ।

मोहन: धन्यवाद डॉक्टर साहब ।

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 21 मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 21 मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 21 मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ 21.1 मुहावरे

‘मुहावरा’ शब्द अरबी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है – अभ्यास । मुहावरा वह शब्द समूह होता है, जो अपने शाब्दिक अर्थ से अलग एक विशेष अर्थ का बोध कराता है; जैसे—’पेट में चूहे कूदना। यह अपना शाब्दिक अर्थ छोड़कर एक विशेष अर्थ ‘भूख लगना’ का बोध कराता है। मुहावरों का स्वतंत्र प्रयोग नहीं किया जाता है। ये वाक्य का अंश बनकर प्रयुक्त होते हैं तथा लिंग, वचन और क्रिया के अनुसार वाक्यों में प्रयोग किए जाते हैं।

कुछ प्रमुख मुहावरे, उनका अर्थ एवं वाक्य प्रयोग

1. अँगूठा दिखाना साफ इंकार करना

मुझे विश्वास था कि कठिन प्रश्न को हल करने में कामना मेरी मदद करेगी, पर जब मैंने उससे मदद माँगी, तो उसने मुझे अँगूठा दिखा दिया।

2. अंग-अंग ढीला होना थक जाना

पहाड़ी रास्ते पर चलते-चलते मेरा अंग-अंग ढीला हो गया।

3. अंगारे उगलना कठोर वचन कहना

जब किसी बच्चे ने खिड़की का शीशा तोड़ दिया, तो घर की मालकिन उस पर अंगारे उगलने लगी।

4. अंधे की लकड़ी एकमात्र सहारा

बुढ़ापे में बच्चे ही माता-पिता के लिए अंधे की लकड़ी होते हैं।

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5. अक्ल का दुश्मन मूर्ख

रामू से कोई समझदारी की उम्मीद न रखना, वह तो पूरा अक्ल का दुश्मन है।

6. अक्ल के घोड़े दौड़ाना सोच विचार करके उपाय ढूँढ़ना

कई बार मुसीबत से बाहर निकलने के लिए अक्ल के घोड़े दौड़ाने पड़ते हैं।

7. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना स्वयं अपनी प्रशंसा करना

संजना की न कहो, वह तो हर बात पर अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनती है।

8. आँखें दिखाना क्रोध प्रकट करना

मेहमान के सामने शैतानी करने पर बिट्टू की माँ उसे आँखें दिखाने लगी।

9. आँख खुलना होश आना या सचेत होना

अच्छा हुआ कि समय रहते आकाश की आँखें खुल गई, वरना दामोदर उसका घर बरबाद कर देता।

10. आँखें चुराना अनदेखा करना

जब से हरीश ने सोमेश से पैसे उधार लिए हैं, उसे देखते ही वह उससे आँखें चुराने लगता है।

11. आँखों का तारा बहुत प्यारा

हर बच्चा अपने माता-पिता की आँखों का तारा होता है।

12. आँखों में धूल झोंकना धोखा देना

आजकल कई नकली कंपनियाँ लोगों की आँखों में धूल झोंककर उनसे पैसा लेकर गायब हो जाती हैं।

13. आग बबूला होना क्रोध से भर जाना

बेटे को सिगरेट पीते देखकर उसके पिताजी आग बबूला हो गए।

14. आपे से बाहर होना बहुत क्रोधित होना

बेटे को दूसरे बच्चों के साथ झगड़ते देखकर पिताजी आपे से बाहर हो गए।

15. आसमान से बातें करना बहुत ऊँचा होना

आजकल की इमारतें तो आसमान से बातें करती हैं।

16. आस्तीन का साँप होना धोखेबाज

मैं तो राहुल को अपना विश्वासपात्र मित्र समझता था, पर वह तो आस्तीन का साँप निकला।

17. ईंट का जवाब पत्थर से देना शत्रु को कड़ा जवाब देना

भारतीय खिलाड़ियों ने क्रिकेट के मैदान में विरोधी खिलाड़ियों को ईंट का जवाब पत्थर से दिया।

18. ईद का चाँद होना बहुत दिनों बाद दिखाई देना

क्या बात है शर्माजी, आजकल तो आप ईद का चाँद हो गए हैं।

19. अँगुली पर नचाना अपने वश में करना

अमेरिका कमजोर देशों को सदा अपनी अँगुली पर नचाता रहता है।

20. उन्नीस-बीस का अंतर बहुत कम अंतर होना

दोनों जुड़वाँ बहनों में उन्नीस-बीस का अंतर है।

21. उल्टी-सीधी सुनाना बुरा-भला कहना

कुछ लोग छोटी-सी गलती पर उल्टी-सीधी बातें सुनाने लगते हैं।

22. एड़ी चोटी का जोर लगाना पूरी कोशिश करना

अक्षिता परीक्षा में प्रथम आने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है।

23. एक और एक ग्यारह होना संगठन में बल होना

मेरी मानो मिल-जुलकर काम करो, क्योंकि एक और ग्यारह होते हैं।

24. कंधे से कंधा मिलाना सहयोग करना

देश की प्रगति के लिए हमें कंधे से कंधा मिलाकर काम करना होगा।

25. कमर टूटना थक जाना

लगातार काम करते-करते मेरी तो कमर टूट गई।

26. कलेजा फटना असहनीय दुःख होना

विमान दुर्घटना में पीड़ित घायलों को देखकर मेरा कलेजा फट गया।

27. कान पर जूँ न रेंगना असर न होना

मैंने हरित को बहुत समझाया, पर उसके कानों पर जूँ न रेंगी।

28. खून का घूँट पीना क्रोध को पीना

भरी सभा में द्रौपदी का अपमान होने पर पांडव खून का घूँट पीकर रह गए।

29. खून पसीना एक करना बहुत परिश्रम करना

नमन ने अपना खून पसीना एक करके घर बनवाया है।

30. घाव पर नमक छिड़कना दुःखी को और दुःखी करना

एक तो राकेश वैसे ही पास नहीं हुआ, तुम व्यंग्य कसकर उसके घाव पर नमक मत छिड़को

पाठ्यपुस्तक के पाठों पर आधारित मुहावरे

बचपन

1. मुँह में पानी भर आना जी ललचाना

गाजर का हलवा देखकर अक्षिता के मुँह में पानी भर आया।

2. लँगूर की सूरत बनना अजीब शक्ल दिखना

क्यों लंगूर की सूरत बना रहे हो, वैसे ही तुम्हारी शक्ल इतनी अच्छी नहीं है।

नादान दोस्त

3. सुध न रहना होश न रहना

सोनू को पढ़ते हुए कुछ भी सुध नहीं रहती।

4. आँखों में आँसू भरना बहुत दुखी होना

अपने दादा जी की मृत्यु का समाचार सुनकर रमेश की आँखों में आँसू भर गए।

5. उलटे पाँव दौड़ना डरकर भाग जाना

अध्यापक के आते ही मैदान में खेल रहे विद्यार्थी उलटे पाँव दौड़ गए। साथी हाथ बढ़ाना

6. सीस झुकाना सम्मान देना

हमें बड़े-बुजुर्गों के सामने सीस झुकाना चाहिए।

7. चट्टानों में राहें पैदा करना कठिन से कठिन कार्य करने में सक्षम होना

कर्मवीर चट्टानों में भी राहें पैदा कर सकते हैं।

8. एक से एक मिलना संगठन होना

एक से एक मिलकर किसी भी कठिनाई से निपटा जा सकता है।

ऐसे-ऐसे

9. रट लगाना एक बात को बार-बार कहना

वे लोग मसूरी जाने की रट लगा रहे थे।

10. हवाइयाँ उड़ना हैरान हो जाना

जब मधुर को चोरी करते हुए उसके पिताजी ने देख लिया, तो उसके चेहरे की हवाइयाँ उड़ गईं।

11. घर को सिर पर उठाना बहुत शोर मचाना

पिताजी के जाते ही बच्चों ने घर सिर पर उठा लिया।

टिकट अलबम

12. धुन सवार होना एक बात के पीछे पड़ जाना

संदीप पर सरकारी नौकरी पाने की ऐसी धुन सवार हुई कि वह अब दिन-रात पढ़ता रहता है।

13. मोती जैसे अक्षर लिखना बहुत सुंदर लिखना

मारुति मोती जैसे अक्षर लिखता है।

14. पानी भरना नौकरी करना

मेनपाल सारी उम्र ठाकुरों का पानी ही भरता रहा। झाँसी की रानी

15. तलवार खींच लेना लड़ने के लिए तैयार होना

रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के विरुद्ध तलवार खींच ली।

16. स्वर्ग सिधारना मृत्यु को प्राप्त होना

लड़ाई में हजारों व्यक्ति स्वर्ग सिधार गए।

17. वीरगति पाना मृत्यु को प्राप्त होना

अंततः लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुई।

जो देखकर भी नहीं देखते

18. अचरज होना हैरानी होना

रामू को साफ-सुथरे नए कपड़ों में देखकर सभी को अचरज हो रहा था।

19. मन-मुग्ध होना प्रसन्न होना

लैंसडाउन को देखकर सभी मन-मुग्ध हो गए।

20. हरा-भरा करना हरियाली युक्त करना

सभी किसानों ने मिलकर सारा खेत हरा-भरा कर दिया।

संसार पुस्तक है

21. कहानियाँ गढ़ना मनगढ़ंत किससे बनाना

कई लोग बैठे-बैठे ऐसी कहानियाँ गढ़ लेते हैं कि वे सच लगने लगती हैं।

22. जर्रा होना अस्तित्व समाप्त होना

तुम ठाकुरों की सेवा कर-करके जर्रा हो गए।

लोकगीत

23. हेय समझना छोटा समझना

बड़े लोग सदैव निचले लोगों को हेय समझते हैं।

24. नजर फिरना देखने का तरीका बदलना

सुरेश के पास चार पैसे आ जाने पर उसकी नजरें ही फिर गई।

25. कमर बाँधना किसी कार्य को करने के लिए तैयार होना सैनिक युद्ध करने हेतु सदा कमर बाँधे रहते हैं।

नौकर

26. हाथ बँटाना सहायता करना

हमें असहायों का हाथ बँटाना चाहिए।

27. हैरत में पड़ना हैरानी में पड़ना

दस साल की मनु को घुड़सवारी करते देख सभी हैरत में पड़ गए।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 21 मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ 21.2 लोकोक्तियाँ

लोकोक्ति का अर्थ है- लोगों के द्वारा की गई कहावतें, जो उनके अनुभव का परिणाम होती हैं। ये अपने में पूर्ण वाक्य होती हैं, जिनका स्वतंत्र प्रयोग होता है। इनका प्रयोग किसी बात के समर्थन या खंडन के लिए होता है।

कुछ प्रमुख लोकोक्तियाँ, उनका अर्थ एवं वाक्य प्रयोग

1. आप भले तो जग भला अच्छे को सभी अच्छे लगते हैं।

रामू इतना ईमानदार तथा सीधा है कि उसे सभी लोग सीधे लगते हैं। कहते हैं न, आप भले तो जग भला ।

2. अंधों में काना राजा गुणहीन लोगों में कम गुणवाला ही गुणवान माना जाता है

अपने गाँव में श्यामू ही केवल दसवीं पास है। वह तो अंधों में काना राजा है।

3. एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है। एक बुरा आदमी सभी को बिगाड़ देता है।

भ्रष्ट अफसर के आते ही दफ्तर का वातावरण ही बदल गया। कहते हैं न एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।

4. उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे दोष अपना होने पर दूसरे को धमकाना

एक तो मेरी घड़ी तोड़ दी ‘ऊपर से मुझे ही आँखें दिखाते हो’, वाह भाई, उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे।

5. एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा एक बुराई होने पर और बुरा हो जाना

सूरज शराबी तो पहले से ही था, अब जुआ भी खेलना शुरू कर दिया। सच ही कहा है-एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा।

6. जिसकी लाठी उसकी भैंस ताकतवर की ही जीत होती है।

पराग के पिताजी पुलिस अधिकारी हैं। वह अपने पिता के पद की शक्ति से सबसे काम करा लेता है। सच ही कहा है, जिसकी लाठी उसकी भैंस |

7. जो गरजते हैं वो बरसते नहीं बोलने वाले ठोस काम नहीं करते

सतीश केवल धमकी ही देता रहता है, कुछ करने की हिम्मत उसमें नहीं है। कहते हैं न जो गरजते हैं, वो बरसते नहीं ।

8. आम के आम गुठलियों के दाम दोहरा लाभ

समाचार पत्र लोगों का ज्ञान बढ़ाते हैं तथा रोजी का साधन भी हैं। इस तरह ये आम के आम गुठलियों के दाम की कहावत को चरितार्थ करते हैं।

9. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत समय बीत जाने पर पछताना

पहले तो मेहनत की नहीं, अब परिणाम देखकर क्यों दुःखी होते हो, क्योंकि अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ।

10. आ बैल मुझे मार मुसीबत मोल लेना

विपक्षी दल को बुलाकर तुमने ही मुसीबत मोल ले ली। यह तो वही हुआ आ बैल मुझे मार ।

11. एक हाथ से ताली नहीं बजती दोस्ती और दुश्मनी एक ओर से नहीं होती

मैं मान ही नहीं सकता कि तुमने गलती नहीं की। दोनों की गलती होगी, क्योंकि ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती।

12. चोर की दाढ़ी में तिनका दोषी को डर लगा रहता है

भुवन किसी के पूछने से पहले ही अपनी सफाई दे रहा है। सच ही कहा है, चोर की दाढ़ी में तिनका ।

13. दूध का दूध पानी का पानी निष्पक्ष न्याय करना

न्यायधीश ने दोनों पक्षों की बात सुनकर फैसला सुनाया, तो सभी ने कहा कि दूध का दूध, पानी का पानी हो गया।

14. नाच न जाने आँगन टेढ़ा अपना दोष छिपाने के लिए दूसरों को दोष देना

तुमसे इतना सरल सा सवाल हल नहीं होता और कहते हो, सवाल कठिन है, नाच न जाने आँगन टेढ़ा।

15. लातों के भूत बातों से नहीं मानते कुछ लोग बात से नहीं डंडे की भाषा समझते हैं

उदिता को प्यार से समझाने का कोई लाभ नहीं, इसे तो दंड देना ही पड़ेगा, क्योंकि लातों के भूत बातों से नहीं मानते।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 21 मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प छाँटिए

1. ‘कान का कच्चा होना’ मुहावरे का अर्थ है

(क) बहरा होना
(ख) सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करना
(ग) सभी पर विश्वास करना
(घ) कम सुनाई देना

उत्तर: (ख) सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करना

2. ‘घुटने टेकना’ मुहावरे का अर्थ है

(क) घुटने में दर्द होना
(ख) दुःखी होना
(ग) हार मान लेना
(घ) विजय प्राप्त करना

उत्तर: (ग) हार मान लेना

3. ‘अक्ल पर पत्थर पड़ना’ मुहावरे का अर्थ है।

(क) मूर्ख बन जाना
(ख) अपमानजनक बात कहना
(ग) बेफिक्र होना
(घ) बुद्धि भ्रष्ट होना

उत्तर: (घ) बुद्धि भ्रष्ट होना

4. ‘अंडे सेना’ मुहावरे का अर्थ है

(क) लड़ाई-झगड़ा होना
(ख) घर में बेकार बैठना
(ग) स्वार्थ सिद्ध करना
(घ) स्वावलंबी होना

उत्तर: (ख) घर में बेकार बैठना

5. लाभ ही लाभ’ अर्थ के लिए सही लोकोक्ति है

(क) पाँचों उँगलियाँ घी में
(ख) पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होती
(ग) नेकी कर और कुएँ में डाल
(घ) नेकी और पूछ-पूछ

उत्तर: (क) पाँचों उँगलियाँ घी में

6. ‘ऊँट के मुँह में जीरा’ लोकोक्ति का अर्थ है

(क) बहुत थोड़ा
(ख) ऊँट को जीरा खिलाना
(ग) ऊँट के मुँह में बीमारी होना
(घ) पेट भरना

उत्तर: (क) बहुत थोड़ा

प्रश्न 2. कोष्ठक में दिए गए मुहावरों में से उपयुक्त मुहावरों का चयन कर वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति सही वाक्य बनाकर कीजिए ।

(जी चुराना, ढिंढोरा पीटना, चेहरा फीका पड़ना, झाँसे में मत आना, किताबी कीड़ा, गागर में सागर भरना)

(क) केवल ____________ से कुछ नहीं होगा, कुछ करके दिखाओगे तब जनता विश्वास करेगी।

उत्तर: ढिंढोरा पीटना

(ख) वह बड़ा खतरनाक आदमी है, उसके ____________ हैं, कभी सफल नहीं हो पाते।

उत्तर: झाँसे में मत आना

(ग) जो लोग काम से _____________ हैं, कभी सफल नहीं हो पाते।

उत्तर: जी चुराते

(घ) जब उसका झूठ पकड़ा गया तो उसका ____________ से कुछ नहीं होगा, कुछ करके दिखाओगे तब

उत्तर: चेहरा फीका पड़ गया

(ङ) बिहारी ने अपने दोहों में _____________

उत्तर: गागर में सागर भर दिया

(च) मोहन तो ________________ है, पढ़ाई के अतिरिक्त वह कुछ नहीं करता।

उत्तर: किताबी कीड़ा

प्रश्न 3. नीचे दिए गए कथन के आगे (✓) और (✕) का चिह्न लगाइए

(क) भाषा को रोचक बनाने में मुहावरे तथा लोकोक्तियों का विशेष स्थान होता है।

उत्तर: ✓

(ख) मुहावरा शब्द का अर्थ बातचीत और अभ्यास है।

उत्तर: ✓

(ग) मुहावरे से भाषा सरल व सुंदर बनती है।

उत्तर: ✓

(घ) मुहावरों के शुद्ध प्रयोग से भाव-सदिय में वृद्धि होती है।

उत्तर: ✓

(ङ) लोकोक्ति स्वयं में अपूर्ण होती है।

उत्तर: ✕

(च) लोकोक्ति का प्रयोग आम बोल-चाल की भाषा में होता है

उत्तर: ✓

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 20 विराम-चिह्न Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 20 विराम-चिह्न Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 20 विराम-चिह्न 20.1 विराम चिह्न का अर्थ एवं परिभाषा

विराम का शाब्दिक अर्थ होता है— रुकना या ठहरना । अपने भावों या विचारों को स्पष्ट रूप से प्रकट करने के लिए वाक्य लिखते समय हम थोड़ा विराम लेते हैं, इस विराम को प्रकट करने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें ही विराम चिह्न कहते हैं।

विराम चिह्नों के प्रयोग से अर्थ में भिन्नता आती है; जैसे-

  • संभव रुकों, मत पढ़ो।
  • संभव रुको मत, पढ़ो।

हिंदी में प्रयुक्त होने वाले प्रमुख विराम चिह्न निम्नलिखित हैं

पूर्ण विराम (|)

वाक्यों की समाप्ति पर पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता है।

  1. मुझे पढ़ने का शौक है।
  2. आज ठंडी हवा चल रही है।

अल्पविराम (,)

दो शब्दों, उपवाक्यों या वाक्यों के बीच जब बहुत कम समय के लिए रुकना होता है, तब अल्प विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

अल्प विराम का प्रयोग निम्नलिखित रूप से होता है

  1. एक प्रकार के शब्दों को पृथक् करने के लिए; जैसे- विमल, विक्रांत और विनीता यहाँ आ रहे हैं।
  2. एक जैसे वाक्यांशों के मध्य; जैसे-मैंने पाठ पढ़ा, प्रश्नोत्तर लिखा और अध्यापिका को दिखाया।
  3. हाँ, नहीं, निःसंदेह, सचमुच, वस्तुतः, बेशक आदि शब्दों के पश्चात्; जैसे- हाँ, मैं फल लाया हूँ। नहीं, मैं यह काम नहीं करूँगा।
  4.  तारीख और सन् को अलग करने के लिए; जैसे-15 अगस्त, 1947
  5. उद्धरण से पूर्व जैसे-महात्मा गाँधी ने कहा, “करो या मरो” ।
  6. शब्दयुग्मों के मध्य; जैसे-लाभ-हानि, जीवन-मरण, यश-अपयश विधाता के हाथ में हैं।
  7. विशेषण उपवाक्य वाक्य के बीच में आने पर जैसे-वे छात्र, जिन्होंने स्वच्छता अभियान में भाग लिया है, स्टेज पर आ जाएँ।
  8. पत्र – लेखन में अभिवादन और समापन के पश्चात् जैसे- पूज्या माताजी, आपका प्रिय पुत्र, भवदीय आदि ।
  9. संबोधन शब्दों के बाद तथा संबोधन शब्द बीच में हो तो उससे पहले और बाद में; जैसे-दोस्तों, मेरी बात तो सुनो। इधर आओ, सुमन, मेरी बात सुनो।।
  10. दो वाक्यों के बीच में समुच्चयबोधक शब्द से पहले; जैसे- राधा घर चली गई, क्योंकि उसे बुखार था।

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अर्द्धविराम (;)

जब वाक्य में पूर्ण विराम से कम तथा अल्प विराम से कुछ अधिक समय तक रुकना हो, वहाँ अर्द्धविराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे-

  • हिम्मत न हारो; चलो लड़ो।
  • चलो खेलते हैं।

प्रश्नवाचक चिह्न (?)

इस चिह्न का प्रयोग प्रायः प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में किया जाता है; जैसे-

  • तुम कहाँ जा रहे हो?
  • कल कब आओगे ?

विस्मयादिबोधक चिह्न या विस्मयसूचक चिह्न (!)

जिन वाक्यों या शब्दों से आश्चर्य, घृणा, हर्ष, शोक आदि का भाव प्रकट हो, उनके अंत में इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे-

  • कितना सुंदर घर है! (आश्चर्य)
  • ओह! ये तो बुरा हुआ। (दुःख)

योजक चिह्न (-)

दो समानार्थी, निरर्थक तथा विपरीतार्थी शब्दों को जोड़ने के लिए योजक चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे-

  • माँ ने कहा कि जीवन में सुख-दुःख आते रहते हैं।
  • आज तो माता-पिता मंदिर गए हैं।

निर्देशक चिह्न (-)

किसी बात का उदाहरण देने के लिए तथा वक्ता के नाम के बाद निर्देशक चिह्न लगाते हैं; जैसे-

  • हिंदी में लिंग दो प्रकार के होते हैं—स्त्रीलिंग और पुल्लिंग।
  • पिताजी ने पूछा- बेटे, धोनी ने कितने रन बनाए ?

उद्धरण चिह्न (‘_’) (“_”)

उद्धरण चिह्न दो प्रकार के होते हैं—इकहरा उद्धरण तथा दोहरा उद्धरण चिह्न ।

  • किसी लेखक के उपनाम, पुस्तक, कविता, कहानी के नाम को इकहरे (‘ ‘) उद्धरण चिह्न द्वारा दर्शाया जाता है; जैसे-
    1. ‘गीतांजलि’ रवींद्रनाथ ठाकुर की सर्वश्रेष्ठ कृति है।
    2. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिंदी के प्रख्यात कवि थे।
  • किसी के कथन को ज्यों-का-त्यों उद्धृत करने के लिए दोहरा उद्धरण चिह्न ( ” ” ) लगाया जाता है; जैसे-
    • राकेश ने कहा था, “मैं कल दिल्ली जाऊँगा।”
    • भारतेंदु ने कहा था, “देश को राष्ट्रीय साहित्य चाहिए। “

कोष्ठक ()

किसी शब्द का अर्थ स्पष्ट करने तथा नाटक में पात्रों के कथन से पूर्व के भाव को दर्शाने के लिए कोष्ठक का प्रयोग किया जाता है; जैसे-

  • तुम्हारे सतत (लगातार) प्रयास का फल आज तुम्हें मिला है।
  • राजा ( क्रोधित होकर ) – इसे कारागार में डाल दिया जाए।

लाघव चिह्न (ο)

किसी बड़े शब्द को संक्षिप्त करके लिखने के लिए उस शब्द के पहले अक्षर के बाद लाघव चिह्न लगाया जाता है; जैसे-

  • प्रो० वर्मा आज कक्षा में नहीं आएँगे।
  • डॉ० राजेंद्र प्रसाद हमारे देश के पहले राष्ट्रपति थे।

हंसपद या त्रुटिपूरक चिह्न (ϒ)

वाक्य लिखते समय जब कोई शब्द या अंश छूट जाए, तो उसे लिखने के लिए हंसपद या त्रुटिपूरक चिह्न लगाया जाता है; जैसे-

  1. सिंधु नदी से होकर जाती है।
  2. वह बस । आगरा जा रहा है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 20 विराम-चिह्न अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प छाँटिए

1. हर्ष, शोक, आश्चर्य प्रकट करने के लिए किस चिह्न का प्रयोग किया जाता है?

(क) पूर्ण विराम
(ख) हंसपद
(ग) विस्मयसूचक
(घ) योजक

उत्तर: (ग) विस्मयसूचक

2. किसी कथन को ज्यों-का-त्यों लिखने के लिए कौन-सा चिह्न लगाते हैं?

(क) अर्द्धविराम
(ख) योजक
(ग) उद्धरण चिह्न
(घ) पूर्ण विराम

उत्तर: (ग) उद्धरण चिह्न

3. शब्द को छोटा करते समय किस चिह्न का प्रयोग करते हैं?

(क) लाघव चिह्न
(ख) हंसपद
(ग) निर्देशक
(घ) योजक

उत्तर: (क) लाघव चिह्न

4. किसी शब्द या वाक्यांश का अर्थ स्पष्ट करने के लिए किस चिह्न का प्रयोग करते हैं?

(क) अल्प विराम
(ख) कोष्ठक
(ग) उद्धरण
(घ) योजक

उत्तर: (ख) कोष्ठक

5. जिस वाक्य में कुछ पूछा जाता है, उसमें किस चिह्न का प्रयोग करते हैं?

(क) पूर्ण विराम
(ख) प्रश्नवाचक
(ग) अर्द्धविराम
(घ) हंसपद

उत्तर: (ख) प्रश्नवाचक

प्रश्न 2. निम्नलिखित वाक्यों में से सही विराम-चिह्नों वाला वाक्य छाँटिए

1.(क) गीता सीता रीमा घर जा रही हैं।
(ख) गीता; सीता – रीमा घर जा रही हैं।
(ग) गीता, सीता और रीमा घर जा रही हैं।
(घ) गीता-सीता, रीमा घर जा रही हैं।

उत्तर: (ग) गीता, सीता और रीमा घर जा रही हैं।

2. (क) राजा ने कहा इस चोर को फाँसी पर लटका दो?
(ख) राजा ने कहा ‘इस चोर को फाँसी पर लटका दो।’
(ग) “राजा ने कहा “, इस चोर को फाँसी पर लटका दो।
(घ) राजा ने कहा, “इस चोर को फाँसी पर लटका दो।”

उत्तर: (घ) राजा ने कहा, “इस चोर को फाँसी पर लटका दो।”

3. (क) आप कहाँ रहते हो!
(ख) आप कहाँ रहते हो?
(ग) आप कहाँ रहते हो ।
(घ) आप, कहाँ रहते हो?

उत्तर: (ख) आप कहाँ रहते हो?

4. (क) वह दिन रात काम करता है?
(ख) वह दिन रात काम करता है।
(ग) वह दिन-रात काम करता है।
(घ) वह दिन रात काम करता है?

उत्तर: (ग) वह दिन-रात काम करता है।

प्रश्न 3. मिलान कीजिए

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 20 विराम-चिह्न Question And Answers मिलान कीजिए

उत्तर: 1-ग, 2-क, 3-ख, 4-ङ, 5-घ

प्रश्न 4. नीचे दिए गए वाक्यों में उचित विराम-चिह्न लगाइए

(क) हमें सभी त्योहार होली दिवाली ईद तथा क्रिसमस मिलकर मनाने चाहिए

(ख) माँ ने बेटे को पुकारा रोहन बेटा उठो स्कूल को देरी हो रही है।

(ग) प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे हमारी माँगें पूरी करो

(घ) कृपया पृष्ठ उलटिए का संक्षिप्त रूप है कृ पृ उ

(ङ) छि: तुमने तो नाम ही डुबो दिया

उत्तर:

(क) हमें सभी त्योहार होली, दिवाली, ईद तथा क्रिसमस मिलकर मनाने चाहिए।

(ख) माँ ने बेटे को पुकारा-रोहन बेटा! उठो, स्कूल को देरी हो रही है।

(ग) प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे “हमारी माँगें पूरी करो। ”

(घ) कृपया पृष्ठ उलटिए का संक्षिप्त रूप है कृ. पृ. उ.

(ङ) छि ! तुमने तो नाम ही डुबो दिया।

प्रश्न 5. नीचे दिए गए कथन के आगे (✓) और (✕) का चिह्न लगाइए

(क) योजक चिह्न शब्द-युग्मों के मध्य लगाया जाता है।

उत्तर: ✓

(ख) प्रश्नसूचक वाक्य के अंत में विवरण चिह्न का प्रयोग होता है।

उत्तर: ✕

(ग) कोष्ठक का चिह्न (,) होता है।

उत्तर: ✕

(घ) विराम का अर्थ रुकना है।

उत्तर: ✓

(ङ) विस्मयादिबोधक प्रश्न करते समय प्रयोग करते हैं।

उत्तर: ✕

(च) हंसपद का प्रयोग कोई शब्द छूट जाने के स्थान पर प्रयोग किया जाता है।

उत्तर: ✓

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार Question And Answers

हिंदी भाषा का शब्द भंडार अत्यंत समृद्ध है। शब्द भाषा को प्रभावशाली बनाते हैं। शब्दों के विभिन्न आधार पर अलग-अलग रूप होते हैं। अर्थ के आधार पर शब्द विभिन्न प्रकार के होते हैं।

  1. पर्यायवाची शब्द
  2. विपरीतार्थक शब्द
  3. एकार्थी शब्द
  4. अनेकार्थी शब्द
  5. श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द
  6. वाक्यांशों के लिए एक शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार 19.1 पर्यायवाची शब्द

समान अर्थ का बोध कराने वाले शब्द समानार्थी / पर्यायवाची कहलाते हैं। यद्यपि पर्यायवाची शब्दों का अर्थ लगभग एक जैसा होता है, परंतु प्रत्येक स्थिति में एक शब्द के स्थान पर उसके पर्यायवाची शब्द का प्रयोग नहीं किया जा सकता।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार Question And Answers पर्यायवाची शब्द

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NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार 19.2 विलोम या विपरीतार्थक शब्द

वे शब्द, जो एक-दूसरे का उल्टा अर्थ बताते हैं, उन्हें विलोम या विपरीतार्थक शब्द कहते हैं। तत्सम शब्द का विलोम तत्सम तद्भव शब्द का विलोम तद्भव, देशज शब्द का विलोम देशज तथा विदेशी शब्द का विलोम विदेशज होता है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार Question And Answers विलोम या विपरीतार्थक शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार 19.3 एकार्थी शब्द

जिन शब्दों का केवल एक ही अर्थ होता है, उन्हें एकार्थी शब्द कहते हैं। व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ, जातिवाचक संज्ञाएँ तथा भाववाचक संज्ञाएँ हमेशा एकार्थी होती हैं।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार Question And Answers एकार्थी शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार 19.4 अनेकार्थी शब्द

जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं, उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते हैं। शब्दकोश में कुछ शब्दों के एक से अधिक अर्थ दिए जाते हैं, परंतु व्यवहार में प्राय: एक शब्द का एक ही अर्थ आता है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार Question And Answers अनेकार्थी शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार 19.5 श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द

ऐसे शब्द, जो पढ़ने या सुनने में तो समान लगते हैं, परंतु उनके अर्थ भिन्न होते हैं, वे श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द कहलाते हैं।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार Question And Answers श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार 19.6 वाक्यांशों के लिए एक शब्द

लेखन को संक्षिप्त एवं प्रभावपूर्ण बनाने के लिए अनेक शब्दों, पदबंधों या वाक्यांशों के स्थान पर जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है, उसे वाक्यांशों के लिए एक शब्द कहते हैं।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार Question And Answers वाक्यांशों के लिए एक शब्द

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

प्रश्न 1.

1. निम्न में से कौन-सा हवा का पर्यायवाची नहीं है?

(क) वायु
(ख) समीर
(ग) पवन
(घ) सलिल

उत्तर: (घ) सलिल

2. पर्यायवाची शब्द का अर्थ है।

(क) विलोम शब्द
(ख) अनेकार्थी
(ग) एकार्थी शब्द
(घ) समानार्थी

उत्तर: (घ) समानार्थी

3. ‘उपकार’ शब्द का विलोम शब्द है।

(क) विकार
(ख) अनुकार
(ग) अपकार
(घ) तिरस्कार

उत्तर: (ग) अपकार

4. ‘वादी’ का विलोम शब्द है

(क) अवादी
(ख) प्रतिवादी
(ग) विवादी
(घ) अनावादी

उत्तर: (ख) प्रतिवादी

5. वर का अनेकार्थक शब्द नहीं है

(क) शरीर
(ख) वरदान
(ग) श्रेष्ठ
(घ) वरण करने योग्य

उत्तर: (क) शरीर

6. अंबर का अनेकार्थक शब्द है

(क) वस्त्र
(ख) आकाश
(ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनों
(घ) वन

उत्तर: (ग) ‘क’ और ‘ख’ दोनों

7. ‘पति युक्ता स्त्री’ को एक शब्द में कहते हैं

(क) दम्पती
(ख) जोड़ी
(ग) सधवा
(घ) पति-पत्नी

उत्तर: (ग) सधवा

8. जो दूसरों के अधीन हो’ के लिए एक शब्द है

(क) पराधीन
(ख) दास
(ग) सेवक
(घ) अनुचर

उत्तर: (क) पराधीन

9. निम्नलिखित में एकार्थी शब्द है।

(क) अंक
(ख) पानी
(ग) अंबर
(घ) बचपन

उत्तर: (घ) बचपन

10. ‘निधन – निर्धन’ शब्द युग्म में भेद कीजिए

(क) मृत्यु-मोक्ष
(ख) जन्म-मृत्यु
(ग) मृत्यु- धनहीन
(घ) धनवान – धनहीन

उत्तर: (ग) मृत्यु- धनहीन

प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) नभ ___________ का पर्यायवाची शब्द है। (आकाश / धरती)

उत्तर: आकाश

(ख) विटप ___________ ‘का पर्यायवाची शब्द है। (वृक्ष/पक्षी)

उत्तर: वृक्ष

(ग) समीर ________ का समानार्थी शब्द है। (पर्वत / पवन)

उत्तर: पवन

(घ) वारि ____________ ‘ का समानार्थी शब्द है। (घर / जल)

उत्तर: जल

प्रश्न 3. नीचे दिए गए सही कथन के सामने के सामने (✓) तथा गलत कथन (✕) का चिह्न लगाइए

(क) समान अर्थ का बोध कराने वाले शब्द समानार्थी शब्द कहलाते हैं।

उत्तर: ✓

(ख) पर्यायवाची का प्रयोग वाक्य के भाव और संदर्भ के अनुसार होता है।

उत्तर: ✓

(ग) कुछ शब्द-युग्म एक-दूसरे के विपरीत अर्थ देते हैं।

उत्तर: ✓

(घ) परस्पर विपरीत अर्थ देने वाले शब्द-युग्म भिन्नार्थक ‘शब्द कहलाते हैं।

उत्तर: ✕

(ङ) कुछ ऐसे शब्द होते हैं, जिनका प्रयोग, वाक्यांश या अनेक शब्दों के स्थान पर किया जा सकता है।

उत्तर: ✓

(च) अलग-अलग शब्द जो सुनने में असमान लगें, परंतु उनकी वर्तनी और अर्थ में अभिन्नता होती है।

उत्तर: ✕

प्रश्न 4. शब्द का उनके पर्यायवाची शब्द से मिलान कीजिए

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 19 शब्द भंडार Question And Answers मिलान कीजिए

उत्तर: 1-(ग), 2-(ङ), 3-(च), 4-(क), 5-(ख), 6-(घ)

प्रश्न 5. नीचे दिए गए वाक्यों में मोटे छपे शब्दों के विलोम शब्द लिखिए

(क) सूर्य अस्त हो चुका था।

उत्तर: उदय

(ख) वे लोग ईश्वर में आस्था रखते हैं।

उत्तर: अनास्था

(ग) ज्वालामुखी तेज हो गया है।

उत्तर: धीरे

प्रश्न 6. नीचे लिखे शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए

  • इंद्र
  • असुर
  • वन
  • पेड़
  • सिंह
  • समुद्र
  • पहाड़
  • पक्षी
  • पुष्प
  • जल

उत्तर:

  • इंद्र – देवेंद्र, पुरंदर
  • असुर – दानव, निशाचर
  • वन – जंगल, विपिन
  • सिंह – शार्दुल, व्याघ्र
  • पहाड़ पर्वत, गिरि:
  • पक्षी – खग, विहग
  • पेड़ – दुम, तरु
  • पुष्प – सुमन, कुसुम
  • समुद्र – जलधि, पयोधि
  • जल – पानी, अंबु

प्रश्न 7. नीचे लिखे शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखिए

  • जन्म
  • गुण
  • जड़
  • जय
  • दुःख
  • शांत
  • स्वर्ग
  • सुकर्म
  • सौभाग्य
  • पाप

उत्तर:

  • जन्म-मरण
  • जड़-चेतन
  • दुःख-सुख
  • स्वर्ग-नरक
  • सौभाग्य- दुर्भाग्य
  • गुण-अवगुण
  • जय-पराजय
  • शांत अशांत

प्रश्न 8. नीचे लिखे शब्दों के अर्थ लिखकर उनमें अंतर स्पष्ट कीजिए

(क) पता, पत्ता

(ख) मास, मांस

(ग) सुत, सूत

(घ) भाग, भाग्य

(ङ) वदन, बदन

(च) पानी, पाणि

उत्तर:

(क) पता- रहने का स्थान, पत्ता पत्र

(ख ) मास महीना, मांस – गोश्त

(ग) सुत-पुत्र, सूत-धागा

(घ) भाग- हिस्सा, भाग्य – किस्मत

(ङ) वदन-मुख, बदन- शरीर

(च) पानी – जल, पाणि-हाथ

प्रश्न 9. नीचे लिखे वाक्यांशों के लिए एक-एक शब्द लिखिए

(क) आकाश में उड़ने वाला

(ख) जो कल्पना से परे हो

(ग) जिसका पति जीवित न हो

(घ) जिसका आदि न हो

(च) हित चाहने वाला

(ङ) जिसमें दया न हो

उत्तर:

(क) नभचर

(ख) कल्पनातीत

(ग) विधवा

(घ) अनादि

(ङ) निर्दय

(च) हितैषी

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 18 वर्तनी एवं वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 18 वर्तनी एवं वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 18 वर्तनी एवं वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ 18.1 वर्तनी संबंधी अशुद्धियाँ

वर्तनी का अर्थ है-शब्दों को ठीक और सही रूप में लिखने की क्रिया – विधि हिंदी में शब्दों के शुद्ध रूप को वर्तनी कहते हैं। उच्चारण तथा वर्णों व मात्राओं का ज्ञान न होने के कारण प्रत्येक भाषा में वर्तनी संबंधी अशुद्धियाँ हो जाती हैं। शब्दों में होने वाली कुछ सामान्य अशुद्धियाँ निम्नलिखित हैं

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 18 वर्तनी एवं वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ Question And Answers वर्तनी संबंधी

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NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 18 वर्तनी एवं वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ Question And Answers वर्तनी संबंधी.

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 18 वर्तनी एवं वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ Question And Answers वर्तनी संबंधी..

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 18 वर्तनी एवं वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ 18.2 वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ

व्याकरण का सही से ज्ञान न होने के कारण वाक्य संबंधी अनेक प्रकार की अशुद्धियाँ हो जाती हैं। वाक्य संबंधी कुछ सामान्य अशुद्धियाँ निम्नलिखित हैं

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 18 वर्तनी एवं वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

प्रश्न 1. निम्नलिखित अशुद्ध शब्दों के लिए शुद्ध शब्द का विकल्प

1. अमरण

(क) आमरन
(ख) अमारण
(ग) आमरण
(घ) अमराण

उत्तर: (ग) आमरण

2. सृष्टा

(क) स्रष्टा
(ख) सृस्टा
(ग) स्रस्टा
(घ) शृष्टा

उत्तर: (ग) स्रस्टा

3. उज्वल

(क) उज्जवल
(ख) उज्ज्वल
(ग) उजज्वल
(घ) उज्जलव

उत्तर: (ख) उज्ज्वल

4. विस्वास

(क) विश्वाश
(ख) विसवाश
(ग) विश्वाष
(घ) विश्वास

उत्तर: (घ) विश्वास

5. कृतज्ञ

(क) कृतजन
(ख)कृतज्ञ
(ग) कृतज्य
(घ) कृतग्य

उत्तर: (ख)कृतज्ञ

प्रश्न 2. निम्नलिखित वाक्यों में शुद्ध वाक्यों के विकल्प को छाँटिए

1.(क) आप घर आओ।
(ख) आज घर की आओ।
(ग) आप घर पर आओ।
(घ) आप घर ने आओ।

उत्तर: (क) आप घर आओ।

2.(क) मैं घर जाना है।
(ख) आप घर जाना है।
(ग) मुझे घर जाना है।
(घ) हमको घर जाना है।

उत्तर: (ग) मुझे घर जाना है।

3.(क) हमको इससे क्या ?
(ख) हम इसको क्या?
(ग) हमारा इससे क्या?
(घ) हमें इससे क्या ?

उत्तर: (घ) हमें इससे क्या ?

4.(क) बच्चों ने खाना खाया।
(ख) बच्चों पर खाना खाया।
(ग) बच्चों में खाना खाया।
(घ) बच्चा ने खाना खाया।

उत्तर: (क) बच्चों ने खाना खाया।

5. (क) बच्चों को फल चाकू से काटकर दो।
(ख) चाकू से काटकर बच्चों को फल दो।
(ग) चाकू से बच्चों को काटकर फल दो।
(घ) फल दो बच्चों को चाकू से काटकर ।

उत्तर: (क) बच्चों को फल चाकू से काटकर दो।

प्रश्न 3. शुद्ध वर्तनी वाले शब्दों पर गोला लगाइए

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 18 वर्तनी एवं वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ Question And Answers शुद्ध वर्तनी

उत्तर:

(क) निश्चित
(ख) वैज्ञानिक
(ग) औद्योगिक
(घ) निष्फल
(ङ) अत्यधिक

प्रश्न 4. नीचे लिखे शब्दों की वर्तनी शुद्ध करके लिखिए

(क) आगमी
(ख) नरायन
(ग) संसारिक
(घ) टोकड़ी
(ङ) तिथी
(च) वर्स
(छ) पत्नि
(ज) आदर्ष
(झ) परिक्षा
(ञ) अध्यन

उत्तर:

(क) आगमी
.(ख) नारायण
(ग) सांसारिक
(घ) टोकरी
(ङ) तिथि
(च) वर्ष
(छ) पत्नी
(ज) आदर्श
(झ) परीक्षा
(ञ) अध्ययन

प्रश्न 5. नीचे दिए गए कथन पर सही (✓) और गलत (✕) का निशान लगाइए

(क) दस बजकर दस मिनट हुए हैं।

उत्तर: ✓

(ख) बंटी का कुर्ता फट गया है।

उत्तर: ✓

(ग) आप उनसे बात करिए ।

उत्तर: ✕

(घ) उसे भारी दुःख हुआ ।

उत्तर: ✕

(ङ) उसे मेरा काम नहीं किया।

उत्तर: ✕

प्रश्न 6. मिलान कीजिए

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 18 वर्तनी एवं वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ Question And Answers मिलान कीजिए

उत्तर: 1-ग, 2-ङ, 3-ख, 4-क, 5-घ

प्रश्न 7. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके पुनः लिखिए

(क) गाँधीजी का पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गाँधी था।

(ख) ये उपहार सभी बच्चा को दे दो।

(ग) मैंने कल आगरा जाना है।

(घ) मेरे को पुस्तक पढ़नी है।

(ङ) अध्यापक पढ़ा रही हैं।

उत्तर:

(क) गाँधीजी का पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गाँधी था।

(ख) ये उपहार सभी बच्चा को दे दो।

(ग) मैंने कल आगरा जाना है।

(घ) मेरे को पुस्तक पढ़नी है।

(ङ) अध्यापक पढ़ा रही हैं।

प्रश्न 8. नीचे दिए गए वाक्यों में लिंग और वचन संबंधी अशुद्धियाँ शुद्ध करके लिखो

(क) मेरे प्राणों की रक्षा करो।

(ख) महादेवी वर्मा प्रसिद्ध कवि हैं।

(ग) यह पुस्तक मेरा है।

(घ) आपके दर्शनों के लिए मैं आभारी हूँ।

(ङ) मेरे पास अनेकों पुस्तकें हैं।

उत्तर:

(क) मेरे प्राण की रक्षा करो।

(ख) महादेवी वर्मा प्रसिद्ध कवयित्री हैं।

(ग) यह पुस्तक मेरी है।

(घ) आपके दर्शन के लिए मैं आभारी हूँ।

(ङ) मेरे पास अनेक पुस्तकें हैं।

प्रश्न 9. दिए गए वाक्यों में अशुद्ध वर्तनी वाले शब्दों को शुद्ध करके लिखिए

(क) यह परबत बहुत बिसाल हैं।

(ख) फिल्में देखना मुझे पसनद है।

(ग) यहाँ सोर बहुत तेज है।

(च) भगवान के घर में ढेर है पर अंधेर नहीं।

(ङ) यह रस्ता बहुत लंबा है।

उत्तर:

(क) यह पर्वत बहुत विशाल है।

(ख) फिल्में देखना मुझे पसंद है।

(ग) यहाँ शोर बहुत तेज है।

(घ) भगवान के घर में देर है पर अंधेर नहीं।

(ङ) यह रास्ता बहुत लंबा है।

 

 

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 17 वाक्य- विचार Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 17 वाक्य- विचार Question And Answers

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 17 वाक्य- विचार 17.1 वाक्य की परिभाषा

वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। जिस प्रकार वर्णों के सार्थक समूह से शब्द बनते हैं, उसी प्रकार शब्दों के सार्थक समूह से वाक्य बनते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं; जैसे-

  • आकाश में तारे चमक रहे हैं।
  • स्तुति के हाथ में गुड़िया है।

वाक्य के अंग वाक्य के दो अंग हैं

  1. उद्देश्य वाक्य में जिसके बारे में कुछ कहा जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं; जैसे-
    • मीरा गाना गा रही है।
    • दिल्ली भारत की राजधानी है।
  2. विधेय उद्देश्य के बारे में जो कहा जाता है, उसे विधेय कहते हैं; जैसे-
    • मीरा गाना गा रही है।
    • दिल्ली भारत की राजधानी है।

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वाक्य के भेद

1. अर्थ के आधार पर भेद अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ भेद हैं

  1. 1. विधानवाचक जिस वाक्य के द्वारा क्रिया के करने या होने का बोध हो, उसे विधानवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे-
    • वर्षा हो रही है।
    • आज बहुत गर्मी है।
  2. निषेधवाचक जिस वाक्य में क्रिया के न होने का बोध हो, उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे-
    • मुझे प्यास नहीं लगी है।
    • आकाश में तारे नहीं चमक रहे हैं।
  3. प्रश्नवाचक जिन वाक्यों में प्रश्न पूछा जाए, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे-
    • तुम कहाँ रहते हो?
    • आज कितनी तारीख है?
  4. आज्ञावाचक जिन वाक्यों द्वारा आज्ञा या अनुमति का बोध हो, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं; जैसे-
    • आप बाहर बैठिए ।
    • अपना पाठ पूरा करो।
  5. संदेहवाचक जिन वाक्यों में कार्य के होने में संदेह या संभावना का बोध हो, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे-
    • शायद कल हमारी परीक्षा हो।
    • हो सकता है वह आज आए।
  6. इच्छावाचक जिन वाक्यों द्वारा वक्ता की इच्छा, अभिलाषा, मनोकामना, आशीर्वाद आदि का भाव प्रकट हो, उन्हें इच्छा- वाचक वाक्य कहते हैं; जैसे-
    • सदा स्वस्थ रहो।
    • जन्मदिन की शुभकामनाएँ।
  7. विस्मयादिवाचक जिन वाक्यों से हर्ष, शोक, आश्चर्य आदि भाव प्रकट हों, उन्हें विस्मयादिवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे-
    • अरे! ये कैसे हो गया।
    • वाह ! क्या बात है।
  8. संकेतवाचक जिन वाक्यों का होना किसी शर्त या स्थिति पर आधारित हो, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। इन वाक्यों में एक कार्य का होना दूसरे कार्य पर निर्भर करता है; जैसे-
    • यदि वर्षा हुई, तो फसल अच्छी होगी।
    • यदि टिकट मिला, तो मैं भी चला जाऊँगा ।

2. रचना के आधार पर भेद रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद हैं

  1. सरल वाक्य जिस वाक्य में एक उद्देश्य तथा एक ही विधेय होता है, उसे सरल वाक्य कहते हैं; जैसे-
    • गंगा हिमालय से निकलती है।
    • मेरे नाना-नानी मुझे बहुत प्यार करते हैं।
  2. संयुक्त वाक्य जिस वाक्य में दो या दो से अधिक स्वतंत्र वाक्य समुच्चयबोधक अव्यय से जुड़े होते हैं, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं; जैसे-
    • मैं खेलने अवश्य आता, पर मेरे पैर में चोट लगी है।
    • रुचि डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन बन नहीं पाई।
  3. 3. मिश्रित वाक्य जिस वाक्य में एक प्रधान वाक्य हो तथा एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य हों, उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं; जैसे-
    • पिताजी ने कहा कि आज हम घूमने जाएँगे।
    • जो मेहनत करता है वह सफल होता है।

यहाँ ‘पिताजी ने कहा’ तथा ‘वह सफल होता है’ प्रधान उपवाक्य हैं तथा ‘कि आज हम घूमने जाएँगे’ तथा ‘जो मेहनत करता है’ आश्रित उपवाक्य हैं।

उपवाक्य संयुक्त और मिश्रित वाक्यों में एक से अधिक वाक्य समुच्चयबोधक या योजक शब्दों से जुड़े होते हैं। समुच्चयबोधक शब्दों से जुड़े इन वाक्यों को ही उपवाक्य कहते हैं।

उपवाक्य दो प्रकार के होते हैं।

  1. स्वतंत्र या प्रधान उपवाक्य ये उपवाक्य स्वतंत्र होते हैं अर्थात् ये किसी भी योजक शब्द से जुड़े नहीं होते ।
  2. आश्रित उपवाक्य ये उपवाक्य प्रधान उपवाक्य पर निर्भर होते हैं तथा योजक शब्दों से जुड़े होते हैं।

आश्रित उपवाक्यों को प्रधान उपवाक्यों से जोड़ने के लिए क्योंकि, कि, जब तब, जो, जैसा-वैसा, यदि, तो आदि योजक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 17 वाक्य- विचार अभ्यास प्रश्न (बहुविकल्पीय व वर्णनात्मक प्रश्नों सहित)

प्रश्न 1. अर्थ के आधार पर निम्नलिखित वाक्यों का सही विकल्प चुनिए

1. तुम कब जाओगे?

(क) निषेधवाचक
(ख) विधानवाचक
(ग) प्रश्नवाचक
(घ) आज्ञावाचक

उत्तर: (ग) प्रश्नवाचक

2. आपकी यात्रा मंगलमय हो।

(क) प्रश्नवाचक
(ख) इच्छावाचक
(घ) विधानवाचक
(ग) आज्ञावाचक

उत्तर: (ख) इच्छावाचक

3. वाह! कितना सुहावना मौसम है।

(क) विस्मयादिवाचक
(ख) इच्छावाचक
(ग) प्रश्नवाचक
(घ) निषेधवाचक

उत्तर: (क) विस्मयादिवाचक

4. शायद वर्षा हो ।

(क) विधानवाचक
(ख) संदेहवाचक
(ग) इच्छावाचक
(घ) प्रश्नवाचक

उत्तर: (ख) संदेहवाचक

5. कल मैं विद्यालय नहीं आऊँगा ।

(क) निषेधवाचक
(ख) इच्छावाचक
(ग) प्रश्नवाचक
(घ) विधानवाचक

उत्तर: (क) निषेधवाचक

प्रश्न 2. रचना के आधार पर वाक्यों का सही विकल्प चुनिए

1. मनोज ने घर जाकर अपने पिताजी के चरण-स्पर्श किए।

(क) सरल
(ख) मिश्रित
(ग) संयुक्त

उत्तर: (क) सरल

2. बिनेश ने कहा कि मुझे यह शादी मंजूर नहीं है।

(क) मिश्रित
(ख) संयुक्त
(ग) सरल

उत्तर: (क) मिश्रित

3. कुम्हार ने अपने चारों ओर देखा और फिर खेत से मिट्टी उठाने में लग गया।

(क) सरल
(ख) मिश्रित
(ग) संयुक्त

उत्तर: (ग) संयुक्त

4. उस बड़ी बिल्ली को देखते ही मीना चिल्ला उठी।

(क) संयुक्त
(ख) सरल
(ग) मिश्रित

उत्तर: (क) संयुक्त

5. जो व्यक्ति कल चर्च में आया प्रवेश करने वाला थ, था, वह शहर के निषिद्ध क्षेत्र में

(क) मिश्रित
(ख) संयुक्त
(ग) सरल

उत्तर: (क) मिश्रित

प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग कर वाक्य बनाइए

(साहस, विचार, उम्मीद, मेहनती, तड़पना)

उत्तर:

साहस मनुष्य को संकट के समय साहस से काम लेना चाहिए।

विचार इस बात पर जरा विचार अवश्य करना ।

उम्मीद मुझे उनके आने की उम्मीद नहीं है।

मेहनती मनुष्य को हमेशा मेहनती होना चाहिए।

तड़पना बेचारा कुत्ता गाड़ी के नीचे आने के कारण तड़प-तड़पकर मर गया।

प्रश्न 4. नीचे दिए गए वाक्यों में से उद्देश्य और विधेय अलग-अलग कीजिए

(क) जतिन महान क्रांतिकारी थे।
(ख) उन्हें सफलता नहीं मिली।
(ग) यशपाल भाई फोटो खींचते हैं।
(घ) वीर हनुमान ने सोने की लंका जला दी।
(ङ) मैंने पुस्तक मेले से चार पुस्तकें खरीदीं।

उत्तर:

NCERT Class 6 Hindi खंड ‘ख’ व्याकरण अध्याय 17 वाक्य- विचार Question And Answers उद्देश्य और विधेय अलग-अलग कीजिए

प्रश्न 5. अर्थ की दृष्टि से निम्नलिखित वाक्यों के प्रकार लिखिए

(क) वह क्या कर रहा है?

(ख) उसका यहाँ आना मुश्किल है।

(ग) यदि तुम आते तो मैं जाता।

(घ) ईश्वर तुम्हें खुशी दें।

(ङ) सीता खाना खाती है।

उत्तर:

(क) प्रश्नवाचक

(ख) संदेहवाचक

(ग) संकेतवाचक

(घ) इच्छावाचक

(ङ) विधानवाचक

प्रश्न 6. रचना की दृष्टि से निम्नलिखित वाक्यों के प्रकार लिखिए

(क) मैं सवेरे सैर करने जाती हूँ ।।
(ख) मैंने बहुत समझाया पर वह नहीं माना।
(ग) हम जैसे ही घर से निकले कि वर्षा होने लगी ।
(घ) सुबह हुई और पक्षी चहचहाने लगे।
(ङ) मैं चाहती हूँ कि देश की सेवा करूँ ।

उत्तर:

(क) सरल वाक्य
(ख) संयुक्त वाक्य
(ग) मिश्रित वाक्य
(घ) संयुक्त वाक्य
(ङ) मिश्रित वाक्य

प्रश्न 7. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(संकेतवाचक, संदेहवाचक वाक्य, निषेधवाचक, दो, आश्रित)

(क) जिन वाक्यों में संदेह या संभावना का बोध हो, उन्हें __________ कहते हैं।

उत्तर: संदेहवाचक वाक्य

(ख) __________ ‘वाक्यों में शर्त या स्थिति अनिवार्य होती है।

उत्तर: संदेहवाचक

(ग) उपवाक्य __________ प्रकार के होते हैं।

उत्तर: दो

(घ) __________ उपवाक्य प्रधान उपवाक्य पर निर्भर होता है।

उत्तर: आश्रित

(ङ) __________ ‘वाक्यों में क्रिया का निषेध होता है।

उत्तर: निषेधवाचक

प्रश्न 8. नीचे दिए कथन के आगे (✓) और (✕) का चिह्न लगाइए

(क) वर्णों का सार्थक समूह वाक्य होता है।

उत्तर: ✕

(ख) मिश्रित वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य होता है।

उत्तर: ✓

(ग) आज्ञावाचक वाक्यों में अनुरोध का भी बोध होता है।

उत्तर: ✓

(घ) प्रश्न पूछने वाले वाक्य संदेहवाचक वाक्य होते हैं।

उत्तर: ✕

(ङ) जिन वाक्यों में इच्छा या अभिलाषा हो, इच्छावाचक वाक्य कहलाते हैं।

उत्तर: ✓

प्रश्न 9. दिए गए वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए

(क) तुम पुस्तक पढ़ते हो । (निषेधात्मक वाक्य)

(ख) तुम आज स्कूल नहीं गए थे। (विधानवाचक वाक्य)

(ग) वह कल दिल्ली आएगा। (संदेहवाचक वाक्य)

(घ) लतिका गाँव जाती है। (प्रश्नवाचक वाक्य)

(ङ) आप खाना खाएँगे। (आज्ञावाचक वाक्य )

उत्तर:

(क) तुम पुस्तक नहीं पढ़ते हो।

(ख) तुम आज स्कूल गए थे।

(ग) शायद वह कल दिल्ली आएगा।

(घ) क्या लतिका गाँव जाती है ?

(ङ) आप खाना खाओ।