CBSE For Class 6 Hindi Chapter 7 जलाते चलो
1. कविता का सार
पाठ प्रवेश- इस कविता के माध्यम से कवि ‘द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी’ हृदय में आशा और ज्ञान का संचार करते हैं। हर प्रकार की कठिनाइयों और मुसीबतों का सामना करते हुए मनुष्य अपने जीवन के नए रास्ते बना सकता है। अँधेरे से उजाले की ओर एवं अज्ञान को दूर कर ज्ञान की ओर बढ़ने के लिए तत्पर रहना चाहिए। प्रेम, सौहार्द और मानवता के मूल्यों द्वारा मनुष्य अपने जीवन को सही दिशा में अग्रसर कर सकता है और धरती पर अंधकार रूपी बुराइयों का नाश करने में सक्षम हो सकता है। यदि मनुष्य मिल- -जुलकर आगे बढ़ेंगे, तो ही विश्व-कल्याण का सपना साकार हो सकता है।
2. अर्थग्रहण संबंधी एवं बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर
दिए गए काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर कीजिए-
1 जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर
कभी तो धरा का अँधेरा मिटेगा ।
भले शक्ति विज्ञान में है निहित वह
कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा -सी,
मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में
घिरी आ रही है अमावस निशा-सी ।
बिना स्नेह विद्युत – दिये जल रहे जो
बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा ।।
शब्दार्थ : स्नेह – प्यार । धरा-धरती। निहित शामिल । अमावस – अमावस्या । पूर्णिमा- चंद्र मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि, पूर्णमासी । दिवस-दिन। निशा रात। विद्युत – बिजली । पथ – रास्ता।
व्याख्या-कवि कहते हैं कि प्रेम भावना से ही धरती पर फैला नफ़रत रूपी अंधकार मिटेगा। भले ही वैज्ञानिक तरक्की के कारण अमावस की अँधेरी रात में भी पूर्णिमा का आभास हो जाता है लेकिन फिर भी यह संसार दिन के उजाले में अज्ञान और निराशा से घिरा हुआ दिखता है। प्रेम रूपी दीपकों को जलाकर ही पथ मिलेगा।
बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर
Question 1. कवि क्या जलाने की बात कर रहे हैं?
(क) बिजली
(ख) बल्ब
(ग) स्नेह के दिये
(घ) मिट्टी के दिये
Answer. (ग) स्नेह के दिये
Question 2. कवि दीपक में क्या भरकर जलाने की प्रेरणा दे रहे है?
(क) स्नेह रूपी तेल डालकर
(ख) घी भरकर
(ग) बिजली
(घ) शक्ति डालकर
Answer. (क) स्नेह रूपी तेल डालकर
Question 3. अमावस किसका प्रतीक है?
(क) अंधकार
(ख) निशा
(ग) निराशा
(घ) सारे विकल्प सही हैं।
Answer. (घ) सारे विकल्प सही हैं।
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Question 4. आज कैसे दीपक जल रहे हैं?
(क) रंग-बिरंगे
(ख) विद्युत
(ग) विज्ञान
(घ) कोई नहीं
Answer. (ख) विद्युत
Question 5. बिना स्नेह विद्युत – दिये क्यों बुझाने हैं?
(क) रास्ता मुश्किल है।
(ख) समय की कमी के कारण
(ग) क्योंकि पथ न मिल सकेगा
(घ) खर्चा बढ़ जाता है।
Answer. (ग) क्योंकि पथ न मिल सकेगा
2 जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की
चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी,
तिमिर की सरित पार करने तुम्हीं ने
बना दीप की नाव तैयार की थी।
बहाते चलो नाव तुम वह निरंतर
कभी तो तिमिर का किनारा मिलेगा।
शब्दार्थ : तिमिर-अँधेरा । सरित- नदी । नाव – नौका। निरंतर – लगातार |
व्याख्या-कवि कहते हैं आज संसार में स्वार्थ, भेदभाव, अराजकता एवं द्वेष का अंधकार छाया हुआ है। इस संकट भरी स्थिति से निकलने के लिए कवि मनुष्य को याद दिलाता है कि उसने युगों-युगों से अपनी सूझबूझ और परिश्रम से संसार की बुराइयों को दूर किया था। इतिहास साक्षी है कि मनुष्य ने अंधकार से कभी हार नहीं मानी। अत्याचारों का सामना करते हुए, आक्रमणकारियों से लड़ते हुए लोग शहीद हो गए और बुराई रूपी अँधेरे को मिटाकर आगे चले। आशा और प्रेम का उजाला अवश्य फैलेगा।
बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर
Question 1. अंधकार की सरिता पार करने के लिए मनुष्य ने मनुष्य के धैर्य और जिजिविषा का अश्रु और बलिदानों की क्या तैयार किया था?
(क) दीप की नाव तैयार की
(ख) सारे दीपक जला दिये
(ग) कृत्रिम दिये बनाए
(घ) मनुष्य चलता रहा
Answer. (क) दीप की नाव तैयार की
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Question 2. हमें जीवन के अंधकार में किससे उजाला मिलेगा?
(क) प्रेम रूपी दीपक से
(ख) धन-दौलत से
(ग) संपन्नता से
(घ) शांत बैठ जाने से
Answer. (क) प्रेम रूपी दीपक से
Question 3. कवि ने दीये की नाव को कैसे बहाने के लिए कहा है?
(क) थोड़ा विश्राम कर
(ख) लगातार
(ग) अकेले
(घ) नदी को रोककर
Answer. (ख) लगातार
Question 4. तिमिर किसका प्रतीक है?
(क) अज्ञान
(ख) मुसीबतों
(ग) बुराई
(घ) सभी
Answer. (घ) सभी
Question 5. तिमिर को किनारा कैसे मिलेगा?
(क) बुराइयों रूपी अंधकार को मिटाने से
(ख) चुनौतियों को स्वीकार करने से
(ग) तिमिर समाप्त हो चुका है।
(घ) (क) और (ख) दोनों विकल्प सही हैं।
Answer. (क) बुराइयों रूपी अंधकार को मिटाने से
3 युगों से तुम्हीं ने तिमिर की शिला पर
दिये अनगिनत है निरंतर जलाए,
समय साक्षी है कि जलते हुए दीप
अनगिन तुम्हारे पवन ने बुझाए ।
मगर बुझ स्वयं ज्योति जो दे गए वे
उसी से तिमिर को उजेला मिलेगा।
शब्दार्थ : शिला-सिल/पत्थर। अनगिनत – जिसकी गिनती न हो सके। साक्षी – गवाह । पवन – वायु। ज्योति – रोशनी । उजेला – उजाला ।
व्याख्या – मनुष्य के संकल्प और कर्मठता की प्रशंसा करते हुए कवि कहते हैं कि कठिनाइयों, कष्टों और बुराइयों को उन्होंने अपनी शक्ति और बुद्धिमत्ता से मिटाया है। मुश्किलों और दुख में भी मन में निराशा नहीं उत्पन्न होने दी। अंधकार रूपी पत्थर को इंसान के हौंसलों ने तोड़ा है। हमने ज्ञान और शक्ति के तेल से अनगिनत दिये जलाए रखे और यह सिलसिला जारी रहे। इतिहास साक्षी है। अनेक गाथाएँ, हमें प्रेरणा देती है। बलिदानियों के जीवन से प्रेरणा प्राप्त कर धरती पर ज्ञान और सौहार्द फैलेगा।
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बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर
Question 1. समय किसका साक्षी है?
(क) जलते दीप पवन ने बुझाए हैं।
(ख) मनुष्य के अनवरत प्रयासों का
(ग) हार न मानने की इच्छाशक्ति
(घ) उपर्युक्त सभी
Answer. (घ) उपर्युक्त सभी
Question 2. पवन के पर्यायवाची हैं-
(क) समीर
(ख) पताका
(ग) अनल
(घ) पावक
Answer. (क) समीर
Question 3. अनगिनत दीप कहाँ जलाए गए?
(क) दीवाली की रात
(ख) घर के आँगन में
(ग) अंधकार रूपी शिला पर
(घ) कहीं नहीं
Answer. (ग) अंधकार रूपी शिला पर
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Question 4. तिमिर को उजाले में कैसे परिवर्तित करें? काव्यांश के आधार पर उत्तर छाँटे।
(क) शहीदों के जीवन से प्रेरणा प्राप्त कर
(ख) मोमबत्ती जलाकर
(ग) विद्युत – दिये की सहायता से
(घ) सुबह की इंतजार कर
Answer. (क) शहीदों के जीवन से प्रेरणा प्राप्त कर
Question 5. अनगिनत शब्द का अर्थ है-
(क) जिसे गिना जा सके
(ख) विशेष दिये का नाम है।
(ग) जिसकी गिनती न हो
(घ) संख्या
Answer. (ग) जिसकी गिनती न हो
4 दिये और तूफ़ान की यह कहानी
चली आ रही और चलती रहेगी,
जली जो प्रथम बार लौ दीप की
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी।
रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि
कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा।
शब्दार्थ : ज्योति – रोशनी । लौ ज्वाला । स्वर्ण- सोना (धातु) । धरा-धरती ।
व्याख्या – दिये और तूफ़ान की कहानी सदियों से पुरानी है। निराशा ही आशा का मार्ग दिखाती है। मार्ग में थककर रुकना नहीं चाहिए क्योंकि संघर्षों से ही सफलता का जन्म होता है। जैसे दिये की पहली बार जलाई गई ‘लौ’ सोने के समान चमकती है, वैसे ही मनुष्य के प्रयास निष्फल नहीं होते। हृदय में आशा को बनाए रखना चाहिए तभी निराशा और अंधकार की रात खत्म होती है। इससे ही खुशियों से पूर्ण सुबह का आगमन होगा।
बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर
Question 1. स्वर्ण-सी जल रही में कौन-सा अलंकार है?
(क) रूपक
(ख) पुनरुक्ति
(ग) उपमा
(घ) उत्प्रेक्षा
Answer. (ग) उपमा
Question 2. निशा के पर्याय हैं-
(क) रात और रजनी
(ख) यामा और निशामति
(ग) निशाचर और क्षण
(घ) विधु और शशि
Answer. (क) रात और रजनी
Question 3. निशा को सवेरा कब मिलेगा ?
(क) जल्द से जल्द
(ख) जब तक धरती पर एक भी दिया जल रहा है।
(ग) जब तक एक भी मनुष्य विघ्न-बाधाओं से जूझ रहा है।
(घ) (ख) और (ग) दोनों सही हैं।
Answer. (ख) जब तक धरती पर एक भी दिया जल रहा है।
Class 6 Hindi Chapter 7 जलाते चलो Notes
Question 4. “जली जो प्रथम बार लौ दीप की…रहेगी। ” दी गई अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके पंक्ति को सही विकल्प चुनकर पूर्ण कीजिए।
(क) स्वर्ण जल रही और जलती रहेगी।
(ख) स्वर्ण – सी रही और जली |
(ग) सोने के समान जलकर रहेगी।
(घ) स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी।
Answer. (घ) स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी।
3. पाठ से प्रश्न- अभ्यास
मेरी समझ से
प्रश्न (क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए-
(1) निम्नलिखित में से कौन-सी बात इस कविता में मुख्य रूप से कही गई है?
भलाई के कार्य करते रहना
दीपावली के दीपक जलाना
बल्ब आदि जलाकर अधंकार दूर करना
तिमिर मिलने तक नाव चलाते रहना
(2) “जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी” यह वाक्य किससे कहा गया है?
तूफ़ान से
मनुष्यों से
दीपकों से
तिमिर से
उत्तर- (1) * भलाई के कार्य करते रहना
(2) * मनुष्यों से
मिलकर करें मिलान
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए । आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-
“ दिये और तूफ़ान की यह कहानी
चली आ रही और चलती रहेगी,
जली जो प्रथम बार लौ दीप की
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी।।
रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि
कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा ।। ”
उत्तर – कवि ने संदेश दिया है कि संघर्ष और सफलता की कहानी निरंतर चल रही है। हमें निराश और हतोत्साहित नहीं होना है क्योंकि अगर एक भी दीपक जल रहा है तो मानवता फैलती रहेगी। प्रेम, त्याग व ज्ञान के संदेश संसार में फैलेंगे और जीवन सार्थक होगा।
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सोच-विचार के लिए
प्रश्न- कविता को एक बार फिर से पढ़िए, पता लगाइए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-
(क) कविता में अँधेरे या तिमिर के लिए किन वस्तुओं के उदाहरण दिए गए हैं?
(ख) यह कविता आशा और उत्साह जगाने वाली कविता है। इसमें क्या आशा की गई है? यह आशा क्यों की गई है?
(ग) कविता में किसे जलाने और किसे बुझाने की बात कही गई है?
उत्तर- (क)
अमावस
निशा
तिमिर की सरिता
तिमिर की शिला
पवन
तूफ़ान
(ख) यह कविता जीवनरूपी दीप में स्नेह व अपनापन रूपी तेल भरकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। निराशा के बीच ही आशा की एक किरण दिखाई देती है। मानव और विश्व कल्याण हेतु हमें महापुरुषों के पदचिह्नों पर चलना होगा। प्रेम, सद्भावना और मानवीय सौहार्द से यह जीवन खुशहाल बनता है। नई पीढ़ी इतिहास में हुए महान लोगों से प्रेरणा लेकर एक सुंदर भविष्य की नींव रखेगी। कविता मनुष्य के हृदय में विश्व बंधुत्व की आशा जाग्रत करती है।
(ग) मनुष्य आशा रूपी दीपक जलाकर रखें। स्नेह से भरे दीपक चारों ओर जले और बिना स्नेह वाले विद्युत – दिये बुझा देने चाहिए क्योंकि बनावटी वस्तुएँ बाधा उत्पन्न करती हैं।
कविता की रचना
“जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर
कभी तो धरा का अँधेरा मिटेगा । ”
इन पंक्तियों को अपने शिक्षक के साथ मिलकर लय सहित गाने या बोलने का प्रयास कीजिए। आप हाथों से ताल भी दे सकते हैं। दोनों पंक्तियों को गाने या बोलने में समान समय लगा या अलग-अलग ? आपने अवश्य ही अनुभव किया होगा कि इन पंक्तियों को बोलने या गाने में लगभग एक-समान समय लगता है। केवल इन दो पंक्तियों | अनुमान या कल्पना से को ही नहीं, इस कविता की प्रत्येक पंक्ति को गाने में या बोलने में लगभग समान समय ही लगता है। इस विशेषता के कारण यह कविता और अधिक प्रभावशाली हो गई है। आप ध्यान देंगे तो इस कविता में आपको और भी अनेक विशेष बातें दिखाई देंगी।
(क) इस कविता को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस कविता की विशेषताओं की सूची बनाइए, जैसे इस कविता की पंक्तियों को 2-4, 2-4 के क्रम में बाँटा गया है आदि ।
(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए ।
उत्तर-कविता पर आधारित रचनात्मक गतिविधियाँ विद्यार्थी स्वयं करेंगे। अपने अध्यापकों व साथियों की सहायता से गतिविधि पूर्ण करें।
अपने ‘समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-
(क) “ दिये और तूफ़ान की यह कहानी चली आ रही और चलती रहेगी” ।
दीपक और तूफ़ान की यह कौन-सी कहानी हो सकती है जो सदा से चली आ रही है?
(ख) “जली जो प्रथम बार लौ दीप की
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी’
दीपक की यह सोने जैसी लौ क्या हो सकती है जो अनगिनत सालों से जल रही है?
उत्तर- विद्यार्थी अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर की सहायता से सामूहिक चर्चा गतिविधी पूर्ण करें। शब्दों के रूप
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4. अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. ‘जलाते चलो’ कविता के कवि का नाम लिखिए।
उत्तर – कवि का नाम है ‘द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी । ‘
प्रश्न 2. कवि क्या जलाने की बात करते हैं?
उत्तर- कवि दुनिया में ‘स्नेह के दिये’ जलाने की बात करते हैं।
प्रश्न 3. यह दुनिया कैसे सुंदर बन जाएगी?
उत्तर- यदि हर व्यक्ति अपना कर्त्तव्य समझ ले और दूसरों की भलाई के लिए कार्य करे तो पूरी दुनिया सुंदर बन जाएगी।
प्रश्न 4. कविता आपको कैसे प्रेरित करती है?
उत्तर- कविता हमें निराश न होने, चुनौतियों का सामना करने और सबके कल्याण के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।
प्रश्न 5. कविता के अनुसार कौन-सी कहानी चली आ रही है और चलती रहेगी?
उत्तर- दीये और तूफ़ान की कहानी चली आ रही है ‘जलाते चलो’ से प्रेम, धैर्यशीलता, साहस, लोक-कल्याण और चलती रहेगी।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. पूर्णिमा की रात में चाँद कैसा दिखता है?
उत्तर- पूर्णिमा की रात चंद्रमा पूरा दिखने लगता है। इसके बाद कला धीरे-धीरे घटती रहती है। चंद्रमा की कलाओं के बढ़ने के दिनों को ‘शुक्ल पक्ष’ कहते हैं।
प्रश्न 2. धरा पर अंधकार को मिटाने के लिए कवि ने क्या सुझाव दिए हैं?
उत्तर- धरा पर अँधकार को मिटाने के लिए हम प्रेम व सौहार्दपूर्ण व्यवहार करें। विद्युत दिए न जलाकर प्रेम से भरे तेल रूपी दीप जलाने चाहिए।
Hindi Chapter 7 जलाते चलो Solutions Class 6
प्रश्न 3. अंधकार की नदी को कैसे पार किया जा सकता है?
उत्तर- मनुष्य दीप की नाव तैयार करे। लगातार दीप नाव बहेगी तो अंधकार का किनारा ज़रूर मिलेगा।
मूल्यपरक / व्यावहारिक प्रश्न
प्रश्न- द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी द्वारा रचित कविता ‘जलाते चलो’ कौन-कौन से जीवन मूल्यों का संदेश देती है? वर्तमान समय में इन मूल्यों की आवश्यकता क्यों है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर- द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी द्वारा रचित कविता और बलिदान जैसे मूल्यों को अपनाकर चलने का संदेश देती है। ये जीवन मूल्य हमारे अंदर मानवता का संचार कर सदैव मार्गदर्शन करते हैं ताकि हम अच्छाई के मार्ग से कभी विचलित न हो। इन मूल्यों पर टिका समाज टूटता नहीं है। वर्तमान समय में इन मानवीय मूल्यों की आवश्यकता अधिक है। क्योंकि इनके बिना देश, समाज और व्यक्ति की भलाई और प्रगति संभव नहीं है। वर्तमान समय में कुत्रिमता, स्वार्थ और भ्रष्टाचार जैसी बुराईयाँ पनप रही हैं। इसलिए मानवीय मूल्यों के महत्व को समझना व इनका पालन करना आवश्यक है। इन मूल्यों के विकास से ही सामाजिक बुराईयों का और अज्ञान का अंत होगा। अतः ‘जलाते चलो’ कविता का संदेश विद्यार्थियों को नई आशा और नई दिशा देता है।