CBSE For Class 6 Hindi Chapter 9 मैया मैं नहिं माखन खायो

CBSE For Class 6 Hindi Chapter 9 मैया मैं नहिं माखन खायो

1. पाठ का सार

श्रीकृष्ण माता यशोदा से कहते हैं कि- हे माता मैंने माखन नहीं खाया है। प्रातः होते ही आप मुझे मधुबन में गौओं के पीछे भेज देती हो। चारों पहर तो मैं वन में भटकता रहता हूँ और शाम को ही मैं घर आता हूँ। मैं तो छोटा बालक हूँ। जिसके छोटे-छोटे हाथ हैं। मैं अपने इन छोटे हाथों से किस प्रकार से छींको (दही रखने का बर्तन) प्राप्त कर सकता हूँ। सभी ग्वाल-बाल तो मेरे शत्रु हैं जो ये माखन मेरे मुख पर जबरदस्ती लगा देते हैं। माँ! तू मन की बड़ी भोली है, इनकी बातों में आ जाती है। तेरे दिल में जरूर कोई भेद है, जो मुझे पराया समझकर मुझ पर संदेह कर रही हो। ये ले अपनी लाठी और कम्बल ले ले, इन्होंने मुझे बहुत नाच नचाया है। सूरदास जी कहते हैं तब हँसकर यशोदा ने श्रीकृष्ण को अपने हृदय से लगा लिया।

2. शब्दार्थ और टिप्पणी

माखन- मक्खन (दूध से बना पदार्थ ) । भोर- प्रातः । गैयन – गौओं। पाछे-पीछे। मधुबन – ब्रजभूमि के एक वन का नाम । बंसीवट – बरगद का वह पेड़ जिसके नीचे श्रीकृष्ण वंशी बजाते थे। साँझ-साँयकाल (शाम को ) । बहियन – हाथ। छीको खूँटी आदि में लटकाया जाने वाला एक उपकरण (जैसे- हड़िया छीका पर लटका देना। ग्वाल- अहीर, गोपालक। बैर-शत्रु, दुश्मन। बरबस – जबरदस्ती ( बलपूर्वक किया गया कार्य) । लपटायो – लगाना। भोरी-भोली । कहे कहने में। पतियायो विश्वास करना, सच समझ लेना। जिय-हृदय भेद-संशय, शंका। उपजि-उत्पन्न होना । पराया- दूसरा । लकुटि लाठी कमरिया – कंबल । बिहँसि-हँसकर । उर- हृदय । कंठ-गला ।

3. अर्थग्रहण संबंधी एवं बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर

नीचे लिखे काव्यांश को पढ़िए और उनके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

1. मैया मैं नहिं माखन खायो ।

भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो । चहर पहर बंसीतट भटक्यो, साँझ परे घर आयो ।। मैं बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो ।

ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो।।

बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर

Question 1. माखन न खाने की बात कौन किससे कहते हैं?

(क) श्रीकृष्ण अपनी माता यशोदा से।

(ख) श्रीकृष्ण ग्वाल-बालों से ।

(ग) श्रीकृष्ण नंदबाबा से।

(घ) श्रीकृष्ण गोपियों से ।

Answer. (क) श्रीकृष्ण अपनी माता यशोदा से।

Question 2. श्रीकृष्ण माता यशोदा से अपनी सफ़ाई किस प्रकार देते हैं?

(क) मेरे छोटे-छोटे हाथ छींके तक नहीं पहुँचते ।

(ख) ग्वाल-बाल मेरे मुख पर माखन लगा देते हैं।

(ग) गोपियों ने लगा दिया।

(घ) ‘क’ और ‘ख’।

Answer. (घ) ‘क’ और ‘ख’।

Question 3. श्रीकृष्ण कितने पहर गाएँ चराते थे?

(क) चार पहर

(ख) दोपहर

(ग) तीन पहर

(घ) आठ पहर

Answer. (क) चार पहर

Question 4. श्रीकृष्ण को गाएँ चराने कौन भेजता था?

(क) उनकी माँ यशोदा ।

(ख) उनके पिता नंदबाबा ।

(ग) उनके मित्र जो सारा दिन उनके साथ बिताना चाहते थे।

(घ) श्रीकृष्ण को स्वयं ही गौएँ चराने का शौक था।

Answer. (क) उनकी माँ यशोदा ।

2 तू माता मन की अति भोरी, इनके कहे पतियायो ।. जिय तेरे कछु भेद उपज हैं, जानि परायो जायो । ये ले अपनी लकुटि कमरिया, बहुतहिं नाच नचायो । सूरदास तब बिहँसि जसोदा, लै उर कंठ लगायो ।

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बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर

Question 1. श्रीकृष्ण गौओं के पीछे कहाँ जाते हैं?

(क) रामबन

(ख) मधुबन

(ग) सुंदरबन

(घ) कोकिलाबन

Answer. (ख) मधुबन

Question 2. श्रीकृष्ण बंसीवट में कब तक भटकते हैं?

(क) चार पहर

(ख) दोपहर

(ग) एक पहर

(घ) तीन पहर

Answer. (क) चार पहर

Question 3. श्रीकृष्ण को लकुटि कमरिया (लाठी और कंबल) क्या करती है?

(क) हँसाती है।

(ख) रुलाती है।

(ग) नचाती है।

(घ) लुभाती है |

Answer. (ग) नचाती है।

Question 4. ‘उर’ शब्द का क्या अर्थ है?

(क) मन

(ख) सिर

(ग) आत्मा

(घ) हृदय

Answer. (घ) हृदय

4. पाठ से प्रश्न- अभ्यास

मेरी समझ से

प्रश्न (क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए-

(1) मैं माखन कैसे खा सकता हूँ? इसके लिए श्रीकृष्ण ने क्या तर्क दिया?

मुझे तुम पराया समझती हो ।

मेरी माता, तुम बहुत भोली हो ।

मुझे यह लाठी-कंबल नहीं चाहिए।

मेरे छोटे-छोटे हाथ छींके तक कैसे जा सकते हैं?

मिलकर करें मिलान

पाठ में से चुनकर यहाँ कुछ शब्द दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थ या संदर्भ से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपनी कक्षा में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए। (क) “ भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पार्थ”

(ख) “सूरदास तब बिहँसि जसोदा, लै उर कंठ लगायो ” ।

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उत्तर-

(क) श्रीकृष्ण माँ यशोदा से कहते हैं कि प्रातः होते ही तुम मुझे मधुबन में गौओं को चराने के लिए भेज देती हो ।

(ख) सूरदास कहते हैं कि माँ यशोदा कृष्ण की बाते सुनकर हँस पड़ी और उन्हें गले से लगा लिया।

सोच-विचार के लिए

पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ढूँढ़कर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-

(क) पद में श्रीकृष्ण ने अपने बारे में क्या-क्या बताया है?

(ख) यशोदा माता ने श्रीकृष्ण को हँसते हुए गले से क्यों लगा लिया?

उत्तर- (क) पद में श्रीकृष्ण ने माता यशोदा से अपने बारे में सफ़ाई देते हुए कहा कि-

मैया मैंने माखन नहीं खाया। प्रातः होते ही मैं गौओं को चराने वन में चला जाता हूँ और सुबह से शाम तक वन में ही रहता हूँ। शाम को ही घर आता हूँ। मैं तो छोटा – बालक हूँ, मेरे हाथ भी छोटे ही हैं। मेरे हाथ किस प्रकार छींके तक पहुँच सकते हैं। ये सभी ग्वाल-बाल तो मेरे बैरी (शत्रु, दुश्मन) हैं, ये मेरे मुँह पर जबरदस्ती माखन लगा देते हैं। माता आप बहुत ही भोली हो जो इनके कहने में आ जाती हो। आपके हृदय में मेरे प्रति कुछ संदेह है तभी आप मुझे पराया समझती हो। आप ये अपनी लाठी और कंबल ले लो। ये मुझे बहुत नाच नचाते हैं।

(ख) माता यशोदा श्रीकृष्ण के इस मासूमियत भोलेपन पर (रीझकर ) प्रसन्न होकर उन्हें अपने गले लगा लेती हैं।

कविता की रचना

“भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो। चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो।।”

इन पंक्तियों के अंतिम शब्दों को ध्यान से देखिए । ‘पठायो’ और ‘आयो’ दोनों शब्दों की अंतिम ध्वनि एक जैसी है। इस विशेषता को ‘तुक’ कहते हैं। इस पूरे पद में प्रत्येक पंक्ति के अंतिम शब्द का तुक मिलता है। अनेक कवि अपनी रचना को प्रभावशाली बनाने के लिए तुक का उपयोग करते हैं।

(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस पाठ की विशेषताओं की सूची बनाइए, जैसे इस पद की अंतिम पंक्ति में कवि ने अपना नाम भी दिया है आदि ।

(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।

उत्तर- छात्र/छात्राएँ स्वयं करें।

अनुमान या कल्पना से

अपने में मिलकर चर्चा कीजिए-

(क) श्रीकृष्ण अपनी माँ यशोदा को तर्क क्यों थे रहे होगे?

(ख) जब माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को गले से लगा लिया, तब क्या हुआ होगा?

उत्तर-

(क) इस पद में कृष्ण के बाल स्वरूप का चित्रण है। प्रत्येक बच्चा गलती करने के बाद, उस गलती को छिपाने के लिए तर्क देता है। ऐसे ही श्रीकृष्ण भी माँ को तर्क दे रहे हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया। ग्वाल-बालों ने उनके मुख पर लगा दिया है ताकि माँ यशोदा उन्हें डाटें।

(ख) माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को जब गले से लगाया होगा तो उनका सारा क्रोध समाप्त हो गया होगा और कृष्ण के प्रति प्रेम उमड़ आया होगा।

शब्दों के रूप

नीचे शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। इन्हें करने के लिए आप शब्दकोश, अपने शिक्षकों और साथियों की सहायता भी ले सकते हैं।

(क) “भोर भयो गैयन के पाछे”

इस पंक्ति में ‘पाछे’ शब्द आया है। इसके लिए ‘पीछे’ शब्द का उपयोग भी किया जाता है। इस पद में ऐसे कुछ और शब्द हैं जिन्हें आप कुछ अलग रूप में लिखते और बोलते होंगे। नीचे ऐसे ही कुछ अन्य शब्द दिए गए हैं। इन्हें आप जिस रूप में बोलते-लिखते हैं, उस प्रकार से लिखिए।

परे होने पर

कछु कुछ

छोटो छोटा

लै लेना

बिधि प्रकार

नहिं नहीं

भोरी प्रातः काल

वर्ण-परिवर्तन

“तू माता मन की अति भोरी’

‘भोरी’ का अर्थ है ‘भोली’। यहाँ ‘ल’ और ‘र’ वर्ण परस्पर बदल गए हैं। आपने ध्यान दिया होगा कि इस पद में कुछ और शब्दों में भी ‘ल’ या ‘ड़’ और ‘र’ में वर्ण-परिवर्तन हुआ है। ऐसे शब्द चुनकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।

उत्तर- जैसे- ‘पड़े’ के स्थान पर ‘परे’ का प्रयोग। हमें दूसरों के सामने सिद्ध करना पड़ जाता है कि यह छात्र / छात्राएँ स्वयं भी करें।

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5. पाठ से आगे प्रश्न- अभ्यास

आपकी बात

“मैया मैं नहिं माखन खायो ”

यहाँ श्रीकृष्ण अपनी माँ के सामने सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया है। कभी-कभी कार्य हमने नहीं किया। क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है? कब? किसके सामने? आपने अपनी बात सिद्ध करने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए? उस घटना के बारे में बताइए ।

उत्तर- छात्र / छात्राएँ स्वयं करें।

घर की वस्तुएँ

‘मैं’ बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो। ” ‘छींका’ घर की एक ऐसी वस्तु है जिसे सैकड़ों वर्ष से भारत में उपयोग में लाया जा रहा है।

नीचे कुछ और घरेलू वस्तुओं के चित्र दिए गए हैं। इन्हें आपके घर में क्या कहते हैं? चित्रों के नीचे लिखिए। यदि किसी चित्र को पहचानने में कठिनाई हो तो आप अपने शिक्षक, परिजनों या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।

उत्तर- मटका, प्रेस (इस्तरी), चौपाया, सिलाई मशीन, चारपाई, मर्तबान, सूप, सिल-लोढ़ा (पट्टा), जाँत, बेना (पंखा ), मथानी, चलनी, कटोरदान, ओखली, मथानी – मटका ।

प्रश्न- आप जानते ही हैं कि श्रीकृष्ण को मक्खन बहुत पसंद था। दूध से दही, मक्खन बनाया जाता है और मक्खन से घी बनाया जाता है। नीचे दूध से घी बनाने की प्रक्रिया संबंधी कुछ चित्र दिए गए हैं। अपने परिवार के सदस्यों, शिक्षकों या इंटरनेट आदि की सहायता से दूध से घी बनाने की प्रक्रिया लिखिए।

उत्तर- सर्वप्रथम दूध को जामन लगाकर दही बनाया जाता है। दही को मथने से माखन बनता है। माखन को हांड़ी या किसी बड़े बर्तन में डालकर गर्म किया जाता है। धीरे-धीरे वह घी में परिवर्तित होने लगता है। हांडी मैं बने घी को छान लिया जाता है और बची ‘करोनि’ को भी खा सकते हैं।

समय का माप

“चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो ।। ”

(क) ‘पहर’ और ‘साँझ’ शब्दों का प्रयोग समय बताने के लिए किया जाता है। समय बताने के लिए और कौन-कौन से शब्दों का प्रयोग किया जाता है? अपने समूह में मिलकर सूची बनाइए और कक्षा में साझा कीजिए।

(संकेत- कल, ऋतु, वर्ष, अब पखवाड़ा, दशक, वेला, अवधि आदि)

(ख) श्रीकृष्ण के अनुसार वे कितने घंटे गाय चराते थे?

(ग) मान लीजिए वे शाम को छह बजे गाय चराकर लौटे। वे सुबह कितने बजे गाय चराने के लिए घर से निकले होंगे?

(घ) ‘दोपहर’ का अर्थ है ‘दो पहर’ का समय । जब दूसरे पहर की समाप्ति होती है और तीसरे पहर का प्रारंभ होता है। यह लगभग 12 बजे का समय होता है, जब सूर्य सिर पर आ जाता है। बताइए दिन के पहले पहर का प्रारंभ लगभग कितने बजे होगा?

उत्तर-

(क) अभी, प्रातः, सांय, दोपहर, रात, कल, आज, परसो, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, छमाही, वार्षिक आदि।

(ख) दस से बारह घंटे।

(ग) पाँच-छह बजे के बीच में।

(घ) सुबह के छह बजे से नौ बजे तक पहला पहर होता है।

हम सब विशेष हैं

(क) एक विशेष क्षमता ऐसी भी है जो हम सबके पास होती है। वह क्षमता है सबकी सहायता करना, सबके भले के लिए सोचना। तो बताइए, इस क्षमता का उपयोग करके आप इनकी सहायता कैसे करेंगे-

एक सहपाठी पढ़ना जानता है और उसे एक पाठ समझ में नहीं आ रहा है।

एक सहपाठी को पढ़ना अच्छा लगता है और वह देख नहीं सकता।

एक सहपाठी बहुत जल्दी-जल्दी बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है।

एक सहपाठी बहुत अटक अटक कर बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है।

एक सहपाठी को चलने में कठिनाई है और वह सबके साथ दौड़ना चाहता है।

एक सहपाठी प्रतिदिन विद्यालय आता है और उसे सुनने में कठिनाई है।

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उत्तर- (क)

किसी को भी मुश्किल में देखकर सहायता करने की चाह उठना ।

मेरे पिताजी हर बात व्यावहारिक रूप में समझाते हैं।

पाठ को भली भाँति समझना, मार्ग निर्देशन करना ।

सच्ची मित्रता निभाना, मित्र के गलत होने पर उसे प्यार से अहसास दिलाना।

(ख)

उसे समझाना।

उसे पढ़कर समझाना एवं ब्रेल लिपि से पढ़ने हेतु प्रेरित करना ।

उसे अभ्यास करवाना कि सहजता से बोले ।

बार-बार अभ्यास करवाना।

उसका साहस बढ़ाना, हाथ पकड़कर दौड़ने में मदद करना या स्वयं धीरे-धीरे उसके साथ दौड़ना ।

उसे लिखकर समझाना ।

खोजबीन के लिए

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उत्तर- छात्र/ छात्राएँ स्वयं करें। पुस्तकालय अथवा इंटरनेट की सहायता से खोजकर सूरदास की अन्य रचनाएँ खोजकर पढ़ें।

6. अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ‘मैया मैं नहिं माखन खायो।’ कौन किससे कह रहा है?

उत्तर- श्रीकृष्ण माता यशोदा जी से कहते हैं कि- मैया मैंने माखन नहीं खाया है।

प्रश्न 2. भोर होते ही कन्हैया कहाँ चले जाते हैं?

उत्तर- भोर होते ही कन्हैया गौओं को चराने मधुबन चले जाते हैं।

प्रश्न 3. श्रीकृष्ण ने किसे अपना बैरी बताया है?

उत्तर- श्रीकृष्ण ने ग्वाल-बाल को अपना बैरी बताया है।

प्रश्न 4. श्रीकृष्ण छींके पर न चढ़ने का कारण क्या बताते हैं?

उत्तर- माँ यशोदा से कृष्ण कहते हैं कि मैं तो छोटा बालक हूँ मेरा हाथ तो छींके तक पहुँचता ही नहीं है।

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लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. दिए गए काव्यांश में श्रीकृष्ण माँ यशोदा से क्या कहना चाहते हैं?

मैया मैं नहिं माखन खायो ।

भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो । चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो ।

मैं बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो ।

ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो।।

उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में श्रीकृष्ण क्या और कैसी अपनी निर्दोषता (सफ़ाई) के बारे में माता यशोदा से कहते हैं?

उत्तर- श्रीकृष्ण पर माखन खाने का दोष लगने पर अपनी माता यशोदा से कहते हैं कि मैं तो सुबह – सुबह ही गायों को लेकर मधुबन में चला जाता हूँ। सुबह से शाम तक तो मैं गाय चराता हूँ। शाम होते ही मैं घर आता हूँ। मैं छोटा बालक हूँ, छीको (दूध-दही रखने का बर्तन) तक मैं कैसे पहुँच सकता हूँ। सभी ग्वाले बच्चे मेरे दुश्मन हैं। वो मेरे मुँह पर जबरदस्ती दही लगा देते हैं।

प्रश्न 2. दिए गए काव्यांश में श्रीकृष्ण माँ यशोदा से क्या कहना चाहते हैं?

तू माता मन की अति भोरी, इनके कहे पतियायो ।
जिय तेरे कछु भेद उपज हैं, जानि परायो जायो ।।

ये ले अपनी लकुटि कमरिया, बहुतहिं नाच नचायो ।
सूरदास तब बिहँस जसोदा, लै उर कंठ लगायो।।

उत्तर – श्रीकृष्ण माता यशोदा से कहते हैं कि हे माता आप बहुत ही भोली-भाली हो तभी तो इन ग्वाल-बालों की बात मान लेती हो। आप अपनी लाठी और कंबल ले लो इन्होंने मुझे बहुत ही परेशान कर रखा है। माँ यशोदा कृष्ण की बातों पर हँस पड़ती है और उन्हें गले लगा लेती हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. “मैया मैं नहिं माखन खायो” पाठ में ‘मधुबन’ और ‘बंसीवट’ के बारे में आप क्या जानते हैं?

उत्तर- पाठ- ‘“मैया मैं नहिं माखन खायो” में ‘मधुबन’ और ‘बंसीवट’ दोनों ही श्रीकृष्ण जी से संबंधित हैं।

मधुबन वह स्थान है जहाँ श्रीकृष्ण ग्वाल-बालों के साथ बाल्यावस्था में गौओं को चराने प्रातः काल जाते थे तथा सांयकाल लौटते थे।

बंसीवट बरगद का वह पेड़ है जिसके नीचे श्रीकृष्ण बंसी की मधुर धुन निकालते थे और सभी उनके प्रति आकर्षित हो जाते थे।

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प्रश्न 2. श्रीकृष्ण को किसने बहुत ही नाच नचाया अर्थात बहुत ही परेशान किया है? वे माता यशोदा से क्या कहते हैं?

उत्तर- माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को वन में गौएँ चराने हेतु लकुटि और कमरिया दी थी। श्रीकृष्ण जी माता यशोदा से कहते हैं कि ये लकुटि (लाठी) और कमरिया (कंबल) आप इन दोनों को वापस ले लो क्योंकि इन दोनों ने मुझे बहुत ही परेशान कर रखा है।

मूल्यपरक / व्यावहारिक प्रश्न

प्रश्न 1. क्या कभी ऐसा हुआ हो कि माँ के मना करने के बाद भी घर में उपलब्ध किसी स्वादिष्ट वस्तु को आपने चुपके-चुपके थोड़ा बहुत खा लिया हो और चोरी पकड़े जाने पर कोई बहाना बनाया हो। आप अपनी आप बीती अपने शब्दों में लिखें।

Class 6 Hindi Chapter 9 मैया मैं नहिं माखन खायो Notes

उत्तर- मुझे चॉकलेट खाना बहुत पसंद है। मेरे बड़े भाई का जन्मदिन था। जन्मदिन की तैयारी के लिए सामान बनाया जा रहा था। माँ ने फ्रिज में दूध रखने के लिए मुझसे कहा, पर यह भी कह दिया कि उसमें रखी चॉकलेट हम सभी शाम को खाएँगे। यह जन्मदिन के अवसर पर सभी को दिए जाएँगे। मैं उस समय तो फ्रिज में दूध रखकर आ गया, पर मेरा सारा ध्यान उन्हीं चॉकलेटों में लगा था। दोपहर में माँ की आँख लग गई और मुझे मौका मिला और मैंने फ्रिज से तीन चॉकलेट निकालकर खा ली। चॉकलेट का कागज मैंने बाहर फेंक दिया। पता नहीं कैसे चॉकलेट के कागज़ का एक टुकड़ा मेरी पैंट में रह गया। शाम को जब माँ ने फ्रिज से चॉकलेट निकाली तो उसमें से तीन चॉकलेट कम मिली। उन्होंने सबसे पहले मेरी जेब टटोली उनके हाथ में वह कागज़ आ गया और मेरी चोरी पकड़ी गई। मैंने माँ से कहा कि यह तो कल की खाई चॉकलेट का कागज़ है, परंतु मेरा बहाना कुछ काम न आया। साथ ही मुझे पिताजी की डाँट खानी पड़ी।

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