CBSE For Class 6 Hindi Chapter 10 परीक्षा
1. पाठ का सार
देवगढ़ रियासत के दीवान सरदार सुजानसिंह जब बूढ़े हुए तो उन्हें अहसास हुआ कि वे अब अच्छी तरह से राजकार्य करने के योग्य नहीं रह गए। यदि इस उम्र में राजकाज में किसी प्रकार की भूल हो गई तो उन्होंने जो पूरी जिंदगी नाम कमाया है उस पर दाग लग जाएगा और वे बिलकुल नहीं चाहते थे। इसी कारण उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र देने की बात राजा से की और राजा ने इस शर्त पर स्वीकार किया कि अब वे ही अपने समान योग्य दीवान राज्य के लिए खोज कर दें। दूसरे दिन ही सुजानसिंह ने विज्ञापन निकाला और राज्य के योग्य व्यक्तियों को पद के लिए आमंत्रित किया। साथ ही कहा कि शिक्षा से ज्यादा उम्मीदवार के व्यवहार को परखा जाएगा।
दीवान पद के उम्मीदवार विज्ञापन पढ़कर देवगढ़ रियासत में एकत्रित होने शुरू हो गए। चूँकि इस ऊँचे पद के लिए शिक्षा या किसी अन्य प्रकार का कोई बंधन नहीं था केवल व्यवहार व आचार-विचार को परखना था; इसी कारण अधिक संख्या में उम्मीदवार रियासत पहुँचे और व्यवहार का झूठा दिखावा करने लगे। कोई सुबह जल्दी उठने लगा, तो कोई सेवकों से बड़े आदरपूर्वक बात करने लगा। सभी दीवान सूरजसिंह को आकर्षित करने में लगे हुए थे। दूसरी तरफ दीवान जी दिखावटी लोगों के बीच सच्चे इंसान को परख रहे थे।
दीवान पद के लिए आए उम्मीदवारों में से कुछ ने हॉकी खेलने का कार्यक्रम रखा और मैदान में खेल आरंभ किया। वे सभी खेल में अपना-अपना कौशल दिखाने लगे। संध्या तक खेलते-खेलते तर हो गए परंतु हार-जीत का निर्णय ना हो सका। कुछ देर आराम करने के पश्चात वे सभी अपने ठहरने के स्थान की तरफ जाने लगे। रास्ते में एक नाला था जो मैदान से दूर हटकर था और उस पर कोई पुल नहीं था। राहगीरों को उसी नाले में से चलकर जाना पड़ता था। तभी वहाँ एक किसान, अनाज से भरी गाड़ी लेकर उसी नाले में आया परंतु कीचड़ और ऊँचाई के कारण वो गाड़ी को नाले से बाहर नहीं निकाल पा रहा था। उसकी इस स्थिति को वहाँ से गुजरने वाले खिलाड़ी देखकर भी अनदेखा कर रहे थे और आगे बढ़ते जा रहे थे। किसान को उनकी सहायता की आवश्यकता तो थी पर वो मदद माँगने का साहस नहीं कर पा रहा था।
जब नाले में फँसे किसान की किसी ने भी मदद नहीं की तब एक खिलाड़ी जो लंगड़ाता हुआ चल रहा था, किसान के पास आया उसने विनम्र भाव से सहायता करने की बात कही। उसने अपनी पूरी ताकत से बैलगाड़ी को बाहर निकाला। युवक घुटनों तक जमीन में गढ़ गया था परंतु उसने हिम्मत नहीं हारी और किसान को मुसीबत से बाहर निकाला। किसान ने युवक का धन्यवाद किया। और कहा कि- “ नारायण चाहेंगे तो दीवानी आपको ही मिलेगी”। युवक को किसान सुजानसिंह की तरह लगा और किसान के भेष में दीवान भी युवक का संदेह भाँप गए।
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चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात सभी निर्णय का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। सभी के मन में एक ही सवाल था कि दीवान का पद किसे मिलेगा? सभी उम्मीदवारों की दिल की धड़कन बढ़ी हुई थी। संध्या के समय राजा के दरबार में सभी की नजरें सुजानसिंह पर टिकी थी तभी उन्होंने पंडित जानकीनाथ को दीवान चुने जाने की बधाई दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार स्वयं घायल होने पर भी पंडित जानकीनाथ ने एक गरीब किसान की मदद बिना किसी स्वार्थ के की। ऐसा व्यक्ति ना केवल उदार और साहसी है बल्कि ये कभी गरीबों को नहीं सताएगा ऐसा मुझे विश्वास है। ये कभी दया और धर्म के मार्ग से नहीं हटेगा। इसी कारण देवगढ़ रियासत के लिए यही योग्य उम्मीदवार है। इतना कहकर उन्होंने उसे दीवान घोषित कर दिया।
2. शब्दार्थ और टिप्पणी
विनय – प्रार्थना । अवस्था ढलना-बूढ़ा होना, उम्र ढलना। नेकनामी प्रसिद्धि, यश नीतिकुशल आचरण में निपुण उपस्थित – प्रस्तुत, हाजिर।
हष्ट-पुष्ट-स्वस्थ, तंदरुस्त । मंदाग्नि- कमजोर व्यक्ति (जिसमें भोजन पचाने की क्षमता कम हो) । सुशोभित सुंदर, शोभायमान। मुल्क- देश, राज्य, रियासत । तहलका- हलचल, खलबली। परखना – आजमाना । सनद शैक्षिक एवं दक्षता प्रमाण पत्र, प्रमाण पत्र। घृणा-नफरत । नम्रता- विनम्र, नरमी । सदाचार-अच्छा आचरण, अच्छा व्यवहार।
गंजा हुआ खिलाड़ी कार्य में निपुण अप्रेंटिस- उम्मीदवार। भलेमानुस – अच्छे व्यक्ति ।
पथिक- राहगीर, रास्ते पर चलने वाला। ढकेलना- धक्का देकर आगे बढ़ाना। झुंझलाकर परेशान होकर । उभरना – बाहर निकालना। आपत्ति-मुसीबत |
सहमना- डरना। स्वार्थ-लालच । मदनशा उदारता-दया। वात्सल्य प्रेम । अकस्मात – अचानक । ठिठक जाना- रुक जाना। उकसाना- जगाना, भड़काना । उबारना – बचाना। संदेह शक। भाँप जाना समझ जाना। तीव्र – तेज । पैठ जाना- घुस जाना ।
पहाड़ होना- कठिन होना । निदान-अंत में धनाढ्य – धनी लोग। कलेजा धड़कना – घबराना । सौभाग्य- अच्छा भाग्य। संकल्प – निश्चय ।
चित्त-हृदय, मन दृढ़-मजबूत । कंटोप-टोपी, कानो को ढकने वाला।
3. अर्थग्रहण संबंधी एवं बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1 दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला कि देवगढ़ के लिए एक सुयोग्य दीवान की ज़रूरत है। जो सज्जन अपने को इस पद के योग्य समझें, वे वर्तमान सरकार सुजानसिंह की सेवा में उपस्थित हों। यह ज़रूरी नहीं है कि वे ग्रेजुएट हों, मगर हृष्ट-पुष्ट होना आवश्यक है, मंदाग्नि के मरीज को यहाँ तक कष्ट उठाने की कोई जरूरत नहीं। एक महीने तक उम्मीदवारों के रहन-सहन, आचार-विचार की देखभाल की जाएगी। विद्या का कम, परंतु कर्तव्य का अधिक विचार किया जायेगा। जो महाशय इस परीक्षा में पूरे उतरेंगे, वे इस उच्च पद पर सुशोभित होंगे। (पृष्ठ 106)
प्रश्न-
(क) देवगढ़ में किस बात के लिए विज्ञापन निकाला गया था?
(ख) उम्मीदवारों की किस बात पर विचार किया जाना था?
(ग) उम्मीदवारों के लिए क्या जरूरी नहीं और क्या जरूरी था?
(घ) ‘मंदाग्नि’ का अर्थ है?
(1) मंद अग्नि
(2) मंद बुद्धि
(3) कमजोर व्यक्ति
(4) नशीला
(ङ) ‘उम्मीदवार’ का चयन किसने करना था ?
(1) राजा ने
(2) पूर्व दीवान ने
(3) अधिकारी ने
(4) प्रजा ने
उत्तर- (क) देवगढ़ में सुयोग्य दीवान के चयन के लिए विज्ञापन निकाला गया था।
(ख) उम्मीदवारों की विद्या कम, परंतु कर्तव्य पर अधिक विचार किया जाना था।
(ग) उम्मीदवारों के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी नहीं था। परंतु हृष्ट-पुष्ट होना आवश्यक था।
(घ) (3) कमजोर व्यक्ति
(ङ) (2) पूर्व दीवान ने
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2 इस विज्ञापन ने सारे मुल्क में तहलका मचा दिया। ऐसा ऊँचा पद और किसी प्रकार की कैद नहीं? केवल नसीब का खेल है। सैकड़ों आदमी अपना-अपना भाग्य परखने के लिए चल खड़े हुए। देवगढ़ में नए-नए और रंग-बिरंगे मनुष्य दिखाई देने लगे। प्रत्येक रेलगाड़ी से उम्मीदवारों का एक मेला-सा उतरता। कोई पंजाब से चला आता था, कोई मद्रास से, कोई नए फैशन का प्रेमी, कोई पुरानी सादगी पर मिटा हुआ। रंगीन एमामे, चोगे और नाना प्रकार के अंगरखे और कंटोप देवगढ़ में अपनी सज-धज दिखाने लगे। लेकिन सबसे विशेष संख्या ग्रेजुएटों की थी, क्योंकि सनद की कैद न होने पर भी सनद से परदा तो ढका रहता है।
प्रश्न-
(क) ‘सनद की कैद न होने पर भी सनद से परदा तो ढका रहता है।’- पंक्ति का क्या आशय है?
(ख) देवगढ़ में क्या दिखाई देने लगा था ?
(ग) देवगढ़ में आए लोगों की वेशभूषा कैसी थी ?
(घ) विज्ञापन के बाद मुल्क में कैसा माहौल था ?
(1) शांत
(2) सामान्य
(3) भयपूर्ण
(4) हलचल वाला
(ङ) ‘सनद’ शब्द का क्या अर्थ है?
(1) भोजन
(2) प्रमाण
(3) सनक
(4) जेल
उत्तर- (क) इस पंक्ति का आशय यह है कि शिक्षा का प्रमाण-पत्र एक ऐसी चीज़ है जो मनुष्य की अन्य कमियों को ढक देती है।
(ख) देवगढ़ में नए-नए और रंग-बिरंगे मनुष्य दिखाई देने लगे। प्रत्येक रेलगाड़ी से उम्मीदवारों का एक मेला – सा उतरता।
(ग) कोई नए फैशन का प्रेमी, कोई पुरानी सादगी पर मिटा हुआ। रंगीन एमामे, चोगे और नाना प्रकार के अंगरखे तथा कंटोप पहने हुए लोग दिखाई दे रहे थे।
(घ) (4) हलचल वाला
(ङ) (2) प्रमाण
3 रियासत देवगढ़ में यह खेल बिल्कुल निराली बात थी। पढ़े-लिखे भलेमानुस लोग शतरंज और ताश जैसे गंभीर खेल खेलते थे। दौड़-कूद के खेल बच्चों के खेल समझे जाते थे।
खेल बड़े उत्साह से जारी था। धावे के लोग जब गेंद को लेकर तेजी से उड़ते तो ऐसा जान पड़ता था कि कोई लहर बढ़ती चली आती है। लेकिन दूसरी ओर के खिलाड़ी इस बढ़ती हुई लहर को इस तरह रोक लेते थे कि मानो लोहे की दीवार है।
संध्या तक यही धूमधाम रही। लोग पसीने से तर हो गए। खून की गरमी आँख और चेहरे से झलक रही थी। हाँफते-हाँफते बेदम हो गए, लेकिन हार-जीत का निर्णय न हो सका।
प्रश्न-
(क) खेल में हार-जीत का निर्णय क्यों नहीं हो सका?
(ख) दूसरी टीम गेंद को किस प्रकार रोकती थी?
(ग) पढ़े-लिखे लोग प्राय: कैसे खेल खेलते थे?
(घ) गेंद को लेकर तेजी से भागते लोग किसकी तरह दिखते थे?
(1) लहर
(2) भीड़
(3) दीवार
(4) हवा
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(ङ) हाँफते-हाँफते बेदम होने का अर्थ है-
(1) हार जाना
(2) बुरी तरह थकना
(3) मर जाना
(4) गिरना
उत्तर- (क) खेल में दोनों टीमों के सदस्यों ने अच्छा खेला संध्या होने तक भी कोई एक-दूसरे को हरा नहीं पाया; इसलिए हार-जीत का निर्णय नहीं हो पाया।
(ख) दूसरी टीम गेंद को लेकर बढ़ती हुई लोगों की लहर को ऐसे रोक लेती थी मानो लोहे की दीवार हो ।
(ग) पढ़े-लिखे लोग शतरंज और ताश जैसे गंभीर खेल खेलते थे।
(घ) (1) लहर
(ङ) (2) बुरी तरह थकना ।
4 किसान युवक के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। बोला, “महाराज, आपने आज मुझे उबार लिया, नहीं तो सारी रात मुझे यहाँ बैठना पड़ता । ”
युवक ने हँसकर कहा, “अब मुझे कुछ इनाम देते हो?” किसान ने गंभीर भाव से कहा, “नारायण चाहेंगे तो दीवानी आपको ही मिलेगी। ”
युवक ने किसान की तरफ़ गौर से देखा। उसके मन में एक संदेह हुआ, क्या यह सुजानसिंह तो नहीं हैं? आवाज़ मिलती है, चेहरा-मोहरा भी वही। किसान ने भी उसकी ओर तीव्र दृष्टि से देखा। शायद उसके दिल के संदेह को भाँप गया। मुस्कराकर बोला, “गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है।”
प्रश्न-
(क) युवक को किसान पर संदेह क्यों हुआ?
(ख) युवक के इनाम माँगने पर किसान ने क्या कहा?
(ग) किसान ने युवक का धन्यवाद करते हुए क्या कहा?
(घ) ‘गहरे पानी में पैठने से मोती मिलता है’-का आशय है-
(1) समुद्र की गहराई में मोती मिलता है।
(2) गहरे पानी में जाना चाहिए।
(3) मेहनत से सफलता मिलती है।
(4) पानी का मोती कीमती होता है।
(ङ) युवक को किसान की आवाज किसकी तरह लगी?
(1) मित्र की तरह
(2) सुजानसिंह की तरह
(3) राजा की तरह
(4) अपने पिता की तरह
उत्तर- (क) युवक को किसान की आवाज और चेहरा-मोहरा सुजानसिंह की तरह लगा ।
(ख) युवक के इनाम माँगने पर किसान ने कहा कि- ‘नारायण चाहेंगे तो दीवानी आपको ही मिलेगी।
(ग) किसान ने युवक का धन्यवाद करते हुए कहा – ‘महाराज, आपने आज मुझे उबार लिया, नहीं तो सारी रात मुझे यहाँ बैठना पड़ता।
(घ) (3) मेहनत से सफलता मिलती है।
(ङ) (2) सुजानसिंह की तरह ।
5 जब सरदार सुजानसिंह ने खड़े होकर कहा, दीवानी के उम्मीदवार महाशयो! मैंने आप लोगों को जो कष्ट दिया है, उसके लिए मुझे क्षमा कीजिए। इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल । हृदय वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करे और इस रियासत के सौभाग्य से हमें ऐसा पुरुष मिल गया। ऐसे गुणवाले संसार में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं, उन तक हमारी पहुँच नहीं । मैं रियासत के पंडित जानकीनाथ-सा को दीवानी पाने पर बधाई देता हूँ।”
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प्रश्न-
(क) सुजानसिंह ने उम्मीदवार का नाम बताते हुए क्या कहा?
(ख) दीवान पद के लिए कैसे पुरुष की आवश्यकता थी ?
(ग) सुजानसिंह ने उम्मीदवारों से क्या कहा?
(घ) गुणवान व्यक्ति कहाँ बैठते हैं?
(1) सिंहासन पर
(2) मंदिरों में
(3) जंगलों में
(4) कीर्ति और मान के शिखर पर
(ङ) ‘कीर्ति’ का पर्यायवाची निम्न में से कौन-सा है?
(1) यश
(2) अपमान
(3) सुंदर
(4) ऊँचाई
उत्तर- (क) सुजानसिंह ने उम्मीदवार का नाम बताते हुए कहा- “मैं रियासत के पंडित जानकीनाथ-सा को दीवानी पाने पर बधाई देता हूँ।”
(ख) दीवान पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी जो उदार हो, जिसके हृदय में दया हो और उसका आत्मबल मजबूत हो ।
(ग) सुजानसिंह ने उम्मीदवारों से कहा- “मेरे दीवानी के उम्मीदवार महाशयो! मैंने आप लोगों को जो कष्ट दिया है, उसके लिए मुझे क्षमा कीजिए ।
(घ) (4) कीर्ति और मान के शिखर पर
(ङ) (1) यश
4. पाठ से प्रश्न- अभ्यास
मेरी समझ से
प्रश्न (क) आपकी समझ से नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए-
(1) महाराज ने दीवान को ही उनका उत्तराधिकारी चुनने का कार्य उनके किस गुण के कारण सौंपा है?
सादगी
उदारता
नीतिकुशलता
बल
(2) दीवान साहब द्वारा नौकरी छोड़ने के निश्चय का क्या कारण था?
परमात्मा की याद
राज-काज सँभालने योग्य शक्ति न रहना
बदनामी का भय
चालीस वर्ष की नौकरी पूरी हो जाना
उत्तर- (1) * नीतिकुशलता
(2) * राज-काज सँभालने योग्य शक्ति न रहना
Class 6 Hindi Chapter 10 परीक्षा Notes
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर-
1. पाठ में उदारता के गुण को ही महत्त्व दिया गया है और सुजानसिंह भी इसी गुण की खोज कर रहे थे।
2. राज्य के दीवान सुजानसिंह बूढ़े होने के कारण अब राज-काज सँभाल नहीं पा रहे थे।
शीर्षक
(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम प्रेमचंद ने ‘परीक्षा’ रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि उन्होंने इस कहानी का यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर के कारण भी लिखिए।
उत्तर- ‘प्रेमचंद’ ने कहानी का नाम ‘परीक्षा’ रखा। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-
1. इसमें नए दीवान का चुनाव परीक्षा के माध्यम से ही होना था।
2. पाठ में सुजानसिंह ने परीक्षा लाचार किसान बन कर ही ली।
3. पूरे एक महीने तक सभी उम्मीदवारों के व्यवहार की परीक्षा ली गई।
(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए?
उत्तर-
1. इस कहानी का नाम ‘दीवान का चुनाव’ भी रखा जा सकता था क्योंकि कहानी दीवान के चुनाव पर ही आधारित है।
2. इसका एक अन्य नाम ‘परोपकारः एक श्रेष्ठ धर्म’ भी रखा जा सकता था क्योंकि कहानी में दूसरों की मदद और उपकार की बात पर ही बल दिया गया है और इसी आधार पर नए दीवान का चुनाव होना था।
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पंक्तियों पर चर्चा
प्रश्न- कहानी में से चुनकर यहाँ कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
” इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल । हृदय वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करे। ऐसे गुणवाले संसार में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं। ”
उत्तर- दीवान सुजानसिंह ने कहा कि दीवान पद के लिए एक ऐसे योग्य व्यक्ति की आवश्यकता थी जो परोपकारी हो, जिसके मन में दुखी व गरीब लोगों के लिए दया का भाव हो। उन्होंने कहा जो व्यक्ति अपने स्वयं के
बल पर भरोसा रखता हो और जो हर परिस्थिति में अपनी | हैं? आवाज मिलती है, चेहरा-मोहरा भी वही । ” वीरता से अपने गुणों का प्रमाण देता हो। वो संसार में यश कमाता है। उसकी सदैव प्रसिद्धि फैलती है और ऐसे गुणवान व्यक्ति संसार में बहुत कम होते हैं।
सोच-विचार के लिए
कहानी को एक बार फिर से पढ़िए, निम्नलिखित के बारे में पता लगाइए और लिखिए-
प्रश्न (क ) नौकरी की चाह में आए लोगों ने नौकरी कहानी की रचना पाने के लिए कौन-कौन से प्रयत्न किए?
उत्तर- नौकरी की चाह में आए लोगों ने अपना अच्छा रूप दिखाने का प्रयास किया, देर से उठने वाले प्रातः काल उठने लगे, नौकरों की नाक में दम करने वाले नौकरों से प्यार से बोलने लगे और किताबों से घृणा करने वाले बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़ने का दिखावा करने लगे।
(ख) “उसे किसान की सूरत देखते ही सब बातें ज्ञात हो गई । ” खिलाड़ी को कौन-कौन सी बातें पता चल गई?
उत्तर- जब खिलाड़ी ने किसान को गाड़ी सहित नाले में फँसा देखा तो वह किसान की सूरत देखकर समझ गया कि यह गाड़ी नाले से निकाल नहीं पा रहा और बहुत देर से परेशान है तथा दुखी है।
(ग) “मगर उन आँखों में सत्कार था, इन आँखों में ईर्ष्या ।” किनकी आँखों में सत्कार था और किनकी आँखों में ईर्ष्या थी? क्यों?
उत्तर- युवक की उदारता के कारण उसे दीवानी का पद मिला, जिसके कारण सुजानसिंह और अन्य दरबारियों की आँखों में युवक के प्रति सत्कार की भावना थी परंतु अन्य उम्मीदवारों की आँखों में ईर्ष्या थी क्योंकि उन्हें यह पद नहीं मिला था।
खोजबीन
कहानी में से वे वाक्य खोजकर लिखिए जिनसे पता चलता है कि-
प्रश्न (क) शायद युवक बूढ़े किसान की असलियत पहचान गया था।
उत्तर- “युवक ने किसान की तरफ गौर से देखा । उसके मन में एक संदेह हुआ, क्या यह सुजानसिंह तो नहीं
(ख) नौकरी के लिए आए लोग किसी तरह बस नौकरी पा लेना चाहते थे।
उत्तर- “जिससे बात कीजिए, वह नम्रता और सदाचार का देवता बना मालूम देता था लोग समझते थे कि एक महीने का झंझट है, किसी तरह काट लें, कहीं कार्य सिद्ध हो गया तो कौन है?” पूछता
“लोग पसीने से तर हो गए। खून की गरमी आँख और चेहरे से झलक रही थी । ”
इन वाक्यों को पढ़कर आँखों के सामने थकान से चूर खिलाड़ियों का चित्र दिखाई देने लगता है। यह चित्रात्मक भाषा है। ध्यान देंगे तो इस पाठ में ऐसी और भी अनेक विशेष बातें आपको दिखाई देंगी।
कहानी को एक बार ध्यान से पढ़िए। आपको इस कहानी में और कौन-कौन-सी विशेष बातें दिखाई दे रही हैं? अपने समूह में मिलकर उनकी सूची बनाइए।
उत्तर- जब किसी पंक्ति को पढ़कर चित्र आँखों के आगे आने लगे तो वहाँ चित्रात्मकता होती है। पाठ में निम्न पंक्तियों में चित्रात्मकता प्रस्तुत होती है-
1. देवगढ़ में नए-नए और रंग-बिरंगे मनुष्य दिखाई देने लगे।
2. रंगीन एमामे, चोगे और नाना प्रकार के अंगरखे और कंटोप देवगढ़ में अपनी सज-धज दिखाने लगे।
3. वह कभी बैलों को ललकारता, कभी पहियों को मन के भाव हाथ से ढकेलता।
4. गाड़ी ऊपर को न चढ़ती और चढ़ती भी तो कुछ दूर चढ़कर फिर खिसककर नीचे पहुँच जाती ।
5. बेचारा इधर-उधर निराश होकर ताकता ।
6. बार-बार झुंझलाकर बैलों को मारता ।
7. किसान ने उनकी तरफ सहमी आँखों से देखा ।
8. कीचड़ बहुत ज्यादा था। वह घुटने तक जमीन में गड़ गया।
9. उम्मीदवारों के कलेजे धड़क रहे थे।
10. उन आँखों में सत्कार था, इन आँखों में ईर्ष्या ।
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समस्या और समाधान
इस कहानी में कुछ समस्याएँ हैं और उसके समाधान दृढ़ संकल्प) भी हैं। कहानी को एक बार फिर से पढ़कर बताइए कि –
प्रश्न (क) महाराज के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर- महाराज के सामने समस्या थी कि उनकी रियासत के दीवान सुजानसिंह ने दीवानी पद से त्यागपत्र देने की बात कही थी।
राजा ने समस्या का यह समाधान खोजा कि यदि दीवान जी पद छोड़ना चाहते हैं तो उन्हें ही इस राज्य के लिए योग्य दीवान खोजकर देना होगा तब वे पद छोड़ सकते हैं।
(ख) दीवान के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर- दीवान के सामने योग्य उम्मीदवार खोजने की समस्या थी। इसके लिए उन्होंने विज्ञापन निकलवाया और उसमें लिखा कि शिक्षा नहीं अपितु आचार, व्यवहार और गुणों को एक महीने तक परखकर उम्मीदवार चुना जाएगा।
(ग) नौकरी के लिए आए लोगों के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर – नौकरी के लिए आए लोगों को अच्छा बनकर दिखाना था इसके लिए उन्होंने झूठा दिखावा शुरू कर दिया। उन्होंने मीठा और नम्र व्यवहार शुरू कर दिया। प्रातः काल उठना, पुस्तकें पढ़ना इत्यादि दिखावा शुरू कर दिया।
अभिनय
प्रश्न- कहानी में युवक और किसान की बातचीत संवादों के रूप में दी गई है। यह भी बताया गया है कि उन दोनों ने ये बातें कैसे बोलीं। अपने के साथ मिलकर तैयार कीजिए और कहानी के इस भाग को समूह से अभिनेता या अभिनेत्री कक्षा में सामने आएँगे और ‘ में अभिनय के द्वारा प्रस्तुत कीजिए । प्रत्येक समूह एक-एक संवाद अभिनय के साथ बोलकर दिखाएँगे।
उत्तर- अध्यापिका की मदद से छात्र – संवाद रचना कर अभिनय कौशल का प्रदर्शन करें।
विशेष- ‘इससे छात्रों की अभिव्यक्ति क्षमता पुष्ट होती है।’
कहावत
प्रश्न- “गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है।”
यह वाक्य एक कहावत है। इसका अर्थ है कि कोशिश करने पर ही सफलता मिलती है। ऐसी ही एक और कहावत है, “जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ ” अर्थात परिश्रम का फल अवश्य मिलता है।
कहावतें ऐसे वाक्य होते हैं जिन्हें लोग अपनी बात को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयोग करते हैं। आपके घर और पास-पड़ोस में भी लोग अनेक कहावतों का उपयोग करते होंगे।
नीचे कहावतें और उनके भावार्थ दिए गए हैं। आप कुछ इन कहावतों को कहानी से जोड़कर अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए।
अधजल गगरी छलकत जाए जिसके पास थोड़ा ज्ञान होता है, वह उसका दिखावा करता है।
अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत-समय निकल जाने के बाद पछताना व्यर्थ होता है।
एक अनार सौ बीमार कोई ऐसी एक चीज़ जिसको चाहने वाले अनेक हों।
जो गरजते हैं वे बरसते नहीं हैं-जो अधिक बढ़-चढ़कर बोलते हैं, वे काम नहीं करते हैं।
जहाँ चाह, वहाँ राह-जब किसी काम को करने की इच्छा होती है, तो उसका साधन भी मिल जाता है।
(संकेत- विज्ञापन में तो एक नौकरी की बात कही गई थी, लेकिन उम्मीदवार आ गए हज़ारों। इसे कहते हैं – एक अनार सौ बीमार ।)
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उत्तर-
1. ज्ञान में अधिक रुचि ना होने पर भी कुछ उम्मीदवार बड़े-बड़े ग्रंथों में डूबे रहते और अकड़कर चलते इसे कहते हैं – अधजल गगरी छलकत जाए।
2. जब पंडित जानकीनाथ का दीवान के लिए चुनाव हुआ तब अन्य उम्मीदवार सोचने लगे कि काश ! हमने उस समय किसान की मदद की होती तो आज हमारा चयन होता पर अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत ।
3. देवगढ़ में आए सभी उम्मीदवार नम्रता की मूर्ति बने हुए थे। परंतु जब किसान पर दया की बात आई तब सब पीछे हट गए। इसीलिए कहते हैं-जो गरजते हैं वे बरसते नहीं हैं।
4. युवक घायल था परंतु दूसरों की मदद करने की उसकी चाह के कारण वो किसान की गाड़ी नाले से बाहर निकाल पाया। इसे कहते हैं- जहाँ चाह वहाँ राह ।
5. पाठ से आगे प्रश्न- अभ्यास
अनुमान या कल्पना से
प्रश्न (क) “दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला ”
देश के प्रसिद्ध पत्रों में नौकरी का विज्ञापन किसने निकलवाया होगा? आपको ऐसा क्यों लगता है ?
उत्तर – देश के प्रसिद्ध पत्रों में दीवान सुजानसिंह जी ने विज्ञापन निकलवाया होगा क्योंकि नए दीवान को चुनने की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी और इसी के लिए उन्होंने यह उपाय सोचा होगा।
(ख) “इस विज्ञापन ने सारे मुल्क में तहलका मचा दिया” ।
विज्ञापन ने पूरे देश में तहलका क्यों मचा दिया होगा?
उत्तर- विज्ञापन में रियासत के नए दीवान के चयन के बारे में लिखा था कि दीवान का चयन किसी शिक्षा की डिग्री के आधार पर नहीं अपितु, आचार-व्यवहार के आधार पर होगा। लोगों को ऐसे ऊँचे पद में किसी प्रकार का बंधन नहीं दिखा। इसीलिए सबमें खुशी से तहलका मच गया।
विज्ञापन – विज्ञापन संबंधी कार्य छात्र, अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें। यह रचना कौशल से संबंधित कार्य है।
आगे की कहानी
प्रश्न- ‘परीक्षा’ कहानी जहाँ समाप्त होती है, उसके आगे क्या हुआ होगा। आगे की कहानी अपनी कल्पना से बनाइए ।
उत्तर- कहानी का अंत इस बात पर हुआ कि पंडित जानकीनाथ को सुजानसिंह ने दीवान घोषित कर उनकी अच्छाई सबको बताई। इसके बाद सभी पंडित जानकीनाथ की जय जयकार करने लगे। राजा ने भी उन्हें दीवान के पद पर नियुक्त कर बहुत से उपहार दिए। सुजानसिंह का भव्य विदाई समारोह हुआ और सभी प्रजा ने अपने प्रिय दीवान सुजानसिंह को नम आँखों से विदाई दी। साथ ही नए दीवान पंडित जानकीनाथ को भी स्वीकार किया। जानकीनाथ भी पहले दीवान की ही भाँति प्रजा का ध्यान रखते हुए कार्य करने लगे।
Hindi Chapter 10 परीक्षा Solutions Class 6
आपकी बात
प्रश्न (क) यदि कहानी में दीवान साहब के स्थान पर आप होते तो योग्य व्यक्ति को कैसे चुनते ?
उत्तर- यदि हम दीवान के स्थान पर रहते तो हम उम्मीदवारों को कोई समस्या बताकर उसका हल ढूँढ़ने के लिए कहते साथ ही उनके समक्ष न्याय के कुछ मुकदमे बनाकर पेश करते और परखते कि वे कैसे न्याय कर रहे हैं। साथ ही ज्ञान के कुछ प्रश्न भी पूछ सकते थे।
(ख) यदि आपको कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए कहा जाए तो आप उसे कैसे चुनेंगे? उसमें किन-किन गुणों को देखेंगे? गुणों की परख के लिए क्या-क्या करेंगे?
उत्तर- यदि मुझे कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए कहा जाए तो मैं कक्षा में उस बच्चे का चुनाव करूँगा जो पढ़ने में अच्छा हो, सबसे प्यार से बात करता हो, पढ़ाई में और काम पूरा करने में दूसरों की सहायता करता हो । इसके लिए हम उसे कुछ दिन मॉनिटर का कार्य देकर परख भी सकते हैं।