CBSE For Class 6 Hindi Chapter 5 रहीम के दोहे -अब्दुर्रहीम खानखाना

CBSE For Class 6 Hindi Chapter 5 रहीम के दोहे -अब्दुर्रहीम खानखाना

1. दोहों का सार

प्रस्तुत दोहों में रहीम जी ने जीवन की निम्नलिखित वास्तविकताओं को दर्शाया है-

  • बड़ों के प्रभाव के समक्ष छोटों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए अर्थात बड़ों का साथ मिलने पर छोटों का साथ छोड़ना नहीं चाहिए क्योंकि सभी का अपना-अपना महत्व होता है।
  • प्रकृति समान भाव से बिना किसी स्वार्थ के सभी को लाभान्वित करती है, वैसे ही मनुष्य का स्वभाव भी परोपकारी होना चाहिए।
  • प्रेम संबंध एक कच्चे धागे के समान होते हैं, हमें कभी भी किसी से अपने संबंध तोड़ने नहीं चाहिए क्योंकि यदि एक बार कोई संबंध टूट जाए तो ‘दुबारा कितना भी प्रयास कर ले अच्छा व्यवहार करने की लेकिन मनमुटाव का अंश हृदय में रह ही जाता है।
  • मनुष्य को पानी के सम्मान को समझना चाहिए क्योंकि पानी, चमक और सम्मान तीनों ही जीवन में सर्वोपरि हैं।
  • विपत्ति में ही सबके विषय में जाना जा सकता है कि संसार में कौन हमारा हितैषी है और कौन केवल दिखावा ही करता है।
  • हमें अपनी जिह्वा को काबू में रखना चाहिए। कई बार तो जिह्वा के बोल बिगड़े काम बना देते हैं और कई बार बने बनाए काम भी बिगड़ जाते हैं।
  • संपत्ति होने पर तो बहुत से लोग हमारे मित्र बन जाते हैं, सच्चा मित्र वही होता है जो कठिन समय में हमारे काम आता है।

2. अर्थग्रहण संबंधी एवं बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर

दिए गए दोहों को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प के आधार पर दीजिए-

[1] रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि ।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि ।।

शब्दार्थ : बड़ेन- बड़ा। लघु- छोटा। डारि- डालना। कहा करे- क्या करेगी। तरवारि- तलवार ।

भावार्थ – रहीमदास जी कहते हैं कि बड़े लोगों का साथ मिल जाने पर छोटों को कभी त्यागना नहीं चाहिए। सभी का अपना-अपना महत्व होता है। जैसे जहाँ सुई का प्रयोग होता है वहाँ तलवार काम नहीं आ सकती। अतः छोटों को भी उचित सम्मान देना चाहिए।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर

Question 1. इस दोहे का क्या भावार्थ है?

(क) छोटों का महत्व न भूलो।

(ख) बड़प्पन मत दिखाओ

(ग) बड़े और छोटे सभी का महत्व है।

(घ) अहंकार भूलो।

Answer: (क) छोटों का महत्व न भूलो।

Question 2. लोग बड़े-छोटे के घालमेल में क्या गलती करते हैं?

(क) वे बड़ों को महत्व देते हैं।

(ख) वे छोटों को भूल जाते हैं।

(ग) वे छोटों को महत्व देते हैं।

(घ) वे बड़ों को भूल जाते हैं।

Answer: (ख) वे छोटों को भूल जाते हैं।

Question 3. ‘तरवारि’ किसकी प्रतीक है?

(क) बड़े की

(ख) हिंसा की

(ग) संघर्ष की

(घ) युद्ध की

Answer: (क) बड़े की

Question 4. ‘सुई’ किसकी प्रतीक है?

(क) छुटपन की

(ख) छोटे लोगों की

(ग) नीच लोगों की

(घ) इनमें से कोई नहीं

Answer: (ख) छोटे लोगों की

Question 5. ‘जहाँ काम आवै सुई कहा करे तरवारि’ का आशय 乘

(क) तलवार और सुई दोनों एक समान हैं।

(ख) तलवार और सुई दोनों का अपनी-अपनी जगह महत्व है।

(ग) तलवार और सुई दोनों का एक-दूसरे की जगह उपयोग करो।

(घ) तलवार और सुई दोनों घातक हैं।

Answer: (ख) तलवार और सुई दोनों का अपनी-अपनी जगह महत्व है।

[2] तरुवर फल नहिं खात हैं सरवर पियहिं न पान । कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान।।

शब्दार्थ : तरुवर- वृक्ष। खात-खाते सरवर – सरोवर । पियत-पीते । पान – पानी परकाज-दूसरे का कार्य । हित- भलाई। संपति – धन-दौलत । सचहिं एकत्रित करना / जोड़ते हैं। सुजान – बुद्धिमान / सज्जन ।

व्याख्या-रहीम जी कहते हैं कि दूसरों के हित के कारण ही वृक्ष अपने फलों को स्वयं नहीं खाते तथा सरोवर अपना जल नहीं पीते। ठीक इसी प्रकार दूसरों के प्रति उपकार की भावना रखने के कारण ही सज्जन धन जोड़ते हैं। बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर

CBSE Class 6 Hindi Chapter 5 रहीम के दोहे – अब्दुर्रहीम खानखाना

Question 1. इस दोहे में किस भावना को दर्शाया गया है?

(क) परोपकार

(ख) दयालुता

(ग) दरिद्रता

(घ) सहिष्णुता

Answer: (क) परोपकार

Question 2. वृक्ष की विशेषता क्या होती है?

(क) वह पत्तों से घिरा रहता है।

(ख) वह कभी अपने फल नहीं खाता।

(ग) वह डालियों से झुक जाता है।

(घ) वह मीठे फल प्रदान करता है।

Answer: (ख) वह कभी अपने फल नहीं खाता।

Question 3. सरोवर क्या ग्रहण नहीं करते?

(क) सुगंधित पदार्थ

(ख) हवा

(ग) जल

(घ) पूजा की सामग्री

Answer: (ग) जल

Question 4. ‘परकाज’ शब्द का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

(क) दूसरा काज

(ख) दूसरों के काम आना

(ग) दूसरों के हित के लिए

(घ) नई चीजें लेना

Answer: (ग) दूसरों के हित के लिए

Question 5. सज्जन पुरुषों को संपत्ति का संग्रह किसलिए करना mचाहिए?

(क) अपने बुढ़ापे के लिए

(ख) दूसरों की सहायता हेतु

(ग) अमीरी का रौब जमाने के लिए

(घ) खुश रहने के लिए

Answer: (ख) दूसरों की सहायता हेतु

[3] रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय ।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाए ।।

शब्दार्थ : छिटकाय चटका कर। परि जाय-पड़ जाती है।

व्याख्या / आशय-रहीम कहते हैं- प्रेम धागे के समान अखंड और कोमल होता है। इसे कभी भी जान-बूझकर तोड़ना नहीं चाहिए। यदि एक बार यह धागा टूट गया तो फिर जुड़ नहीं पाता। यदि जोड़ भी दिया जाए तो उसमें गाँठ पड़ जाती है। आशय यह है कि यदि किसी से प्रेम संबंध एक बार टूट जाए तो दोबारा संबंध बन भी जाए तो पहले जैसे नहीं बनते। मन मुटाव रह ही जाता है।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर

Question 1. ‘रहिमन धागा प्रेम का’ का क्या आशय है?

(क) धागा प्रेम के समान कच्चा है।

(ख) प्रेम धागे के समान कच्चा है।

(ग) प्रेम धागे के समान अटूट है।

(घ) प्रेम और धागा एक जैसे हैं।

Answer: (ग) प्रेम धागे के समान अटूट है।

Question 2. धागे और प्रेम में क्या समानता होती है?

(क) दोनों बाँधते हैं

(ख) दोनों तोड़ते हैं

(ग) दोनों जोड़ते हैं

(घ) दोनों टूटते हैं।

Answer: (ग) दोनों जोड़ते हैं

Question 3. प्रेम के धागे को तोड़ने का क्या आशय है?

(क) दुश्मनी बनाना

(ख) मित्रता तोड़ना

(ग) मित्रता करना

(घ) प्रेम भाव समाप्त करना ।

Answer: (घ) प्रेम भाव समाप्त करना

Question 4. ‘टूटे से फिर ना मिले’ का आशय है-

(क) प्रेम टूटने से फिर लोग नहीं मिलते।

(ख) एक बार टूटने पर प्रेमी नहीं मिल पाते।

(ग) प्रेम टूटने से फिर मन नहीं मिलते।

(घ) टूटने का अवसर बार-बार नहीं मिलता।

Answer: (ग) प्रेम टूटने से फिर मन नहीं मिलते।

Question 5. ‘गाँठ परि जाय’ का सांकेतिक अर्थ बताइए-

(क) संबंधों में खटास आना

(ख) संबंधों में दूरी आना

(ग) संबंधों में दुश्मनी होना

(घ) धागे में गाँठ पड़ जाना।

Answer: (ख) संबंधों में दूरी आना

Class 6 Hindi Chapter 5 रहीम के दोहे NCERT Solutions

[4] रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून ।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।।

शब्दार्थ : पानी- चमक, सम्मान, जल। सून- व्यर्थ, शून्य। ऊबरै — उभरे, चमके। मानुष- मनुष्य। चून- आटा ।

व्याख्या/आशय-पहला अर्थ मनुष्य के सम्मान के लिए है कि मनुष्य का सम्मान सदा बना रहना चाहिए। पानी का दूसरा अर्थ चमक से है कि पानी के बिना मोती की चमक नहीं उभर सकती। तीसरा अर्थ यह है कि पानी के बिना चूने की सफ़ेदी नहीं आती और आटे में पानी न मिलाया जाए तो उसकी रोटी नहीं बन सकती ।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर

Question 1. ‘रहिमन पानी राखिए’ का आशय है-

(क) रहीम के लिए पानी रखो।

(ख) भगवान के लिए पानी की रक्षा करो।

(ग) रहीम कहते हैं- पानी बनाए रखो।

(घ) पानी को रखा रहने दो।

Answer: (ग) रहीम कहते हैं- पानी बनाए रखो।

Question 2. ‘बिन पानी सब सून’ का आटे के प्रसंग में क्या अर्थ है?

(क) पानी न हो तो रोटी नहीं खाई जा सकती।

(ख) पानी न हो तो रोटी नहीं बन सकती ।

(ग) पानी न हो तो रोटी में स्वाद नहीं आता ।

(घ) पानी न हो तो रोटी सूनी लगती है।

Answer: (ख) पानी न हो तो रोटी नहीं बन सकती ।

Question 3. मोती के संदर्भ में पानी का क्या अर्थ है?

(क) तालाब

(ख) सीपी

(ग) चमक

(घ) मूल्य

Answer: (ग) चमक

Question 4. ‘मानुष’ के संदर्भ में पानी का आशय है-

(क) मान-सम्मान

(ख) गुण

(ग) स्वभाव

(घ) भोजन

Answer: (क) मान-सम्मान

Question 5. दोहा मनुष्य को अपने स्वभाव के लिए क्या प्रेरणा देता है?

(क) अहंकार बनाए रखो ।

(ख) स्वाभिमानी बने रहो ।

(ग) मान-सम्मान बनाए रखो।

(घ) व्यक्तित्व बचाए रखो ।

Answer: (ग) मान-सम्मान बनाए रखो।

[5] रहिमन बिपदाहू भली, जो थोरे दिन होय ।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय ।।

शब्दार्थ : विपदा – विपत्ति/कठिन समय। थोरे- थोड़े। हित- हितैषी । अनहित- हितैषी न होना। जगत- संसार

व्याख्या – रहीमदास जी का कहना है कि जो विपत्ति कुछ समय के लिए आती है वह अच्छी होती है क्योंकि विपत्ति के समय ही पता चलता है कि इस संसार में कौन हमारा हितैषी है और कौन नहीं।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर

Question 1. रहीम ने कैसी विपत्ति को सही कहा है?

(क) जो थोड़े दिन की होती है।

(ख) जो मेहमान की भाँति आती है।

(ग) जो क्षणिक होती है।

(घ) जो सदैव रहती है।

Answer: (क) जो थोड़े दिन की होती है।

Question 2. थोड़े दिन की विपदा को ‘भला’ क्यों कहा गया है?

(क) वह कुछ ही दिन परेशान करती है।

(ख) वह कोई सीख नहीं देती।

(ग) वह हमें यह बोध करवाती है कि हमारा हितैषी कौन है।

(घ) इनमें से कोई नहीं है।

Answer: (ग) वह हमें यह बोध करवाती है कि हमारा हितैषी कौन है।

Question 3. ‘जगत’ शब्द से तात्पर्य है-

(क) संसार

(ख) देश

(ग) भूमि

(घ) इनमें से कोई नहीं

Answer: (क) संसार

Question 4. विपत्ति हमें किसकी पहचान करवाती है?

(क) यह सज्जन की पहचान करवाती है।

(ख) यह दुर्जन की पहचान करवाती है।

(ग) यह हितैषी / अहितैषी की पहचान करवाती है।

(घ) यह मनुष्य को सबक सिखाती है।

Answer: (ग) यह हितैषी / अहितैषी की पहचान करवाती है।

Question 5. यह दोहा व्यावहारिक है या नीतिपरक-

(क) नीतिपरक

(ख) व्यावहारिक

(ग) व्यावहारिक एवं नीतिपरक दोनों

(घ) इनमें से कोई नहीं।

Answer: (ख) व्यावहारिक

रहीम के दोहे अब्दुर्रहीम खानखाना Chapter 5 Hindi Class 6 NCERT

[6] रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल । आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल ।।

शब्दार्थ : जिह्वा – जीभ । बावरी – पागल कह गई- बोल गई। सरग, पताल स्वर्ग पाताल। भीतर – अंदर । जूती – जूतियाँ। खात-खाने पड़ते हैं । कपाल – सिर ।

व्याख्या – रहीमदास का कहना है कि हमें अपनी जीभ से सोच-समझकर बोलना चाहिए। कई बार तो यह बिगड़ते हुए सभी कार्यों को सँवार देती है और कई बार हमें बने-बनाए

कामों को बिगाड़ देती है। यह स्वर्ग से पाताल तक की बातें | करने की क्षमता रखती है। बात कहने के बाद यह मुँह के अंदर हो जाती है और बेचारे सिर को जुतियाँ खानी पड़ती है अर्थात मनुष्य को पछताना पड़ता है।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर

Question 1. ‘जिह्वा’ शब्द से आप क्या समझते हैं?

(क) जीभ

(ख) सिर

(ग) मुँह

(घ) कपोल

Answer: (क) जीभ

Question 2. ‘कहि गई सरग पाताल’ पंक्ति का अर्थ बताइए-

(क) स्वर्ग से पाताल तक की बातें

(ख) न जाने कहाँ-कहाँ की बातें

(ग) जो बातें दूसरों को अच्छी नहीं लगती

(घ) (क) और (ख) दोनों।

Answer: (घ) (क) और (ख) दोनों।

Question 3. जीभ को ‘बावरी’ क्यों कहा है?

(क) क्योंकि यह जीभ घूमती रहती है।

(ख) जिस प्रकार पागल सोच-समझकर नहीं बोलता वैसे ही यह जीभ भी कई बार कुछ भी बोल जाती है।

(ग) यह तेज हवा की भाँति बहने का दम रखती है।

(घ) इनमें से कोई नहीं ।

Answer: (ख) जिस प्रकार पागल सोच-समझकर नहीं बोलता वैसे ही यह जीभ भी कई बार कुछ भी बोल जाती है।

Question 4. जीभ किसके भीतर रहती है?

(क) मुँह के

(ख) दिमाग के

(ग) पाताल में

(घ) स्वर्ग में

Answer: (क) मुँह के

Question 5. कई बार दिमाग को पछताना क्यों पड़ता है?

(क) क्योंकि कई बार जीभ बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल देती है जो किसी के लिए हानिकारक होता है।

(ख) जीभ बोलने से पूर्व दिमाग को कुछ बताती नहीं है।

(ग) जीभ सदा दिमाग को मात देना चाहती है।

(घ) जीभ के कुछ भी बोल देने पर दिमाग को ताने सुनने पड़ते हैं और तब जीभ प्रसन्न होती है।

Answer: (क) क्योंकि कई बार जीभ बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल देती है जो किसी के लिए हानिकारक होता है।

[7] कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत। बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत।।

शब्दार्थ : संपति-धन-दौलत । सगे-अपने । बनत – बन जाते हैं। बहु- बहुत से। रीत ढंग । बिपति – मुसीबत। कसौटी – परखना । तेई-वही । साँचे-सच्चे । मीत-मित्र ।

व्याख्या-रहीम जी कहते हैं कि जब तक मनुष्य के पास धन-दौलत और मान-सम्मान रहता है तब तक लोग उसके साथ अनेक प्रकार के रिश्ते-नाते बनाने के लिए कई प्रकार के ढंग निकालते रहते हैं लेकिन जो लोग दुख, दरिद्रता और विपत्ति के समय काम आते हैं, वही सच्चे मित्र होते हैं।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर

Question 1. संपत्ति आने पर क्या होता है?

(क) संबंधी घर पर आने लगते हैं।

(ख) अधिक लोगों से जान-पहचान होती है।

(ग) लोग रिश्ते-नाते बनाने के अनेक ढंग निकाल लेते हैं।

(घ) लोग ईर्ष्या करते हैं।

Answer: (ग) लोग रिश्ते-नाते बनाने के अनेक ढंग निकाल लेते हैं।

CBSE Hindi Class 6 Chapter 5 रहीम के दोहे

Question 2. रिश्ते-नाते कब तक साथ देते हैं?

(क) जब तक हमारे पास अधिक धन-दौलत होती है।

(ख) जब हम बलशाली होते हैं।

(ग) जब हमारा स्वभाव हँसमुख होता है।

(घ) जब हम विदेश गमन की सोचते हैं।

Answer: (क) जब तक हमारे पास अधिक धन-दौलत होती है।

Question 3. सच्चे मित्र की क्या विशेषता होती है?

(क) सच्चा मित्र हर कार्य में सहयोगी होता है।

(ख) मार्गदर्शक होता है।

(ग) सदा सच बोलता है।

(घ) मुश्किल के समय भी मित्र का साथ नहीं छोड़ता।

Answer: (घ) मुश्किल के समय भी मित्र का साथ नहीं छोड़ता।

Question 4. सच्चे मित्र को कब परखा जा सकता है?

(क) समारोह में

(ख) सबके समक्ष

(ग) विपत्ति आने पर

(घ) हर पल

Answer: (ग) विपत्ति आने पर

Question 5. मित्र का चुनाव सोच-समझकर करना चाहिए, सदा ऐसा मित्र बनाना चाहिए जो-

(क) हमारा गलत मार्गदर्शन न करे।

(ख) मुश्किल समय में हमारा सहारा बन सके।

(ग) हमारे धन का लोभ न रखता हो।

(घ) दिए गए सभी

Answer: (क) हमारा गलत मार्गदर्शन न करे।

3. पाठ से प्रश्न- अभ्यास

मेरी समझ से

प्रश्न (क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सबसे सही ( सटीक ) उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा बनाइए-

  1. “रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल । आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल । ” दोहे का भाव है-
    • सोच-समझकर बोलना चाहिए।
    • मधुर वाणी में बोलना चाहिए।
    • धीरे-धीरे बोलना चाहिए।
    • सदा सच बोलना चाहिए।
  2. “रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि । जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि । ” इस दोहे का भाव क्या है?
    • तलवार सुई से बड़ी होती है।
    • सुई का काम तलवार नहीं कर सकती।
    • तलवार का महत्व सुई से ज्यादा है।
    • हर छोटी-बड़ी चीज़ का अपना महत्व होता है।

Answer:

  1.  सोच-समझकर बोलना चाहिए।
  2. हर छोटी-बड़ी चीज़ का अपना महत्व होता है।

(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने यही उत्तर क्यों चुने?

Answer:

  1. सोच-समझकर बोलना चाहिए ताकि बाद में पछतावा न पड़े।
  2. हर छोटी-बड़ी चीज़ का अपना महत्व होता है अर्थात किसी को उसके रूप, आकार या आर्थिक स्थिति से नहीं आंकना चाहिए क्योंकि प्रत्येक का अपनी-अपनी जगह महत्व होता है।

पंक्तियों पर चर्चा

नीचे दिए गए दोहों पर समूह में चर्चा कीजिए और उनके अर्थ या भावार्थ अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-

प्रश्न-

(क) “रहिमन बिपदाहू भली, जो थोरे दिन होय । हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय ॥”

(ख) “रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गड़ सरग पताल |
आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल॥”

Answer:

(क) रहीमदास का मानना है कि थोड़े दिन की विपदा भी भली होती है जो हमें यह बता देती है कि संसार में कौन हमारा हितैषी है और कौन अहितैषी अर्थात कौन हमारा मुश्किल में साथ देने वाला है और कौन नहीं।

(ख) रहीमदास का कहना है कि हमारी जीभ | उसकी सहोदर (मित्र) बूँदों से नहीं मिलाया जा सकता। बिलकुल बावरी अर्थात पागल जैसी होती ऐसे ही किसी से संबंध अगर टूट जाए तो दोबारा वैसे है। यह कई बार ऐसा कुछ बोल देती है कि नहीं बन पाते। दिमाग को जूते खाने पड़ते हैं अर्थात मनुष्य को पछताना पड़ता है।

सोच-विचार के लिए

दोहों को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-

(1 ) ” रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो छिटकाय ।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परिजाय ।। ”

(क) इस दोहे में ‘मिले’ के स्थान पर ‘जुड़े’ और ‘छिटकाय’ के स्थान पर ‘चटकाय’ शब्द का प्रयोग भी लोक में प्रचलित है। जैसे-

” रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय ।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय ।। ”

इसी प्रकार पहले दोहे में ‘डारि’ के स्थान पर ‘डार’, ‘तलवारि’ के स्थान पर ‘तरवार’ और चौथे दोहे में ‘मानुष’ के स्थान पर ‘मानस’ का उपयोग भी प्रचलित हैं। ऐसा क्यों होता है?

Answer:

डारि के स्थान पर डार तलवारि के स्थान पर तलवार मानुष के स्थान पर मानस आदि शब्दों का प्रयोग थोडी-सी दूरी पर बोली बदल जाने के कारण होता है।

Class 6 Hindi Chapter 5 रहीम के दोहे Notes

(ख) इस दोहे में प्रेम के उदाहरण में धागे का प्रयोग ही क्यों किया गया है? क्या आप धागे के स्थान पर कोई अन्य उदाहरण सुझा सकते हैं? अपने सुझाव का कारण भी बताइए ।

Answer:

कवि ने प्रेम के टूटने को धागे द्वारा दर्शाया है कि जिस प्रकार धागा एक बार टूट जाए तो उसे जोड़ने के लिए गाँठ लगानी पड़ती है। ऐसे ही प्रेम संबंधों में दरार आ जाए तो भले ही उन्हें फिर से जोड़ लिया जाए परंतु मन-मुटाव रह ही जाता है। इसे हम अन्य उदाहरणों द्वारा भी समझ सकते है जैसे-

  1. नदी के जल से एक लोटा पानी ले लिया जाए तो उन्हें दोबारा नदी में मिलाया तो जा सकता है परंतु उसे
  2. एक टूटे हुए लकड़ी के डंडे को प्रयत्न करके सिल भी लिया जाए तो हम पहले की भाँति उसका प्रयोग नहीं कर सकते। हर बार ध्यान से प्रयोग करना पड़ता है।
  3. एक कीमती कपड़े के फट जाने पर उसे कितना भी सिल लिया जाए लेकिन मन में उसका फटा होना खटकता ही रहता है।

(2) “तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिँ न पान । कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान।।”

इस दोहे में प्रकृति के माध्यम से मनुष्य के किस मानवीय गुण की बात की गई है? प्रकृति से हम और क्या-क्या सीख सकते हैं?

Answer:

प्रकृति के माध्यम से इस दोहे में मनुष्य के इस मानवीय गुण की बात की गई है कि जैसे पेड़ अपने फल नहीं खाते, सरोवर अपना जल ग्रहण नहीं करते। ऐसे ही सज्जन धन का संचय स्वयं के लिए न करके दूसरों की भलाई के लिए करते हैं। प्रकृति से हम और गुण भी सीख सकते हैं। जैसे-

  • नदियों के जल की भाँति निरंतर आगे बढ़ना चाहिए ।
  • जिस प्रकार तपती गरमी से बचाने के लिए वृक्ष छाया देते हैं, वैसे ही दूसरों के कठिन समय में हमें उनकी मदद करनी चाहिए।
  • फूलों की भाँति अपने अच्छे कार्यों की सुगंध चारों ओर बिखेरनी चाहिए।
  • सूरज की भाँति अच्छे कार्य करने पर अपना नाम जग में चमकाना चाहिए।
  • चाँद की चाँदनी की ठंड कला की भाँति अपने विचारों से सबको प्रभावित करना चाहिए।
  • पर्वतों की भाँति अपने विचारों को दृढ़ रखना चाहिए।
  • सागर की भाँति अपने हृदय को विशाल बनाना चाहिए। जीवन में अच्छी-बुरी जिन भी घटनाओं का सामना हो उन्हें गहराई से अपने अंदर समेटना चाहिए।

शब्द एक अर्थ अनेक

” रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून। पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।। ”

इस दोहे में ‘पानी’ शब्द के तीन अर्थ हैं- सम्मान, जल, चमक।

इसी प्रकार कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। आप भी इन शब्दों के तीन-तीन अर्थ लिखिए। आप इस कार्य में शब्दकोश, इंटरनेट, शिक्षक या अभिभावकों की सहायता भी ले सकते हैं।

Answer:

कल – आने वाला कल चैन या शांति पूज/माशीन

पत्र – पत्ता चिट्ठी दल

कर – हाथ टैक्स किरण

फल – परिणाम एक खाने का फल (आम) हल का अग्र भाग

4. पाठ से आगे प्रश्न- अभ्यास

आपकी बात

” रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि । जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि ।। ”

इस दोहे का भाव है- न कोई बड़ा है और न ही कोई छोटा है। सबके अपने-अपने काम हैं, सबकी अपनी-अपनी उपयोगिता और महत्ता है। चाहे हाथी हो या चींटी, तलवार हो या सुई, सबके अपने-अपने आकार-प्रकार हैं और सबकी अपनी-अपनी उपयोगिता और महत्व है। सिलाई का काम सुई से ही किया जा सकता है, तलवार से नहीं। सुई जोड़ने का काम करती है जबकि तलवार काटने का कोई वस्तु हो या व्यक्ति, छोटा हो या बड़ा, सबका सम्मान करना चाहिए। अपने मनपसंद दोहे को इस तरह की शैली में अपने शब्दों में लिखिए। दोहा पाठ से या पाठ से बाहर का हो सकता है।

Answer:

बड़े बड़ाई न करै; बड़ो न बोले बोल।

रहिमन हीरा कब कहैं, लाख मेरो टकै का मोल रहीमदास जी कहते हैं कि जिनमें बड़प्पन होता है वे अपनी बड़ाई स्वयं कभी नहीं करते। उनके कार्य ही उनके कौशल को दर्शा देते हैं। जैसे हीरा कितना भी बहुमूल्य क्यों न हो लेकिन कभी अपने मुँह से अपने बारे में नहीं कहता। हमें भी अपने गुणों को दर्शाना नहीं चाहिए। वे स्वतः ही हमारे कार्यों के माध्यम से सबके समक्ष आ जाते हैं। जैसे- कुशल खिलाड़ी अपने खेल से, बावर्ची अपने स्वादिष्ट पकवानों से अच्छा नर्तक अपने नृत्य से श्रेष्ठ गायक अपने गायन से प्रतिभाशाली विद्यार्थी अपने परिणाम से ही जाना जाता है।

5. अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. रहीमदास ने बड़े को देखकर छोटे को न छोड़ने के लिए क्यों कहा है?

Answer: रहीमदास ने बड़े को देखकर छोटे को न छोड़ने के लिए कहा क्योंकि सभी का अपना-अपना महत्व होता है जैसे- जहाँ सुई काम आती है वहाँ तलवार काम नहीं आ सकती।

प्रश्न 2. ‘तलवार’ शब्द किसका प्रतीक है?

Answer: ‘तलवारि’ शब्द तलवार का प्रतीक है।

प्रश्न 3. सज्जन धन संचय किसलिए करते हैं?

Answer: सज्जन धन संचय दूसरों की भलाई के लिए करते हैं। उन्हें अपना कोई स्वार्थ नहीं होता।

प्रश्न 4. रहीम ने किस धागे को न तोड़ने के लिए पर होती है। कहा है?

Answer: रहीम ने प्रेम रूपी धागे को न तोड़ने के लिए कहा है।

प्रश्न 5. ‘चून’ के संदर्भ में पानी का क्या महत्व है?

Answer: ‘चून’ के संदर्भ में पानी का विशेष महत्व है। ‘चून’ शब्द का प्रयोग चूने और आटे के लिए किया गया है। चूने में जब तक पानी न मिलाया जाए तो वह सफ़ेदी नहीं देता और आटे में जब तक पानी न मिलाया जाए तो रोटी नहीं बन सकती।

प्रश्न 6. मनुष्य के लिए पानी की समानता किससे की गई है? रहीम के विचारों के अनुसार बताइए ।

Answer: मनुष्य के लिए पानी की समानता उसके सम्मान के लिए की गई है। रहीमदास ने यह माना है कि यदि मनुष्य का सम्मान एक बार चला जाए तो वैसा ही सम्मान फिर से प्राप्त नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 7. रहीम ने थोड़े दिनों की विपदा को ‘भली’ क्यों कहा है?

Answer: रहीमदास ने थोड़े दिन की विपदा को ‘भली’ कहा है क्योंकि उस दौरान मनुष्य को यह पता चल जाता है कि संसार में कौन हमारा हितैषी है और कौन अहितैषी

Chapter 5 रहीम के दोहे अब्दुर्रहीम खानखाना Hindi Class 6 Solutions

प्रश्न 8. रहीम जिह्वा को बावरी अर्थात पागल क्यों कहते हैं?

Answer: रहीमदास ने जिह्वा को बावरी कहा है जैसे एक पागल कुछ भी कहने से पूर्व सही-गलत नहीं सोचता, वैसे ही जिह्वा भी कई बार ऐसा कुछ बोल देती है कि दिमाग को जूते खाने पड़ते हैं अर्थात मनुष्य को पछताना पड़ता है।

प्रश्न 9. कई बार दिमाग को जिह्वा के कारण जूतियाँ क्यों खानी पड़ती है?

Answer: जिहवा के कारण दिमाग को जूतियाँ खानी पड़ती है क्योंकि कई बार यह सोचे-समझे बिना बोलती है।

प्रश्न 10. संपत्ति होने पर लोगों का व्यवहार हमारे प्रति कैसे होता है?

Answer: हमारे पास संपत्ति होने पर लोगों का व्यवहार बहुत अच्छा रहता है। बहुत से लोग कई तरीकों से हमारे बन जाते हैं लेकिन उनकी असली पहचान संपत्ति न रहने

प्रश्न 11. सच्चे मित्रों की क्या पहचान होती है?

Answer: सच्चे मित्र वही होते हैं जो मुश्किल समय में भी हमारा साथ नहीं छोड़ते। दुख हो या सुख सदा हमारे साथ रहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. रहीम ने सुई और तलवार के उदाहरण किस संदर्भ में दिए हैं?

Answer: रहीमदास का मानना है कि हमें प्रत्येक वस्तु को या मनुष्य को समान महत्व देना चाहिए। क्योंकि एक का स्थान दूसरा नहीं ले सकता जैसे सुई कपड़े सिलने के काम आती है और तलवार युद्ध में। इन दोनों का प्रयोग एक-दूसरे के स्थान पर नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 2. प्रकृति हमें क्या सीख देती है? रहीमदास के दोहे के आधार पर बताइए ।

Answer: प्रकृति हमें परोपकार करने की सीख देती हैं जैसे- वृक्ष अपने फल नहीं खाते, सरोवर अपना जल नहीं पीते, ऐसे ही हमें भी अपना जीवन दूसरों की सहायता करके जीना चाहिए।

प्रश्न 3. प्रेम रूपी धागे को तोड़ना क्यों नहीं चाहिए?

Answer: प्रेम रूपी धागे को तोड़ना नहीं चाहिए क्योंकि यदि संबंधों में प्रेम रूपी धागा एक बार टूट जाता है तो मन में गाँठ बन जाती है अर्थात संबंध ठीक हो जाने पर भी मन-मुटाव रह ही जाता है।

NCERT Solutions Class 6 Hindi Chapter 5 रहीम के दोहे

प्रश्न 4. हमारे जीवन में पानी का अत्यधिक महत्व है क्यों और कैसे?

Answer: हमारे जीवन में पानी का बहुत महत्व है। इसे बनाए रखना चाहिए। यदि पानी न हो तो मोती का कोई

महत्व न रहेगा। पानी अर्थात चमक के बिना मोती बेकार | मूल्यपरक / व्यावहारिक प्रश्नोत्तर है, पानी अर्थात सम्मान के बिना मनुष्य जीवन व्यर्थ है और जल के बिना आटे की रोटी नहीं बन सकती और चूना अपनी सफ़ेदी भी पानी के बिना नहीं देता ।

प्रश्न 5. हमें अपनी जिह्वा से सोच-समझकर क्यों बोलना चाहिए?

Answer: हमें अपनी जिह्वा से सोच-समझकर बोलना चाहिए क्योंकि यदि हम बिना सोचे-समझे कुछ बोल देते हैं तो कई बार दूसरे को बूरा लग जाता है और हमें शर्मिंदा होना पड़ता है।

दीर्य उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न- वर्तमान में भी रहीमदास के दोहों की सार्थकता ज्यों की त्यों है- कैसे?

Answer: वर्तमान समय में भी रहीमदास के दोहों की प्रासिंगता ज्यों की त्यों बनी है। जैसे बड़े को पाकर छोटों को मत छोड़ो, सज्जन लोगों की भाँति दूसरों की सहायता करना एवं परोपकार की भावना से प्रेरित होना चाहिए। किसी के साथ प्रेम संबंधों को तोड़ना नहीं चाहिए, विपदा के दिनों में यह पता चल जाता है कि कौन हमारा हितैषी है और कौन अहितैषी। हमें अपनी जीभ से सोच-समझकर बोलना चाहिए और सच्चा मित्र वही होता है जो विपत्ति के समय में भी काम आए।

ये सभी तथ्य वर्तमान में भी आवश्यक हैं और भविष्य में भी रहेंगे। इसीलिए रहीमदास जी के दोहों को उपयोगी माना जाता है।

आप क्या करेंगे-

प्रश्न-

(क) यदि हमारे मित्र से अच्छा मित्र हमें मिल जाए-

Answer: हम अपने पुराने मित्र को छोड़ेंगे नहीं बल्कि उसे भी नए मित्र से परिचित करवाएँगे ।

(ख) यदि कोई जरूरतमंद आपको मिल जाए-

Answer: मैं तन, मन एवं धन से उसकी सहायता करूँगा।

(ग) यदि आपकी अपने किसी संबंधी या मित्र से लड़ाई हो जाए-

Answer: मैं जल्दी से जल्दी सुलझा लूँगा / लूँगी ताकि कोई मनमुटाव न हो जाए।

Hindi Chapter 5 रहीम के दोहे – अब्दुर्रहीम खानखाना Solutions Class 6

(घ) यदि कोई आपको बिना वजह अपमानित करे-

Answer: मैं जल्द-से-जल्द अपनी सच्चाई सबके सामने लाऊँगा ताकि समाज में मेरी बेइज़्ज़ती न हो ।

(ङ) अगर आप पर कोई ‘विपदा’ आ जाए-

Answer: मेरे जो मित्र मेरे मुश्किल समय में मेरा साथ देंगे उनसे घनिष्ठ संबंध बनाऊँगा / बनाऊँगी।

(च) यदि कोई आपको ऐसे अपशब्द कह दे जो आपको पसंद न हो-

Answer: मैं उसे प्यार से समझाने की कोशिश कररूँगा/करूँगी कि अपशब्द न कहकर अपनी जिह्वा से अच्छे-अच्छे शब्द बोलकर सभी को अपना मित्र बनाना चाहिए।

(छ) यदि कोई मित्र मुश्किल समय में साथ छोड़ दे

Answer: यदि कोई मेरा मित्र मुश्किल समय में मेरा साथ छोड़ देगा तो मैं उसे आराम से अकेले में इस बात का अहसास दिलाना चाहूँगी / चाहूँगा कि मित्रों को कभी ऐसे छोड़ना नहीं चाहिए।

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