CBSE For Class 6 Hindi Chapter 6 मेरी माँ
1. पाठ का सार
पाठ प्रवेश – भारत के अमर क्रांतिकारियों में रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ का नाम आदरणीय है। प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्री रामप्रसाद बिस्मिल देश की स्वतंत्रता के लिए अग्रेंजों से लड़ते रहे। वे सफल साहित्यकार व रचनाकार भी थे। अंग्रेजों के अत्याचार सहते हुए जेल से ही उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘निज जीवन की एक छटा’ लिखी। इस आत्मकथा में से चयनित पाठ से अपनी माता और भारत माता के प्रति प्रेम और श्रद्धा-भक्ति करने की प्रेरणा मिलती है।
चरित्र एवं व्यक्तित्व निर्माण- माँ केवल जीवन ही नहीं देतीं, व्यक्तित्व का निर्माण भी करती हैं। बालक ‘बिस्मिल’ के पालन-पोषण और चरित्र निर्माण में उनकी माता की की सक्रिय व सकारात्मक भूमिका रही। छोटी आयु से ही देशसेवा और स्वतंत्रता प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर हो गए। माँ के प्रोत्साहन और मार्गदर्शन में रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के व्यवहार में ईमानदारी, दृढ़ता और सेवाभाव के मूल्य विकसित हुए।
माँ की प्रेरणा- अपनी माता का जीवन ‘बिस्मिल’ के लिए असीम प्रेरणा का स्रोत रहा। उनके संघर्ष, परिश्रम और शिक्षा के प्रति रुझान का अच्छा प्रभाव पूरे परिवार पर पड़ा। माँ ने परिवार की शिक्षा-दीक्षा की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। माँ ने हमेशा सत्य का आचरण करने की सीख दी।
CBSE Class 6 Hindi Chapter 6 मेरी माँ
जन्मदात्री माँ का ऋण- जिस प्रेम और दृढ़ता से माँ ने ‘बिस्मिल’ का जीवन सुधारा, वह अतुलनीय है। वे शाश्वत जीवन मूल्यों और देश भक्ति की नींव रखने वाली माँ से उऋण न हो पाने की भावना व्यक्त करते हैं। ‘बिस्मिल’ की आत्मिक, धार्मिक तथा सामाजिक उन्नति में उनकी माँ सदैव सहयोग देती रही।
भारत माता के लिए सर्वोच्च बलिदान- महान देश भक्त ‘बिस्मिल’ अपने बलिदान पर अपनी माँ के द्वारा धैर्य धारण करने का विश्वास प्रकट करते हैं। उनके संस्कारों ने, उन्हें अधीर न होने दिया और वे अपने कर्तव्य पथ पर अडिग बढ़ते रहे। परतंत्रता की बेड़ियों से माताओं की माता ‘भारत माता’ को मुक्त करने हेतु सहर्ष बलिदान देते हैं। वे जानते हैं कि भारत माता के चरणों में अपना बलिदान देने पर उनकी माँ गर्व महसूस करेंगी। स्वाधीन भारत के इतिहास में दृढ़ निश्चयी श्री रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ का बलिदान हमेशा स्मरणीय रहेगा। माँ के चरण कमलों को प्रणाम कर वे परमात्मा का स्मरण करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर देते हैं।
2. शब्दार्थ और टिप्पणी
होनहार -पाकी, अच्छे लक्षणों वाला। राजव-कमाल) आधिपत्य – प्रभुत्व, अधिकार । आत्मकथा- अपने जीवन की कथा । प्रकाशित- जो छापा एवं प्रचारित किया गया हो । अंश भाग ।
अनुरोध – याचना करना । सद्व्यवहार सदाचार, अच्छा व्यवहार। संकल्प निश्चय, प्रतिज्ञा । हस्ताक्षर दस्तखत, (सिग्नेचर ) | खारिज – अस्वीकृत । आचरण-व्यवहार । नितांत – एकदम, बिल्कुल ।
प्रबंध-व्यवस्था अक्षर-बोध । वर्ण- ज्ञान । देवनागरी- भारत की प्रसिद्ध लिपि । वार्तालाप – बातचीत । निर्वाह- गुजारा। प्राणदंड – मृत्युदंड । जन्मदात्री -जन्म देने वाली। उऋण ऋण से ‘मुक्त। अवर्णनीय – जिसका वर्णन न किया जा सके।
संलग्न- साथ जुड़ा हुआ, लगा हुआ । श्रेय – यश । ताड़ना – दंड देना । धृष्टतापूर्ण- उद्दंडता । परिणाम – नतीजा। सदैव – हमेशा। सांत्वना – ढाढ़स बँधाना, तसल्ली देना । उज्ज्वल – दीप्तिमय, चमकीला। विचलित- अस्थिर ।
3. अर्थग्रहण संबंधी एवं बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर
नीचे लिखे गद्यांशों को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
[1] उन्होंने हिंदी पढ़ना आरंभ किया। पढ़ने का शौक उन्हें खुद ही पैदा हुआ था। मुहल्ले की सखी-सहेली जो घर पर आया करती थीं, उन्हीं में जो शिक्षित थीं, माताजी उनसे अक्षर-बोध करतीं। इस प्रकार घर का सब काम कर चुकने के बाद जो कुछ समय मिल जाता, उसमें पढ़ना-लिखना करती । परिश्रम के फल से थोड़े दिनों में ही वह देवनागरी पुस्तकों का अध्ययन करने लगीं। मेरी बहनों को छोटी आयु में माताजी ही शिक्षा दिया करती थीं। जब से मैंने आर्यसमाज में प्रवेश किया, माताजी से खूब वार्तालाप होता । उस समय की अपेक्षा अब उनके विचार भी कुछ उदार हो गए हैं। यदि मुझे ऐसी माता न मिलतीं तो मैं भी अति साधारण मनुष्यों की भाँति संसार-चक्र में फँसकर जीवन निर्वाह करता । (पृष्ठ 53)
प्रश्न-
(क) गद्यांश के आधार पर किसने पढ़ना आरंभ किया?
(ख) लेखक के मन पर किसका प्रभाव पड़ा? इस प्रभाव का क्या परिणाम हुआ?
(ग) “ऐसी माता न मिलती तो मैं भी अति साधारण मनुष्यों की भाँति संसार-चक्र में फँसकर जीवन निर्वाह करता”- वाक्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए)
उत्तर- (क) श्री रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ जी की माता ने पढ़ना आरंभ किया।
(ख) लेखक के मन पर अपनी माँ के द्वारा दिए गए जीवन-मूल्यों और आदर्शों का प्रभाव पड़ा। माँ की प्रेरणा से ‘बिस्मिल’ जी में कर्तव्य परायणता, निष्ठा, देशसेवा और समर्पण जैसे गुणों का समावेश हुआ।
(ग) अक्सर मनुष्य जीवन के रोजमर्रा के कार्य और जीवनयापन में ही उलझकर रह जाता है। जीते तो सभी हैं . लेकिन ‘बिस्मिल’ जी में माँ के प्रभाव के कारण माताओं की माता ‘भारत माता’ के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की हिम्मत और चाह जाग्रत हुई।
2 जन्मदात्री जननी! इस जीवन में तो तुम्हारा ऋण उतारने का प्रयत्न करने का भी अवसर न मिला। इस जन्म में तो क्या यदि मैं अनेक जन्मों में भी सारे जीवन प्रयत्न करूँ तो भी तुमसे उऋण नहीं हो सकता। जिस प्रेम तथा दृढ़ता के साथ तुमने इस तुच्छ जीवन का सुधार किया है, वह अवर्णनीय है।
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बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर
Question 1. लेखक को किसका ऋण उतारने का अवसर नहीं मिला? सही विकल्प चुनिए-
(क) जन समाज का
(ख) परिवार का
(ग) अपनी माँ का
(घ) देश का
Answer: (ग) अपनी माँ का
Question 2. उऋण का अर्थ है-
(क) बलिदान देना
(ख) मुक्ति की आकांशा
(ग) सेवा भावना
(घ) ऋण से मुक्त
Answer: (घ) ऋण से मुक्त
Question 3. माता जी के प्रेम और दृढ़ता का उचित उदाहरण चुनिए-
(क) देश सेवा की ओर अग्रसर करना
(ख) बिस्मिल जी को शिक्षित करना
(ग) धार्मिक तथा सामाजिक उन्नति में सहयोग
(घ) उपर्युक्त सारे विकल्प सही है।
Answer: (घ) उपर्युक्त सारे विकल्प सही है।
Question 4. अवर्णनीय शब्द का अर्थ है-
(क) उचित वर्णन
(ख) जिसका वर्णन न किया जा सके
(ग) सुंदर वर्णन
(घ) आज्ञाशील
Answer: (ख) जिसका वर्णन न किया जा सके
Question 5. उपर्युक्त गद्यांश के लेखक का सही नाम चुनिए-
(क) श्री चंद्रशेखर आजाद
(ख) श्री रामप्रसाद ‘बिस्मिल’
(ग) श्री रामप्रासाद बिस्मिल
(घ) सरदार भगतसिंह
Answer: (ख) श्री रामप्रसाद ‘बिस्मिल’
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3 जीवन भर में कोई कष्ट अनुभव न किया। इस संसार में मेरी किसी भी भोग-विलास तथा ऐश्वर्य की इच्छा नहीं। केवल एक इच्छा है, वह यह कि एक बार श्रद्धापूर्वक तुम्हारे चरणों की सेवा करके अपने जीवन को सफल बना लेता। किंतु यह इच्छा पूर्ण होती नहीं दिखाई देती और तुम्हें मेरी मृत्यु की दुखभरी खबर सुनाई जाएगी। माँ! मुझे विश्वास है कि तुम यह समझ कर धैर्य धारण करोगी कि तुम्हारा पुत्र माताओं की माता या भारत माता की सेवा में अपने जीवन को बलि देवी की भेंट कर गया और उसने तुम्हारी कोख कलंकित न की, अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहा । जब स्वाधीन भारत का इतिहास लिखा जाएगा तो उसके किसी पृष्ठ पर उज्ज्वल अक्षरों में तुम्हारा भी नाम लिखा जाएगा। गुरु गोबिंदसिंह जी की धर्मपत्नी ने जब अपने पुत्रों की मृत्यु की खबर सुनी तो बहुत प्रसन्न हुई थीं और गुरु के नाम पर धर्म रक्षार्थ अपने पुत्रों के बलिदान पर मिठाई बाँटी थी। जन्मदात्री! वर दो कि अंतिम समय भी मेरा हृदय – किसी प्रकार विचलित न हो। (पृष्ठ 54)
प्रश्न-
(क) लेखक कौन-सी इच्छा पूर्ण करना चाहता था ?
(ख) लेखक कौन-सी प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहे ?
(ग) “मेरा हृदय किसी प्रकार विचलित न हो” वाक्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- (क) लेखक अपनी माँ की सेवा करके अपने जीवन को सफल बना लेना चाहते थे।
(ख) लेखक भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी थे। भारत माता की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने की प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहे ।
(ग) रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ ने हँसते-हँसते अंग्रेज़ों के अत्याचार सहे। आजीवन स्वतंत्रता के लिए अंग्रेज़ों से लड़ते रहे। व्यक्तिगत स्वार्थ एवं भोग-विलास को त्याग वे देश भक्ति और बलिदान के मार्ग पर दृढ़तापूर्वक चले । अपने हृदय में भारत माता की रक्षा और स्वतंत्रता का प्रण लिया। अंग्रेज सरकार द्वारा उन्हें फाँसी की सजा दी गई। असाधारण प्रतिभा के धनी रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ अंत समय तक अंग्रेज़ों के विरुद्ध डटे रहे और सहर्ष शरीर त्याग किया।
4. पाठ से प्रश्न- अभ्यास
मेरी समझ से
प्रश्न (क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए-
(1) ‘किंतु यह इच्छा पूर्ण होती नहीं दिखाई देती।’ बिस्मिल को अपनी किस इच्छा के पूर्ण न होने की आशंका थी?
- भारत माता के साथ रहने की
- अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहने की
- अपनी माँ की जीवनपर्यंत सेवा करने की
- भोग विलास तथा ऐश्वर्य भोगने की
(2) रामप्रसाद बिस्मिल की माँ का सबसे बड़ा आदेश क्या था ?
- देश की सेवा करें
- कभी किसी के प्राण न लेना
- कभी किसी से छल न करना
- सदा सच बोलना
(ख) अब अपने मित्रों के साथ तर्कपूर्ण चर्चा कीजिए कि आपने ये ही उत्तर क्यों चुने?
उत्तर- (क) 1. अपनी माँ की जीवनपर्यंत सेवा करने की
2. कभी किसी के प्राण न लेना
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पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें पढ़कर समझिए और इन पर विचार कीजिए । आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? कक्षा में अपने विचार साझा कीजिए और लिखिए।
प्रश्न – (क) “यदि मुझे ऐसी माता न मिलतीं, तो मैं भी अति साधारण मनुष्यों की भाँति संसार-चक्र में फँसकर जीवन निर्वाह करता । “
(ख) “उनके इस आदेश की पूर्ति करने के लिए मुझे मजबूरन दो-एक बार अपनी प्रतिज्ञा भंग भी करनी पड़ी थी । “
उत्तर- (क) बिस्मिल की माँ के प्रति अटूट श्रद्धा ।
बिस्मिल को क्रांतिकारी जीवन की प्रेरणा और सहयोग अपनी माँ से प्राप्त हुआ।
बिस्मिल ने स्वयं को देश की स्वतंत्रता के लिए पूर्णतया समर्पित कर दि
(ख) माता जी ने सबसे बड़ा आदेश बिस्मिल को दिया था कि कभी किसी की प्राणहानि न हो। माता ने शिक्षा दी थी कि शत्रु को भी सोच-विचार के लिए प्राणदंड न मिले।
बिस्मिल ने कुछ लोगों को प्राणदंड देने की प्रतिज्ञा ली थी किंतु माँ ने वादा लिया कि वे प्राणदंड के रूप में बदला नहीं लेंगे।
सोच-विचार के लिए
पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
प्रश्न–
1. बिस्मिल की माता जी जब ब्याह कर आई तो उनकी आयु काफ़ी कम थी।
(क) फिर भी उन्होंने स्वयं को अपने परिवार के अनुकूल कैसे ढाला ?
(ख) उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर स्वयं को कैसे शिक्षित किया?
2. बिस्मिल को साहसी बनाने में उनकी माता जी ने कैसे सहयोग दिया?
3. आज से कई दशक पहले बिस्मिल की माँ शिक्षा के महत्व को समझती थीं, बताइए कैसे?
4. हम कैसे कह सकते हैं कि बिस्मिल की माँ स्वतंत्र और उदार विचारों वाली थीं?
उत्तर-
1. (क) बिस्मिल की माँ ग्यारह वर्ष की उम्र में विवाहित होकर अपनी ससुराल आई थी। उन्होंने लगन से जल्द ही गृहकार्य सीख लिया और परिवार के काम-काज को कुशलतापूर्वक करने लगीं। विस्मिल के जन्म के पाँच या सात वर्ष बाद उन्होंने हिंदी पढ़ना सीख लिया था। आगे चलकर बिस्मिल और उनकी बहनों को भी पढ़ाना शुरू कर दिया था।
(ख) माता जी की इच्छाशक्ति दृढ़ थी। विवाह के कुछ वर्षों बाद उन्होंने घर पर ही शिक्षित सहेलियों के संपर्क में देवनागरी की किताबें पढ़ना सीख लिया। माताजी अत्यंत परिश्रमी थीं। गृहकार्य कर चुकने के बाद जो समय मिल जाता, वे उसमें पढ़ाई-लिखाई करतीं। इस प्रकार माताजी ने प्रबल इच्छाशक्ति का उदाहरण प्रस्तुत किया।
2. बिस्मिल के व्यक्तित्व निर्माण में उनकी माता ने बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने जीवन के हर कदम पर अपने सुपुत्र बिस्मिल को प्रोत्साहित किया। छोटी उम्र में ही अपनी माता जी से प्रेरणा लेकर बिस्मिल साहस, वीरता और देश सेवा के पथ पर चले। जन्मभूमि पर न्योछावर होने वाले पुत्र पर उन्हें गर्व था। संकटों में भी उन्होंने अपने पुत्र को अधीर नहीं होने दिया ।
3. बालक बिस्मिल में प्रेम, साहस और दृढ़ता के भाव उनकी माँ ने भरे थे। कम उम्र में विवाह हो जाने के बाद भी उनकी माँ अपनी इच्छाशक्ति के बल पर स्वयं को शिक्षित करती रहीं। कुछ वर्षों बाद उन्होंने बिस्मिल और उनकी छोटी बहनों को भी पढ़ाया-लिखाया। अपनी शिक्षा और वाणी से बिस्मिल के जीवन-मूल्यों में सुधार किया। माँ के प्रोत्साहन का ही परिणाम था कि रामप्रसाद धर्म के मार्ग पर चलकर उत्तम शिक्षा ग्रहण कर सके।
4. हाँ, रामप्रसाद बिस्मिल जी की माँ स्वतंत्र और उदार विचारों वाली सशक्त महिला थीं। बिस्मिल को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहती थीं। शिक्षादि के अतिरिक्त वे उन्हें देशसेवा हेतु विभिन्न सम्मेलनों में भाग लेने में उत्साहित करतीं। बिस्मिल की बहनों को भी छोटी आयु में उनकी माँ ही शिक्षा दिया करती थीं। अपनी माँ के स्वतंत्र और उदार विचारों के कारण वे स्वाधीनता संग्राम की क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग ले सके और माँ भारती को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाने के लिए संकल्पवान बने।
Class 6 Hindi Chapter 6 मेरी माँ Notes
आत्मकथा की रचना
यह पाठ रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की आत्मकथा का एक अंश है। आत्मकथा यानी अपनी कथा। दुनिया में अनेक लोग अपनी आत्मकथा लिखते हैं, कभी अपने लिए, तो कभी दूसरों के पढ़ने के लिए।
प्रश्न (क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस पाठ की ऐसी पंक्तियों की सूची बनाइए जिनसे पता लगे कि लेखक अपने बारे में कह रहा है।
(ख) अपने सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर- अध्यापक की सहायता से विद्यार्थीगण इस गतिविधि को पूर्ण करेंगे।
शब्द-प्रयोग तरह-तरह के
(क) “माता जी उनसे अक्षर-बोध करतीं।” इस वाक्य में अक्षर-बोध का अर्थ है- अक्षर का बोध या ज्ञान।
एक अन्य वाक्य देखिए- “जो कुछ समय मिल जाता, उसमें पढ़ना-लिखना करतीं।” इस वाक्य में अर्थात पढ़ना और लिखना।
प्रश्न- हम लेखन में शब्दों को मिलाकर छोटा बना लेते हैं जिससे समय, स्याही, कागज़ आदि की बचत होती है। संक्षेपीकरण मानव का स्वभाव भी हैं। इस पाठ से ऐसे शब्द खोजकर सूची बनाइए ।
उत्तर-
- डाँट फटकार
- काम-काज
- उठना-बैठना
- अंदर-बाहर
- देश- सेवा
- पालन-पोषण
5. पाठ से आगे प्रश्न- अभ्यास
पाठ पर आधारित गतिविधियों को छात्र-छात्राएँ मिलकर अपने शिक्षकों की सहायता से पूर्ण करें।
6. अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ में जो कुछ जीवन तथा साहस आया, वह किसकी कृपा का फल था ?
उत्तर- रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ जी ने माता जी एवं गुरुदेव श्री सोमदेव जी की कृपा से कुछ जीवन और साहस पाया।
प्रश्न 2. बिस्मिल ने पिताजी के वकालतनामे पर हस्ताक्षर करने से क्यों इंकार किया?
उत्तर – एक बार बिस्मिल के पिताजी दीवानी मुकदमे में वकील से कह गए कि जो काम हो वह उनकी अनुपस्थिति में बिस्मिल से करा लें। बिस्मिल ने वकालतनामे पर पिताजी के हस्ताक्षर करने से मना कर दिया क्योंकि यह तो धर्म विरुद्ध होगा । सत्य का आचरण करने वाले बिस्मिल जी ने इस कार्य को पाप माना।
प्रश्न 3. इस पाठ से विद्यार्थियों को क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर- पाठ हमें जन्मदात्री माँ के प्रति आदर और प्रेम की भावना सिखाता है। माताओं की माता ‘माँ भारती’ की सेवा और उनकी रक्षा व स्वतंत्रता के लिए बलिदान हो जाने की प्रेरणा देता है।
प्रश्न 4. प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी भगतसिंह ने बिस्मिल के बारे में क्या कहा?
उत्तर- “रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ जी बड़े होनहार थे। क्रांतिकारी होने के साथ-साथ, वे महान साहित्यकार व लेखक भी थे। जानने वाले कहते हैं कि यदि किसी और जगह या किसी और देश या किसी और समय पैदा हुए होते तो सेनाध्यक्ष बनते।” यह कहना था स्वतंत्रता सेनानी भगतसिंह का।
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प्रश्न 5. बिस्मिल जी ने कौन-सी आत्मकथा लिखी? इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- बिस्मिल द्वारा लिखी आत्मकथा का नाम है। ‘निज- जीवन की एक छटा।’ इस आत्मकथा के कारण अंग्रेज़ बिस्मिल को फाँसी देने के बाद भी हरा न सके। बिस्मिल भारतीय जनमानस में अमर हो गए।
बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर
Question 1. बिस्मिल की बहनों को छोटी आयु में शिक्षा कौन दिया करता था ?
(क) आचार्य
(ख) उनकी माताजी
(ग) पिताजी
(घ) दादी जी
Answer: (ख) उनकी माताजी
Question 2. माताजी ने गृहकार्य की शिक्षा किससे प्राप्त की?
(क) दादी जी
(ख) परिवार से
(ग) सहेलियों से
(घ) दादी जी को छोटी बहन से
Answer: (ग) सहेलियों से
Question 3. दादीजी ने अपनी छोटी बहन को कहाँ बुलाया था ?
(क) शाहजहाँपुर
(ख) लखनऊ
(ग) दिल्ली
(घ) गाँव में
Answer: (क) शाहजहाँपुर
Question 4. बिस्मिल जी ने अपनी आत्मकथा कहाँ लिखी थी ?
(क) आर्यसमाज कार्यालय से
(ख) जेल से
(ग) शाहजहाँपुर वाले घर से
(घ) लखनऊ से
Answer: (ख) जेल से
Question 5. रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ ने कौन-सा लोकप्रिय तराना लिखा था ?
(क) जय हो
(ख) वंदेमातरम
(ग) सरफ़रोशी की तमन्ना
(घ) ऐ मेरे वतन के लोगों
Answer: (ग) सरफ़रोशी की तमन्ना
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Question 6. “धर्म-रक्षार्थ अपने पुत्रों की मृत्यु की खबर सुनी तो प्रसन्न हुई और अपने पुत्रों के बलिदान पर मिठाई बाँटी थी- ” बिस्मिल द्वारा लिखे इस कथन में किनकी बात हो रही है?
(क) गुरु गोविंद सिंह जी की धर्मपत्नी जी
(ख) बिस्मिल जी की माता जी
(ग) अपनी दादी जी की छोटी बहन की
(घ) अपनी माता जी की
Answer: (क) गुरु गोविंद सिंह जी की धर्मपत्नी जी
Question 7. “मुझे विश्वास है कि तुम यह समझकर धैर्य धारण करोगी।” बिस्मिल जी ने अपनी माता जी से ऐसा क्यों कहा?
(क) क्योंकि उनका पुत्र कायरता का जीवन नहीं जीना चाहता था ।
(ख) भारत माता की सेवा करते हुए प्राण न्योछावर कर देना चाहता था।
(ग) माताओं की माता ‘माँ भारती’ के लिए पुत्र द्वारा सर्वस्व न्योछावर कर देने पर बिस्मिल की माँ को गर्व होगा।
(घ) उपर्युक्त सारे कथन सही हैं।
Answer: (घ) उपर्युक्त सारे कथन सही हैं।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ अपने जीवन के अंतिम समय में अपनी माँ का स्मरण कर भावुक हो उठते हैं-अपने विचार प्रकट कीजिए ।
उत्तर- ‘बिस्मिल’ जी अपनी माँ द्वारा किए गए त्याग को स्मरण करते हैं। अपनी आत्मकथा ‘मेरी माँ’ में बिस्मिल कहते हैं कि उनके चरित्र निर्माण में माँ ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी दी गई शिक्षा के कारण बिस्मिल बड़े-से-बड़े संकटों में भी अधीर नहीं हुए। अपनी प्रेमपूर्ण वाणी और व्यवहार से माँ ने अपने बेटे को हमेशा देश-प्रेम, साहस और सत्य के पथ पर चलने की प्रेरणा दी। माँ की कृपा के कारण उन्होंने अपने जीवन लक्ष्य को प्राप्त किया। जीवन के अंतिम समय में वे अपनी माताजी के श्रीचरणों में बैठकर उनकी सेवा करने की इच्छा रखते हैं। जिसे प्रेम और दृढ़ता के साथ उनका जीवन सुधारा, उसका ऋण उतारने का प्रयत्न करने का भी अवसर बिस्मिल जी को न मिला। अपनी माँ की दया से देश सेवा में संलग्न हो सके। इन्हीं विचारों और भावनाओं को महसूस कर बिस्मिल भावुक हो उठते हैं।
मूल्यपरक / व्यावहारिक प्रश्न
प्रश्न- बलिदानी श्री रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के किन गुणों ने आपको प्रभावित किया और क्यों ?
उत्तर-
देशप्रेम : बिस्मिल जी का जीवन किसी भी उस व्यक्ति के लिए देश की रक्षा का प्रेरणा स्रोत बन सकता है जो देश से प्रेम करता है। उनका गीत ‘सरफरोशी की तमन्ना’ आज भी नई पीढ़ी को देश के लिए मर मिटने की भावना से ओतप्रोत कर देता है। मेरे जीवन का लक्ष्य भारतीय सेना में जाना है और मेरा मानना है कि महान वीर क्रांतिकारी ‘बिस्मिल’ के त्याग, देशप्रेम और सेवाभाव के मूल्य, विद्यार्थियों में नव- जाग्रति उत्पन्न करते हैं।
अदम्य साहस ‘बिस्मिल’ जी का व्यक्तित्व साहस और निडरता से भरपूर था। वे सिखाते हैं कि देश – भक्ति की राह में संघर्षों और मृत्यु से क्या डरना ! हिम्मत और हौंसले के साथ जीवन में आगे बढ़े और कुर्बान होने का भी अलग आनंद है।
मातृप्रेम : माँ के चरणों को ‘बिस्मिल’ जी ने अपना संसार माना। वे अपने जीवन को सुधारने, देशसेवा में संलग्न होने, धार्मिक और आत्मिक उन्नति का श्रेय अपनी जन्मदात्री माँ को देते हैं। जिस प्रकार ‘बिस्मिल’ जी ने अपनी माँ के अगाध प्रेम और योगदान के विचार, दिल को छू लेने वाले हैं। इस प्रकार बिस्मिल जी के उच्च आदर्श और गुण प्रभावित करते हैं।