CBSE For Class 6 Hindi Chapter 13 पेड़ की बात

CBSE For Class 6 Hindi Chapter 13 पेड़ की बात

1. पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ श्री जगदीशचंद्र बसु द्वारा लिखित है और श्री शंकर सेन ने इसका हिंदी अनुवाद किया है। लेखक ने इस पाठ के माध्यम से हमें पेड़ों के विषय में जानकारी देते हुए उनका महत्त्व बताया है। एक बीज से पनपकर पौधा और पौधे से पेड़, पेड़ों से फूल-फल तथा बीज उत्पन्न होते हैं। और यही बीज धरती में जाकर पुन: इस चक्र को चलाते हैं।

अंकुरित बीज का वह भाग जो धरती के अंदर जाता है उसे जड़ तथा भूमि के ऊपर का भाग तना कहलाता है। धीरे-धीरे पेड़ पर पत्तियाँ आती हैं जो कि सूर्य के प्रकाश की सहायता से पेड़ के लिए भोजन बनाती हैं। पेड़ों को भी भोजन की आवश्यकता होती है। जड़ों के माध्यम से मिट्टी में उपस्थित द्रव्य तने तथा पौधे के शेष भागों में पहुँचते हैं। पेड़ों से ही हमें प्राणवायु मिलती है जो कि हर मानव के लिए आवश्यक है। भोजन निर्माण ( प्रकाश संश्लेषण) की प्रक्रिया में पेड़ हमारे द्वारा छोड़ी गई कार्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण कर लेते हैं और इसके बदले हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं।

क्लोरोफिल + कार्बन डाई ऑक्साइड सूर्य का प्रकाश, ऑक्सीजन + H2O (पानी)

सभी पौधों को जीवित रहने के लिए प्रकाश की आवश्यकता ही नहीं, अनिवार्यता है। पेड़ों की लकड़ी को जलाने से जो गरमी व प्रकाश उत्पन्न होता है, वह सूर्य की ही गरमी व प्रकाश है। जिस प्रकार मानव जीवन का चक्र चलाने के लिए संतानोत्पत्ति होती है; उसी प्रकार बीज ही पेड़ों की संतान है। हमारी दूषित वायु पारस पत्थर के समान कार्य करके पेड़ों द्वारा ऑक्सीजन में बदल जाती है और फिर हमें फल-फूल प्राप्त होते हैं। वृक्षों के फूलों में शहद का संचय होता है, जिसका पान करने के लिए तितलियाँ व मधुमक्खियाँ पेड़ों से मित्रता कर लेती हैं। मधुमक्खियाँ तो पराग कणों के स्थानांतरण से प्रजनन प्रक्रिया में सहायक बनती है।

धीरे-धीरे पेड़ों की शक्ति क्षीण हो जाती है और बुढ़ापे की ओर अग्रसर होने लगते हैं। हवा के साथ पेड़ धरती की शरण में चले जाते हैं और अपनी संतान (बीज) के लिए अपना बलिदान दे देते हैं।

2. शब्दार्थ और टिप्पणी

शिशु – बच्चा । आहिस्ता-धीरे । दरक- खिसकना, खुलना। भेदकर- चीरकर प्रवेश घुसना । औंधा – उल्टा।

भेद – रहस्य । तरल-बहने वाला (Liquid) । द्रव्य-पदार्थ सूक्ष्मदर्शी ( माइक्रोस्कोप) -जो छोटी-से-छोटी वस्तु देख सकता है। अत्यंत-बहुत । परीक्षण – जाँच । माटी-मिट्टी । संचार प्रवाह । आहार भोजन । प्रश्वास – साँस छोड़ना । विषाक्त जहरीली। विधाता-भगवान।

संवर्दधन – बढ़ौतरी / वृद्धि। सर्वाधिक-सबसे अधिक। वन- अरण्य – जहाँ पेड़-पौधे तथा वन प्राणी रहते है । उर्जा-शक्ति । खुराक – भोजन (D1et) । व्यग्र – उत्तेजित । सुरक्षा – देखभाल । न्योछावर – बलिदान । ममता – स्नेह |

परिजन-परिवार के लोग । प्रफुल्लित – खिलना (प्रसन्न होना) । निमंत्रित – बुलाया जाना। स्नेहसिक्त – प्यार से भरपूर । घनिष्ठता-मित्रता । चिरकाल- लंबा समय । आगमन – आना। संचय – इकट्ठा करना । उपकार-भला । पोषण – पालन । बयार बहना। क्रीड़ा-खेल | आघात – चोट । अकस्मात – अचानक ।

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3. अर्थग्रहण संबंधी एवं बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर

नीचे लिखे गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

1 वृक्ष का अंकुर निकलने पर जो अंश माटी के भीतर प्रवेश करता है, उसका नाम जड़ है और जो अंश ऊपर की ओर बढ़ता है, उसे तना कहते हैं। सभी पेड़-पौधों में ‘जड़ व तना’ ये दो भाग मिलेंगे। यह एक आश्चर्य की बात है कि पेड़-पौधों को जिस तरह ही रखो, जड़ नीचे की ओर जाएगी व तना ऊपर की ओर उठेगा। एक गमले में पौधा था। परीक्षण करने के लिए कुछ दिन गमले को | प्रश्न- औंधा लटकाए रखा।

पौधे का सिर नीचे की तरफ़ लटका रहा और जड़ ऊपर की ओर रही। दो-एक दिन बाद क्या देखता हूँ कि जैसे पौधे को भी सब भेद मालूम हो गया हो।

प्रश्न-

(क) अंकुर का वह भाग जो माटी के भीतर प्रवेश करता है, क्या कहलाता है?

(ख) पौधे का तना किस तरफ़ जाता है?

(ग) पौधे को कौन-सा भेद मालूम हो गया था ?

उत्तर- (क) अंकुर का वह भाग जो माटी के भीतर प्रवेश करता है, जड़ कहलाता है।

(ख) पौधे का वह भाग जो ऊपर की तरफ़ बढ़ता है, वह तना कहलाता है।

पौधे का तना सदैव ऊपर की ओर बढ़ता है।

(ग) पौधे का सिर नीचे की तरफ़ लटका रहा और जड़ ऊपर की ओर रही। दो-एक दिन बाद क्या देखता हूँ कि जैसे पौधे को भी सब भेद मालूम हो गया हो ।

[2] सूक्ष्मदर्शी से अत्यंत सूक्ष्म पदार्थ स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। पेड़ की डाल अथवा जड़ का इस यंत्र द्वारा परीक्षण करके देखा जा सकता है कि पेड़ में हज़ारों-हज़ार नल हैं। इन्हीं सब नलों के द्वारा माटी से पेड़ के शरीर में रस का संचार होता है।

इसके अलावा वृक्ष के पत्ते हवा से आहार ग्रहण करते हैं। पत्तों में अनगिनत छोटे-छोटे मुँह होते हैं। सुक्ष्मदर्शी के जरिए अनगिनत मुँह पर अनगिनत होंठ देखे जा सकते हैं। जब आहार करने की ज़रूरत न हो तब दोनों होंठ बंद हो जाते हैं। जब हम श्वास-प्रश्वास ग्रहण करते हैं तब प्रश्वास के साथ एक प्रकार की विषाक्त वायु बाहर निकलती है, उसे ‘अंगारक’ वायु कहते हैं। अगर यह ज़हरीली हवा पृथ्वी पर इकट्ठी होती रहे तो तमाम जीव-जंतु कुछ ही दिनों में उसका सेवन करके नष्ट हो सकते हैं। ज़रा विधाता की करुणा का चमत्कार तो देखो, जो जीव-जंतुओं के लिए जहर है, पेड़-पौधे उसी का सेवन करके उसे पूर्णतया शुद्ध कर देते हैं।

(क) सूक्ष्मदर्शी यंत्र का क्या उपयोग है?

(ख) ‘अंगारक वायु’ किसे कहते हैं?

(ग) वृक्ष अपना आहार किस प्रकार ग्रहण करते हैं?

उत्तर- (क) सूक्ष्मदर्शी यंत्र अत्यंत सूक्ष्म पदार्थों को स्पष्ट रूप से देखने के काम आता है। इस यंत्र द्वारा परीक्षण करके देखा जा सकता है कि पेड़ में हज़ारों-हज़ार नल हैं। इन सब नलों के द्वारा ही माटी से पेड़ के शरीर में रस का संचार होता है।

(ख) जब हम श्वास-प्रश्वास ग्रहण करते हैं तब प्रश्वास के साथ एक प्रकार की विषाक्त वायु बाहर निकलती है, उसे ही ‘अंगारक वायु’ कहते हैं। यह दूषित वायु है।

(ग) वृक्ष के पत्ते हवा से आहार ग्रहण करते हैं। पत्तों में अनगिनत छोटे-छोटे मुँह (छेद) होते हैं। ये मुँह केवल आहार लेने के समय ही खुलते हैं, अन्यथा बंद रहते हैं।

3 अब तो समझ गए होंगे कि प्रकाश ही जीवन का मूलमंत्र है। सूर्य किरण का स्पर्श पाकर ही पेड़ पल्लवित होता है। पेड़-पौधों के रेशे- रेशे में सूरज की किरणें आबद्ध हैं। ईंधन को जलाने पर जो प्रकाश व ताप बाहर प्रकट होता है, वह सूर्य की ही ऊर्जा है। पेड़-पौधे व समस्त हरियाली प्रकाश हथियाने के जाल हैं। पशु-डाँगर, पेड़-पौधे या हरियाली खाकर अपने प्राणों का निर्वाह करते हैं। पेड़-पौधों में जो सूर्य का प्रकाश समाहित है वह इसी तरह जंतुओं के शरीर में प्रवेश करता है। अनाज व सब्ज़ी न खाने पर हम भी बच नहीं सकते हैं। सोचकर देखा जाए तो हम भी प्रकाश की खुराक पाने पर ही जीवित हैं।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर

Question 1. पेड़ पल्लवित कैसे होता है?

(क) वायु से

(ख) प्रकाश से

(ग) सूर्य किरण का स्पर्श पाकर

(घ) नमी से

Answer. (ग) सूर्य किरण का स्पर्श पाकर

Question 2. जीवन का मूलमंत्र है-

(क) पानी

(ख) वायु

(ग) मिट्टी

(घ) प्रकाश

Answer. (घ) प्रकाश

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Question 3. ईंधन जलने पर प्रकाश व ताप कहाँ से आता है?

(क) लकड़ी गरम हो जाती है।

(ख) उसमें सूर्य की ऊर्जा है।

(ग) लकड़ी नमी खो देती है।

(घ) इनमें से कोई नहीं है।

Answer. (ख) उसमें सूर्य की ऊर्जा है।

Question 4. प्रकाश हथियाने का जाल कौन है?

(क) मानव जाति

(ख) पेड़-पौधे

(ग) हरियाली

(घ) पेड़-पौधे व हरियाली ।

Answer. (घ) पेड़-पौधे व हरियाली ।

4 वृक्ष अपने फूलों में शहद का संचय करके रखते हैं। मधुमक्खी व तितली बड़े चाव से मधुपान करती हैं। मधुमक्खी के आगमन से वृक्ष का भी उपकार होता है। तुम लोगों ने फूल में पराग कण देखे होंगे। मधुमक्खियाँ एक फूल के पराग कण दूसरे फूल पर ले जाती हैं। पराग कण के बिना बीज पक नहीं सकता।

इस प्रकार फूल में बीज फलता है। अपने शरीर का रस पिलाकर वृक्ष बीजों का पोषण करता है। अब अपनी जिंदगी के लिए उसे मोह-माया का लोभ नहीं है। तिल-तिल कर संतान की खातिर सब कुछ लुटा देता है। जो शरीर कुछ दिन पहले हरा-भरा था, अब वह बिल्कुल सूख गया है। अपने ही शरीर का भार उठाने की शक्ति क्षीण हो चली है। (पृष्ठ 148)

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर

Question 1. फूलों में उपस्थित शहद का पान कौन करता है?

(क) तितली

(ख) मधुमक्खी

(ग) दोनों

(घ) इनमें से कोई नहीं

Answer.  (ग) दोनों

Question 2. मधुमक्खियाँ पराग-कण में क्या मदद करती हैं?

(क) पराग कण उनका भोजन है।

(ख) पराग कण को गिरा देती हैं।

(ग) एक फूल से दूसरे फूल तक ले जाती हैं।

(घ) सभी उत्तर सही हैं।

Answer. (घ) सभी उत्तर सही हैं।

Question 3. बीज कहाँ पलता है?

(क) पत्तों में

(ख) फल में

(ग) तने में

(घ) जड़ में

Answer.  (घ) जड़ में

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Question 4. हरा-भरा पेड़ धीरे-धीरे सूख जाता है क्योंकि-

(क) उसकी शक्ति क्षीण हो जाती है।

(ख) संतान के लिए स्वयं को बलिदान कर देती हैं।

(ग) पेड़ बूढ़ा होने लगता है।

(घ) पेड़ तिल-तिल कर अपना सब कुछ लुटा

Answer. (ख) संतान के लिए स्वयं को बलिदान कर देती हैं।

4. पाठ से प्रश्न- अभ्यास

मेरी समझ से

प्रश्न (क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा ( ) बनाइए –

(1) “जैसे पौधे को भी सब भेद मालूम हो गया हो” पौधे को कौन सा भेद पता लग गया ?

उसे उल्टा लटकाया गया है।

उसे किसी ने सजा दी है।

बच्चे को गमला रखना नहीं आया।

प्रकाश ऊपर से आ रहा है।

(2) पेड़-पौधे जीव-जंतुओं के मित्र कैसे हैं?

हमारे जैसे ही साँस लेते हैं।

हमारे जैसे ही भोजन ग्रहण करते हैं।

हवा को शुद्ध करके सहायता करते हैं।

धरती पर हमारे साथ ही जन्मे हैं।

उत्तर- (1) * उसे उल्टा लटकाया गया है।

(2) * हमारे जैसे ही भोजन ग्रहण करते हैं।

पंक्तियों पर चर्चा

प्रश्न (क) “पेड़-पौधों के रेशे- रेशे में सूरज की किरणें आबद्ध हैं। ईंधन को जलाने पर जो प्रकाश व ताप बाहर प्रकट होता है, वह सूर्य की ही ऊर्जा है।”

(ख) “मधुमक्खी व तितली के साथ वृक्ष की चिरकाल से घनिष्ठता है। वे दल-बल सहित फूल देखने आती हैं। “

उत्तर- (क) इन पंक्तियों का आशय यह है कि पेड़-पौधों का जीवन प्रकाश के बिना असंभव है क्योंकि बिना भोजन खाए कोई भी जीवित नहीं रह सकता और प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाईऑक्साइड और क्लोरोफिल की सहायता से पौधे अपना भोजन बनाते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं जो कि हमारी प्राणवायु है। पौधों के हर रोयें में प्रकाश विद्यमान है। ईंधन (पेड़ों की लकड़ी) जलाने पर जो प्रकाश व गरमी निकलती है, वह वास्तव में सूर्य का प्रकाश तथा ऊर्जा है। इसलिए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि पौधों के हर कण में सूर्य की किरणें विद्यमान हैं।

(ख) मधुमक्खी एवं तितलियों की फूलों तथा पौधों से मित्रता से कौन अनभिज्ञ है। यानी मधुमक्खियाँ फूलों से पराग कण लेकर दूसरे फूल पर ले जाती हैं। इस प्रकार वे प्रजनन-प्रक्रिया में सहायता तो करती हैं; साथ-साथ शहद भी चखती हैं। रंग-बिरंगी तितलियाँ भी मधुपान के लिए फूलों पर मंडराती दिखाई देती हैं। संख्या में अनगिनत मधुमक्खियाँ व तितलियाँ फूलों की शोभा बढ़ाती हैं।

मिलकर करें मिलान

पाठ में से चुनकर कुछ वाक्यांश नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थ या संदर्भ से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।

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सोच-विचार के लिए

प्रश्न (क) बीज के अंकुरित होने में किस-किस का सहयोग मिलता है ?

(ख) पौधे अपना भोजन कैसे प्राप्त करते हैं? उत्तर- (क) बीज के अंकुरित होने में सहयोग मिलता है-

1. मिट्टी में उपस्थित जल तथा द्रव्य पदार्थों का

2. सूर्य के प्रकाश का

3. मनुष्यों द्वारा छोड़ी गई अंगारक वायु (कार्बन डाईऑक्साइड का )

4. जड़ों द्वारा माटी से रसपान का ।

(ख) हरी पत्तियों में उपस्थित क्लोरोफिल तथा सूर्य के प्रकाश की सहायता से पौधे अपना भोजन बनाते हैं। हमारे प्रश्वास द्वारा छोड़ी गई अंगारक वायु यानी दूषित वायु । लेख की रचना

प्रश्न (क) जैसे लेखक ने ‘पेड़ की बात’ कही है वैसे ही अपने आस-पास की चीजें देखिए और किसी एक चीज़ पर लेख लिखिए, जैसे- गेहूँ की बात ।

(ख) उसे कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए ।

उत्तर- (क) मौसम-चक्र (वर्षा की बात) प्रकृति अत्यंत परोपकारी है। हम सब पर उपकार करके हमारा जीवन सुचारू रूप से चलाती है। मौसम बदलते हैं और ऋतुओं का चक्र चलता रहता है। सूरज की गरमी से धरती का जल वाष्पन (Evaporat1on) द्वारा आसमान में जाकर बादल बना लेता है। बादलों में यह पानी बूँदों के रूप में इकट्ठा हो जाता है और वर्षा के रूप में बूँदें धरती पर गिरने लगती हैं। यही पानी फिर वाष्पन प्रक्रिया द्वारा ऊपर | जाकर बादल बना लेता है।

(ख) छात्र – छात्राएँ वर्षा चक्र को शिक्षक की मदद से समझें।

अनुमान या कल्पना से

प्रश्न (क) “इस तरह संतान के लिए अपना जीवन न्योछावर करके वृक्ष समाप्त हो जाता है।” वृक्ष के समाप्त होने के बाद क्या होता है?

(ख) पेड़-पौधों के बारे में लेखक की रुचि कैसे शब्दों के रूप जागृत हुई होगी?

उत्तर- (क) वृक्ष समाप्त होने के बाद भी हमारे लिए बहुत कुछ करता है। पेड़ों की लकड़ी, ईंधन तथा फर्नीचर बनाने के काम आती हैं। धरती पर गिरे बीज मिट्टी से द्रव्य पदार्थ लेकर पुन: पौधे के रूप में उगने लगते हैं और फिर एक नया पेड़ बन जाता है। यही चक्र चलता रहता है।

(ख) पेड-पौधों के प्रति लेखक की रुचि जागृत होने का सबसे बड़ा कारण है- वातावरण से जुड़ना। पेड़ों की हरियाली, ताज़ी हवा, उपवन के खिले रंग-बिरंगे फूलों को देखकर प्रसन्न होना। धीरे-धीरे लेखक के मन में आया होगा कि ये पेड़ कितने होंगे।

अंकुरण

मिट्टी के किसी भी पात्र में मिट्टी भरकर उसमें राजमा या चने के 4-5 बीज बो दीजिए।

हल्का-सा पानी छिड़क दीजिए।

3-4 दिन तक थोड़ा-थोड़ा पानी डालिए।

अब इसमें आए परिवर्तन लेखन पुस्तिका में लिखिए।

(संकेत- एक दिन में पौधे की लंबाई कितनी बढ़ती है, कितने पत्ते निकले, प्रकाश की तरफ पौधे मुड़े या नहीं आदि।)

Class 6 Hindi Chapter 13 पेड़ की बात Notes

5. पाठ से आगे प्रश्न- अभ्यास

खोजबीन के लिए

इंटरनेट कड़ियों का प्रयोग करके आप जगदीशचंद्र के बारे में और जान-समझ सकते हैं-

जगदीशचंद्र बसु

जगदीशचंद्र बसु – एक विलक्षण और संवेदनशील वैज्ञानिक

उत्तर- विद्यार्थी इंटरनेट के माध्यम से लेखक जगदीशचंद्र बसु के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे।

6. अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. बीज से अंकुर कब निकलता है?

उत्तर- बहुत दिनों तक मिट्टी के नीचे बीज दबा रहता है। तत्पश्चात सर्दियों के बाद वसंत आता है। वर्षा की शुरुआत में एक दो दिन पानी बरसता है तो बीज से अंकुर निकलता है।

प्रश्न 2. गमले के पौधे को खिड़की के पास क्यों रखा जाता है?

उत्तर- गमले के पौधे को खिड़की के पास इसलिए रखा जाता है, ताकि वह सूर्य की रोशनी पा सके और फलता-फूलता रहे।

Hindi Chapter 13 पेड़ की बात Solutions Class 6

प्रश्न 3. पौधे हमें कौन-सी वायु प्रदान करते हैं?

उत्तर- पौधे हमें जीवित रहने के लिए प्राणवायु प्रदान करते हैं।

प्रश्न 4. सूखा पेड़ क्यों गिर जाता है?

उत्तर- सूखा पेड़ हवा का आघात सहन न करने के कारण गिर जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. जड़ और तने से आप क्या समझते हो ?

उत्तर- अंकुरण के पश्चात पौधे का जो भाग जमीन के अंदर रहता है वह ‘जड़’ तथा जो भाग भूमि के ऊपर बढ़ता है, वह तना कहलाता है। जड़ का कार्य भूमि से पानी तथा मिट्टी से द्रव्यों को लेकर पौधे को पहुँचाना है। तने पर पत्ते, फूल तथा फल लगते हैं।

प्रश्न 2. सूर्य का प्रकाश पौधों के लिए क्यों ही सड़कर सूख जाते हैं। धीरे-धीरे पौधों पर कलियाँ आती हैं। बड़ी होकर वे फूलों में परिवर्तित हो जाती हैं। फूलों आवश्यक है? में पराग कण होते हैं। मधुमक्खियाँ पराग कणों को दूसरे फूलों पर ले जाकर प्रजनन में सहायक होती हैं। तत्पश्चात फल बनता है। इसी फल के अंदर बीज होते हैं। यही बीज धरती में जाकर पुनः अंकुरित होते हैं। यही है बीज से बीज तक की कहानी।

उत्तर- सूर्य का प्रकाश पौधों के लिए अत्यावश्यक है। सूर्य के प्रकाश की मदद से ही पौधे अपना भोजन बनाते हैं। इस प्रक्रिया में वे वातावरण में उपस्थित कार्बन डाईऑक्साइड को लेकर बदले में वातावरण में ऑक्सीजन छोड़ते हैं।

प्रश्न 3. पेड़ों के लिए फूलों की क्या भूमिका है?

उत्तर- पेड़ों पर मुस्कुराते फूल अत्यंत सुंदर व सुशोभित होते हैं। फूलों की बहार आने पर वे अपने बंधु-बांधवों को बुलाते हैं। रंग-बिरंगे फूलों पर मधुमक्खियाँ व तितलियाँ आकर्षित होती हैं। वे अपने दल-बल के साथ फूलों पर मंडराती हैं। पराग कणों के स्थानांतरण में मधुमक्खियाँ सहयोग देती हैं।

प्रश्न 4. वृक्ष बीजों का पोषण किस प्रकार करते हैं?

उत्तर- फूल में बीज फलता है। अपने शरीर का रस पिलाकर वृक्ष बीजों का पोषण करता है। अब अपनी जिंदगी के लिए मोह-माया का लाभ वृक्षों को नहीं है। वृक्ष अपना तिल-तिल अपनी संतान की खातिर सब कुछ लुटा देता है। एक दिन सूखकर पेड़ अपना जीवन समाप्त कर लेता है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. बीज से बीज तक की यात्रा अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- नन्हे नन्हे बीज जब धरती में बोये जाते हैं तो काफी समय तक मिट्टी के नीचे अँधेरे में दबे रहते हैं। पर्याप्त वर्षा होने पर जब मिट्टी गीली हो जाती है तो बीज के अंकुरण का समय आ जाता है। बीज धरती को चीर कर अपना अंकुर बाहर निकालता है। कुछ ही दिनों में एक नन्हा सा हरा-सा पौधा अपना सुंदर रूप दिखाता है। ऐसा नहीं है कि पूरा बीज अंकुरित होकर बाहर आ जाता है। इसका कुछ हिस्सा जमीन में रहकर पौधे को मज़बूती प्रदान करता है। यही भाग जड़ है। पौधा धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है। जड़ पौधे को मिट्टी से पानी व द्रव्य प्रदान करती है। सूरज की रोशनी में पौधे अपना भोजन तैयार करते हैं। वे मनुष्यों द्वारा छोड़ी गई विषाक्त वायु ग्रहण कर लेते हैं। जिन पौधों को सूर्य का प्रकाश नहीं मिलता वे जल्दी

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

1. दिए गए प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चुनिए-

(क) अंकुरण किसका होता है?

(1) पत्ता

(2) जड़

(3) तना

(4) बीज

(ख) गमले को औंधा लटकाने पर पौधा बढ़ेगा-

(1) नीचे

(2) ऊपर

(3) दाएँ

(4) बाएँ

(ग) अंगारक वायु है-

(1) कार्बन डाईऑक्साइड

(2) ऑक्सीजन

(3) प्राणवायु

(4) सभी उत्तर सही हैं।

(घ) बीज होता है-

(1) फल में

(2) पत्ते में

(3) फूल में

(4) टहनी में

(ङ) पुराना पेड़ हो जाता है-

(1) सूखा

(2) क्षीण

(3) हरा

(4) कमज़ोर

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(च) मधुमक्खी का आगमन करता है-

(1) उपकार

(2) अपकार

(3) विनाश

(4) इनमें से कोई नहीं

मूल्यपरक / व्यावहारिक प्रश्न

प्रश्न- क्या वृक्षों के बिना इस धरती पर मानव जीवन संभव है? यदि नहीं तो कारण बताइए ।

उत्तर- नहीं, वृक्षों से ही इस धरती पर मानव का अस्तित्व संभव है। वृक्ष यदि नहीं होंगे तो हमें जीवित रहने के लिए प्राणवायु नहीं मिलेगी और हमारी श्वास-प्रश्वास की प्रक्रिया रुक जाएगी। इस धरती पर वृक्षों के न होने से प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाएगी। जितने वृक्ष अधिक होंगे उतना ही प्रदूषण कम होगा। प्राकृतिक संतुलन में बनाए रखने में भी पौधों का बहुत बड़ा हाथ है। हम सभी जानते हैं कि वर्षा का होना अत्यावश्यक है। यदि वर्षा न हो तो धरती सूखी बंजर बन जाएगी। वृक्षों के होने से ही वर्षा का होना संभव है। हमारे दैनिक प्रयोग की अनेक वस्तुएँ हमें पेड़ ही प्रदान करते हैं। जैसे- फल-फूल, सब्जियाँ, दवाइयाँ, रुई, लकड़ी इत्यादि । इसलिए हम कह सकते हैं कि वृक्षों के बिना मानव जीवन का अस्तित्व असंभव है।

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